कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान संचयन अध्याय 1 मिथिलेश्वर – हरिहर काका
कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान संचयन भाग 2 अध्याय 1 मिथिलेश्वर – हरिहर काका के प्रश्न उत्तर, व्याख्या, प्रमुख प्रश्नों के उत्तर, महत्वपूर्ण प्रश्न तथा बहुविकल्पीय प्रश्न और उसके उत्तर आदि यहाँ से प्राप्त करें। 10वीं कक्षा हिंदी संचयन पाठ 1 के सभी प्रश्न उत्तर सीबीएसई सत्र 2024-25 के अनुसार संशोधित किए गए हैं। विद्यार्थी इन प्रश्न उत्तरों को पीडीएफ के रूप में डाउनलोड करके ऑफलाइन भी पढ़ सकते हैं या वेबसाइट और तिवारी अकादमी ऐप के माध्यम से ऑनलाइन भी पढ़ सकते सकते हैं।
कक्षा 10 हिंदी संचयन अध्याय 1 मिथिलेश्वर – हरिहर काका
कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान संचयन अध्याय 1 मिथिलेश्वर – हरिहर काका
कक्षा 10 हिंदी संचयन अध्याय 1 के अतिरिक्त प्रश्न उत्तर
कथावाचक और हरिहर काका में क्या संबंध है?
हरिहर काका कथावाचक के पड़ोसी थे। हरिहर काका कथावाचक को बचपन में बहुत दुलार करते थे। एक पिता की भाँति कंधे पर बैठाकर घुमाते प्यार करते थे और जब कथावाचक सयाना हुआ तब भी पहली दोस्ती हरिहर काका से ही हुई थी। ये दोनों खुलकर बाते करते, गाँव में हरिहर काका की अन्य किसी से इतनी गहरी दोस्ती नहीं थी। कथावाचक और हरिहर में बहुत लगाव था।
हरिहर काका किन चिंताओ में घिरे हुए थे?
हरिहर की चिंता का कारण उनके भाईयों का परिवार और ठाकुरबाड़ी के महंत थे। जो उनकी जान के दुश्मन बन गए थे। ये दोनों हरिहर काका की पंद्रह एकड़ जमीन को अपने नाम करवाना चाहते थे। हरिहर काका की पत्नी की मृतु होने के कारण उनकी कोई संतान नहीं थी। दोनों दुश्मनों ने जबरन हरिहर काका के अंगूठे का निशान भी ले लिया था। हरिहर काका को अब किसी पर भरोसा नहीं रहा था। इसी कारण हरिहर काका किसी से बात नहीं करते थे और अपनी चिंताओ में घिरे रहते थे।
हरिहर काका को अपने भाई और ठाकुरबाड़ी के महंत एक ही श्रेणी के क्यों लगने लगे थे?
हरिहर काका अनपढ़ होने के बावजूद काफ़ी समझदार थे। वे समझ गए थे कि उनके भाई और ठाकुरबाड़ी के महंत उनकी पंद्रहा एकड़ जमीन अपने नाम करवाना चाहते हैं। जिस कारण दोनों ने जबरन उनके अंगूठे का निशान भी ले लिया था। दोनों ही उनकी जान के दुशमन बन गए थे। जिस कारण हरिहर काका को ये दोनों एक ही श्रेणी के लगने लगे थे।
ठाकुरबाड़ी के प्रति गाँव वालों के मन में अपार श्रद्धा के भाव क्यों थे?
ठाकुरबाड़ी के साथ लोगों का सबंध बहुत ही घनिष्ठ था। कृषि-कार्य से अपना बचा हुआ समय वे ठाकुरबाड़ी में ही बिताते थे। ठाकुरबारी में साधू-संतों का प्रवचन सुन और ठाकुर जी के दर्शन कर वे अपना जीवन सार्थक मानने लगे थे। उन्हें यह महसूस होता था कि ठाकुरबारी में प्रवेश करते ही वे पवित्र हो जाते हैं और उनके पिछले पाप अपने आप खत्म हो जाते हैं।
क्या कारण था जो हरिहर काका जीते जी अपनी पंद्रह एकड़ जमीन अपने भाइयों के नाम नहीं करना चाहते थे?
हरिहर काका ने समाज में अनेकों घटनाएँ अपने जीवन में देख रखी थी। अनपढ़ होने के बावजूद वे काफ़ी समझदार भी थे। पहले उनके भाई उन के खानपान पर ध्यान नहीं देते थे, तो गुस्से में एक दिन वे घर से निकल गए और अपनी पंद्रह एकड़ जमीन की कमाई की दुहाई दी। यह सुन कर उनके भाई घबरा गए और उनकी सेवा अच्छे से करने लगे क्योकि हरिहर की कोई संतान नहीं थी उनके बाद उनकी जमीन उनके भाइयों को ही मिलनी थी। लेकिन उन्हें पता चल गया था कि यदि उन्होने जमीन उनके नाम कर दी तो उनके भाई उनकी सेवा भाव सब भूल जाएगें और उनकी जान के दुशमन भी बन सकते हैं। इसलिए हरिहर काका ने फ़ैसला किया कि वे जीते जी अपनी जमीन किसी के नाम नहीं करगे।
ठाकुरबाड़ी के महंत हरिहर काका को एक रात ठाकुरबाड़ी में रुकने को क्यों कह रहे थे?
