एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 7 साखियाँ एवं सबद
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 7 साखियाँ एवं सबद (कबीर) शैक्षणिक सत्र 2025-26 के अनुसार यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 9 क्षितिज के इस पाठ में संत कबीर की वाणी के माध्यम से जीवन के गहरे सत्य और आध्यात्मिक विचारों का दर्शन होता है। उनकी साखियाँ और सबद मानव जीवन में सादगी, ईमानदारी, प्रेम और भक्ति का महत्व बताते हैं। कबीर ने अंधविश्वास और पाखंड का विरोध करते हुए सच्चे ज्ञान और आत्मबोध पर बल दिया। यह अध्याय विद्यार्थियों को नैतिकता, सत्य और जीवन मूल्यों की प्रेरणा प्रदान करता है।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 7 के प्रश्न उत्तर
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 7 के अति-लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 7 के लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 7 के दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 7 MCQ
अभ्यास के प्रश्न उत्तर
साखियाँ एवं सबद कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 7 के प्रश्न उत्तर
1. ‘मानसरोवर’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर देखेंमानसरोवर यहाँ ईश्वर की भक्ति और शांति का प्रतीक है। जैसे हंस मानसरोवर में मोती चुगते हैं और बाहर नहीं जाते, उसी प्रकार सच्चे साधक भक्ति-रस में रमकर ईश्वर में ही लीन रहते हैं।
2. कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है?
उत्तर देखेंसच्चा प्रेमी वही है जो प्रेमी से मिले तो संसार के विष भी अमृत हो जाएँ। सच्चा प्रेम व्यक्ति को हर स्थिति में संतुष्ट और आनंदमय बना देता है। इसलिए प्रेम का आधार आत्मीयता और निस्वार्थ भावना है।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 7 में साखियाँ के प्रश्न उत्तर
3. तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्व दिया है?
उत्तर देखेंतीसरे दोहे में कबीर ने सहज ज्ञान को सर्वोपरि बताया है। वे कहते हैं कि ज्ञान की ऊँचाइयों पर चढ़कर भी यदि कोई सरलता और सहजता छोड़ देता है, तो उसका ज्ञान अधूरा है। संसार को वे कुत्ते के समान भौंकता हुआ बताते हैं, जिससे साधक को विचलित नहीं होना चाहिए।
4. इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है?
उत्तर देखेंजो व्यक्ति पक्षपात और भेदभाव से मुक्त होकर ईश्वर की भक्ति करता है, वही सच्चा संत है। पक्षपात रहित होकर ही ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है।
5. अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है?
उत्तर देखेंअंतिम दोहों में कबीर ने धर्म और जाति की संकीर्णताओं पर प्रहार किया है। वे कहते हैं कि हिंदू राम का नाम लेकर मरते हैं और मुसलमान खुदा को पुकारते हैं, परंतु सच्चा जीवित वही है जो इन संकीर्णताओं से ऊपर उठकर दोनों से निकटता न रखे। वे यह भी कहते हैं कि ऊँचे कुल में जन्म लेने का कोई महत्व नहीं, यदि कर्म अच्छे न हों।
6. किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या उसके कर्मों से? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर देखेंकिसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कर्मों से होती है, न कि कुल से। यदि कोई ऊँचे कुल में जन्म लेकर भी बुरे कार्य करता है, तो उसकी निंदा ही होती है। ठीक वैसे ही जैसे सोने का कलश यदि शराब से भर दिया जाए, तो वह अपवित्र हो जाता है। इसलिए कर्म ही वास्तविक पहचान है।
7. काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए–
हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि।
स्वान रूप संसार है, भूँकन दे झख मारि।।
उत्तर देखेंइन पंक्तियों में कवि ने ज्ञान की ऊँचाई और सहजता का सुंदर चित्र खींचा है। संसार को उन्होंने कुत्ते के समान बताया है, जो व्यर्थ भौंकता है। परंतु ज्ञानी व्यक्ति इन बातों की परवाह नहीं करता और अपने सहज मार्ग पर चलता रहता है। यहाँ ज्ञान की महिमा और संसार की नश्वरता को व्यंग्यपूर्ण ढंग से व्यक्त किया गया है।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 7 में सबद (पद) के प्रश्नोत्तर
8. मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढ़ता फिरता है?
