एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 7 वर्षा बहार

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 7 वर्षा बहार सत्र 2025-26 के अनुसार संशोधित रूप में यहाँ दिए गए हैं। इस कविता में कवि मुकुटधर पांडेय जी ने वर्षा ऋतु की सुंदरता और उल्लास का चित्रण किया है। घनघोर बादल, बिजली की चमक, झरनों का बहना और ठंडी बयार वातावरण को मनमोहक बनाते हैं। मोर नृत्य करते हैं, मेंढक गीत गाते हैं और पपीहे आनंदित होते हैं। बागों में गुलाब महकता है तथा तालाबों में जलचर प्रसन्न रहते हैं। हंस कतार बाँधकर उड़ते हैं। संपूर्ण कविता आनंद और प्रसन्नता का संदेश देती है।
कक्षा 7 हिंदी मल्हार पाठ 7 के MCQ
कक्षा 7 मल्हार के सभी प्रश्न-उत्तर

वर्षा बहार कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 7 के प्रश्न उत्तर

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मेरी समझ से

(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
(1) इस कविता में वर्षा ऋतु का कौन-सा भाव मुख्य रूप से उभर कर आता है?
• दुख और निराशा
• आनंद और प्रसन्नता
• भय और चिंता
• क्रोध और विरोध
उत्तर देखें★ आनंद और प्रसन्नता

(2) “नभ में छटा अनूठी” और “घनघोर छा रही है” पंक्तियों का उपयोग वर्षा ऋतु के किस दृश्य को व्यक्त करने के लिए गया है?
• बादलों के घिरने का दृश्य
• बिजली के गिरने का दृश्य
• ठंडी हवा के चलने का दृश्य
• आमोद छा जाने का दृश्य
उत्तर देखें★ बादलों के घिरने का दृश्य

(3) कविता में वर्षा को ‘अनूठी बहार’ कहा है क्योंकि-
• कवि वर्षा को विशेष ऋतु मानता है।
• वर्षा में सभी जीव-जंतु सक्रिय हो जाते हैं।
• वर्षा सबके लिए सुख और संतोष लाती है।
• वर्षा एक अद्भुत अनोखी प्राकृतिक घटना है।
उत्तर देखें★ वर्षा में सभी जीव-जंतु सक्रिय हो जाते हैं।
★ वर्षा सबके लिए सुख और संतोष लाती है।

(4) “सारे जगत की शोभा, निर्भर है इसके ऊपर” इस पंक्ति का क्या अर्थ है?
• प्रकृति में सभी जीव-जंतु एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
• वर्षा पृथ्वी पर हरियाली और जीवन का मुख्य स्रोत है।
• बादलों की सुंदरता से ही पृथ्वी की शोभा बढ़ती है।
• हमें वर्षा ऋतु से जगत की भलाई की प्रेरणा लेनी चाहिए।
उत्तर देखें★ वर्षा पृथ्वी पर हरियाली और जीवन का मुख्य स्रोत है।

(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर देखेंहाँ, हो सकता है कि मेरे दोस्तों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। लेकिन मैंने ये उत्तर इसलिए चुने—
► पहले प्रश्न में मैंने आनंद और प्रसन्नता चुना, क्योंकि पूरी कविता में वर्षा से सब खुश हो रहे हैं—मोर नाच रहे हैं, पपीहा गा रहा है, बगीचे महक रहे हैं। दुख या डर कहीं नहीं है।
► दूसरे प्रश्न में मैंने बादलों के घिरने का दृश्य चुना, क्योंकि पंक्ति में “नभ में छटा अनूठी” और “घनघोर छा रही है” बादलों का ही वर्णन है, न कि बिजली या हवा का।
► तीसरे प्रश्न में मैंने दो उत्तर चुने—
• वर्षा में सभी जीव-जंतु सक्रिय हो जाते हैं,
• वर्षा सबके लिए सुख और संतोष लाती है।
यह दोनों सही लगते हैं क्योंकि कविता में मेंढक, मोर, जलचर, पपीहा सब खुश हैं और इंसान भी आनंद ले रहे हैं।
► चौथे प्रश्न में मैंने वर्षा पृथ्वी पर हरियाली और जीवन का मुख्य स्रोत है चुना। अगर बारिश नहीं होगी तो न हरियाली होगी, न खेती होगी और न जीवन खुशहाल होगा।
इसलिए मैंने यही उत्तर चुने, क्योंकि ये कविता के भाव और पंक्तियों से मेल खाते हैं।

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पंक्तियों पर चर्चा

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए—
(क) “फिरते लाखो पपीहे, हैं ग्रीष्म ताप खोते
करते हैं नृत्य वन में, देखो वे मोर सारे!”
उत्तर देखें(क) “फिरते लाखो पपीहे, हैं ग्रीष्म ताप खोते
करते हैं नृत्य वन में, देखो वे मोर सारे!”
इस पंक्ति में कवि ने वर्षा ऋतु के आगमन का सुंदर चित्रण किया है। गर्मी से तपे हुए लोग और जीव-जंतु वर्षा की बूंदों से राहत पाते हैं। पपीहे वर्षा का स्वागत करते हुए पुकार रहे हैं और मोर हर्षित होकर वन में नृत्य कर रहे हैं। यह दृश्य प्रकृति की सुंदरता और उल्लास का प्रतीक है।

(ख) “चलते हैं हंस कहीं पर, बाँधे कतार सुंदर
गाते हैं गीत कैसे, लेते किसान मनहर।”
उत्तर देखेंइस पंक्ति में प्रकृति और मानव जीवन के बीच सामंजस्य दिखाया गया है। हंसों की कतार आकाश में मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करती है। उनके मधुर स्वर किसानों के हृदय को आनंदित कर देते हैं। यह चित्रण बताता है कि किसान प्रकृति के साथ जुड़कर अपने जीवन में उत्साह और उमंग पाते हैं।

मिलकर करें मिलान

कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे स्तंभ 1 में दी गई हैं, उनके भावार्थ स्तंभ 2 में दिए गए हैं। स्तंभ 1 की पंक्तियों का स्तंभ 2 की उपयुक्त पंक्तियों से मिलान कीजिए—

स्तंभ 1स्तंभ 2
1. पानी बरस रहा है, झरने भी बहे बहे हैं1. वर्षा ॠतु में तालाबों के जीव-जंतु अति प्रसन्न हैं।
2. चलती हवा है ठंडी, हिलती हैं डालियाँ सब2. वर्षा हो रही है और झरने बह रहे हैं।
3. तालों में जीव जलचर, अति हैं प्रसन्न होते3. वर्षा आने पर लाखों पपीहे गर्मी से राहत पाते हैं।
4. फिरते लाखो पपीहे, हैं ग्रीष्म ताप खोते4. हंसों की कतारें प्रकृति की सुंदरता और अनुशासन को दर्शाती हैं।
5. खिलता गुलाब कैसा, सौरभ उड़ा रहा है5. वर्षा में खिले हुए फूल जैसे गुलाब प्रकृति में सुगंध और ताजगी फैला रहे हैं।
6. चलते हैं हंस कहीं पर, बांधे कतार सुंदर6. ठंडी हवाओं के कारण पेड़ों की सभी शाखाएँ हिल रही हैं।

उत्तर:

स्तंभ 1स्तंभ 2
1. पानी बरस रहा है, झरने भी बहे बहे हैं2. वर्षा हो रही है और झरने बह रहे हैं।
2. चलती हवा है ठंडी, हिलती हैं डालियाँ सब6. ठंडी हवाओं के कारण पेड़ों की सभी शाखाएँ हिल रही हैं।
3. तालों में जीव जलचर, अति हैं प्रसन्न होते1. वर्षा ॠतु में तालाबों के जीव-जंतु अति प्रसन्न हैं।
4. फिरते लाखो पपीहे, हैं ग्रीष्म ताप खोते3. वर्षा आने पर लाखों पपीहे गर्मी से राहत पाते हैं।
5. खिलता गुलाब कैसा, सौरभ उड़ा रहा है5. वर्षा में खिले हुए फूल जैसे गुलाब प्रकृति में सुगंध और ताजगी फैला रहे हैं।
6. चलते हैं हंस कहीं पर, बांधे कतार सुंदर4. हंसों की कतारें प्रकृति की सुंदरता और अनुशासन को दर्शाती हैं।

कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 7 के सोच-विचार पर आधारित प्रश्न

सोच-विचार के लिए

कविता को एक बार पुनः ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए—
(क) कविता में कौन-कौन गीत गा रहे हैं और क्यों?
उत्तर देखेंमालिनी कविता की पंक्ति “बागों में गीत सुंदर, गाती है मालिनी अवा” से ज्ञात होता है कि मालिनी गीत गा रही है। वह संभवतः वर्षा के आगमन से बागों में आई सुंदरता और ताज़गी को देखकर प्रसन्न होकर गीत गा रही है।
मेंढक: कविता की पंक्ति “मेंढक लुभा रहे हैं, गाकर संगीत प्यारे” से पता चलता है कि मेंढक गीत गा रहे हैं। वर्षा ऋतु में मेंढक आमतौर पर प्रजनन और खुशी व्यक्त करने के लिए टर्र-टर्र की ध्वनि करते हैं, जिसे यहाँ ‘प्यारा संगीत’ कहा गया है।
हंस: कविता की पंक्ति “गाते हैं गीत कैसे, लेते किन मनहर” हंसों के संदर्भ में आती है। हंस भी वर्षा के सुहावने मौसम और जलभराव से खुश होकर मधुर ध्वनियाँ निकाल रहे हैं, जिन्हें गीत के समान बताया गया है।

(ख) “बिजली चमक रही है, बादल गरज रहे हैं”
“तालों में जीव जलचर, अति हैं प्रसन्न होते”
दी गई दोनों पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए। इनमें वर्षा के दो अलग-अलग दृश्य दर्शाए गए हैं। इन दोनों में क्या कोई अंतर है? क्या कोई संबंध है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर देखेंइन दोनों पंक्तियों में वर्षा के दो अलग-अलग दृश्य दर्शाए गए हैं और उनमें अंतर तथा संबंध दोनों हैं:
अंतर: पहली पंक्ति “बिजली चमक रही है, बादल गरज रहे हैं” वर्षा के शुरुआती और शक्तिशाली दृश्य को दर्शाती है। यह आकाशीय घटना है, जिसमें बादलों की गर्जना और बिजली की चमक के साथ वर्षा का आगमन होता है। यह दृश्य थोड़ा नाटकीय और प्रबल होता है।
दूसरी पंक्ति “तालों में जीव जलचर, अति हैं प्रसन्न होते” वर्षा के परिणामस्वरूप होने वाले प्रभाव और धरती पर जीवों की प्रतिक्रिया को दर्शाती है। यह दृश्य शांत और आनंदपूर्ण है, जहाँ वर्षा के जल से भरे तालाबों में रहने वाले जीव खुशी व्यक्त कर रहे हैं।
संबंध – इन दोनों दृश्यों में गहरा संबंध है।
“बिजली चमक रही है, बादल गरज रहे हैं” वाला दृश्य वर्षा के आगमन का कारण बनता है। यही वह क्रिया है जिससे वर्षा होती है।
“तालों में जीव जलचर, अति हैं प्रसन्न होते” वाला दृश्य वर्षा के आने का परिणाम है। वर्षा होने के बाद ही तालाबों में पानी भरता है, जिससे जीव-जंतुओं को राहत मिलती है और वे प्रसन्न होते हैं।
पहली पंक्ति वर्षा के ‘आने’ की प्रक्रिया को बताती है, जबकि दूसरी पंक्ति वर्षा के ‘आने के बाद’ के प्रभाव और आनंद को दर्शाती है। एक घटना का कारण है तो दूसरी उसका सुखद परिणाम।

(ग) कविता में मुख्य रूप से कौन-सी बात कही गई है? उसे पहचानिए, समझिए और अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर देखेंकविता ‘वर्षा-बहार’ में मुख्य रूप से वर्षा ऋतु के आगमन से प्रकृति और जीवों में होने वाले आनंद, उत्साह और सौंदर्य की बात कही गई है।
इसे ऐसे समझा जा सकता है:
प्रसन्नता और उल्लास: कविता में बताया गया है कि वर्षा ऋतु सबके मन को लुभाती है। बच्चे, जीव-जंतु, पेड़-पौधे सभी वर्षा से प्रफुल्लित हो जाते हैं। मोर नृत्य करते हैं, मेंढक गाते हैं, और तालाबों में जलचर प्रसन्न होते हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य: बादलों की अनोखी छटा, बिजली की चमक, बादलों की गर्जना, झरने का बहना, ठंडी हवा का चलना, बागों में फूलों का खिलना और सुगंध फैलाना – ये सभी वर्षा ऋतु में प्रकृति की अद्भुत सुंदरता को दर्शाते हैं।
जीवनदायिनी शक्ति: वर्षा को “सारे जगत की शोभा, निर्भर है इसके ऊपर” कहकर उसकी जीवनदायिनी शक्ति पर प्रकाश डाला गया है। यह ग्रीष्म के ताप को हरकर नवजीवन और हरियाली लाती है।
संक्षेप में, कविता वर्षा ऋतु के मनमोहक रूप, उससे प्रकृति और जीवों में आने वाले सकारात्मक बदलावों तथा उसके जीवनदायी महत्व को बेहद सुंदर और आनंदपूर्ण तरीके से व्यक्त करती है।

(घ) “खिलता गुलाब कैसा, सौरभ उड़ा रहा है” इस पंक्ति को पढ़कर एक खिले हुए गुलाब का सुंदर चित्र मस्तिष्क में बन जाता है। इस पंक्ति का उद्देश्य केवल गुलाब की सुंदरता को बताना है या इसका कोई अन्य अर्थ भी हो सकता है?
उत्तर देखें“खिलता गुलाब कैसा, सौरभ उड़ा रहा है” इस पंक्ति को पढ़कर एक खिले हुए गुलाब का सुंदर चित्र मस्तिष्क में बन जाता है। इस पंक्ति का उद्देश्य केवल गुलाब की सुंदरता को बताना है या इसका कोई अन्य अर्थ भी हो सकता है?
इस पंक्ति का उद्देश्य केवल गुलाब की सुंदरता को बताना नहीं है, बल्कि इसका एक गहरा और व्यापक अर्थ भी है।
गुलाब की सुंदरता: निश्चित रूप से, यह पंक्ति खिले हुए गुलाब के सौंदर्य और उसकी मनमोहक सुगंध (सौरभ) का सीधा वर्णन करती है, जो वर्षा के बाद प्रकृति में आई ताज़गी और हरियाली का प्रतीक है।

