एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 10 मीरा के पद

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 10 मीरा के पद में भक्त कवयित्री मीरा बाई के दो पद दिए गए हैं। पहले पद में उन्होंने श्रीकृष्ण के सुंदर रूप और भक्ति का वर्णन किया है। दूसरे पद में सावन ऋतु का चित्र और उसमें कृष्ण के आने की आशा दिखाई गई है। मीरा जी ने भक्ति को सरल और मधुर भाषा में प्रस्तुत किया। यह अध्याय हमें प्रेम, भक्ति और आनंद का संदेश देता है।
कक्षा 7 हिंदी मल्हार पाठ 10 के MCQ
कक्षा 7 मल्हार के सभी प्रश्न-उत्तर

मीरा के पद कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 10 के प्रश्न उत्तर

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मेरी समझ से

(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सही उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
(1) “बसो मेरे नैनन में नंदलाल” पद में मीरा किनसे विनती कर रही है?
• संतों से
• भक्तों से
• वैजयंती से
• श्रीकृष्ण से
उत्तर देखें★ श्रीकृष्ण से

(2) “बसो मेरे नैनन में नंदलाल” पद का मुख्य विषय क्या है?
• प्रेम और भक्ति
• प्रकृति की सुंदरता
• युद्ध और शांति
• ज्ञान और शिक्षा
उत्तर देखें★ प्रेम और भक्ति

(3) “बरसे बदरिया सावन” पद में कौन-सी ऋतु का वर्णन किया गया है?
• सर्दी
• गरमी
• वर्षा
• वसंत
उत्तर देखें★ वर्षा

(4) “बरसे बदरिया सावन” पद को पढ़कर ऐसा लगता है, जैसे मीरा-
• प्रसन्न है।
• दुखी है।
• उदास है।
• चिंतित है।
उत्तर देखें★ प्रसन्न है।

(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर देखेंचर्चा:
मैंने यह उत्तर इसलिए चुने हैं क्योंकि पहले पद “बसो मेरे नैनन में नंदलाल” में मीरा बार-बार श्रीकृष्ण का ही गुणगान कर रही हैं। वे उनसे विनती करती हैं कि हे नंदलाल, आप मेरी आँखों में बस जाइए। इसलिए सही उत्तर श्रीकृष्ण ही है।
दूसरे प्रश्न में यह साफ है कि इस पद का मुख्य विषय प्रेम और भक्ति है, क्योंकि मीरा का पूरा भाव कृष्ण-भक्ति पर आधारित है, न कि प्रकृति, युद्ध या शिक्षा पर।
तीसरे प्रश्न में “बरसे बदरिया सावन” पद में बरसात के बादलों, बिजली और बूंदों का वर्णन है। ये सब वर्षा ऋतु के लक्षण हैं, इसलिए सही उत्तर वर्षा है।
चौथे प्रश्न में इस पद को पढ़कर लगता है कि मीरा बहुत प्रसन्न और आनंदित हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि कृष्ण आने वाले हैं। इसलिए मैंने “प्रसन्न है” चुना।
मेरे एक मित्र ने अलग उत्तर चुना था, तो मैं उन्हें समझाया कि मीरा जी हमेशा कृष्ण-भक्ति में लीन रहती थीं। इसलिए उनके पदों का भाव प्रेम, भक्ति और आनंद ही है।

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मिलकर करें मिलान

पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थों या संदर्भों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।

शब्दअर्थ/संदर्भ
1. नंदलाल
2. वैजयंती माल
3. सावन
4. गिरधर

उत्तर:

शब्दअर्थ/संदर्भ
1. नंदलाल4. नंद के पुत्र, श्रीकृष्ण
2. वैजयंती माल3. वैजयंती पौधे के बीजों से बनने वाली माला
3. सावन2. श्रावण का महीना, आषाढ़ के बाद का और भाद्रपद के पहले का महीना
4. गिरधर1. पर्वत को धारण करने वाले, श्रीकृष्ण

पंक्तियों पर चर्चा

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें पढ़कर आपको इनका अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए।
(क) “नन्हीं नन्हीं बूँदन मेंहा बरसे, शीतल पवन सुहावन की।”
उत्तर देखेंइन पंक्तियों का अर्थ है कि सावन के महीने में बारिश की छोटी-छोटी बूँदें बरस रही हैं और ठंडी, सुहावनी हवा चल रही है। यह प्रकृति के सौंदर्य और वर्षा ऋतु के मनमोहक वातावरण का वर्णन करती हैं। मीरा इन पंक्तियों के माध्यम से सावन के आगमन पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करती हैं, क्योंकि यह श्रीकृष्ण के आगमन का संकेत देता है।

(ख) “मीरा के प्रभु संतन सुखदाई, भक्त वछल गोपाल॥”
उत्तर देखेंइन पंक्तियों का अर्थ है कि मीरा के स्वामी (प्रभु) संतों को सुख देने वाले हैं और भक्तों से प्रेम करने वाले गोपाल (श्रीकृष्ण) हैं। मीराबाई यहाँ अपने आराध्य श्रीकृष्ण के गुणों का बखान कर रही हैं, उन्हें संतजनों का कल्याण करने वाला और अपने भक्तों के प्रति अत्यंत स्नेही बता रही हैं। यह पंक्तियाँ मीरा की कृष्ण के प्रति अनन्य भक्ति और उनके स्वरूप में विश्वास को दर्शाती हैं।

कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 10 के सोच-विचार पर आधारित प्रश्न

