एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 हिंदी वीणा अध्याय 2 न्याय की कुर्सी
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 हिंदी वीणा अध्याय 2 न्याय की कुर्सी सत्र 2025-26 के लिए यहाँ दिए गए हैं। इसमें बच्चों का खेल न्याय का माध्यम बन जाता है। खेल-खेल में लड़के फरियादें सुनते और फैसले सुनाते हैं। लोगों को उनकी बुद्धिमत्ता पर विश्वास हो जाता है। राजा विक्रमादित्य का पुराना सिंहासन मिलने पर उसकी मूर्तियाँ स्वयं राजा की परीक्षा लेती हैं। यह अध्याय सिखाता है कि सच्चा न्याय केवल पद या शक्ति से नहीं, बल्कि निष्पक्षता, ईमानदारी और निर्मल हृदय से मिलता है।
कक्षा 5 हिंदी वीणा पाठ 2 के MCQ
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कक्षा 5 के सभी विषयों के प्रश्न उत्तर
न्याय की कुर्सी कक्षा 5 हिंदी वीणा अध्याय 2 के प्रश्न उत्तर
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बातचीत के लिए
1. आपका प्रिय खेल कौन-सा है? आप उसे कैसे खेलते हैं?
उत्तर देखेंमेरा प्रिय खेल खो-खो है। हम इसे मैदान में दो टीमों में बंटकर खेलते हैं। एक टीम दौड़ने वाली होती है और दूसरी टीम पकड़ने वाली। पकड़ने वाली टीम का एक खिलाड़ी “खो-खो” बोलकर दौड़ने वालों को पकड़ने की कोशिश करता है। जो टीम सबसे पहले सारे विरोधी खिलाड़ियों को पकड़ लेती है, वह जीत जाती है।
2. क्या आपने कभी किसी समस्या का समाधान किया है? अपना अनुभव साझा कीजिए।
उत्तर देखेंहाँ, एक बार मेरे दो दोस्त एक ही किताब को लेकर झगड़ रहे थे। दोनों कह रहे थे कि किताब उनकी है। मैंने उन दोनों से पूछा कि किताब के अंदर कहीं उनका नाम लिखा है या कोई ख़ास निशान है। एक दोस्त ने कहा कि किताब के आखिरी पन्ने पर उसके पापा का हस्ताक्षर है। जब हमने देखा तो वह हस्ताक्षर वहाँ था। इस तरह किताब का असली मालिक पता चल गया और झगड़ा खत्म हो गया।
3. यदि आप राजा के स्थान पर होते और आपको लड़के के बारे में पता चलता तो आप क्या करते?
उत्तर देखेंअगर मैं राजा होता और मुझे पता चलता कि एक छोटा लड़का इतना अच्छा न्याय कर रहा है, तो मुझे ख़ुशी होती। मैं उसे बुलाता और उसकी तारीफ करता। मैं उसे अपने दरबार में एक छोटा मुकाम देता ताकि वह अपनी बुद्धिमानी से और लोगों की मदद कर पाता। मैं उससे न्याय करने के तरीके भी सीखता।
4. लड़के के अंदर ऐसे कौन-कौन से गुण होंगे जिनके कारण वह सिंहासन पर बैठ पा रहा था?
उत्तर देखें• ईमानदारी: उसके मन में कोई बुराई नहीं थी।
• न्यायप्रियता: वह हमेशा सही और गलत का फैसला अच्छे से करता था।
• बुद्धिमानी: वह मुश्किल से मुश्किल बात को भी आसानी से समझ जाता था।
• निडरता: वह किसी से भी नहीं डरता था, चाहे वह राजा ही क्यों न हो।
• भोलापन: उसका दिल बहुत साफ़ था, उसमें लालच बिल्कुल नहीं था।
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पाठ से
नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर के आगे तारे का चिह्न (✶) बनाइए। एक से अधिक विकल्प भी सही हो सकते हैं —
1. राजा को लड़के द्वारा न्याय करने के विषय में कैसे पता चला?
