एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 4 सांवले सपनों की याद

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 4 सांवले सपनों की याद (जाबिर हुसैन) सत्र 2025-26 के अनुसार संशोधित रूप में विद्यार्थी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। इसमें लेखक ने अपने जीवन के अनुभवों और संघर्षों का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है। इस पाठ में लेखक ने गरीबी, अभाव और कठिनाइयों के बीच भी सपनों और आशाओं को जीवित रखने का संदेश दिया है। यह कहानी हमें बताती है कि इंसान का आत्मविश्वास और मेहनत ही उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। विद्यार्थियों के लिए यह अध्याय प्रेरणादायी और जीवन मूल्यों से परिपूर्ण है।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 4 के प्रश्न उत्तर
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 4 के अति-लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 4 के लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 4 के दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 4 MCQ

अभ्यास के प्रश्न उत्तर

सांवले सपनों की याद कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 4 के प्रश्न उत्तर

1. किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया?
उत्तर देखें बचपन में सालिम अली ने अपनी एयरगन से एक छोटा पक्षी गिरा दिया था। जब उन्होंने उसे हाथ में उठाकर देखा, तो उस मासूम की सुंदरता और जीवन की कोमलता ने उनके भीतर गहरा असर डाला। उसी क्षण से वे पक्षियों को मारने के बजाय उन्हें पहचानने और उनके जीवन को समझने लगे। यही घटना उनके जीवन की दिशा बदलने वाली बनी और वे पक्षी-प्रेमी व ‘बर्डमैन ऑफ इंडिया’ कहलाए।

2. सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं?
उत्तर देखें सालिम अली ने प्रधानमंत्री के समक्ष बताया होगा कि यदि जंगल नष्ट होंगे, जलस्रोत प्रदूषित होंगे और पक्षी व अन्य जीव विलुप्त होंगे, तो मानव जीवन भी संकट में पड़ जाएगा। उन्होंने चेताया होगा कि प्रकृति के संतुलन के बिगड़ने से भविष्य की पीढ़ियाँ अपनी धरोहर खो देंगी। पर्यावरण विनाश का यह मार्मिक चित्रण सुनकर प्रधानमंत्री की आँखें नम हो गई थीं।

3. लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि “मेरी छत पर बैठने वाली गोरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है?”
उत्तर देखेंफ्रीडा का आशय यह था कि लॉरेंस का स्वभाव अत्यंत सरल और प्रकृति-निष्ठ था। वे प्रायः घर की छत पर बैठकर गोरैयों को देखते और उनसे जैसे संवाद करते थे। गोरैया उनकी आदतों, भावनाओं और सोच की साक्षी थी। इसलिए फ्रीडा ने प्रतीकात्मक रूप से कहा कि गोरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है।

4. आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) वो लॉरेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।
उत्तर देखेंआशय यह है कि सालिम अली प्रकृति से इतनी गहराई से जुड़े थे कि उनका जीवन और व्यक्तित्व प्राकृतिक सरलता, सहजता और सौंदर्य का जीवंत प्रतीक बन गया था।

(ख) कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा!
उत्तर देखेंइसका आशय है कि मृत पक्षी को चाहे कितनी भी कोशिश कर लौटाया जाए, उसमें जीवन का संगीत फिर से नहीं लौट सकता। जीवन एक बार चला जाए तो उसे पुनः पाना असंभव है।

(ग) सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे।
उत्तर देखेंआशय है कि वे केवल सीमित दायरे में नहीं रहे, बल्कि व्यापक दृष्टिकोण से उन्होंने संपूर्ण प्रकृति, पर्यावरण और पक्षियों के संरक्षण की वैश्विक चेतना जगाई।

5. इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर देखें1. भावात्मक और संवेदनात्मक भाषा-शैली।
2. प्रकृति और पक्षियों के प्रति गहरा प्रेम झलकता है।
3. रूपकों और प्रतीकों का सशक्त प्रयोग।
4. सहज, प्रवाहपूर्ण और प्रभावशाली अभिव्यक्ति, जिसमें पाठक के मन पर सीधा असर होता है।

