एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 भूगोल अध्याय 5
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 सामाजिक विज्ञान भूगोल अध्याय 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी के प्रश्न उत्तर, अभ्यास के प्रश्न उत्तर तथा पाठ के बीच में दिए गए खंडों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर विद्यार्थी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। यहाँ दिए गए कक्षा 9 भूगोल के सभी अतिरिक्त प्रश्न उत्तर एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तक से लिए गए हैं और परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। विद्यार्थी इन प्रश्नों का अभ्यास करके परीक्षा की तैयारी आसानी से कर सकते हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 सामाजिक विज्ञान भूगोल अध्याय 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 भूगोल अध्याय 5
रबड़ का संबंध किस प्रकार की वनस्पति से है?
सिनकोना के वृक्ष कितनी वर्षा वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं?
सिमलीपाल जीव मंडल नीचय कौन-से राज्य में स्थित है?
भारत के कौन-से जीव मंडल निचय कौन-से राज्य में स्थित है?
कक्षा 9 सामाजिक विज्ञान भूगोल अध्याय 5 के प्रश्न उत्तर
भारत में पादपों तथा जीवों का वितरण किन तत्वों द्वारा निर्धारित होता है?
राहत (भूमि और मिट्टी) और जलवायु (तापमान, आर्द्रता, और वर्षा) ऐसे कारक हैं जो भारत में पौधों और जानवरों के वितरण के लिए जिम्मेदार हैं।
जीव मंडल निचय से क्या अभिप्रिय है कोई दो उदाहरण दो।
जीव मंडल निचय अपने निवासियों द्वारा प्रस्तावित एक क्षेत्र है, जिसे एक राष्ट्रीय समिति द्वारा अनुमोदित किया गया है, और यूनेस्को के मैन एंड बायोस्फियर (MAB) कार्यक्रम द्वारा नामित किया गया है, जो प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने और काम करने के लिए नवीन दृष्टिकोण प्रदर्शित करता है।
कोई दो वन्य प्राणियों के नाम बताइय जो कि उष्ण कटिबंधीय वर्षा और पर्वतीय वनस्पति में मिलते हैं?
उष्णकटिबंधीय (हाथी, हिरण) और पर्वतीय (याक, हिम तेंदुआ)
वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत में अंतर कीजिए।
पौधों की प्रजातियों वनस्पति जगत में शामिल है, जबकि जानवरों की प्राणी जगत में शामिल हैं।
सदाबहार और पर्णपाती वन में अंतर कीजिए।
सदाबहार वनों के पेड़ एक वर्ष में एक निश्चित समय पर अपने पत्ते नहीं गिराते हैं, जबकि पर्णपाती वन के पेड़ एक वर्ष में एक निश्चित समय पर अपने पत्ते गिराते हैं।
भारत में विभिन्न प्रकार की पाई जाने वाली वनस्पति के नाम बताएं और अधिक ऊंचाई पर पाई जाने वाली वनस्पति का ब्यौरा दीजिए।
भारत में पाँच प्रमुख प्रकार की वनस्पतियाँ हैं: उष्णकटिबंधीय वर्षावन, उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन, उष्णकटिबंधीय कंटीले वन और झाड़ियाँ, पर्वतीयवन और मैंग्रोव वन।
पर्वतीयवन: पर्वतीय क्षेत्रों के जंगलों को पर्वतीयवन कहा जाता है। ये वन मुख्य रूप से हिमालय की दक्षिणी ढलानों और दक्षिणी और उत्तर-पूर्वी भारत में उच्च ऊंचाई पर पाए जाते हैं। कश्मीर के हरिण, चित्तीदार हिरण, जंगली भेड़, जैक खरगोश, तिब्बती मृग, याक, हिम तेंदुआ, गिलहरी, झबरा सींग जंगली औबेक्स, भालू, दुर्लभ लाल पांडा, भेड़ और बकरियां इन जंगलों में आम जानवर हैं।
भारत में बहुत संख्या में जीव और पादप प्रजातियां संकटग्रस्त हैं- उदाहरण सहित कारण दीजिए।
बड़े पैमाने पर वनों की कटाई ने कई पौधों और जानवरों के प्राकृतिक आवास को कम कर दिया है। इसके कारण, भारत में पौधों और जानवरों की कई प्रजातियाँ लुप्तप्राय हैं।
भारत वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत की धरोहर में धनी क्यों है?
