एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 6 मेरे बचपन के दिन

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 6 मेरे बचपन के दिन (महादेवी वर्मा) सत्र 2025-26 के अनुसार यहाँ दिए गए हैं। नवीं कक्षा हिंदी क्षितिज के इस पाठ में लेखिका ने अपने बचपन की स्मृतियों को आत्मीयता और संवेदनशीलता के साथ व्यक्त किया है। इस पाठ में उनके सरल, निष्कपट और निश्चिंत बचपन का चित्रण मिलता है। लेखिका ने अपने विद्यालय जीवन, शिक्षकों और सहेलियों के साथ बिताए दिनों को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है। यह अध्याय विद्यार्थियों को मासूमियत, सरलता और स्मृतियों की महत्ता का संदेश देता है।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 6 के प्रश्न उत्तर
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 6 के अति-लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 6 के लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 6 के दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 6 MCQ

अभ्यास के प्रश्न उत्तर

मेरे बचपन के दिन कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 6 के प्रश्न उत्तर

1. ‘मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।’ इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि-
(क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी?
उत्तर देखेंमहादेवी वर्मा के बचपन के समय लड़कियों की दशा बहुत खराब थी। उनके जन्म के समय उन्हें ‘परमधाम’ (स्वर्ग) भेज दिया जाता था, जैसा कि लेखिका ने स्वयं कहा है।

(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं?
उत्तर देखेंआज लड़कियों के जन्म के संबंध में परिस्थितियाँ काफी बदल गई हैं। उन्हें शिक्षा और आगे बढ़ने के समान अवसर मिलते हैं। हालांकि, कुछ ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में अभी भी लैंगिक भेदभाव मौजूद है, लेकिन समग्र स्थिति में काफी सुधार हुआ है।

2. लेखिका उर्दू-फारसी क्यों नहीं सीख पाईं?
उत्तर देखेंलेखिका उर्दू-फारसी इसलिए नहीं सीख पाईं क्योंकि जब उन्होंने मौलवी साहब को देखा तो वह डर गईं और चारपाई के नीचे छिप गईं। उन्होंने अपनी माँ से हिंदी और संस्कृत की शिक्षा लेना पसंद किया।

3. लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर देखेंलेखिका ने अपनी माँ की इन विशेषताओं का उल्लेख किया है:
वे हिंदी जानबूझकर अपने साथ जबलपुर से लाई थीं।
वे पूजा-पाठ में बहुत विश्वास रखती थीं।
उन्होंने ही लेखिका को सबसे पहले ‘पंचतंत्र’ पढ़ना सिखाया।
उन्हें गीता में विशेष रुचि थी।

4. जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में सपना जैसा क्यों कहा है?
उत्तर देखेंजवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने ‘सपना’ इसलिए कहा है क्योंकि उस समय के सौहार्दपूर्ण और सांप्रदायिक सद्भाव से भरे वातावरण की आज की स्थिति से तुलना करके उन्हें लगता है कि ऐसा मेल-जोल अब संभव नहीं है। आज समाज में सांप्रदायिकता और आपसी दूरी बढ़ गई है।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 6 के रचना और अभिव्यक्ति पर आधारित प्रश्न उत्तर

5. जेबुन्निसा महादेवी वर्मा के लिए बहुत काम करती थी। जेबुन्निसा के स्थान पर यदि आप होतीं/होते तो महादेवी से आपकी क्या अपेक्षा होती?
उत्तर देखेंजेबुन के स्थान पर अगर मैं होती तो महादेवी से अपेक्षा करती कि वह अपनी रचनात्मकता और लेखन के लिए मेरे काम से प्रेरित होकर मुझे भी कुछ नया सिखाएं। हम दोनों एक-दूसरे की मदद करते हुए अपनी रुचियों को और बेहतर बना सकते थे।