उत्तर देखेंमनुष्य ईश्वर को मंदिर, मस्जिद, काबा, कैलास और विभिन्न धार्मिक क्रियाकलापों में ढूँढ़ता फिरता है।
9. कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है?
उत्तर देखेंकबीर ने यह स्पष्ट किया है कि ईश्वर को केवल तीर्थयात्रा, पूजा-पाठ, क्रिया-कर्म, योग या बैराग से नहीं पाया जा सकता। उन्होंने इन बाहरी साधनों का खंडन करते हुए बताया कि ईश्वर हर व्यक्ति के भीतर है।
10. कबीर ने ईश्वर को ‘सब स्वाँसों की स्वाँस में’ क्यों कहा है?
उत्तर देखेंकबीर का मानना है कि ईश्वर हर जीव की श्वास में विद्यमान है। जिस प्रकार जीवन श्वास के बिना नहीं चल सकता, उसी तरह ईश्वर के बिना भी जीवन संभव नहीं। इसीलिए वे कहते हैं कि ईश्वर दूर नहीं, हर क्षण हमारे भीतर है।
11. कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से क्यों की?
उत्तर देखेंकबीर ने ज्ञान को आँधी इसलिए कहा है क्योंकि यह आते ही अज्ञान, मोह और भ्रम की जड़ें उखाड़ देता है। साधारण हवा धीरे-धीरे असर करती है, पर आँधी तुरंत सब कुछ बदल देती है। ज्ञान भी साधक के जीवन में वही शक्ति लाता है।
12. ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर देखेंज्ञान की आँधी आते ही अज्ञान, मोह, त्रिश्ना और बुरी आदतें नष्ट हो जाती हैं। भक्त का हृदय निर्मल हो जाता है और वह प्रेम से परमात्मा में भीग जाता है। उसका जीवन प्रकाशित हो जाता है।
13. भाव स्पष्ट कीजिए–
(क) हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।
उत्तर देखेंइस पंक्ति में कवि ने बताया है कि ज्ञान आने पर मन की द्वैतभावना समाप्त हो जाती है और मोह का बाँधन टूट जाता है।
(ख) आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ।
उत्तर देखेंइस पंक्ति में कहा गया है कि जब ज्ञान की आँधी चलती है तो भक्त के हृदय में प्रेम का जल भर जाता है और वह ईश्वर-प्रेम से भीग जाता है।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 7 के रचना और अभिव्यक्ति पर आधारित प्रश्न उत्तर
14. संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर देखेंकबीर ने स्पष्ट कहा कि ईश्वर न तो मंदिर में है और न मस्जिद में। वह हर जीव के भीतर है। उन्होंने धार्मिक आडंबर, जाति-पाँति और पाखंड का खंडन किया। वे मानते थे कि सच्चा संत वही है जो निरपक्ष होकर ईश्वर की भक्ति करता है। कबीर ने हिंदू-मुसलमान दोनों धर्मों की संकीर्णताओं पर प्रहार करते हुए कहा कि सच्चा भक्त इन सीमाओं से ऊपर उठकर प्रेम और ईश्वर में लीन होता है। इस प्रकार कबीर का संदेश धार्मिक सहिष्णुता और सांप्रदायिक सद्भाव का है।
भाषा-अध्ययन
15. निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए।
पखापखी, अनत, जोग, जुगति, बैराग, निरपख
उत्तर देखेंपखापखी – पक्षविपक्ष
अनत – अनन्त
जोग – योग
जुगति – युक्ति
बैराग – वैराग्य
निरपख – निरपेक्ष
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 7 साखियाँ एवं सबद पर आधारित अति-लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 7 अति-लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
1. मानसरोवर किसका प्रतीक है?
उत्तर देखेंभक्ति और शांति का।
2. हंस मानसरोवर में क्या चुगते हैं?
उत्तर देखेंमोती।
3. सच्चा प्रेमी मिलने पर क्या होता है?
उत्तर देखेंविष भी अमृत हो जाता है।
4. संसार को कवि ने किससे तुलना की है?
उत्तर देखेंकुत्ते से।
5. सच्चा संत कौन है?
उत्तर देखेंजो निरपक्ष होकर भक्ति करता है।
6. हिंदू मरते समय किसका नाम लेते हैं?