भारत में विभिन्न प्रकार की जलवायु स्थितियां हैं, जैसे-उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय, रेगिस्तान और पहाड़ी। इसके कारण, विभिन्न प्रकार के वनस्पतियों और जीवों के लिए पर्याप्त निवास स्थान हैं। इसके कारण, भारत में वनस्पतियों और जीवों की समृद्ध विरासत है।
कक्षा 9 भूगोल अध्याय 5 के अतिरिक्त प्रश्न उत्तर
हमारे देश की जैव विभिदता किस प्रकार की है?
हमारा देश भारत विश्व के मुख्य 12 जैव विविधता वाले देशों में से एक है। लगभग 47,000 विभिन्न जातियों के पौधे पाए जाने के कारण यह देश विश्व में दसवें स्थान पर और एशिया के देशों में चौथे स्थान पर है। भारत में लगभग 15,000 फूलों के पौधे हैं जो कि विश्व में फूलों के पौधों का 6 प्रतिशत है। इस देश में बहतु से बिना फूलों के पौधे हैं जैसे कि फर्न शैवाल (एल्गी) तथा कवक (फंजाइ)भी पाए जाते हैं। भारत में लगभग 90,000 जातियों के जानवर तथा विभिन्न प्रकार की मछलियां ताजे तथा समुद्री पानी में पाई जाती है।
प्राकृतिक वनस्पति से क्या तात्पर्य है?
प्राकृतिक वनस्पति का अर्थ है कि वनस्पति का वह भागए जो कि मनुष्य की सहायता के बिना अपने आप पैदा होता है और लंबे समय तक उस पर मानवी प्रभाव नहीं पड़ता। इसे अक्षत वनस्पति कहते हैं। अत: विभिन्न प्रकार की कृषिकृत फसलेंए फल और बागानए वनस्पति का भाग तो हैं परंतु प्राकृतिक वनस्पति नहीं है।
वनस्पति तथा वन्य प्राणियों की विविधता के मुख्य कारण क्या हैं?
वनस्पति तथा वन्य प्राणियों में इतनी विविधता निम्नलिखित कारणों से है:
- धरातल (भूभाग): धरातल के स्वभाव का वनस्पति पर बहुत प्रभाव पड़ता है। उपजाउ भूमि पर प्राय: कृषि की जाती है। ऊबड़ तथा असमतल भूभाग परए जंगल तथा घास के मैदान हैं, जिन में वन्य प्राणियों को आश्रय मिलता है।
- जलवाय (तापमान): वनस्पति की विविधता तथा विशेषताएँ तापमान और वायु की नमी पर भी निर्भर करती हैं। हिमालय पर्वत की ढलानों तथा प्रायद्वीप के पहाडियों पर 915 मी॰ की ऊंचाई से ऊपर तापमान में गिरावट वनस्पति के पनपने आरै बढऩे को प्रभावित करती है और उसे उष्ण कटिबंधीय से उपोष्ण, शीतोष्ण तथा अल्पाइन वनस्पतियों में परिवर्तित करती है। इसके अतिरिक्त जैव विविधता विभिन्न स्थानों पर वर्षा की स्थिति तथा सूर्य के प्रकाश पर भी निर्भर करती है।
भारत में वन प्रतिशत कितना है?
