एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 गणित प्रश्नावली 8.2
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 गणित प्रश्नावली 8.2 अनुक्रम तथा श्रेणी के प्रश्नों के हल सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए छात्र यहाँ से निशुल्क डाउनलोड कर सकते हैं। यदि प्रश्न पीडीएफ समाधान से समझ न आए तो 8.2 विडियो समाधान की मदद लेकर सभी सवालों के जवाब आसानी से समझे जा सकते हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 गणित प्रश्नावली 8.2
कक्षा 11 गणित प्रश्नावली 8.2 के लिए एनसीईआरटी समाधान
समांतर माध्य
दो संख्याएँ a तथा b हम इन संख्याओं के बीच में एक संख्या A ले सकते हैं ताकि a, A, b समांतर श्रेणी में हों, तो संख्या A को a और b का समांतर माध्य कहते हैं।
A – a = b – A अर्थात् A = (a + b)/2
दो संख्याओं a तथा b के मध्य समांतर माध्य को इनके औसत (a + b)/2 के रूप में व्याख्यित किया जा सकता है।
उदाहरण
ऐसी 6 संख्याएँ ज्ञात कीजिए जिनको 3 और 24 के बीच रखने पर प्राप्त अनुक्रम एक समांतर श्रेणी बन जाए।
हल:
माना कि A₁, A₂, A₃, A₄, A₅ तथा A₆, 3 तथा 24 के मध्य संख्याएं हैं।
इसलिए, 3, A₁, A₂, A₃, A₄, A₅ तथा A₆, 24 समान्तर श्रेणी में हैं
यहाँ a = 3, b = 24 और n = 8.
इसलिए, b = a + (n – 1) d
या 24 = 3 + 7d
d = 3
इस प्रकार A₁ = a + d = 3 + 3 = 6
A₂ = A₁ + d = 6 + 3 = 9,
A₃ = 12, A₄ = 15, A₅ = 18 तथा A₆ = 21
अतः, संख्याएँ 3 तथा 24 के मध्य 6 संख्याएँ 6, 9, 12, 15, 18 तथा 21 हैं।
गुणोत्तर श्रेणी
गणित में संख्याओं के ऐसे श्रेणी को गुणोत्तर श्रेणी कहते हैं जिसके किन्हीं दो क्रमागत पदों का अनुपात अचर हो। गुणोत्तर श्रेणी का प्रत्येक पद पिछले पद में एक नियत अशून्य संख्या का गुणा करने से प्राप्त होता है।
निम्नलिखित अनुक्रम पर विचार करें:
2, 4, 8, 16, ………
उपर्युक्त प्रत्येक अनुक्रम में हम पाते हैं कि प्रथम पद को छोड़, सभी पद एक विशेष क्रम में बढ़ते हैं।
a₁ = 2; a₂/a₁ = 4/2 = 2; a₃/a₂ = 8/4 = 2;
प्रत्येक स्थिति में, प्रथम पद को छोड़, हर अगला पद अपने पिछले पद से अचर अनुपात में बढ़ता है। यह अचर अनुपात 2 है, ऐसे अनुक्रमों को गुणोत्तर अनुक्रम या गुणोत्तर श्रेणी या संक्षेप में G. P. कहते हैं।
अनुक्रम a₁, a₂, a₃, a₄, ……….., aₙ को गुणोत्तर श्रेणी कहा जाता है, यदि प्रत्येक पद अशून्य हो तथा
aₖ₊₁/aₖ = r (अचर), k ≥ 1 के लिए।
गुणोत्तर श्रेणी का सार्व अनुपात
a₁ = a लिखने पर हम गुणोत्तर श्रेणी पाते हैं: a, ar, ar², ar³, ……….. जहाँ a को प्रथम पद कहते हैं तथा r को गुणोत्तर श्रेणी का सार्व अनुपात कहते हैं।
गुणोत्तर श्रेणी के महत्वपूर्ण पद
जैसा कि समांतर श्रेणी के संदर्भ में, वैसे ही पद गुणोत्तर श्रेणी का दवाँ खोजने की समस्या या गुणोत्तर श्रेणी के द पदों का योग जिसमें बहुत संख्याओं का समावेश हो तो इन्हें बिना सूत्र के हल करना कठिन है। इन सूत्रें को हम अगले अनुच्छेद में विकसित करेंगेः
हम इन सूत्रें के साथ निम्नलिखित संकेत का उपयोग करेंगे।
a = प्रथम पद,
r = सार्व अनुपात,
l = अंतिम पद,
n = पदों की संख्या,
Sₙ = प्रथम n पदों का योगफल
गुणोत्तर श्रेणी का व्यापक पद
एक गुणोत्तर श्रेणी जिसका प्रथम अशून्य पद “a” तथा सार्व अनुपात “r” है, पर विचार करें। दूसरा पद, प्रथम पद a को सार्व अनुपात r से गुणा करने पर प्राप्त होता है।
प्रथम पद a₁ = a
द्वितीय पद a₂ = a₁r
तृतीय पद a₃ = a₂r = ar²
इसलिए यह प्रतिरूप बताता है कि गुणोत्तर श्रेणी का n वाँ पद aₙ = arⁿ⁻¹
aₙ गुणोत्तर श्रेणी का व्यापक पद कहलाता है।