कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श गद्य अध्याय 7 रवींद्र केलेकर – पतझर में टूटी पत्तियाँ
कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श भाग 2 गद्य खंड अध्याय 7 रवींद्र केलेकर – पतझर में टूटी पत्तियाँ: गिन्नी का सोना और झेन की देन के प्रश्न उत्तर, अभ्यास में दिए गए भाव स्पष्ट करों आदि प्रश्नों के समाधान विद्यार्थी सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। 10वीं कक्षा हिंदी पाठ 7 के सभी प्रश्न उत्तर पीडीएफ तथा ऑनलाइन प्रारूपों में दिए गए हैं। पीडीएफ से पढने के लिए कक्षा 10 सलूशन ऐप डाउनलोड करें और सभी विषयों के प्रश्न उत्तर हिंदी तथा अंग्रेजी में प्राप्त करें।
कक्षा 10 हिंदी स्पर्श अध्याय 7 रवींद्र केलेकर – पतझर में टूटी पत्तियाँ
कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श गद्य खंड अध्याय 7 रवींद्र केलेकर – पतझर में टूटी पत्तियाँ
कक्षा 10 हिंदी स्पर्श अध्याय 7 के अतिरिक्त प्रश्न उत्तर
शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है?
शुद्ध सोना अलग है और गिन्नी का सोना अलग होता है क्योकि गिन्नी के सोने में थोड़ा-सा ताँबा मिलाया हुआ होता हैं। इसलिए वह सोने से ज़्यादा चमकता है और शुद्ध सोने से मज़बूत भी होता है।
प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट किसे कहते हैं?
शुद्ध आदर्श भी शुद्ध सोने के जैसे ही होते हैं, चंद लोग उसमें व्यावहारिकता का थोड़ा-सा ताँबा मिला देते हैं और चलाकर दिखाते हैं। तब हम लोग उन्हें ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ कहते हैं।
पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श क्या है?
खुद ऊपर चढ़ें और अपने साथ दूसरों को भी ऊपर ले चलें, यही महत्व की बात है। यह काम तो हमेशा आदर्शवादी लोगों ने ही किया है। समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ है जिसे शुद्ध आदर्श कहा जाता है।
लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड’ का इंजन लगने की बात क्यों कही है?
लेखक के अनुसार जापानी लोग अमेरिका जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने लगे थे। एक महीने में पूरा होने वाला काम एक दिन में पूरा करने की कोशिश करने में लगे हुए थे। जैसे दिमाग में स्पीड का इंजन लगवा लिया हो।
जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की क्या विशेषता है?
जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है उस स्थान को ‘टी-सेरेमनी’ कहते है। छत पर दफ़्ती की दीवारोंवाली और चटाई की जमीनवाली एक सुंदर पर्णकुटी जैसी होती है। बाहर बेढब सा एक मिट्टी का बर्तन होता है जो हाथ धोने के लिए पानी से भरा होता है। अंदर जाने पर एक आदमी बैठा मिलेगा जिसे ‘चाजीन’ कहते है, वहाँ का वातावरण बहुत शांत होता है।
जापान में चाय पीने की विधि को क्या कहते हैं?
जापान में चाय पीने की विधि को चा-नो-यू कहते हैं।
शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है?
शुद्ध आदर्श जीवन में आपको हमेशा सोने की भांति चमकाता रहता है और इन्हीं आदर्शो के कारण आप अपने साथ दूसरों को उठाते है और दूसरों के लिए मिसाल बनते है। व्यावहारिकता की उम्र बहुत कम दायरों में बट्टी हुई होती है, जिसकी चमक कुछ समय तक ही रहती है। इसलिए उसकी तुलना ताँबे से की है।
चाजीन ने कौन-सी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग से पूरी की?
चाजीन का लेखक को देख खड़ा हो जाना, कमर झुकाकर उसका प्रणाम करना, आइए तशरीफ लाइए कहकर स्वागत करना बड़ा गरिमापूर्ण था।
‘टी-सेरेमनी’ में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता था, और क्यो?
‘टी-सेरेमनी’ में तीन से अधिक आदमियों को प्रवेश नहीं दिया जाता था। क्योंकी इस विधि में शांति मुख्य बात होती हैं।
चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयं में क्या परिवर्तन महसूस किया था?
चाय पीने के बाद लेखक उलझन में पड़ा। फिर देखा, दिमाग की रफ़्तार धीरे-धीरे धीमी पड़ती जा रही थी। थोड़ी देर में बिलकुल बंद भी हो गई। लेखक को लगा अनंतकाल में जी रहा हूँ। वहाँ का सन्नाटा भी सुनाई देने लगा था।
क्या गांधीजी में नेतृत्व की अदभुत क्षमता थी?
गांधी जी व्यावहारिकता को पहचानते थे। उसकी कीमत जानते थे, इसलिए वे अपने विलक्षण आदर्श चला सके। वरना हवा में ही उड़ते रहते देश उनके पीछे न जाता। गांधी जी कभी आदर्शों को व्यावहारिकता के स्तर पर उतरने नहीं देते थे, बल्कि व्यावहारिकता को आदर्शों के स्तर पर चढ़ाते थे। वे सोने में ताँबा नहीं बल्कि ताँबे में सोना मिलाकर उसकी कीमत बढ़ाते थे।
आपके विचार से कौन-से ऐसे मूल्य हैं जो शाश्वत हैं?
जो खुद ऊपर चड़ें और अपने साथ दूसरों को भी ऊपर ले चलें यही महत्व की बात है। यह काम तो हमेशा आदर्शवादी लोगों ने ही किया है। समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ है। आदर्शवाद हमेशा जीवित रहता है और अपनी भूमिका के कारण ही लोगों में प्रेणा देता है।
लेखक के मित्र ने जापानियों की कौन सी बीमारी के बारे में बताया था?
लेखक के मित्र ने जापानियों में अस्सी फ़ीसदी लोग मनोरुग्ण है। इसकी वजह उनके जीवन में बढ़ती रफ़्तार को बताया था। जिससे मानसिक रोग यहाँ बढ़ गए थे।
अपने जीवन की किसी ऐसी घटना का उल्लेख कीजिए जब-शुद्ध आदर्श से आपको हानी-लाभ हुआ हो।
जब में अपने जीवन का पहला राष्ट्रीय प्रतियोगिता सतरंज खेल रहा था, तब मेरा मैच एक बारहा वर्षीय छात्र से हुआ। मैच हारने की स्थिति में वह रोने लगा और मैच को बराबरी पर खत्म करने के लिए रोता रहा। तब मैने उसका रोना देख कर वह मैच उसी को जीता दिया और श्रेणी से में बाहर हो गया। कुछ दिनों पश्चात जब वह अपने माता-पिता के साथ मिला तो उन्होने मेरा धन्यवाद किया और मेरा आदर सत्कार किया। आज वे मेरे अच्छे मित्रों में से एक है।