(ङ) कविता में से उन पंक्तियों को चुनकर लिखिए जिनमें सकारात्मक गतिविधियों का उल्लेख किया गया है, जैसे – ‘गीत गाना’, ‘नृत्य करना’ और ‘सुगंध फैलाना’। इन गतिविधियों के आधार पर बताइए कि इस कविता का शीर्षक ‘वर्षा-बहार’ क्यों रखा गया है?
उत्तर देखेंकविता में सकारात्मक गतिविधियों का उल्लेख करने वाली पंक्तियाँ:
“करते हैं नृत्य वन में, देखो वे मोर सारे” (नृत्य करना)
“मेंढक लुभा रहे हैं, गाकर संगीत प्यारे।” (गीत गाना)
“खिलता गुलाब कैसा, सौरभ उड़ा रहा है,” (सुगंध फैलाना)
“बागों में खूब सुख से, आमोद छा रहा है।” (आनंद छाना)
“बागों में गीत सुंदर, गाती है मालिनी अवा” (गीत गाना)
“तालों में जीव जलचर, अति हैं प्रसन्न होते” (प्रसन्न होना)
“चलते हैं हंस कहीं पर, बांधे कतार सुंदर, गाते हैं गीत कैसे, लेते किन मनहर।” (गीत गाना, सुंदर गति)
इन सभी सकारात्मक गतिविधियों (नृत्य, गीत, सुगंध, आनंद, प्रसन्नता, सुंदर गति) के आधार पर इस कविता का शीर्षक ‘वर्षा-बहार’ रखा गया है। ‘बहार’ शब्द का अर्थ ही रौनक, सुंदरता, उल्लास और किसी ऋतु का चरम सौंदर्य होता है। कविता में वर्षा ऋतु के आगमन से प्रकृति और समस्त जीव-जंतुओं में जो अद्भुत रौनक, खुशी और सुंदरता आती है, उसे ही ‘बहार’ कहा गया है। यह केवल बारिश का वर्णन नहीं है, बल्कि बारिश के साथ आने वाले जीवन के उल्लास, सौंदर्य और सकारात्मकता का वर्णन है, इसलिए ‘वर्षा-बहार’ शीर्षक पूर्णतः उचित है।

कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 7 कल्पना पर आधारित प्रश्न उत्तर

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अनुमान और कल्पना से

अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए—
(क) “सारे जगत की शोभा, निर्भर है इसके ऊपर” कविता में कहा गया है कि वर्षा पर पूरे संसार की शोभा निर्भर है। वर्षा के अभाव में मानव जीवन और पशु-पक्षियों पर क्या-क्या प्रभाव पड़ सकता है?
उत्तर देखेंवर्षा के अभाव में मानव जीवन और पशु-पक्षियों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। पानी की कमी होगी, जिससे खेती-बाड़ी सूख जाएगी और खाद्य संकट उत्पन्न होगा। पेड़-पौधे मुरझा जाएँगे, जिससे वातावरण में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। पशु-पक्षियों को भोजन और पानी नहीं मिलेगा, जिससे वे प्यासे मर सकते हैं या अपने आवास छोड़कर दूसरे स्थानों पर पलायन कर सकते हैं। जैव विविधता को भी भारी नुकसान होगा।

(ख) “बिजली चमक रही है, बादल गरज रहे हैं” – बिजली चमकना और बादल का गरजना प्राकृतिक घटनाएँ हैं। इन घटनाओं का लोगों के जीवन पर क्या-क्या प्रभाव हो सकता है?
उत्तर देखेंबिजली चमकने और बादल गरजने का लोगों के जीवन पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का प्रभाव हो सकता है। सकारात्मक रूप से यह वर्षा के आगमन का संकेत देता है, जिससे गर्मी से राहत मिलती है और खेती के लिए पानी उपलब्ध होता है। नकारात्मक रूप से बिजली गिरने से जान-माल का नुकसान हो सकता है। तेज गर्जना से छोटे बच्चे और कुछ लोग डर सकते हैं। तूफानी मौसम से बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है और यात्रा में बाधा आ सकती है।

(ग) “करते हैं नृत्य वन में, देखो वे मोर सारे” – इस पंक्ति को ध्यान में रखते हुए वर्षा आने पर पक्षियों और जीवों की खुशी का वर्णन कीजिए वे अपनी प्रसन्नता कैसे व्यक्त करते होंगे?
उत्तर देखेंवर्षा आने पर पक्षी और जीव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और अपनी खुशी विभिन्न तरीकों से व्यक्त करते हैं। मोर अपने सुंदर पंख फैलाकर नृत्य करते हैं। मेंढक टर्र-टर्र की आवाज निकालकर खुशी से गाते हैं। चिड़ियाएँ चहचहाने लगती हैं और नहाने के लिए पानी में कूदती हैं। हाथी पानी में खेलते हैं और एक-दूसरे पर पानी डालते हैं। अन्य जानवर भी हरा-भरा घास चरते हैं और तालाबों व नदियों में पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं। कुल मिलाकर, वर्षा उनके लिए जीवन और नई ऊर्जा का प्रतीक होती है।

आपकी रचनाएँ

(क) कविता में वर्णित है कि मोर नृत्य कर रहे हैं और मेंढक संगीत गा रहे हैं। इस दृश्य को अपने शब्दों में चित्रित कीजिए।
उत्तर देखेंवर्षा की फुहारों ने धरती को धोकर चमका दिया है, और चारों ओर एक नई, गहरी हरियाली छा गई है। ऐसे सुहाने और प्राणवंत मौसम में, वन में मोर अपने शानदार इंद्रधनुषी पंखों को पूरी तरह फैलाकर उन्मुक्त भाव से नृत्य कर रहे हैं। उनकी केका ध्वनि (मोर की आवाज़) पूरे वातावरण में एक मधुर आह्वान की तरह गूँज रही है, जो वर्षा के आगमन की खुशी व्यक्त कर रही है। वहीं, तालों (तालाबों) के किनारों पर और हरे-भरे धान के खेतों में मेंढक भी अपनी संगीत सभा सजाए हुए हैं। वे अपनी विशिष्ट टर्र-टर्र की आवाज में जैसे कोई सुरीला संगीत गा रहे हैं, जो वर्षा के साथ आने वाले जीवन के उल्लास और प्रकृति की जीवंतता को और बढ़ा देता है। यह पूरा दृश्य प्रकृति की अद्भुत संगीतमयता और जीवंतता को दर्शाता है, जहाँ हर जीव अपनी-अपनी तरह से खुशी और कृतज्ञता व्यक्त कर रहा है।

(ख) वर्षा से जुड़ी किसी प्राचीन कथा या लोककथा को इस कविता से जोड़कर एक कहानी तैयार कीजिए।
उत्तर देखेंकहानी: “इंद्रदेव का आशीर्वाद और ग्रामवासियों की लगन”
बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव था जिसका नाम ‘हरियालीपुर’ था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से हरियालीपुर में भयंकर सूखा पड़ा था। खेत सूख गए थे, कुएँ और तालाब सूख कर बंजर हो गए थे, और पशु-पक्षी पानी की एक बूँद के लिए तरस रहे थे। गाँव के लोग उदास और निराश थे। हर दिन वे बादलों की ओर आशा भरी नज़रों से देखते, लेकिन निराशा ही हाथ लगती।
गाँव में एक बुजुर्ग दादी माँ रहती थीं, जो कहानियाँ सुनाने और पुरानी लोककथाएँ बताने के लिए जानी जाती थीं। एक दिन उन्होंने बच्चों को बुलाकर कहा, “बच्चों, हमारे पूर्वज कहते थे कि जब प्रकृति हमसे रूठ जाती है, तो उसे मनाने के लिए हमें सच्ची श्रद्धा और कर्म की आवश्यकता होती है। इंद्रदेव वर्षा के देवता हैं, और वे उन्हीं पर कृपा करते हैं जो अपने पर्यावरण का सम्मान करते हैं और एकजुट होकर काम करते हैं।”
दादी माँ ने उन्हें एक पुरानी कथा सुनाई कि कैसे एक बार इंद्रदेव रुष्ट हो गए थे, और धरती पर अकाल पड़ गया था। तब वन के सभी पक्षियों और जीवों ने मिलकर इंद्रदेव से प्रार्थना की, और पेड़ों ने अपनी हरियाली बढ़ाने की कोशिश की, भले ही वे प्यासे थे। उनकी लगन देखकर इंद्रदेव प्रसन्न हुए और वर्षा की बहार लेकर आए।
बच्चों ने दादी माँ की बात को गंभीरता से लिया। उन्होंने अपने माता-पिता से बात की और तय किया कि वे भी इंद्रदेव को मनाएंगे। गाँव के सभी लोग एकजुट हुए। उन्होंने सूखे हुए तालाबों को साफ किया, मंदिरों में जाकर प्रार्थनाएँ कीं, और संकल्प लिया कि वे भविष्य में पानी की हर बूँद का सम्मान करेंगे। उन्होंने छोटे-छोटे पौधे भी लगाए, यह जानते हुए कि उन्हें पानी मिलना मुश्किल होगा, लेकिन आशा नहीं छोड़ी।
उनकी लगन और विश्वास को देखकर, एक दिन आकाश में काले-घने बादल छा गए, बिल्कुल वैसे ही जैसे हमारी कविता ‘वर्षा-बहार’ में कहा गया है कि “नभ में छटा अनूठी, घनघोर छा रही है।” अचानक, “बिजली चमकने लगी, बादल गरजने लगे” और फिर “पानी बरसने लगा, झरने भी बहने लगे।”
वर्षा इतनी जोरदार थी कि धरती तृप्त हो गई। गाँव में खुशहाली लौट आई। “तालों में जीव जलचर, अति प्रसन्न होते” हुए नज़र आए। सबसे अद्भुत दृश्य वह था जब “करते हैं नृत्य वन में, देखो वे मोर सारे!” मोर अपने पंख फैलाकर नाच रहे थे और “मेंढक लुभा रहे थे, गाकर संगीत प्यारे।” हरियालीपुर सचमुच फिर से ‘हरियालीपुर’ बन गया था। यह वर्षा इंद्रदेव का आशीर्वाद थी, जो ग्रामवासियों की लगन और प्रकृति के प्रति उनके सम्मान के कारण आई थी। इस प्रकार, वर्षा ने न केवल पानी बल्कि खुशहाली और नवजीवन की बहार ला दी।

