एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 6 गिरधर कविराय की कुण्डलिया
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 6 गिरधर कविराय की कुण्डलिया में कवि गिरधर कविराय ने जीवन की गहरी सीख दी है। पहली कुण्डलिया बताती है कि बिना सोचे-समझे कार्य करने पर पछताना पड़ता है, काम बिगड़ता है और अपमान सहना पड़ता है। दूसरी कुण्डलिया समझाती है कि बीती बातों को भूलकर आगे की सुध लेनी चाहिए। सहज जीवन में संतोष रखना चाहिए। उनकी भाषा सरल, लोकजीवन से जुड़ी और कहावतों जैसी प्रभावशाली है।
कक्षा 7 हिंदी मल्हार पाठ 6 के MCQ
कक्षा 7 मल्हार के सभी प्रश्न-उत्तर
गिरधर कविराय की कुण्डलिया कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 6 के प्रश्न उत्तर
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मेरी समझ से
(क) पाठ के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों का सही उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
(1) “बिना बिचारे” काम करने के क्या परिणाम होते हैं?
• दूसरों से प्रशंसा मिलती है।
• मन में शान्ति बनी रहती है।
• अपना काम बिगड़ जाता है।
• खान-पान सम्मान मिलता है।
उत्तर देखें★ अपना काम बिगड़ जाता है।
(2) “चित में चैन” न पा सकने का मुख्य कारण क्या है?
• प्रयास करने पर भी टाला न जा सकने वाला दुख
• बिना सोचे-समझे किए गए कार्य की असफलता
• खान-पान, सम्मान और राग-रंग का अभाव
• दुनिया द्वारा की जाने वाली निंदा और उपहास
उत्तर देखें★ प्रयास करने पर भी टाला न जा सकने वाला दुख
★ बिना सोचे-समझे किए गए कार्य की असफलता
(3) “बीती ताहि बिसार दे आगे की सुध लेइ” पंक्ति द्वारा कौन-सी सलाह दी गई है?
• भविष्य की सफलता के लिए अतीत की गलतियों से सीखने की
• अतीत की असफलताओं को भूलकर भविष्य पर ध्यान देने की
• अतीत और भविष्य दोनों घटनाओं को समान रूप से याद रखने की
• अतीत और भविष्य दोनों को भूलकर केवल वर्तमान में जीने की
उत्तर देखें★ अतीत की असफलताओं को भूलकर भविष्य पर ध्यान देने की
(4) “जो बिन आवै सहज में ताही में चित देइ” पंक्ति का क्या अर्थ है?
• हमें कठिनाइयों और चुनौतियों से बचना चाहिए।
• हमें आराम की तलाश करने में मन लगाना चाहिए।
• हमें असंभव और कठिन कार्य पर ध्यान देना चाहिए।
• हमें सहज जीवन पर ध्यान देना चाहिए।
उत्तर देखें★ हमें सहज जीवन पर ध्यान देना चाहिए।
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियो ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रो के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर देखेंचर्चा के बिंदु:
1: “बिना बिचारे” काम करने के क्या परिणाम होते हैं?