(क) लड़के द्वारा की गई शरारतों को सुनकर
(ख) लोगों द्वारा लड़के के न्याय की प्रशंसा सुनकर
(ग) लड़के द्वारा अपने न्याय की बुराई सुनकर
(घ) मंत्रियों द्वारा लड़के की बुद्धि की प्रशंसा सुनकर
उत्तर देखें(ख) लोगों द्वारा लड़के के न्याय की प्रशंसा सुनकर (✶)
2. राजा को सबसे अधिक आश्चर्य किस बात से हुआ?
(क) बच्चे खेल-खेल में न्याय कर रहे थे।
(ख) लोग राजा के दरबार में नहीं आ रहे थे।
(ग) सिंहासन पर बैठने वाला लड़का सही न्याय करता था।
(घ) स्वयं सिंहास न में ही कोई चमत्कारी शक्ति विद्यमान थी।
उत्तर देखें(क) बच्चे खेल-खेल में न्याय कर रहे थे। (✶)
(ग) सिंहासन पर बैठने वाला लड़का सही न्याय करता था। (✶)
3. लड़कों को यह खेल इतना अच्छा क्यों लगा कि वे प्रतिदिन इसे खेलने लगे?
(क) क्योकि वे राजा जैसा बनने का आनंद ले रहे थे।
(ख) क्योकि यह अन्य खेलों से अधिक मनोरंजक था।
(ग) क्योकि उन्हें न्याय करने का अनुभव अच्छा लगा।
(घ) क्योकि इस खेल से वे नगर भर में प्रसिद्ध हो गए थे।
उत्तर देखें(क) क्योकि वे राजा जैसा बनने का आनंद ले रहे थे। (✶)
(ग) क्योकि उन्हें न्याय करने का अनुभव अच्छा लगा। (✶)
4. राजा ने उपवास और प्रायश्चित क्यों किया?
(क) ताकि वह सिंहास न पर बैठने के योग्य बन सके।
(ख) क्योकि उसे अपने कर्मों पर पछता वा था।
(ग) क्योकि मूर्तियों ने उसे ऐसा करने के लिए कहा था।
(घ) क्योकि जनता ने उसे ऐसा करने को कहा था।
उत्तर देखें(ग) क्योकि मूर्तियों ने उसे ऐसा करने के लिए कहा था। (✶)
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सोचिए और लिखिए
नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए —
1. सभी लड़के सिंहासन पर बैठ पा रहे थे लेकिन राजा नहीं बैठ पाया। ऐसा क्यों?
उत्तर देखेंक्योंकि सभी लड़के छोटे और भोले-भाले थे। उनके मन में किसी तरह की बुराई, लालच या झूठ नहीं था। वे सच्चे दिल से न्याय करते थे। जबकि राजा ने अपने दरबारी की जमीन हड़पी थी (चोरी), मुसीबत से बचने के लिए झूठ बोला था और लोगों को चोट पहुँचाई थी। इसलिए वह सिंहासन के योग्य नहीं था।
2. क्या राजा को प्रायश्चित करने के बाद सिंहास न पर बैठने का अधिकार मिलना चाहिए था? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।
उत्तर देखेंनहीं, क्योंकि प्रायश्चित करने से सिर्फ पिछले पाप धुलते हैं, लेकिन इंसान का दिल और स्वभाव एकदम से नहीं बदलता। राजा के अंदर का घमंड और अहंकार अभी भी बाकी था, जो उसने आखिर में अपने विचारों से दिखा भी दिया। सिंहासन पर बैठने के लिए नेक दिल और अच्छे चरित्र की जरूरत होती है, जो राजा में नहीं था।
3. दोनों किसानों ने अपने झगड़े के निपटारे के लिए राजा के दरबार में जाने के बजाय लड़के के पास जाने का फैसला क्यों किया?
