एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 14 अर्धचालक – पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 14 अर्धचालक – पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ के प्रश्नों के उत्तर सीबीएसई और राजकीय बोर्ड के छात्रों के लिए सत्र 2024-25 के अनुसार यहाँ दिए गए हैं। अभ्यास के अतिरिक्त प्रश्नों को भी सरल रूप से हल करके समझाया गया है।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 14
कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 14 अर्धचालक – पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ के उत्तर
अर्धचालक किसे कहते हैं?
उन पदार्थों को कहते हैं जिनकी विद्युत चालकता चालकों (जैसे ताँबा) से कम किन्तु अचालकों (जैसे काच) से अधिक होती है। (आपेक्षिक प्रतिरोध प्रायः 10⁻⁵ से 10⁸ ओम-मीटर के बीच) सिलिकॉन, जर्मेनियम, कैडमियम सल्फाइड, गैलियम आर्सेनाइड इत्यादि अर्धचालक पदार्थों के कुछ उदाहरण हैं।
ताप में वृद्धि से किसी अर्धचालक की चालकता में वृद्धि का कारण यह है कि मुक्त धारावाहकों का
होल होता है
किसी अर्धचालक पर कोई विद्युत क्षेत्र अनुप्रयुक्त किए जाने पर
मान लीजिए किसी एक n-p-n ट्रांजिस्टर आधार-उत्सर्जक संधि को अग्रबायस तथा संग्राहक आधार संधि को पश्चबायस दिया गया है। निम्नलिखित में कौन सा/से प्रकथन सत्य है/हैं?
धातुओं, चालकों तथा अर्धचालकों का वर्गीकरण
धातुओं, चालकों तथा अर्धचालकों का वर्गीकरण निम्नलिखित आधार पर किया जा सकता है:
चालकता के आधार पर
विद्युत चालकता (¬σ) अथवा प्रतिरोधकता (ρ = 1/ σ¬) के सापेक्ष मान के आधार पर ठोस पदार्थों का निम्न प्रकार से वर्गीकरण किया जाता है:
(i) धातु: इनकी प्रतिरोधकता बहुत कम (अथवा चालकता बहुत अधिक) होती है।
ρ ~ 10⁻² – 10⁻⁸ Ω m
σ¬ ~ 10² – 10⁸ S m⁻¹
(ii) अर्धचालक: इनकी प्रतिरोधकता या चालकता धातुओं तथा विद्युतरोधी पदार्थों के बीच की होती है।
ρ ~ 10⁻⁵ – 10⁶ Ω m
σ¬ ~ 10⁵ – 10⁻⁶ S m⁻¹
(iii) विद्युतरोधी: इनकी प्रतिरोधकता बहुत अधिक (अथवा चालकता बहुत कम) होती है।
ρ ~ 10¹¹ – 10¹⁹ Ω m
σ¬ ~ 10⁻¹¹ – 10⁻¹⁹ S m⁻¹
अर्धचालकों के प्रकार
अर्धचालकों को उनके संगठन के आधार पर दो भागों में विभाजित कर सकते हैं:
(i) तात्विक अर्धचालक Si और Ge
(ii) यौगिक अर्धचालक – उदाहरण हैं:
(a) अकार्बनिक – CdS, GaAs, CdSe, InP, आदि।
(b) कार्बनिक – एंथ्रासीन, मादित थैलोस्यानीस, आदि।
(c) कार्बनिक बहुलक – पॉलीपाइरोल, पॉलीऐनिलीन, पॉलीथायोफ़ीन, आदि।
तात्विक अर्धचालक Si और Ge
तात्विक अर्धचालकों की विवेचना के लिए यहाँ जिन सामान्य अवधारणाओं को प्रस्तावित किया गया है वे किसी-न-किसी रूप में अधिकांश यौगिक अर्धचालकों पर लागू होती हैं।
ऊर्जा बैंड के आधार पर
किसी क्रिस्टल के भीतर प्रत्येक इलेक्ट्रॉन की अपनी अद्वितीय स्थिति होती है तथा किन्हीं दो इलेक्ट्रॉनों के चारों ओर के आवेशों का पैटर्न यथार्थ रूप में एक जैसा नहीं होता। यही कारण है कि प्रत्येक इलेक्ट्रॉन के ऊर्जा स्तर भिन्न होते हैं। ये भिन्न ऊर्जा स्तर जिनमें ऊर्जा का संतत परिवर्तन होता रहता है ऊर्जा बैंडों का निर्माण करते हैं। वह ऊर्जा स्तर जिसमें संयोजकता इलेक्ट्रॉनों के ऊर्जा स्तर समाविष्ट हैं, संयोजकता बैंड कहलाता है। संयोजकता बैंड के ऊपर स्थित बैंड को चालन बैंड कहते हैं।