6. इस पाठ में लेखक ने सालिम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर देखेंलेखक ने सालिम अली को संवेदनशील, प्रकृति-प्रेमी और पक्षियों के महान संरक्षक के रूप में प्रस्तुत किया है। वे सरल, सहज और गहन वैज्ञानिक दृष्टि रखने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने केवल पक्षियों की प्रजातियाँ नहीं पहचानीं, बल्कि उनके जीवन और पर्यावरणीय महत्व को भी उजागर किया। उनका व्यक्तित्व समर्पण और मानवता का प्रतिमान था।

7. ‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर देखेंइस पाठ में सालिम अली और लॉरेंस जैसे व्यक्तित्वों की स्मृति को सँजोया गया है। उनके सपने प्रकृति और पक्षियों को बचाने के थे। ये सपने आज भी अधूरे और “साँवले” लगते हैं, क्योंकि पर्यावरण संकट बढ़ रहा है। इसलिए यह शीर्षक उपयुक्त है— यह हमें प्रकृति-संरक्षण की अधूरी आकांक्षा की याद दिलाता है।

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कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 4 के रचना और अभिव्यक्ति पर प्रश्न उत्तर

8. प्रस्तुत पाठ सालिम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं?
उत्तर देखेंसालिम अली ने पाठ “सांवले सपनों की याद” में पर्यावरण के प्रति अपनी गहरी चिंता जताई है। उन्होंने पक्षियों, जंगलों और प्रकृति को बचाने की ज़रूरत पर बल दिया। हमें भी पर्यावरण बचाने के लिए अपना योगदान देना चाहिए।
मैं पेड़-पौधों को काटने के बजाय और अधिक पेड़ लगाऊँगा। पानी और बिजली की बर्बादी नहीं करूँगा। प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग छोड़कर कपड़े के थैले अपनाऊँगा। स्कूल और घर दोनों जगह साफ़-सफ़ाई रखूँगा और अपने दोस्तों को भी समझाऊँगा। इस तरह हम सब मिलकर पर्यावरण को बचा सकते हैं।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 4 के पाठेतर सक्रियता के आधार पर प्रश्न उत्तर

• अपने घर या विद्यालय के नजदीक आपको अकसर किसी पक्षी को देखने का मौका मिलता होगा। उस पक्षी का नाम, भोजन, खाने का तरीका, रहने की जगह और अन्य पक्षियों से संबंध आदि के आधार पर एक चित्रत्मक विवरण तैयार करें।
उत्तर देखेंमैना पक्षी का चित्रात्मक विवरण:
नाम: मैना
भोजन: मैना फल, अनाज, कीड़े-मकोड़े और रोटी के टुकड़े खाती है। अक्सर यह पेड़ों पर लगे फलों को चुगती है या ज़मीन पर बिखरे दाने खा लेती है।
खाने का तरीका: मैना अपनी नुकीली चोंच से छोटे-छोटे टुकड़े तोड़कर खाती है। यदि कोई कीड़ा मिल जाए तो उसे तुरंत पकड़ लेती है और हल्के से चोंच मारकर निगल जाती है।
रहने की जगह: मैना प्रायः छतों की मुंडेरों, पुराने मकानों की दरारों और पेड़ों की डालियों पर घोंसला बनाती है। यह समूह में रहना पसंद करती है।
अन्य पक्षियों से संबंध: मैना का स्वभाव चंचल होता है। यह अक्सर तोते और कबूतर जैसे पक्षियों के साथ भी देखी जाती है, पर कभी-कभी अपने घोंसले के पास आने वाले पक्षियों को भगा भी देती है।
विशेषता: मैना की आवाज़ बहुत मधुर होती है। यह मनुष्यों के बीच आसानी से घुल-मिल जाती है और प्रायः गाँव-शहर हर जगह दिखाई देती है।

