एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 9 चिड़िया
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 9 चिड़िया में कवि आर.सी. प्रसाद सिंह ने चिड़िया के माध्यम से प्रेम, प्रीति और स्वतंत्रता का संदेश दिया है। कविता हमें सिखाती है कि पक्षी मिल-जुलकर रहते हैं, मेहनत से पाते हैं और संतोषी होते हैं। उनके जीवन में न लोभ है, न पाप। कवि संदेश देते हैं कि मनुष्य को भी पक्षियों से सीखकर प्रेम, सहयोग और स्वच्छंदता अपनानी चाहिए। यही कविता का मुख्य भाव है।
कक्षा 7 हिंदी मल्हार पाठ 9 के MCQ
कक्षा 7 मल्हार के सभी प्रश्न-उत्तर
चिड़िया कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 9 के प्रश्न उत्तर
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मेरी समझ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
1. कविता के आधार पर बताइए कि इनमें से कौन-सा गुण जीवन में नहीं पाया जाता है?
• प्रेम-प्रीति
• मिल-जुलकर रहना
• लोभ और पाप
• निर्भय विचरण
उत्तर देखें★ लोभ और पाप
2. “सब मिल-जुलकर रहते हैं, सब मिल-जुलकर खाते हैं” कविता की यह पंक्ति किन भावों की ओर संकेत करती है?
• असमानता और विभाजन
• प्रतिस्पर्धा और संघर्ष
• समानता और एकता
• स्वार्थ और ईर्ष्या
उत्तर देखें★ समानता और एकता
3. “वे कहते हैं, मानव! सीखो, तुम हमसे जीना जग में” कविता में पक्षी मनुष्य से कैसा जीवन जीने के लिए कहते हैं?
• आकाश में उड़ते रहना
• बंधन में रहना
• स्वच्छंद रहना
• संघर्ष करना
उत्तर देखें★ स्वच्छंद रहना
(ख) अब अपने मित्रों के साथ मिलकर चर्चा कीजिए और कारण बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर देखेंचर्चा और कारण:
1. कविता के आधार पर जीवन में कौन-सा गुण नहीं पाया जाता है?
हमने “लोभ और पाप” चुना क्योंकि कविता में साफ कहा गया है कि पक्षियों के मन में लोभ और पाप नहीं होता। वे न दूसरों का अन्न छीनते हैं और न ही किसी का हक मारते हैं। इसीलिए यह गुण उनके जीवन में नहीं पाया जाता।
2. “सब मिल-जुलकर रहते हैं, सब मिल-जुलकर खाते हैं” पंक्ति का भाव
हम सबने सोचा कि यहाँ “समानता और एकता” का भाव आता है। क्योंकि कविता में कहा गया है कि जंगल के सारे पक्षी – कबूतर, कोयल, हंस, तोता – सब साथ रहते हैं और मिलकर खाते हैं। इसमें न कोई ऊँच-नीच है और न ही झगड़ा।
3. “मानव! सीखो, तुम हमसे जीना जग में” पंक्ति का संदेश
हमने “स्वच्छंद रहना” सही माना क्योंकि पक्षी स्वतंत्र होकर गगन में उड़ते हैं, उन्हें कोई बंधन नहीं रोकता। वे बंधन में रहना या संघर्ष करते रहना नहीं सिखाते, बल्कि स्वतंत्र और खुशहाल जीवन जीने की शिक्षा देते हैं।
इस तरह चर्चा करने पर हमें लगा कि कविता का असली संदेश है – प्रेम, एकता, मिल-जुलकर रहना और स्वतंत्र जीवन जीना।
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मिलकर करें मिलान
कविता में से चुनकर कुछ संदर्भ नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर बातचीत कीजिए और इन्हें इनके सही भावों से मिलाइए। इनके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने परिजनों और शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
संदर्भ | भाव |
---|---|
1. चिड़िया की बोली | 1. बंदन और लालच |
2. सोने की कड़ियाँ | 2. श्रम और संतोष |
3. निर्भय विचरण | 3. बंधन से मुक्ति |
4. मुक्ति-मंत्र | 4. स्वतंत्रता और निर्बाध जीवन |
5. दिनभर काम | 5. प्रेम और स्वतंत्रता का संदेश |
उत्तर:
संदर्भ | भाव |
---|---|
1. चिड़िया की बोली | 5. प्रेम और स्वतंत्रता का संदेश |
2. सोने की कड़ियाँ | 1. बंदन और लालच |
3. निर्भय विचरण | 4. स्वतंत्रता और निर्बाध जीवन |
4. मुक्ति-मंत्र | 3. बंधन से मुक्ति |
5. दिनभर काम | 2. श्रम और संतोष |
पंक्तियों पर चर्चा
कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं, इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार कक्षा में अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए।
(क) “चिड़िया बेटी प्रेम-प्रीति की
रीति हमें सिखलाती है!”
उत्तर देखेंइस पंक्ति का अर्थ है कि चिड़िया अपने छोटे-से जीवन में आपसी प्रेम, सहयोग और अपनत्व का भाव सिखाती है। वह अपने बच्चों और परिवार के प्रति समर्पित रहती है और समाज को यह संदेश देती है कि जीवन का आधार प्रेम है।
(ख) “उनके मन में लोभ नहीं है,
पाप नहीं, परवाह नहीं!”
उत्तर देखेंयहाँ कवि बता रहे हैं कि पक्षियों के मन में न तो लालच होता है और न ही वे कोई बुरा काम करते हैं। वे केवल प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर सहज जीवन जीते हैं। उनकी यही निश्छलता और सरलता मनुष्य के लिए सीख है।
(ग) “सीमा-हीन गगन में उड़ते,
निर्भय विचरण करते हैं!”