मैंने “अपना काम बिगड़ जाता है” चुना क्योंकि कविता में साफ लिखा है कि बिना विचार किए काम करने वाला अपना ही नुकसान करता है।
2: “चित में चैन” न पा सकने का कारण
मैंने तीन उत्तर चुने — दुःख टलता नहीं, असफलता मिलती है और लोग मज़ाक उड़ाते हैं।
ये सब बातें कविता में आई हैं कि गलती करने के बाद मन कभी शांत नहीं होता और लोग हँसते हैं।
3: “बीती ताहि बिसार दे आगे की सुध लेइ”
मैंने “अतीत की असफलताओं को भूलकर भविष्य पर ध्यान देने” वाला विकल्प चुना।
क्योंकि कवि कह रहे हैं कि पुरानी बातों में नहीं उलझना चाहिए, बल्कि आगे का सोचो।
4: “जो बिन आवै सहज में ताही में चित देइ”
मैंने “हमें सहज जीवन पर ध्यान देना चाहिए” चुना क्योंकि इसका अर्थ है कि हमें उसी में संतोष करना चाहिए जो आसानी से और स्वाभाविक रूप से मिल जाए।
दोस्तों से कहूँगा –
अगर किसी ने और उत्तर चुने हैं तो शायद उसने अलग ढंग से सोचा होगा। लेकिन जब हम कविता की पंक्तियों को ध्यान से पढ़ते हैं, तो मेरे चुने हुए उत्तर कविता के भाव से बिल्कुल मेल खाते हैं।
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पंक्तियों पर चर्चा
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए।
(क) “बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय ।
काम बिगारे आपनो जग में होत हँसाय ॥”
उत्तर देखेंजो व्यक्ति बिना सोचे-समझे कोई काम करता है, उसे बाद में पछताना पड़ता है। वह अपना काम तो बिगाड़ता ही है, साथ ही संसार में उपहास का पात्र भी बनता है।
(ख) “बीती ताहि बिसार दे आगे की सुध लेइ ।
जो बिन आवै सहज में ताही में चित देइ ॥”
उत्तर देखेंजो बातें बीत चुकी हैं, उन्हें भूल जाना चाहिए और भविष्य की चिंता करनी चाहिए। जो काम सहजता से हो जाए, उसी में अपना मन लगाना चाहिए।
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मिलकर करें मिलान
नीचे स्तंभ 1 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं, उनसे सम्बंधित अर्थ वाली स्तंभ 2 की पंक्तियों से उनका मिलान कीजिए –
उत्तर:
कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 6 के सोच-विचार पर आधारित प्रश्न
सोच-विचार के लिए
पाठ को एक बार पुन: पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए।
(क) “बिना बिचारे जो करै सो पाछे पिछताय ।”
कविता में बिना बिचार किए कार्य करने के क्या नुकसान बताए गए हैं?
उत्तर देखेंकविता में बिना विचार किए कार्य करने के निम्नलिखित नुकसान बताए गए हैं:
1. व्यक्ति को बाद में पछताना पड़ता है।
2. अपना काम बिगड़ जाता है।
3. संसार में हँसी का पात्र बनना पड़ता है।
4. मन में शांति नहीं रहती (“चित में चैन न पावै”)।
5. अच्छा खान-पान, सम्मान और राग-रंग भी मन को नहीं भाते।
6. किया गया कार्य मन में खटकता रहता है और उससे उत्पन्न दुख दूर नहीं होता।
(ख) “बिना बिचारे जो करै सो पाछे पिछताय।”
कुंडलियों में जो बातें सैंकड़ों साल पहले कही गई थीं, क्या वे आपके लिए भी उपयोगी हैं? कैसे? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर देखेंहाँ, कुंडलियों में कही गई बातें आज भी उतनी ही उपयोगी हैं जितनी सैकड़ों साल पहले थीं। यह सलाह आज भी हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है।
उदाहरण: यदि कोई छात्र बिना सोचे-समझे परीक्षा की तैयारी किए बिना ही परीक्षा देने चला जाए, तो उसके परिणाम खराब आ सकते हैं और उसे बाद में पछताना पड़ सकता है। इसी तरह, यदि कोई व्यक्ति आवेश में आकर बिना सोचे-समझे किसी से झगड़ा कर लेता है, तो उसे बाद में शर्मिंदगी और परेशानी उठानी पड़ सकती है, और समाज में उसकी प्रतिष्ठा भी कम हो सकती है।
(ग) “खान पान सन्मान राग रंग मनिहं न भावै।।”
इस पंक्ति में रेखांकित शब्दों के अथर् शब्दकोश से देखकर लिखिए। प्रत्येक के लिए एक-एक उदाहरण भी दीजिये।
उत्तर देखें1. सन्मान (सम्मान): आदर, इज्जत, प्रतिष्ठा।
उदाहरण: हमें बड़ों का हमेशा सम्मान करना चाहिए।
2. राग-रंग: मनोरंजन, आमोद-प्रमोद, सुख-सुविधा।
उदाहरण: त्यौहारों पर लोग राग-रंग में डूब जाते हैं।
