एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 13 बच्चे काम पर जा रहे हैं
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 13 बच्चे काम पर जा रहे हैं (राजेश जोशी) सत्र 2025-26 के लिए संशोधित रूप में यहाँ दिए गए हैं। इसमें कवि ने समाज की एक गहरी विडंबना को उजागर किया है। इसमें उन मासूम बच्चों की पीड़ा दिखाई गई है जो खेलने और पढ़ने की उम्र में मजदूरी करने को मजबूर हैं। कविता बच्चों के खोए हुए बचपन और उनके अधूरे सपनों की मार्मिक झलक प्रस्तुत करती है। यह अध्याय विद्यार्थियों को संवेदनशील बनाते हुए बाल श्रम के खिलाफ जागरूकता का संदेश देता है।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 13 के प्रश्न उत्तर
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 13 के अति-लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 13 के लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 13 के दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 13 MCQ
अभ्यास के प्रश्न उत्तर
बच्चे काम पर जा रहे हैं कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 13 अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर
1. कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है उसे लिखकर व्यक्त कीजिए।
उत्तर देखेंइन पंक्तियों से हमारे सामने एक उदास, ठंडे और धुँधले वातावरण का चित्र उभरता है जहाँ मासूम बच्चे कोहरे से ढँकी सड़कों पर काम पर जाते दिखाई देते हैं। यह चित्र भयावह और हृदयविदारक है।
2. कवि ने बच्चों के काम पर जाने को प्रश्न के रूप में क्यों प्रस्तुत करने की बात कही है?
उत्तर देखेंक्योंकि यह केवल विवरण देने की बात नहीं है बल्कि एक गंभीर समस्या है। सवाल पूछकर हम समाज और व्यवस्था से जवाबदेही माँग सकते हैं कि आखिर बच्चे खेल-कूद और पढ़ाई की जगह काम करने को मजबूर क्यों हैं।
3. बच्चे सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से वंचित क्यों हैं?
उत्तर देखेंगरीबी, सामाजिक असमानता, आर्थिक शोषण और लापरवाही के कारण बच्चे अपनी उम्र के आनंद से वंचित होकर मजबूरी में श्रम करने पर विवश हैं।
4. समाज की उदासीनता के क्या कारण हैं?
उत्तर देखेंलोग बच्चों के काम पर जाने को सामान्य मानने लगे हैं। बेरोजगारी, गरीबी और संवेदनहीनता के कारण यह समस्या बार-बार दिखने पर भी लोगों को असामान्य नहीं लगती।
5. आपने अपने शहर में बच्चों को कहाँ काम करते देखा है?
उत्तर देखेंबच्चों को मैंने ढाबों, चाय की दुकानों, होटलों, छोटे कारखानों, घरों में काम करते और फुटपाथ पर सामान बेचते हुए देखा है।
6. बच्चों का काम पर जाना धरती के बड़े हादसे जैसा क्यों है?
उत्तर देखेंक्योंकि यह बचपन की हत्या है। जब मासूम बच्चे शिक्षा और खेल से वंचित होकर श्रम में उलझ जाते हैं तो यह मानवता और समाज के लिए एक भयावह त्रासदी है।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 13 के रचना और अभिव्यक्ति के प्रश्न उत्तर
7. काम पर जाते किसी बच्चे के स्थान पर अपने-आप को रखकर देखिए।
उत्तर देखेंयदि मैं उस स्थिति में होता तो मुझे अत्यधिक दुख और निराशा होती। खेलने-कूदने और पढ़ने की जगह बोझ उठाना, लोगों की डाँट सुनना और जीवन के आनंद से वंचित रहना बेहद कष्टदायी होता।
8. बच्चों को काम पर क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए?
उत्तर देखेंक्योंकि बचपन खेलने, पढ़ने और सीखने का समय है। उन्हें शिक्षा, पोषण और सुरक्षित वातावरण मिलना चाहिए ताकि वे अच्छे नागरिक बन सकें। काम पर भेजना उनके अधिकारों का हनन है।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 13 बच्चे काम पर जा रहे हैं पर आधारित अति-लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 13 अति-लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
1. कविता का शीर्षक क्या है?
उत्तर देखेंबच्चे काम पर जा रहे हैं।
2. बच्चे कहाँ जा रहे हैं?
उत्तर देखेंकाम पर।
3. कवि को कौन-सी पंक्ति सबसे भयानक लगती है?
उत्तर देखें“बच्चे काम पर जा रहे हैं।”
4. कविता में सड़कों को किससे ढँका बताया गया है?
उत्तर देखेंकोहरे से।
5. बच्चों के पास क्या नहीं है?
उत्तर देखेंगेंदें, किताबें, खिलौने, मैदान, बगीचे।
6. “सवाल की तरह” लिखने का क्या आशय है?