• आपकी और आपके सहपाठियों की मातृभाषा में पक्षियों से संबंधित बहुत से लोकगीत होंगे।
उन भाषाओं के लोकगीतों का एक संकलन तैयार करें। आपकी मदद के लिए एक लोकगीत दिया जा रहा है-
अरे अरे श्यामा चिरइया झरोखवै मति बोलहु।
मोरी चिरई! अरी मोरी चिरई! सिरकी भितर बनिजरवा।
जगाई लइ आवउ, मनाइ लइ आवउ।।1।।
कवने बरन उनकी सिरकी कवने रँग बरदी।
बहिनी! कवने बरन बनिजरवा जगाइ लै आई मनाइ लै आई।।2।।
जरद बरन उनकी सिरकी उजले रंग बरदी।
सँवर बरन बनिजरवा जगाइ लै आवउ मनाइ लै आवउ।।3!!
उत्तर देखें1. अवधी लोकगीत (गौरैया पर)
“गउरा जइहैं परदेसवा, चिरइया करिहैं बोल।
मोर मनवा डोलै रे, मनवा डोलै रे।”
यह गीत गौरैया के माध्यम से विरह और जुदाई की भावना को व्यक्त करता है।
2. भोजपुरी लोकगीत (कोयल पर)
“कोइलरिया बोले अमवा के डार,
पिया से मिलन की लागल आस।”
इस लोकगीत में कोयल की मीठी आवाज़ को मिलन और प्रेम की प्रतीक बताया गया है।
3. राजस्थानी लोकगीत (मोर पर)
“मोर बोल्या बगिया मां,
सावन आयो रे।”
इस गीत में मोर का नाचना और बोलना बरसात आने का सूचक माना गया है।
4. मगही लोकगीत (कबूतर पर)
“कबुतरवा उड़ल जाए, चिट्ठी पिया के लइके।
दे अइसे संदेशवा, परदेसिया मनाइके।”
इसमें कबूतर को संदेशवाहक के रूप में चित्रित किया गया है।
5. पंजाबी लोकगीत (बुलबुल पर)
“बुलबुल दी आहट सुनी, बाग़ विच खिले कुसुम।
सोहनीए सजना दी याद, बन गई मधुर सरगम।”
बुलबुल को प्रेम और मधुरता का प्रतीक मानकर गीत रचा गया है।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 4 के लोकगीतों पर प्रश्न उत्तर

• विभिन्न भाषाओं में प्राप्त पक्षियों से संबंधित लोकगीतों का चयन करके एक संगीतात्मक प्रस्तुति दें।
उत्तर:

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 4

• टीवी के विभिन्न चैनलों जैसे- एनिमल किगडम, डिस्कवरी चैनल, एनिमल प्लेनेट आदि पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों को देखकर किसी एक कार्यक्रम के बारे में अपनी प्रतिक्रिया लिखित रूप में व्यक्त करें।
उत्तर देखेंप्रतिक्रिया : डिस्कवरी चैनल का कार्यक्रम – “द ब्लू प्लैनेट”
मैंने डिस्कवरी चैनल पर देखा गया कार्यक्रम “द ब्लू प्लैनेट” बहुत रोचक और ज्ञानवर्धक पाया। इस कार्यक्रम में समुद्र के भीतर के अद्भुत जीव-जंतुओं और उनके जीवन-चक्र को बड़े ही आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया गया। इसमें छोटी-सी मछली से लेकर विशाल व्हेल तक का संसार दिखाया गया था। कैमरे की विशेष तकनीक से समुद्र की गहराइयों के दृश्य इतने जीवंत लगे कि ऐसा प्रतीत हुआ मानो हम स्वयं वहीं मौजूद हों।
इस कार्यक्रम से मुझे समुद्री जीवन की विविधता और उसमें छिपे रहस्यों के बारे में जानने का अवसर मिला। साथ ही यह भी समझ में आया कि समुद्र के जीवों को बचाने के लिए प्रदूषण और अंधाधुंध मछली पकड़ने पर रोक लगाना कितना आवश्यक है। कुल मिलाकर, यह कार्यक्रम मनोरंजक होने के साथ-साथ पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने वाला भी था।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 4 सांवले सपनों की याद पर आधारित अति-लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 4 अति-लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर

1. सलीम अली के जीवन की दिशा किस घटना ने बदल दी?
उत्तर देखेंएक नीले पंखों वाली गौरैया के बचपन में गिरने और उसकी मृत्यु ने सलीम अली के मन में पक्षियों के प्रति गहरी जिज्ञासा जगाई, जिसने उनके जीवन की दिशा बदल दी और उन्हें एक प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी बना दिया।

2. सलीम अली ने प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से जुड़े किन संभावित खतरों का चित्रण किया?
उत्तर देखेंसलीम अली ने प्रधानमंत्री के सामने औद्योगिक विकास, वनों की कटाई और प्रदूषण जैसे कारकों से पर्यावरण को होने वाले गंभीर खतरों का वास्तविक चित्रण प्रस्तुत किया था।

3. लेखक ने सलीम अली की मृत्यु को किस रूपक के माध्यम से व्यक्त किया है?
उत्तर देखेंलेखक ने सलीम अली की मृत्यु को एक ऐसे पक्षी के रूपक के माध्यम से व्यक्त किया है जो अपने अंतिम गीत गाने के बाद मौत की गोद में सो गया हो, यानी प्रकृति में विलीन हो गया हो।

4. सलीम अली प्रकृति के प्रति अपने दृष्टिकोण में कैसे विशेष थे?
उत्तर देखेंअधिकांश लोग प्रकृति के प्रभाव में आते हैं, किंतु सलीम अली उन विरले लोगों में थे जो प्रकृति को अपने प्रभाव में लाने में सक्षम थे। वे प्रकृति के रहस्यों को समझने और बाँटने वाले वैज्ञानिक थे।

5. सलीम अली की आत्मकथा का नाम क्या था और इसका हिंदी अनुवाद किसने प्रकाशित किया?
उत्तर देखेंसलीम अली की आत्मकथा का नाम ‘द फॉल ऑफ ए स्पैरो’ था। इसका हिंदी अनुवाद ‘एक गौरैया का गिरना’ शीर्षक से नेशनल बुक ट्रस्ट ने प्रकाशित किया।

6. डी. एच. लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने अपने पति के बारे में लिखने से क्यों इनकार किया?
उत्तर देखेंफ्रीडा ने कहा कि लॉरेंस इतने सहज और खुले व्यक्ति थे कि उनके बारे में लिखना कठिन था। उन्होंने महसूस किया कि छत पर बैठी गौरैया भी उनसे ज्यादा लॉरेंस को जानती होगी।

7. लेखक के अनुसार, सलीम अली आज भी कहाँ हैं?
उत्तर देखेंलेखक के अनुसार, सलीम अली आज भी पक्षियों की खोज में ही कहीं बाहर गए हुए हैं और वे अपनी खोजों के साथ लौटकर आएँगे, मानो वे कहीं गए ही नहीं हैं।

8. चौधरी चरण सिंह कैसे नेता थे?
उत्तर देखेंचौधरी चरण सिंह एक ऐसे नेता थे जो गाँव की मिट्टी और बारिश की पहली बूंद के महत्व को समझते थे। वे जमीन से जुड़े हुए व्यक्ति थे।

9. सलीम अली की पत्नी का नाम क्या था और उनका क्या योगदान था?
उत्तर देखेंसलीम अली की पत्नी का नाम तहमीना था। वे स्कूल के दिनों से ही उनकी सहयोगी रहीं और उनकी पक्षियों की दुनिया को बनाने में उन्होंने काफी सहयोग दिया।

10. लेखक सलीम अली से क्या विनती करता है?
उत्तर देखेंलेखक आँखें नम करके सलीम अली से विनती करता है कि वे लौट आएँ, क्योंकि उन जैसा कोई पक्षी प्रेमी अब शेष नहीं है जो पर्यावरण के लिए लड़ सके।

11. ‘साँवले सपनों की याद’ पाठ किस शैली में लिखा गया है?
उत्तर देखेंयह पाठ डायरी शैली में लिखा गया एक संस्मरणात्मक रचना है, जिसमें सलीम अली की स्मृति को भावपूर्ण ढंग से व्यक्त किया गया है।