6. महादेवी वर्मा को काव्य प्रतियोगिता में चाँदी का कटोरा मिला था। अनुमान लगाइए कि आपको इस तरह का कोई पुरस्कार मिला हो और वह देशहित में या किसी आपदा निवारण के काम में देना पड़े तो आप कैसा अनुभव करेंगे/करेंगी?
उत्तर देखें
यदि मुझे भी किसी कविता प्रतियोगिता में कोई पुरस्कार मिलता, खासकर आपदा निवारण के लिए, तो मैं बहुत गर्व और खुशी महसूस करता। यह पुरस्कार सिर्फ एक वस्तु नहीं बल्कि एक जिम्मेदारी और समाज के प्रति सेवा का प्रतीक होता।

7. लेखिका ने छात्रावास के जिस बहुभाषी परिवेश की चर्चा की है उसे अपनी मातृभाषा में लिखिए।
उत्तर देखेंलेखिका ने हॉस्टल के जिस बहुभाषी परिवेश का वर्णन किया है, वह बेहद सौहार्दपूर्ण था। अवध की लड़कियाँ अवधी, बुंदेलखंड की लड़कियाँ बुंदेली, और मराठी लड़कियाँ मराठी बोलती थीं। सभी एक ही मेस में खाना खाते और एक ही प्रार्थना में शामिल होते थे। भाषा या धर्म के आधार पर कोई विवाद या भेदभाव नहीं था।

8. महादेवी जी के इस संस्मरण को पढ़ते हुए आपके मानस-पटल पर भी अपने बचपन की कोई स्मृति उभरकर आई होगी, उसे संस्मरण शैली में लिखिए।
उत्तर देखेंमेरे बचपन की एक स्मृति यह है कि मैं अपने दादा-दादी के साथ बहुत समय बिताती थी। मेरे दादाजी मुझे रोज शाम को कहानियाँ सुनाते थे और मेरी दादी मुझे खाना खिलाते समय किस्से सुनाती थीं। यह एक ऐसा समय था जब मैं परिवार के प्यार और कहानियों में खोई रहती थी। आज जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूँ, तो मुझे वह समय एक अनमोल सपने जैसा लगता है, क्योंकि अब वह दिन और वह माहौल लौटकर नहीं आ सकता।

9. महादेवी ने कवि सम्मेलनों में कविता पाठ के लिए अपना नाम बुलाए जाने से पहले होने वाली बेचैनी का ज़िक्र किया है। अपने विद्यालय में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते समय आपने जो बेचैनी अनुभव की होगी, उस पर डायरी का एक पृष्ठ लिखिए।
उत्तर देखेंमेरे विद्यालय में जब कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम होता था, तो नाम पुकारे जाने की बेचैनी मुझे भी होती थी।
डायरी का एक पृष्ठ
दिनांक: 23 अगस्त, 2025
दिन: शनिवार
आज हमारे विद्यालय में वार्षिक सांस्कृतिक कार्यक्रम था। मैंने इसमें एक नाटक में भाग लिया था। सुबह से ही दिल में एक अजीब सी हलचल हो रही थी। बार-बार लग रहा था कि कहीं कोई गलती न हो जाए। जैसे-जैसे हमारा नंबर करीब आता गया, मेरी बेचैनी बढ़ती गई। पेट में मानो तितलियाँ उड़ रही थीं। मंच के पीछे खड़े होकर मैं बस यही प्रार्थना कर रही थी कि सब ठीक हो जाए। जब मेरा नाम पुकारा गया, तो एक पल के लिए ऐसा लगा जैसे मेरे पैर जम गए हों। लेकिन जैसे ही मैंने मंच पर कदम रखा, सारी घबराहट गायब हो गई। मैंने अपना संवाद आत्मविश्वास के साथ बोला और जब तालियों की गड़गड़ाहट सुनी, तो मुझे लगा जैसे मेरी सारी मेहनत सफल हो गई हो। आज का दिन हमेशा याद रहेगा।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 6 के भाषा और अध्ययन के लिए प्रश्न उत्तर

10. पाठ से निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए-
विद्वान, अनंत, निरपराधी, दंड, शांति।
उत्तर देखेंविद्वान – अज्ञानी
अनंत – सीमित
निरपराधी – अपराधी
दंड – पुरस्कार
शांति – अशांति

11. निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग/प्रत्यय अलग कीजिए और मूल शब्द बताइए-
निराहार – निर् + आहार
सांप्रदायिकता
अप्रसन्नता
अपनपन
किनारीदार
स्वतंत्रता
उत्तर देखेंनिराहार – निर् + आहार
सांप्रदायिकता – सांप्रदायिक + ता
अप्रसन्नता – अ + प्रसन्न + ता
अपनपन – अपना + पन
किनारीदार – किनारी + दार
स्वतंत्रता – स्वतंत्र + ता

12. निम्नलिखित उपसर्ग-प्रत्ययों की सहायता से दो-दो शब्द लिखिए-
उपसर्ग – अन, अ, सत्, स्व, दुर
प्रत्यय – दार, हार, वाला, अनीय
उत्तर देखेंउपसर्ग:
अनु – अनुकरण, अनुभव
अ – अज्ञान, अविश्वास
सत् – सत्कर्म, सत्संग
स्व – स्वतंत्र, स्वभाव
दुर – दुर्व्यवहार, दुर्घटना
प्रत्यय:
दार – ईमानदार, समझदार
हार – पालनहार, खेवनहार
वाला – पढ़नेवाला, खानेवाला
अनीय – करणीय, दर्शनीय

13. पाठ में आए सामासिक पद छाँटकर विग्रह कीजिए-

समासअर्थ
पूजा-पाठपूजा और पाठ

उत्तर:

समासअर्थ
पूजा-पाठपूजा और पाठ
रोने-धोनेरोने और धोने
कवि-सम्मेलनकवियों का सम्मेलन
जेब-खर्चजेब के लिए खर्च
दिन-रातदिन और रात

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 6 मेरे बचपन के दिन पर आधारित अति-लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 6 अति-लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर

1. लेखिका के अनुसार, उनके परिवार में लड़कियों की क्या स्थिति थी?
उत्तर देखेंलेखिका के परिवार में लड़कियों का जन्म नहीं होता था और जन्म होते ही उन्हें मार दिया जाता था।

2. लेखिका के बाबा और पिता की शिक्षा में क्या अंतर था?
उत्तर देखेंबाबा फारसी और उर्दू जानते थे, जबकि पिता ने अंग्रेजी पढ़ी थी।

3. लेखिका की माता ने उन्हें सबसे पहले क्या सिखाया?
उत्तर देखेंउनकी माता ने उन्हें सबसे पहले ‘पंचतंत्र’ पढ़ना सिखाया।

4. लेखिका ने मिशन स्कूल जाना क्यों बंद कर दिया?
उत्तर देखेंमिशन स्कूल का वातावरण और प्रार्थना अलग थी, जिससे उनका मन नहीं लगा।

5. क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज का वातावरण कैसा था?
उत्तर देखेंवहाँ का वातावरण बहुत अच्छा था, जहाँ हिंदू और ईसाई लड़कियाँ एक साथ पढ़ती थीं।

6. सुभद्रा कुमारी लेखिका से किस दर्जे में सीनियर थीं?
उत्तर देखेंसुभद्रा कुमारी सातवें दर्जे में थीं, जो लेखिका से दो साल सीनियर थीं।

7. लेखिका ने ब्रजभाषा में लिखना किससे सीखा?
उत्तर देखेंउन्होंने अपनी माता को मीरा के पद गाते सुनकर ब्रजभाषा में लिखना शुरू किया।

8. लेखिका और सुभद्रा कुमारी अपनी कविताएँ कहाँ भेजती थीं?
उत्तर देखेंवे अपनी कविताएँ ‘स्त्री दर्पण’ नामक पत्रिका में भेजती थीं।

9. कवि सम्मेलनों में लेखिका को क्या पुरस्कार मिला?
उत्तर देखेंउन्हें प्रायः प्रथम पुरस्कार मिलता था और सौ से कम पदक नहीं मिले थे।

10. लेखिका ने अपना चाँदी का कटोरा बापू को क्यों दिया?
उत्तर देखेंवे बापू को देश के लिए जेब-खर्च बचाए पैसे देती थीं, इसलिए उन्होंने कटोरा भी उन्हें दे दिया।

