कक्षा 7 हिंदी वसंत अध्याय 13 वीर कुँवर सिंह के प्रश्न उत्तर
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 हिंदी वसंत अध्याय 13 वीर कुँवर सिंह के प्रश्न उत्तर और अभ्यास के लिए अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। 7वीं कक्षा में हिंदी पाठ 13 के प्रश्न उत्तर सीबीएसई के साथ-साथ राजकीय बोर्ड के विद्यार्थियों के लिए भी बहुत उपयोगी हैं।
कक्षा 7 हिंदी वसंत अध्याय 13 वीर कुँवर सिंह के प्रश्न उत्तर
वीर कुंवर सिंह के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया?
वीर कुंवर अत्यंत वीर और साहसी योद्धा थे।
देशभक्ति और स्वाधीनता उनके अन्दर कूट-कूट कर भरी थी।
भारत को अंग्रजों की दासता से मुक्ति दिलाने की उन्होंने प्रतिज्ञा ले रखी थी ।
निर्धन होने पर भी वे गरीबों की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहते थे।
साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए वे किसी भी हद तक प्रयासरत थे।
आपने भी कोई मेला देखा होगा। सोनपुर के मेले और इस मेले में आप क्या अंतर पाते हैं?
सोनपुर का मेला 1857 के समय के मेले के बारे में बताता है। उस समय के मेले में जानवरों की खरीद-फरोख्त होती थी और पुराने जमाने के झूले हुआ करते थे। आजकल के मेलों में जगमगाहट, नए-नए झूले और खाने-पीने का काफी सामान मिलता है।
कुंवर सिंह को बचपन में किन कामों में मजा आता था? क्या उन्हें उन कामों से स्वतंत्राता सेनानी बनने में कुछ मदद मिली?
बचपन से ही कुंवर सिंह को पढ़ाई -लिखाई के अलावा कुश्ती, तलवारबाजी और घुड़सवारी का शौक था। उनकी इन्हीं आदतों ने उन्हें स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने में काफी मदद की। वृद्धावसथा में उनका कुश्ती लड़ना काम आया और तलवारबाजी तथा घुड़सवारी के दम पर उन्होंने अंग्रेजों को परास्त किया।
सांप्रदायिक सद्भाव में कुंवर सिंह की गहरी आस्था थी। पाठ के आधार पर कथन की पुष्टि कीजिए।
कुंवर सिंह की साम्प्रदायिक सद्भाव में गहरी आस्था थी। वे हिन्दू और मुसलमान दोनों में समानता रखते थे। इसीलिए उन्होने इब्राहीम और किफायत हुसैन जैसे वीर मुसलमानों को अपनी सेना में उच्च पदों पर नियुक्त किया। उनके यहाँ दोनों के त्योहार आपस में मेलजोल के साथ मनाए जाते थे।
पाठ के किन प्रसंगों से आपको पता चलता है कि कुंवर सिंह साहसी, उदार एवं स्वाभिमानी व्यक्ति थे?
कुंवर सिंह एक उदार और साहसी वयक्ति थे यह कुछ प्रसंगों से सिद्ध हो जाता है। उन्होंने जगदीशपुर को हार जाने के बाद भी संघर्ष जारी रखा और उस पर विजय प्राप्त करके ही दम लिया । आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाने के बाद भी उन्होने गरीबों की सहायता करना नहीं छोड़ा और और अपने तथा देश के स्वाभिमान के लिए वे अंग्रजों से आजादी के लिए संघर्ष करते रहे।
आमतौर पर मेले मनोरंजन, खरीद फरोख्त एवं मेलजोल के लिए होते हैं। वीर कॅुवर सिंह ने मेले का उपयोग किस रूप में किया?
मेला मोरंजन के लिए एक उत्तम साधन है पर हर व्यक्ति अपने हिसाब से हर जगह का उपयोग करता है और कुंवर सिंह ने मेले को अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की योजना बनाने के लिए प्रयोंग किया। मेले में पशुओं की खरीद-फरोख़्त होती थी और उसमें विद्रोही क्रांन्तिकारी भी आते थे इसलिए उनसे वहाँ पर गुप्त योजनाएं बनाना आसान था।
सन् 1857 के आंदोलन में भाग लेने वाले किन्हीं चार सेनानियों पर दो-दो वाक्य लिखिए।
सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के चार मुख्य सेनानी इस प्रकार थे:
मंगल पांडे – मंगल पांडे अंग्रजों की सेना में एक सिपाही था उसके अन्दर अंग्रजों के प्रति गुस्सा कूट-कूट कर भरा था। उस समय कारतूस में गाय की चर्बी का उपयोग होता था। उसने उसका विरोध किया था।
रानी लक्ष्मीबाई – रानी लक्ष्मीबाई झांसी की महारानी थी। अंग्रेजो की नीति के अनुसार उनके पति की मृत्यु और कोई वारिस न होने पर झांसी को अपने राज्य में मिलाने का फैसला किया, मगर रानी ने अपने जीते जी अपनी झांसी किसी को नहीं देने की कसम खाई और अंग्रेजों से लडते़-लड़ते वीर गति को प्राप्त हो गई।
नाना साहब – नाना साहब कानपुर के राजा थे और रानी लक्ष्मीबाई को अपनी छोटी बहन मानते थे। वे भी 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों से बहादुरी से लड़े थे।
अजीमुल्लाह खान – ये नाना साहब के कानूनी सलाहकार थे और परम देषभक्त तथा वीर योद्धा थे। ये अंग्रजों के साथ लड़ते-लड़ते अंग्रेजों के हाथों पकड़े गए थे।