12. सलीम अली की दूरबीन कब उतरी?
उत्तर देखेंसलीम अली की आँखों पर चढ़ी दूरबीन (उनकी जिज्ञासा और नज़र) उनकी मृत्यु के बाद ही उतरी, यानी उनके जाने के बाद ही उनकी खोजें रुकीं।

13. लेखक के अनुसार, सलीम अली किसका प्रतीक बन गए थे?
उत्तर देखेंलेखक के अनुसार, सलीम अली प्राकृतिक जीवन का प्रतीक बन गए थे, जैसे डी. एच. लॉरेंस बन गए थे।

14. ब्रजभूमि की याद दिलाने वाला दृश्य क्या है?
उत्तर देखेंब्रजभूमि की याद नदी का साँवला पानी दिलाता है, जो पूरी घटना-श्रृंखला की याद दिला देता है, मानो कृष्ण अभी भी वहाँ हों।

15. सलीम अली के व्यक्तित्व की एक विशेषता बताइए।
उत्तर देखेंसलीम अली का व्यक्तित्व अत्यंत सहज, खुला और प्रकृति के प्रति समर्पित था। वे एक सच्चे खोजी और जिज्ञासु वैज्ञानिक थे।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 4 सांवले सपनों की याद के लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 4 लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर

1. सलीम अली के प्रकृति प्रेम और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिए।
उत्तर देखेंसलीम अली का प्रकृति प्रेम केवल भावनात्मक नहीं था, बल्कि वैज्ञानिक जिज्ञासा से परिपूर्ण था। वे प्रकृति के रहस्यों को समझना चाहते थे, न कि केवल उसके प्रभाव में आना। उन्होंने पक्षियों के अध्ययन को एक नया वैज्ञानिक आयाम दिया। उनका मानना था कि मनुष्य को प्रकृति की ओर लौटना चाहिए। उनका सम्पूर्ण जीवन प्रकृति और पक्षियों की खोज में बीता और वे उसके प्रतीक बन गए।

2. सलीम अली और डी. एच. लॉरेंस में क्या समानता दर्शाई गई है?
उत्तर देखेंलेखक ने सलीम अली और डी. एच. लॉरेंस में एक महत्वपूर्ण समानता दर्शाई है। दोनों ही प्रकृति के प्रति गहराई से जुड़े हुए थे और प्राकृतिक जीवन के प्रतीक बन गए थे। जिस प्रकार लॉरेंस की पत्नी ने कहा कि वे इतने सहज थे कि उनके बारे में लिखना कठिन था, ठीक उसी प्रकार सलीम अली का व्यक्तित्व भी अत्यंत सरल और खुला था। दोनों ने ही प्रकृति को गहराई से महसूस किया और उसे अपनी रचनाओं में उतारा।

3. ‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर देखेंशीर्षक ‘साँवले सपनों की याद’ अत्यंत काव्यात्मक और सार्थक है। ‘साँवले सपनों’ से तात्पर्य सलीम अली के those deeply cherished (गहराई से संजोए गए) सपनों और उनकी खोजों से है, जो पक्षियों और प्रकृति की दुनिया से जुड़े थे। ‘याद’ शब्द इस संस्मरण की मुख्य विधा को दर्शाता है। यह शीर्षक लेखक की उस भावनात्मक विरासत को दर्शाता है जो सलीम अली के जाने के बाद छूट गई है, उनकी यादों के रूप में।

4. सलीम अली की मृत्यु पर लेखक की प्रतिक्रिया का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर देखेंसलीम अली की मृत्यु पर लेखक को गहरा दुःख और एक खालीपन महसूस होता है। वे इसे एक पक्षी के मौन विलुप्त होने के रूपक के माध्यम से व्यक्त करते हैं। लेखक का मानना है कि सलीम अली का जाना ऐसे है मानो कोई पक्षी अपना अंतिम गीत गाकर चला गया हो, जिसे वापस लाना असंभव है। वे उनसे लौटने की विनती करते हैं, क्योंकि उन जैसा प्रकृति का सच्चा सिपाही और पक्षी प्रेमी अब कोई नहीं बचा है।