उत्तर देखेंक्योंकि लड़के की न्याय करने की ख्याति पूरे शहर में फैल गई थी। सभी लोग कह रहे थे कि लड़का बहुत बुद्धिमान और न्यायप्रिय है और उसके सभी फैसले सही और निष्पक्ष होते हैं। शायद किसानों को लगता था कि राजा के दरबार के मुकाबले उस छोटे से नेक दिल लड़के के पास उन्हें बेहतर और त्वरित न्याय मिलेगा।
4. चौथी मूर्ति सिंहासन के साथ आकाश में क्यों उड़ गई?
उत्तर देखेंक्योंकि राजा ने आखिरी समय पर घमंड कर दिया। उसने सोचा कि वह एक लड़के से ज्यादा ताकतवर, अमीर और बुद्धिमान है, इसलिए सिंहासन पर बैठने का असली हकदार वही है। उसका यह अहंकार साबित करता है कि वह सिंहासन की शुद्धता और न्याय के सच्चे स्वरूप के योग्य नहीं था। इसलिए चौथी मूर्ति उसे सिंहासन पर बैठने नहीं देना चाहती थी और वह सिंहासन को लेकर उड़ गई।
5. इस कहानी को एक नया शीर्षक दीजिए और बताइए कि आपने यह शीर्षक क्यों चुना?
उत्तर देखेंनया शीर्षक: “न्याय की शक्ति”
कारण: मैंने यह शीर्षक इसलिए चुना क्योंकि यह कहानी हमें सिखाती है कि न्याय की असली ताकत बड़े-बड़े सिंहासन या राजाओं में नहीं, बल्कि एक नेक और ईमानदार दिल में होती है। एक छोटा सा बच्चा भी अपनी ईमानदारी से बड़े-बड़ों को न्याय सिखा सकता है।
कक्षा 5 हिंदी वीणा अध्याय 2 के अनुमान और कल्पना के प्रश्न
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अनुमान और कल्पना
1. कहानी में सिंहास न की मूर्तियाँ उड़कर किसी और जगह चली जाती हैं। वे कहाँ जाती होंगी और वहाँ क्या करती होंगी?
उत्तर देखेंमेरे अनुमान से, वे मूर्तियाँ किसी ऐसी जगह जाती होंगी जहाँ कोई ईमानदार, नेकदिल और न्यायप्रिय इंसान हो। हो सकता है वे किसी और गाँव या जंगल में चली जातीं और वहाँ किसी गरीब लेकिन अच्छे इंसान की परीक्षा लेतीं। अगर वह इंसान खुद को शुद्ध और नेक पाता, तो शायद वे उसे ही उस सिंहासन पर बैठने का अधिकार दे देतीं ताकि वह दुनिया में न्याय फैला सके।
2. यदि इस कहानी के अंत में राजा सिंहास न पर बैठने में सफल हो जाता तो क्या होता?
उत्तर देखेंअगर राजा सिंहासन पर बैठ जाता, तो शायद वह एक अच्छा राजा बन जाता। उसे अपनी गलतियों का एहसास हो चुका था और उसने प्रायश्चित भी किया था। सिंहासन की शक्ति से वह और भी ज्यादा न्यायप्रिय और बुद्धिमान बन जाता। वह अपनी प्रजा के लिए बहुत अच्छे-अच्छे फैसले लेता और सबको खुशी-खुशी रहने का मौका देता। उसका राज्य सुख और शांति से भर जाता।
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भाषा की बात
नीचे दी गई पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए-
यह तो और भी आशचर्य की बात है हो न हो पत्थर की इस कुर्सी में ही कोई चमत्कार है मैं इसकी जाँच करूँगा
ऊपर दिए गए वाक्यों को ध्यान से देखिए। आपको इसका अर्थ समझने में कुछ कठिनाई हो रही है न? अब इसी वाक्य को एक बार फिर पढ़िए —
“यह तो और भी आशचर्य की बात है! हो न हो, पत्थर की इस कुर्सी में ही कोई चमत्कार है। मैं इसकी जाँच करूँगा।”
अब आपको इन वाक्यों का अर्थ और भाव ठीक-ठीक समझ में आ रहा होगा।
इसका कारण है कुछ विशेष चिह्न, जेसे – “ ” , । !