उत्तर देखेंराम का।
7. मुसलमान मरते समय किसे पुकारते हैं?
उत्तर देखेंखुदा को।
8. ऊँचे कुल में जन्म किस शर्त पर सार्थक है?
उत्तर देखेंजब कर्म ऊँचे हों।
9. सोने का कलश किस उपमा में आया है?
उत्तर देखेंबुरे कर्मों वाले ऊँचे कुल का।
10. ईश्वर को लोग कहाँ ढूँढ़ते हैं?
उत्तर देखेंमंदिर, मस्जिद, काबा, कैलास में।
11. ईश्वर वास्तव में कहाँ है?
उत्तर देखेंहर जीव की श्वास में।
12. कबीर ने ज्ञान को किससे तुलना की?
उत्तर देखेंआँधी से।
13. ज्ञान आने पर क्या टूट जाता है?
उत्तर देखेंमोह और द्वैत।
14. आँधी के बाद भक्त का हृदय कैसा होता है?
उत्तर देखेंप्रेम से भीगा हुआ।
15. कबीर का संदेश क्या है?
उत्तर देखेंधार्मिक सहिष्णुता और प्रेम।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 7 साखियाँ एवं सबद के लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 7 लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
1. ‘मानसरोवर’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर देखेंकबीर द्वारा ‘मानसरोवर’ का प्रयोग मानव हृदय के लिए किया गया है। जैसे हंस मानसरोवर में मोती चुगते हैं, वैसे ही संत रूपी हंस मानव हृदय रूपी सरोवर में ज्ञान रूपी मोतियों को ग्रहण करते हैं। यह पवित्र हृदय का प्रतीक है जहाँ सत्य और ज्ञान का निवास होता है। संत इस पवित्रता में रमकर आध्यात्मिक उन्नति करते हैं।
2. कबीर के अनुसार सच्चा संत कौन है?
उत्तर देखेंकबीर के अनुसार सच्चा संत वह है जो निष्पक्ष होकर हरि भजन करता है। वह पक्ष-विपक्ष के भेदभाव से मुक्त होकर केवल ईश्वर की सेवा में लीन रहता है। संत वह है जो धार्मिक आडंबरों से दूर रहकर सरल मार्ग अपनाता है। उसमें परस्पर भेदभाव की भावना नहीं होती और वह समस्त प्राणियों के कल्याण में विश्वास रखता है।
3. कबीर ने ईश्वर को ‘सब स्वाँसों की स्वाँस में’ क्यों कहा है?
उत्तर देखेंकबीर के अनुसार ईश्वर सर्वव्यापी है और हर जीव में निवास करता है। जैसे श्वास के बिना जीवन संभव नहीं, वैसे ही ईश्वर के बिना अस्तित्व असंभव है। ईश्वर हमारे भीतर ही विराजमान है, बाहर खोजने की आवश्यकता नहीं। वह हमारी प्रत्येक सांस में, हमारी आत्मा में मौजूद है। यह सर्वव्यापकता का संकेत है जो हर जीव की जीवनी शक्ति का आधार है।
4. ‘ऊँचे कुल का जनमिया’ पंक्ति का क्या अर्थ है?
उत्तर देखेंइस पंक्ति का अर्थ है कि उच्च कुल में जन्म लेना महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि उच्च कर्म करना महत्वपूर्ण है। कबीर कहते हैं कि यदि व्यक्ति के कार्य उच्च नहीं हैं तो उच्च वंश में जन्म का कोई फायदा नहीं। जैसे सुंदर कलश में शराब भरी हो तो वह निंदनीय है। व्यक्ति की पहचान उसके कर्मों से होती है, जन्म से नहीं।
5. कबीर के अनुसार हिंदू और मुसलमान में क्या समानता है?
उत्तर देखेंकबीर के अनुसार हिंदू राम कहकर मरता है और मुसलमान खुदा कहकर मरता है, परंतु दोनों एक ही परमात्मा की उपासना करते हैं। वास्तव में जीवित वह है जो इन दोनों के भेदभाव से ऊपर उठकर एक ईश्वर को मानता है। धर्म के नाम पर होने वाले भेदभाव व्यर्थ हैं क्योंकि सभी का लक्ष्य एक ही परमात्मा की प्राप्ति है।
6. ‘काबा फिरि कासी भया’ का क्या तात्पर्य है?