उत्तर:
इंडिया स्टेट ऑफ फारेस्ट रिपोर्ट 2011 के अनुसार भारत में वनों का कुल क्षेत्रफल भारत के क्षेत्रफल का 21.05 प्रतिशत है।
भारत में कितने प्रकार की वनस्पतियाँ पायी जाती हैं?
हमारे देश में निम्न प्रकार की प्राकृतिक वनस्पतियाँ पाई जाती हैं:
- उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन
- उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन
- उष्ण कटिबंधीय कंटीले वन तथा झाड़ियाँ
- पर्वतीय वन
- मैंग्रोव वन
भारत में उष्ण कटिबंधीय वन कहाँ पाए जाते हैं?
उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन: ये वन पश्चिमी घाटों के अधिक वर्षा वाले क्षेत्रोंए लक्षद्वीपए अंडमान और निकोबार द्वीप समूहोंए असम के ऊपरी भागों तथा तमिलनाडु के तट तक सीमित हैं। ये उन क्षेत्रों में भली-भांति विकसित हैं जहाँ 200 से॰ मी॰ से अधिक वर्षा के साथ एक थोड़े समय के लिए शुष्क ऋतु पाई जाती है। इन वनों में वृक्ष 60 मी॰ या इससे अधिक उँचाई तक पहुँचते हैं। इन वनों में पाए जाने वाले व्यापारिक महत्त्व के कुछ वृक्ष आबनूस (एबोनी), महोगनी, रोज़वुड, रबड़ और सिनकोना हैं।
भारत में पाए जाने वाले प्राणी जगत की विविधता का वर्णन कीजिये।
वनस्पति की भाँति ही, भारत विभिन्न प्रकार की प्राणी संपत्ति में भी धनी है। यहाँ जीवों की लगभग 90,000 प्रजातियाँ मिलती हैं। देश में लगभग 2,000 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह कुल विश्व का 13 प्रतिशत है। यहाँ मछलियों की 2,546 प्रजातियाँ हैं जो विश्व की लगभग 12 प्रतिशत है। भारत में विश्व के 5 से 8 प्रतिशत तक उभयचरी, सरीसृप तथा स्तनधारी जानवर भी पाए जाते हैं।
पारिस्थितिक तंत्र के असंतुलन के लिए मुख्य रूप से कौन से कारण हैं?
पारिस्थितिक तंत्र के असंतुलन का मुख्य कारण लालची व्यापारियों का अपने व्यवसाय के लिए अत्यधिक शिकार करना है। रासायनिक और औद्योगिक अवशिष्ट तथा तेजाबी जमाव के कारण प्रदूषणए विदेशी प्रजातियों का प्रवेश, कृषि तथा निवास के लिए वनों की अंधाधुन कटाई पारिस्थितिक तंत्र के असंतुलन का कारण हैं।
भारत सरकार ने पादप और जीव सम्पति की सुरक्षा के लिए क्या उपाय किये हैं?
अपने देश की पादप और जीव संपत्ति की सुरक्षा के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं:
- देश में अठारह जीव मंडल निचय (आरक्षित क्षेत्र) स्थापित किए गए हैं। इनमें से दसनिम्न हैं: सुंदरवन, नंदादेवी, मन्नार की खाड़ी, नीलगिरी, नाकरेक, ग्रेट निकोबार, मानस, सिमलीपाल, पंचमढ़ी और अचनकमर-अमरकटंक की गणना विश्व के जीव मंडल निचय में की गई है।
- सन् 1992 से सरकार द्वारा पादप उद्यानों को वित्तीय तथा तकनीकी सहायता देने की योजना बनाई है।
- शेर संरक्षण, गैंडा संरक्षण, भारतीय भैसा संरक्षण तथा पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन के लिए कई योजनाएँ बनाई गई हैं।
- 103 नेशनल पार्क, 535 वन्य प्राणी अभयवन और कई चिड़ियाघर राष्ट्र की पादप और जीव संपत्ति की रक्षा के लिए बनाए गए हैं।