एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 5 प्रेमचंद के फटे जूते

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 5 प्रेमचंद के फटे जूते (हरिशंकर परसाई) सत्र 2025-26 के लिए यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 9 क्षितिज के इस पाठ में लेखक ने महान साहित्यकार प्रेमचंद के सादगीपूर्ण जीवन का चित्रण किया है। यह रचना बताती है कि प्रेमचंद ने कठिन परिस्थितियों और अभावों में भी ईमानदारी, सच्चाई और साहित्य साधना को प्राथमिकता दी। उनके फटे जूते समाज की सच्चाई और संघर्ष की गवाही देते हैं। यह अध्याय विद्यार्थियों को सादगी, नैतिकता और आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करता है।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 5 के प्रश्न उत्तर
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 5 के अति-लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 5 के लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 5 के दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 5 MCQ

अभ्यास के प्रश्न उत्तर

प्रेमचंद के फटे जूते कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 5 के प्रश्न उत्तर

1. हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं?
उत्तर देखेंपरसाई जी के शब्दचित्र से यह स्पष्ट होता है कि प्रेमचंद अत्यंत सादगीपूर्ण और ईमानदार व्यक्ति थे। वे दिखावा करने में विश्वास नहीं रखते थे। उनका जीवन संघर्षमय था, लेकिन उसमें आत्मविश्वास और बेपरवाही झलकती थी। वे समाज की कुरीतियों और अन्याय को ठोकर मारते हुए आगे बढ़ते थे। उनका व्यक्तित्व इतना सशक्त था कि साधारण कपड़े और फटे जूते भी उन्हें छोटा नहीं कर सकते थे। उनकी व्यंग्यपूर्ण मुस्कान यह दर्शाती है कि वे परिस्थितियों से हार मानने वाले नहीं, बल्कि उनका सामना करने वाले व्यक्ति थे।

2. सही कथन के सामने (✔) का निशान लगाइए-
(क) बाएँ पाँव का जूता ठीक है मगर दाहिने जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अँगुली बाहर निकल आई है।
(ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए।
(ग) तुम्हारी यह व्यंग्य मुसकान मेरे हौसले बढ़ाती है।
(घ) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ अँगूठे से इशारा करते हो?
उत्तर देखें(✔)(ख) सही है क्योंकि लोग सचमुच फोटो खिंचवाते समय इत्र तक लगाते हैं।

3. नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए-
(क) जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं।
उत्तर देखें“जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है” पंक्ति में समाज की उस विडंबना पर व्यंग्य है जिसमें लोग दिखावे की सस्ती चीजों (टोपी) पर ध्यान देते हैं लेकिन जीवन की ज़रूरी चीज़ें (जूता) महँगी और कठिनाई से मिलती हैं।

(ख) तुम परदे का महत्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं।
उत्तर देखें“तुम परदे का महत्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं” पंक्ति में आधुनिक समाज के उस बनावटीपन पर व्यंग्य है जहाँ लोग अपनी वास्तविकता छिपाकर केवल दिखावा करते हैं।

(ग) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो?
उत्तर देखें“जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो” पंक्ति में यह व्यंग्य छिपा है कि प्रेमचंद समाज की गंदगियों को सिर्फ दिखाते नहीं, बल्कि उन्हें ठोकर मारकर उजागर करते हैं।

4. पाठ में एक जगह पर लेखक सोचता है कि ‘फोटो खिंचाने की अगर यह पोशाक है तो पहनने की कैसी होगी?’ लेकिन अगले ही पल वह विचार बदलता है कि ‘नहीं, इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी।’ आपके अनुसार इस संदर्भ में प्रेमचंद के बारे में लेखक के विचार बदलने की क्या वजहें हो सकती हैं?
उत्तर देखेंलेखक को पहले लगा कि यदि प्रेमचंद फोटो खिंचवाने के लिए भी इतनी साधारण पोशाक पहनते हैं, तो उनकी रोज़मर्रा की पोशाक कितनी साधारण होगी। लेकिन तुरंत ही उसे यह अहसास हुआ कि प्रेमचंद जैसे व्यक्ति के पास अलग-अलग मौकों के लिए अलग पोशाकें हों ही नहीं सकतीं। उनका जीवन दिखावे से परे था। वे जैसे थे, वैसे ही फोटो में भी आए। यही कारण है कि लेखक ने अपना विचार बदलकर उन्हें पूरी तरह सादगी और सच्चाई से भरा व्यक्तित्व माना।