3. भावै (भाना): अच्छा लगना, पसंद आना।
उदाहरण: आजकल मुझे सादा भोजन ही भाता है।
कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 6 के अनुमान और कल्पना के प्रश्न
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अनुमान और कल्पना से
अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-
(क) आपने पढ़ा है कि “बिना विचारे जो करै सो पाछे पछिताय…।” कल्पना कीजिए कि आपके एक मित्र ने बिना सोचे-समझे एक बड़ा निर्णय लिया है। वह निर्णय क्या था और उसका क्या प्रभाव पड़ा? इसके बारे में एक रोचक कहानी अपने साथियों के साथ मिलकर बनाइए और कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर देखेंएक बार मेरे दोस्त राहुल ने, बिना किसी से सलाह लिए और बिना सोचे-समझे, अपनी सारी बचत एक नई ऑनलाइन दुकान खोलने में लगा दी। उसने किसी भी चीज़ का ठीक से अध्ययन नहीं किया, जैसे कि बाजार की मांग या प्रतिस्पर्धा। शुरुआत में उसे लगा कि यह एक शानदार विचार है, लेकिन जल्द ही उसे पता चला कि उसके उत्पाद बहुत महंगे थे और उनकी गुणवत्ता भी अच्छी नहीं थी। ग्राहक नहीं आए और उसकी सारी बचत डूब गई। उसे बहुत पछतावा हुआ और उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि बिना विचारे काम करने से क्या परिणाम होते हैं। इस अनुभव ने उसे सिखाया कि कोई भी बड़ा निर्णय लेने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार करना और योजना बनाना कितना महत्वपूर्ण है।
(ख) कल्पना कीजिए कि “बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ…।” कविता निम्नलिखित के लिए लिखी गई है –
• आप
• आपका कोई सहपाठी
• आपका कोई परिजन
• आपके कोई शिक्षक
• कोई पक्षी
• कोई पशु
इनकी कौन-कौन सी समस्याएँ होंगी? यह कविता उन्हें कैसे प्रेरित करेगी?
उत्तर देखें• मैं: यदि मुझको पिछली परीक्षाओं में खराब अंक मिले हैं, तो यह कविता आपको पिछली असफलताओं को भूलकर भविष्य की पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने और कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करेगी।
यह कविता विभिन्न लोगों या प्राणियों को उनकी समस्याओं से उबरने और आगे बढ़ने में मदद कर सकती है
• मेरा कोई सहपाठी – यदि मेरे किसी सहपाठी को किसी पिछली गलती या असफलता का पछतावा है, तो यह कविता उसे अतीत को छोड़कर नए सिरे से शुरुआत करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
• मेरा कोई परिजन – यदि मेरे किसी परिजन ने अतीत में कोई नुकसान या कठिनाई झेली है, तो यह कविता उन्हें उस दुख को पीछे छोड़कर जीवन में आगे बढ़ने की सलाह देगी।
• मेरा कोई शिक्षक – यदि मेरे किसी शिक्षक को पिछले अनुभव में कोई निराशा हुई है (जैसे किसी प्रयोग में असफलता), तो यह कविता उन्हें पिछली असफलताओं से सीखने और नए प्रयासों के लिए प्रेरित करेगी।
• कोई पक्षी – यदि किसी पक्षी का घोंसला टूट जाए या किसी आंधी-तूफान में अंडे नष्ट हो जाएं, भोजन की कमी या दूर-दराज़ उड़कर भोजन ढूँढने की परेशानी हो, इंसानों द्वारा डाले गए जाल या खतरे हो तो यह कविता पक्षी को यह सिखाएगी कि बीते हुए दुखों को सोचकर रोने से कोई लाभ नहीं है। अगर घोंसला टूट गया है तो नए सिरे से घोंसला बनाना चाहिए। अगर अंडे नष्ट हो गए हैं तो भविष्य के लिए फिर से प्रयास करना चाहिए। आगे की सुध लेने का मतलब है – भविष्य के सुख और नए अवसरों पर ध्यान देना।
• कोई पशु – यदि किसी पशु को चरागाह में घास न मिले या भोजन की कमी हो, शिकारी या दुश्मन पशु से बच निकलने की कठिनाई हो या अपनों से बिछुड़ जाने (जैसे झुंड से अलग हो जाना) का दुःख हो तो यह कविता पशु को यह संदेश देगी कि पुरानी कठिनाइयों को भूलकर उसे नए रास्ते तलाशने चाहिए। यदि पहले शिकार नहीं मिला या खतरे से सामना हुआ, तो उसे बार-बार सोचकर दुखी होने के बजाय नए अवसरों की ओर बढ़ना चाहिए। इससे उसका जीवन सहज और सुरक्षित बनेगा।
(ग) कल्पना कीजिए कि आप एक ऐसे व्यक्ति से मिले हैं, जो हमेशा बीती बातों में खोया रहता है। आप उसे समझाने के लिए क्या-क्या कहेंगे?