(ग) इस कविता से प्रेरणा लेकर एक चित्र बनाइए। आपने क्या-क्या बनाया है और क्यों?
उत्तर:

कक्षा 7 हिंदी मल्हार पाठ 7 उत्तर 1

मैंने एक जीवंत चित्र बनाया है, जो वर्षा-बहार के आनंद और सौंदर्य को दर्शाता है:
आसमान में घने बादल और उनमें से चमकती हुई बिजली की रेखा।
बरसती हुई बारिश की धाराएँ और चारों तरफ़ फैली हरियाली।
एक तालाब, जिसमें मछलियाँ और कछुए खुशी से तैर रहे हैं।
पास के जंगल में मोर नाच रहे हैं और पास ही कुछ मेंढक टर्र-टर्र गा रहे हैं।
बगीचे में खिला हुआ गुलाब, जिसकी खुशबू चारों ओर फैल रही है।
ऊपर आकाश में कतार बाँधकर उड़ते हंस।
पेड़ों की डालियों को हवा हिला रही है और नीचे बच्चे बारिश में खेलते हुए हँस रहे हैं।
मैंने यह क्यों बनाया: मैंने यह सब इसलिए बनाया क्योंकि कविता में इन्हीं दृश्यों का वर्णन है। कवि ने बताया है कि वर्षा ऋतु सबको खुश कर देती है—पक्षी, जानवर, फूल, पेड़, इंसान सभी आनंद में डूब जाते हैं। इसीलिए मेरा चित्र भी उसी खुशी और सुंदरता को दिखाता है।

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शब्द से जुड़े शब्द

अपने समूह में चर्चा करके ‘वर्षा’ से जुड़े शब्द नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में लिखिए –

कक्षा 7 हिंदी मल्हार पाठ 7 प्रश्न 2

उत्तर:

कक्षा 7 हिंदी मल्हार पाठ 7 उत्तर 2

कविता की रचना

वर्षा-बहार सब के मन को लुभा रही है”
इस पंक्ति में रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए। ‘वर्षा’ एक ऋतु का नाम है। ‘बहार’ ‘बसंत’ का दूसरा नाम है। यहाँ ‘वर्षा’ और ‘बहार’ को एक साथ दिया गया है जिससे वर्षा ऋतु की सुंदरता को स्पष्ट किया जा सके।
इस कविता में ऐसी ही अन्य विशेषताएँ छिपी हैं, जैसे – कविता की कुछ पंक्तियाँ सरल वाक्य के रूप में ही हैं तो कुछ में वाक्य संरचना सरल नहीं है।
अपने समूह के साथ मिलकर इस कविता की अन्य विशेषताओं की सूची बनाइए। अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर देखेंहमने “वर्षा-बहार” कविता की खास बातें समूह में मिलकर सोचीं और ये सूची बनाई—
कविता की विशेषताएँ (समूह द्वारा बनाई सूची):
► संयुक्त शब्दों का प्रयोग – जैसे वर्षा-बहार, जिसमें दो अलग शब्द जोड़कर एक नया भाव प्रकट किया गया है।
► चित्रात्मकता – कवि ने प्रकृति का इतना सुंदर वर्णन किया है कि पढ़ते समय आँखों के सामने दृश्य जीवित हो जाते हैं (जैसे मोर नृत्य करते हैं, मेंढक गाते हैं, हंस कतार बाँधकर उड़ते हैं)।
► ध्वनि-अनुकरण शब्द – गरज रहे हैं, गाकर संगीत प्यारे, टर्र-टर्र जैसे शब्द वातावरण की आवाज़ का सीधा अनुभव कराते हैं।
► मानवीकरण – हवा, फूल, झरना, बाग सबको ऐसे दिखाया गया है जैसे उनमें इंसानों की तरह भावनाएँ हों (जैसे बागों में गीत गाती मालिनी की आवाज़)।
► लयात्मकता – कविता की पंक्तियाँ तुकबंदी वाली हैं जिससे पढ़ने में गीत जैसा आनंद आता है।
► आनंद और प्रसन्नता का भाव – पूरी कविता में कहीं भी दुख या भय नहीं है, बल्कि हर जगह खुशी, उल्लास और जीवन का उत्सव है।
वाक्य संरचना का भेद – कुछ पंक्तियाँ बिल्कुल सरल वाक्य हैं (जैसे – पानी बरस रहा है), तो कुछ लंबी और अलंकारपूर्ण हैं (जैसे – सारे जगत की शोभा, निर्भर है इसके ऊपर)।

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कविता का सौंदर्य

(क) नीचे कविता की कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। इनमें कुछ शब्द हटा दिए गए हैं और साथ में मिलते-जुलते अर्थ वाले शब्द भी दिए गए हैं। इनमें से प्रत्येक शब्द से वह पंक्ति पूरी करके देखिए। जो शब्द उस पंक्ति में जँच रहे हैं उन पर घेरा बनाइए।
______________ बहार सब के, मन को लुभा रही है (बारिश, बरसात, बरखा, वृष्टि)
उत्तर देखेंबरखा (यह ‘बहार’ के काव्यात्मक संदर्भ में है)

_______________ में घटा अनूठी, घनघोर छा रही है (आकाश, गगन, अंबर, व्योम)
उत्तर देखेंनभ (यह दर्शाता है कि ‘नभ’ ही अभीष्ट शब्द है)

बिजली चमक रही है, ______________ गरज रहे हैं (मेघ, जलधर, घन, जलद)
उत्तर देखेंमेघ (‘गरज’ के साथ आमतौर पर प्रयोग किया जाता है)

____________ बरस रहा है, झरने भी ये बहे हैं (जल, नीर, सलिल, तोय)
उत्तर देखेंजल (एक सामान्य शब्द जो संदर्भ में फिट बैठता है)