5. पाठ के आधार पर सलीम अली के व्यक्तित्व की तीन विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर देखेंसलीम अली का व्यक्तित्व अत्यंत समृद्ध और प्रेरणादायक था। प्रथम, वे एक जिज्ञासु और अथक खोजी वैज्ञानिक थे, जिन्होंने पक्षी विज्ञान को नई ऊँचाइयाँ दीं। दूसरा, उनका प्रकृति के प्रति प्रेम भावुकतापूर्ण न होकर वैज्ञानिक समझ से परिपूर्ण था। वे प्रकृति को समझना और उसक रक्षा करना चाहते थे। तीसरा, उनका व्यक्तित्व अत्यंत सहज, विनम्र और खुला था। वे एक सच्चे प्रकृति प्रेमी थे जो जटिल से जटिल प्राणी के लिए भी कोमल भाव रखते थे।

6. लेखक ने सलीम अली के अंतिम समय का कैसा चित्रण किया है?
उत्तर देखेंलेखक ने सलीम अली के अंतिम समय को अत्यंत मार्मिक ढंग से चित्रित किया है। उन्होंने लिखा है कि लंबी यात्राओं की थकान ने उनके शरीर को कमजोर कर दिया था और एक गंभीर बीमारी ने उनकी मृत्यु का कारण बनी। किंतु मृत्यु भी उनकी आँखों से वह चमक (जिज्ञासा और प्रकाश) छीनने में सफल नहीं हो पाई, जो पक्षियों की खोज और उनकी दुनिया के प्रति समर्पण से उत्पन्न होती थी। उनकी मृत्यु के बाद ही वह दूरबीन (उनकी तीक्ष्ण दृष्टि) उतरी।

7. “वे प्रकृति के प्रभाव में आने की बजाय प्रकृति को अपने प्रभाव में लाने वाले लोगों में थे।” इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर देखेंइस कथन का आशय है कि अधिकांश लोग प्रकृति की सुंदरता से मुग्ध होकर उसके प्रभाव में आ जाते हैं, परंतु सलीम अली उन विरले व्यक्तियों में से थे जो प्रकृति के रहस्यों को वैज्ञानिक दृष्टि से समझते और उसका अध्ययन करते थे। वे प्रकृति को नियंत्रित या प्रभावित नहीं करते थे, बल्कि उसे इतनी गहराई से जानते और समझते थे कि उनकी उपस्थिति स्वयं प्रकृति को समृद्ध करती थी। वे प्रकृति के साथ एक सहजीवी संबंध रखते थे।

8. सलीम अली के चरण सिंह से मिलने और उसके परिणाम का वर्णन कीजिए।
उत्तर देखेंसलीम अली ने एक दिन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से ‘साइलेंट वैली’ (एक दुर्लभ वनक्षेत्र) को औद्योगिक विकास के खतरों से बचाने का अनुरोध लेकर मुलाकात की। चरण सिंह, जो गाँव की मिट्टी की कीमत समझने वाले नेता थे, उन्होंने सलीम अली द्वारा प्रस्तुत पर्यावरणीय खतरों के यथार्थवादी चित्रण को सुनकर हैरानी व्यक्त की और संभवतः उस पर गंभीरता से विचार किया। यह मुलाकात पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।

9. लेखक की भाषा-शैली की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर देखेंलेखक जाबिर हुसैन की भाषा-शैली अत्यंत कलात्मक और भावपूर्ण है। पहली विशेषता उनकी काव्यात्मकता है। वे ‘साँवले सपनों’, ‘गहरा समंदर’ जैसे रूपकों और बिम्बों का प्रयोग करके भावनाओं को गहराई से व्यक्त करते हैं। दूसरी विशेषता संस्मरणात्मकता है। पूरा पाठ एक डायरी के अंश की तरह है जो स्मृतियों को ताजा करता है और पाठक से भावनात्मक जुड़ाव स्थापित करता है।