5. आपने यह व्यंग्य पढ़ा। इसे पढ़कर आपको लेखक की कौन सी बातें आकर्षित करती हैं?
उत्तर देखेंइस व्यंग्य को पढ़कर परसाई जी की तीक्ष्ण व्यंग्य दृष्टि विशेष रूप से आकर्षित करती है। वे साधारण-सी बात, जैसे फटे जूते, से भी गहरी सामाजिक सच्चाई उजागर कर देते हैं। उनकी भाषा में हास्य भी है और गहरा दर्द भी। उनका लेखन यह सिखाता है कि वास्तविकता को छिपाने के बजाय सच्चाई का सामना करना चाहिए। पाठ पढ़ते समय पाठक को कहीं हँसी आती है, तो कहीं आत्ममंथन करने को भी मजबूर होना पड़ता है। यही परसाई जी की विशेषता है।

6. पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग किन संदर्भों को इंगित करने के लिए किया गया होगा?
उत्तर देखें‘टीले’ शब्द का प्रयोग समाज की जमी हुई कुरीतियों, परंपराओं और अन्यायपूर्ण व्यवस्थाओं के लिए किया गया है। आम लोग इन टीलों से समझौता करके रास्ता बदल लेते हैं, लेकिन प्रेमचंद ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने इन टीलों को ठोकर मारकर तोड़ने की कोशिश की। इसका आशय यह है कि वे समाज की बुराइयों से समझौता नहीं करते थे।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 5 के रचना और अभिव्यक्ति पर प्रश्न उत्तर

7. प्रेमचंद के फटे जूते को आधार बनाकर परसाई जी ने यह व्यंग्य लिखा है। आप भी किसी व्यक्ति की पोशाक को आधार बनाकर एक व्यंग्य लिखिए।
उत्तर देखेंआजकल लोगों की शादी-ब्याह में पोशाक देखकर ऐसा लगता है मानो फैशन शो हो रहा हो। लोग हजारों रुपये के सूट-बूट पहनते हैं और चमचमाते जूते डालते हैं। लेकिन यदि उन जूतों को उतारकर देखो तो आधे से ज्यादा लोगों के मोज़े फटे होते हैं और बदबू मारते हैं। यही हमारी असलियत है—ऊपर से चमक-दमक और भीतर से खोखलापन। परसाई जी होते तो कहते, “यह समाज बाहर से नया और भीतर से सड़ा हुआ है।”

8. आपकी दृष्टि में वेश-भूषा के प्रति लोगों की सोच में आज क्या परिवर्तन आया है?
उत्तर देखेंपहले वेश-भूषा को केवल साधारण जीवन जीने का हिस्सा माना जाता था। लोग सादे कपड़ों में भी सम्मानित महसूस करते थे। लेकिन आज वेश-भूषा फैशन और दिखावे का प्रतीक बन चुकी है। लोग महंगे ब्रांडेड कपड़े पहनने और फैशन के पीछे भागने लगे हैं। अब किसी का व्यक्तित्व उसके विचारों से नहीं, बल्कि उसकी वेशभूषा से आँका जाने लगा है। यह बदलाव समाज की मानसिकता में आए बड़े परिवर्तन को दर्शाता है।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 5 भाषा और अध्ययन