उत्तर देखेंव्यक्ति को समझाने के लिए निम्नलिखित बातें कहूँगा:
► “जो बीत गया, वह लौटकर नहीं आएगा।” – मैं उसे कहूँगा कि बीती हुई बातों में उलझकर सिर्फ समय और मन की शांति खोई जाती है।
► “भविष्य को सँवारना ही असली बुद्धिमानी है।” – अगर हम आगे की सुध लें और आने वाले कामों पर ध्यान दें, तो जीवन बेहतर बनेगा।
► “गलतियों से सीखो, पर अटक मत जाओ।” – जो गलती बीते समय में हुई, उसे दोहराओ मत, लेकिन उसके कारण दुखी रहना भी ठीक नहीं।
► “हर नया दिन एक अवसर है।” – मैं कहूँगा कि कल का दुख आज की खुशी छीन ले, यह ठीक नहीं। आज को अच्छे से जीना चाहिए।
► कविता की पंक्ति सुनाऊँगा – “बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुध लेइ” – यही सबसे अच्छा उपाय है।
कुल मिलाकर, मैं उसे दोस्त की तरह समझाऊँगा कि पुरानी बातों को छोड़ो और नए अवसरों पर ध्यान दो। तभी जीवन में खुशी और सफलता आएगी।
शब्द से जुड़े शब्द
नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘चित्त’ या ‘मन’ से जुड़े शब्द कुंडलियों में से चुनकर लिखिए-
उत्तर:
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कविता की रचना
“बिना विचारे जो करै सो पाछे पछिताय।
काम बिगारे आपनो जग में होत हँसाय॥”
“चींटी ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ।
जो बनि आवै सहज में ताही में चित्त देइ॥”
इन पंक्तियों को लय के साथ बोलकर देखिए। इन्हें बोलने में बराबर समय लगा या अलग? आपने ध्यान दिया होगा कि इन पंक्तियों को बोलने में बराबर समय लगता है। इस कारण इन कुंडलियों की सुंदरता बढ़ गई है।
आप ध्यान देंगे तो इन कुंडलियों में आपको ऐसी अनेक विशेषताएँ दिखाई देंगी। जैसे प्रत्येक कुंडली का पहला या दूसरा शब्द उसका अंतिम शब्द भी है। दो-दो पंक्तियों में बातें कही गई हैं। कुंडलिया पढ़ते हुए ऐसा लगता है मानो कोई हमसे संवाद या बातचीत कर रहा है आदि। कुछ विशेषताएँ आपको दोनों कुंडलियों में दिखाई देंगी, कुछ विशेषताएँ दोनों में से किसी एक में दिखाई देंगी।
(क) अब आप पाठ में दी गई दोनों कुंडलियों को ध्यान से देखिए और अपने-अपने समूह में मिलकर इनकी विशेषताओं की सूची बनाइए। अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर:
(ख) नीचे एक स्तंभ में कविता की पंक्तियों की कुछ विशेषताएँ दी गई हैं और उनसे संबंधित पंक्तियाँ दूसरे स्तंभ में दी गई हैं। कविता की विशेषताओं का सही पंक्तियों से मिलान कीजिए—
उत्तर:
काल से जुड़े शब्द
“बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ।”
इस वाक्य में ‘बीती’ शब्द अतीत यानी ‘भूतकाल’ के कार्यों को व्यक्त कर रहा है और ‘आगे’ शब्द ‘भविष्य’ के कार्यों को व्यक्त कर रहा है। इसी प्रकार ‘वर्तमान’ समय में होने वाले कार्यों को ‘आज’ जैसे शब्दों से व्यक्त किया जा सकता है। रोचक बात यह है कि अनेक शब्दों का प्रयोग बीते हुए समय, आने वाले समय और वर्तमान समय को बताने वाले, तीनों प्रकार के वाक्यों में किया जा सकता है।
(क) नीचे कुछ शब्द दिए गए हैं। इनका प्रयोग करते हुए तीनों प्रकार के ‘काल’ व्यक्त करने वाले तीन-तीन वाक्य बनाइए—
उत्तर:
(ख) आपने जो वाक्य बनाए हैं, उन्हें ध्यान से देखिए। पहचानिए कि इन वाक्यों में किन शब्दों से पता चल रहा है कि वाक्य में कार्य भूतकाल में हुआ, वर्तमान काल में हुआ है या भविष्य काल में होगा? वाक्यों में उन शब्दों को रेखांकित कीजिए।
उत्तर:
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आपकी बात
