एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 2 स्थिर वैधुत विभव तथा धारिता

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 2 स्थिर वैधुत विभव तथा धारिता के सवाल जवाब सीबीएसई और राजकीय बोर्ड सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 12 भौतिक विज्ञान पाठ 2 के सभी प्रश्नों के उत्तर, अभ्यास तथा अतिरिक्त प्रश्न के साथ यहाँ दिए गए हैं।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 2

स्थिरवैद्युत विभव

स्थिरवैद्युत क्षेत्र के प्रदेश के किसी बिंदु पर स्थिरवैद्युत विभव (V) वह न्यूनतम कार्य है जो किसी एकांक धनावेश को अनंत से उस बिंदु तक लाने में किया जाता है।
बल द्वारा किसी एकांक धनावेश को अनंत से किसी बिंदु तक लाने में किया गया कार्य = उस बिंदु पर स्थिरवैद्युत विभव (V)
यदि एक कुलाम आवेश को अनन्त से क्षेत्र के किसी बिंदु तक लाने में किया गया कार्य एक जूल हो तब उस बिन्दु पर विद्युत विभव एक वोल्ट के तुल्य होता है। इसका विमीय समीकरण [M¹L²T ⁻³ A⁻¹] होता है।

बाह्य बल द्वारा किसी एकांक धनावेश को बिंदु R से P तक लाने में किया गया कार्य
= Vₚ – VR = (Uₚ – UR)/q
यहाँ Vₚ तथा VR क्रमशः बिंदु P तथा R के स्थिरवैद्युत विभव हैं। Uₚ तथा UR क्रमशः बिंदु P तथा R की स्थितिज ऊर्जा है।

Q1

किसी एकसमान विद्युत क्षेत्र में किसी धनावेशित कण को मुक्त किया जाता है। आवेश की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा

[A]. नियत रहती है क्योंकि विद्युत क्षेत्र एकसमान है।
[B]. बढ़ जाती है क्योंकि आवेश विद्युत क्षेत्र के अनुदिश गति करता है।
[C]. घट जाती है क्योंकि आवेश विद्युत क्षेत्र के अनुदिश गति करता है।
[D]. घट जाती है क्योंकि आवेश विद्युत क्षेत्र के विपरीत गति करता है।
Q2

किसी आवेशित चालक गोले के पृष्ठ पर स्थित वैद्युत विभव 100 है। इसके संदर्भ में दो प्रकथन दिए गए हैः S₁: गोले के भीतर किसी बिन्दु पर विद्युत तीव्रता शून्य है। S₂ गोले के भीतर किसी बिन्दु पर स्थिर वैद्युत विभव 100 V है। नीचे दिए गए प्रकथनों में कौन सा सही है?

[A]. S₁ सत्य है परन्तु S₂ असत्य है।
[B]. S₁ तथा S₂ असत्य है।
[C]. S₁ सत्य है, S₂ भी सत्य है तथा प्रकथन S₂ का कारण प्रकथन S₁ है।
[D]. S₁ सत्य है, S₂ भी सत्य है परन्तु दोनों प्रकथन एक दूसरे से स्वतंत्र हैं।
Q3

कुछ आवेशों के एक समूह का कुल योग शून्य नहीं है। इससे अधिक दूरी पर बनने वाले समविभव पृष्ठ होंगे

[A]. गोले
[B]. समतल
[C]. परवलयज
[D]. दीर्घवृत्तज
Q4

नियत विभव के किसी प्रदेश में

[A]. विद्युत क्षेत्र एकसमान होता है।
[B]. विद्युत क्षेत्र शून्य होता है।
[C]. प्रदेश के भीतर भी आवेश हो सकता।
[D]. यदि आवेश प्रदेश के बाहर स्थित है तो अवश्य परिवर्तित होगा।

बिंदु आवेश के कारण विभव

मूल बिंदु पर स्थित किसी बिंदु आवेश Q पर विचार कीजिए। सुस्पष्टता की दृष्टि से Q को धनात्मक लीजिए। हम बिंदु P पर मूल बिंदु से स्थिति सदिश r के साथ विभव निर्धारित करना चाहते हैं। इसके लिए हमें एकांक धनावेश को अनंत से उस बिंदु तक लाने में किया गया कार्य परिकलित करना चाहिए। Q > 0 के लिए, परीक्षण आवेश पर प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध किया गया कार्य धनात्मक होता है।
परिभाषा के अनुसार यह आवेश Q के कारण P पर विभव है अतः
V(r) = Q/4πε₀r

समविभव पृष्ठ

कोई समविभव पृष्ठ ऐसा पृष्ठ होता है जिसके पृष्ठ के हर बिंदु पर विभव नियत रहता है। किसी एकल आवेश q के लिए,
V = 1/4πε₀ × q/r
इससे यह प्रकट होता है कि यदि r नियत है तो V नियत रहता है। इस प्रकार किसी एकल आवेश के लिए समविभव पृष्ठ संकेंद्री गोले होते हैं जिनके केंद्र पर वह आवेश स्थित होता है।

कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 2 के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न

सिद्ध कीजिए कि किसी ऐसे बन्द समविभव पृष्ठ, जिसके भीतर कोई आवेश नहीं है, में कोई समविभव आयतन परिबद्ध होना चाहिए।

मान लीजिए यह सत्य नहीं है। तब पृष्ठ के तुरन्त भीतर पृष्ठ की तुलना में विभव भिन्न होना चाहिए जिसके फलस्वरूप कोई विभव प्रवणता होनी चाहिए। इसका यह अर्थ हुआ कि पृष्ठ के अन्तर्मुखी अथवा बहिर्मुखी क्षेत्र रेखाएँ होनी चाहिए। चूँकि पृष्ठ, समविभव पृष्ठ है, दूसरे सिरे पर ये रेखाएँ दुबारा पृष्ठ पर नहीं हो सकतीं। इस प्रकार यह केवल तभी संभव है जब क्षेत्र रेखाओं के दूसरे सिरे भीतर आवेशों पर हों, जो आधार तथ्य के परस्पर विरोधी हैं। अतः भीतर समस्त आयतन समान विभव पर होना चाहिए।

किसी संधारित्र की पट्टिðकाओं के बीच कोई परावैद्युत है तथा यह संधारित्र किसी दिष्ट स्रोत से संयोजित है। अब बैटरी को हटाया जाता है और फिर परावैद्युत को हटा दिया जाता है। यह उल्लेख कीजिए कि ऐसा करने पर संधारित्र की धारिता उसमें संचित ऊर्जा, विद्युत क्षेत्र, संचित आवेश, तथा वोल्टता में वृद्धि होगी, कमी होगी अथवा नियत रहेगी?

C कम हो जाएगी।
संचित ऊर्जा = ½ CV² और इसलिए अधिक हो जाएगी। विद्युत क्षेत्र अधिक हो जाएगा। संचित आवेश समान रहेगा। V कम हो जाएगा।

सिद्ध कीजिए कि, यदि कोई विद्युत रोधित, अनावेशित चालक किसी आवेशित चालक के समीप रखा है, तथा कोई अन्य चालक वहाँ नहीं है, तो अनावेशित पिण्ड का विभव आवेशित वस्तु तथा अनन्त के विभव के मध्यस्थ होना चाहिए।

विद्युत क्षेत्र के अनुदिश आवेशित चालक से अनावेशित चालक की ओर के किसी भी पथ पर विचार कीजिए। इस पथ पर विभव निरन्तर कम होगा। अनावेशित चालक से अनन्त की ओर के अन्य पथ पर विभव और घटेगा। यह अपेक्षित तथ्य को सिद्ध करता है।

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