एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 9 सवैये

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 9 सवैये (रसखान) सत्र 2025-26 के अनुसार संशोधित रूप में यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। नवीं कक्षा हिंदी क्षितिज के इस पाठ में कवि रसखान की कृष्णभक्ति और उनके प्रति अटूट प्रेम का चित्रण मिलता है। सवैयों में श्रीकृष्ण के सौंदर्य, बाललीलाओं और उनकी अद्भुत छवि का भावपूर्ण वर्णन है। रसखान ने सांसारिक आकर्षणों से ऊपर उठकर कृष्णभक्ति को जीवन का सार माना। यह अध्याय विद्यार्थियों को भक्ति साहित्य की गहराई से परिचित कराता है और प्रेम, समर्पण तथा आध्यात्मिकता का संदेश प्रदान करता है।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 9 के प्रश्न उत्तर
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 9 के अति-लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 9 के लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 9 के दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 9 MCQ

अभ्यास के प्रश्न उत्तर

सवैये कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 9 अभ्यास के प्रश्न उत्तर

1. ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम किन-किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है?
उत्तर देखेंरसखान ने ब्रजभूमि के प्रति अपना प्रेम अनेक रूपों में प्रकट किया है। वे कहते हैं कि यदि वे मनुष्य हों तो गोकुल गाँव के ग्वालों के बीच रहकर आनंद लेंगे। यदि पशु बनें तो नंद की गायों के बीच रहेंगे। यदि पत्थर बनें तो गोवर्धन पर्वत पर टिकना चाहेंगे। यदि पक्षी हों तो यमुना तट के कदंब वृक्ष पर बसेरा करेंगे। इस प्रकार उन्होंने हर रूप में ब्रज में रहने और कृष्ण-सान्निध्य पाने की कामना की है।

2. कवि का ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने के पीछे क्या कारण हैं?
उत्तर देखेंकवि का कारण स्पष्ट है कि ब्रज के वन, बाग और तालाब स्वयं श्रीकृष्ण के चरणों से पवित्र हैं। कृष्ण ने अपने बाल्यकाल और यौवन की अनेक लीलाएँ इन्हीं स्थलों पर की थीं। इसलिए कवि उन्हें अपनी आँखों से बार-बार निहारना चाहता है और अपने को धन्य मानता है।

3. एक लकुटी और कामरिया पर कवि सब कुछ न्योछावर करने को क्यों तैयार है?
उत्तर देखेंरसखान कहते हैं कि वे राज-पाट, सिद्धियाँ और निधियाँ सब छोड़कर केवल नंद की गायों को चराने में आनंद मानते हैं। उनके लिए कृष्ण की गोप-लीला और ग्वाल-बाल जीवन ही सर्वोच्च आनंद का स्रोत है। इसलिए वे केवल लकुटी और कामरिया को ही अपना सौभाग्य मानते हैं।

4. सखी ने गोपी से कृष्ण का कैसा रूप धारण करने का आग्रह किया था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर देखेंगोपी से कहा गया है कि वह सिर पर मोरपंख सजाए, गले में गुंजमाला धारण करे, पीताम्बर ओढ़े, लकुटी हाथ में ले और ग्वालिनों के साथ गोधन के बीच विचरण करे। इस रूप में रसखान का हृदय मोहित हो जाता है।

5. आपके विचार से कवि पशु, पक्षी और पहाड़ के रूप में भी कृष्ण का सान्निध्य क्यों प्राप्त करना चाहता है?
उत्तर देखेंकवि का प्रेम इतना गहरा है कि वह हर रूप में कृष्ण के निकट रहना चाहता है। यदि मनुष्य न बने तो पशु बनकर भी नंद की गायों के बीच रहना चाहता है। यदि पशु न बने तो गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनना चाहता है। यदि वह भी न हो तो पक्षी बनकर कदंब की डाल पर रहना चाहता है। इसका कारण केवल एक है—कृष्ण का सतत सान्निध्य पाना।

6. चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने आप को क्यों विवश पाती हैं?
उत्तर देखेंगोपियाँ विवश हैं क्योंकि जब श्रीकृष्ण मुरली बजाते हैं तो उनके कानों में उस मधुर ध्वनि का प्रवेश होते ही वे स्वयं पर काबू नहीं रख पातीं। उनकी मोहिनी तान सुनकर वे गोधन की ओर दौड़ पड़ती हैं। कृष्ण के मुख की मुस्कान उन्हें इतनी आकर्षित करती है कि उसे भुलाना असंभव हो जाता है।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 9 के भाव स्पष्ट करने वाले प्रश्न उत्तर

7. भाव स्पष्ट कीजिए–
(क) कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।
उत्तर देखेंकवि कहता है कि सोने-चाँदी के करोड़ों महलों से अधिक प्रिय उन्हें ब्रज के करील वृक्षों की झोंपड़ियाँ हैं। वे उन पर अपना सर्वस्व वारने को तैयार हैं।

(ख) माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।
उत्तर देखेंकवि का भाव है कि श्रीकृष्ण के मुख की मुस्कान इतनी आकर्षक है कि कोई भी गोपी उसे भूल नहीं सकती। वह बार-बार स्मरण होती है और मन को मोह लेती है।

8. ‘कालिंदी कूल कदंब की डारन’ में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर देखेंइसमें अनुप्रास अलंकार है, क्योंकि ‘क’ वर्ण की पुनरावृत्ति हुई है।

9. काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए–
या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी।
उत्तर देखेंइस पंक्ति में कवि ने अत्यंत गहन प्रेमाभिव्यक्ति की है। गोपी कहती है कि उसका अधर किसी और के अधर पर नहीं जाएगा क्योंकि वह मुरलीधर श्रीकृष्ण के अधरों से ही बँधा है। यहाँ प्रेम की एकनिष्ठा और समर्पण की सुंदर अभिव्यक्ति हुई है।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 9 के रचना और अभिव्यक्ति के प्रश्न उत्तर

10. प्रस्तुत सवैयों में जिस प्रकार ब्रजभूमि के प्रति प्रेम अभिव्यक्त हुआ है, उसी तरह आप अपनी मातृभूमि के प्रति अपने मनोभावों को अभिव्यक्त कीजिए।
उत्तर देखेंमेरी मातृभूमि मेरे लिए सबसे पवित्र और प्रिय है। यहाँ की नदियाँ, खेत, पर्वत और गाँव मेरे लिए धन-धान्य से अधिक मूल्यवान हैं। मैं चाहे कहीं रहूँ, पर मेरी आत्मा सदैव मातृभूमि से जुड़ी रहेगी। उसके कण-कण को नमन करता हूँ और उसके लिए सब कुछ न्योछावर करने को तत्पर हूँ।

11. रसखान के इन सवैयों का शिक्षक की सहायता से कक्षा में आदर्श वाचन कीजिए। साथ ही किन्हीं दो सवैयों को कंठस्थ कीजिए।
उत्तर देखेंरसखान के इन सवैयों का आदर्श वाचन कक्षा में शिक्षक की सहायता से करना चाहिए ताकि सही उच्चारण, लय और भाव स्पष्ट हो सकें। इन सवैयों का वाचन करते समय ब्रजभूमि और श्रीकृष्ण के प्रति कवि का उत्कट प्रेम अनुभव किया जा सकता है। विद्यार्थी स्वयं भी इन सवैयों का स्वर से पाठ करें और कम-से-कम दो सवैयों को कंठस्थ करें। ऐसा करने से न केवल रसखान के काव्य का सौंदर्य समझ में आएगा, बल्कि भक्ति और प्रेम की भावना भी हृदय में जाग्रत होगी।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 9 सवैये पर आधारित अति-लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 9 अति-लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर

1. रसखान किस कवि-परंपरा से जुड़े हैं?
उत्तर देखेंकृष्णभक्ति।

2.गोकुल में रसखान क्या बनकर रहना चाहते हैं?
उत्तर देखेंग्वाल।

3. पशु बनने पर वे कहाँ रहना चाहते हैं?
उत्तर देखेंनंद की गायों के बीच।

4. पत्थर बनने पर कहाँ रहना चाहते हैं?
उत्तर देखेंगोवर्धन पर्वत पर।

5. पक्षी बनने पर कहाँ बसेरा करेंगे?
उत्तर देखेंयमुना तट के कदंब वृक्ष पर।

6. रसखान किस वस्तु पर राज-पाट छोड़ना चाहते हैं?
उत्तर देखेंलकुटी और कामरिया।

7. आठों सिद्धियाँ और नौ निधियाँ किससे कम हैं?
उत्तर देखेंनंद की गाय चराने से।

8. कवि किससे अधिक प्रेम करते हैं—महल या करील के कुंज?
उत्तर देखेंकरील के कुंज।

9. रसखान सिर पर क्या सजाना चाहते हैं?
उत्तर देखेंमोरपंख।

10. गले में कौन-सी माला पहनना चाहते हैं?
उत्तर देखेंगुंजमाला।

11. रसखान किसके साथ विचरना चाहते हैं?
उत्तर देखेंग्वारिन और गोधन।

12. गोपियाँ किस वाद्य की ध्वनि से मोहित होती हैं?
उत्तर देखेंमुरली की।

13. कृष्ण की कौन-सी मुस्कान भुलाए नहीं भूलती?
उत्तर देखेंमुख की मुस्कान।

14. “कालिंदी” किस नदी का दूसरा नाम है?
उत्तर देखेंयमुना।

15. कवि ब्रजभूमि को किससे भी अधिक मूल्यवान मानते हैं?
उत्तर देखेंकरोड़ों स्वर्ण महलों से।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 9 सवैये के लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 9 लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर

1. रसखान का परिचय दीजिए।
उत्तर देखेंरसखान का जन्म सन् 1548 में हुआ था। उनका मूल नाम सैयद इब्राहीम था और वे दिल्ली के आस-पास के रहने वाले थे। कृष्ण भक्ति ने उन्हें इतना मुग्ध कर दिया कि उन्होंने गोस्वामी विट्ठलनाथ से दीक्षा ली और ब्रजभूमि में जा बसे। सन् 1628 के लगभग उनकी मृत्यु हुई। सुजान रसखान और प्रेमवाटिका उनकी उपलब्ध कृतियाँ हैं। वे प्रमुख कृष्ण भक्त कवि थे जिन्होंने अपनी रचनाओं में कृष्ण की रूप-माधुरी और ब्रज-महिमा का मनोहर वर्णन किया।

2. रसखान की काव्य भाषा की विशेषताएं बताइए।
उत्तर देखेंसखान की काव्य भाषा में ब्रजभाषा का अत्यंत सरस और मनोरम प्रयोग मिलता है। उनकी भाषा में जरा भी शब्डंबर नहीं है बल्कि सहजता और स्पष्टता है। वे अपनी प्रेम की तन्मयता, भाव-विह्वलता और आसक्ति के उल्लास के लिए जितने प्रसिद्ध हैं उतने ही अपनी भाषा की मार्मिकता, शब्द-चयन तथा व्यंजक शैली के लिए भी प्रसिद्ध हैं। उन्होंने सवैया छंद का प्रयोग किया है जो वर्णिक छंद है और इसमें 22 से 26 वर्ण होते हैं। यह ब्रजभाषा का बहुप्रचलित छंद रहा है।

3. प्रथम सवैये में कवि ने अपनी कैसी अभिलाषा व्यक्त की है?
उत्तर देखेंप्रथम सवैये में कवि ने कृष्ण के साथ विभिन्न रूपों में रहने की अभिलाषा व्यक्त की है। वे कहते हैं कि यदि मनुष्य हों तो ब्रज के ग्वाल-बाल बनकर रहना चाहते हैं। पशु हों तो नंद की गायों के बीच में चरना चाहते हैं। पत्थर हों तो गोवर्धन पर्वत बनना चाहते हैं जिसे कृष्ण ने अपनी छत्र की तरह धारण किया था। पक्षी हों तो कालिंदी (यमुना) के तट पर कदंब की डाल पर बसेरा करना चाहते हैं। यह कवि की कृष्ण-प्रेम की चरम अभिव्यक्ति है।