9. पाठ में आए मुहावरे छाँटिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर देखेंपाठ में ‘हौसले पस्त करना’, ‘कुर्बान होना’, ‘ठाठ से पहनना’ और ‘ठोकर मारना’ जैसे मुहावरे आए हैं। उदाहरण के लिए—लगातार असफलताओं ने उसके हौसले पस्त कर दिए। वह अपने बच्चों पर कुर्बान हो जाता है। उसने साधारण कपड़े भी बड़े ठाठ से पहने। और अंत में, उसने समाज की बुराइयों को ठोकर मारकर किनारे किया।

10. प्रेमचंद के व्यक्तित्व को उभारने के लिए लेखक ने जिन विशेषणों का उपयोग किया है उनकी सूची बनाइए।
उत्तर देखेंलेखक ने प्रेमचंद को महान कथाकार, उपन्यास-सम्राट, युग-प्रवर्तक कहा है। उनके चेहरे की मुस्कान को व्यंग्यपूर्ण और तीखी बताया है। साथ ही, उन्हें फटे जूते पहनने वाला मगर बेपरवाह और आत्मविश्वास से भरा व्यक्ति बताया गया है।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 5 प्रेमचंद के फटे जूते पर आधारित अति-लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 5 अति-लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर

1. प्रेमचंद के फोटो में कौन-सी पोशाक दिखती है?
उत्तर देखेंकुरता, धोती, मोटे कपड़े की टोपी और फटे जूते।

2. किस जूते में छेद था?
उत्तर देखेंबाएँ जूते में।

3. जूते में से क्या बाहर निकला था?
उत्तर देखेंपाँव की अँगुली।

4.फोटोग्राफर ने क्या कहा होगा?
उत्तर देखें“रेडी-प्लीज” और फिर “थैंक यू।”

5.फोटो में प्रेमचंद के चेहरे पर कैसी मुस्कान है?
उत्तर देखेंअधूरी, व्यंग्यपूर्ण मुस्कान।

6.लेखक किसकी विडंबना को देखकर दुखी होता है?
उत्तर देखेंफटे जूते को।

7.फोटो खिंचवाने के लिए लोग क्या-क्या करते हैं?
उत्तर देखेंइत्र चुपड़ते हैं, माँगे का कोट पहनते हैं, यहाँ तक कि बीवी तक माँग लेते हैं।

8.प्रेमचंद ने परदे का महत्व क्यों नहीं समझा?
उत्तर देखेंवे दिखावे में विश्वास नहीं करते थे।

9.लेखक का अपना जूता किस तरह का था?
उत्तर देखेंऊपर से अच्छा दिखता था पर तला फटा था।

10.प्रेमचंद का व्यंग्य किस पर था?
उत्तर देखेंसमाज और उसके ढोंग पर।

11.प्रेमचंद किस कमजोरी के शिकार नहीं थे?
उत्तर देखें‘नेम-धरम’ वाली कमजोरी के।

12.टीले किसके प्रतीक हैं?
उत्तर देखेंसमाज की कुरीतियों और अड़चनों के।

13.प्रेमचंद की अँगुली किस ओर संकेत करती है?
उत्तर देखेंसमाज की बुराइयों की ओर।

14.लेखक क्यों कहता है कि वह ऐसे जूते पहनकर फोटो नहीं खिंचवा सकता?
उत्तर देखेंक्योंकि वह परदे और दिखावे को अधिक महत्त्व देता है।

15.कुंभनदास का जूता किससे घिस गया था?
उत्तर देखेंफतेहपुर सीकरी जाने-आने से।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 5 प्रेमचंद के फटे जूते के लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 5 लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर

1. हरिशंकर परसाई का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर देखेंहरिशंकर परसाई का जन्म सन् 1922 में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के जमानी गांव में हुआ था। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से M.A. की शिक्षा प्राप्त की और कुछ दिनों तक अध्यापन कार्य किया। 1947 से स्वतंत्र लेखन शुरू किया। जबलपुर से ‘वसुधा’ नामक पत्रिका निकाली जिसकी हिंदी संसार में काफी सराहना हुई। 1995 में उनका निधन हो गया।