11. सुभद्रा जी ने कटोरा देने पर लेखिका से क्या कहा?
उत्तर देखेंउन्होंने मजाक में कहा, “और जाओ दिखाने!” लेकिन फिर भी वे प्रसन्न थीं।

12. जेबुन्निसा किस शहर से आई थी?
उत्तर देखेंजेबुन्निसा कोल्हापुर से आई थी।

13. जेबुन्निसा कौन सी भाषा बोलती थी?
उत्तर देखेंवह मराठी शब्दों से मिली-जुली हिंदी बोलती थी।

14. जेबुननिसा के आने से लेखिका को क्या फायदा हुआ?
उत्तर देखेंजेबुन उनका काम कर देती थी, जिससे उन्हें कविता लिखने के लिए और अवकाश मिल जाता था।

15. लेखिका के भाई का नाम किसने ‘मनमोहन’ रखा था?
उत्तर देखेंउनके भाई का नाम ताई साहिबा ने ‘मनमोहन’ रखा था।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 6 मेरे बचपन के दिन के लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 6 लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर

1. महादेवी वर्मा के परिवार में लड़कियों की स्थिति कैसी थी?
उत्तर देखेंमहादेवी वर्मा के परिवार में लड़कियों की स्थिति सामान्य समाज से भिन्न थी। उस समय जहाँ समाज में लड़कियों को शिक्षित करने पर रोक थी, वहीं उनके परिवार में लड़कियों की पढ़ाई पर विशेष ध्यान दिया जाता था। परिवार की महिलाएँ परदे में नहीं रहती थीं और उन्हें स्वतंत्र विचार एवं शिक्षा का अधिकार प्राप्त था। महादेवी वर्मा की माँ स्वयं शिक्षित थीं और उन्होंने अपनी बेटियों को भी उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित किया। इस प्रकार परिवार में लड़कियों की स्थिति सम्मानजनक और प्रगतिशील थी।

2. महादेवी वर्मा की शिक्षा-दीक्षा कैसे हुई?
उत्तर देखेंमहादेवी के पिता ने अंग्रेजी पढ़ी थी और बाबा फारसी व उर्दू जानते थे। हिंदी का कोई वातावरण नहीं था। माता जबलपुर से आईं तो अपने साथ हिंदी लाईं। उन्होंने सबसे पहले महादेवी को ‘पंचतंत्र’ पढ़ना सिखाया। बाबा चाहते थे कि वे उर्दू-फारसी सीखें लेकिन मौलवी साहब को देखकर वे चारपाई के नीचे छिप जाती थीं। बाद में उन्होंने संस्कृत पढ़ी और मिशन स्कूल तथा क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की।

3. सुभद्रा कुमारी चौहान से महादेवी की मित्रता कैसे हुई?
उत्तर देखेंक्रास्थवेट कॉलेज में महादेवी की पहली सहेली सुभद्रा कुमारी मिलीं। वे सातवें दर्जे में दो साल सीनियर थीं। वे कविता लिखती थीं और महादेवी भी बचपन से तुक मिलाती आई थी। महादेवी छिप-छिपकर कविता लिखती थीं। एक दिन सुभद्रा जी ने उनकी डेस्क की तलाशी ली और बहुत सारी कविताएं निकल पड़ीं। तब जैसे किसी अपराधी को पकड़ते हैं, वैसे उन्होंने महादेवी को पकड़कर पूरे हॉस्टल में दिखाया कि ये कविता लिखती हैं। इसके बाद दोनों की मित्रता हो गई।

4. महादेवी को कवि-सम्मेलनों में कैसा अनुभव होता था?
उत्तर देखेंकवि-सम्मेलनों में जाने पर महादेवी और सुभद्रा कविता सुनाती थीं। कभी हरिऔध जी अध्यक्ष होते थे, कभी श्रीधर पाठक होते थे, कभी रत्नाकर जी होते थे। वे बेचैनी से सुनती रहती थीं कि कब उनका नाम पुकारा जाए। महादेवी को प्रायः प्रथम पुरस्कार मिलता था। सौ से कम पदक उन्हें नहीं मिले होंगे। एक बार उन्हें चांदी का एक कटोरा मिला था जो बड़ा नक्काशीदार और सुंदर था।

