एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी मल्हार अध्याय 2 दो गौरैया
एनसीईआरटी कक्षा 8 हिंदी मल्हार के अध्याय 2 दो गौरैया का यह समाधान सत्र 2025–26 के लिए तैयार किया गया है। यह पाठ भीष्म साहनी द्वारा रचित एक मार्मिक और रोचक कहानी है, जिसमें दो गौरैयों और एक परिवार के बीच के संबंध को भावनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। समाधान में सरल भाषा में प्रश्न-उत्तर, MCQ, शब्दार्थ और मुख्य भाव को शामिल किया गया है जिससे छात्रों को पाठ अच्छे से समझने में सहायता मिलेगी। यह समाधान परीक्षा की दृष्टि से भी अत्यंत उपयोगी है।
कक्षा 8 हिंदी मल्हार अध्याय 2 के MCQ
कक्षा 8 हिंदी मल्हार के अध्याय 2 प्रश्न उत्तर
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मेरी समझ से
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (*) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
(1) पिताजी ने कहा कि घर सराय बना हुआ है क्योंकि-
• घर की बनावट सराय जैसी बहुत विशाल है
• घर में विभिन्न पक्षी और जीव-जंतु रहते हैं
• पिताजी और माँ घर के मालिक नहीं हैं
• घर में विभिन्न जीव-जंतु आते-जाते रहते हैं
उत्तर देखें(*) घर में विभिन्न जीव-जंतु आते-जाते रहते हैं।
पिताजी इसलिए घर को ‘सराय’ कहते हैं क्योंकि उसमें तरह-तरह के जीव-जंतु जैसे चूहे, बिल्ली, चमगादड़, गौरैया, कबूतर, बर्रे, चींटियाँ आदि बिना पूछे आते-जाते रहते हैं — जैसे किसी सराय में अजनबी लोग आते हैं।
(2) कहानी में ‘घर के असली मालिक’ किसे कहा गया है?
• माँ और पिताजी को जिनका वह मकान है
• लेखक को जिसने यह कहानी लिखी है
• जीव-जंतुओं को जो उस घर में रहते थे
• मेहमानों को जो लेखक से मिलने आते थे
उत्तर देखें(*) जीव-जंतुओं को जो उस घर में रहते थे।
कहानी में लेखक कहता है कि वे तो जैसे घर में मेहमान हैं, असली मालिक तो कोई और ही हैं। यह कथन व्यंग्य में उन पक्षियों और जीव-जंतुओं की ओर संकेत करता है जिन्होंने घर में डेरा जमा रखा है।
(3) गौरैयों के प्रति माँ और पिताजी की प्रतिक्रियाएँ कैसी थीं?
• दोनों ने खुशी से घर में उनका स्वागत किया
• पिताजी ने उन्हें भगाने की कोशिश की लेकिन माँ ने मना किया
• दोनों ने मिलकर उन्हें घर से बाहर निकाल दिया
• माँ ने उन्हें निकालने के लिए कहा लेकिन पिताजी ने घर में रहने दिया
उत्तर देखें(*) पिताजी ने उन्हें भगाने की कोशिश की लेकिन माँ ने मना किया।
पिताजी गौरैयों को भगाने के लिए लाठी और शोर का प्रयोग करते हैं, जबकि माँ उन्हें रोकती हैं, मजाक करती हैं और अंत में गंभीर होकर कहती हैं कि अब उन्हें मत भगाओ।
(4) माँ बार-बार पिताजी की बातों पर मुसकराती और मजाक करती थीं। इससे क्या पता चलता है?
• माँ चाहती थीं कि गौरैयाँ घर से भगाई न जाएँ
• माँ को पिताजी के प्रयत्न व्यर्थ लगते थे
• माँ को गौरैयों की गतिविधियों पर हँसी आ जाती थी
• माँ को दूसरों पर हँसना और उपहास करना अच्छा लगता था
उत्तर देखें(*) माँ चाहती थीं कि गौरैयाँ घर से भगाई न जाएँ।
माँ का व्यंग्य और हँसी यह दर्शाते हैं कि वह पिताजी को गंभीरता से नहीं ले रहीं, क्योंकि उन्हें गौरैयाँ प्रिय हैं। वे उनका घोंसला तोड़ने के विरोध में भी थीं और अंत में दरवाजे खोलकर उनका स्वागत भी करती हैं।
(5) कहानी में गौरैयों के बार-बार लौटने को जीवन के किस पहलू से जोड़ा जा सकता है?