2. प्रेमचंद के फोटो में लेखक की नजर कहाँ अटक गई?
उत्तर देखेंलेखक की नजर प्रेमचंद के बाएं पैर के जूते पर अटक गई जिसमें बड़ा छेद हो गया था और उसमें से अंगुली बाहर निकल आई थी। यह देखकर लेखक सोचने लगा कि अगर फोटो खिंचाने की यह पोशाक है तो पहनने की कैसी होगी। इस फटे जूते ने लेखक को गहरी सोच में डाल दिया और उन्होंने महसूस किया कि प्रेमचंद की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी।

3. लेखक के अनुसार जूता हमेशा टोपी से महंगा क्यों रहा है?
उत्तर देखेंलेखक के अनुसार टोपी आठ आने में मिल जाती थी जबकि जूते उस जमाने में भी पांच रुपये से कम में नहीं मिलते थे। अब तो जूते की कीमत और भी बढ़ गई है और एक जूते पर पच्चीसों टोपियां न्योछावर होती हैं। यह आर्थिक विषमता को दर्शाता है। प्रेमचंद भी जूते और टोपी के आनुपातिक मूल्य के मारे हुए थे, इसलिए उन्होंने टोपी पहनी थी लेकिन जूते फटे हुए थे।

4. प्रेमचंद की मुस्कान के बारे में लेखक क्या कहता है?
उत्तर देखेंलेखक कहता है कि प्रेमचंद की मुस्कान अधूरी है और इसमें उपहास और व्यंग्य है। यह मुस्कान नहीं है बल्कि व्यंग्य-मुस्कान है। लेखक को लगता है कि माधव औरत के कफन के चंदे की शराब पी गई है और वही मुस्कान मालूम होती है। यह मुस्कान समाज की विडंबनाओं पर तीखा कटाक्ष करती है और दिखावे की प्रवृत्ति पर व्यंग्य करती है।

5. लेखक के जूते की क्या स्थिति है?
उत्तर देखेंलेखक का जूता भी कोई अच्छा नहीं है। ऊपर से अच्छा दिखता है और अंगुली बाहर नहीं निकलती, परंतु अंगूठे के नीचे तला फट गया है। अंगूठा जमीन से घिसता है और कभी-कभी रगड़ खाकर लहूलुहान भी हो जाता है। पूरा तला गिर जाएगा, पूरा पंजा छिल जाएगा लेकिन अंगुली बाहर नहीं दिखेगी। यहाँ दिखावे की प्रवृत्ति पर व्यंग्य है।

6. परसाई जी की भाषा की विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर देखेंपरसाई जी बोलचाल की सामान्य भाषा का प्रयोग करते हैं किंतु संरचना के अनूठेपन के कारण उनकी भाषा की मारक क्षमता बहुत बढ़ जाती है। उन्होंने इस व्यंग्य में प्रेमचंद के व्यक्तित्व की सादगी के साथ एक रचनाकार की अंतर्भेदी सामाजिक दृष्टि का विवेचन करते हुए आज की दिखावे की प्रवृत्ति एवं अवसरवादिता पर व्यंग्य किया है। उनकी भाषा में तीखाप्रेमचंद और कुंभनदास के बीच लेखक ने क्या समानता दिखाई है?

7. प्रेमचंद और कुंभनदास के बीच लेखक ने क्या समानता दिखाई है?
उत्तर देखेंलेखक के अनुसार कुंभनदास का जूता भी फतेहपुर सीकरी जाने-आने में घिस गया था। उसे बड़ा पछतावा हुआ था। उसने कहा था – “आवत जात पन्हैया घिस गई, बिसर गयो हरि नाम।” प्रेमचंd भी चलने से जूता घिसाते रहे होंगे। दोनों महान व्यक्तित्व हैं जिन्होंने अपने आदर्शों के लिए भौतिक कष्ट सहन किए लेकिन अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।