उत्तर देखेंइस पंक्ति का अर्थ है कि ईश्वर की खोज में काबा भी काशी के समान पवित्र हो गया है और राम ही रहीम बन गया है। कबीर कहना चाहते हैं कि सभी धर्म और उनके तीर्थ स्थल एक समान हैं। धार्मिक भेदभाव निरर्थक है क्योंकि सभी स्थानों पर एक ही ईश्वर का वास है। मोटा आटा भी मैदा की तरह स्वादिष्ट हो जाता है जब कबीर जैसा संत उसे स्वीकार करता है।
7. ज्ञान की आँधी का क्या प्रभाव होता है?
उत्तर देखेंज्ञान की आँधी आने पर भ्रम की टाटी उड़ जाती है और माया का बंधन टूट जाता है। हित-चित्त के स्तंभ गिर जाते हैं और मोह रूपी छप्पर उखड़ जाता है। तृष्णा रूपी छाजन हट जाती है और बुद्धि का घड़ा फूट जाता है। इस प्रकार ज्ञान व्यक्ति को सभी बंधनों से मुक्त कर देता है और उसे सत्य का बोध कराता है।
8. कबीर की भाषा की क्या विशेषताएं हैं?
उत्तर देखेंकबीर की भाषा में सहजता और सरलता है। वे जनभाषा का प्रयोग करते हैं जिससे आम जनता आसानी से समझ सके। उनकी भाषा में दार्शनिक चिंतन को सरल तरीके से व्यक्त करने की शक्ति है। वे प्रतीकों और रूपकों का प्रभावशाली प्रयोग करते हैं। उनकी भाषा में खड़ी बोली, अवधी, राजस्थानी, पंजाबी आदि का मिश्रण है। यही भाषिक सहजता उनकी काव्यात्मकता की शक्ति है।
9. ‘हस्ती चढ़िये ज्ञान कौ’ का क्या अर्थ है?
उत्तर देखेंइस पंक्ति का अर्थ है कि ज्ञान रूपी हाथी पर सवार होकर सहज दुलीचा (आसन) डालना चाहिए। ज्ञान की शक्ति से व्यक्ति संसार रूपी कुत्ते को भौंकने पर मजबूर कर देता है। यहाँ हाथी ज्ञान का प्रतीक है और कुत्ता अज्ञानता का। ज्ञानी व्यक्ति संसार की समस्त बाधाओं पर विजय प्राप्त कर लेता है और अज्ञानी लोग उससे परास्त होकर व्यर्थ में शोर मचाते रहते हैं।
10. कबीर के अनुसार प्रेमी की क्या पहचान है?
उत्तर देखेंकबीर के अनुसार सच्चा प्रेमी वह है जो निरंतर प्रेम की खोज में लगा रहता है। जब दो प्रेमी मिल जाते हैं तो सारा विष अमृत में परिवर्तित हो जाता है। प्रेमी का हृदय पवित्र होता है और वह सच्चाई का अनुयायी होता है। प्रेम में डूबा व्यक्ति सभी द्वेष-भावनाओं से मुक्त हो जाता है। सच्चा प्रेमी वह है जो ईश्वर प्रेम में लीन होकर संसारिक मोह-माया से ऊपर उठ जाता है।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 7 साखियाँ एवं सबद के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 7 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर
1. कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर देखेंकबीर एक महान समाज सुधारक थे जिन्होंने धार्मिक कट्टरता का विरोध किया। वे सर्वधर्म समभाव में विश्वास रखते थे। कबीर कहते हैं “हिंदू मुवा राम कहि, मुसलमान खुदाई। कहै कबीर सो जीवता, जो दुहुँ के निकट न जाई।” वे मानते थे कि सभी धर्मों का लक्ष्य एक ही परमात्मा है। “काबा फिरि कासी भया, राम हि भया रहीम” से वे सभी तीर्थों की समानता दिखाते हैं। कबीर ने धार्मिक आडंबरों का विरोध करते हुए आंतरिक शुद्धता पर बल दिया। वे चाहते थे कि लोग धर्म के नाम पर झगड़ों से ऊपर उठकर मानवता के आधार पर जीवन जीए।
2. कबीर के प्रथम सबद में व्यक्त ईश्वर की सर्वव्यापकता की अवधारणा का विश्लेषण करें।
उत्तर देखेंकबीर के प्रथम सबद में ईश्वर की सर्वव्यापकता की गहरी अवधारणा है। कवि कहता है “मोको कहाँ ढूँढे बन्दे, मैं तो तेरे पास में।” इससे पता चलता है कि ईश्वर हमसे दूर नहीं बल्कि हमारे भीतर विराजमान है। कबीर बताते हैं कि ईश्वर न मंदिरों में है, न मस्जिदों में, न क्रिया-कर्मों में और न योग-वैराग्य में। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि “सब स्वाँसों की स्वाँस में” ईश्वर का निवास है। यह दिखाता है कि ईश्वर हमारी जीवनी शक्ति में, हमारी आत्मा में मौजूद है। “खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं, पल भर की तालास में” कहकर कबीर संकेत देते हैं कि ईश्वर तुरंत मिल जाता है।
3. द्वितीय सबद में वर्णित ‘ज्ञान की आँधी’ के माध्यम से कबीर ने किस आध्यात्मिक सत्य को उजागर किया है?