उत्तर देखेंइस पंक्ति का भाव यह है कि पक्षी खुले आकाश में बिना किसी डर के उड़ते हैं। वे बंधनों से मुक्त रहते हैं और स्वतंत्रता का आनंद लेते हैं। यह हमें भी सिखाता है कि जीवन में भय और बंधनों से मुक्त होकर स्वाभाविक रूप से जीना चाहिए।
कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 9 के सोच-विचार पर आधारित प्रश्न
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सोच-विचार के लिए
नीचे कविता की कुछ पंक्तियाँ और उनसे संबंधित प्रश्न दिए गए हैं। कविता पढ़ने के बाद अपनी समझ के आधार पर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(क) “सब मिल-जुलकर रहते हैं वे, सब मिल-जुलकर खाते हैं” पक्षियों के आपसी सहयोग की यह भावना हमारे लिए किस प्रकार उपयोगी है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर देखेंपक्षियों के आपसी सहयोग की यह भावना मनुष्य के लिए कई प्रकार से उपयोगी है:
1. सामुदायिक भावना: यह हमें सिखाती है कि समाज में मिल-जुलकर रहने से ही शांति, सद्भाव और प्रगति संभव है। जब लोग एक-दूसरे का सहयोग करते हैं, तो कोई भी मुश्किल काम आसान हो जाता है।
2. संसाधनों का साझा उपयोग: पक्षी यह दिखाते हैं कि संसाधनों को आपस में बांटकर इस्तेमाल करने से किसी के पास कमी नहीं होती। मनुष्य भी यदि संसाधनों का समान वितरण और साझा उपयोग करे, तो गरीबी और असमानता कम हो सकती है।
3. संघर्ष-मुक्त जीवन: आपसी सहयोग से कलह और लड़ाई-झगड़े कम होते हैं, जिससे एक शांतिपूर्ण और सुरक्षित वातावरण बनता है। यह हमें सिखाता है कि प्रतिस्पर्धा की बजाय सहयोग से अधिक लाभ होता है।
4. खुशी और संतुष्टि: मिल-जुलकर काम करने और रहने से मानसिक संतुष्टि मिलती है और जीवन में खुशी बढ़ती है।
(ख) “जो मिलता है, अपने श्रम से उतना भर ले लेते हैं” पक्षी अपनी आवश्यकता भर ही संचय करते हैं। मनुष्य का स्वभाव इससे भिन्न कैसे है?
उत्तर देखेंपक्षी अपनी आवश्यकता के अनुसार ही अपने श्रम से उतना लेते हैं जितने की उन्हें ज़रूरत होती है, और वे अनावश्यक संचय नहीं करते। उनका स्वभाव संतोषी होता है।
मनुष्य का स्वभाव इससे भिन्न होता है क्योंकि:
1. संचय की प्रवृत्ति: मनुष्य अक्सर अपनी आवश्यकता से अधिक संचय करने की प्रवृत्ति रखता है, चाहे उसे उसकी तत्काल ज़रूरत हो या न हो। यह भविष्य की असुरक्षा या लोभ के कारण हो सकता है।
2. अधिक पाने की चाह: मनुष्य में अक्सर ‘और अधिक’ पाने की असीमित इच्छा होती है, जो उसे लालची बना सकती है। वह दूसरों का हिस्सा भी हड़पने की कोशिश कर सकता है।
3. स्वार्थपरता: कई बार मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए दूसरों के अधिकारों का हनन करता है और केवल अपने लिए इकट्ठा करने पर ध्यान केंद्रित करता है, जिससे समाज में असमानता और संघर्ष बढ़ता है।
4. प्रकृति का शोषण: असीमित संचय की चाहत मनुष्य को प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक शोषण करने पर मजबूर करती है, जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है।
(ग) “हम स्वच्छंद और क्यों तुमने, डाली है बेड़ी पग में?” पक्षी को स्वच्छंद और मनुष्य को बेड़ियों में क्यों बताया गया है?
उत्तर देखेंपक्षी को स्वच्छंद (स्वतंत्र) बताया गया है क्योंकि:
1. वे बिना किसी रोक-टोक के आसमान में उड़ते हैं और कहीं भी विचरण कर सकते हैं।
2. उनके मन में लोभ, पाप या दूसरों का हड़पने की भावना नहीं होती।
3. वे अपनी मेहनत से प्राप्त करते हैं और आवश्यकता से अधिक का संचय नहीं करते, जिससे वे किसी भी प्रकार के बंधन से मुक्त रहते हैं।
4. वे प्रकृति के नियमों के अनुसार जीवन जीते हैं, किसी भौतिक या सामाजिक बंधन में नहीं बंधते।
मनुष्य को बेड़ियों में बताया गया है क्योंकि:
1. लोभ और स्वार्थ: मनुष्य लोभ, मोह, ईर्ष्या, और स्वार्थ जैसी भावनाओं में बंधा हुआ है। ये भावनाएँ उसे मानसिक रूप से परतंत्र बनाती हैं।
2. सामाजिक बंधन: मनुष्य समाज द्वारा बनाए गए नियमों, रीति-रिवाजों, अपेक्षाओं और जिम्मेदारियों के जाल में फँसा रहता है।
3. धन और संपत्ति का बंधन: धन-दौलत कमाने और उसे संचय करने की होड़ उसे लगातार परिश्रम और तनाव में रखती है, जिससे वह अपनी स्वतंत्रता खो देता है।
4. अहंकार और भय: मनुष्य अहंकार, पद-प्रतिष्ठा के मोह और भविष्य के भय से भी बंधा रहता है, जो उसे स्वच्छंदता से जीने नहीं देता।
कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 9 के कल्पना पर आधारित प्रश्न उत्तर
अनुमान और कल्पना से
अपने समूह में मिलकर संवाद कीजिए—
1. चिड़िया मनुष्य को स्वतंत्रता का संदेश देती है, आपके अनुसार मनुष्य के पास किन कार्यों को करने की स्वतंत्रता है और किन कार्यों को करने की स्वतंत्रता नहीं है?