(ख) अपने समूह में विमर्श करके पता लगाइए कि कौन-से शब्द रिक्त स्थानों में सबसे अधिक साथियों को जँच रहे हैं और क्यों?
उत्तर देखेंहमारे समूह को रिक्त स्थानों के लिए बरखा, गगन, घन और जल सबसे अधिक जँचे। इन शब्दों में काव्यात्मकता, लय और सहजता है। “बरखा” बहार और सौंदर्य से जुड़ती है, “गगन” घटा के साथ अनुप्रास बनाता है, “घन” गरज के साथ प्रचलित है और “जल” सरल व स्वाभाविक लगता है। ये शब्द अर्थ और भाव दोनों में उपयुक्त हैं।

विशेषण

“बागों में गीत सुंदर, गाती है मालिन अब”
इस पंक्ति में ‘सुंदर’ शब्द ‘गीत’ की विशेषता बता रहा है अर्थात वह ‘विशेषण’ है। ‘गीत’ एक संज्ञा शब्द है जिसकी विशेषता बनाई जा रही है, अर्थात वह ‘विशेष्य’ शब्द है।
(क) नीचे दी गई पंक्तियों में विशेषण और विशेष्य शब्दों की पहचान करके लिखिए—

कक्षा 7 हिंदी मल्हार पाठ 7 प्रश्न 3

उत्तर:

कक्षा 7 हिंदी मल्हार पाठ 7 उत्तर 3

(ख) नीचे दिए गए विशेष्यों के लिए अपने मन से विशेषण सोचकर लिखिए—
1. वर्षा ________ ________
2. पानी _______ ________
3. बादल _________ ________
4. डालियाँ __________ ________
5. गुलाब ___________ ________
उत्तर देखें
1. वर्षा: तेज, रिमझिम, सुंदर
2. पानी: स्वच्छ, ठंडा, गंदा
3. बादल: काले, घने, सफेद
4. डालियाँ: हरी, झूलती, पतली
5. गुलाब: सुंदर, लाल, खुशबूदार

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ऋतु और शब्द

“फिरते लाखो पपीहे हैं, है ग्रीष्म ताप खाते”
‘ताप’ शब्द ग्रीष्म ऋतु से जुड़ा शब्द है। भारत में मुख्य रूप से छह ऋतुएँ क्रम से आती-जाती हैं। लोग इन ऋतुओं में कुछ विशेष शब्दों का उपयोग करते हैं। नीचे दिए गए शब्दों को पढ़कर कौन-सी ऋतु का स्मरण होता है? इन शब्दों को तालिका में उपयुक्त स्थान पर लिखिए—

कक्षा 7 हिंदी मल्हार पाठ 7 प्रश्न 4

उत्तर देखें– बसंत ऋतु (सामान्यतः मार्च-अप्रैल) – बहार
ग्रीष्म ऋतु (सामान्यतः मई-जून) – धूप, लू, ताप, तपन, उमस
वर्षा ऋतु (सामान्यतः जुलाई-अगस्त) – वृष्टि , आँधी, हरियाली, सावन, रिमझिम, ठंडक, बादल फटना
शरद ऋतु (सामान्यतः सितम्बर-अक्टूबर) – शीतलता, ठंड
हेमंत ऋतु (सामान्यतः नवम्बर-दिसम्बर) – कोहरा, पाला, ओस, ठंड
शिशिर ऋतु (सामान्यतः जनवरी-फरवरी) – हिमपात, जाड़ा, ठिठुरन, कड़ाके की ठंड

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आपकी बात

(क) वर्षा के समय आपके क्षेत्र में क्या-क्या परिवर्तन आते हैं?
उत्तर देखेंवर्षा के समय हमारे क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन आते हैं। सबसे पहले, वातावरण में एक ताज़गी और हरियाली छा जाती है, जिससे आसपास का दृश्य मनमोहक हो जाता है। सूखे पेड़-पौधे जीवंत हो उठते हैं और फूलों की नई बहार आती है। तापमान में गिरावट आती है जिससे गर्मी से राहत मिलती है और हवा ठंडी तथा स्वच्छ हो जाती है। सड़कों पर पानी जमा हो जाता है, जिससे आवागमन थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन यह मौसम हमें प्रकृति से जोड़ता है।

(ख) बारिश के चलते स्कूल आने-जाने के समय के अनुभव बताइए। किसी रोचक घटना को भी साझा कीजिए।
उत्तर देखेंबारिश के दिनों में स्कूल आना-जाना अक्सर एक रोमांचक अनुभव होता है। एक बार, जब मैं स्कूल से लौट रहा था, अचानक तेज़ बारिश शुरू हो गई। मेरी छाता काम नहीं कर रही थी और मैं पूरी तरह भीग गया। लेकिन मेरे दोस्त और मैं उस बारिश में खूब नाचे-गाए। जब हम घर पहुंचे, तो हमारी माँएं परेशान थीं, पर हमें वह दिन हमेशा याद रहेगा क्योंकि हमने उस पल को पूरी तरह जिया। गीले कपड़े और ठंडी हवा के बावजूद, वह पल अविस्मरणीय था।

(ग) वर्षा ऋतु में आपको क्या-क्या अच्छा लगता है और क्या-क्या नहीं कर पाते हैं?
उत्तर देखेंवर्षा ऋतु में मुझे सबसे ज़्यादा मिट्टी की सोंधी खुशबू और रिमझिम बारिश की आवाज़ बहुत पसंद आती है। गरमा गरम पकौड़े और चाय का लुत्फ़ उठाना भी इस मौसम की खासियत है। इस दौरान हर जगह फैली हरियाली आँखों को सुकून देती है। हालांकि, कुछ चीज़ें ऐसी भी हैं जो इस मौसम में नहीं कर पाते। उदाहरण के लिए, खुले मैदानों में क्रिकेट खेलना मुश्किल हो जाता है और कभी-कभी बिजली या इंटरनेट की समस्याएँ भी आती हैं। सड़कों पर कीचड़ होने से बाहर घूमना भी कम हो जाता है।

(घ) बारिश के मौसम में आपके आस-पड़ोस के पशु-पक्षी अपनी सुरक्षा कैसे करते हैं? उन्हें कौन-कौन सी समस्याएँ होती हैं?
उत्तर देखेंबारिश के मौसम में आस-पड़ोस के पशु-पक्षी अपनी सुरक्षा के लिए विभिन्न तरीके अपनाते हैं। पक्षी अक्सर पेड़ों की घनी पत्तियों या घरों के छज्जों के नीचे शरण लेते हैं। गिलहरियाँ अपने बिलों में छिप जाती हैं, जबकि आवारा कुत्ते और बिल्लियाँ दुकानों के शेल्टर या गाड़ियों के नीचे जगह ढूंढते हैं। उन्हें मुख्य समस्या भोजन ढूंढने में आती है क्योंकि बारिश में शिकार करना या भोजन इकट्ठा करना मुश्किल हो जाता है। साथ ही, उन्हें ठंड और बीमारियाँ होने का खतरा भी बढ़ जाता है, जिससे उनकी जान को खतरा होता है।

(ङ) अपने समूह के साथ मिलकर वर्षा ऋतु पर आधारित एक कविता की रचना कीजिए। उसमें अपने घर और आस-पड़ोस से जुड़ी हुई बातें सम्मिलित कीजिए।
उत्तर देखेंबरसात आई, भीगी धरती, महके आँगन चारों ओर,
छत टपकती, टिन की छतरी, बजते जैसे मधुरतार।
बच्चे दौड़े, कीचड़ में खेलें, छप-छप करते बार-बार,
गलियों में बहते जलधारे, बगिया में हरियाली अपार।
पड़ोसी संग छत पे खड़े हम, देख रहे बादल का शृंगार,
गरज-गरज कर बिजली चमके, मन में भर दे उल्लास अपार।
वर्षा लाए सुख का संदेशा, तृप्त हुआ धरती का प्यार।

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साक्षात्कार

गाते हैं गीत कैसे, लेते किसान मनहरा”
मान लीजिए कि आप अपने विद्यालय की पत्रिका के पत्रकार हैं। आप एक किसान का साक्षात्कार कर रहे हैं जो वर्षा के आने पर अपने खेतों में गीत गा रहा है।
(क) अपने समूह के साथ मिलकर उस किसान के साक्षात्कार के लिए कुछ प्रश्न लिखिए।
उत्तर देखें1. नमस्ते किसान भाई! आपका शुभ नाम क्या है और आप कितने समय से खेती कर रहे हैं?
2. आप किस प्रकार की फसलें उगाते हैं और आपके लिए वर्षा का क्या महत्व है?
3. वर्षा के आने पर आपके खेतों में गीत गाने का क्या कारण है? क्या यह आपके काम करने की ऊर्जा बढ़ाता है?
4. खेती करते समय आप और कौन-कौन से गीत गाते हैं? क्या उनका कोई विशेष अर्थ होता है?

