एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 10 तरंग प्रकाशिकी
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 10 तरंग प्रकाशिकी के उत्तर, अभ्यास के हल तथा अतिरिक्त प्रश्न उत्तर छात्र सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। सभी प्रश्नों को विस्तार से समझाया गया है ताकि किसी भी विद्यार्थी को कोई परेशानी न हो।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 10
कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 10 तरंग प्रकाशिकी के उत्तर
तरंग-प्रकाशिकी
सन् 1678 में डच भौतिकविद क्रिस्टिआन हाइगेंस ने प्रकाश के तरंग सिद्धांत को प्रस्तुत किया। तरंग मॉडल परावर्तन तथा अपवर्तन की घटनाओं की संतोषप्रद रूप से व्याख्या कर सकता है। सन् 1850 में फूको द्वारा किए गए प्रयोग द्वारा दर्शाया गया कि जल में प्रकाश की चाल वायु में प्रकाश की चाल से कम है। इस प्रकार तरंग मॉडल की प्रागुक्ति की पुष्टि की गई।
जब टॉमस यंग ने सन् 1801 में अपना व्यतिकरण संबंधी प्रसिद्ध प्रयोग किया तब यह निश्चित रूप से प्रमाणित हो गया कि वास्तव में प्रकाश की प्रकृति तरंगवत है। दृश्य प्रकाश की तरंगदैर्घ्य को मापा गया और यह पाया गया कि यह अत्यंत छोटी है उदाहरण के लिए पीले प्रकाश की तरंगदैर्घ्य लगभग 0.6μm है। दृश्य प्रकाश की तरंगदैर्घ्य छोटी होने के कारण (सामान्य दर्पणों तथा लेंसों के आकार की तुलना में), प्रकाश को लगभग सरल रेखाओं में गमन करता हुआ माना जा सकता है।
हाइगेंस का सिद्धांत
इस सिद्धांत के अनुसार, प्रकाश तरंगों के रूप में गमन करता है प्रकाश स्रोत से निकलकर ये तरंगे चारों (सभी) दिशाओं में निर्वात में प्रकाश की चाल से चलती है।
10⁴ Å चौड़ाई की एक झिरी पर आपतित होने वाले सूर्य के प्रकाश पर विचार करें। छिद्र से देखने पर
यंग के द्विझिरी प्रयोग में स्रोत श्वेत प्रकाश का है। एक छिद्र को लाल फिल्टर से ढक दिया गया है। इस अवस्था में
10³ Åचौड़ाई के एक सूचीछिद्र पर आपतित सूर्य के प्रकाश पर विचार करें। परदे पर देखा जाने वाला सूचीछिद्र का प्रतिबिंब होगा
एक लघु सूचीछिद्र के विवर्तन पैटर्न पर विचार कीजिए। जब छिद्र का साइज़ बढ़ा दिया जाता है तो
तरंगाग्र
किसी क्षण पर प्रकाश स्त्रोत से समान दूरी पर स्थित ईथर के साथ कण समान कला में होते हैं। इस प्रकार, किसी क्षण विशेष पर माध्यम की वह सतह, जिस पर स्थित सभी कण समान कला में कम्पन करते हैं, तरंगाग्र कहलाती है। जैसे जैसे तरंग आगे बढ़ती जाती है, तरंगाग्र भी आगे बढ़ता जाता है।
डॉप्लर प्रभाव
जब प्रकाश स्रोत या प्रेक्षक के मध्य आपेक्षिक गति होती है तो प्रेक्षक को प्रकाश की आवृति में परिवर्तन महसूस होता है।
डॉप्लर प्रभाव के उपयोग
- 1. वाहन की गति मापने के लिए
रोड के किनारे पुलिस अफसर किसी वाहन का स्पीड का मान ज्ञात करने के लिए एक मशीन का उपयोग करते है यह मशीन डॉप्लर प्रभाव पर आधारित रहती है। - 2. चिकित्सा में भी डॉप्लर प्रभाव के उपयोग से कई इलाज या जांच की जाती है जैसे सोनोग्राफी , इकोकार्डीयोग्राम आदि डॉप्लर प्रभाव पर आधारित है।
- 3. हवाई जहाज आदि की गति की गणना भी डॉप्लर प्रभाव के आधार पर की जाती है।
- 4. आकाशीय पिंडों की घूर्णन चाल तथा वेग आदि सभी डॉप्लर प्रभाव के आधार पर ज्ञात किये जाते है।
कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 10 के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न
दैनिक अनुभव में प्रकाश तरंगों की अपेक्षा ध्वनि तरंगों का विवर्तन क्यों अधिक प्रत्यक्ष होता है?
ध्वनि तरंगों की आवृत्तियाँ 20 Hz से 20 kHz होती हैं। संगत तरंगदैर्घ्य क्रमशः 15 m तथा 15 mm है। विवर्तन प्रभाव दिखाई देगा यदि झिरियों की चौड़ाई a ऐसी हो कि a ~ λ प्रकाश तरंगों के लिए तरंगदैर्घ्य ~ 10⁻⁷ m, अतः विवर्तन प्रभाव दिखाई देगा जब a ~ 10⁻⁷ m
जबकि ध्वनि तरंगों के लिए ये दिखाई देंगे
15 mm < a < 15 m
सूर्य के प्रकाश के लिए पृथ्वी पर तरंगाग्र की आकृति कैसी होती है?
गोलीय, पृथ्वी की त्रिज्या की तुलना में विशाल त्रिज्या जिससे कि यह लगभग समतल है।
एक पोलेरॉइड (I) को किसी एकवर्णी स्रोत के सामने रखा गया है। दूसरा पोलेरॉइडर (II) इस पोलेरॉइड (I) के सामने रखा गया है तथा इसे घुमाया जाता है जब तक कि इससे कोई प्रकाश नहीं गुज़रता। अब एक तीसरा पोलेरॉइड (III), (I) तथा (II) के बीच रखा जाता है। क्या इस स्थिति में पोलेरॉइड (II) से प्रकाश बाहर निकलेगा? व्याख्या कीजिए।
केवल विशेष स्थितियों में जब (III) की पारित अक्ष (I) या (II) के समान्तर है तो कोई प्रकाश निर्गत नहीं होगा। दूसरी सभी स्थितियों में प्रकाश निर्गत होगा क्योंकि (II) की पारित अक्ष (III) के लंबवत नहीं है।