उत्तर देखेंमनुष्य को सही और अच्छे कार्य करने की स्वतंत्रता है, जैसे- शिक्षा प्राप्त करना, अपने विचार व्यक्त करना, किसी भी धर्म का पालन करना, अपने जीवन को अपनी इच्छानुसार जीना और दूसरों की मदद करना। परंतु उसे ऐसे कार्य करने की स्वतंत्रता नहीं है, जिनसे समाज, प्रकृति या किसी व्यक्ति को हानि पहुँचे। चोरी, हिंसा, झूठ, भ्रष्टाचार और दूसरों के अधिकारों का हनन करना स्वतंत्रता नहीं बल्कि बंधन और अपराध हैं। सच्ची स्वतंत्रता जिम्मेदारी के साथ ही सार्थक होती है।
2. चिड़िया और मनुष्य का जीवन एक-दूसरे से कैसे भिन्न है?
उत्तर देखेंचिड़िया और मनुष्य का जीवन कई दृष्टियों से भिन्न है। चिड़िया का जीवन सरल, सहज और प्राकृतिक होता है। वह खुली हवा में उड़ती है, घोंसला बनाकर रहती है और बिना लोभ-लालच के जीवन जीती है। इसके विपरीत मनुष्य का जीवन जटिल है, जिसमें सुख-दुःख, इच्छाएँ और महत्वाकांक्षाएँ जुड़ी रहती हैं। मनुष्य विज्ञान, समाज और संस्कृति के सहारे आगे बढ़ता है, परंतु उसके जीवन में प्रतिस्पर्धा, लोभ और भय भी होते हैं। इस तरह चिड़िया का जीवन सहज स्वतंत्रता का और मनुष्य का जीवन जिम्मेदारियों से भरा हुआ है।
3. चिड़िया कहीं भी अपना घर बना सकती है, यदि आपके पास चिड़िया जैसी सुविधा हो तो आप अपना घर कहाँ बनाना चाहोगे और क्यों?
उत्तर देखेंअगर मेरे पास चिड़िया जैसी सुविधा होती तो मैं अपना घर किसी शांत प्राकृतिक जगह, जैसे- हरे-भरे पेड़ों से घिरे बगीचे या नदी के किनारे बनाना चाहता। वहाँ ताज़ी हवा, शांति और स्वच्छ वातावरण मिलता, जिससे मन को सुकून मिलता और प्रकृति से निकटता बनी रहती। ऐसे स्थान पर रहने से न केवल जीवन आनंदमय होता बल्कि स्वास्थ्य भी अच्छा रहता। वहाँ प्रदूषण और शोरगुल से दूर रहकर स्वतंत्रता का अनुभव किया जा सकता है।
4. यदि आप चिड़िया की भाषा समझ सकते तो आप चिड़िया से क्या बातें करते?
उत्तर देखेंअगर मैं चिड़िया की भाषा समझ पाता तो सबसे पहले उससे उसके जीवन के अनुभवों के बारे में पूछता—आकाश में उड़ने का आनंद कैसा होता है, खुले वातावरण में बिना बंधन के जीने का सुख कैसा लगता है। मैं उससे यह भी जानना चाहता कि वह अपने बच्चों को कैसे सिखाती है और बिना किसी चिंता के रोज़ नए-नए स्थानों पर जाकर जीवन कैसे जीती है। साथ ही, मैं उससे यह सीखने की कोशिश करता कि सादगी और स्वतंत्रता से भरा जीवन कितना सुंदर हो सकता है।
कविता की रचना
“सब मिल-जुलकर रहते हैं वे
सब मिल-जुलकर खाते हैं”
रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए। इन में शब्द लिखने-बोलने में एक जैसे हैं। इस तरह की शैली प्रायः कविता में आती है। अब आप सब मिल-जुलकर नीचे दी गई कविता को आगे बढ़ाइए—
उत्तर देखेंसब मिल-जुलकर गाते हैं,
सब मिल-जुलकर नाचते हैं।
सब मिल-जुलकर हँसते हैं,
सब मिल-जुलकर बाँटते हैं।
प्रेम-स्नेह का साथ लिए,
जीवन को सुखमय करते हैं।
सब मिल-जुलकर रहते हैं,
जग को सुंदर बनाते हैं।
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भाषा की बात
“पीपल की ऊँची डाली पर
बैठी चिड़िया गाती है!
तुम्हें ज्ञात क्या अपनी
बोली में संदेश सुनाती है?”
रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए। ‘गाती’ और ‘सुनाती’ रेखांकित शब्दो से चिड़िया के गाने और सुनाने के कार्य का बोध होता है। वे शब्द जिनसे कार्य करने या होने का बोध होता है, उन्हें क्रिया कहते हैं। कविता में ऐसे क्रिया शब्दों को ढूँढ़कर लिखिए और उनसे नए वाक्य बनाइए।
उत्तर देखेंकविता में से क्रिया शब्द और उनसे बने नए वाक्य इस प्रकार हैं:
1. गाती है
वाक्य: मेरी माँ बहुत सुंदर गाती है।
2. सुनाती है
वाक्य: दादी रोज़ रात को कहानियाँ सुनाती है।
3. करते हैं
वाक्य: हम सब मिलकर काम करते हैं।
4. खाते हैं
वाक्य: बच्चे फल और सब्जियां खाते हैं।
5. जाते हैं
वाक्य: हम रोज़ स्कूल जाते हैं।
6. बसाते हैं
वाक्य: शहरों में हर साल बहुत से लोग नए घर बसाते हैं।
7. काम करते
वाक्य: किसान दिन भर खेतों में काम करते हैं।
8. सो जाते हैं
वाक्य: थके हुए यात्री बस में ही सो जाते हैं।
भावों की बात
(क) जब आप नीचे दिए गए दृश्य देखते हैं तो आपको कैसा महसूस होता है? अपने उत्तर के कारण भी सोचिए और बताइए आप नीचे दिए गए भावों में से शब्द चुन सकते हैं। आप किसी भी दृश्य के लिए एक से अधिक शब्द भी चुन सकते हैं।
दृश्य | भाव |
---|---|
1. आपको कहीं से किसी पक्षी के चहचहाने की आवाज सुनाई देती है। | |
शाम के समय किसी पेड़ पर अनगिनत पक्षी एक साथ चहचहा रहे हैं। | |
कोई गाय अपने बच्चे को दूध पिला रही है। | |
कोई व्यक्ति अपने वाहन की खिड़की से कूड़ा बाहर फेंक देता है। | |
कोई बच्चा किसी व्यर्थ कागज़ को कूड़ेदान में डाल देता है। | |
कोई व्यक्ति बिना हेलमेट पहने बहुत तेज बाइक चला रहा है। | |
दो प्राणी आपस में कारण लड़ रहे है। | |
एक व्यक्ति जिसके पैर नहीं है, वह विशेष रूप से बनाई गई तिपहिया गाड़ी पर यात्रा कर रहा है। | |
किसी स्थान पर नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए भारती (ब्रेल) लिपि में सूचनाओं के बोर्ड लगे है। | |
कोई व्यक्ति किसी को अपशब्द कह रहा है। | |
कोई व्यक्ति किसी ज़रूरतमंद भूखे को भोजन दे रहा है। | |
कोई लड़का स्वादिष्ट भोजन बनाकर अपनी बहन को खिला रहा है। |
उत्तर:
दृश्य | भाव |
---|---|
1. आपको कहीं से किसी पक्षी के चहचहाने की आवाज सुनाई देती है। | शांति, आनंद, सुख |
शाम के समय किसी पेड़ पर अनगिनत पक्षी एक साथ चहचहा रहे हैं। | आनंद, शांति, आश्चर्य |
कोई गाय अपने बच्चे को दूध पिला रही है। | ममता, प्रेम, दया |
कोई व्यक्ति अपने वाहन की खिड़की से कूड़ा बाहर फेंक देता है। | घृणा, क्रोध, निराशा |
कोई बच्चा किसी व्यर्थ कागज़ को कूड़ेदान में डाल देता है। | संतुष्टि, आत्मविश्वास, आभार |
कोई व्यक्ति बिना हेलमेट पहने बहुत तेज बाइक चला रहा है। | डर, चिंता |
दो प्राणी आपस में कारण लड़ रहे है। | क्रोध, दुख, निराशा |
एक व्यक्ति जिसके पैर नहीं है, वह विशेष रूप से बनाई गई तिपहिया गाड़ी पर यात्रा कर रहा है। | वीरता, उत्साह, आत्मविश्वास, आश्चर्य |
किसी स्थान पर नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए भारती (ब्रेल) लिपि में सूचनाओं के बोर्ड लगे है। | आभार, सहानुभूति, प्रेम, दया |
कोई व्यक्ति किसी को अपशब्द कह रहा है। | क्रोध, घृणा, निराशा |
कोई व्यक्ति किसी ज़रूरतमंद भूखे को भोजन दे रहा है। | प्रेम, दया, करुणा, आभार, संतुष्टि |
कोई लड़का स्वादिष्ट भोजन बनाकर अपनी बहन को खिला रहा है। | प्रेम, ममता, आनंद |
( ख) उपर्युक्त भावों में से आप कौन-से भाव कब-कब अनुभव करते हैं? भावों के नाम लिखकर उन स्थितियों के लिए एक-एक वाक्य लिखिए।
उत्तर देखेंभाव और उनके अनुभव:
1. प्रेम – जब मैं अपने दोस्तों के साथ खेलता हूँ तो मुझे प्रेम का भाव अनुभव होता है।
2. वीरता – जब मैं किसी कठिन सवाल को हल कर लेता हूँ, तो मुझे वीरता का भाव आता है।
3. दया – जब मैं किसी घायल जानवर को देखता हूँ, तो मेरे मन में दया का भाव आता है।
4. करुणा – किसी गरीब को भूखा देखकर मुझे करुणा का भाव होता है।
5. क्रोध – जब कोई कक्षा में बार-बार शोर करता है, तो मुझे क्रोध आता है।
6. ईर्ष्या – जब मेरा दोस्त मुझसे ज़्यादा अंक लाता है, तो मुझे थोड़ी ईर्ष्या होती है।
7. आनंद – जब मैं छुट्टियों में गाँव जाता हूँ, तो मुझे बहुत आनंद आता है।
8. डर – अँधेरे में अकेले चलते समय मुझे डर लगता है।
9. घृणा – जब कोई सड़क पर गंदगी फैलाता है, तो मुझे घृणा आती है।
10. आश्चर्य – जब मैं पहली बार समुद्र देखता हूँ, तो मुझे बहुत आश्चर्य होता है।
11. ममता – जब मेरी माँ मुझे प्यार से पढ़ाती है, तो मुझे ममता का भाव मिलता है।
12. शांति – जब मैं बगीचे में बैठकर पक्षियों की आवाज़ सुनता हूँ, तो मुझे शांति मिलती है।
13. सुख – जब मुझे नया खिलौना मिलता है, तो मुझे सुख का अनुभव होता है।
14. दुख – जब मेरा कोई प्रिय दोस्त बीमार होता है, तो मुझे दुख होता है।
15. गर्व – जब मेरी कविता स्कूल की पत्रिका में छपती है, तो मुझे गर्व होता है।
16. निराशा – जब मेरी मेहनत के बाद भी अच्छे अंक नहीं आते, तो मुझे निराशा होती है।
17. आभार – जब कोई दोस्त मुझे अपनी किताब उधार देता है, तो मैं आभार प्रकट करता हूँ।
18. उत्साह – जब स्कूल में खेलकूद प्रतियोगिता होती है, तो मैं उत्साह से भर जाता हूँ।
19. चिंता – जब परीक्षा नज़दीक आती है, तो मुझे चिंता होती है।
20. आत्मविश्वास – जब मैं मंच पर कविता सुनाता हूँ, तो मुझे आत्मविश्वास मिलता है।
21. सहानुभूति – जब कोई मित्र गिरकर चोट खाता है, तो मैं सहानुभूति जताता हूँ।
22. उदासीनता – जब मुझे किसी बात में रुचि नहीं होती, तो मैं उदासीन हो जाता हूँ।
23. शंका – जब शिक्षक नया विषय समझाते हैं और मुझे ठीक से समझ नहीं आता, तो मुझे शंका होती है।
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आज की पहेली
कविता में आपने कई पक्षियों के नाम पढ़े। अब आपके सामने पक्षियों से जुड़ी कुछ पहेलियाँ दी गई हैं। पक्षियों को पहचानकर सही चित्रों के साथ रेखा खींचकर जोड़िए—
उत्तर:
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चित्र की बात
इन तीनों चित्रों को ध्यान से देखिए और बताइए—
आप पक्षियों को इनमें से कहाँ देखना पसंद करेंगे और क्यों?