8. लेखक प्रेमचंद के व्यंग्य-मुस्कान को कैसे समझता है?
उत्तर देखेंलेखक समझता है कि प्रेमचंद उन लोगों पर हंस रहे हैं जो अंगुली छिपाए और तलुआ घिसाए चल रहे हैं, जो टीले को बरकरार रखकर बाजू से निकल रहे हैं। प्रेमचंद कह रहे हैं कि उन्होंने तो ठोकर मार-मारकर जूता फाड़ लिया, अंगुली बाहर निकल आई पर पांव बच रहा और वे चलते रहे। लेकिन आज के लोग अंगुली को ढांकने की चिंता में तलुए का नाश कर रहे हैं।

9. “नेम-धरम” से क्या तात्पर्य है?
उत्तर देखें“नेम-धरम” का अर्थ है नियम और धर्म। यह होरी की कमजोरी थी जो उसे ले डूबी। लेखक सोचता है कि कहीं प्रेमचंद की भी वही कमजोरी तो नहीं थी। परंतु प्रेमचंद की मुस्कान देखकर लगता है कि शायद “नेम-धरम” उनका बंधन नहीं था बल्कि मुक्ति था। प्रेमचंद ने सामाजिक बंधनों को तोड़कर सच्चाई का साथ दिया और अपने आदर्शों पर डटे रहे।

10. इस व्यंग्य का मूल संदेश क्या है?
उत्तर देखेंइस व्यंग्य का मूल संदेश यह है कि आज के समाज में दिखावे की प्रवृत्ति बढ़ गई है। लोग वास्तविकता को छुपाने में लगे रहते हैं जबकि प्रेमचंद जैसे सच्चे व्यक्ति अपनी कमियों को छुपाते नहीं थे। वे कहते हैं कि हमें सच्चाई का सामना करना चाहिए न कि झूठे दिखावे में डूबे रहना चाहिए। समझौताप्रस्ति की बजाय सिद्धांतों पर अडिग रहना चाहिए।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 5 प्रेमचंद के फटे जूते के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।

कक्षा 9 हिंदी क्षितिज अध्याय 5 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर

1. हरिशंकर परसाई के व्यंग्य लेखन की विशेषताओं का वर्णन करते हुए “प्रेमचंद के फटे जूते” में उनकी व्यंग्य-शैली का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर देखेंहरिशंकर परसाई हिंदी के अग्रणी व्यंग्यकार हैं जिन्होंने व्यंग्य-साहित्य के मानदंडों का निर्माण किया। उनके व्यंग्य लेखन की मुख्य विशेषताएं हैं – भारतीय जीवन के पाखंड, भ्रष्टाचार और बेईमानी पर तीखे प्रहार। उनका व्यंग्य परिवर्तन की चेतना पैदा करता है। “प्रेमचंद के फटे जूते” में परसाई जी ने प्रेमचंद के फोटो को आधार बनाकर प्रभावशाली व्यंग्य रचा है। वे बोलचाल की सामान्य भाषा का प्रयोग करते हैं किंतु संरचना के अनूठेपन के कारण उनकी भाषा की मारक क्षमता बहुत बढ़ जाती है। फटे जूते के माध्यम से वे आज के समाज की दिखावे की प्रवृत्ति पर करारा व्यंग्य करते हैं।

2. “प्रेमचंद के फटे जूते” निबंध में व्यक्त सामाजिक संदेश और आर्थिक विषमता के चित्रण का विस्तृत विश्लेषण कीजिए।
उत्तर देखें“प्रेमचंद के फटे जूते” निबंध में परसाई जी ने गहरे सामाजिक संदेश दिए हैं। प्रेमचंद के फटे जूते के माध्यम से लेखक ने आर्थिक विषमता का मार्मिक चित्रण किया है। “टोपी आठ आने में मिल जाती है और जूते पांच रुपये से कम में नहीं मिलते” – यह दर्शाता है कि आवश्यक वस्तुओं की कीमतें गरीब लेखकों के बूते से बाहर थीं। “जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है” – यह वाक्य गहरी व्यंजना लिए हुए है। परसाई जी ने समाज की दोहरी मानसिकता पर प्रहार किया है। लोग फोटो के लिए भी जूते मांग लेते हैं लेकिन प्रेमचंद से जूते भी मांगते नहीं बने। यह उनकी सहज प्रकृति को दर्शाता है।

