एनसीईआरटी समाधान कक्षा 1 हिंदी सारंगी पाठ 8 खतरे में साँप

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 1 हिंदी सारंगी पाठ 8 खतरे में साँप के प्रश्न उत्तर तथा अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर विस्तार से यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 1 हिंदी के अध्याय 8 में छात्र पढेंगे कि किस प्रकार साँपों के पैर न होने के कारण वे पाठ में बोली गई कहावत को समझ न सके।

कक्षा 1 हिंदी सारंगी पाठ 8 के लिए एनसीईआरटी समाधान

सारे जानवर इकट्ठे हुए थे। बात चल रही थी कि खतरे में अपनी जान कैसे बचाएँ? देर तक बहस चली। अंत में सबको बंदर की सलाह ठीक लगी। बंदर की सलाह थी कि खतरे के समय ‘सिर पर पैर रखकर भागना’ सबसे अच्छा है। बातचीत समाप्‍त हुई और सारे जानवर अपने-अपने ठिकाने चले गए। सिर्फ साँप एक-दूसरे का मुँह ताकते दरे तक वहीं बैठे रहे।

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जंगल में सब जानवरों की सभा

एक दिन जंगल में सभी जानवर एक साथ इकट्ठे हुए। वहां बड़े-बड़े हाथी, शेर, चीते, खरगोश, और भी बहुत सारे जानवर थे। सभी के चेहरे पर चिंता की लकीरें थीं। उनकी चिंता का कारण था – अपनी जान कैसे बचाई जाए जब खतरा आए? बड़े बुजुर्ग हाथी ने सभा की अध्यक्षता की और सभी जानवरों से अपने-अपने विचार रखने को कहा। शेर, चीता, और भालू ने अपनी-अपनी राय दी, लेकिन किसी की भी बात पर सब सहमत नहीं हुए।

बंदर की अनोखी सलाह
तभी एक छोटा बंदर उछलता-कूदता आया और उसने एक अनोखी सलाह दी। बंदर ने कहा, “दोस्तों, जब भी खतरा हो, हमें चाहिए कि हम सिर पर पैर रखकर भागें!” यह सुनकर सभी जानवर हैरान हुए, पर जल्दी ही सबको यह सलाह अच्छी लगी। बंदर ने समझाया कि ऐसा करने से हम तेजी से और चालाकी से खतरे से बच सकते हैं। सभी जानवरों ने इस पर विचार किया और बंदर की सलाह मान ली।

बहस और चर्चा का दौर

इस सलाह पर बहुत देर तक बहस और चर्चा होती रही। कुछ जानवरों को लगा कि यह मुश्किल होगा, तो कुछ को लगा कि यह बहुत मजेदार होगा। खरगोश और गिलहरी ने इसे आजमाकर देखा और वे बहुत खुश हुए। उन्होंने कहा, “हाँ, यह तो बहुत अच्छा तरीका है!” इस तरह सभी जानवरों ने एक-दूसरे के विचारों को सुना और फिर आपस में चर्चा की।

सभी जानवरों की सहमति

अंत में, सभी जानवरों ने मिलकर यह फैसला किया कि बंदर की सलाह सबसे अच्छी है। उन्होंने तय किया कि जब भी खतरा होगा, वे सिर पर पैर रखकर भागेंगे। इससे वे जल्दी और सुरक्षित रूप से खतरे से दूर हो सकेंगे। सभा की समाप्ति पर सभी जानवर खुशी-खुशी अपने-अपने ठिकानों पर चले गए।

साँपों का उलझन
लेकिन, सिर्फ साँप वहीं बैठे रहे। वे एक-दूसरे का मुँह देखते रहे। साँपों के पास तो पैर ही नहीं थे, तो वे कैसे सिर पर पैर रखकर भागेंगे? वे बहुत उलझन में पड़ गए। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि अब वे क्या करें। वे वहां बैठे रहे और सोचते रहे कि उनके लिए इस समस्या का हल क्या हो सकता है।

सभा का समापन और सीख

इस तरह जंगल की इस सभा का समापन हुआ। इस सभा से हमें एक बड़ी सीख मिलती है कि हर समस्या का हल ढूंढना जरूरी है, लेकिन हर समस्या का हल हर किसी के लिए एक जैसा नहीं होता। कभी-कभी हमें अपनी समस्याओं के लिए अलग तरह के समाधान ढूंढने पड़ते हैं, जो हमारे लिए उपयुक्त हों। जैसे साँपों को अपने लिए कुछ अलग तरीका ढूंढना पड़ा।

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