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सोच-विचार के लिए

पाठ को एक बार फिर से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए—
(क) पहले पद में श्रीकृष्ण के बारे में क्या-क्या बताया गया है?
उत्तर देखें1. वे नंद के पुत्र (नंदलाल) हैं।
2. उनकी मूर्ति मन को मोहने वाली (मोहन मूरति) और साँवले रंग की है (साँवरि सूरति)।
3. उनकी आँखें विशाल हैं (नैना बने विशाल)।
4. उनके होंठों पर अमृत-रस बरसाने वाली मुरली सुशोभित है (अधर सुधारस मुरली राजति)।
5. उनके हृदय पर वैजयंती माला सुशोभित है (उर वैजंती माल)।
6. उनकी कमर पर छोटी-छोटी घंटियाँ (क्षुद्र घंटिका) सुशोभित हैं।
7. उनके चरणों में बजने वाले नूपुर (पायल) अत्यंत मधुर ध्वनि वाले हैं (नूपुर सबद रसाल)।
8. वे संतों को सुख देने वाले हैं (संतन सुखदाई)।
9. वे भक्तों से प्रेम करने वाले गोपाल हैं (भक्त वछल गोपाल)।

(ख) दूसरे पद में सावन के बारे में क्या-क्या बताया गया है?
उत्तर देखेंदूसरे पद “बरसे बदरिया सावन” में सावन के बारे में निम्नलिखित बातें बताई गई हैं:
1. सावन की बदलियाँ बरस रही हैं (बरसे बदरिया सावन की)।
2. यह सावन मन को भाने वाला है (सावन की मन भावन की)।
3. सावन में मन प्रसन्नता से भर उठता है (सावन में उमग्यो मेरो मनवा)।
4. बादल उमड़-घुमड़ कर चारों दिशाओं से आए हैं (उमड़ घुमड़ चहुँ दिस से आया)।
5. बिजली चमक रही है (दामिन दमके) और बारिश हो रही है (झर लावन की)।
6. बारिश की नन्हीं-नन्हीं बूँदें बरस रही हैं (नन्हीं नन्हीं बूँदन मेंहा बरसे)।
7. शीतल और सुहावनी हवा चल रही है (शीतल पवन सुहावन की)।

कविता की रचना

“मीरा के प्रभु संतन सुखदाई”
“मीरा के प्रभु गिरधरनागर”
इन दोनों पंक्तियों पर ध्यान दीजिए। इन पंक्तियों में मीरा ने अपने नाम का उल्लेख किया है। मीरा के समय के अनेक कवि अपनी रचना के अंत में अपने नाम को सम्मिलित कर दिया करते थे। आज भी कुछ कवि अपना नाम कविता में जोड़ देते हैं।
आप ध्यान देंगे तो इस कविता में आपको ऐसी अनेक विशेषताएँ दिखाई देंगी। (जैसे— कविता में छोटी-छोटी पंक्तियाँ हैं, श्रीकृष्ण के लिए अलग-अलग नामों का प्रयोग किया गया है आदि।)
(क) इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और अपने-अपने समूह में मिलकर इस पाठ की विशेषताओं की सूची बनाइए।
उत्तर देखेंइस पाठ की विशेषताएँ:
1. सरल और प्रवाहमयी भाषा: कविता की भाषा सरल है, जिससे भावों को आसानी से समझा जा सकता है।
2. भक्ति रस की प्रधानता: दोनों पदों में श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम और भक्ति का भाव प्रमुख है।
3. भावुकता और आत्मीयता: मीरा ने अपने आराध्य के प्रति अपनी भावनाओं को अत्यंत भावुकता और आत्मीयता से व्यक्त किया है।
4. चित्रात्मक वर्णन: विशेषकर दूसरे पद में सावन के मौसम का सजीव और चित्रात्मक वर्णन किया गया है, जो पाठक के मन में एक तस्वीर बना देता है।
5. संक्षिप्तता: कविता में छोटी-छोटी पंक्तियों का प्रयोग किया गया है, जो उसे गेय और प्रभावशाली बनाती हैं।
6. उपमा और रूपक का प्रयोग: जैसे “अधर सुधारस मुरली” में उपमा का प्रयोग।
7. मीरा का ‘छाप’ या ‘भणित’: कवयित्री ने अपनी रचना के अंत में अपना नाम “मीरा” का उल्लेख किया है, जो उस समय की काव्य परंपरा के अनुरूप है (“मीरा के प्रभु”, “मीरा” आदि)।

(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर देखें✦ कविता की विशेषताएँ (सूची)
1. कविता में मीरा ने अपने नाम का उल्लेख किया है।
2. प्रत्येक पद की पंक्तियाँ छोटी और सरल हैं।
3. कविता में श्रीकृष्ण के लिए अलग-अलग नामों (जैसे – गिरधर, नंदलाल, प्रभु) का प्रयोग हुआ है।
4. भाषा सहज और भावपूर्ण है।
5. कविता में भक्ति और प्रेम की भावना प्रमुख है।
6. कविता में गेयता (गाने योग्य लय) है।
7. कवयित्री ने अपनी आत्मीय अनुभूति को सीधे शब्दों में व्यक्त किया है।

कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 10 कल्पना पर आधारित प्रश्नों के उत्तर

