एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 गणित अध्याय 8 विविध प्रश्नावली

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 गणित अध्याय 8 विविध प्रश्नावली अनुक्रम तथा श्रेणी के सवाल जवाब सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त करें। कक्षा 11 गणित के विद्यार्थी अध्याय 8 विविध प्रश्नावली के प्रश्नों को तिवारी अकादमी की पीडीएफ तथा विडियो समाधान की मदद से आसानी से हल कर सकते हैं।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 गणित अध्याय 8 विविध प्रश्नावली

गुणोत्तर श्रेणी के n पदों का योगफल

माना कि गुणोत्तर श्रेणी का प्रथम पद a तथा सार्व अनुपात r हैं। माना गुणोत्तर श्रेणी के n पदों का योगफल Sₙ से लिखते हैं। तब
Sₙ = a + ar + ar² +…+arⁿ⁻¹ (1)
स्थिति 1 यदि r = 1, तो हम पाते हैं
Sₙ = a + a + a +…+a (n पदों तक) = na
स्थिति 2 यदि r ≠ 1, तो (1) को r से गुणा करने पर हम पाते हैं
rSₙ = ar + ar² + ar³ +…+arⁿ (2)
(2) को (1) में से घटाने पर हम पाते हैं
(1 – r) Sₙ = a – arⁿ = a (1 – rⁿ)
Sₙ = a (1 – rⁿ)/ (1 – r)
या Sₙ = a (rⁿ – 1)/ (r – 1)

अभ्यास 8 के लिए प्रश्न और उत्तर

गुणोत्तर श्रेणी 5, 25, 125, का 10वाँ तथा nवाँ पद ज्ञात कीजिए?
हल:
यहाँ a = 5 तथा r = 5
अर्थात् a₁₀ = 5(5)¹⁰⁻¹ = 5(5)⁹ = 5¹⁰
तथा aₙ = arⁿ⁻¹ = 5(5)ⁿ⁻¹ = 5ⁿ

महत्वपूर्ण प्रश्नों के हल

गुणोत्तर श्रेणी 2, 8, 32, …. का कौन-सा पद 131072 है?
हल:
माना कि 131072 गुणोत्तर श्रेणी का nवाँ पद है।
यहाँ a = 2 तथा r = 4
इसलिए 131072 = aₙ = 2(4)ⁿ⁻¹ या 65536 = 4ⁿ⁻¹
जिससे हम पाते हैं 4⁸ = 4ⁿ⁻¹
इसलिए n – 1 = 8, अतः n = 9, अर्थात् 131072 गुणोत्तर श्रेणी का 9वाँ पद है।

हल किए गए उदाहरण

एक व्यक्ति की दसवीं पीढ़ी तक पूर्वजों की संख्या कितनी होगी, जबकि उसके 2 माता-पिता, 4 दादा-दादी तथा 8 पर-दादा, पर-दादी आदि हैं।
हल:
यहाँ a = 2, r = 2 तथा n = 10
योगफल का सूत्र उपयोग करने पर
हम पाते हैं Sₙ = a (rⁿ – 1)/ (r – 1)
= 2 (2¹⁰ – 1)/ (2 – 1)
= 2046
अतः व्यक्ति के पूर्वजों की संख्या 2046 है।

स्मरणीय तथ्य

1. अनुक्रम से हमारा तात्पर्य है, “किसी नियम के अनुसार एक परिभाषित (निश्चित) क्रम में संख्याओं की व्यवस्थाय्। पुनः हम एक अनुक्रम को एक फलन के रूप में परिभाषित कर सकते हैं, जिसका प्रांत प्राकृत संख्याओं का समुच्चय हो अथवा उसका उपसमुच्चय {1, 2, 3, ……., k} के प्रकार का हो। वे अनुक्रम, जिनमें पदों की संख्या सीमित होती है, परिमित अनुक्रमय् कहलाते हैं। यदि कोई अनुक्रम परिमित नहीं है तो उसे अपरिमित अनुक्रम कहते हैं।
2. मान लीजिए a₁, a₂, a₃, …. एक अनुक्रम हैं तो a₁ + a₂ + a₃ +….. के रूप में व्यक्त किया गया योग श्रेणी कहलाता है जिस श्रेणी के पदों की संख्या सीमित होती है उसे परिमित श्रेणी कहते हैं।
3. किसी अनुक्रम में पद समान नियतांक से लगातार बढ़ते या घटते हैं, समांतर श्रेणी होती हैं। नियतांक को समांतर श्रेणी का सार्व अंतर कहते हैं। सामान्यतः हम समांतर श्रेणी का प्रथम पद a सार्व अंतर d तथा अंतिम पद l से प्रदर्शित करते हैं। समांतर श्रेणी का व्यापक पद या n वाँ पद aₙ = a + (n – 1) d है।

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