उत्तर देखेंइन तीनों चित्रों में पक्षी अलग-अलग जगह दिख रहे हैं। पहले चित्र में वे ऊँची-ऊँची इमारतों के बीच उड़ रहे हैं,
दूसरे चित्र में एक पक्षी पिंजरे में बंद है और तीसरे चित्र में पक्षी हरे-भरे पेड़ के भीतर बसे अपने घोंसले में हैं।
मुझे पक्षियों को तीसरे चित्र वाली जगह अर्थात हरे-भरे पेड़ों और घोंसले में देखना ज़्यादा अच्छा लगता है, क्योंकि वहाँ वे आज़ाद रहते हैं, अपने परिवार के साथ सुरक्षित होते हैं और स्वच्छंद जीवन जीते हैं। पिंजरे में पक्षी दुखी रहते हैं और इमारतों के बीच उनके लिए उतनी खुली जगह और शांति नहीं मिलती जितनी जंगल और पेड़ों में।
निर्भय विचरण
“सीमा-हीन गगन में उड़ते,
निर्भय विचरण करते हैं”
कविता की इन पंक्तियों को पढ़िए और इन चित्रों को देखिए। इन चित्रों को देखकर आपके मन में क्या विचार आ रहे हैं?
उत्तर देखेंमेरे विचार: इन चित्रों को देखकर मेरे मन में यह विचार आता है कि जानवर और पक्षी असली आज़ादी में ही खुश रहते हैं। कविता की पंक्तियों “सीमा-हीन गगन में उड़ते, निर्भय विचरण करते हैं” की तरह पक्षी आकाश में स्वतंत्र होकर उड़ते हैं और आनंद से जीते हैं। लेकिन चित्रों में जानवर पिंजरे में कैद दिखाए गए हैं।
जंगल में जब शेर और भालू खुले वातावरण में घूमते हैं, तो वे निर्भय और स्वाभाविक जीवन जीते हैं। इसके विपरीत चिड़ियाघर में कैद बंदर और शेर उदास और मजबूर नज़र आते हैं। उन्हें अपनी मर्जी से घूमने और रहने की आज़ादी नहीं मिलती।
इन चित्रों से मुझे यही सीख मिलती है कि जैसे हम इंसान स्वतंत्रता चाहते हैं, वैसे ही जानवरों और पक्षियों को भी खुला जीवन मिलना चाहिए।
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साथ-साथ
वन में जितने पंछी हैं, खंजन,
कपोत, चातक, कोकिल;
काक, हंस, शुक आदि वास
करते सब आपस में हिलमिल!”
1. वन में सारे पक्षी एक साथ रह रहे हैं। हमारे पर्यावरण में भी पशु-पक्षी साथ रहते हैं। आप विचार कीजिए कि हमारे पर्यावरण में उनका रहना क्यों आवश्यक है?
उत्तर देखेंहमारे पर्यावरण में पशु-पक्षियों का रहना बहुत आवश्यक है क्योंकि वे प्रकृति के संतुलन को बनाए रखते हैं। पक्षी बीज फैलाकर पेड़ों-पौधों को बढ़ने में मदद करते हैं, कीटों को खाते हैं और खेती की रक्षा करते हैं। पशु जंगल और खेतों की उर्वरता बनाए रखते हैं। यदि ये न हों तो प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाएगा और जीवन कठिन हो जाएगा। इसलिए पशु-पक्षियों का अस्तित्व हमारे लिए उतना ही ज़रूरी है जितना स्वच्छ हवा और पानी।
2. हम अपने आस-पास रहने वाले पशु-पक्षियों की सहायता कैसे कर सकते हैं?
उत्तर देखेंहम अपने आस-पास रहने वाले पशु-पक्षियों की सहायता कई तरीकों से कर सकते हैं। गर्मियों में उनके लिए पानी के बर्तन और दाना रखना चाहिए। घायल पक्षियों या पशुओं की देखभाल करनी चाहिए और उन्हें उपचार दिलाना चाहिए। पेड़-पौधे लगाकर हम उनके लिए घर और भोजन की व्यवस्था कर सकते हैं। साथ ही, उनके साथ दया और संवेदना का व्यवहार करना चाहिए और उन्हें नुकसान पहुँचाने वाले कामों से बचना चाहिए। इस तरह हम उनका जीवन सुरक्षित और सुखद बना सकते हैं।
शब्द एक अर्थ अनेक
“उनके मन में लोभ नहीं है”। इस पंक्ति में ‘मन’ का अर्थ ‘चित्त’ (बुद्धि) है, किंतु ‘मन’ शब्द के अन्य अर्थ भी हो सकते हैं। अब नीचे कुछ और पंक्तियाँ दी गई हैं, उन्हें भी पढ़िए—
(क) आज मेरा मन पहाड़ों पर जाने का कर रहा है।
(ख) व्यापारी ने किसान से 10 मन अनाज खरीदा।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘मन’ शब्द का प्रयोग अलग-अलग अर्थों/संदर्भों में किया गया है। इस प्रकार हम देखते हैं कि एक ही शब्द दूसरे संदर्भ में अलग-अलग अर्थ दे रहा है। आइए, इससे संबंधित एक और रोचक उदाहरण देखते हैं—
“मंगल ने मंगल से कहा कि मंगल का मंगल पर मंगल होगा!”