अनुमान और कल्पना से

अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए—
(क) मान लीजिए कि बादलों ने मीरा को श्रीकृष्ण के आने का संदेश सुनाया हो। आपको क्या लगता है कि उन्होंने क्या कहा होगा? कैसे कहा होगा?
उत्तर देखेंयदि बादलों ने मीरा को श्रीकृष्ण के आने का संदेश सुनाया होता, तो शायद उन्होंने गर्जना करते हुए, बिजली चमकाते हुए और धीमी-धीमी फुहारों के साथ कहा होता:
“मीरा, हे मीरा! तुम्हारे नंदलाल आ रहे हैं! हम उनके आगमन की सूचना लेकर आए हैं। देखो, हम उमड़-घुमड़ कर तुम्हारे मन को प्रसन्न करने आ गए हैं। हमारे गरजने में उनकी बंशी का स्वर है, हमारी बिजली में उनके मुकुट की चमक है और हमारी इन नन्हीं बूँदों में उनके चरणों का स्पर्श है। तुम्हारा इंतजार खत्म हुआ, क्योंकि तुम्हारे प्रिय गोपाल अब दूर नहीं!”
उन्होंने यह संदेश उत्साह और उमंग से भरी हुई आवाज़ में, पूरे वातावरण में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए दिया होगा, जिससे मीरा का हृदय आनंद से भर जाता।

(ख) यदि आपको मीरा से बातचीत करने का अवसर मिल जाए तो आप उनसे क्या-क्या कहेंगे और क्या-क्या पूछेंगे?
उत्तर देखेंयदि मुझे मीरा से बातचीत करने का अवसर मिलता, तो मैं उनसे निम्नलिखित बातें कहता/पूछता:
खाने के लिए बातें:
1. मैं मीराबाई को उनके अमर पदों और श्रीकृष्ण के प्रति उनकी अनन्य भक्ति के लिए प्रणाम करता।
2. मैं कहता कि उनके भजन आज भी लाखों लोगों के मन में भक्ति और शांति का संचार करते हैं।
3. मैं उनकी सादगी, त्याग और दृढ़ विश्वास की सराहना करता।
4. मैं उन्हें बताता कि सदियों बाद भी उनकी रचनाएँ जीवित हैं और प्रेरणा दे रही हैं।
पूँछने के लिए बातें:
1. मीराबाई, आपको इतने कष्टों और विरोधों के बावजूद श्रीकृष्ण के प्रति अपनी भक्ति को बनाए रखने की शक्ति कहाँ से मिली?
2. राजसी सुख-सुविधाओं को छोड़कर आपने संतों के जीवन को क्यों चुना?
3. क्या आपको कभी ऐसा लगा कि आपकी भक्ति को कोई समझ नहीं पा रहा है?
4. आपने अपने आराध्य श्रीकृष्ण को किस रूप में देखा और उनसे आपका संवाद कैसा होता था?
5. आपकी सबसे प्रिय स्मृति कौन-सी है जो श्रीकृष्ण से जुड़ी है?
6. आज के समय में जब लोग भौतिकता में लीन हैं, तो क्या आपकी भक्ति का कोई संदेश उनके लिए भी है?

शब्दों के रूप

अगले पृष्ठ पर शब्दों से जुड़ी कुछ गतिविधियाँ दी गई हैं। इन्हें करने के लिए आप शब्दकोश, अपने शिक्षकों और साथियों की सहायता भी ले सकते हैं।
(क) “मोहनि मूरति साँवरि सूरति, नैना बने विशाल!”
इस पंक्ति में ‘साँवरि’ शब्द आया है। इसके स्थान पर अधिकतर ‘साँवली’ शब्द का प्रयोग किया जाता है। इस पद में ऐसे कुछ और शब्द हैं, जिन्हें आप कुछ अलग रूप में लिखते और बोलते होंगे। नीचे ऐसे ही कुछ अन्य शब्द दिए गए हैं। इन्हें आप जिस रूप में बोलते-लिखते हैं, उस तरह से लिखिए:
• नैनन ___________________ • मेरो मनवा ___________________
• सोभित ___________________ • आवन ___________________
• भक्त वछल ___________________• दिश ___________________
• बदरिया ___________________ • मेहा ___________________
उत्तर देखें1. नैनन – नयनों / आँखों
2. सोभित – सुशोभित
3. भक्त वछल – भक्त वत्सल
4. बदरिया – बदलियाँ / बादल
5. मेरो मनवा – मेरा मन
6. आवन – आना
7. दिश – दिशा
8. मेहा – मेंह / वर्षा

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शब्द से जुड़े शब्द

नीचे दिए गए स्थानों में श्रीकृष्ण से जुड़े शब्द पाठ में से चुनकर लिखिए—

कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 10 प्रश्न 1

उत्तर:

कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 10 उत्तर 1

पंक्ति से पंक्ति

नीचे स्तंभ 1 और स्तंभ 2 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। मिली-जुली पंक्तियों को रेखा खींचकर मिलाइए—

कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 10 प्रश्न 2

उत्तर:

कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 10 उत्तर 2

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कविता का सौंदर्य

बरसे बदरिया सावन की!”
इस पंक्ति में रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए। आपको कोई विशेष बात दिखाई दी?
इस पंक्ति में ‘बरसे’ और ‘बदरिया’ दोनों शब्द साथ-साथ आए हैं और दोनों ‘ब’ वर्ण से शुरू हो रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो इस पंक्ति में ‘ब’ वर्ण की आवृत्ति हो रही है। इस कारण यह पंक्ति और भी अधिक सुंदर बन गई है। पाठ में से इस प्रकार के अन्य उदाहरण ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर देखेंइस पंक्ति में ‘ब’ वर्ण की आवृत्ति (अनुप्रास अलंकार) से सौंदर्य बढ़ा है। पाठ से अन्य उदाहरण जहाँ वर्णों की आवृत्ति हुई है:
1. “मोहन मूरति साँवरि सूरति”: यहाँ ‘स’ वर्ण की आवृत्ति है।
2. “नैनन में नंदलाल”: यहाँ ‘न’ वर्ण की आवृत्ति है।
3. “नन्हीं नन्हीं बूँदन”: यहाँ ‘न’ वर्ण की आवृत्ति है।
4. “दामिन दमके”: यहाँ ‘द’ वर्ण की आवृत्ति है।

