एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 गणित प्रश्नावली 1.1

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 गणित प्रश्नावली 1.1 परिमेय संख्याएँ अभ्यास के सवाल जवाब सभी प्रश्नों के हल सत्र 2024-25 के लिए छात्र यहाँ से निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं। कक्षा 8 गणित प्रश्नावली 1.1 के हल सरल रूप में दिए गए हैं।

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कक्षा 8 के लिए एनसीईआरटी समाधान

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परिमेय संख्याएँ

“एक पूर्णांक को दूसरे पूर्णांक (0 को छोड़कर) से भाग देने पर जो लघुतम प्राप्त हो उन्हें परिमेय संख्या कहते है। अर्थात जिस संख्या को अंश एंव हर के रूप में लिखा जा सके।” के रूप में लिखा जा सकता है। ऐसी संख्या जिसे हम p/q के रूप में व्यक्त कर सकते हैं और यहां q ≠ 0 होगा उसे परिमेय संख्या कहते है।

परिमेय संख्याओं के गुणधर्म

परिमेय संख्याओं को बिलकुल भिन्न संख्याओं की तरह ही जोड़ा, घटाया, गुणा या भाग किया जा सकता है। परिमेय संख्याएँ जब योग या गुणन की क्रियाएँ करती है तो वो संवृत होती है। सभी परिमेय संख्याओं के लिए योग और गुणन की क्रियाएँ क्रमविनिमेय और सहचारी होती है।
संवृत
विभिन्न प्रकार की संख्याओं के लिए सभी चार संक्रियाओं के अंतर्गत संवृत गुण की विवेचना निम्नलिखित सारणी के माध्यम से व्यक्त कर सकते हैं।
पूर्ण संख्या
संक्रिया – परिणाम
योग – पूर्ण संखाएं योग के अंतर्गत संवृत हैं।
व्यवकलन – पूर्ण संखाएं व्यवकलन के अंतर्गत संवृत नहीं हैं।
गुणन – पूर्ण संखाएं गुणन के अंतर्गत संवृत हैं।
भाग – पूर्ण संखाएं भाग के अंतर्गत संवृत नहीं हैं।

पूर्णांक संख्या

संक्रिया – परिणाम
योग – पूर्णांक संखाएं योग के अंतर्गत संवृत हैं।
व्यवकलन – पूर्णांक संखाएं व्यवकलन के अंतर्गत संवृत हैं।
गुणन – पूर्णांक संखाएं गुणन के अंतर्गत संवृत हैं।
भाग – पूर्णांक संखाएं भाग के अंतर्गत संवृत नहीं हैं।
टिप्पणी:
आपने देखा कि पूर्ण संख्याएँ योग और गुणन के अंतर्गत संवृत हैं परंतु भाग और व्यवकलन के अंतर्गत संवृत नहीं हैं। तथापि पूर्णांक योग, व्यवकलन एवं गुणन के अंतर्गत संवृत हैं लेकिन भाग के अंतर्गत संवृत नहीं हैं।

परिमेय संख्याएँ

संक्रिया – परिणाम
योग – परिमेय संखाएं योग के अंतर्गत संवृत हैं।
व्यवकलन – परिमेय संखाएं व्यवकलन के अंतर्गत संवृत हैं।
गुणन – परिमेय संखाएं गुणन के अंतर्गत संवृत हैं।
भाग – परिमेय संखाएं भाग के अंतर्गत संवृत नहीं हैं।
टिप्पणी:
अतः, परिमेय संख्याएँ भाग के अंतर्गत संवृत नहीं हैं। तथापि, यदि हम शून्य को शामिल नहीं करें तो दूसरी सभी परिमेय संख्याओं का समूह, भाग के अंतर्गत संवृत है।

एक संख्या का ऋणात्मक

किसी संख्या का ऋणात्मक वह संख्या है जिसको संख्या के साथ जोड़ने पर परिणाम शून्य होता है।
पूर्णांकों के ऋणात्मक निम्न प्रकार से ज्ञात कर सकते हैं। 1 का ऋणात्मक क्या है? यह – 1 है, क्योंकि 1 + (- 1) = (- 1) + 1 = 0 है। अतः (- 1) का ऋणात्मक क्या होगा? यह 1 होगा।
इसके अतिरिक्त, 2 + (- 2) = (- 2) + 2 = 0 है। इस प्रकार हम कहते हैं कि – 2 का ऋणात्मक अथवा योज्य प्रतिलोम 2 है जो विलोमतः भी सत्य है। व्यापक रूप से किसी भी पूर्णांक a के लिए a + (- a) = (- a) + a = 0; इस प्रकार – a का ऋणात्मक a है और a का ऋणात्मक – a है।

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