उत्तर देखेंसमाज से जवाब माँगना।
7. बच्चे बहुत कैसे बताए गए हैं?
उत्तर देखेंछोटे-छोटे।
8. बच्चों के लिए असली जगह कहाँ होनी चाहिए?
उत्तर देखेंविद्यालय और खेल का मैदान।
9. बच्चों की उम्र का असली आनंद क्या है?
उत्तर देखेंपढ़ाई और खेलकूद।
10. बच्चों के अधिकारों का हनन किससे होता है?
उत्तर देखेंबालश्रम से।
11. बच्चों को काम पर जाते देखना कवि को कैसा लगता है?
उत्तर देखेंभयावह।
12. कविता में “हस्बमामूल” शब्द का अर्थ क्या है?
उत्तर देखेंसब कुछ सामान्य रूप से।
13. खिलौने किसके नीचे दबे बताए गए हैं?
उत्तर देखेंकाले पहाड़ के नीचे।
14. बच्चों का काम पर जाना किसके समान बताया गया है?
उत्तर देखेंबड़े हादसे के समान।
15. कविता किस विषय पर केंद्रित है?
उत्तर देखेंबालश्रम और समाज की उदासीनता।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 13 बच्चे काम पर जा रहे हैं के लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 13 लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
1. इस कविता का प्रधान विषय क्या है?
उत्तर देखेंकविता का प्रधान विषय बच्चों का श्रम है—एक ऐसी सचाई जिसे कवि भयावह रूप में प्रस्तुत करता है। कोहरे से ढँकी सड़क पर सुबह-सुबह काम को जा रहे छोटे-छोटे बच्चे कवि की चिन्ता और घृणा का केंद्र हैं। वह इसे केवल दृश्य नहीं बल्कि युग की सबसे भयानक पंक्ति मानता है। कविता में कवि बच्चों की चोरी हुई बचपन-प्रतिष्ठा पर प्रश्न उठाता है: क्यों खेल, किताबें, बगीचे नहीं और फिर भी बच्चे काम पर जा रहे हैं?
2. कवि “यह लिखना चाहिए इसे सवाल की तरह” क्यों कहता है?
उत्तर देखेंकवि चाहता है कि बच्चों के काम पर जाने की घटना सनसनीखेज विवरण बनकर स्वीकार न हो बल्कि सवाल बने- क्योंकि प्रश्न-कथा से जिम्मेदारी, चेतना और आलोचना पैदा होती है। जब घटना को प्रश्न के रूप में लिखा जाए तो समाज को अपनी भूमिका, कारण और समाधान पर सोचने का दबाव मिलेगा। कवि स्पष्ट करता है कि रिपोर्टिंग या वर्णन ही काफी नहीं इसे प्रश्न बनाकर समाज से जवाब माँगा जाना चाहिए।
3. कविता में बच्चों का “सुबह-सुबह काम पर जाना” किस विडंबना को उजागर करता है?
उत्तर देखेंसुबह का समय सामान्यतः पढ़ाई, खेल और नई उम्मीदों की शुरुआत का प्रतीक है। परंतु कविता में यही सुबह बच्चों के लिए श्रम और बोझ ढोने का समय बन गई है। यह विडंबना समाज की असफलता और संवेदनहीनता को प्रकट करती है, जहाँ बचपन के आनंद की जगह कठिनाई और मजबूरी ने ले ली है। कवि इस विरोधाभास के माध्यम से पाठक को गहरी बेचैनी और प्रश्नाकुलता में डालता है।
4. कोहरे का प्रतीकात्मक उपयोग किस तरह हुआ है?
उत्तर देखेंकोहरा सड़क पर फैला हुआ है—यह दृश्य उपस्थिति के साथ-साथ सामाजिक अस्पष्टता का प्रतीक है। कोहरा दिखाता है कि सच—बच्चों का काम पर जाना—छिपा हुआ नहीं है पर धुंधली, सामान्यीकृत और अनदेखी बना दी गई है। कोहरा यह भी सूचित करता है कि समाज ने समस्या की सीमाएँ और कारण अस्पष्ट कर दिये हैं कवि इसे स्पष्ट करके सच को देखने की मांग करता है।
5. कवि “हमारे समय की सबसे भयानक पंक्ति” क्यों कहता है?
उत्तर देखेंयह पंक्ति बच्चों के काम पर जाने की सच्चाई के भयावह और अनैतिक स्वरूप को अभिव्यक्त करती है। जब सुबह-सुबह इतने छोटे बच्चे काम पर जा रहे हों, तो वह समाज की विफलता और मानवीय पतन का संकेत है। इसलिए कवि इसे काल का सबसे भयानक वाक्य मानता है— यह आनंदहीनता, शिक्षा का नुकसान, बाल्य-धोखाधड़ी और आर्थिक-न्याय विफलता का प्रतीक है।
6. कविता में “सारी रंग बिरंगी किताबें … दीमकों ने खा लिया” का क्या तात्पर्य है?