5. महादेवी ने गांधी जी को अपना कटोरा कैसे दिया?
उत्तर देखेंआनंद भवन में जब बापू आए तो छात्राएं अपने जेब-खर्च में से हमेशा एक-दो आने देश के लिए बचाती थीं। महादेवी जब बापू के पास गईं तो अपना कटोरा भी लेती गईं जो उन्हें कविता सुनाने पर पुरस्कार में मिला था। जब उन्होंने कटोरा दिखाया तो बापू ने कहा “अच्छा, दिखा तो मुझको।” जब महादेवी ने कटोरा उनकी ओर बढ़ाया तो उसे हाथ में लेकर बोले “तू देती है इसे?” महादेवी ने दे दिया। दुःख यह हुआ कि कविता सुनाने को उन्होंने नहीं कहा।

6. शेबुन्निसा कौन थी और उसकी क्या विशेषताएं थीं?
उत्तर देखेंसुभद्रा जी के जाने के बाद शेबुन्निसा नाम की एक मराठी लड़की महादेवी के कमरे में आकर रहीं। वह कोल्हापुर से आई थी। शेबुन महादेवी का बहुत काम कर देती थी – डेस्क साफ करना, किताबें ठीक से रखना ताकि महादेवी को कविता के लिए अधिक अवकाश मिल जाए। शेबुन मराठी शब्दों से मिली-जुली हिंदी बोलती थी। वह मराठी महिलाओं की तरह किनारीदार साड़ी और वैसा ही ब्लाउज पहनती थी और कहती थी “हम मराठी हूं तो मराठी बोलेंगे!”

7. उस समय के छात्रावास का वातावरण कैसा था?
उत्तर देखेंउस समय छात्रावास में सांप्रदायिकता नहीं थी। जो अवध की लड़कियां थीं वे आपस में अवधी बोलती थीं, बुंदेलखंड की लड़कियां बुंदेली में बोलती थीं। कोई अंतर नहीं आता था। वे हिंदी पढ़ते थे, उर्दू भी पढ़ाई जाती थी परंतु आपस में वे अपनी भाषा में ही बोलती थीं। एक मेस में खाती थीं, एक प्रार्थना में खड़े होते थे, कोई विवाद नहीं होता था। यह बहुत बड़ी बात थी। उस समय का वातावरण बहुत अच्छा था।

8. जवारा के नवाब के साथ लेखिका के पारिवारिक संबंध कैसे थे?
उत्तर देखेंजवारा के नवाब की नवाबी छिन गई थी और वे एक बंगले में रहते थे। उसी कंपाउंड में महादेवी का परिवार भी रहता था। बेगम साहिबा कहती थीं “हमको ताई कहो!” उनके बच्चे महादेवी की मां को चची जान कहते थे। जन्मदिन एक-दूसरे के यहां मनाए जाते थे। राखी बांधने, मुहर्रम में हरे कपड़े बनवाने जैसे त्योहार साझा मनाते थे। महादेवी के छोटे भाई का नाम ताई साहिबा ने “मनमोहन” रखा था। वहां हिंदी, उर्दू और अवधी सभी चलती थी। वातावरण बहुत निकट का था।

9. महादेवी की माता की क्या विशेषताएं थीं?
उत्तर देखेंमहादेवी की माता जबलपुर से आईं तो अपने साथ हिंदी लाईं। वे पूजा-पाठ बहुत करती थीं। उन्होंने सबसे पहले महादेवी को ‘पंचतंत्र’ पढ़ना सिखाया। वे थोड़ी संस्कृत जानती थीं और गीता में उनकी विशेष रुचि थी। वे बचपन में लिखती थीं, पद भी गाती थीं। मीरा के पद विशेष रूप से गाती थीं। सवेरे “जागिए कृपानिधान पंछी बन बोले” सुनाई देता था। प्रभाती गाती थीं और शाम को मीरा का कोई पद गाती थीं। सुन-सुनकर महादेवी ने भी ब्रजभाषा में लिखना आरंभ किया।

