एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य में दिए गए अभ्यास तथा अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर सभी सवाल जवाब सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से मुफ्त डाउनलोड किए जा सकते हैं। कक्षा 12 भौतिकी के ये प्रश्न उत्तर सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड दोनों के लिए उपयोगी हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 5
कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य के उत्तर
चुंबकत्व संबंधी कुछ विचार
चुंबकत्व संबंधी कुछ विचार इस प्रकार हैं:
- पृथ्वी एक चुंबक की भाँति व्यवहार करती है जिसका चुंबकीय क्षेत्र लगभग भौगोलिक दक्षिण से उत्तर की ओर संकेत करता है।
- जब एक छड़ चुंबक को स्वतंत्रतापूर्वक लटकाया या शांत पानी पर तैराया जाता है तो यह उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरता है। इसका वह सिरा जो भौगोलिक उत्तर की ओर संकेत करता है, उत्तरी ध्रुव और जो भौगोलिक दक्षिण की ओर संकेत करता है, चुंबक का दक्षिणी ध्रुव कहलाता है।
- दो पृथक-पृथक चुंबकों के दो उत्तरी ध्रुव (या दो दक्षिणी ध्रुव) जब पास-पास लाए जाते हैं तो वे एक-दूसरे को विकर्षित करते हैं। इसके विपरीत, एक चुंबक के उत्तर और दूसरे के दक्षिण ध्रुव एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।
- किसी चुंबक के उत्तर और दक्षिण ध्रुवों को अलग-अलग नहीं किया जा सकता। यदि किसी छड़ चुंबक को दो भागों में विभाजित किया जाए तो हमें दो छोटे अलग-अलग छड़ चुंबक मिल जाएँगे, जिनका चुंबकत्व क्षीण होगा। वैद्युत आवेशों की तरह, विलगित चुंबकीय उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुवों जिन्हें चुंबकीय एकध्रुव कहते हैं, का अस्तित्व नहीं है।
- लौह और इसकी मिश्र-धातुओं से चुंबक बनाने संभव हैं।
n फेरों, माध्य त्रिज्या R तथा अनुप्रस्थ काट त्रिज्या a के किसी टोरॉयड से I धारा प्रवाहित हो रही है। यह किसी क्षैतिज मेज पर, जिसे x – y तल माना गया है, रखा है। इसका चुम्बकीय आघूर्ण m
पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को पृथ्वी के केन्द्र पर स्थित बिन्दु द्विध्रुव के क्षेत्र का प्रतिरूप माना जा सकता है। इस द्विध्रुव का अक्ष पृथ्वी के अक्ष से 11.3° का कोण बनाता है। मुम्बई में दिक्पात लगभग शून्य है। तब
कमरे के ताप पर किसी स्थायी चुम्बक में
कोई अनुचुम्बकीय नमूना 4k ताप पर 0.6T के बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर 8 Am⁻¹ का नेट चुम्बकन दर्शाता है। जब इसी नमूने को 16k ताप पर 0.2T के बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखते हैं तो चुम्बकन होगा
चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ
किसी चुम्बक के चारो ओर का वह क्षेत्र जिसमे उसके बल का संसूचन किया जा सकता है उस चुम्बक का चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता है वह रेखाएँ जिनके अनुदिश लोह- चूर्ण स्वयं संरेखित होता है, चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं का निरूपण करती है चुम्बकीय क्षेत्र में परिणाम एवं दिशा दोनों होते है।
चुंबकीय बल रेखा के गुण
चुंबकीय बल रेखा के गुण निम्न हैं:
- (i) ये सदैव उत्तरी ध्रुव से आरंभ होकर दक्षिणी ध्रुव पर समाप्त होता है ।
- (ii) ये वक्र रेखाएँ होती हैं, जिससे किसी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श रेखा, उस स्थान पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता की दिशा प्रदर्शित करती है।
- (iii) क्षेत्र के लंबवत रखे गए तल के प्रति इकाई क्षेत्रफल से जितनी अधिक क्षेत्र रेखाएँ गुजरती हैं, उतना ही अधिक उस स्थान पर चुंबकीय क्षेत्र B का परिमाण होता है।
- (iv) चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को काटती नहीं हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस स्थिति में कटान बिदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा एक ही नहीं रह जाती।
कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 5 के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न
10 cm लम्बाई के पतले सिलिण्डर की आकृति के किसी स्थायी चुम्बक का M = 10⁶ A/m है। चुम्बक धारा Iₘ परिकलित कीजिए।
Bl = μ₀ Ml = μ₀ (I + Iₘ) और H = 0 = I
Ml = Iₘ = 10⁶ × 0.1 = 10⁵ A
आणविक दृष्टिकोण से प्रति चुम्बकत्व, अनुचुम्बकत्व तथा लौह चुम्बकत्व की चुम्बकीय प्रवृत्तियों की ताप निर्भरता की विवेचना कीजिए।
प्रति चुम्बकत्व इलेक्ट्रॉनों की कक्षीय गति के कारण होता है जो अनुप्रयुक्त क्षेत्र के विपरीत चुम्बकीय आघूर्ण उत्पन्न करता है। इसलिए यह ताप से अधिक प्रभावित नहीं होता। अनुचुम्बकत्व और लोह चुम्बकत्व परमाण्वीय चुम्बकीय आघूर्णों के अनुप्रयुक्त क्षेत्र की दिशा में संरेखण के कारण होता है। ताप वृद्धि होने पर यह संरेखण विक्षोभित हो जाता है जिसके फलस्वरूप दोनों की चुम्बकशीलता ताप वृद्धि के साथ घट जाती है।
मान लीजिए हम एक सुस्पष्ट प्रयोग द्वारा स्थिर वैद्युत तथा स्थिर चुम्बकत्व के बीच अनुरूपता सत्यापित करना चाहते हैं। (i) किसी स्थिर वैद्युत क्षेत्र E में वैद्युत द्विध्रुव P तथा (ii) किसी चुम्बकीय क्षेत्र B में चुम्बकीय द्विध्रुव m की गति पर विचार कीजिए। E, B, p, m पर प्रतिबंधों का एक समुच्चय लिखिए ताकि दोनों गतियाँ सर्वसम सत्यापित की जा सकें। (आरम्भिक अवस्थाओं को सर्वसम मानिए।)
E (r) = c B (r),
p = m/c. द्विध्रुवों के द्रव्यमान और जड़त्व आघूर्ण समान हैं।