• दूसरों पर निर्भर रहना
• असफलताओं से हार मान लेना
• अपने प्रयास को निरंतर जारी रखना
• संघर्ष को छोड़कर नए रास्ते अपनाना
उत्तर देखें(*) अपने प्रयास को निरंतर जारी रखना।
गौरैयाँ बार-बार भगाए जाने पर भी हार नहीं मानतीं, वे फिर-फिर लौटती हैं, नए रास्ते तलाशती हैं। यह उनकी जिजीविषा, संघर्ष-शक्ति और निरंतर प्रयास का प्रतीक है – जो जीवन के लिए आवश्यक गुण हैं।
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(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ विचार कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर देखेंमित्रों के साथ विचार:
क्या पाठ में उस उत्तर का कोई संकेत या प्रमाण है?
कौन-सा उत्तर कहानी के भाव और पात्रों की मनोदशा के अधिक निकट है?
क्या उत्तर में कहानी की मूल संवेदना (गौरैयों का संघर्ष, माँ की सहानुभूति, पिताजी की झुँझलाहट) को सही से समझा गया है?
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पंक्तियों पर चर्चा
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए।
(क) “अब तो ये नहीं उड़ेंगी। पहले इन्हें उड़ा देते, तो उड़ जातीं। अब तो इन्होंने यहाँ घोंसला बना लिया है।”
उत्तर देखेंयह कथन स्थायित्व और अपनापन को दर्शाता है। पहले गौरैयाँ केवल मकान का निरीक्षण कर रही थीं, इसलिए उन्हें हटाना आसान होता, पर अब उन्होंने घर में अपना घोंसला बना लिया है, यानी उन्होंने इसे अपना घर मान लिया है। जब कोई किसी स्थान को अपना मान लेता है, तो उसे वहाँ से हटाना कठिन हो जाता है। यह बात केवल पक्षियों पर ही नहीं, बल्कि मनुष्यों पर भी लागू होती है—चाहे वह किसी स्थान पर रहने लगे हों, किसी भावना से जुड़ गए हों या किसी रिश्ते में रच-बस गए हों।
(ख) “एक दिन अंदर नहीं घुस पाएँगी, तो घर छोड़ देंगी।”
उत्तर देखेंयह वाक्य पिताजी की रणनीति और उनके विचारों को दर्शाता है। वे सोचते हैं कि अगर एक दिन गौरैयों को घर के अंदर आने से रोक दिया जाए, तो वे खुद ही यह समझकर किसी दूसरी जगह चली जाएँगी। यह सोच एक तरह की मानव मानसिकता को दिखाती है कि रोकथाम या उपेक्षा से कोई समस्या सुलझ जाएगी। परन्तु प्रकृति और जीवों का अपनापन केवल एक दिन की बाधा से नहीं टूटता। यह पंक्ति इस गलत सोच की ओर इशारा करती है कि स्थायी परिवर्तन, अस्थायी रोकथाम से आ जाएगा, जबकि वास्तविकता इसके विपरीत है।
(ग) “किसी को सचमुच बाहर निकालना हो, तो उसका घर तोड़ देना चाहिए।”
उत्तर देखेंयह कथन क्रूर निर्णय और अंतिम उपाय को दर्शाता है। पिताजी अब थक हारकर यह मानते हैं कि अगर गौरैयों को सचमुच हटाना है, तो केवल डराने या भगाने से काम नहीं चलेगा—उनका घोंसला यानी उनका घर ही तोड़ देना होगा। यह एक गहरी बात है—कोई भी जीव अपने घर से जुड़ा होता है, और घर तोड़ना केवल उसका निवास स्थान नहीं, बल्कि उसके अस्तित्व पर चोट करना होता है। यह पंक्ति इस बात की आलोचना करती है कि हम अक्सर समस्याओं के समाधान के लिए कठोर और असंवेदनशील मार्ग अपनाते हैं।
यह पंक्ति मानवीय दुनिया में भी लागू होती है, जब किसी को हटाना हो तो लोग उसे मजबूर करने के लिए उसका आधार ही छीन लेते हैं—चाहे वह घर हो, नौकरी हो या सम्मान।
कक्षा 8 हिंदी मल्हार पाठ 2 के उत्तर
सोच-विचार के लिए
पाठ को पुन: ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए।
(क) आपको कहानी का कौन-सा पात्र सबसे अच्छा लगा – घर पर रहने आई गौरैयाँ, माँ, पिताजी, लेखक या कोई अन्य प्राणी? आपको उसकी कौन-कौन सी बातें अच्छी लगीं और क्यों?