ठाकुरबाड़ी के महंत हरिहर काका की मनोदशा समझ गए थे। जब हरिहर काका घर से गुस्से में बाहर निकले तो महंत जी ने उन्हें रोककर ठाकुरबाड़ी में एक रात रुकने को कहा और बड़े अच्छे से उनकी खातिर-दारी करके हरिहर काका का मन जीत लिया था। वह चाहते थे कि हरिहर अपनी जमीन ठाकुरबाड़ी के नाम कर दे और ठाकुरबाड़ी में ही अपना बाक़ी जीवन ठाकुर जी की सेवा में बिताए।
ठाकुरबाड़ी के महंत को किस बात का डर लग रहा था और उसने क्या किया?
पंद्रह एकड़ जमीन के लालच में महंत ने हरिहर काका की एक रात ठाकुरबाड़ी में बड़ी खातिरदारी की थी और उन्हें समझाया था कि वे अपनी जमीन ठाकुरबाड़ी के नाम कर दें। लेकिन हरिहर काका के भाई उन्हें अपने साथ वापिस ले आए थे। अब महंत जी को डर लगा कि कहीं हरिहर काका का मन बदल न जाए और हरिहर अपनी जमीन अपने भइयों के नाम न कर दे। तो एक रात वह डाकुओं से मिल कर हरिहर काका को जबरन उठा के ठाकुरबाड़ी ले आया और उनके अंगूठे का निशान भी ले लिया था।
हरिहर काका के मामले में गाँव वालों की क्या राय थी और उसके क्या कारण थे?
हरिहर काका के मामले में कुछ गाँव वालों की राय यह थी कि हरिहर काका को अपनी जमीन ठाकुरबाड़ी को दान कर देनी चाहिए क्योंकि वे लोग ठाकुरबाड़ी के पक्ष में थे। कुछ लोग हरिहर के भाइयों के पक्ष में थे। वे चाहते थे कि हरिहर अपनी जमीन अपने भाइयों और भतीजों के नाम कर दे क्योंकि वे ही हरिहर के जमीन के असली वारिश हैं।
जमीन नाम न करने की सूरत में हरिहर काका के भाइयों ने क्या किया?
हरिहर के भाइयों ने जमीन नाम न करने की सूरत में हरिहर काका से हाथापाई की और मुँह में कपड़ा ठूंस कर बांध दिया और महंत की भाँति जबरन अँगूठे का निशान भी ले लिया था।
हरिहर काका के गाँव में यदि मीडिया की पहुँच होती तो उनकी क्या स्थिति होती?
हरिहर काका के गाँव में यदि मीडिया की पहुँच होती तो हरिहर काका को न्याय जरूर मिलता और उनकी ज़िंदगी और बेहतर होती। सभी को ठाकुरबाड़ी के गुंडो और डाकुओं का भेद उजागर हो जाता। लोगों के सामने ठाकुरबाड़ी के महंत की करतूतों का पता चल जाता। साथ ही हरिहर काका के साथ की गई मारपीट में उनके भाइयों और महंत को कड़ी सजा का सामना करना पड़ता।
लेखक ने ऐसा क्यों कहा “अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते है ज्ञान होने पर मनुष्य आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरन करने के लिए तैयार हो जाता है”?
जब हरिहर काका के भाइयों ने जबरन जमीन अपने नाम करने को कहा तो भी हरिहर काका घबराए नहीं और उनका विरोध करते रहे। क्योंकि वे जानते थे जमीन भाइयों के नाम करते ही उनकी दुर्गति शुरू हो जाएगी और अपनी मृत्यु की परवाह न करते हुए उनसे भिड गए और कहा जीते जी वे अपनी जमीन किसी के नाम नहीं करेगें। हरिहर के इसी ज्ञान के चलते लेखक ने ऐसा कहा था।
गाँव के नेता जी ने हरिहर काका के लिए क्या प्रस्ताव लेकर आए थे?
गाँव के नेता जी हरिहर काका के लिए उनकी जमीन में हरिहर उच्च विद्यालय नाम से एक हाई स्कूल खोलने का प्रस्ताव लेकर आए थे। जिससे उनकी जमीन का सही उपयोग होगा और उनका नाम अमर हो जाएगा तथा गाँव के विकास के लिए एक स्कूल मिल जाएगा।
हरिहर काका ने अपने लिए पुलिस सुरक्षा की माँग क्यों की थी? सही मायने में उनकी सुरक्षा कौन कर रहा था?
हरिहर काका को ठाकुरबाड़ी के महंत और अपने भाइयों से अपनी जान का डर था क्योंकि ये दोनों हरिहर काका की जमीन हड़पने के चक्कर में थे। दोनों ने काका को मार-पीट कर जबरन अँगूठे का निशान भी ले रखे थे इसलिए हरिहर काका ने अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस की माँग की थी। लेकिन उनकी असल में सुरक्षा उनके भाई और महंत के लोग कर रहे थे। उन्हें डर था कि उन दोनों पक्षों में से कोई हरिहर काका का अपहरण न कर ले। दोनों पक्षों ने अपने आदमी हरिहर काका की निगरानी में छोड़ रखे थे।