आगे कुछ और ऐसे ही शब्द दिए गए हैं। दिए गए शब्दों का अलग-अलग अर्थ या संदर्भों में प्रयोग कीजिए—
(क) कर ________________________
उत्तर देखेंकर – उसने सबके सामने हाथ जोड़ कर क्षमा माँगी।
कर – (टैक्स/लगान) सरकार ने आय पर नया कर लगाया है।
कर – (क्रिया का एक रूप – करना) यह काम सब मिल-जुल कर कर सहते है।
(ख) जल ________________________
उत्तर देखेंजल – जल (पानी): गिलास में ठंडा जल भर दो।
जल (जलना – क्रिया का एक रूप): आग में लकड़ी जल गई।
(ग) अर्थ ________________________
उत्तर देखेंअर्थ – अर्थ (मतलब/तात्पर्य): इस शब्द का अर्थ क्या है?
अर्थ (धन/पैसा): उसने अपने अर्थ से एक नया घर खरीदा।
अर्थ (प्रयोजन/उद्देश्य): इस कार्य के पीछे कोई बड़ा अर्थ है।
(घ) फल ________________________
उत्तर देखेंफल – फल (खाने योग्य): मुझे मीठे फल खाना पसंद है।
फल (परिणाम): मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है।
फल (किसी कार्य का परिणाम/नतीजा): उसके कुकर्मों का फल उसे भुगतना पड़ेगा।
(ड़) आम ________________________
उत्तर देखें(ड़) आम – आम (एक फल): गर्मियों में आम बहुत स्वादिष्ट लगते हैं।
आम (सामान्य/साधारण): यह एक आम बात है, इसमें घबराने की कोई ज़रूरत नहीं।
आम (जनता): आम जनता ने सरकार के फैसले का स्वागत किया।
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रचनात्मकता
(क) खुले आसमान में, पेड़ों की टहनियों, छतों और भवनों आदि पर बैठे या उड़ते पक्षी बहुत मनमोहक लगते हैं। अपनी पसंद के ऐसे कुछ दृश्यों का कोलाज बनाकर कक्षा में प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
(ख) “स्वतंत्रता और प्रेम” का संदेश देने वाला एक पोस्टर बनाइए। इसमें इस कविता की कोई पंक्ति या संदेश भी सम्मिलित कीजिए।
उत्तर:
हमारा पर्यावरण
मनुष्य बिना सोचे-समझे जंगलों की लगातार कटाई कर रहा है, जिससे पशु-पक्षियों का जीवन प्रभावित हो रहा है। मनुष्य द्वारा किए जा रहे ऐसे कार्यों की एक सूची बनाइए, जिनसे पर्यावरण व हमारे परिवेश के पशु-पक्षियों के लिए संकट की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इस संकट की स्थिति से बचने के लिए क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं? लिखिए। आप इस कार्य में शिक्षक, इंटरनेट और पुस्तकालय की सहायता भी ले सकते हैं।
उत्तर देखेंमनुष्य द्वारा किए जा रहे कार्य जिनसे संकट उत्पन्न हो रहा है –
1. जंगलों की अंधाधुंध कटाई।
2. नदियों और जलस्रोतों का प्रदूषण।
3. शिकार और अवैध शिकार।
4. अत्यधिक औद्योगीकरण और धुआँ-धूल का फैलाव।
5. शहरीकरण के कारण पशु-पक्षियों के प्राकृतिक आवास का नष्ट होना।
6. प्लास्टिक और कचरे का अंधाधुंध उपयोग।
7. ध्वनि प्रदूषण (लाउडस्पीकर, गाड़ियों का शोर) जिससे पक्षियों का जीवन प्रभावित होता है।
✦ संकट से बचने के उपाय –
1. वृक्षारोपण करना और जंगलों की कटाई रोकना।
2. नदियों, झीलों और तालाबों को साफ रखना।
3. शिकार पर कठोर प्रतिबंध लगाना।
4. पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना।
5. पशु-पक्षियों के प्राकृतिक आवासों की रक्षा करना।
6. प्लास्टिक का प्रयोग कम करना और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना।
7. ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करना और शांति बनाए रखना।
परियोजना कार्य
(क) पर्यावरण संरक्षण के लिए हम अपने स्तर पर कुछ प्रयास कर सकते हैं। आप अपने विद्यालय, आस-पास और घरों में देखिए कि किन-किन कार्यों में प्लास्टिक के थैले का प्रयोग किया जाता है? उन कार्यों की सूची बनाइए। अब इनमें प्रयोग किए जा रहे प्लास्टिक के थैलों के विकल्पों पर विचार कीजिए और लिखिए।
उत्तर देखेंप्लास्टिक थैलों के प्रयोग की सूची
1. घर से सब्ज़ी और फल लाने में।
2. विद्यालय में टिफ़िन या कॉपी-किताब ढकने में।
3. बाज़ार से सामान (कपड़े, दवाइयाँ, किराना) लाने में।
4. दूध, दही या पैकेटबंद वस्तुओं को रखने में।
5. घर के कचरे को फेंकने में।
6. छोटी दुकानों पर ग्राहकों को सामान देने में।
✦ इनके विकल्प
1. कपड़े या जूट के थैले।
2. कागज़ के थैले।
3. टोकरी या बाँस की टोकरी।
4. धातु या काँच के डिब्बे।
5. घर का कचरा अलग-अलग डिब्बों में डालना।
6. वस्तुओं के पुन: प्रयोग योग्य कंटेनर।