4. द्वितीय सवैये में कवि ने किस त्याग की बात कही है?
उत्तर देखेंद्वितीय सवैये में कवि ने लौकिक सुख-संपत्ति के त्याग की बात कही है। वे कहते हैं कि एक लकुटी और कामरिया पर राज तीनों पुरों का त्याग कर देंगे। आठों सिद्धि और नौ निधि के सुख को छोड़कर नंद की गाय चराने का काम अपनाएंगे। रसखान कहते हैं कि मैं इन आँखों से ब्रज के वन, बाग और तालाब देखूंगा। करोड़ों सोने-चाँदी के महलों को छोड़कर कांटेदार झाड़ियों (करील) के कुंजों पर न्योछावर होऊंगा। यह कवि के कृष्ण-प्रेम की निःस्वार्थता और गहनता को दिखाता है।

5. तीसरे सवैये में गोपियों की क्या इच्छा है?
उत्तर देखेंतीसरे सवैये में गोपियों की यह इच्छा है कि वे कृष्ण का रूप धारण करना चाहती हैं। वे कहती हैं कि मोरपंखा सिर पर रखेंगी, गुंज की माला गले में पहनेंगी। पीतांबर ओढ़कर और लकुटी लेकर वन में गोधन और ग्वारिन के साथ घूमेंगी। रसखान से कहती हैं कि तेरे कहने से सब स्वांग करेंगी लेकिन यह मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरेंगी। इससे गोपियों की कृष्ण के प्रति गहरी प्रेम-भावना और ईर्ष्या का पता चलता है। वे मुरली से ईर्ष्या करती हैं क्योंकि वह कृष्ण के होठों का स्पर्श पाती है।

6. चौथे सवैये में गोपियों की विवशता का कारण क्या है?
उत्तर देखेंचौथे सवैये में गोपियों की विवशता का कारण कृष्ण की मुरली की धुन और उनकी मुस्कान का अचूक प्रभाव है। जब कृष्ण कान में अंगुली रखकर मुरली बजाते हैं तो उसकी मधुर ध्वनि से गोपियाँ मोहित हो जाती हैं। उनकी मोहिनी तान सुनकर रसखान अटक कर (ठहरकर) गोधन को ले जाता है तो ले जाता है। ब्रजलोगिन को पुकारकर कहते हैं कि काली कौ कितना समझाएगा? माई री वा मुख की मुस्कान संभाली न जाएगी। यह दिखाता है कि कृष्ण के सौंदर्य और मुरली की मधुरता के सामने सभी बेबस हो जाते हैं।

7. ‘आठहूँ सिद्धि नवौ निधि के सुख’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर देखें‘आठहूँ सिद्धि नवौ निधि के सुख’ से कवि का आशय अलौकिक शक्तियों और धन-संपत्ति से प्राप्त सुखों से है। आठ सिद्धियाँ हैं – अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व। ये अलौकिक शक्तियाँ हैं जो योगियों को प्राप्त होती हैं। नौ निधियाँ हैं – पद्म, महापद्म, शंख, मकर, कच्छप, मुकुंद, कुंद, नील और खर्व। ये कुबेर की निधियाँ हैं जो अपार धन-संपत्ति देती हैं। कवि कहता है कि इन सभी अलौकिक शक्तियों और अपार धन के सुख को त्यागकर भी कृष्ण की गायें चराना चाहता है। यह भक्ति की सर्वोच्चता को दिखाता है।