(क) “खटकत है जिय माँहि कियो जो बिना बिचारे।” का अर्थ है ‘बिना सोचे किए गए कार्य मन में चुभते रहते हैं।’ क्या आपने कभी ऐसा अनुभव किया है? उस घटना को साझा कीजिए।
उत्तर देखेंहाँ, मैंने भी ऐसा अनुभव किया है। एक बार, मैंने अपने दोस्त के जन्मदिन पर उसे एक उपहार देने का वादा किया था। बिना सोचे-समझे, मैंने एक महंगा गैजेट खरीदने का फैसला किया, यह जाने बिना कि क्या उसे इसकी ज़रूरत है या नहीं और बिना अपने बजट को देखे। जब जन्मदिन आया, तो मुझे एहसास हुआ कि मेरे पास पर्याप्त पैसे नहीं थे और मुझे एक सस्ता और अनुपयोगी उपहार देना पड़ा। मेरे दोस्त को वह पसंद नहीं आया और मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई। वह घटना लंबे समय तक मेरे मन में चुभती रही कि मैंने बिना सोचे-समझे एक वादा किया और उसे पूरा नहीं कर पाया।
(ख) “बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ।” का अर्थ है ‘अतीत को भूलना और भविष्य पर ध्यान देना चाहिए।’ क्या आप इस बात से सहमत हैं? क्यों? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर देखेंहाँ, मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ। अतीत को भूलना और भविष्य पर ध्यान देना जीवन में आगे बढ़ने के लिए बहुत ज़रूरी है।
नकारात्मकता से मुक्ति: यदि हम अतीत की गलतियों या दुखों में खोए रहेंगे, तो यह हमें नकारात्मक बना देगा और हमें वर्तमान में खुशी से जीने से रोकेगा।
विकास और प्रगति: अतीत से सीखना महत्वपूर्ण है, लेकिन उसमें उलझे रहना हमें नए अवसरों को देखने और आगे बढ़ने से रोकता है। हमें भविष्य के लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
मानसिक शांति: अतीत को स्वीकार करना और उसे छोड़ देना मानसिक शांति के लिए आवश्यक है।
उदाहरण: यदि किसी छात्र ने पिछली परीक्षा में खराब प्रदर्शन किया है, तो उसे उस असफलता पर लगातार पछतावा करने के बजाय, अपनी गलतियों से सीखना चाहिए और भविष्य की परीक्षाओं के लिए बेहतर तैयारी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यदि वह अतीत में ही अटका रहेगा, तो वह कभी भी अपनी पढ़ाई में सुधार नहीं कर पाएगा।
(ग) पाठ में दी गई दोनों कुंडलियों के आधार पर आप अपने जीवन में कौन-कौन से बदलाव लाना चाहेंगे?
उत्तर देखेंपाठ में दी गई दोनों कुंडलियों के आधार पर मैं अपने जीवन में निम्नलिखित बदलाव लाना चाहूँगा:
सोच-समझकर निर्णय लेना: कोई भी काम करने से पहले मैं उसके परिणामों पर ठीक से विचार करूँगा, ताकि बाद में पछताना न पड़े और काम खराब न हो।
अतीत को भूलकर आगे बढ़ना: मैं अतीत की असफलताओं या बुरी यादों को मन में नहीं रखूँगा, बल्कि उनसे सीखकर भविष्य पर ध्यान केंद्रित करूँगा।
सहजता पर ध्यान: मैं उन कामों पर अपना ध्यान केंद्रित करूँगा जो सहजता से और सरलता से पूरे हो सकते हैं, बजाय इसके कि मैं अनावश्यक जटिलताओं में फँसू।
(घ) “खान-पान सम्मान राग-रंग मनहि न भावै।”
इस पंक्ति में खान-पान, सम्मान और राग-रंग अच्छा न लगने की बात की गई है। आप इसमें से किसे सबसे आवश्यक मानते हैं? अपने उत्तर के कारण भी बताइए।
उत्तर देखेंइस पंक्ति में दिए गए तीनों तत्वों – खान-पान, सम्मान और राग-रंग – में से मैं सम्मान को सबसे आवश्यक मानता हूँ।
आत्म-मूल्य और गरिमा: सम्मान व्यक्ति के आत्म-मूल्य और गरिमा से जुड़ा होता है। जब किसी व्यक्ति को सम्मान नहीं मिलता, तो वह अंदर से टूट जाता है, भले ही उसे कितना भी अच्छा खान-पान और मनोरंजन मिले।