यदि हम प्लास्टिक थैलों के स्थान पर पर्यावरण अनुकूल विकल्प अपनाएँ तो प्रदूषण कम होगा और पर्यावरण संरक्षण में हमारी भी भूमिका सुनिश्चित होगी।
(ख) सभी विद्यार्थी ‘पर्यावरण बचाओ’ विषय पर एक नुक्कड़ नाटक तैयार करें और उसकी प्रस्तुति विद्यालय प्रांगण में करें।
उत्तर देखेंनुक्कड़ नाटक : “पर्यावरण बचाओ”
पात्र:
• संचालक
• विद्यार्थी 1 (पेड़)
• विद्यार्थी 2 (नदी)
• विद्यार्थी 3 (पक्षी)
• विद्यार्थी 4 (मानव 1)
• विद्यार्थी 5 (मानव 2)
• समूह विद्यार्थी (गीत/नारे)
दृश्य 1 : (सभी मंच पर आते हैं)
संचालक:
मित्रों! आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं कि कैसे हमारा पर्यावरण संकट में है और हम सबको इसे बचाने की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए।
दृश्य 2 : (पेड़ और नदी प्रवेश करते हैं)
पेड़ (विद्यार्थी 1):
मैं पेड़ हूँ। छाया देता हूँ, फल देता हूँ, ऑक्सीजन देता हूँ। पर मनुष्य मुझे काट रहा है।
नदी (विद्यार्थी 2):
मैं नदी हूँ। सबको जल पिलाती हूँ। पर लोग मुझे गंदा कर रहे हैं, कचरा डाल रहे हैं।
दृश्य 3 : (पक्षी प्रवेश करता है)
पक्षी (विद्यार्थी 3):
मैं पक्षी हूँ। आकाश में उड़ता हूँ। पर पेड़ कट रहे हैं, तो मेरा घर भी छिन रहा है।
दृश्य 4 : (मानव आते हैं)
मानव 1 (विद्यार्थी 4):
अरे! पेड़ काटो, इमारत बनाओ।
मानव 2 (विद्यार्थी 5):
नदी में कचरा फेंको, हमें क्या करना!
(सभी पेड़, नदी, पक्षी उदास हो जाते हैं।)
दृश्य 5 : (संचालक आता है और सबको समझाता है)
संचालक:
यदि पेड़ नहीं रहेंगे तो हवा कहाँ से मिलेगी?
यदि नदियाँ गंदी होंगी तो पानी कैसे पिएँगे?
यदि पक्षी और जानवर नष्ट होंगे तो जीवन अधूरा रह जाएगा।
दृश्य 6 : (मानव जागरूक होते हैं)
मानव 1 और 2 (एक साथ):
हम अपनी गलती समझ गए हैं। अब पेड़ काटने के बजाय लगाएंगे, नदियाँ साफ रखेंगे और प्रकृति की रक्षा करेंगे।
अंतिम दृश्य : (सभी मिलकर नारा लगाते हैं)
सभी विद्यार्थी:
• पेड़ बचाओ, जीवन बचाओ!
• जल बचाओ, कल बचाओ!
• स्वच्छ हवा, स्वच्छ जीवन!
• पर्यावरण है जीवन आधार, इसकी रक्षा करना है सबका अधिकार!
झरोखे से
कविता में पक्षियों के ‘सीमाहीन गगन में उड़ने’ की बात कही गई है। पक्षियों का आकाश में उड़ना उद्देश्यपूर्ण है। पक्षियों की उड़ान से जुड़ी एक रोचक जानकारी आगे दी गई है। इसे पढ़कर आप पक्षियों की उड़ान से जुड़े कुछ नए तथ्यों को जान पाएँगे।
पक्षियों की प्रवास यात्राएँ
पक्षियों की प्रवास यात्राएँ सबसे विचित्र और रहस्यपूर्ण होती हैं। हर साल शरद ऋतु और शुरू जाड़ों में अनेक पक्षी एशिया, यूरोप तथा अमेरिका के उत्तरी भागों में स्थित अपने स्थानों से चलकर गरम देशों में आ जाते हैं। वसंत तथा गरमियों में वे फिर वापस उत्तर में पहुँच जाते हैं।
वे समय के इतने पक्के होते हैं कि इनके आने-जाने के एक-एक दिन की ठीक गणना की जा सकती है। हाँ, प्रतिकूल मौसम के कारण कभी देर हो जाए तो बात दूसरी है।
कुछ प्रजातियों के पक्षी थोड़ी ही दूरी पर जाते हैं। हर पक्षी थोड़ा-बहुत तो इधर-उधर जाता-आता है ही। कभी रहन-सहन के कष्टों के कारण तो कभी खाना कम हो जाने के कारण इस प्रकार का आवागमन मुख्यतः उत्तर भारत में देखने को मिलता है जहाँ पर मौसम भिन्न-भिन्न और तीव्रता लिए हुए होते हैं।
जो पक्षी ऊँचे पहाड़ों पर गरमियाँ बिताते हैं वे जाड़ों में निचली पहाड़ियों, तराई अथवा मैदानों में चले आते हैं। इस प्रकार का आवागमन भारत में बहुत अधिक पाया जाता है, जहाँ गंगा के क्षेत्र के बराबर में ही विशाल हिमालय है।
इन छोटे-छोटे वीर यात्रियों को अपनी समस्त लंबी-लंबी यात्राओं के बीच भारी कष्ट झेलने पड़ते हैं और बड़े-बड़े संकटों का सामना करना पड़ता है। कभी जंगलों, कभी मैदानों और कभी समुद्र के ऊपर से गुजरना होता है। कभी भयंकर तूफ़ान आ जाते हैं और वे अपने मार्ग से भटक जाते हैं। बहुधा वे आँधियों के थपेड़ों से समुद्र की ओर पहुँच जाते हैं और फिर एकदम नीचे पठारों में समा जाते हैं। रात को नगर का तीव्र प्रकाश इन्हें भटका देता है।
कुछ पक्षी बीच में रुक-रुक कर यात्रा करते हैं ताकि थकान न हो। कुछ ऐसे पक्षी भी हैं जो खाने और आराम करने के लिए बिना रुके लगातार बहुत लंबी-लंबी यात्राएँ पूरी कर लेते हैं। कुछ पक्षी केवल दिन में उड़ते हैं तो कुछ दिन और रात दोनों समय। किंतु अधिकतर पक्षी सूर्यास्त के बाद अपनी यात्रा पर बढ़ते जाते हैं।
