एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 6 वैधुतचुंबकीय प्रेरण
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 6 वैधुतचुंबकीय प्रेरण के प्रश्नों के उत्तर अभ्यास के सवाल जवाब सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। राजकीय बोर्ड के विद्यार्थी भी कक्षा 12 में भौतिकी के अध्ययन के लिए यहाँ दिए गए समाधानों की मदद ले सकते हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 6
कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 6 वैधुतचुंबकीय प्रेरण के उत्तर
वैद्युतचुंबकीय प्रेरण
किसी चालक को किसी परिवर्ती चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर उस चालक के सिरों के बीच विद्युतवाहक बल उत्पन्न होने को विद्युत्-चुम्बकीय प्रेरण कहते हैं।
चुंबकीय फ्लक्स
चुंबकीय क्षेत्र में किसी तल से लंबवत गुजरने वाली क्षेत्र रेखाओं की संख्या को उस तल से बद्ध चुंबकीय फलक्स कहते हैं। इसका SI मात्रक वेबर तथा संकेत Wb है।
यदि क्षेत्रफल A वाले समतल को एकसमान चुंबकीय क्षेत्र B में रखा जाता है तो चुंबकीय फ्लक्स को व्यक्त किया जा सकता है:
∅B = B . A = BA cos θ
जहाँ पर θ, B तथा A के बीच का कोण है।
किसी बेलनाकार छड़ चुम्बक को उसके अक्ष के परितः घूर्णन कराया जाता है। किसी तार को इसके अक्ष से संयोजित करके इसके बेलनाकार पृष्ठ से किसी सम्पर्क द्वारा स्पर्श कराया गया है तब
A तथा B दो कुण्डलियाँ हैं। जब A को B की ओर गति कराते हैं तो B में धारा प्रवाहित होने लगती है तथा A के रुकने पर धारा प्रवाहित होना बन्द हो जाती है। B में धारा वामवर्ती है। जब A गति करता है तो B को स्थिर रखा जाता है। हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि
किसी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल A तथा नियत फेरों की संख्या N वाली l लम्बाई की परिनालिका का स्वप्रेरकत्व L बढ़ जाता हैः
किसी कुण्डली में, जो किसी वोल्टता स्रोत से संयोजित नहीं है, कोई विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है। इसका कारण क्या नहीं हो सकता है:
लेंज का नियम तथा ऊर्जा संरक्षण
प्रेरित विद्युत वाहक बल की ध्रुवता इस प्रकार होती है कि वह उस दिशा में धारा प्रवाह प्रवृत्त करे जो उसे उत्पन्न करने वाले कारक (चुंबकीय क्षेत्र परिवर्तन) का विरोध करे।
प्रेरकत्व
प्रेरक या इंडक्टर एक वैद्युत अवयव है जिसमें कोई विद्युत धारा प्रवाहित करने पर यह चुम्बकीय क्षेत्र के रूप में उर्जा का भंडारण करता है। प्रेरक द्वारा चुम्बकीय उर्जा के भंडारण की क्षमता को इसका प्रेरकत्व (inductance) कहा जाता है और इसे मापने की इकाई हेनरी है।
∅B ∝ I
इसके अतिरिक्त यदि समय के साथ कुंडली की ज्यामिति नहीं बदलती, तब
d∅B /dt = ∝ dI/dt
समीप-समीप लिपटे N फेरों वाली कुंडली के सभी फेरों से समान चुंबकीय फ्लक्स संबद्ध होता है। जब कुंडली में फ्लक्स ∅B परिवर्तित होता है तो प्रत्येक फेस प्रेरित विद्युत वाहक बल में योगदान करता है। इसलिए एक पद फ्लक्स-बंधता का उपयोग होता है जो कि पास-पास लिपटी कुंडली के लिए N∅B के बराबर है तथा इस स्थिति में
N∅B ∝ I
इस संबंध में समानुपातिक स्थिरांक को प्रेरकत्व कहते हैं। हम देखेंगे कि प्रेरकत्व का मान कुंडली की ज्यामिति तथा उसके पदार्थ के नैज गुणधर्मों पर निर्भर करता है।
प्रेरकत्व एक अदिश राशि है। इसकी विमाएँ [M L² T⁻² A⁻²], हैं जो कि फ्लक्स की विमाओं तथा धारा की विमाओं के अनुपात द्वारा व्यक्त की जाती हैं। प्रेरकत्व की SI मात्रक हेनरी है तथा इसे H द्वारा व्यक्त किया जाता है। यह नाम जोसेफ हेनरी के सम्मान में रखा गया है।
कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 6 के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न
कसकर लिपटी परिनालिका के रूप में कोई तार किसी दिष्टधारा स्रोत से संयोजित है और इसमें विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। यदि कुण्डली को इस प्रकार से खींचा जाए कि सर्पिलाकार कुण्डली के क्रमागत लपेटों के बीच अन्तराल हो जाए, तो क्या विद्युत धारा बढ़ेगी अथवा घटेगी, स्पष्ट कीजिए।
धारा बढ़ जाएगी। जैसे ही तारों को एक दूसरे से दूर खींचा जाता है रिक्त स्थानों से फ्लक्स का क्षरण होता है। लेंज़ के नियम के अनुसार प्रेरित विद्युत वाहक बल इस कमी का विरोध करता है जिसे विद्युत धारा में वृद्धि द्वारा पूरा किया जाता है।
कोई परिनालिका किसी बैटरी से संयोजित है जिसके कारण उसमे अपरिवर्ती धारा प्रवाहित हो रही है। यदि इस परिनालिका के भीतर कोई लोह क्रोड रख दिया जाए तो विद्युत धारा घटेगी अथवा बढ़ेगी? स्पष्ट कीजिए।
धारा घट जाएगी। परिनालिका में लोह क्रोड रखने पर चुम्बकीय क्षेत्र में वृद्धि होती है और फ्लक्स बढ़ जाता है। लेंज़ के नियम के अनुसार प्रेरित विद्युत वाहक बल को इस वृद्धि का विरोध करना चाहिए जिसे धारा में कमी द्वारा प्राप्त किया जाता है।
1 cm आन्तरिक त्रिज्या के किसी धातु के पाइप पर विचार कीजिए। यदि 0.8 cm त्रिज्या का कोई बेलनाकार छड़ चुम्बक इस पाइप में गिराया जाए तो वह नीचे गिरने में किसी प्रकार की अचुम्बकित बेलनाकार लोह छड़ की तुलना में अधिक समय लेता है। स्पष्ट कीजिए।
चुम्बक के लिए, धातु के पाइप में भंवर धाराएँ उत्पन्न होती हैं। ये धाराएँ चुम्बक की गति का विरोध करेंगी। इसीलिए, चुम्बक का अधोमुखी त्वरण, गुरुत्वीय त्वरण से कम होगा। इसके विपरीत, चुम्बकित लोहे की छड़ में भंवर धाराएँ उत्पन्न नहीं होंगी और वह गुरुत्वीय त्वरण से नीचे गिरेगा। अतः चुम्बक गिरने में अधिक समय लगेगा।