8. ‘करील के कुंजन ऊपर वारौं’ का भावार्थ स्पष्ट करें।
उत्तर देखें‘करील के कुंजन ऊपर वारौं’ का भावार्थ है कि कवि कांटेदार करील की झाड़ियों के कुंजों पर न्योछावर होना चाहता है। करील एक कांटेदार झाड़ी है जो ब्रज में पाई जाती है। सामान्यतः लोग इससे बचते हैं क्योंकि इसमें काँटे होते हैं, लेकिन कवि कहता है कि करोड़ों सोने-चाँदी के महलों को छोड़कर भी इन करील के कुंजों पर न्योछावर हो जाना चाहता है। इससे पता चलता है कि कृष्ण-प्रेम में डूबा भक्त ब्रज की हर वस्तु को अमूल्य मानता है। ब्रज की मिट्टी, पेड़-पौधे, यहाँ तक कि काँटेदार झाड़ियाँ भी उसे संसार के सारे वैभव से अधिक प्रिय हैं।

9. ‘मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन’ में कौन सा अलंकार है?
उत्तर देखेंइस पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है। ‘गोकुल गाँव के ग्वारन’ में ‘ग’ वर्ण की आवृत्ति हो रही है जो अनुप्रास अलंकार का उदाहरण है। इसके अतिरिक्त ‘मानुष हौं तो वही’ में ‘पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार’ भी है क्योंकि कवि विभिन्न रूपों में कृष्ण के साथ रहने की इच्छा व्यक्त कर रहा है। यह पुनरावृत्ति भाव की तीव्रता को दिखाती है। साथ ही यहाँ ‘अनन्वय अलंकार’ भी है क्योंकि कवि यह कहकर अपनी भक्ति की श्रेष्ठता दिखाता है कि चाहे कोई भी रूप हो, कृष्ण के साथ ही रहना चाहता है।

10. रसखान के सवैयों में व्यक्त ब्रज-प्रेम की विशेषताएं लिखिए।
उत्तर देखेंरसखान के सवैयों में ब्रज-प्रेम की अनेक विशेषताएं हैं। वे ब्रज की प्रत्येक वस्तु को पवित्र और प्रिय मानते हैं। ब्रज के वन, बाग, तालाब, गायें, ग्वाले, यहाँ तक कि कांटेदार झाड़ियाँ भी उन्हें अमूल्य लगती हैं। वे कहते हैं कि करोड़ों सोने-चाँदी के महलों को छोड़कर भी करील के कुंजों पर न्योछावर हो सकते हैं। ब्रज की कालिंदी (यमुना), कदंब की डालियाँ, गोवर्धन पर्वत सभी उनके लिए तीर्थ हैं। यह प्रेम केवल कृष्ण के कारण है लेकिन ब्रज की हर वस्तु में कृष्ण की उपस्थिति का अनुभव करते हैं। यह ब्रज-प्रेम की सर्वोच्च अभिव्यक्ति है।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 9 सवैये के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 9 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर

1. रसखान के जीवन परिचय और उनकी कृति ‘सुजान रसखान’ की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर देखेंरसखान का जन्म सन् 1548 में हुआ था। उनका मूल नाम सैयद इब्राहीम था और वे दिल्ली के आस-पास के निवासी थे। कृष्ण भक्ति ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि उन्होंने गोस्वामी विट्ठलनाथ से दीक्षा ली और ब्रजभूमि में निवास किया। सन् 1628 के आसपास उनकी मृत्यु हुई। उनकी प्रमुख कृतियाँ ‘सुजान रसखान’ और ‘प्रेमवाटिका’ हैं। रसखान की अनुरक्ति केवल कृष्ण के प्रति ही नहीं बल्कि कृष्ण-भूमि के प्रति भी थी। उनके काव्य में कृष्ण की रूप-माधुरी, ब्रज-महिमा, राधा-कृष्ण की प्रेम-लीलाओं का मनोहर वर्णन मिलता है। वे अपनी प्रेम की तन्मयता और भाव-विह्वलता के लिए प्रसिद्ध हैं।