उत्तर देखेंमुझे इस कहानी में माँ का पात्र सबसे अच्छा लगा। वे संयमित, संवेदनशील और व्यावहारिक हैं। उन्हें जानवरों और पक्षियों के प्रति करुणा है, साथ ही वे व्यंग्य और हास्य के माध्यम से कठिन परिस्थितियों को हल्का बना देती हैं। पिताजी की चिड़चिड़ाहट और गुस्से के बीच वे धैर्यपूर्वक सबकुछ सहती हैं और अंत तक मानवीय भावनाओं को बनाए रखती हैं।
(ख) लेखक के घर में चिड़िया ने अपना घोंसला कहाँ बनाया? उसने घोंसला वहीं क्यों बनाया होगा?
उत्तर देखेंलेखक के घर में चिड़िया ने बैठक की छत में लगे पंखे के गोले में अपना घोंसला बनाया। वहाँ इसलिए बनाया होगा क्योंकि वह स्थान ऊँचाई पर, सुरक्षित, गर्म और अज्ञात था। वहाँ इंसानों की सीधी पहुँच नहीं थी और यह जगह अंडे देने और बच्चों को पालने के लिए उपयुक्त लगी होगी।
(ग) क्या आपको लगता है कि पशु-पक्षी भी मनुष्यों के समान परिवार और घर का महत्व समझते हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कहानी से उदाहरण दीजिए।
उत्तर देखेंहाँ, कहानी से यह स्पष्ट होता है कि पशु-पक्षी भी घर और परिवार का महत्व समझते हैं। गौरैयों ने घर की ठीक तरह से जाँच की, फिर उसमें घोंसला बनाया और अंडे दिए। जब उनके बच्चे निकले, तो वे बार-बार खतरे के बावजूद लौटकर उन्हें चुग्गा देने आईं। अंत में जब बच्चे “चीं-चीं” करके अपने माता-पिता को पुकारते हैं, तो गौरैया और गौरैइया तुरंत लौट आते हैं। यह ममतापूर्ण व्यवहार परिवार और घर के प्रति उनके जुड़ाव को दर्शाता है।
(घ) “अब मैं हार मानने वाला आदमी नहीं हूँ।” इस कथन से पिताजी के स्वभाव के कौन-से गुण उभरकर आते हैं?
उत्तर देखेंइस कथन से पिताजी के हठी, जिद्दी और आत्ममुग्ध स्वभाव का पता चलता है। वे बार-बार यही कहते हैं कि वह हार मानने वाले नहीं हैं, जिससे यह साफ है कि वे अपनी बात मनवाने पर अड़े रहते हैं, चाहे परिस्थिति जैसी भी हो। वे गौरैयों को निकालने के लिए बार-बार प्रयास करते हैं, लेकिन जब हार मानते हैं, तो शांति से बैठ जाते हैं।
(ङ) कहानी में गौरैयों के व्यवहार में कब और कैसा बदलाव आया? यह बदलाव क्यों आया?
उत्तर देखेंगौरैयों के व्यवहार में बदलाव तब आया, जब उनके घोंसले को तोड़ने की कोशिश की गई और उन्होंने अपने बच्चों को जन्म दे दिया। पहले वे चहकती थीं और मल्हार गाती थीं, पर जब उनके अंडे फूटे और बच्चे निकले, तो वे गुमसुम हो गईं और दुबली व काली पड़ गईं। यह बदलाव उनकी चिंता, थकान और बच्चों की सुरक्षा को लेकर हुआ।
(च) कहानी में गौरैयाँ ने किन-किन स्थानों से घर में प्रवेश किया था? सूची बनाइए।
उत्तर देखेंगौरैयों ने निम्नलिखित स्थानों से घर में प्रवेश किया था:
► दरवाजों के नीचे के खाली स्थानों से
► टूटे हुए रोशनदान से
► किचन के खुले दरवाजे से
► कभी-कभी अन्य खुले दरवाजों या खिड़कियों से भी
(छ) इस कहानी को कौन सुना रहा है? आपको यह बात कैसे पता चली?
उत्तर देखेंइस कहानी को लेखक स्वयं (प्रथम पुरुष) में सुना रहा है। इसका पता हमें बार-बार आने वाले “मैं” शब्द से चलता है—जैसे:
► “मैंने भागकर दोनों दरवाजे बंद कर दिए।”
► “मैंने सिर उठाकर ऊपर की ओर देखा।”
► “मैंने देखा, पिताजी स्टूल से उतर आए हैं।”
इन वाक्यों से स्पष्ट है कि लेखक इस कहानी का प्रेक्षक और कथावाचक दोनों है।
(ज) माँ बार-बार क्यों कह रही होंगी कि गौरैयाँ घर छोड़कर नहीं जाएँगी?