उत्तर देखेंयह रूपक शिक्षा, कल्पना और रंगीन बचपन का नष्ट होना दिखाता है। “दीमक” यहाँ शैक्षिक उपेक्षा, गरीबी व असमर्थता का प्रतीक है जो बच्चों की किताबें—ज्ञान और आनंद—को खोखला कर देता है। कवि प्रश्न करता है कि क्या सच में स्रोत मिट गए या हमने उन्हें मिटने दिया। यह सामाजिक-विवेक की पुकार है कि क्यों बच्चों को पढ़ाई और खेलने का अधिकार नहीं मिल रहा।
7. कविता का भाव-स्वर कैसा है?
उत्तर देखेंकविता का स्वरों में मिश्रित भाव है- निराशा, आक्रोश, प्रश्नवाचक आलोचना और करुणा हैं। कवि भयावहता पर जोर देता है पर उसी के साथ बार-बार सवाल उठाकर समाज को चुनौती देता है। सरल, प्रत्यक्ष भाषा और बार-बार के पुनरुक्त प्रश्न कविता को तीखा और दबंग बनाते हैं। करुणा का तत्व भी है- आवाज़ न केवल पोषक है बल्कि दोषारोपण भी करती है।
8. कविता में “क्या सारे मैदान, सारे बगीचे और घरों के आँगन खत्म हो गए हैं” पंक्ति का अर्थ क्या है?
उत्तर देखेंयह पंक्ति बताया चाहती है कि यदि खेल-खेलने की जगहें, खुला मैदान और घरेलू बचपन खत्म हो गए हों तो बच्चों का काम पर जाना स्वाभाविक है। यह सामाजिक संरचनाओं के क्षरण का संकेत है— जब स्थान, संसाधन और सुरक्षा नहीं रहे तो बच्चों के पास काम के अलावा कुछ भी शेष नहीं रहता। कवि यह प्रश्न करके उन नीतियों और आर्थिक परिस्थितियों पर चोट करता है जो बचपन छीन लेती हैं।
9. कविता का आख़िरी चित्र (बच्चे बहुत छोटे-छोटे बच्चे काम पर जा रहे हैं) किस तरह प्रभाव डालता है?
उत्तर देखेंअंतिम पंक्ति का सादा, दोहरावदार उद्घोष भारी प्रभाव पैदा करती है- यह दृश्य और भयावह सत्य को सीधे सामने रखता है। छोटे-छोटे बच्चों का विवरण पाठक के हृदय पर जोर से पड़ता है और किसी नाटकीय या अलंकारिक छवि के बिना ही संवेदना जगाता है। दोहराव से यह कड़वा सत्य स्मृति में घर कर जाता है और तुरंत सामूहिक चिंता उत्पन्न करता है।
10. इस कविता से समाज को क्या सीखनी चाहिए—कौन-सा संदेश स्पष्ट है?
उत्तर देखेंकविता समाज के समक्ष प्रश्न रखती है: अगर बच्चे काम पर जा रहे हैं तो हमारी प्राथमिकताएँ कहाँ फेल हो रही हैं- शिक्षा, सुरक्षा, सुख या न्याय? संदेश स्पष्ट है—बच्चों का बचपन संरक्षित करना, विद्यालय और खेल सुनिश्चित करना, गरीबी व श्रम पर रोक और सामाजिक जिम्मेदारी उठाना। कविता आग्रह करती है कि यह तथ्य सामान्यीकृत न हो उसे प्रश्न बनाकर नीति-गरिमापूर्ण समाधान की मांग करनी चाहिए।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 13 बच्चे काम पर जा रहे हैं के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 13 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर
1. कवि बार-बार प्रश्न करता है—“क्या …?”—और घटना को बयान करने की बजाय सवाल बनाना चाहता है। इस तकनीक का विश्लेषण कीजिए और बताइए कि यह सामाजिक चेतना पैदा करने में कैसे काम आती है।
उत्तर देखेंप्रश्नों की पुनरावृत्ति कवितिक तकनीक में ज़ोरदार रूपक है: वर्णन को सवाल में बदलकर कवि पाठक पर जवाबदेही थोपता है। सवाल-शैली में सामान्यीकरण नहीं रहता। पाठक को भीतर झाँककर कारण तलाशने को बाध्य किया जाता है। जब कवि पूछता है कि क्या किताबें दीमकों ने खा लीं या क्या खेल-मैदान मिट गए, वह प्रतीकात्मक रूप से यह पूछता है कि क्या समाज ने जानबूझकर बच्चों से बचपन छीना? अतः प्रश्न जनता के मानसिक-नैतिक स्थान को हिला देते हैं और नीति-नियंताओं तथा नागरिकों को सक्रिय सोच और बदलाव के लिए उत्तेजित करते हैं।