10. पाठ के आधार पर बताइए कि सलीम अली आज की पीढ़ी के लिए किस प्रकार प्रेरणास्रोत हैं?
उत्तर देखेंसलीम अली आज की पीढ़ी के लिए एक आदर्श प्रेरणास्रोत हैं। उनका जीवन सिखाता है कि जुनून, लगन और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से किसी भी क्षेत्र में महान सफलता प्राप्त की जा सकती है। वे पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए एक मिसाल हैं। उनका सरल और प्रकृति के प्रति समर्पित जीवन यह संदेश देता है कि विकास और प्रकृति के बीच संतुलन आवश्यक है। वे युवाओं को सिखाते हैं कि प्रकृति की सूक्ष्मता को समझना और उसकी रक्षा करना मानवता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 4 सांवले सपनों की याद के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 4 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर

1. ‘साँवले सपनों की याद’ पाठ सलीम अली के व्यक्तित्व और कृतित्व के किन पहलुओं को उजागर करता है? विस्तार से लिखिए।
उत्तर देखेंयह पाठ सलीम अली के व्यक्तित्व और कृतित्व के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करता है। सर्वप्रथम, यह उनके अथक खोजी और वैज्ञानिक स्वभाव को दर्शाता है। एक गौरैया की घटना ने उनके जीवन की दिशा बदल दी और वे जीवन भर पक्षियों की दुनिया के रहस्यों को सुलझाने में लगे रहे। दूसरा, यह पाठ उनके प्रकृति के प्रति गहरे लगाव और जिम्मेदारी की भावना को दिखाता है। उन्होंने न केवल अध्ययन किया बल्कि ‘साइलेंट वैली’ जैसे प्रकृति के खतरों को बचाने के लिए सीधे प्रधानमंत्री तक अपनी बात पहुँचाई। तीसरा, उनका सहज और निस्वार्थ व्यक्तित्व झलकता है। वे डी.एच. लॉरेंस की तरह इतने सरल और खुले थे कि उनके बारे में लिखना भी कठिन था। अंततः, वे एक सच्चे प्रकृति प्रेमी और संरक्षक के रूप में उभरकर सामने आते हैं।

2. लेखक ने सलीम अली की मृत्यु का वर्णन करने के लिए किस रूपक का प्रयोग किया है और यह रूपक उनके जीवन और कार्य के प्रति किस भावना को व्यक्त करता है?
उत्तर देखेंलेखक ने सलीम अली की मृत्यु का वर्णन करने के लिए एक पक्षी के रूपक का बहुत ही मार्मिक और कलात्मक प्रयोग किया है। उन्होंने लिखा है कि सलीम अली का निधन ऐसे हुआ जैसे कोई पक्षी अपना अंतिम गीत गाने के बाद मौत की गोद में सो गया हो। यह रूपक अत्यंत सटीक और सार्थक है क्योंकि सलीम अली का सम्पूर्ण जीवन ही पक्षियों के इर्द-गिर्द घूमता था। यह रूपक उनके कार्य और जीवन के प्रति गहरी श्रद्धा, सम्मान और एक अपूरणीय क्षति की भावना को व्यक्त करता है। लेखक कहता है कि ऐसे पक्षी को कोई जगाना नहीं चाहेगा, क्योंकि उसके जागने का अर्थ उसके सपनों (यानी उसकी खोज और उत्साह) का समाप्त हो जाना होगा। इस रूपक के माध्यम से लेखक यह संदेश देता है कि सलीम अली का जाना एक शांत और सम्मानजनक विदाई थी, ठीक उसी तरह जैसे एक पक्षी प्रकृति में विलीन हो जाता है।

3. “लोग प्रकृति को मनुष्य की दृष्टि से देखना चाहते हैं, प्रकृति की दृष्टि से नहीं।” सलीम अली के इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर देखेंसलीम अली के इस कथन का आशय है कि मनुष्य प्रकृति को केवल अपने उपयोगितावादी दृष्टिकोण से देखता और समझता है, न कि उसके अस्तित्व और सहअस्तित्व के वास्तविक मूल्य से। लोग जंगलों, पहाड़ों, नदियों और पक्षियों का आनंद उस रूप में लेना चाहते हैं जो उन्हें सुखद लगे, न कि उस रूप में जैसी वे वास्तव में हैं। उदाहरण के लिए, लोग चाहते हैं कि पक्षी सुंदर दिखें और मधुर आवाज़ निकालें, परंतु वे उनके जीवनचक्र, उनकी आवश्यकताओं और पारिस्थितिकी में उनके योगदान को नहीं समझना चाहते। सलीम अली इस सतही दृष्टिकोण के विपरीत थे। वे प्रकृति को उसकी अपनी शर्तों पर, उसकी समग्रता में समझने और उसके साथ तालमेल बिठाकर चलने में विश्वास रखते थे। वे प्रकृति को नियंत्रित करने की बजाय उससे सीखने और उसकी रक्षा करने में विश्वास करते थे।