इस प्रकार के चिह्नों को ‘विराम चिह्न’ कहते हैं। विराम चिह्नों से पता चलता है कि लिखे हुए वाक्यों में कहाँ ठहराव है और उनका क्या भाव है।
अब नीचे दिए गए वाक्यों में उचित स्थानों पर विराम चिह्न लगाइए —
(क) चौथी मूर्ति ने कहा ठहरो जो लड़के इस सिंहास न पर बैठते थे वे भोले भाले थे उनके मन में कलुष नहीं था अगर तुमको विश्वास है कि तुम इस योग्य हो तो इस सिंहास न पर बैठ सकते हो
उत्तर देखेंचौथी मूर्ति ने कहा, “ठहरो! जो लड़के इस सिंहासन पर बैठते थे, वे भोले-भाले थे। उनके मन में कलुष नहीं था। अगर तुमको विश्वास है कि तुम इस योग्य हो, तो इस सिंहासन पर बैठ सकते हो।”
(ख) राजा बड़ी देर तक सोचता रहा फिर उसने मन ही मन कहा अगर एक लड़का इस पर बैठ सकता है तो भला मैं क्यों नहीं बैठ सकता हूँ मैं राजा हूँ मुझसे ज्यादा धनवान बलवान और बुद्धिमान भला और कौन होगा मैं अवश्य इस सिंहासन पर बैठने योग्य हूँ
उत्तर देखेंराजा बड़ी देर तक सोचता रहा। फिर उसने मन ही मन कहा, “अगर एक लड़का इस पर बैठ सकता है, तो भला मैं क्यों नहीं बैठ सकता हूँ? मैं राजा हूँ। मुझसे ज्यादा धनवान, बलवान और बुद्धिमान भला और कौन होगा? मैं अवश्य इस सिंहासन पर बैठने योग्य हूँ।”
2. “तीसरी मूर्ती भी उड़ गई।” इस वाक्य के आधार पर प्रश्नों के उत्तर लिखिए —
(क) इस वाक्य में संज्ञा शब्द कौन-सा है?
………………………………………
उत्तर देखेंमूर्ति
(ख) कौन-सा शब्द इस संज्ञा शब्द के गुण या विशेषता को बता रहा है?
………………………………………
उत्तर देखेंतीसरी
3. कहानी में से चुनकर कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं। इनमें विशेषण शब्द पहचानकर उनके नीचे रेखा खींचिए —
(क) एक दिन लड़कों का एक झुंड वहाँ खले रहा था।
(ख) उज्जैन की प्राचीन और ऐतिहासिक नगरी के बाहर एक लंबा-चौड़ा मैदान था।
(ग) इतनी छोटी उम्र में इतनी बुद्धि का होना आश्चर्य की बात है।
(घ) राजा ने देखा कि वह पत्थर नहीं, बहुत ही संदुर सिंहासन था।
(ङ) बात ही बात में वहाँ अच्छी खासी भीड़ जमा हो गई।
उत्तर देखें(क) एक दिन लड़कों का एक झुंड वहाँ खेल रहा था।
(ख) उज्जैन की प्राचीन और ऐतिहासिक नगरी के बाहर एक लंबा-चौड़ा मैदान था।
(ग) इतनी छोटी उम्र में इतनी बुद्धि का होना आश्चर्य की बात है।
(घ) राजा ने देखा कि वह पत्थर नहीं, बहुत ही सुंदर सिंहासन था।
(ङ) बात ही बात में वहाँ अच्छी खासी भीड़ जमा हो गई।
4. आपमें कौन-कौन सी विशेषताएँ होनी चाहिए जिससे आप कहानी के सिहासन पर बैठ सकें? लिखिए —
उत्तर देखें• मेरे अन्दर निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए:
• ईमानदारी (कभी झूठ न बोलना)
• निडरता (बिना डरे सच बोलना)
• न्यायप्रियता (सबके साथ समान व्यवहार करना)
• दयालुता (किसी को दुख न देना)
• विनम्रता (घमंड न करना)
• बुद्धिमानी (अच्छे-बुरे की पहचान करना)
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पाठ से आगे
1. कहानी में गाँव वाले न्याय करवाने या झगड़े सुलझाने बच्चों के पास जाया करते थे। आप अपनी समस्याओ को सलुझाने के लिए किन-किन के पास जाते हैं? आप उन्हीं के पास क्यों जाते हैं?
