एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 8 वैधुतचुंबकीय तरंगे
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 8 वैधुतचुंबकीय तरंगे के प्रश्नों के उत्तर अभ्यास तथा अतिरिक्त अभ्यास के प्रश्नों के हल शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। सीबीएसई के साथ साथ कक्षा 12 भौतिकी के समाधान अन्य राजकीय बोर्ड के छात्रों के लिए भी उपयोगी हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 8
कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 8 वैधुतचुंबकीय तरंगे के उत्तर
वैद्युतचुंबकीय तरंगें
विद्युत चुम्बकीय तरंगें प्रकाश के वेग से गति करती है , तथा ये तरंग फोटोन से मिलकर बनी होती है। जब कोई चुम्बकीय क्षेत्र समय के साथ परिवर्तित हो रहा हो तो इसके कारण विद्युत क्षेत्र उत्पन्न होता है और ठीक इसके विपरीत अर्थात एक परिवर्तनशील विद्युत क्षेत्र , चुम्बकीय क्षेत्र को उत्पन्न करता है।
मैक्सवेल के विद्युत चुंबकीय तरंग सिद्धांत
मैक्सवेल के विद्युत चुंबकीय तरंग सिद्धांत के अनुसार, जब किसी परिपथ में विद्युत धारा उच्च आवृत्ति से बदलती है तो परिपथ में उत्पन्न ऊर्जा तरंगों के रूप में उत्सर्जित होने लगती है। जिसे विद्युत चुंबकीय तरंग कहते हैं।
कार्बन मोनोक्साइड के एक अणु को कार्बन एवं ऑक्सीजन परमाणुओं में विघटित करने के लिए 11eV ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इस विघटन के लिए उपयुक्त वैद्युतचुम्बकीय विकिरण की न्यूनतम आवृत्ति होती है
ऊर्जा फ्रलक्स 20 W/cm² का प्रकाश एक अपरावर्ती पृष्ठ पर अभिलम्बवत् आपतित होता है। यदि पृष्ठ का क्षेत्रफल 30 cm² हो तो 30 मिनट में (पूर्ण अवशोषण के लिए) प्रदत्त कुल संवेग होगा
100 W के बल्ब से 3 m की दूरी पर पहुँचने वाले विकिरणों से उत्पन्न विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E है। उतनी ही दूरी पर 50 W के बल्ब से आने वाले प्रकाश के विकिरणों के कारण उत्पन्न विद्युत क्षेत्र की तीव्रता होगी
वैद्युतचुम्बकीय तरंग की तीव्रता में विद्युत एवं चुंबकीय क्षेत्र घटकों के योगदानों का अनुपात होता है
विस्थापन धारा
एम्पियर के परिपथ के नियम के अनुसार किसी बंद लूप के अनुदिश चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता के रेखीय समाकलन का मान उस बंद लूप में प्रवाहित कुल धारा तथा निर्वात की चुम्बकशीलता [μ₀] के गुणनफल के बराबर होती है।
विस्थापन धाराकिसी संधारित्र के आवेशन की प्रक्रिया पर विचार करें और संधारित्र के बाहर किसी बिदु पर चुंबकीय क्षेत्र ज्ञात करने के लिए ऐम्पियर के परिपथीय नियम
∮B.dI = μ₀ i(t)
किसी बंद तल से निकलने वाला विद्युत फ्लक्स उस तल द्वारा घिरे हुए कुल विद्युत आवेश की मात्रा का 1/ε₀ गुना होता है। जहाँ ε₀ = वायु या निर्वात की वैद्युतशीलता है। इस नियम का प्रतिपादन सन् 1835 में कार्ल फ्रेडरिक गाउस ने किया था किन्तु इसका प्रकाशन सन् 1867 तक नहीं कर सके।
∅E = |E|A = 1/ε₀ × Q/A × A = Q/ε₀
अब यदि संधारित्र की प्लेटों पर आवेश फ़ समय के साथ परिवर्तित हो तो यहाँ एक धारा i = dQ/dt होगी।
d∅E /dt = d/dt (Q/ε₀) = 1/ε₀ (dQ/dt)
यह निर्दिष्ट करता है कि ऐम्पियर के नियम में संगति के लिए,
1/ε₀ (dQ/dt) = i