संयोजकता बैंड के शीर्ष तथा चालन बैंड की तली के बीच के अंतराल को ऊर्जा बैंड अंतराल (अथवा ऊर्जा अंतराल, Eg ) कहते हैं। यह अंतराल पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है। यह अधिक, कम अथवा शून्य हो सकता है।
आइए, अब हम यह विचार करें कि n परमाणुओं वाले Si अथवा Ge क्रिस्टल के प्रकरण में क्या होता है।
अर्द्धचालकों में एक परिमित परंतु लघु बैंड अंतराल (Eg < 3 eV) होता है। लघु बैंड अंतराल होने के कारण, कमरे के ताप पर, कुछ इलेक्ट्रॉन संयोजकता बैंड में इतनी ऊर्जा अर्जित कर लेते हैं कि ऊर्जा अंतराल को पार करके चालन बैंड में पहुँच सकते हैं। ये इलेक्ट्रॉन (यद्यपि संख्या में कम होते हैं) चालन बैंड में गति कर सकते हैं। अतः अर्धचालकों का प्रतिरोध उतना अधिक नहीं होता जितना विद्युतरोधी पदार्थों का होता है।
अपद्रव्यी अर्धचालक
जब किसी शुद्ध अर्धचालक में कोई उपयुक्त अशुद्धि अत्यल्प मात्र में जैसे कुछ भाग प्रति मिलियन में मिलाई जाती है तो उसकी चालकता में कई गुना वृद्धि हो जाती है। इस प्रकार के पदार्थों को अपद्रव्यी अर्धचालक अथवा अशुद्धि अर्धचालक कहते हैं। वांछित अशुद्धि को सावधानीपूर्वक मिश्रित करना मादन (डोपिंग) या अपमिश्रण कहलाता है तथा अशुद्धि परमाणु अपमिश्रक कहलाते हैं। इस प्रकार के पदार्थ को मादित अर्धचालक कहते हैं।
मादन के लिए उपयोग होने वाले त्रिसंयोजक तथा पंचसंयोजक तत्व अपमिश्रण के पश्चात एक-दूसरे से पूर्णतः भिन्न प्रकार के दो अर्धचालक पदार्थों का निर्माण करते हैं
n-प्रकार का अर्धचालक
जब किसी शुद्ध अर्धचालक (जैसे जर्मेनियम तथा सिलिकॉन) में 5 संयोजकता वाला अपद्रव्य (जैसे आर्सेनिक, फास्फोरस तथा एंटीमनी) को मिला दिया जाता है तो इस प्रकार के मिश्रित अर्धचालक को n टाइप अर्धचालक कहते हैं। n टाइप अर्धचालक में बहुसंख्यक (बहुत ज्यादा) आवेश वाहक मुक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं।
nₑ >> nₕ
p-प्रकार के अर्धचालक
आंतरिक अर्धचालक में त्रिसंयोजी अशुद्धि मिलाने पर वह P प्रकार के अर्धचालक में परिवर्तित हो जाता है। P प्रकार के अर्धचालक में होल अधिक पाए जाते हैं मतलब इनमे होल की मात्रा इलेक्ट्रॉन से अधिक होती है।
nₕ >> nₑ
कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 14 के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न
सिलिकन या जर्मेनियम के मादन के लिए तात्विक मादकों का चयन प्रायः या तो समूह XIII अथवा समूह XV के तत्वों में से ही क्यों किया जाता है?
मादित किए जाने वाले परमाणु का साइज ऐसा होना चाहिए कि यह शुद्ध अर्द्धचालक के क्रिस्टल जालक की संरचना को तो विकृत न करे परन्तु Si या Ge के साथ सह-संयोजी बंध सरलतापूर्वक निर्मित कर एक आवेश वाहक का योगदान कर सके।
Sn, C, तथा Ge, Si सभी समूह XIV के तत्व हैं। फिर भी Sn चालक है, C विद्युतरोधी है जबकि Si एवं Ge अर्धचालक हैं। ऐसा क्यों है?
परमाणु साइज के अनुसार Sn के लिए ऊर्जा अन्तराल 0 eV, C के लिए 5.4 eV, Si के लिए 1.1 eV तथा Ge के लिए 0.7 eV है।
क्या p-n संधि के सिरों पर विभव प्राचीर की माप केवल संधि पर वोल्टतामापी जोड़ कर की जा सकती है?
जी नहीं, क्योंकि संधि-प्रतिरोध की तुलना में वोल्टमीटर का प्रतिरोध अत्युच्च होना ही चाहिए, जबकि संधि प्रतिरोध लगभग अनन्त है।