2. कविता में कोहरा, सुबह, सड़क और छोटे बच्चों का दृश्य एक साथ किस तरह सामाजिक और भावनात्मक विरोधाभास निर्मित करते हैं? विस्तार से समझाइए।
उत्तर देखेंकोहरा अस्पष्टता, सुबह उम्मीद का समय और सड़क गतिशीलता का प्रतीक है- इनके साथ छोटे बच्चों का काम पर जाना विरोधाभासी और बोधगम्य बनता है। सुबह जो सामान्यतः खेल, विद्यालय और शैक्षिक आरम्भ का संकेत देती है, वह यहाँ श्रम के आरम्भ का समय बन जाती है। कोहरा दर्शाता है कि यह वास्तविकता अस्पष्ट या अनदेखी कर दी गयी है। सड़क पर चलने वाले बच्चे सामाजिक संरचना की विफलता का जीवंत प्रमाण हैं। भावनात्मक स्तर पर यह छवियाँ करुणा और रोष दोनों को जन्म देती हैं- हमें बच्चों की खोई हुई दुनिया का अनुरोध सुनाई देता है।
3. कविता के रूपकों—दीमक, काले पहाड़, भूकंप, रंग-बिरंगी किताबें- के माध्यम से बाल्य-नुकसान और ज्ञान के क्षरण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर देखेंदीमक शिक्षा और पुस्तकों के विनाश की प्रतिकृति है; काले पहाड़ खिलौनों के दब जाने से बचपन के मजे का नष्ट होना सूचित करते हैं। भूकंप मदरसों की इमारतें ढहने जैसी अतिशयोक्ति से सामाजिक-संरचनात्मक तबाही को दर्शाता है। कवि रंग-बिरंगी किताबों को खोने का प्रश्न उठाकर बताता है कि केवल भौतिक विनाश नहीं, बल्कि कल्पना, खेल, शिक्षा और सांस्कृतिक भविष्य भी प्रभावित हो रहे हैं। ये रूपक संकेत करते हैं कि बच्चों के साथ होने वाला नुकसान शारीरिक, मानसिक और सांस्कृतिक है—समाज की दीर्घकालिक हानि।
4. कविता में जो करुणा और रोष दोनों भाव मिलते हैं, वे पाठक को किस प्रकार कार्रवाई के लिए प्रेरित कर सकते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर देखेंकविता करुणा से हृदय को नरम करती है—छोटे-छोटे बच्चे, खाली किताबों और खोए खेल के दृश्य संवेदना जगाते हैं। रोष तब आता है जब कवि यह बताता है कि ये वास्तविकताएँ सामान्यीकृत होकर आड़े नहीं आ रहीं; यह क्रोध सामाजिक निन्दा बनता है। यह संयोजन पाठक को समझदारी और सक्रियता दोनों के लिए प्रेरित करता है: करुणा से सहानुभूति पैदा होगी, रोष से न्याय के लिए दबाव और परिवर्तन की मांग। परिणामतः पाठक नीति-निर्माता, शिक्षक या सामाजिक कार्यकर्ता बनकर हस्तक्षेप की सोच सकते हैं—विद्यालय, कानूनी कदम या जागरूकता अभियान आरम्भ कर सकते हैं।
5. इस कविता के सन्देश को नजर में रखते हुए बताइए कि इसे विद्यालयी पाठ्यक्रम या सामाजिक प्रोग्राम में कैसे उपयोग किया जा सकता है? शिक्षण-पाठ योजना का संक्षिप्त सुझाव दीजिए।
उत्तर देखेंयह कविता बच्चों के श्रम, अधिकार और सामाजिक ज़िम्मेदारी पर कक्षागत चर्चा के लिए उपयुक्त है। पाठ योजना:
(1) कविता पाठ और पाठक से भाव-संवाद।
(2) प्रश्न-वार चर्चा- कविता के प्रश्नों को समूह में बाँटना।
(3) केस-स्टडी- स्थानीय बालश्रम के उदाहरण और कानूनी पहलुओं का अवलोकन।
(4) परियोजना कार्य- खेल/पुस्तक-डोनेशन अभियान, स्थानीय एनजीओ से सहकार्य।
(5) समापन रिफ्लेक्शन- छात्रों से लिखित/मौखिक प्रतिबद्धता कि वे क्या कर सकते हैं।
इस प्रकार कविता न केवल साहित्यिक समझ बढ़ाएगी बल्कि सामाजिक सक्रियता भी प्रेरित करेगी।
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