सामाजिक जीवन: समाज में सम्मान के बिना व्यक्ति एकाकी और उपेक्षित महसूस करता है। सम्मान सामाजिक संबंधों और पहचान का आधार है।
मानसिक शांति: कविता में भी कहा गया है कि बिना विचार किए गए कार्य से मन में चैन नहीं मिलता और खान-पान, सम्मान, राग-रंग कुछ भी अच्छा नहीं लगता। इसका अर्थ है कि मन की अशांति व्यक्ति को सम्मान से वंचित कर सकती है, और यदि सम्मान ही न हो तो बाकी भौतिक सुख बेमानी हो जाते हैं। सम्मान न मिलने पर व्यक्ति को मन में अपराधबोध या खटास महसूस हो सकती है, जिससे वह किसी भी चीज़ का आनंद नहीं ले पाता।
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हँसी
“जग में होत हँसाय”
(क) कभी-कभी लोग दूसरों की गलतियों पर ही नहीं, बल्कि उनके किसी भी कार्य पर हँस देते हैं। अपने समूह के साथ मिलकर ऐसी कुछ स्थितियों की सूची बनाइए, जब किसी को आप पर या आपको किसी पर हँसी आई हो।
उत्तर देखेंहँसी आने वाली स्थितियाँ:
► जब कोई मित्र खेलते-खेलते अचानक गिर गया और मज़ेदार ढंग से उठ खड़ा हुआ।
► जब शिक्षक ने मज़ाक में कोई पहेली पूछी और सब हँस पड़े।
► जब किसी ने गलत उच्चारण कर दिया और वह शब्द अजीब लगने लगा।
► जब क्लास में कोई दोस्त नींद में अजीब-सी हरकत करने लगा।
► जब मैं खुद बोर्ड पर लिखते समय स्पेलिंग गलत लिख बैठा।
(ख) ऐसी दोनों स्थितियों में आपको कैसा लगता है और दूसरों को कैसा लगता होगा?
उत्तर देखेंअनुभव और भावनाएँ:
• जब लोग मुझ पर हँसते हैं – मुझे पहले थोड़ा शर्मिंदगी और बुरा लगता है, पर कभी-कभी मज़ाक हल्का हो तो मैं भी हँस देता हूँ।
• जब मैं दूसरों पर हँसता हूँ – उस समय मज़ा आता है, लेकिन बाद में सोचता हूँ कि शायद सामने वाले को बुरा लगा हो।
(ग) सोच-समझकर सोचिए कि कोई व्यक्ति आपकी किसी भूल पर हँस रहा है। ऐसे में आप क्या कहेंगे या क्या करेंगे ताकि उसे एहसास हो जाए कि इस बात पर हँसना ठीक नहीं है?
उत्तर देखेंअगर कोई मेरी भूल पर हँसे:
► अगर कोई व्यक्ति मेरी गलती पर हँस रहा हो तो मैं शांत रहकर कहूँगा –
► “गलती तो सब से होती है, आप भी कभी कर सकते हैं।”
► “गलती से सीखना अच्छा होता है, हँसना नहीं।”
► मैं कोशिश करूँगा कि गुस्सा न करूँ, बल्कि समझाऊँ कि किसी की गलती पर हँसने से सामने वाले को दुःख पहुँचता है।
सोच-समझकर
बिना विचारे जो करै सो पाछे पछिताय।”
(क) आज के समय में कुछ लोग जल्दी में कार्य कर देते हैं या जल्दी में निर्णय ले लेते हैं।
कुछ ऐसी स्थितियाँ बताइए जहाँ जल्दबाजी में निर्णय लेना या कार्य करना हानिकारक हो सकता है।
उत्तर देखेंजल्दबाज़ी में निर्णय लेने या कार्य करने से हानिकारक स्थितियाँ:
• परीक्षा में जल्दबाज़ी – बिना प्रश्न पढ़े ही उत्तर लिख देने पर गलतियाँ हो जाती हैं और अंक कट जाते हैं।
• सड़क पार करते समय जल्दबाज़ी – बिना इधर-उधर देखे भागकर सड़क पार करने से दुर्घटना हो सकती है।
• खरीदारी करते समय – बिना जाँच-पड़ताल किए सामान खरीद लेने से खराब या महँगा सामान मिल सकता है।
• दोस्तों या परिवार से झगड़ा – गुस्से में जल्दबाज़ी से बोले गए शब्द रिश्तों को बिगाड़ सकते हैं।
• महत्वपूर्ण फ़ैसले – नौकरी, पढ़ाई या पैसों से जुड़ा फ़ैसला बिना सोचे-समझे लेने पर नुकसान हो सकता है।
इसीलिए गिरिधर कविराय कहते हैं कि बिना विचार किए काम करने वाला बाद में पछताता है।
(ख) मान लीजिए कि आपको या आपके किसी परिजन को नीचे दिए गए संदेश मिलते हैं। ऐसे में आप क्या करेंगे?
