एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी संक्षिप्त बुद्धचरित अध्याय 3 ज्ञान प्राप्ति
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी संक्षिप्त बुद्धचरित अध्याय 3 ज्ञान प्राप्ति के प्रश्न उत्तर शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड के छात्रों के लिए यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 8 में हिंदी की पूरक पाठ्यपुस्तक के पाठ 3 को समझने के लिए विद्यार्थी यहाँ दिए गए प्रश्नों की मदद से इसे आसान बना सकते हैं।
कक्षा 8 हिंदी संक्षिप्त बुद्धचरित अध्याय 3 ज्ञान प्राप्ति के प्रश्न उत्तर
अराड मुनि ने अविद्या किसे कहा है?
अराड मुनि ने कुमार से कहा- हे श्रोताओं में श्रेष्ठ! पहले आप हमारा सिद्धांत सुनिए और समझिए कि यह संसार जीवन और मृत्यु के चक्र के रूप में चलता रहता है। हे मोहयुक्त! आलस्य अंधकार है, जन्म मृत्यु मोह हैं, काम महामोह है और क्रोध तथा वि षाद भी अंधकार है। इन्हीं पाँचों को अविद्या कहते हैं और इन्हीं में फँसकर व्यक्ति पुन: पुन: जन्म और मृत्यु के चक्र में पड़ता है। इस प्रकार आत्मा तत्व ज्ञान प्राप्त कर आवागमन से मुक्त होती है और अक्षय पद अमरत्व को प्राप्त करता है।
कठोर तपस्या में लगे सिद्धार्थ ने किस कारण भोजन करने का निर्णय लिया?
कुछ समय के बाद उन्हें ऐसा लगने लगा कि इस प्रकार की कठोर तपस्या से व्यर्थ ही शरीर को कष्ट होता है। यह तापस धर्म न वैराग्य दे पाता है, न बोध, न मुक्ति। उन्हें ऐसी अनुभूति भी हुई कि दुर्बल व्यक्ति को मोक्ष नहीं मिल सकता। अत: वे शरीर बल वृद्धि के विषय में विचार करने लगे। उन्होंने सोचा भूख, प्यास और श्रम से अस्वस्थ मन के द्वारा मोक्ष भला कैसे प्राप्त हो सकता है? उन्हें लगा कि आहार तृप्ति से ही मानसिक शक्ति मिलती है। स्थिर और प्रसन्न मन ही समाधि पा सकता है तथा समाधि युक्त चित्त वाला व्यक्ति ही ध्यान योग कर सकता है, ध्यान योग के सिद्ध हो जाने के बाद साधक उस धर्म को प्राप्त करता है, जिससे उसे दुर्लभ, शांत, अजर अमर पद प्राप्त होता है। उन्हें लगा कि मुक्ति का उपाय आहार पर ही आधारित है। अत: उन्होंने भोजन करने की इच्छा की।
मार कौन था? वह बुद्ध को क्यों डरा रहा था?
जब महामुनि सिद्धार्थ ने मोक्ष प्राप्ति की प्रतिज्ञा कर आसन लगाया तो सारा लोक अत्यंत प्रसन्न हुआ, परंतु सदधर्म का शत्रु मार (कामदेव) भयभीत हो गया। उसे सामान्यतः कामदेव, चित्रायुध और पुष्पशर कहा जाता है। यह काम के संचार का अधिपति है, यही मार है। उसके विभ्रम, हर्ष और दर्प नाम के तीन पुत्र हैं और अरति, प्रीति और तृषा नाम की तीन कन्याएँ हैं। उन्होंने जब अपने पिता को भयभीत देखा तो इसका कारण जानना चाहा। मार ने अपने पुत्र और पुत्रियों को बताया- देखो, इस मुनि ने प्रतिज्ञा का कवच पहनकर सत्व के धनुष पर अपनी बुद्धि के बाण चढ़ा लिए हैं। यह हमारे राज्य को जीतना चाहता है। यही मेरे दुख और भय का कारण है। यदि यह मुझे जीत लेता है और सारे संसार को मोक्ष का मार्ग बता देता है तो राज्य सूना हो जाएगा। इसलिए यह ज्ञान दृष्टि प्राप्त करे उससे पहले ही मुझे इसका व्रत भंग कर देना चाहिए। अत: मैं भी अभी अपना धनुष बाण लेकर तुम सबके साथ इस पर आक्रमण करने जा रहा हूँ।
सिद्धार्थ के बुद्धत्व प्राप्त करने पर प्रकृति में किस प्रकार की हलचल दिखाई पड़ी?
जैसे ही शाक्य मुनि बुद्ध हुए सारी दिशाएँ सिद्धों से दीप्त हो गर्इं और आकाश में दुंदुभि बजने लगी। बिना बादल बरसात होने लगी, मदं मदं पवन प्रवाहित होने लगी, वृक्षों से फल फूल बरसने लगे और स्वर्ग से पुष्प वर्षा होने लगी। चारों ओर धर्म छा गया।
इक्ष्वाकु वंश के मुनि ने सिद्धि प्राप्त कर ली और वे बुद्ध हो गए। यह जानकर देवता और ॠषि गण उनके सम्मान के लिए विमानों पर सवार होकर उनके पास आए और अदृश्य रूप में उनकी स्तुति करने लगे।