एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 12 परमाणु

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 12 परमाणु के अभ्यास के प्रश्नों तथा अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर छात्र सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। कक्षा 12 भौतिकी पाठ 12 के सभी प्रश्नों को सरल रूप में चरण दर चरण हल किया गया है ताकि विद्यार्थी इसे आसानी से समझ सकें।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 12

परमाणु क्या है?

परमाणु शब्द का मूल अर्थ है, ‘वह कण जिसे छोटे कणों में न विभाजित किया जा सके’, लेकिन आधुनिक वैज्ञानिक प्रयोगों से पता चलता है कि परमाणु विभिन्न अपरमाणविक कणों से बना है। इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन एक परमाणु के संघटक कण है। परमाणु किसी पदार्थ का सबसे छोटा घटक भी है।

Q1

बोर त्रिज्या को a₀ = 53 pm लेते हुए, बोर मॉडल के आधार पर Li⁺⁺ आयन की, इसके निम्नतम अवस्था में, त्रिज्या होगी लगभग

[A]. 53 pm
[B]. 27 pm
[C]. 18 pm
[D]. 13 pm
Q2

एक सामान्य बोर मॉडल को कई इलेक्ट्रॉनों वाले एक परमाणु के ऊर्जा स्तरों की गणना के लिए प्रत्यक्षतः प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। ऐसा इसलिए है क्योंकि

[A]. इलेक्ट्रॉन केंद्रीय बल के आधीन नहीं हैं।
[B]. इलेक्ट्रॉन एक दूसरे से टकराते रहते हैं।
[C]. स्क्रीन प्रभाव बीच मे आते हैं।
[D]. नाभिक तथा इलेक्ट्रॉन के बीच बल, अब कूलॉम के नियम से निर्धारित नही होते।
Q3

सामान्य बोर मॉडल के अनुसार, निम्नतम अवस्था में, हाइड्रोजन परमाणु के इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग h के तुल्य है। कोणीय संवेग एक सदिश है अतः कक्षाओं की संख्या अनन्त होगी, जिनमें कोणीय संवेग सदिश प्रत्येक सम्भव दिशा की ओर इंगित कर रहा होगा। वास्तव में यह सही नहीं है

[A]. क्योंकि बोर मॉडल कोणीय संवेग का गलत मान देता है।
[B]. क्योंकि इनमें से केवल एक की ऊर्जा न्यूनतम होगी।
[C]. कोणीय संवेग इलेक्ट्रॉन के चक्रण की दिशा में होना चाहिए।
[D]. क्योंकि इलेक्ट्रॉन केवल क्षैतिज कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं।
Q4

O₂ अणु में ऑक्सीजन के दो परमाणु होते हैं। अणु में, दो परमाणु-नाभिकों के मध्य नाभिकीय बल

[A]. महत्त्वपूर्ण नहीं है क्योंकि नाभिकीय बलों का परिसर न्यून होता है।
[B]. दो परमाणुओं को बाँधने के लिए आवश्यक स्थिर वैद्युत बलों जितने ही महत्त्वपूर्ण हैं।
[C]. नाभिकों के मध्य प्रतिकर्षणात्मक स्थिर वैद्युत बलों को निरस्त कर देते हैं।
[D]. महत्त्वपूर्ण नहीं है क्योंकि आक्सीजन नाभिक में न्यूट्रॉनों और प्रोटॅानों की संख्या बराबर होती है।

ऐल्फा कण प्रकीर्णन तथा परमाणु का रदरफोर्ड नाभिकीय मॉडल

ऐल्फा कण के प्रकीर्णन के प्रयोगों के निष्कर्षों के आधार पर रदरफोर्ड ने एक मॉडल दिया, जिसे रदरफोर्ड मॉडल कहते हैं। इस मॉडल के अनुसार, परमाणु के केन्द्र पर लगभग 10⁻¹⁴ मी का नाभिक होता है जिसमें परमागु का समस्त घनात्मक आवेश तथा द्रव्यमान केन्द्रित होता है। नाभिक पर +Ze आवेश होता है, जहाँ Z अवयव का परमाणु क्रमांक है।

इन अभिधारणाओं के आधार पर ऐल्फा-कण और धनावेशित नाभिक के मध्य स्थिर वैद्युत प्रतिकर्षण बल के कूलॉम-नियम तथा न्यूटन के गति के द्वितीय नियम द्वारा ऐल्फा-कण के प्रक्षेप पथ का अभिकलन किया जा सकता है। इस बल का परिमाण इस प्रकार व्यक्त किया जाता है:
F = {(1/4πε₀)}{(2e)(Ze)}/r²
जहाँ r ऐल्फा-कण की नाभिक से दूरी है। आरोपित बल, ऐल्फा-कण और नाभिक को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश है। ऐल्फा-कण पर आरोपित बल का परिमाण एवं दिशा, ऐल्फा-कण के नाभिक की ओर अभिगमन करने वाले तथा उससे दूर जाने के साथ लगातार परिवर्तित होती रहती है।

