एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 1 वैधुत आवेश तथा क्षेत्र
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 1 वैधुत आवेश तथा क्षेत्र के प्रश्नों के उत्तर सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 12 भौतिक विज्ञान के पाठ 1 के सभी सवाल जवाब छात्र यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 1
कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 1 वैधुत आवेश तथा क्षेत्र के उत्तर
विद्युत चालक
पदार्थ आसानी से अपने में से होकर विद्युत को प्रवाहित होने देते हैं उन्हें चालक कहते हैं। उनमें ऐसे वैद्युत आवेश (इलेक्ट्रॉन) होते हैं जो पदार्थ के भीतर गति के लिए अपेक्षाकृत स्वतंत्र होते हैं। धातुएँ, मानव तथा जंतु शरीर और पृथ्वी चालक हैं।
एक बिन्दु आवेश +q किसी वियुक्त चालक तल से d दूरी पर स्थित है। तल के दूसरी ओर के बिन्दु P पर क्षेत्र की दिशा
कोई अर्धगोला एकसमान धनावेशित है। गोले के केन्द्र से परे इसके किसी व्यास पर स्थित बिन्दु पर जो केन्द्र से दूर है, विद्युत क्षेत्र की दिशा
यदि किसी पृष्ठ पर ∮E.ds = 0 है, तब
किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र
विद्युतरोधी
अधिकांश अधातुएँ अपने से होकर प्रवाहित होने वाली विद्युत पर उच्च प्रतिरोध लगाती हैं। इन्हें विद्युतरोधी कहते हैं। काँच, पॉर्सेलेन, प्लास्टिक, नॉयलोन, लकड़ी आदि विद्युत रोधी वस्तुएं हैं।
प्रेरण द्वारा आवेशन
जब हम किसी सरकंडे की गोली से किसी आवेशित प्लास्टिक-छड़ को स्पर्श कराते हैं तो छड़ का कुछ आवेश सरकंडे की गोली पर स्थानांतरित हो जाता है और वह आवेशित हो जाती है। इस प्रकार सरकंडे की गोली संपर्क द्वारा आवेशित होती है। तब यह प्लास्टिक-छड़ से प्रतिकर्षित होती है तथा काँच की छड़ जो विजातीय आवेशित है, की ओर आकर्षित होती है।
आवेशों की योज्यता
किसी निकाय में दो बिदु आवेश q₁ तथा q₂ हैं तो निकाय का कुल आवेश q₁ तथा q₂ को बीजगणितीय रीति से जोड़ने पर प्राप्त होता है, अर्थात आवेशों को वास्तविक संख्याओं की भाँति जोड़ा जा सकता है अथवा आवेश द्रव्यमान की भाँति अदिश राशि है। यदि किसी निकाय में n आवेश q₁, q₂, q₃, …….. qₙ, हैं तो निकाय का कुल आवेश q₁ + q₂ + q₃ + ……. + qₙ है। आवेश का द्रव्यमान की भाँति ही परिमाण होता है दिशा नहीं होती। तथापि आवेश तथा द्रव्यमान में एक अंतर है। किसी वस्तु का द्रव्यमान सदैव धनात्मक होता है जबकि कोई आवेश या तो धनात्मक हो सकता है अथवा ऋणात्मक। किसी निकाय के आवेश का योग करते समय उसके उपयुक्त चिह्न का उपयोग करना होता है।
वैद्युत आवेश का क्वांटमीकरण
प्रायोगिक रूप से यह स्थापित किया गया है कि सभी मुक्त आवेश परिमाण में आवेश की मूल इकाई, जिसे e द्वारा दर्शाया जाता है, के पूर्णांकी गुणज हैं। इस प्रकार, किसी वस्तु के आवेश q को सदैव इस प्रकार दर्शाया जाता है:
q = ne
वैद्युत आवेश सदैव e का पूर्णांक गुणज होता है। इस तथ्य को आवेश का क्वांटमीकरण कहते हैं। मात्रकों की अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में आवेश का मात्रक कूलॉम है, जिसका प्रतीक C है।
एक कूलॉम को विद्युत धारा के मात्रक के पदों में परिभाषित किया जाता है। इस परिभाषा के अनुसार, एक कूलॉम वह आवेश है जो किसी तार में 1 A (ऐम्पियर) धारा 1 सेकंड तक प्रवाहित करता है ।
e = 1.602192 × 10⁻¹⁹ C
इस प्रकार, -1C आवेश में लगभग 6 × 10¹⁸ इलेक्ट्रॉन होते हैं।
कूलॉम का नियम
कूलॉम ने दो बिदु आवेशों के बीच लगे बल की माप की और यह पाया कि यह बल दोनों आवेशों के परिमाणों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती है तथा यह दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करता है।
यदि दो बिदु आवेशों q₁ तथा q₂ के बीच निर्वात में पृथकन r है, तो इनके बीच लगे बल (F) का परिमाण है:
F = k (q₁ × q₂)/r²