रूप बदलकर

पाठ के किसी एक पद को एक अनुच्छेद के रूप में लिखिए। उदाहरण के लिए— ‘सावन के बादल बरस रहे हैं, या ‘सावन की बदरिया बरसती है…’ आदि।
उत्तर देखेंपद 1: “बसो मेरे नैनन में नंदलाल” का अनुच्छेद रूप
मीराबाई अपने आराध्य भगवान श्रीकृष्ण से विनती करती हैं कि वे उनके नयनों में बस जाएँ। वह श्रीकृष्ण के उस रूप का वर्णन करती हैं जो मन को मोहने वाला है। उनके साँवले रूप और विशाल नेत्र अत्यंत मनमोहक लगते हैं। उनके होठों पर अमृत से भरी हुई मुरली सुशोभित है और उनके गले में वैजयंती माला शोभा दे रही है। श्रीकृष्ण की कमर पर छोटी-छोटी घंटियाँ बँधी हैं और उनके पैरों में मधुर ध्वनि करने वाले नूपुर सुशोभित हैं। मीरा कहती हैं कि उनके प्रभु श्रीकृष्ण संतों को सुख देने वाले हैं और अपने भक्तों से अगाध प्रेम करते हैं।
पद 2: “बरसे बदरिया सावन की” का अनुच्छेद रूप
सावन के महीने में बदलियाँ बरस रही हैं, जो मन को बहुत भा रही हैं। सावन का मौसम आते ही मीरा का मन उमंग से भर गया है, क्योंकि उन्होंने हरि (श्रीकृष्ण) के आने की आहट सुनी है। बादल चारों दिशाओं से उमड़-घुमड़ कर आ रहे हैं। बिजली चमक रही है और वर्षा की झड़ी लगी हुई है। नन्हीं-नन्हीं बूँदें बरस रही हैं और शीतल व सुहावनी हवा चल रही है। मीरा के प्रभु गिरधरनागर (श्रीकृष्ण) के आने पर आनंद और मंगल के गीत गाए जा रहे हैं।

मुहावरे

“बसो मेरे नैनन में नंदलाला!”
नैनों या आँखों में बस जाना एक मुहावरा है, जब हमें कोई व्यक्ति या वस्तु इतनी अधिक प्रिय लगने लगती है कि उसका ध्यान हर समय मन में बना रहने लगता है तब हम इस मुहावरे का प्रयोग करते हैं, जैसे— उसकी छवि मेरी आँखों में बस गई है। ऐसा ही एक अन्य मुहावरा है— आँखों में घर करना।
नीचे आँखों से जुड़े कुछ और मुहावरे दिए गए हैं। अपने परिजनों, साथियों, शिक्षकों, पुस्तकालय और इंटरनेट की सहायता से इनके अर्थ समझिए और इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
1. आँखों का तारा
उत्तर देखेंअर्थ: बहुत प्यारा होना, अत्यंत प्रिय होना।
वाक्य प्रयोग: राहुल अपनी दादी की आँखों का तारा है।

2. आँखों पर पदार् पड़ना
उत्तर देखेंअर्थ: सच्चाई न देख पाना, भ्रम में पड़ जाना, अज्ञानता के कारण सही-गलत का अंतर न कर पाना।
वाक्य प्रयोग: स्वार्थ के कारण उसकी आँखों पर ऐसा पर्दा पड़ा कि उसे अपने भाई की गलती भी दिखाई नहीं दी।

3. आँखों के आगे अँधेरा छाना
उत्तर देखेंअर्थ: चक्कर आना, घबराहट होना, होश गुम हो जाना, किसी विपत्ति या अप्रत्याशित घटना से स्तब्ध रह जाना।
वाक्य प्रयोग: अचानक मिली बुरी खबर सुनकर उसकी आँखों के आगे अँधेरा छा गया।

4. आँख दिखाना
उत्तर देखेंअर्थ: क्रोध से देखना, धमकाना, डाँटना।
वाक्य प्रयोग: छोटे भाई ने जब शरारत की तो बड़े भाई ने उसे आँख दिखाई।

5. आँख का काँटा
उत्तर देखेंअर्थ: अप्रिय व्यक्ति, शत्रु, जिससे घृणा की जाए।
वाक्य प्रयोग: अपनी तरक्की के बाद वह अपने कुछ साथियों की आँखों का काँटा बन गया।

6. आँखें फेरना
उत्तर देखेंअर्थ: बदल जाना, पहले जैसा व्यवहार न रखना, उपेक्षा करना, उदासीन हो जाना।
वाक्य प्रयोग: मुसीबत के समय उसके सभी पुराने दोस्तों ने आँखें फेर लीं।

7. आँख भर आना
उत्तर देखेंअर्थ: आँसू आ जाना, भावुक हो जाना।
वाक्य प्रयोग: पुरानी यादों को ताजा करते ही उसकी आँखें भर आईं।

8. आँखें चुराना
उत्तर देखेंअर्थ: सामने न आना, छिपना, शर्म या डर से दृष्टि न मिलाना।
वाक्य प्रयोग: अपनी गलती स्वीकार न करने के कारण वह सबसे आँखें चुराने लगा।