(ख) अपने समूह के साथ मिलकर इस साक्षात्कार का अभिनय प्रस्तुत कीजिए। आपके समूह का कोई सदस्य किसान की भूमिका निभा सकता है। अन्य सदस्य पत्रकारों की भूमिका निभा सकते हैं।
उत्तर देखेंएक छोटा-सा अभिनय रूप तैयार किया है, जिसे समूह में बाँटकर प्रस्तुत किया जा सकता है—
अभिनय रूपरेखा : “किसान और पत्रकार”
पत्रकार: नमस्कार किसान जी! इस वर्षा ऋतु में खेती कैसी चल रही है?
किसान: नमस्कार! इस बार अच्छी बरसात हुई है, फसल हरी-भरी खड़ी है। हमें उम्मीद है कि पैदावार भी अच्छी होगी।
पत्रकार: बरसात से कोई कठिनाई भी आई क्या?
किसान: जी हाँ, कभी-कभी ज़्यादा बारिश से खेतों में पानी भर जाता है, जिससे फसल को नुकसान पहुँचता है।
पत्रकार: आप सरकार या समाज से क्या उम्मीद रखते हैं?
किसान: हम चाहते हैं कि पानी निकासी की अच्छी व्यवस्था हो और समय पर खाद–बीज उपलब्ध कराया जाए।
पत्रकार (सभी मिलकर): धन्यवाद किसान जी, आपके विचार जानकर हमें बहुत खुशी हुई।

वर्षा के दृश्य

(क) वर्षा के उन दृश्यों की सूची बनाइए, जिनका उल्लेख इस कविता में नहीं किया गया है। जैसे आकाश में इंद्रधनुष।
उत्तर देखेंकविता में उल्लिखित दृश्यों के अलावा, वर्षा के दौरान कई अन्य खूबसूरत दृश्य दिखाई देते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख दृश्य इस प्रकार हैं:
1. आकाश में इंद्रधनुष: बारिश थमने के बाद जब सूरज निकलता है, तो आकाश में कई रंगों का इंद्रधनुष दिखाई देता है, जो एक बेहद मनमोहक दृश्य होता है।
2. कागज़ की नावों का पानी में तैरना: बच्चे खुशी-खुशी बारिश के पानी में कागज़ की नावें बनाकर तैराते हैं।
3. मिट्टी की सोंधी खुशबू: बारिश की पहली बूंदें जब सूखी मिट्टी पर पड़ती हैं, तो एक अनोखी और ताज़गी भरी सोंधी खुशबू आती है।
4. पानी के बुलबुले: सड़कों या खुले मैदानों में पानी भरने पर उसमें बुलबुले उठते हैं, खासकर जब बारिश तेज़ होती है।
5. पहाड़ों से झरनों का बहना: पहाड़ी इलाकों में बारिश के बाद कई नए झरने फूट पड़ते हैं या पुराने झरने और तेज़ बहने लगते हैं।

(ख) वर्षा के समय आकाश में बिजली पहले दिखाई देती है या बिजली कड़कने की ध्वनि पहले सुनाई देती है या दोनों साथ-साथ दिखाई-सुनाई देती हैं? कृपा पता कीजिए।
उत्तर देखेंवर्षा के समय आकाश में बिजली पहले दिखाई देती है और उसके कुछ क्षण बाद बिजली कड़कने की ध्वनि सुनाई देती है। इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि प्रकाश की गति (लगभग 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड) ध्वनि की गति (लगभग 343 मीटर प्रति सेकंड) से बहुत अधिक होती है। बिजली चमकने से प्रकाश निकलता है जो तुरंत हमारी आँखों तक पहुँच जाता है, जबकि कड़कने की ध्वनि को हम तक पहुँचने में थोड़ा समय लगता है। इसलिए, हमें हमेशा बिजली पहले दिखाई देती है और फिर उसकी आवाज़ सुनाई देती है।

(ग) आपने वर्षा से पहले और वर्षा के बाद किसी पेड़ या पौधे को ध्यान से अवश्य देखा होगा। आपको कौन-कौन से अंतर दिखाई दिए?
उत्तर देखेंवर्षा से पहले पेड़-पौधे अक्सर सूखे और धूल भरे दिखते हैं, उनकी पत्तियाँ मुरझाई हुई या बेजान सी लगती हैं। धूल की परत जमने से उनका रंग फीका पड़ जाता है। लेकिन वर्षा के बाद उनमें अद्भुत परिवर्तन आता है। पत्तियाँ बिल्कुल हरी-भरी और चमकीली हो जाती हैं क्योंकि धूल धुल जाती है और उन्हें पर्याप्त पानी मिल जाता है। पौधे ताज़े और जीवंत लगते हैं, उनकी डालियाँ और पत्तियाँ अधिक लहलहाती हुई दिखाई देती हैं। कई पौधों में नई कलियाँ और फूल भी खिल उठते हैं।

(घ) “चलते हैं हंस कहीं पर, बँधी कतार सुंदर”
कविता में हंसों के कतार में अर्थात् प्रतिबद्ध रूप से चलने का वर्णन किया गया है। आपने किन-किन को और कब-कब प्रतिबद्ध चलते हुए देखा है? (संकेत— चींटी, गाड़ियाँ, बच्चे आदि)
उत्तर देखेंप्रतिबद्ध रूप से चलना’ का अर्थ है किसी निश्चित क्रम या अनुशासन में चलना। हंसों की तरह, मैंने और भी कई चीज़ों को प्रतिबद्ध रूप से चलते देखा है:
1. चींटियाँ: चींटियाँ हमेशा एक सीधी रेखा में चलती हैं, चाहे वे भोजन ढो रही हों या अपने बिल में वापस जा रही हों। यह दृश्य खासकर बरसात के बाद या जब उन्हें कोई भोजन का स्रोत मिलता है, तब देखने को मिलता है।
2. गाड़ियाँ (ट्रैफिक): व्यस्त सड़कों पर, खासकर जाम में या ट्रैफिक लाइट पर, गाड़ियाँ एक निर्धारित लेन में और एक के पीछे एक प्रतिबद्ध रूप से चलती हैं।
3. स्कूल के बच्चे: सुबह या छुट्टी के समय बच्चे अक्सर पंक्ति बनाकर या समूह में एक निश्चित दिशा में स्कूल से घर या घर से स्कूल जाते हुए दिखते हैं।
4. सेना या परेड: सैनिक हमेशा एक अनुशासित और प्रतिबद्ध कतार में मार्च करते हैं, खासकर परेड के दौरान।