पक्षी प्रायः दल बनाकर उड़ते हैं। सारस और हंस जब आकाश में ‘वी’ की आकृति में उड़ते जाते हैं तब तुरंत हमारा ध्यान उधर खिंच जाता है। अबाबील, चकिदल, फुदकी, समुद्रतटीय पक्षी तथा जलपक्षी दलों में इकट्ठे हो जाते हैं। प्रत्येक दल में एक ही प्रकार के पक्षी होते हैं। हर दल में परों की तेज फड़फड़ाहट और चहचहाहट होती है। उसके बाद वे धरती से हवा में उठ जाते हैं और आकाश को चीरते हुए आगे ही आगे बढ़ते जाते हैं।
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साझी समझ
आप इंटरनेट या किसी अन्य माध्यम की सहायता से अन्य प्रवासी पक्षियों के बारे में रोचक जानकारी एकत्रित कीजिए और प्रवासी पक्षियों पर लेख लिखिए।
उत्तर देखेंप्रवासी पक्षी : प्रकृति के अद्भुत यात्री
पक्षियों की प्रवास यात्राएँ अद्भुत और रहस्यमयी होती हैं। समय के पक्के ये पक्षी हजारों किलोमीटर की कठिन यात्रा कर विभिन्न देशों और महाद्वीपों तक पहुँच जाते हैं। भारत में भी अनेक प्रवासी पक्षी हर साल आते हैं और यहाँ की प्राकृतिक विविधता को और समृद्ध करते हैं।
✦ कुछ प्रसिद्ध प्रवासी पक्षी और उनकी विशेषताएँ
1. साइबेरियन क्रेन – ये हर साल साइबेरिया से उड़कर भारत के राजस्थान में भरतपुर अभयारण्य (केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान) पहुँचते हैं। लंबी यात्रा के बावजूद ये समय पर आते हैं।
2. बार-हेडेड गूज़ – ये हिमालय की ऊँची चोटियों के ऊपर से उड़ते हुए भारत में आते हैं। इन्हें दुनिया के सबसे ऊँचाई पर उड़ने वाले पक्षियों में गिना जाता है।
3. फ्लेमिंगो – गुजरात के कच्छ क्षेत्र में बड़ी संख्या में फ्लेमिंगो हर साल प्रवास के लिए आते हैं। इनके झुंड दृश्य को मनमोहक बना देते हैं।
4. रोसियाटरन – ये पक्षी मध्य एशिया से भारत आते हैं और यहाँ कीट-पतंगों को खाते हुए किसानों के लिए लाभकारी साबित होते हैं।
5. कॉमन टील और गीज़ – यूरोप और एशिया के ठंडे इलाकों से आकर भारत की झीलों और तालाबों में शरण लेते हैं।
✦ प्रवास का महत्व
1. पक्षियों की प्रवास यात्राएँ पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में सहायक होती हैं।
2. यह मौसम और जलवायु की स्थिति का संकेत देती हैं।
3. प्रवासी पक्षियों से पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।
4. किसान इनके कारण फसलों के कीटों से भी बचाव पाते हैं।
✦ निष्कर्ष: प्रवासी पक्षी प्रकृति के ऐसे यात्री हैं जो न केवल अपनी अद्भुत उड़ान और सहनशक्ति से हमें आश्चर्यचकित करते हैं, बल्कि पर्यावरण के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इनकी रक्षा करना और इनके आवास सुरक्षित रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।
कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 9 के मुख्य बिंदु
मुख्य बिंदु
• चिड़िया पीपल की डाली पर बैठकर गीत गाती है और प्रेम व प्रीति का संदेश देती है।
• जंगल के सभी पक्षी आपस में मिल-जुलकर रहते और खाते हैं।
• पक्षियों के जीवन में लोभ, पाप और दूसरों का हक छीनने की इच्छा नहीं होती।
• वे केवल मेहनत से मिला हुआ अन्न खाते हैं और बाकी दूसरों के लिए छोड़ देते हैं।
• चिड़िया सिखाती है कि मनुष्य को भी आपसी प्रेम, सहयोग और स्वतंत्रता से जीवन जीना चाहिए।
• कवि का संदेश है कि मनुष्य को द्वेष और लालच छोड़कर मानवता अपनानी चाहिए।
कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 9 का सारांश
कविता ‘चिड़िया’ में कवि आर.सी. प्रसाद सिंह ने चिड़िया के माध्यम से एक अच्छा संदेश दिया है। चिड़िया पीपल की डाली पर बैठकर गाती है और हमें प्रेम, प्रीति और मिल-जुलकर रहने की सीख देती है। वन के सभी पक्षी जैसे कबूतर, कोयल, हंस, तोता आदि आपस में मिलकर रहते हैं, खाते हैं और खुली आज़ादी के साथ गगन में उड़ते हैं। उनके मन में न लोभ होता है और न ही दूसरों का हक छीनने की इच्छा। वे मेहनत से जो पाते हैं, उसी में संतुष्ट रहते हैं और बाकी दूसरों के लिए छोड़ देते हैं।
कवि कहते हैं कि मनुष्य को भी चिड़ियों से सीखना चाहिए। हमें बंधनों से मुक्त होकर मानवता अपनानी चाहिए और द्वेष-भावना छोड़ देनी चाहिए। चिड़िया अपने गीत से यही सिखाती है कि आपस में प्रेम और मेल-जोल से रहकर ही जीवन सुंदर बनता है।