उत्तर देखेंमैं अपनी समस्याएँ सुलझाने के लिए सबसे पहले अपने मम्मी-पापा और फिर अपने क्लास टीचर के पास जाता हूँ। मैं उन्हीं के पास इसलिए जाता हूँ क्योंकि वे मुझे बहुत प्यार करते हैं, मेरी बात ध्यान से सुनते हैं और मुझे सही रास्ता दिखाते हैं। मुझे उन पर पूरा विश्वास है कि वे मेरी मदद जरूर करेंगे।
2. क्या कभी ऐसा हुआ है कि किसी ने आपके साथ अन्याय किया हो? आपने उस स्थिति का सामना कैसे किया?
उत्तर देखेंहाँ, एक बार स्कूल में एक बच्चे ने बिना वजह मेरी पेंसिलबॉक्स छीन ली और मुझे धक्का दे दिया। मैंने पहले उसे शांति से समझाया कि ऐसा न करें। जब वह नहीं माना तो मैंने कक्षा शिक्षिका जी को यह सब बता दिया। शिक्षिका जी ने उस बच्चे को समझाया और उसने मुझसे माफी माँग ली। इस तरह मैंने बिना झगड़ा किए शांति से उस स्थिति का सामना किया।
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पुस्तकालय एवं अन्य स्रोत
आपने जो कहानी पढ़ी, वह हमारे देश की सैकड़ों वर्ष पुरानी एक पुस्तक पर आधारित है। उस पुस्तक का नाम है सिहासन बत्तीसी।
इस पुस्तक में राजा भोज को भूमि में गड़ा राजा विक्रमादित्य का सिंहासन मिलता है जिस में बत्तीस मूर्तियाँ जड़ी होती हैं। प्रत्येक मूर्ति राजा भोज को राजा विक्रमादित्य की एक कहानी सुनाती
है। इस पुस्तक की प्रत्येक कहानी बहुत रोचक है।
• पुस्तकालय में से यह पुस्तक खोजकर पढ़िए और अपनी मनपसंद कहानी कक्षा में सुनाइए।
• सिंहासन बत्तीसी की तरह भारत में अनेक पारंपरिक कहानियाँ प्रचलित हैं, जैसे – पंचतंत्र, हितोपदेश, जातक कथाएँ आदि। इन्हें भी पुस्तकालय से ढूँढ़कर पढ़िए।
उत्तर देखें• मेरी मनपसंद कहानी “राजा और पिशाच” वाली है। इसमें राजा विक्रमादित्य एक पिशाच को पकड़ने के लिए अमावस्या की अँधेरी रात में सिर कटे हुए मुर्दे को कंधे पर लादकर ले जा रहे होते हैं। रास्ते में वह मुर्दा (जो असल में पिशाच है) राजा को डराने के लिए अलग-अलग कहानियाँ सुनाता है, लेकिन राजा विक्रमादित्य बहुत बहादुर और समझदार हैं। वे चुपचाप सब सुनते हैं और एक भी बोलते नहीं हैं, जिससे पिशाच उन पर काबू नहीं पा पाता। यह कहानी मुझे बहुत पसंद आई क्योंकि इसमें राजा की बहादुरी और धैर्य का वर्णन है।
• मैंने पुस्तकालय में सिंहासन बत्तीसी की पुस्तक ढूँढ़ी और उसे पढ़ा। यह बहुत ही रोमांचक पुस्तक है। इसमें राजा भोज को जमीन से राजा विक्रमादित्य का एक सुंदर सिंहासन मिलता है, जिस पर बत्तीस मूर्तियाँ जड़ी हैं। जब राजा भोज उस पर बैठने की कोशिश करते हैं, तो हर मूर्ति जीवित हो जाती है और उन्हें राजा विक्रमादित्य की अद्भुत न्यायशक्ति और बुद्धिमानी की एक कहानी सुनाती है, यह कहते हुए कि वे अभी इस सिंहासन पर बैठने लायक नहीं हैं।