उत्तर देखें1. अगर मुझे या मेरे किसी परिजन को ये संदेश मिलें, तो मैं इस तरह काम करूँगा:
• किसी भी अजनबी नंबर पर OTP, पासवर्ड या बैंक की जानकारी बिल्कुल साझा नहीं करूँगा।
• किसी भी लिंक पर क्लिक नहीं करूँगा और न ही कोई ऐप डाउनलोड करूँगा।
• ऐसे संदेश आने पर तुरंत बैंक की आधिकारिक हेल्पलाइन नंबर या शाखा से संपर्क करूँगा।
• अपने परिवार के सदस्यों को भी सावधान करूँगा कि वे इन संदेशों पर भरोसा न करें।
2. सुरक्षा के लिए अतिरिक्त कदम:
• मोबाइल में आए संदिग्ध संदेशों को ब्लॉक और डिलीट कर दूँगा।
• अगर गलती से कोई जानकारी साझा हो गई है, तो तुरंत बैंक को सूचित करके कार्ड/खाता ब्लॉक करवा दूँगा।
• जरूरत पड़ने पर ऐसे संदेशों की शिकायत साइबर क्राइम पोर्टल या नजदीकी पुलिस स्टेशन में करूँगा।
इन संदेशों का मकसद हमें लालच या डर दिखाकर जल्दी से पैसा ट्रांसफर करने या जानकारी देने पर मजबूर करना होता है। इसलिए हमें हमेशा सावधान रहना चाहिए और कोई भी निर्णय बिना सोचे-समझे नहीं लेना चाहिए।
(ग) नीचे कुछ स्थितियाँ दी गई हैं। इन स्थितियों में बिना सोचे-समझे कार्य करने या निर्णय लेने के क्या परिणाम हो सकते हैं—
• सोशल मीडिया पर झूठा संदेश या असत्य समाचार पर भरोसा करके उसे सबको भेज दिया।
• जल्दबाजी में बिना हेलमेट के बाइक चलाने पर पुलिस ने चालान काट दिया।
• बिना माता-पिता से पूछे ऑनलाइन गेम पर पैसे खर्च कर दिए।
उत्तर देखें• सोशल मीडिया पर झूठा संदेश या असत्य समाचार पर भरोसा करके उसे सबको भेज दिया – इससे लोग भ्रमित हो सकते हैं, अफवाह फैल सकती है और समाज में डर या गलतफहमी पैदा हो सकती है। बाद में शर्मिंदगी भी उठानी पड़ सकती है।
• जल्दबाजी में बिना हेलमेट के बाइक चलाने पर पुलिस ने चालान काट दिया – चालान भरना पड़ा, आर्थिक नुकसान हुआ और बिना हेलमेट चलने से जान का भी खतरा रहता है। यह लापरवाही भविष्य में बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है।
• बिना माता-पिता से पूछे ऑनलाइन गेम पर पैसे खर्च कर दिए – पैसे की बर्बादी हुई, माता-पिता नाराज़ हो गए और विश्वास भी टूट सकता है। बाद में पछताना पड़ेगा।
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आज की पहेली
“खान पान सम्मान”
इस पंक्ति के तीनों शब्दों में केवल एक मात्रा का बार-बार उपयोग किया गया है। (आ की मात्रा)
ऐसे ही दो वाक्य नीचे दिए गए हैं, जिनमें केवल एक मात्रा का उपयोग किया गया है—
नीली नदी धीमी थी।
चींटी चीनी जीम गई।
अब आप इसी प्रकार के वाक्य अलग-अलग मात्राओं के लिए बनाइए। ध्यान रहे, आपके वाक्यों का कोई न कोई अर्थ होना चाहिए। आप एक वाक्य में केवल एक मात्रा को बार-बार या बिना मात्रा वाले शब्दों का ही उपयोग कर सकते हैं।
उत्तर:
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खोजबीन के लिए
आपने इस पाठ में गिरधर कविराय की कुण्डलिया “बिना बिचारे जो करै….।” को पढ़ा। अब आप नीचे दी गई इंटरनेट कड़ी का प्रयोग करके एक अन्य कहानी “बिना बिचारे करो न काम” सुन सकते हैं।