उत्तर देखेंकबीर के द्वितीय सबद में ‘ज्ञान की आँधी’ एक प्रभावशाली रूपक है जो आध्यात्मिक जागृति की प्रक्रिया दर्शाता है। जब ज्ञान की आँधी आती है तो “भ्रम की टाटी सबै उड़ाँनी, माया रहै न बाँधी” – भ्रम के परदे हट जाते हैं और माया का बंधन टूट जाता है। “हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा टूटा” – स्वार्थ और चिंतन की द्विधा समाप्त हो जाती है। “त्रिस्ना छाँनि परि घर ऊपरि, कुबधि का भाँडा फूटा” – तृष्णा रूपी छत हट जाती है। आँधी के बाद “प्रेम हरि जन भींज्या” – प्रेम की वर्षा से भक्त भीग जाता है। यह दिखाता है कि ज्ञान व्यक्ति को सभी बंधनों से मुक्त कर देता है।
4. कबीर की साखियों में निहित समाज सुधार की भावना पर विस्तार से चर्चा करें।
उत्तर देखेंकबीर की साखियों में गहरी समाज सुधार की भावना है। वे जाति-प्रथा के विरोधी थे। “ऊँचे कुल का जनमिया, जे करनी ऊँच न होई। सुबरन कलस सुरा भरा, साधू निंदा सोई” में वे कहते हैं कि व्यक्ति की पहचान कर्मों से होती है, जन्म से नहीं। धार्मिक आडंबरों के विरोध में कबीर कहते हैं कि ईश्वर मंदिर-मस्जिद में नहीं बल्कि हृदय में है। “पखापखी के कारनै, सब जग रहा भुलान” से वे सामाजिक एकता पर बल देते हैं। “हस्ती चढ़िये ज्ञान कौ” से वे शिक्षा के महत्व को दिखाते हैं। कबीर चाहते थे कि समाज में प्रेम, सद्भावना और न्याय का राज हो। उनकी साखियाँ आज भी समाज को सही दिशा देती हैं।
5. कबीर की रचनाओं में प्रेम और भक्ति की अवधारणा का मूल्यांकन करें। उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर देखेंकबीर की रचनाओं में प्रेम और भक्ति गहरी आध्यात्मिक अवधारणा है। “प्रेमी ढूँढत मैं फिरौं, प्रेमी मिले न कोइ। प्रेमी कौं प्रेमी मिलै, सब विष अमृत होइ” में वे बताते हैं कि सच्चे प्रेमी दुर्लभ हैं और दो प्रेमियों के मिलने पर विष भी अमृत बन जाता है। “मानसरोवर सुभर जल, हंसा केलि कराहिं” में हंस प्रेमी आत्मा का प्रतीक है जो पवित्र हृदय में विचरण करती है। कबीर की भक्ति निर्गुण है – “खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं” से पता चलता है कि सच्चा भक्त ईश्वर को भीतर खोजता है। “आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींज्या” में ज्ञान के बाद प्रेम की वर्षा का चित्रण है। कबीर का प्रेम सर्वव्यापी और मानवीय से दिव्य तक फैला है।
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