उत्तर देखेंमाँ बार-बार कह रही थीं कि गौरैयाँ घर छोड़कर नहीं जाएँगी क्योंकि उन्होंने यहाँ घोंसला बना लिया था और बाद में अंडे भी दे दिए थे। माँ जानती थीं कि जब कोई जीव अपने बच्चों के साथ होता है, तो वह किसी भी खतरे के बावजूद अपना घर नहीं छोड़ता। साथ ही, माँ प्रकृति के इस व्यवहार को समझती थीं और वह पक्षियों के साथ सहानुभूति रखती थीं।
कक्षा 8 हिंदी मल्हार अध्याय 2 का सारांश
यह अध्याय एक मार्मिक और हास्यपूर्ण संस्मरण है, जिसमें लेखक ने अपने घर में दो गौरैयों के घोंसला बनाने की घटना को रोचक शैली में प्रस्तुत किया है। लेखक का परिवार – माँ, पिताजी और स्वयं – दिल्ली में एक घर में रहते हैं, लेकिन वह घर पक्षियों और जानवरों का भी ठिकाना बन गया है। आम के पेड़ और खुली खिड़कियों वाले इस घर में चूहे, छिपकलियाँ, बिल्ली, कबूतर, चमगादड़ और अंततः दो गौरैयाँ आकर डेरा डाल देती हैं।
गौरैयों के घर में घोंसला बना लेने पर पिताजी पहले उन्हें भगाने की बहुत कोशिश करते हैं – लाठी से, दरवाजे बंद करके, पंखा चलाकर और रोशनदान तक बंद करके। लेकिन गौरैयाँ हार मानने वाली नहीं थीं। वे हर बार वापस लौट आतीं और अंततः उन्होंने पंखे पर अपना घोंसला बना लिया।
एक दिन जब पिताजी घोंसला तोड़ने लगे, तभी उसमें से दो नन्ही गौरैयाँ चीं-चीं करती बाहर झाँकती हैं। यह दृश्य इतना भावुक होता है कि पिताजी ठिठक जाते हैं, लाठी एक ओर रख देते हैं और गौरैयों को स्वीकार कर लेते हैं। माँ सभी दरवाजे खोल देती हैं और माता-पिता गौरैयाएँ अपने बच्चों के पास लौट आती हैं।
कक्षा 8 हिंदी मल्हार पाठ 2 का मुख्य भाव
कहानी मानवीय करुणा, सह-अस्तित्व और प्रकृति के जीवों के साथ सहनशीलता से रहने का संदेश देती है। लेखक ने मजाकिया लहजे में एक गहरी बात कही है कि हर जीव को अपने जीवन और प्रेम की जगह चाहिए होती है।
कक्षा 8 हिंदी मल्हार अध्याय 2 से शिक्षा
► प्रकृति के सभी प्राणी हमारे साथ रहने का अधिकार रखते हैं।
► सह-अस्तित्व और करुणा का भाव हर मनुष्य के भीतर होना चाहिए।
► कभी-कभी छोटे-छोटे प्राणी भी हमें भावुक कर जाते हैं और हमारी सोच बदल देते हैं।
क्या कक्षा 8 हिंदी मल्हार पाठ 2 “दो गौरैया” कठिन है?
नहीं, पाठ “दो गौरैया” कठिन नहीं है। यह एक भावनात्मक और हास्यपूर्ण कहानी है जिसे प्रसिद्ध लेखक भीष्म साहनी ने सरल और सहज भाषा में लिखा है। कहानी में एक परिवार और दो गौरैयों के बीच की रोचक घटनाएँ हैं, जिन्हें पढ़ना दिलचस्प लगता है। कुछ नए शब्द हो सकते हैं, लेकिन वे भी अभ्यास से समझ में आ जाते हैं।
कक्षा 8 हिंदी मल्हार के पाठ “दो गौरैया” से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
इस पाठ से हमें यह सीख मिलती है कि सभी जीवों को जीने और अपने घर बसाने का हक है। हमें उनके साथ करुणा, सहानुभूति और सह-अस्तित्व का भाव रखना चाहिए। पिताजी का व्यवहार बदलना यह दिखाता है कि प्रेम और समझ से हम अपनी सोच को बदल सकते हैं।
कक्षा 8 हिंदी मल्हार के अध्याय 2 को कैसे तैयार करें?
पाठ को ध्यान से पढ़ें, कठिन शब्दों के अर्थ लिखें, घटनाओं का क्रम याद करें और प्रश्न-उत्तर अभ्यास करें। भाव समझना ज़रूरी है।