9. आँखों से उतारना
उत्तर देखेंअर्थ: अपमानित करना, किसी की इज्जत घटाना, किसी को बुरा मानना।
वाक्य प्रयोग: उसने ऐसी हरकत की कि मैंने उसे अपनी आँखों से उतार दिया।

10. आँखों में खटकना
उत्तर देखेंअर्थ: बुरा लगना, अप्रिय लगना, असहनीय होना।
वाक्य प्रयोग: उसकी बढ़ती लोकप्रियता कुछ लोगों की आँखों में खटकने लगी है।

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सबकी प्रस्तुति

पाठ के किसी एक पद को चुनकर अपने समूह के साथ मिलकर अलग-अलग तरीके से कक्षा के सामने प्रस्तुत कीजिए, उदाहरण के लिए—
• गायन करना।
• भाव-नृत्य प्रस्तुत करना।
• कविता पाठ करना आदि।
उत्तर देखेंयह रचनात्मक कार्य कक्षा में विद्यार्थी शिक्षक की उपस्थिति में स्वयं करें।

आपकी बात

(क) “बरसे बदरिया सावन की”
1. इस पद में सावन का सुंदर चित्रण किया गया है। जब आपके गाँव या नगर में सावन आता है तो मौसम में क्या परिवर्तन आते हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर देखेंजब मेरे गाँव/नगर में सावन आता है, तो मौसम में कई खुशनुमा बदलाव आते हैं। आसमान में गहरे, काले बादल छा जाते हैं और सूरज की तपिश कम हो जाती है, जिससे मौसम सुहावना हो जाता है। ठंडी हवाएँ चलने लगती हैं और वातावरण में मिट्टी की सोंधी खुशबू भर जाती है, जो पहली बारिश के बाद आती है। पेड़-पौधे और हरियाली और भी घनी व ताज़ी हो जाती है, धूल-मिट्टी धुलने से सब कुछ हरा-भरा और चमकदार दिखने लगता है। नदियाँ, तालाब और कुएँ पानी से भर जाते हैं, जिससे जलस्तर बढ़ता है। किसानों के चेहरे पर खुशी आ जाती है क्योंकि यह उनकी फसलों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। कुल मिलाकर, सावन का आगमन गर्मी के बाद एक ताजगी और नई ऊर्जा लेकर आता है।

2. सावन की ऋतु में किस-किस प्रकार की ध्वनियाँ सुनाई देती हैं? इन ध्वनियों को सुनकर आपके मन में कौन-कौन सी भावनाएँ उठती हैं? आप कैसा अनुभव करते हैं? अपने अनुभवों के आधार पर बताइए। (उदाहरण के लिए— बिजली के कड़कने या बूँदों के टपकने की ध्वनियाँ!)
उत्तर देखेंसावन की ऋतु में कई मनमोहक ध्वनियाँ सुनाई देती हैं:
1. बादलों की गड़गड़ाहट और बिजली का कड़कना: ये ध्वनियाँ कभी-कभी डरावनी लग सकती हैं, लेकिन अक्सर एक रोमांच और प्रकृति की शक्ति का अहसास कराती हैं।
2. बारिश की बूँदों का टपकना: छत, खिड़कियों और पेड़ों पर बूँदों के गिरने की आवाज़ एक सुकून भरी लय बनाती है, जो मन को शांति देती है।
3. मेंढकों की टर्र-टर्र: बारिश के बाद मेंढकों की आवाज़ें सुनाई देती हैं, जो ग्रामीण इलाकों में सावन के आने का संकेत होती हैं।
4. पक्षियों का चहचहाना: बारिश थमने के बाद पक्षी और भी मधुरता से चहचहाते हैं, मानो वे भी इस मौसम का आनंद ले रहे हों।
5. पानी के बहने की आवाज़: नालियों और नालों में पानी के तेज़ बहाव की आवाज़ भी सुनाई देती है।
इन ध्वनियों को सुनकर मेरे मन में अक्सर प्रसन्नता, ताजगी और प्रकृति से जुड़ाव की भावनाएँ उठती हैं। बारिश की आवाज़ मुझे आरामदायक महसूस कराती है, जबकि बिजली की कड़क मुझे प्रकृति की भव्यता का अनुभव कराती है। कुल मिलाकर, यह एक सुखद और जीवंत अनुभव होता है।

3. वर्षा ऋतु में आपको कौन-कौन सी गतिविधियाँ करने या खेल खेलने में आनंद आता है?
उत्तर देखेंवर्षा ऋतु में मुझे निम्नलिखित गतिविधियाँ करने में आनंद आता है:
1. कागज़ की नाव बनाना और पानी में तैराना: यह बचपन की सबसे पसंदीदा गतिविधियों में से एक है।
2. बारिश में नहाना: गरम चाय या पकौड़ों के साथ बारिश का आनंद लेना।
3. किताबें पढ़ना: बारिश के मौसम में घर में बैठकर किताबें पढ़ने का अपना ही मज़ा है।
4. परिवार या दोस्तों के साथ लूडो, कैरम जैसे इंडोर गेम खेलना।
5. प्रकृति का अवलोकन: खिड़की से या बालकनी से बारिश और हरियाली को निहारना।
6. पकौड़े या भुट्टा खाना: बारिश में गरमा-गरम पकौड़े या भुट्टा खाने का अलग ही मज़ा है।

