कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श गद्य अध्याय 1 प्रेमचंद – बड़े भाई साहब
कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श भाग 2 गद्य खंड अध्याय 1 प्रेमचंद – बड़े भाई साहब में दिए गए अभ्यास के प्रश्न उत्तर तथा अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर विद्यार्थी सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। पाठ पर आधारित अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर भी दिए गए हैं ताकि विद्यार्थी परीक्षा की तैयारी आसानी से कर सकें। पाठ 1 स्पर्श कक्षा 10 हिंदी के वस्तुनिष्ठ बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ) भी दिए गए हैं जिनके उत्तर व्याख्या के साथ दिए गए हैं। कक्षा 10 के समाधान के लिए ऐप डाउनलोड करें।
कक्षा 10 हिंदी स्पर्श गद्य खंड अध्याय 1 प्रेमचंद – बड़े भाई साहब
कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श गद्य खंड अध्याय 1 प्रेमचंद – बड़े भाई साहब
कक्षा 10 हिंदी स्पर्श अध्याय 1 के अतिरिक्त प्रश्न उत्तर
कथा नायक की रुचि किन कार्यो में थी?
कथा नायक की रुचि कागज़ की तितिलियाँ उठाना, फाटक पर सवार होकर आगे पीछे चलना, पतंग उड़ाना आदि खेलों में अधिक थी।
बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे?
बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल होता था, “कहाँ थे” इसी ध्वनि में हमेशा पूछा जाता था।
छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा क्यों उत्पन्न हुई थी?
जब बड़े भाई ने छोटे भाई को कहा मेरे देखते तुम बेराह न चलने पाओगे और यदि मुझे तुम्हें पीटना पड़ा तो भी मै पीछे नहीं हटूंगा। बड़े भाई का अपने लिए यह प्रेम देख कर उनके प्रति श्रद्धा उत्पन्न हुई थी।
दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया था?
दूसरी बार पास होने पर छोटा भाई बड़े भाई की सहिष्णुता का अनुचित लाभ उठाने लगा। भाई साहब के डर से जो थोड़ा बहुत पढ़ लिया करता था, वह भी बंद हुआ और कनकौए उड़ाने का नया शौक पैदा हो गया था।
बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे, और वे कौन- सी कक्षा में पढ़ते थे?
बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में पाँच साल बड़े थे और वे नौवी कक्षा में पड़ते थे।
बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे?
बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए कभी काँपी पर, किताबों के हाशियों पर चिड़ियों, कुत्तों, बिल्लियों की तस्वीरें बनाया करते थे, कभी-कभी एक ही नाम या वाक्य दस-बीस बार लिख डालते थे।
छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय क्या-क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया था?
छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय केवल पढ़ाई के विषय में सोचा। प्रात: छ: से रात ग्यारह बजे तक का समय सभी विषयों की पढ़ाई के लिए रखा। परंतु खेल के मैदान पर जाते ही सब टाइम-टेबिल भूल जाता और अपने आप को खेल-कूद में मसगुल कर लेता था।
बड़े भाई साहब छोटे भाई को क्या सलाह देते थे और क्यों?
बड़े भाई साहब छोटे भाई को पढ़ाई को बारीकी से समझने की सलाह देते थे। भले ही इसमें कितना समय लग जाए। क्योकि वह उसे जीवन भर याद रहेगा और उसके दिमाग में अच्छे से बैठ जाएगा। इससे भविष्य में कभी किसी कठनाई का सामना नही करना पड़ेगा।
एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई थी?
बड़े भाई साहब ने आते ही छोटे भाई को डाँटना शुरू कर दिया। छोटे भाई के एक दरजा पास करने से उसके घमंडी होने पर प्रतिक्रिया करने लगे। रावण के घमंड की तुलना छोटे भाई से करने लगे और कहा जब इन लोगों का घमंड न रहा तो तुम क्या हो, कहने लगे थे।
बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थी?
बड़े भाई साहब ने बड़े होने की जिम्मेदारीयों को अपने दिल-दिमाग में अच्छे से उतार लिया था। वह अपने आप को अपने से छोटे के लिए मिशाल बना चाहते थे और एक आदर्श उदाहरण रखना चाहते थे। जिस कारण उन्हें अपने मन की इच्छाएँ द्बानी पड़ती थी।
छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या फ़ायदा उठाया था?
छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का फ़ायदा अपने शौक पूरा करने के लिए उठाया। जो पढ़ाई वह बड़े भाई के डर से करता था उस पर भी ध्यान देना बंद कर दिया था। उनकी सहनशीलता का अनुचित लाभ उठाने लगा। कनकौए उड़ाना, कन्ने बाधना, माझा छोड़ना, पतंगबाजी सब को गुप्त रूप से अंजाम दिया जा रहा था।
बड़े भाई की डांट-फटकार अगर नहीं मिलती तो क्या छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता?
बड़े भाई साहब की डांट-फटकार अगर नहीं मिलती तो छोटा भाई कभी-भी कक्षा में अव्वल नहीं आता क्योकि छोटे भाई का मन किताबों से अधिक खेल कूद में ही लगता था। वह एक घंटे में ही किताबों से पीछा छुड़ाने का विचार मन में बना लेता था। भाई की डांट-फटकार का डर ही उसकी सफलता का राज था।
पाठ के आधार पर लेखक ने शिक्षा के किन तौर- तरीकों पर व्यंग्य किया है? क्या आप उनके विचार से सहमत हैं?
पाठ में लेखक ने बड़े भाई की शिक्षा के तरीकों पर व्यंग्य किया है। जो व्यक्ति पूरे साल बारीकी से पढ़ाई करता हो और पढ़ाई की कठनाइयों के बारे में अपने छोटे भाई को बताता हो। उसका दो साल लगातार फ़ेल हो जाना ही सबसे बड़ा व्यंग्य हैं। छोटा भाई द्वारा पूरे दिन में कम पढ़ाई करने के बावजूद कक्षा में अव्वल आना भी शिक्षा पर व्यंग्य का काम कर रहा है। जिससे मै लेखक के विचार से सहमत हूँ।
बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है?
बड़े भाई साहब के अनुसार आदमी को जीवन की समझ किताबें पढ़ने से नहीं आती, दुनियाँ देखने और तजुर्बे से आती है। उनके अनुसार जिसकी उम्र जितनी ज्यादा होगी, उसे जीवन की समझ भी ज्यादा होगी और तजुरबा भी अधिक होगा।
बड़े भाई साहब की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए।
बड़े भाई साहब का स्वभाव एक आदर्श भाई की मिशाल देता है। अपनी इच्छाओं को केवल इसलिए दबा देते है कि अपने छोटे भाई को गलत राह पर चलते न देखें। बड़े भाई साहब जीवन की समझ पढ़ाई से ज्यादा उम्र और तजुरबा को देते थे। बड़े भाई साहब अपनी जिम्मेदारियों को अपनी उम्र से बड़े लोगों की भाँति समझते थे और उन्हीं की तरह व्यवहार करते थे।
बड़े भाई साहब ने ज़िंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे और क्यों महत्वपूर्ण कहा है?
बड़े भाई साहब ने ज़िंदगी के अनुभव को किताबी ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण कहा है। उनके अनुसार दुनियाँ की समझ किताबी ज्ञान से नहीं मिलती बल्कि बड़ी उम्र और तजुर्बे से मिलती है। जो दुनियाँ को अच्छे से समझ सकता है। इसलिए वह अपने छोटे भाई को अपने दादा की समझदारी का उदाहरण देते है जो कम पढे-लिखे थे।