4. सलीम अली के प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से मिलने की घटना का क्या महत्व है? इस घटना से उनके चरित्र के किस पहलू का पता चलता है?
उत्तर देखेंसलीम अली का प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से ‘साइलेंट वैली’ को बचाने के लिए मिलना एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और पर्यावरणीय घटना थी। इस घटना का महत्व इस बात में है कि यह भारत में पर्यावरण संरक्षण के लिए की गई शुरुआती और ऊँचे स्तर की पहल थी। सलीम अली ने औद्योगिक विकास के नाम पर होने वाले विनाश के यथार्थवादी खतरों को राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने रखा। इस घटना से सलीम अली के चरित्र के कई महत्वपूर्ण पहलू उजागर होते हैं। पहला, यह उनके साहस और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है—एक वैज्ञानिक का सीधे प्रधानमंत्री से मिलकर अपनी बात रखना। दूसरा, यह उनकी दूरदर्शिता को दिखाता है। उन्होंने विकास की अंधी दौड़ के दीर्घकालिक नुकसान को पहचान लिया था। तीसरा, यह उनकी सक्रिय नागरिक और पर्यावरण प्रेमी की भूमिका को प्रमाणित करता है। वे केवल एक अध्ययनशील वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक भी थे जो प्रकृति की रक्षा के लिए आवाज़ उठाने से नहीं हिचकिचाए।

5. ‘साँवले सपनों की याद’ संस्मरण की भाषा-शैली की प्रमुख विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर देखेंइस संस्मरण की भाषा-शैली अत्यंत कलात्मक, भावपूर्ण और प्रभावशाली है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
• काव्यात्मकता एवं रूपकों का प्रयोग: लेखक ने अनेक काव्यात्मक रूपकों का प्रयोग किया है, जो पाठ को सजीव और मार्मिक बनाते हैं। जैसे- “लहराते हुए साँवले सपनों का झुंड मौत की खामोश घाटी की ओर बढ़ रहा है”, “वे प्रकृति की दुनिया में एक बूँद बनने के बजाय एक गहरा समंदर बनकर उभरे”। ये रूपक सलीम अली की विरासत और यादों की गहराई को दर्शाते हैं।
• संस्मरणात्मक शैली: पूरा पाठ एक डायरी के अंश की तरह लिखा गया है जो व्यक्तिगत स्मृतियों और भावनाओं से परिपूर्ण है। यह शैली पाठक के मन में सलीम अली के प्रति एक आत्मीय लगाव पैदा करती है।
• भावनात्मक अपील: लेखक की भाषा में एक गहरी विषाद और करुणा की ध्वनि है। सलीम अली के प्रति सम्मान और उनके जाने के बाद की खालीपन की भावना पाठक तक सीधे पहुँचती है, जैसे- “मेरी आँखें नम हैं, सलीम अली, तुम लौट आओ!”
• वर्णनात्मक गुण: लेखक ने सलीम अली के व्यक्तित्व और घटनाओं का इतना सजीव वर्णन किया है कि पाठक के मन में उनका एक स्पष्ट चित्र उभर आता है। चौधरी चरण सिंह से मुलाकात का वर्णन या ब्रजभूमि के दृश्य का चित्रण इसके उदाहरण हैं।
इस प्रकार, भाषा की यह कलात्मकता पाठ को एक साधारण जीवन परिचय से कहीं अधिक एक कलात्मक और भावनात्मक रचना बना देती है।