मैंने पुस्तकालय से पंचतंत्र की कहानियाँ भी पढ़ीं। उनमें जानवरों के जरिए बहुत अच्छी सीख दी गई है, जैसे कि “एकता में बल है” और “हमेशा सोच-समझकर काम करना चाहिए”।
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पता लगाकर कीजिए
“राजा ने आज्ञा दी कि सिंहासन को लेजा कर राज दरबार में रख दिया जाए।”
सिंहास न एक विशेष प्रकार की भव्य कुर्सी हुआ करती थी जिस पर राजा-महाराजा बैठा करते थे। आज भी हम बैठने के लिए अनेक प्रकार की वस्तुओ का उपयोग करते हैं। इनमें से कुछ वस्तुओ के चित्र दिए गए हैं। इनका वर्णन कीजिए और यह भी लिखिए कि आपकी भाषा में इन्हें क्या कहते हैं।
उत्तर:
कक्षा 5 हिंदी वीणा अध्याय 2 का सारांश
उज्जैन के मैदान में बच्चों का एक झुंड खेलते-खेलते एक चिकने पत्थर को सिंहासन मान लेता है। बच्चे बारी-बारी से राजा बनकर दूसरों की फरियाद सुनते और निर्णय सुनाते। धीरे-धीरे लोगों को उस खेल में बैठे लड़कों की न्याय-बुद्धि पर विश्वास होने लगा। यहाँ तक कि असली झगड़े सुलझाने के लिए भी लोग दरबार जाने के बजाय उसी लड़के के पास आने लगे।
राजा को जब यह बात पता चली तो उसने स्वयं जाकर देखा। वह भी लड़के की न्यायप्रियता और बुद्धिमत्ता से चकित रह गया। लेकिन जब पता चला कि यह सब किसी एक लड़के का नहीं बल्कि सिंहासन (पत्थर) का चमत्कार है, तब उसने उसे खुद अपने दरबार में रखवाया।
कक्षा 5 हिंदी वीणा अध्याय 2 की मुख्य घटनाएँ
• बच्चों का खेल खेल-खेल में न्याय-प्रक्रिया का रूप लेना।
• किसानों का वास्तविक विवाद लेकर बच्चों के पास जाना और संतोषजनक न्याय पाना।
• राजा का क्रोधित होकर स्वयं मैदान में जाना और बच्चों की बुद्धिमानी देख हैरान होना।
• सिंहासन की खुदाई में राजा विक्रमादित्य का पुराना सिंहासन निकलना।
• सिंहासन की मूर्तियों का जीवित होकर राजा की परीक्षा लेना।
कक्षा 5 हिंदी वीणा पाठ 2 की शिक्षा
• न्याय के लिए केवल शक्ति और पद ही नहीं, बल्कि निष्पक्षता, सत्यवादिता और पवित्र मन आवश्यक है।
• बालकों के मन में छल-कपट नहीं होता, इसलिए उनका निर्णय शुद्ध और संतोषजनक लगता है।
• राजा होते हुए भी यदि मनुष्य अहंकार और अन्याय करता है तो वह न्याय की कुर्सी पर बैठने योग्य नहीं होता।
• यह अध्याय विद्यार्थियों को यह सिखाता है कि न्याय का असली आधार सत्य, ईमानदारी और निर्मल हृदय है, न कि पद।