4. सावन के महीने में हमारे देश में अनेक त्योहार मनाए जाते हैं। आपके घर, परिवार या गाँव में सावन में कौन-कौन से त्योहार मनाए जाते हैं? किसी एक के विषय में अपने अनुभव बताइए।
उत्तर देखेंसावन के महीने में हमारे देश में कई त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे: हरियाली तीज, नाग पंचमी, रक्षाबंधन, श्रावण सोमवार (शिव पूजा) आदि।
मेरे घर और गाँव में सावन में मुख्य रूप से रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। यह भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है।
अनुभव: रक्षाबंधन के दिन, सुबह से ही घर में उत्साह का माहौल होता है। बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए उनकी कलाई पर राखी बाँधती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा का वचन देते हैं। इस दिन विशेष पकवान बनते हैं और पूरा परिवार एक साथ मिलकर त्योहार मनाता है। मुझे याद है, एक बार मेरे भाई ने मेरी सबसे पसंदीदा चॉकलेट का डिब्बा मुझे उपहार में दिया था और वह दिन आज भी मुझे बहुत खुशी देता है। यह त्योहार परिवार को एकजुट करता है और रिश्तों में मिठास घोलता है।

(ख) “बसो मेरे नैनन में नंदलाल”
इस पद में मीरा श्रीकृष्ण को ‘संतों को सुख देने वाला’ और ‘भक्तों का पालन करने वाला’ कहती हैं।
1. क्या आपके जीवन में कोई ऐसा व्यक्ति है जो सदैव आपकी सहायता करता है और आपको आनंदित करता है? विस्तार से बताइए।
उत्तर देखेंहाँ, मेरे जीवन में मेरी दादी एक ऐसी व्यक्ति हैं जो सदैव मेरी सहायता करती हैं और मुझे आनंदित करती हैं।
विस्तार से: मेरी दादी ने हमेशा मुझे सही रास्ता दिखाया है। जब भी मैं किसी परेशानी में होता हूँ या कोई निर्णय लेने में मुश्किल आती है, तो वे मेरी मदद करती हैं। उनकी सलाह हमेशा मेरे लिए सबसे अच्छी होती है। उनकी बातें सुनकर मुझे हमेशा शांति और प्रेरणा मिलती है। जब मैं उदास होता हूँ, तो उनकी एक बात या उनकी हंसी मुझे तुरंत खुशी दे देती है। उनका निस्वार्थ प्रेम और समर्थन मुझे हर चुनौती का सामना करने की हिम्मत देता है। वे मेरे जीवन में एक मार्गदर्शक और एक सुखद उपस्थिति की तरह हैं, जिनकी मौजूदगी से मैं हमेशा आनंदित महसूस करता हूँ। वे वास्तव में मेरे लिए संतों को सुख देने वाले और भक्तों का पालन करने वाले श्रीकृष्ण के समान हैं, क्योंकि वे निस्वार्थ भाव से मुझे खुशी और सहारा देती हैं।

2. कवयित्री ने पाठ में ‘नूपुर’ और ‘क्षुद्र घंटिका’ जैसे उदाहरणों का प्रयोग किया है। किसी का वर्णन करने के लिए हम केवल बड़ी-बड़ी ही नहीं, बल्कि उससे जुड़ी छोटी-छोटी बातें भी बता सकते हैं। आप भी अपने आस-पास के किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करते हुए उससे जुड़ी छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दीजिए और उन्हें लिखिए।
उत्तर देखेंमेरा स्कूल बैग: मेरा स्कूल बैग नीले और काले रंग की है। इसके सामने एक छोटा-सा चेन वाला पॉकेट है, जिसमें मैं पेंसिल, रबर और शार्पनर रखता हूँ। बैग के दोनों ओर जालीदार जेबें हैं, जिनमें पानी की बोतल और छोटा तौलिया आसानी से आ जाता है। इसके चेन खोलते समय चर्र-चर्र की हल्की आवाज़ आती है। बैग के ऊपर की पकड़ थोड़ी घिस गई है क्योंकि मैं उसे बार-बार खींचकर उठाता हूँ। अंदर की ओर नाम लिखने की जगह है, जहाँ मैंने अपना नाम लिखा है। बैग के कंधे वाले पट्टे मुलायम हैं, जिससे वजन ज़्यादा होने पर भी ज्यादा दर्द नहीं होता। ये सारी छोटी-छोटी बातें मेरी बैग को खास बनाती हैं।

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विशेषताएँ

“मोहन मूरति साँवरि सूरति, नैना बने विशाल!”
(क) इस पंक्ति में कवयित्री ने श्रीकृष्ण की मोहनी मूरत, साँवली सूरत और विशाल नैनों की बात की है। आपको श्रीकृष्ण की कौन-कौन सी बातों ने सबसे अधिक आकर्षित किया?
उत्तर देखेंमुझे श्रीकृष्ण की कई बातों ने सबसे अधिक आकर्षित किया है:
1. उनकी मधुर मुरली की धुन: यह मन को शांत करती है और आत्मा को परमात्मा से जोड़ती है। उनकी मुरली की धुन में ऐसा जादू है कि गोपियाँ ही नहीं, गायें और प्रकृति भी मंत्रमुग्ध हो जाती है।
2. उनका प्रेम और करुणा: वे भक्तों के प्रति अत्यंत दयालु और स्नेही हैं, जैसा कि मीरा ने उन्हें ‘भक्त वछल गोपाल’ कहा है। उनका प्रेम निस्वार्थ और सर्वव्यापी है।
3. उनकी लीलाएँ और नटखटपन: बाल गोपाल के रूप में उनकी शरारतें और लीलाएँ मन को आनंदित करती हैं, जैसे माखन चोरी करना या गोपियों को छेड़ना।
4. उनका मोहक रूप: मीराबाई द्वारा वर्णित उनका साँवला रूप, विशाल नेत्र और सुंदर साज-श्रृंगार अत्यंत आकर्षक है।