10. महादेवी वर्मा के अनुसार उस समय का सपना क्यों टूट गया?
उत्तर देखेंमहादेवी कहती हैं कि उस समय का वातावरण ऐसा था कि सभी लोग बहुत निकट थे। हिंदू-मुस्लिम एकता थी, भाषाई सद्भावना थी, सांप्रदायिकता नहीं थी। आज की स्थिति देखकर लगता है जैसे वह सपना ही था। आज वह सपना खो गया है। वे कहती हैं कि शायद वह सपना सत्य हो जाता तो भारत की कथा कुछ और होती। अर्थात् धर्मनिरपेक्षता, भाषाई सद्भावना और सामाजिक एकता का जो माहौल था वह आज नहीं रहा।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 6 मेरे बचपन के दिन के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 6 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर

1. महादेवी वर्मा के बचपन में उनके घर का भाषाई वातावरण कैसा था और इसका उनकी साहित्यिक प्रवृत्ति पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर देखेंमहादेवी वर्मा के घर में बहुभाषी वातावरण था। उनके बाबा फारसी और उर्दू जानते थे, पिता ने अंग्रेजी पढ़ी थी, लेकिन हिंदी का कोई वातावरण नहीं था। जब उनकी माता जबलपुर से आईं तो अपने साथ हिंदी लाईं। माता पूजा-पाठ करती थीं, बचपन में लिखती थीं और मीरा के पद गाती थीं। सवेरे प्रभाती और शाम को मीरा के पद सुनकर महादेवी ने भी ब्रजभाषा में लिखना शुरू किया। बाबा चाहते थे कि वे उर्दू-फारसी सीखें लेकिन मौलवी साहब को देखकर वे छिप जाती थीं। बाद में माता ने उन्हें संस्कृत सिखाई। इस बहुभाषी परिवेश ने उनकी भाषा पर गहरा प्रभाव डाला। विभिन्न भाषाओं के संपर्क से उनकी भाषा में सहजता और काव्यात्मकता आई। विशेषकर मीरा के पदों का प्रभाव उनकी प्रारंभिक कविताओं में स्पष्ट दिखता है।

2. क्रास्थवेट कॉलेज में महादेवी और सुभद्रा कुमारी चौहान की मित्रता के महत्व और उनकी साहित्यिक गतिविधियों का वर्णन करें।
उत्तर देखेंक्रास्थवेट कॉलेज में महादेवी की पहली सहेली सुभद्रा कुमारी मिलीं जो उनसे दो साल बड़ी थीं और सातवें दर्जे में पढ़ती थीं। दोनों कविता लिखती थीं। महादेवी बचपन से तुक मिलाती आई थीं और ब्रजभाषा में लिखती थीं जबकि सुभद्रा खड़ी बोली में लिखती थीं। महादेवी छिप-छिपकर लिखती थीं क्योंकि सुभद्रा बड़ी और प्रतिष्ठित थीं। एक दिन सुभद्रा ने उनकी डेस्क की तलाशी ली और सारी कविताएं निकालकर पूरे हॉस्टल में दिखाया। इसके बाद उनकी मित्रता हो गई। वे एक पेड़ की डाल पर बैठकर तुक मिलाते थे और ‘स्त्री दर्पण’ पत्रिका में भेजते थे। कवि-सम्मेलनों में भी भाग लेते थे। यह मित्रता महादेवी के साहित्यिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण थी क्योंकि इससे उन्हें प्रोत्साहन मिला और वे खड़ी बोली में लिखने लगीं।