वर्षा में ध्वनियाँ

(क) कविता में वर्षा की अनेक ध्वनियाँ दिए गए हैं। इन दृश्यों में कौन-कौन सी ध्वनियाँ सुनाई दे रही होंगी? अपनी कल्पना से उन ध्वनियों को कक्षा में सुनाइए।
उत्तर देखेंवर्षा के दृश्यों में कई प्रकार की ध्वनियाँ सुनाई देती हैं जो अनुभव को और भी जीवंत बनाती हैं। कविता में वर्णित और काल्पनिक ध्वनियाँ इस प्रकार हो सकती हैं:
1. रिमझिम बारिश की आवाज़: हल्की बूंदों के गिरने की निरंतर और सुखद आवाज़।
2. बादलों का गरजना: तेज़ और भारी गड़गड़ाहट की आवाज़ जो बादलों के टकराव से उत्पन्न होती है।
3. बिजली का कड़कना: एक तेज़, अचानक और तीव्र ध्वनि जो बिजली चमकने के बाद आती है।
4. छतों पर पानी गिरने की आवाज़: टिप-टिप या टप-टप की ध्वनि जब पानी छतों पर या खिड़कियों के शीशों पर गिरता है।
5. नालियों में पानी के बहने की आवाज़: जब पानी तेज़ी से नालियों या गटर में बहता है तो उसकी कलकल ध्वनि।
6. मेंढकों की टर्र-टर्र: बारिश के बाद या दौरान मेंढकों का समूह में आवाज़ करना।

(ख) “मेंढक लुभा रहे हैं, गाकर सुगीत प्यारे”
कविता में मेंढकों की टर्र-टर्र को भी प्यारा गीत कहा गया है। आपके विचार से बेसुरी ध्वनियाँ भी कब-कब अच्छी लगने लगती हैं?
उत्तर देखेंयह सच है कि कुछ ध्वनियाँ जो सामान्यतः बेसुरी मानी जाती हैं, विशेष परिस्थितियों में मधुर या अच्छी लगने लगती हैं। मेंढकों की टर्र-टर्र की आवाज़, भले ही संगीत की दृष्टि से बेसुरी लगे, वर्षा ऋतु में एक सुखद अनुभव देती है क्योंकि यह बारिश और हरियाली का प्रतीक है।
1. बच्चों का कोलाहल: खेलते हुए बच्चों का बेतरतीब शोर माता-पिता को प्यारा लगता है क्योंकि यह उनके जीवन और खुशी का प्रतीक है।
2. दूर ट्रेन की सीटी: कभी-कभी रात की खामोशी में दूर से आती ट्रेन की बेसुरी सीटी की आवाज़ एक अजीब सा सुकून देती है, जैसे वह किसी यात्रा या दूरी का एहसास करा रही हो।
3. बारिश में पेड़ों से टपकती पानी की आवाज़: जब आप किसी शांत जगह पर हों और तेज बारिश हो रही हो, तो पेड़ों से टपकती बूंदों की बेतरतीब आवाज़ भी एक ताल की तरह शांत वातावरण में मिल जाती है।
ये ध्वनियाँ हमें किसी विशेष स्थिति, स्मृति या भावना से जोड़ती हैं, जिससे वे “अच्छी” लगने लगती हैं, भले ही वे पारंपरिक रूप से मधुर न हों।

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सृजन

“बागों में खूब सुख से, आमोद छा रहा है”
‘आमोद’ या ‘मोद’ दोनों शब्दों का अर्थ होता है — आनंद, हर्ष, खुशी, प्रसन्नता। कविता में वर्षा ऋतु में ‘आमोद’ के दृश्यों का वर्णन किया गया है। कविता के इन दृश्यों को हम नीचे दिए गए उदाहरण की तरह अनुच्छेद में भी लिख सकते हैं—
“हवा की ठिठक थी, बारिश की रिमझिम बूँदें गिर रही थीं, मोर नृत्य कर रहे थे और मेंढक खुश होकर गाना गा रहे थे। ये सभी मिलकर वर्षा ऋतु को एक उत्सव जैसा बना रहे थे। बागों में गुलाब की खुशबू और आम के पेड़ों पर नए फल देखकर पक्षी और लोग, सभी प्रसन्न हो गए थे। किसान अपने खेतों में काम करते हुए इस प्राकृतिक आनंद के भागीदार बन रहे थे।”
अब नीचे दिए गए ‘आमोद’ से जुड़े विभिन्न दृश्यों का एक-एक अनुच्छेद में वर्णन कीजिए—

उत्तर देखें• बारिश के बाद उपवन में सैर
बारिश थमने के बाद उपवन में सैर करने का अपना ही आनंद है। हवा में ताज़गी घुल जाती है और मिट्टी की सोंधी खुशबू पूरे वातावरण को महका देती है। हरे-भरे पेड़ों की पत्तियाँ धुलकर और भी चमकीली हो जाती हैं, जिन पर बारिश की बूँदें मोतियों सी चमकती हैं। फूलों पर भँवरे गुनगुनाते हैं और पक्षी चहचहाते हुए बाहर निकलते हैं, यह दृश्य मन को शांति और असीम प्रसन्नता से भर देता है। हल्की धूप और ठंडी हवा के बीच टहलना सचमुच एक अद्भुत अनुभव होता है।
• परिवार के किसी प्रिय सदस्य या मित्र से वर्षों बाद मिलना
वर्षों बाद परिवार के किसी प्रिय सदस्य या मित्र से मिलना जीवन के सबसे आनंददायक पलों में से एक होता है। जब आँखों के सामने वह चेहरा आता है जिसे लंबे समय से देखा नहीं, तो दिल खुशी से उछल पड़ता है। पुरानी यादें ताज़ा हो जाती हैं, हँसी-मज़ाक और कहानियों का दौर शुरू हो जाता है। यह मुलाकात न केवल दूरियों को मिटाती है, बल्कि रिश्तों में एक नई जान फूँक देती है, जिससे मन उत्साह और संतोष से भर जाता है।
• सर्दियों का पहला हिमपात
सर्दियों का पहला हिमपात देखना एक जादुई और बेहद आनंदमय अनुभव होता है। जब आसमान से हल्के-फुल्के बर्फ के फाहे धीरे-धीरे गिरने लगते हैं और पूरी धरती को एक सफेद चादर से ढक देते हैं, तो ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने अपनी सबसे सुंदर पोशाक पहन ली हो। चारों ओर शांति छा जाती है और बर्फीली हवा एक अनोखी ताजगी लाती है। बच्चों से लेकर बड़ों तक, हर कोई इस नज़ारे को देखकर खुशी से झूम उठता है और बर्फबारी का भरपूर लुत्फ़ उठाता है।
• कोई उत्सव
कोई भी उत्सव अपने साथ ढेर सारी खुशियाँ और उत्साह लेकर आता है। दिवाली की जगमगाहट, होली के रंग, या ईद की सेवइयाँ—हर त्योहार अपने तरीके से आमोद का संचार करता है। लोग एक साथ मिलकर खुशियाँ मनाते हैं, स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं, और एक-दूसरे से मिलते हैं। चारों ओर एक सकारात्मक ऊर्जा फैल जाती है, जो मन को प्रसन्नता और संतोष से भर देती है। उत्सव हमें एक साथ आने और जीवन की खुशियों का जश्न मनाने का अवसर देते हैं।
• मित्रों संग खेलना
मित्रों के साथ खेलना हमेशा ही आनंददायक होता है। चाहे वह मैदान में क्रिकेट हो, लुका-छिपी हो, या बोर्ड गेम्स, दोस्तों के साथ बिताया हर पल खुशियों से भरा होता है। खेल के दौरान होने वाली नोक-झोंक, हँसी-मज़ाक और एक-दूसरे को चुनौती देने का मज़ा ही कुछ और है। खेल खत्म होने के बाद भी, मित्रों के साथ बिताए वे पल एक मीठी याद बन जाते हैं, जो मन को हमेशा प्रसन्नता और स्फूर्ति प्रदान करते हैं।
• किसी प्रिय पुस्तक को पढ़ना
किसी प्रिय पुस्तक को पढ़ना एक शांत और गहरा आनंद देता है। जब आप अपनी पसंदीदा किताब के पन्नों में खो जाते हैं, तो आप एक अलग ही दुनिया में पहुँच जाते हैं। कहानी के पात्रों के साथ हँसते-रोते हैं, उनके अनुभवों से सीखते हैं, और उनकी दुनिया में विलीन हो जाते हैं। यह एक निजी अनुभव होता है जहाँ आप अपने विचारों और कल्पनाओं के साथ पूरी तरह से जुड़ पाते हैं। यह मानसिक शांति और बौद्धिक संतुष्टि प्रदान करता है, जिससे मन को असीम प्रसन्नता मिलती है।
• किसी कार्य को पूरा करना या सफल प्रदर्शन करना
किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करना या किसी क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करना एक अद्वितीय ‘आमोद’ का अनुभव कराता है। जब आप किसी लक्ष्य को प्राप्त करते हैं, खासकर जब उसमें कड़ी मेहनत और समर्पण लगा हो, तो मिलने वाली संतुष्टि बेजोड़ होती है। यह उपलब्धि केवल बाहरी पहचान ही नहीं लाती, बल्कि आत्म-संतुष्टि, आत्मविश्वास और भविष्य के लिए प्रेरणा भी प्रदान करती है। यह खुशी की ऐसी लहर होती है जो मन और आत्मा दोनों को ऊर्जा से भर देती है
• समुद्र के किनारे शांत सवेरा या शाम
समुद्र के किनारे शांत सवेरा या शाम बिताना एक अविस्मरणीय अनुभव होता है जो मन को असीम आनंद और शांति प्रदान करता है। सुबह उगते सूरज की सुनहरी किरणें जब शांत लहरों पर पड़ती हैं, या शाम को डूबते सूरज का नारंगी प्रकाश पानी पर बिखरता है, तो यह दृश्य मंत्रमुग्ध कर देता है। लहरों की धीमी आवाज़ और नमकीन हवा एक सुकून भरा माहौल बनाती हैं। इस प्राकृतिक सुंदरता के बीच बैठकर व्यक्ति अपनी सारी चिंताएँ भूलकर प्रकृति से एकाकार हो जाता है और एक गहरी प्रसन्नता का अनुभव करता है।