(ख) किसी व्यक्ति या वस्तु का कौन-सा गुण आपको सबसे अधिक आकर्षित करता है? क्यों? अपने जीवन से जुड़े किसी व्यक्ति या वस्तु के उदाहरण से बताइए।
उत्तर देखेंमुझे किसी व्यक्ति का निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करने का गुण सबसे अधिक आकर्षित करता है। यह गुण इसलिए प्रिय है क्योंकि यह बिना किसी अपेक्षा के दूसरों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।
उदाहरण: मेरे बड़े भाई (या कोई मित्र/शिक्षक) का उदाहरण ले सकते हैं। वे हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते हैं, चाहे वह किसी दोस्त को पढ़ाई में मदद करना हो, या किसी ज़रूरतमंद की आर्थिक सहायता करना हो। वे कभी बदले में कुछ नहीं चाहते। एक बार, जब मैं अपनी पढ़ाई में बहुत परेशान था और मुझे कोई राह नहीं दिख रही थी, तो मेरे भाई ने अपना कीमती समय निकालकर मुझे समझाया और सही दिशा दी, जिससे मुझे बहुत मदद मिली। उनका यह निस्वार्थ भाव और दूसरों के प्रति उनकी करुणा मुझे बहुत प्रेरित करती है और यही गुण मुझे उनमें सबसे अधिक आकर्षित करता है।

(ग) हम सबकी कुछ विशेषताएँ बाह्य तो कुछ आंतरिक होती हैं। बाह्य विशेषताएँ तो हमें दिखाई दे जाती हैं, लेकिन आंतरिक विशेषताएँ व्यक्ति के व्यवहार से पता चलती हैं। आप अपनी दोनों प्रकार की विशेषताओं के दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर देखेंबाह्य विशेषताएँ (जो दिखाई देती हैं):
1. ऊँचा कद: मेरा कद सामान्य से थोड़ा ऊँचा है, जो मेरी शारीरिक पहचान का एक हिस्सा है।
2. काले, घने बाल: मेरे बाल काले और घने हैं, यह भी मेरी बाहरी विशेषता है।
आंतरिक विशेषताएँ (जो व्यवहार से पता चलती हैं):
1. ईमानदारी: मैं हमेशा सच बोलने और अपने वादों को पूरा करने की कोशिश करता हूँ। यह मेरे व्यवहार में झलकता है जब मैं अपनी गलती स्वीकार करता हूँ या किसी से किए वादे पर खरा उतरता हूँ।
2. दयालुता: मैं दूसरों के प्रति सहानुभूति और दया का भाव रखता हूँ। यह मेरी बातचीत से, या जब मैं किसी ज़रूरतमंद की मदद करता हूँ, तब प्रकट होता है।

मधुर ध्वनियाँ

“अधर सुधारस मुरली राजति, उर वैजंती माला!
क्षुद्र घंटिका कटितट सोभित, नूपुर शब्द रसाला!”
इन पंक्तियों में तीन ऐसी वस्तुओं के नाम आए हैं, जिनसे मधुर ध्वनियाँ उत्पन्न होती हैं। उन वस्तुओं के नाम पहचानिए और उनके नीचे रेखा खींचिए।
उत्तर देखें“अधर सुधारस मुरली राजति, उर वैजंती माला!
क्षुद्र घंटिका कटितट सोभित, नूपुर शब्द रसाला!”

आगे मधुर ध्वनियाँ उत्पन्न करने वाले कुछ वाद्ययंत्रों के विषय में पहेलियाँ दी गई हैं। इन्हें पहचानकर सही चित्रों के साथ रेखा खींचकर मिलाइए।

कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 10 प्रश्न 3

उत्तर:

कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 10 उत्तर 3

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चित्र करते हैं बातें

नीचे दिए गए चित्र को ध्यान से देखिए—

कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 10 प्रश्न

यह मीरा का कागज़ पर बना चित्र है। इस चित्र के आधार पर मीरा के संबंध में एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर देखेंप्रस्तुत चित्र महान संत कवयित्री मीराबाई का एक सुंदर और शांत चित्रण है। चित्र में मीराबाई को एक वीणा जैसी तार वाद्ययंत्र बजाते हुए दर्शाया गया है, जो उनकी संगीत और भजन के प्रति गहरी लगन को दर्शाता है। उनके चेहरे पर एक शांति और भक्ति का भाव स्पष्ट दिखाई देता है, मानो वे अपने आराध्य श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हों। उनके केश खुले हुए और वस्त्र साधारण दिख रहे हैं, जो उनकी राजसी जीवन शैली को त्याग कर एक संत के रूप में सादगीपूर्ण जीवन अपनाने का संकेत देते हैं। चित्र में मीराबाई कमल के फूल पर बैठी हुई प्रतीत होती हैं, जो पवित्रता और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। उनके पास एक हिरण भी बैठा है, जो दर्शाता है कि उनका प्रेम न केवल मनुष्यों तक सीमित था, बल्कि वे प्रकृति और जीवों से भी प्रेम करती थीं। यह चित्र मीराबाई के कृष्ण प्रेम, उनकी भक्ति भावना और उनके संत स्वभाव को बखूबी प्रस्तुत करता है, जिससे उनकी आत्मा की शांति और ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास का बोध होता है।