3. प्रेमचंद के व्यक्तित्व की विशेषताओं का वर्णन करते हुए बताइए कि परसाई जी ने उन्हें आदर्श व्यक्तित्व के रूप में कैसे प्रस्तुत किया है?
उत्तर देखेंपरसाई जी ने प्रेमचंद के व्यक्तित्व की अनेक विशेषताओं को उजागर किया है। सबसे प्रमुख विशेषता है उनकी सादगी। प्रेमचंद के पास अलग-अलग पोशाकें नहीं थीं – “इसमें पोशाकें बदलने का गुण नहीं है।” दूसरी विशेषता है उनकी संघर्षशील प्रकृति। उन्होंने किसी सख्त चीज को ठोकर मार-मारकर जूता फाड़ लिया। यह दिखाता है कि वे समझौता नहीं करते थे। तीसरी विशेषता है उनकी व्यंग्य-दृष्टि। उनकी मुस्कान में व्यंग्य है जो समाज की विडंबनाओं पर कटाक्ष करता है। परसाई जी ने उन्हें ऐसे आदर्श व्यक्तित्व के रूप में प्रस्तुत किया है जो सिद्धांतों पर अडिग रहता है।

4. “तुम परदे का महत्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं!” – इस कथन के माध्यम से लेखक ने समाज की किस मानसिकता पर व्यंग्य किया है?
उत्तर देखेंइस कथन के माध्यम से परसाई जी ने आधुनिक समाज की दिखावेबाजी पर तीखा व्यंग्य किया है। “परदा” यहाँ दिखावे और झूठी शान का प्रतीक है। आज का समाज इस परदे को बनाए रखने के लिए अपनी वास्तविकता को छुपाने में लगा रहता है। लेखक कहता है कि उसका जूता भी फटा है – “अंगूठे के नीचे तला फट गया है” लेकिन “अंगुली बाहर नहीं दिखती।” यह दिखावे की मानसिकता को दर्शाता है। प्रेमचंद के विपरीत आज के लोग “परदे पर कुर्बान” हो रहे हैं। प्रेमचंद की अंगुली दिखती है लेकिन पाँव सुरक्षित है। आधुनिक मनुष्य की अंगुली ढकी है लेकिन पंजा घिस रहा है।

5. परसाई जी ने प्रेमचंद की “व्यंग्य-मुस्कान” का जो विश्लेषण किया है, उसके आधार पर स्पष्ट करें कि यह मुस्कान क्या संदेश देती है?
उत्तर देखेंपरसाई जी ने प्रेमचंद की “व्यंग्य-मुस्कान” का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया है। यह मुस्कान सामान्य मुस्कान नहीं है बल्कि इसमें उपहास और व्यंग्य का गहरा भाव छुपा है। “यह मुस्कान नहीं, इसमें उपहास है, व्यंग्य है!” यह अधूरी मुस्कान समाज की विडंबनाओं पर कटाक्ष है। प्रेमचंद की यह व्यंग्य-मुस्कान उन लोगों के लिए है जो समझौताप्रस्ति की नीति अपनाते हैं। लेखक समझता है कि प्रेमचंद उन लोगों पर हंस रहे हैं “जो अंगुली छिपाए और तलुआ घिसाए चल रहे हैं।” प्रेमचंद का संदेश यह है कि समस्याओं से सीधा मुकाबला करना चाहिए। यह मुस्कान आज भी हमें साहस और सच्चाई के साथ जीने की प्रेरणा देती है।