उत्तर देखेंयह वीडियो “बिना विचारे काम मत करो” शीर्षक से एक लघु नैतिक कहानी प्रस्तुत करता है, जो यह सिखाती है कि हमें बिना सोचे समझे कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए।
कहानी का सारांश
एक महिला ने घर में एक नेवला पाला और उसे अपने छोटे बच्चे की निगरानी के लिए छोड़ दिया। एक दिन बाजार से लौटने पर उसने देखा कि नेवले के मुँह पर खून था और मान बैठी कि उसने बच्चे को आघात पहुँचाया है। क्रोधित होकर उसने नेवले को मार डाला।
लेकिन बाद में पता चला कि असल में नेवले ने सांप को मारकर बच्चे की रक्षा की थी – उसकी लापरवाही ने ही एक निर्दोष रक्षा करने वाले को मारा।
यह कहानी उस मुहावरे को पूरी तरह से साकार करती है:
“बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय।”
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि पहली प्रतिक्रिया में क्रोध या अफवाहों पर भरोसा करने से भयानक परिणाम हो सकते हैं।
हमें किसी पर निर्णय लेने से पहले पूरी जानकारी जरूर जाँचना चाहिए।
यह उदाहरण गिरिधर कविराय की कुण्डली की भावना से पूरी तरह मेल खाता है – सोच-समझकर काम करें, तभी पछतावा नहीं होगा।
कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 6 के मुख्य बिंदु
• गिरिधर कविराय अठारहवीं सदी के कवि थे, जिन्हें उनकी लोकप्रचलित कुण्डलियों के लिए जाना जाता है।
• उनकी कविताओं में नीतिपरक शिक्षा मिलती है, जिन्हें लोग कहावतों की तरह प्रयोग करते हैं।
• पहली कुण्डलिया – बिना सोचे-समझे किया गया काम बिगड़ जाता है और बाद में पछताना पड़ता है। इससे हँसी और अपमान भी झेलना पड़ता है।
• दूसरी कुण्डलिया – बीती बातों को भूलकर आगे की सुध लेनी चाहिए। पुरानी बातों में उलझे रहना दुखदायी है।
• कवि ने सिखाया कि सही समय पर सही निर्णय लेना ज़रूरी है।
• उनकी रचनाओं की भाषा सरल, सहज और लोकजीवन से जुड़ी है।
• गिरिधर कविराय की बातें आज भी कहावतों की तरह प्रसिद्ध हैं – जैसे “बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय”।
कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 6 का सारांश
गिरिधर कविराय की कुण्डलियाँ हमें जीवन जीने की सीख देती हैं। पहली कुण्डलिया में कवि कहते हैं कि कोई भी काम बिना सोचे-समझे नहीं करना चाहिए। यदि हम बिना विचार किए काम करते हैं तो बाद में पछताना पड़ता है। ऐसी गलती से हमारा काम बिगड़ जाता है और लोग हमारा मज़ाक उड़ाते हैं। मन भी चैन नहीं पाता और सम्मान भी कम हो जाता है।
दूसरी कुण्डलिया में कवि बताते हैं कि हमें बीती हुई बातों को भूल जाना चाहिए और आगे की चिंता करनी चाहिए। पुरानी बातें सोचते रहने से दुख ही मिलेगा। हमें उसी में मन लगाना चाहिए जो अपने आप सहज रूप से मिले। ऐसा करने से मन को शांति मिलेगी और जीवन सुखमय होगा।
कुल मिलाकर, गिरिधर कविराय अपनी कुण्डलियों में सरल और सहज भाषा में यही संदेश देते हैं कि सोच-समझकर काम करो और बीते हुए को छोड़कर आगे बढ़ो।