यही ऐम्पियर के परिपथीय नियम का छूटा हुआ पद है। यदि हम किसी भी सतह से होकर चालकों द्वारा वाहित कुल धारा में, ε₀ गुणा विद्युत फ्लक्स के परिवर्तन की दर जोड़ें तो हम ऐम्पियर के परिपथीय नियम का सामान्यीकरण कर सकते हैं।
वैद्युतचुंबकीय तरंगों की प्रकृति
विद्युत क्षेत्र तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत होता है। इसी प्रकार यह सिद्ध किया जा सकता है कि चुम्बकीय क्षेत्र भी तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत होता है। स्पष्ट है कि विद्युत और चुम्बकीय दोनों क्षेत्र तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत होते है। अत: वैद्युत चुम्बकीय तरंगें अनुप्रस्थ होती है।
रेडियो तरंगें
रेडियो तरंगें चालक तारों में आवेशों की त्वरित गति से उत्पन्न होती हैं। इनका उपयोग रेडियो एवं दूरदर्शन की संचार प्रणालियों में किया जाता है। इनका आवृत्ति परास सामान्यतः 500 kHz से लगभग 1000 MHz के बीच होता है। AM (आयाम मॉड्यूलित) बैंड 530 kHz से 1710 kHz के बीच होता है। इससे उच्चतर 54 MHz तक की आवृत्तियाँ लघुतंरग बैंडों के रूप में उपयोग की जाती हैं। टी-वी- तरंगों का परास 54 MHz से 890 MHz के बीच होता है। FM (आवृत्ति मॉड्यूलित) रेडियो बैंड 88 MHz से 108 MHz के बीच फैला होता है। सेल्यूलर फोनों में अत्युच्च आवृत्ति (UHF) बैंड की रेडियो तरंगों का उपयोग करके ध्वनि संदेशों के आदान-प्रदान की व्यवस्था की जाती है।
सूक्ष्म तरंगें
सूक्ष्म तरंगों (लघु तरंगदैर्घ्य की रेडियो तरंगें) की आवृत्तियाँ GHz के परास में होती हैं ये विशेष प्रकार की निर्वात नलिकाओं जिन्हें क्लाइस्ट्रॉन, मेगनेट्रॉन अथवा गन डायोड कहते हैं, द्वारा उत्पन्न होती हैं। अपने लघु तरंगदैर्घ्य के कारण विमान संचालन में रडार प्रणाली के लिए उपयुक्त हैं।
कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 8 के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न
किसी सुवाह्य रेडियो का प्रसारक स्टेशन के सापेक्ष अभिविन्यास महत्वपूर्ण क्यों होता है?
क्योंकि वैद्युतचुंबकीय तरंगें समतल ध्रुवित होती हैं, इसलिए अभिग्राही ऐन्टेना तरंग के वैद्युत/चुंबकीय भाग के समांतर होना चाहिए।
किसी बल्ब से उत्सर्जित प्रकाश को दोगुनी दूरी पर प्राप्त किया जाए तो इसकी तीव्रता किस प्रकार प्रभावित होगी। कोई लेजर पुंज जब कमरे की लम्बाई के एक सिरे से दूसरे सिरे पर जाता है तब इसकी तीव्रता तत्वतः अचर रहती है। लेजर किरण पुंज का वह कौन सा ज्यामितीय अभिलक्षण है जो इसकी तीव्रता अचर बनाए रखने के लिए उत्तरदायी है और जो बल्ब से आने वाले प्रकाश में नहीं होता।
तीव्रता घटकर एक चौथाई रह जाती है। इसका कारण है कि गोलीय क्षेत्र के क्षेत्रफल 4 πr² में संचरित होने पर प्रकाश पुंज का विस्तार होता है लेकिन लेजर में विस्तार नहीं होता और इसलिए तीव्रता स्थिर रहती है।
यद्यपि विद्युत क्षेत्र E आवेशित कण पर बल qE आरोपित करता है तथापि किसी वैद्युतचुम्बकीय तरंग का विद्युत क्षेत्र विकिरण दाब में योगदान नहीं करता पर ऊर्जा स्थानान्तरित करता है। समझाइए कि ऐसा क्यों होता है?
वैद्युतचुंबकीय तरंग का विद्युत क्षेत्र दोलायमान क्षेत्र है और किसी आवेशित कण पर इसके द्वारा उत्पन्न विद्युत बल भी ऐसा ही होता है। पूर्णसांख्यिक चक्रों में औसत लेने पर यह विद्युत बल शून्य है क्योंकि इसकी दिशा प्रत्येक आधे चक्र में परिवर्तित हो जाती है। अतः विद्युत क्षेत्र विकिरण दाब में योगदान नहीं करता।