एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 हिंदी अध्याय 4 नन्हा फनकार
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 हिंदी अध्याय 4 नन्हा फनकार के प्रश्न उत्तर विस्तार से अभ्यास के सभी सवाल जवाब सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। पाँचवीं कक्षा के छात्र हिंदी की पुस्तक रिमझिम के पाठ 4 में दिए गए नन्हें फनकार के विवरण को देखेंगे कि किस प्रकार राजा भी उसकी कला को देखकर दंग रह जाते हैं।
कक्षा 5 हिंदी अध्याय 4 नन्हा फनकार के प्रश्न उत्तर
प्रस्तुत पाठ में नन्हा फ़नकार कौन था? वह क्या काम करता था?
प्रस्तुत पाठ में नन्हा फ़नकार दस साल का एक लड़का था, जिसका नाम केशव था। वह अपने पिता की तरह ही पत्थर पर नक्काशी का काम सीख रहा था।
केशव बड़ा होकर क्या बनाना चाहता था?
केशव अपने पिता की भांति बहुत बारीक़ जालियाँ, महीन-नफ़ीस बेल-बूटे, कमल के फूल, लहराते हुए साँप और इठलाकर चलते हुए घोड़े आदि पत्थर पर उकेरना सीख कर अच्छा शिल्पकार बनना चाहता था।
बादशाह अकबर ने पहली बार मिलते हुए केशव से क्या कहा था?
बादशाह अकबर ने पहली बार मिलते हुए केशव से कहा , “माशा अल्लाह, ये घंटियाँ कितनी सुंदर हैं, तुमने खुद बनाई हैं”।
बादशाह अकबर ने केशव से क्यों कहा, ‘ये घंटियाँ तुमने खुद बनाई है?
बादशाह अकबर ने देखा कि घंटियाँ बहुत सुंदर बनी थी। यह एक कुशल कारीगरी का नमूना था और केशव बहुत छोटा था। उन्हें इस बात पर यकीन ही नहीं था कि केशव ने खुद ये घंटियाँ बनाई होंगी।
पहरेदार के चले जाने के बाद नन्हा फ़नकार किस असमंजस में था?
पहरेदार के चले जाने के बाद नन्हा फ़नकार (केशव) इस असमंजस में था कि अब उसे क्या करना चाहिए। वापिस अपना नक्काशी का काम शुरू करे या बादशाह अकबर के हुक्म के इंतजार में खड़ा रहे। केशव ने बादशाह अकबर से कहा कि “मैं वहाँ काम करना चाहूँगा”।
बादशाह अकबर ने, केशव से किस तरह का कारखाना बनवाने की बात कही थी?
बादशाह अकबर ने केशव को अपनी सल्तनत के सबसे बढ़िया फ़नकार और शिल्पकार के काम करने के लिए एक कारखाना बनवाने की बात कही थी।
कारखाने की बात सुनकर केशव ने बादशाह अकबर से क्या कहा?
कारखाने बनवाने की बात सुनकर केशव का चेहरा चमक उठा था। केशव ने बादशाह अकबर से कहा “मैं वहाँ काम करना चाहूँगा”।
बादशाह अकबर को पहरेदार की दखंलदाजी अच्छी क्यों नहीं लगी?
अकबर नहीं चाहते थे कि, केशव को उनके बारे में पता चले, की वे हिंदुस्तान के बादशाह हैं। जिसे केशव बिना डरे उनसे बात करता रहे।
प्रस्तुत पाठ में “खरगोश की सी कातर आँखों” से क्या तात्पर्य हैं?
“खरगोश की सी कातर आँखों” से तात्पर्य डर के मारे घबराई हुई आँखों से हैं।
अकबर ने जब नक्काशी सीखना चाहा, तो केशव ने उन्हें संदेहभरी नजरों से क्यों देखा?
केशव, अकबर को संदेह भरी नजरों से इसलिए देख रहा था कि, अब वह जान चूका था की वे कौन हैं। इतना बड़ा आदमी उसके काम को क्यों सीखना चाहता हैं, यह बात उसको चकित कर रही थी।
पहरेदार ने केशव को “बेवकूफ, खड़ा हो हुजुर आला के सामने बैठने की जुर्रत कैसे की तूने” क्यों कहा था
महल के पहरेदार ने केशव से यह इसलिए कहा, क्योंकि बादशाह के खड़े होते हुए उनके सामने बैठे रहना बादशाह का अपमान करने जैसा होता हैं।
बादशाह अकबर ने खीझकर पहरेदार को क्या कहा?
बादशाह अकबर को पहरेदार की दखलंदाज़ी भली नहीं लगी, इसलिए बादशाह ने खीझकर कहा, “ठीक है सिपाही! कुछ देर के लिए हमें अकेला छोड़ दो”।
दोस्ताना अंदाज़ दिखाते हुए बादशाह अकबर ने नन्हे फ़नकार से क्या कहा?
दोस्ताना अंदाज़ दिखाते हुए बादशाह अकबर ने नन्हे फ़नकार के पास बैठ गए और पास में पड़े पत्थर को खींचते हुए कहा, “ठीक है, अब बताओ कि मुझे क्या करना है”।
बादशाह अकबर ने नन्हे फ़नकार के काम में क्या गौर फ़रमाया था?
बादशाह अकबर ने नन्हे फ़नकार के काम में गौर फ़रमाया कि, वह नमूने को ही नहीं तराश रहा बल्कि अपनी तरफ़ से भी उसमें कुछ जोड़ रहा था। जिससे नमूने का डिज़ाइन ज़्यादा खूबसूरत लग रहे थे।