2. प्रथम और द्वितीय सवैये के आधार पर रसखान के कृष्ण-प्रेम और समर्पण भाव का विश्लेषण करें।
उत्तर देखेंरसखान के प्रथम और द्वितीय सवैये में कृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम और समर्पण का भाव दिखाई देता है। प्रथम सवैये में कवि विभिन्न रूपों में कृष्ण के साथ रहने की इच्छा व्यक्त करता है – मनुष्य हों तो ग्वाल-बाल बनकर, पशु हों तो गायों के रूप में, पत्थर हों तो गोवर्धन बनकर, पक्षी हों तो कदंब की डाल पर। द्वितीय सवैये में वे सांसारिक वैभव का त्याग करने को तैयार हैं। तीनों पुरों का राज्य, आठ सिद्धियाँ, नौ निधियाँ सब कुछ त्यागकर नंद की गाय चराना चाहते हैं। करोड़ों सोने-चाँदी के महल छोड़कर करील के कुंजों पर न्योछावर होना चाहते हैं। यह समर्पण की पराकाष्ठा है जो सच्ची भक्ति की निशानी है।

3. तीसरे सवैये में गोपियों की मनोदशा और उनके कृष्ण-प्रेम की विशेषताओं का चित्रण करें।
उत्तर देखेंतीसरे सवैये में गोपियों की मनोदशा अत्यंत भावपूर्ण है। वे कृष्ण के प्रति इतनी आसक्त हैं कि उनका स्वरूप धारण करना चाहती हैं। वे कहती हैं कि मोरपंखा सिर पर रखेंगी, गुंज की माला गले में पहनेंगी, पीतांबर ओढ़ेंगी और लकुटी लेकर वन में गायों के साथ घूमेंगी। यह उनके प्रेम की तीव्रता को दिखाता है कि वे कृष्ण जैसा दिखना चाहती हैं। लेकिन साथ ही वे कहती हैं कि मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा नहीं धरेंगी। यह उनकी ईर्ष्या और प्रेम की जटिलता को दर्शाता है। वे मुरली से ईर्ष्या करती हैं क्योंकि वह कृष्ण के होठों का स्पर्श पाती है। यह गोपियों के प्रेम की विशेषता है कि वे अपने प्रियतम से जुड़ी हर चीज़ को लेकर संवेदनशील हैं।

4. रसखान की काव्य-भाषा और छंद-योजना की विशेषताओं का विवेचन करते हुए उनकी काव्य-कला पर प्रकाश डालिए।
उत्तर देखेंरसखान की काव्य-भाषा में ब्रजभाषा का अत्यंत सरस और मनोरम प्रयोग है। उनकी भाषा में जरा भी आडम्बर नहीं है बल्कि सहजता और मधुरता है। वे अपनी भाषा की मार्मिकता, शब्द-चयन और व्यंजक शैली के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने सवैया छंद का प्रयोग किया है जो वर्णिक छंद है और इसमें 22 से 26 वर्ण होते हैं। यह ब्रजभाषा का बहुप्रचलित छंद रहा है। उनके काव्य में अनुप्रास, रूपक, उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों का सुंदर प्रयोग मिलता है। ‘कालिंदी कूल कदंब की डारन’ में अनुप्रास का सुंदर उदाहरण है। उनकी कविता में संगीतात्मकता और प्रवाहमयता है जो पाठक को मंत्रमुग्ध कर देती है। भावानुकूल भाषा का प्रयोग उनकी काव्य-कला की विशेषता है।

5. रसखान की भक्ति भावना और काव्य-सौंदर्य का विवेचन कीजिए।
उत्तर देखेंरसखान की भक्ति भावना अत्यंत गहन और आत्मसमर्पण से पूर्ण है। वे जीवन की सभी वस्तुओं को त्यागकर केवल ब्रज और कृष्ण-सान्निध्य में रमना चाहते हैं। उनके काव्य में अनुप्रास, पुनरुक्ति और भाव-सौंदर्य की छटा है। सरल भाषा, लोकजीवन का सहज चित्रण और भावप्रवणता उनके काव्य को अद्वितीय बनाती है। उनका काव्य भक्ति और प्रेम का उत्कृष्ट उदाहरण है।