सावन से जुड़े गीत

अपने परिजनों, मित्रों, शिक्षकों, पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता से सावन में गाए जाने वाले गीतों को ढूँढ़िए और किसी एक गीत को अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए। आप सावन से जुड़ा कोई भी लोकगीत, खेलगीत, कविता आदि लिख सकते हैं। कक्षा के सभी समूहों द्वारा एकत्रित गीतों को जोड़कर एक पुस्तिका बनाइए और कक्षा के पुस्तकालय में उसे सम्मिलित कीजिए।
उत्तर देखेंयह कार्य हमें खोजबीन और लेखन दोनों करने के लिए प्रेरित करता है। उदाहरण के लिए, हम सावन से जुड़े किसी लोकगीत या कविता को अपनी लेखन-पुस्तिका में लिख सकते हैं। यहाँ एक छोटा-सा सावन का लोकगीत है, जो इस प्रकार है:
सावन गीत
सावन आयो रे झूम के,
घन-घन मेघा गगन में छायो रे।
कोयल गाए मधुर सुर में,
पी धरती पर हरियाली छायो रे।

खोजबीन

आपने पढ़ा कि मीरा श्रीकृष्ण की आराधना करती थीं। आपने कक्षा 6 की पुस्तक मल्हार में पढ़ा था कि सूरदास भी श्रीकृष्ण के भक्त थे। अपने समूह के साथ मिलकर सूरदास की कुछ रचनाएँ ढूँढ़कर कक्षा में सुनाइए। इसके लिए आप पुस्तकालय और इंटरनेट की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर देखेंसूरदास भी कृष्ण-भक्ति शाखा के महान कवि थे। उनकी कृतियों में ‘सूरसागर’, ‘सूरसारावली’ और ‘साहित्य लहरी’ प्रमुख हैं। इनमें उन्होंने बाललीला, गोपी-उद्धव संवाद, रासलीला और वात्सल्य-भाव का अद्भुत चित्रण किया है।
उदाहरण के लिए, सूरदास की एक प्रसिद्ध रचना देखिए—
“मैया! मोहि दाऊ बहुत खिझायो।”
(इस पद में बालकृष्ण अपनी माता यशोदा से शिकायत करते हैं कि दाऊजी यानी बलराम उन्हें बहुत सताते हैं।)
या फिर—
“जसोदा हरि पालनै झुलावै।”
(इस पद में माँ यशोदा कृष्ण को झूले में झुलाती हैं, और वात्सल्य-भाव प्रकट होता है।)

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आज की पहेली

पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। इनका अंतिम ध्वनी से मिलती-जुलती ध्वनि वाले शब्द वर्ग में से
खोजिए और लिखिए –

कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 10 प्रश्न 4

उत्तर:

कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 10 उत्तर 4
कक्षा 7 हिंदी मल्हार पाठ 10 के सरल भावार्थ

पद 1: “बसो मेरे नैनन में नंदलाल”
इस पद में मीरा जी भगवान श्रीकृष्ण से कहती हैं कि हे नंदलाल (कृष्ण), आप मेरे नेत्रों में बस जाइए। मीरा उनके रूप का सुंदर वर्णन करती हैं – साँवला रूप, मुरली (बांसुरी) बजाते हुए, गले में वैजयंती माला, कमर पर छोटी-छोटी घंटियाँ और पैरों में नूपुर। मीरा मानती हैं कि उनके प्रभु संतो को सुख देने वाले और भक्तों के रक्षक हैं।
पद 2: “बरसे बदरिया सावन की”
इस पद में मीरा सावन के महीने का आनंद दिखाती हैं। सावन की बदली, बिजली की चमक और बारिश देखकर उनका मन उल्लसित हो उठता है। उन्हें लगता है कि यह संकेत है कि उनके प्रिय श्रीकृष्ण आने वाले हैं। बूंद-बूंद बारिश और ठंडी हवा से वातावरण और भी सुहावना हो जाता है। अंत में मीरा आनंदपूर्वक कहती हैं कि उनके प्रभु गिरधर नागर के लिए वे मंगल गीत गाती हैं।

कक्षा 7 हिंदी मल्हार पाठ 10 का सारांश

इस अध्याय में भक्त कवयित्री मीरा के दो पद दिए गए हैं। पहले पद में मीरा भगवान कृष्ण से प्रार्थना करती हैं कि वे उनके नेत्रों में बस जाएँ। वह कृष्ण की सुंदर मूर्ति का वर्णन करती हैं – वे साँवले हैं, बांसुरी बजाते हैं, गले में वैजयंती माला और पैरों में नूपुर धारण किए हुए हैं। मीरा मानती हैं कि कृष्ण ही संतों को सुख देने वाले और भक्तों के रक्षक हैं।
दूसरे पद में सावन ऋतु का सुंदर चित्र है। आकाश में बादल छा जाते हैं, बिजली चमकती है और ठंडी बूँदें बरसती हैं। सावन के इस आनंदमय वातावरण में मीरा को लगता है कि श्रीकृष्ण उनके पास आ रहे हैं। वे हर्षित होकर कृष्ण की मंगल वंदना करती हैं।
कवयित्री मीरा का जीवन भी इस पाठ में बताया गया है। वे बचपन से ही कृष्ण भक्ति में लीन थीं। राजकुमारी होते हुए भी उन्होंने महलों का त्याग किया और संतों का जीवन अपनाया। वे भजन गाकर और सत्संग करके कृष्ण की भक्ति करती थीं। उनके भजन आज भी श्रद्धा और प्रेम से गाए जाते हैं।