वर्षा से जुड़े गीत

“बागों में गीत सुंदर, गाती है मालिनें अब”
“गाते हैं गीत कैसे, लेते किसान मनहरा”
• हमारे देश के वर्षा के आने पर अनेक गीत और लोकप्रिय गीत गाए जाते हैं। अपने समूह के साथ मिलकर वर्षा से जुड़े गीत व लोकगीत ढूँढ़िए और लिखिए। इस कार्य के लिए आप अपने परिजनों, शिक्षकों, इंटरनेट और पुस्तकालय की भी सहायता ले सकते हैं।
उत्तर देखेंहमारे देश में वर्षा ऋतु को लेकर अनेक लोकगीत और गीत गाए जाते हैं। ये गीत किसानों, गाँव की स्त्रियों और युवतियों के आनंद को प्रकट करते हैं। कुछ प्रमुख वर्षा-लोकगीत इस प्रकार हैं—
1. बरस-बरस आयो सावनवा – खेत-खलिहान में हरियाली देखकर गाया जाने वाला लोकगीत।
2. कजरी गीत – उत्तर प्रदेश और बिहार में सावन-भादों में गाया जाने वाला गीत, जिसमें प्रिय मिलन और वर्षा की सुंदरता का वर्णन होता है।
3. झूला गीत – पेड़ों पर झूले डालकर स्त्रियाँ सावन में गाती हैं, जैसे— “झूला किनारे जमुना झूले रसिया, बरसे बदरिया सावन की”।
4. मल्हार – यह शास्त्रीय राग है, जो वर्षा ऋतु का भाव जगाने के लिए गाया जाता है।
5. पंवरिया गीत – राजस्थान में गाया जाने वाला गीत, जिसमें मेघों से बरसात की प्रार्थना की जाती है।

• सभी समूहों द्वारा एकत्रित गीतों को संकलित करके वर्षा-गीतों की एक पुस्तिका भी तैयार कीजिए।
उत्तर देखेंवर्षा-गीत पुस्तिका
प्रस्तावना
हमारे देश में वर्षा ऋतु आनंद और उल्लास का मौसम है। इस ऋतु में गाँवों-शहरों में गीत, लोकगीत और कजरी गाए जाते हैं। प्रस्तुत पुस्तिका में विभिन्न समूहों द्वारा संकलित वर्षा-गीतों का संग्रह किया गया है।
► बरसात का स्वागत
“बरस-बरस आयो सावनवा,
हरियाली छायो गवनवा।”
► कजरी गीत
“सावन की बदरिया छाई,
पी को बुलाने आई।”
► झूला गीत
“झूला किनारे जमुना झूले रसिया,
बरसे बदरिया सावन की।”
► मल्हार (शास्त्रीय धुन)
“गरज-गरज घनवा बरसे,
भिगो दे धरती प्यासी।”
► राजस्थानी वर्षा-गीत
“घन-घन गाजे रे मेघा,
बरसो रे सुख देवे मेघा।”
उपसंहार: इन गीतों से वर्षा का उल्लास, प्रेम और प्रकृति की शोभा प्रकट होती है। यह पुस्तिका विद्यार्थियों के सामूहिक प्रयास का परिणाम है।

कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 7 के मुख्य बिंदु

वर्षा-बहार — मुख्य बिंदु
• वर्षा ऋतु का आगमन – आकाश में घनघोर बादल छा जाते हैं, बिजली चमकती है और झरने बहने लगते हैं।
• प्राकृतिक छटा – ठंडी हवा चलती है, वृक्षों की डालियाँ हिलती हैं और बाग-बगीचे खिल उठते हैं।
• पशु-पक्षियों का उल्लास – तालाबों में जलचर प्रसन्न होते हैं, पपीहे ग्रीष्म की प्यास बुझाकर आनंदित होते हैं।
• नृत्य और संगीत – मोर नाचते हैं, मेंढक मधुर गीत गाते हैं और वातावरण को सुरीला बनाते हैं।
• फूलों की सुंदरता – गुलाब खिलकर अपनी सुगंध चारों ओर फैलाता है।
• हंसों का दृश्य – हंस कतार बनाकर उड़ते हैं और मधुर गीत गाते हैं।
• कविता का निष्कर्ष – वर्षा ऋतु की बहार धरती की शोभा बढ़ाती है और संपूर्ण जगत के लिए आनंद और जीवन का संचार करती है।

कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 7 का सारांश

मुकुटधर पांडेय की यह कविता वर्षा ऋतु की सुंदरता और उसकी छटा का जीवंत चित्र प्रस्तुत करती है। वर्षा के समय आकाश में घनघोर बादल छा जाते हैं, बिजली चमकती है और झरने बहने लगते हैं। ठंडी हवा चलने से वृक्षों की डालियाँ हिलती हैं और बाग-बगीचों में मलिनी (मालिन) का मीठा स्वर गूंज उठता है। तालाबों में रहने वाले जलचर आनंदित हो जाते हैं और पपीहे अपनी प्यास बुझाकर प्रसन्न होते हैं।
वनों में मोर नृत्य करते हैं और मेंढक अपने गीत गाकर वातावरण को और भी सुरीला बना देते हैं। गुलाब का फूल खिलकर अपनी मधुर सुगंध फैलाता है और बागों में आनंद का वातावरण छा जाता है। आकाश में हंस कतार बाँधकर उड़ते हैं और मधुर गीत गाते हैं।
कवि अंत में बताते हैं कि वर्षा ऋतु की यह बहार सचमुच अनोखी है। यह पूरे जगत की शोभा बढ़ाती है और धरती को नया रूप व जीवन देती है।