3. महादेवी वर्मा के समय के छात्रावास जीवन में धार्मिक सद्भावना और भाषाई एकता का चित्रण करते हुए आज के समय से तुलना करें।
उत्तर देखेंमहादेवी वर्मा के समय छात्रावास में अद्भुत धार्मिक सद्भावना और भाषाई एकता थी। वहां हिंदू और ईसाई लड़कियां एक साथ रहती थीं, एक ही मेस में खाना खाती थीं और एक ही प्रार्थना में खड़े होते थे। कोई विवाद नहीं होता था। अवध की लड़कियां अवधी बोलती थीं, बुंदेलखंड की बुंदेली में, मराठी लड़की शेबुन अपनी भाषा में बोलती थी लेकिन कोई भेदभाव नहीं था। शेबुन कहती थी “हम मराठी हूं तो मराठी बोलेंगे” लेकिन उसे कोई टोकता नहीं था। उस समय प्याज तक नहीं बनता था मेस में क्योंकि सभी धर्मों का सम्मान था। महादेवी कहती हैं कि आज की स्थिति देखकर लगता है जैसे वह सपना ही था। आज वह सपना खो गया है। यदि वह सपना सत्य हो जाता तो भारत की कथा कुछ और होती। आज धार्मिक कट्टरता और भाषाई संकीर्णता बढ़ गई है जबकि उस समय सर्वधर्म समभाव और भाषाई सद्भावना का माहौल था।

4. जवारा के नवाब के परिवार के साथ महादेवी के पारिवारिक संबंधों के माध्यम से उस समय की सामाजिक एकता का चित्रण करें।
उत्तर देखेंजवारा के नवाब की नवाबी छिन गई थी और वे एक बंगले में रहते थे। उसी कंपाउंड में महादेवी का परिवार भी रहता था। यह संबंध अत्यंत मधुर और पारिवारिक था। बेगम साहिबा महादेवी के परिवार से कहती थीं “हमको ताई कहो!” उनके बच्चे महादेवी की मां को चची जान कहते थे। जन्मदिन एक-दूसरे के यहां मनाए जाते थे। राखी के त्योहार में बेगम साहिबा अपने लड़के को राखी बंधवाने के लिए कहती थीं और सवेरे से पानी भी नहीं देती थीं। मुहर्रम में हरे कपड़े दोनों परिवारों के बनते थे। महादेवी के छोटे भाई का जन्म होने पर ताई साहिबा ने कपड़े-वपड़े लेकर आईं और उसका नाम “मनमोहन” रखा। यह नाम आगे चलकर वही चला। वहां हिंदी, उर्दू और अवधी सभी भाषाएं चलती थीं। यह दिखाता है कि उस समय धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक एकता और पारिवारिक प्रेम का वातावरण था जो आज लुप्त हो गया है।

5. महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व निर्माण में उनकी माता की भूमिका का विस्तृत विश्लेषण करें और बताएं कि उनका साहित्यिक विकास कैसे हुआ।
उत्तर देखेंमहादेवी वर्मा के व्यक्तित्व निर्माण में उनकी माता की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका थी। जब माता जबलपुर से आईं तो अपने साथ हिंदी का वातावरण लाईं। वे अत्यंत धार्मिक प्रवृत्ति की थीं और पूजा-पाठ बहुत करती थीं। उन्होंने सबसे पहले महादेवी को ‘पंचतंत्र’ पढ़ना सिखाया जो उनकी प्रारंभिक शिक्षा का आधार बना। माता स्वयं कवयित्री थीं – वे बचपन में लिखती थी और पद भी गाती थी। मीरा के पद उनके विशेष प्रिय थे। सवेरे “जागिए कृपानिधान पंछी बन बोले” की प्रभाती और शाम को मीरा के पद गाती थीं। माता थोड़ी संस्कृत भी जानती थी और गीता में उनकी विशेष रुचि थी। पूजा-पाठ के समय महादेवी भी बैठ जाती थी और संस्कृत सुनती थी। इस प्रकार मातृभाषा हिंदी, धार्मिक संस्कारों और काव्य-संस्कारों का जो वातावरण माता ने दिया, उसने महादेवी के साहित्यिक व्यक्तित्व की नींव रखी। सुन-सुनकर महादेवी ने भी ब्रजभाषा में लिखना आरंभ किया जो बाद में उनकी काव्य-यात्रा का आधार बना।