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इलेक्ट्रॉन-कक्षाएँ

परमाणु का रदरफोर्ड नाभिकीय मॉडल जिसमें क्लासिकी धारणाएँ सम्मिलित हैं, परमाणु को एक विद्युतीय उदासीन गोले के रूप में चित्रित करता है, जिसके केंद्र पर बहुत छोटा, भारी तथा धन आवेशित नाभिक है, जो अपनी-अपनी गतिशील स्थिर कक्षाओं में घूमते इलेक्ट्रॉनों से घिरा हुआ है। परिक्रमा करते हुए इलेक्ट्रॉनों तथा नाभिक के बीच स्थिरवैद्युत आकर्षण बल Fₑ इलेक्ट्रॉन को अपने कक्ष में बनाए रखने के लिए आवश्यक अभिकेंद्री बल (Fc ) प्रदान करता है। अतः, हाइड्रोजन परमाणु में गतिशील स्थिर कक्षा के लिए
Fₑ = Fc
= (1/4πε₀) (e²/r²) = mv²/r
अतः कक्षा-त्रिज्या तथा इलेक्ट्रॉन-वेग में संबंध होगा
r = e²/4πε₀ mv²
हाइड्रोजन के परमाणु में इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा (K) तथा स्थिरवैद्युत स्थितिज ऊर्जा (U) होंगी
K = ½ (mv²) = e²/8πε₀r
तथा U = – e²/4πε₀r
( U में ऋणात्मक चिह्न सूचित करता है कि स्थिरवैद्युत बल – r दिशा में है) अतः हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा E,
E = K + U = e²/8πε₀r – e²/4πε₀r
= – e²/8πε₀r
इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा ऋणात्मक है। यह तथ्य दर्शाता है कि इलेक्ट्रॉन नाभिक से परिबद्ध है। यदि E धनात्मक होता तो इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर बंद कक्ष में नहीं घूमता।

हाइड्रोजन परमाणु का बोर मॉडल

बोर ने क्लासिकी एवं प्रारंभिक क्वांटम संकल्पनाओं को संयुक्त करके तीन अभिगृहीतों के रूप में अपना सिद्धांत प्रस्तुत किया। ये अभिगृहीत हैं:
(i) बोर का पहला अभिगृहीत था कि किसी परमाणु में कोई इलेक्ट्रॉन निश्चित स्थायी कक्षाओं में विकिरण ऊर्जा उत्सर्जित किए बिना परिक्रमण कर सकता है। यह वैद्युतचुंबकीय सिद्धांत के अनुमानों के विपरीत है। इस अभिगृहीत के अनुसार प्रत्येक परमाणु की कुछ निश्चित स्थायी अवस्थाएँ हैं जिसमें यह रह सकता है और प्रत्येक संभव अवस्था में निहित कुल ऊर्जा निश्चित होती है। इन संभावित अवस्थाओं को परमाणु की स्थिर अवस्थाएँ कहते हैं।
(ii) बोर का दूसरा अभिगृहीत इन स्थायी कक्षाओं को परिभाषित करता है। इस अभिगृहीत के अनुसार इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर केवल उन कक्षाओं में ही परिक्रमण करता है जिनके लिए कोणीय संवेग का मान h/2π का पूर्णांक गुणज होता है। जहाँ h प्लांक नियतांक (= 6.6 × 10⁻³⁴ Js)। अतः परिक्रमा करते हुए इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग (L) क्वांटित है।
अर्थात L = nh/2π
(iii) बोर के तीसरे अभिगृहीत में परमाणु सिद्धांत में प्लांक तथा आइंसटाइन द्वारा विकसित प्रारंभिक क्वांटम परिकल्पनाओं को समाविष्ट किया गया। इसके अनुसार कोई इलेक्ट्रॉन अपने विशेष रूप से उल्लिखित अविकिरणी कक्षा से दूसरी निम्न ऊर्जा वाली कक्षा में संक्रमण कर सकता है। जब यह ऐसा करता है तो एक फोटॉन उत्सर्जित होता है जिसकी ऊर्जा प्रारंभिक एवं अंतिम अवस्थाओं की ऊर्जा के अंतर के बराबर होती है। उत्सर्जित फोटॉन की आवृत्ति निम्न व्यंजक द्वारा दी जाती है:
hν = Eᵢ – Ef
जहाँ Eᵢ एवं Ef प्रारंभिक और अंतिम अवस्थाओं की ऊर्जाएँ हैं, Eᵢ > Ef

कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 12 के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न

दो भिन्न हाइड्रोजन परमाणु लें। प्रत्येक परमाणु में इलेक्ट्रॉन उत्तेजित अवस्था में है। बोर मॉडल के अनुसार क्या यह सम्भव है कि इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा तो भिन्न हो परन्तु कक्षीय कोणीय संवेग समान हो?

नहीं,
क्योंकि बोहर प्रतिरूप के अनुसार Eₙ = – 13.6/n², और भिन्न-भिन्न ऊर्जा के इलेक्ट्रॉन विभिन्न n- मान वाले स्तरों से सम्बद्ध होते हैंः अतः उनके कोणीय-संवेग भिन्न होंगे, क्योंकि
Mvr = nh/2π

कल्पना करें कि एक परमाणु के इलेक्ट्रॉनों के मध्य कोई प्रतिकर्षण बल नहीं है लेकिन धनावेश तथा ऋणावेश के मध्य बल पूर्वानुसार कूलॉम के नियम से दिया जाता है। इन परिस्थितियों में Hₑ -परमाणु की निम्नतम अवस्था में ऊर्जा परिकलित कीजिए।

2e आवेश वाले नाभिक तथा -e आवेश वाले इलेक्ट्रॉनों के लिए, स्तर हैं- Eₙ = – (4me⁴)/(8ε₀²n²h²) निम्नतर स्तर में दो इलेक्ट्रॉन होंगे, जिनमें प्रत्येक की ऊर्जा E तथा निम्नतम स्तर की कुल ऊर्जा – (4×13.6) eV होगी।

बोर मॉडल का उपयोग करके, हाइड्रोजन परमाणु की निम्नतम अवस्था में इलेक्ट्रॉन द्वारा निर्मित विद्युत-धारा का परिकलन कीजिए।

v = इलेक्ट्रॉन का वेग
a₀ = बोहर त्रिज्या
∴ एकांक समय में चक्रणों की संख्या = 2πa₀/v
∴ धारा = (2πa₀/v) e

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कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 12
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