एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 4 गतिमान आवेश और चुंबकत्व
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 4 गतिमान आवेश और चुंबकत्व के अभ्यास तथा अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से निशुल्क प्राप्त किए जा सकते हैं। 12वीं कक्षा भौतिकी के पाठ 4 के सभी प्रश्नों के उत्तर सरल भाषा में समझकर दिए गए हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 4
कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 4 गतिमान आवेश और चुंबकत्व के उत्तर
चुंबकीय बल – स्रोत और क्षेत्र
चुम्बकीय क्षेत्र दो प्रकार से उत्पन्न (स्थापित) किया जा सकता है:
(i) गतिमान आवेशों के द्वारा (अर्थात, विद्युत धारा के द्वारा)
(ii) मूलभूत कणों में निहित चुम्बकीय आघूर्ण के द्वारा
विशिष्ट आपेक्षिकता में, विद्युत क्षेत्र और चुम्बकीय क्षेत्र, एक ही वस्तु के दो पक्ष हैं जो परस्पर सम्बन्धित होते हैं।
जिस प्रकार स्थिर आवेश विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करते हैं, विद्युत धाराएँ अथवा गतिमान आवेश (विद्युत क्षेत्र के साथ-साथ) चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करते हैं जिसे B(r) द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है तथा यह भी एक सदिश क्षेत्र है। बहुत से स्रोतों का चुंबकीय क्षेत्र प्रत्येक व्यष्टिगत स्रोत के चुंबकीय क्षेत्रें का सदिश योग होता है।
दो आवेशित कण किसी एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र B = B₀k में पूर्णतः सर्वसम सर्पिल पथों पर विपरीत दिशाओं में गमन करते हैं तो इनके
बायो सावर्ट नियम इंगित करता है कि v वेग से गतिमान इलेक्ट्रॉनों द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र B इस प्रकार का होता है कि
एक इलेक्ट्रॉन को किसी लम्बी धारावाही परिनालिका के अक्ष के अनुदिश एकसमान वेग से प्रक्षेपित किया जाता है। निम्नलिखित में कौन सा प्रकथन सत्य है?
साइक्लोट्रॉन में आवेशित कण
चुंबकीय क्षेत्र, लोरेंज बल
मान लीजिए विद्युत क्षेत्र E(r) तथा चुंबकीय क्षेत्र B(r) दोनों की उपस्थिति में कोई बिदु आवेश q (वेग v से गतिमान तथा किसी दिए गए समय t पर r पर स्थित) विद्यमान है। किसी आवेश q पर इन दोनों क्षेत्रें द्वारा आरोपित बल को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है:
F = q [ E (r) + v × B (r)] = F (विद्युत) + F (चुम्बकीय);
इस बल को सर्वप्रथम एच. ए. लोरेंज ने ऐम्पियर तथा अन्य वैज्ञानिकों द्वारा विस्तृत पैमाने पर किए गए प्रयोगों के आधार पर व्यक्त किया था। इस बल को अब लोरेंज बल कहते हैं।
चुम्बकीय क्षेत्र में आवेश q पर लगने वाला बल
(i) यह q, v तथा B (कण के आवेश, वेग तथा चुंबकीय क्षेत्र) पर निर्भर करता है। ऋणावेश पर लगने वाला बल धनावेश पर लगने वाले बल के विपरीत होता है।
(ii) चुंबकीय बल q [ v × B], वेग तथा चुंबकीय क्षेत्र का एक सदिश गुणनफल होता है। सदिश गुणनफल चुंबकीय क्षेत्र के कारण बल को समाप्त (शून्य) कर देता है। यह तब होता है जब बल, वेग तथा चुंबकीय क्षेत्र दोनों के लंबवत होता है।
(iii) यदि आवेश गतिमान नहीं है (तब |v| = 0) तो चुंबकीय बल शून्य होता है। केवल गतिमान आवेश ही बल का अनुभव करता है।
चुंबकीय क्षेत्र में गति
चुंबकीय क्षेत्र में आवेश की गति के प्रकरण में, चुंबकीय बल कण के वेग की दिशा के लंबवत होता है। अतः कोई कार्य नहीं होता तथा वेग के परिमाण में भी कोई परिवर्तन नहीं होता।
इस स्थिति में आवेशित कण चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत प्रवेश करता है अर्थात इस स्थिति में v तथा B के मध्य 90 डिग्री का कोण बनता है।
अर्थात
θ = 90⁰
अतः
sin90⁰ = 1
F = qvB sinθ
अतः इस स्थिति में sinθ = 1
अतः F = qvB
चूँकि यह बल आवेशित कण के वेग की दिशा के लम्बवत कार्य करता है अतः इस स्थिति में कण इस बल के कारण वृत्ताकार गति करता है, वृत्ताकार गति के लिए इस कण पर एक अभिकेंद्रीय बल भी कार्य करता है।
वृताकार मार्ग में गति करवाने के लिए यह आवश्यक है की कण पर अभिकेंद्रिय बल तथा चुम्बकीय बल (लॉरेन्ज बल ) का मान समान होना चाहिए।
कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 4 के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न
यह सत्यापित कीजिए कि साइक्लोट्रॉन आवृत्ति ω = eB/m की सही विमाएँ (T)⁻¹ हैं।
चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत गमन करने वाले आवेशित कण के लिएः
mv²/r = qvB
∴ qB/m = v/r = ω
∴ |ω| = qB/m = v/R = [T] ⁻¹
प्रश्न: 2
यह दर्शाइए कि ऐसा बल जो कोई प्रभावी कार्य नहीं करता वेग-निर्भर बल होना चाहिए।
उत्तर:
dW=F.dl = 0
⟹ F.vdt = 0
⟹ F.v = 0
F, वेग निर्भर होना चाहिए जिसका अर्थ यह है कि F तथा v के बीच कोण 90° का है। यदि v परिवर्तित होता है (दिशा में) तो F भी (दिशा में) इस प्रकार परिवर्तित होगा जिससे उपरोक्त शर्त पूरी हो जाए।
चुम्बकीय बल v पर निर्भर करता है जो स्वयं जड़त्वीय निर्देश फ्रेम पर निर्भर करता है। तब क्या चुम्बकीय बल का मान निर्देश-अक्ष के बदलने से बदलेगा? फिर क्या यह तर्कसंगत है कि विभिन्न निर्देश फ्रेमों में नेट त्वरण का मान भिन्न-भिन्न हो?
चुम्बकीय बल निर्देश फ्रेम पर निर्भर है तथापि इससे उत्पन्न नेट त्वरण जड़त्वीय निर्देश फ्रेमों के लिए निर्देश फ्रेम पर निर्भर नहीं करता (अनापेक्षिकीय भौतिकी)।
साइक्लोट्रॉन में यदि रेडियो आवृत्ति विद्युत क्षेत्र की आवृत्ति की दो गुनी हो जाए, तो उसमें किसी आवेशित कण की गति का वर्णन कीजिए।
कण एकान्तरतः त्वरित एवं मंदित होगा। अतः दोनों डी में पथ की त्रिज्या अपरिवर्तित रहेगी।