कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श अध्याय 9 रविंद्रनाथ ठाकुर – आत्मत्राण
कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श भाग 2 पद्य खंड अध्याय 9 रविंद्रनाथ ठाकुर – आत्मत्राण के प्रश्नों के उत्तर, पद्य खंडों की व्याख्या और भाव स्पष्ट करने वाले प्रश्नों के उत्तर सत्र 2024-25 के लिए विद्यार्थी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। सभी प्रश्नों के उत्तर विस्तार से समझकर लिखे गए हैं तथा लिखने की भाषा को सरल रखा गया है ताकि प्रत्येक को आसानी से समझ आ सके। कक्षा 10 सलूशन ऐप में सभी विषयों के प्रश्न उत्तर हिंदी तथा अंग्रेजी माध्यम में दिए गए हैं।
कक्षा 10 हिंदी स्पर्श पद्य खंड अध्याय 9 रविंद्रनाथ ठाकुर – आत्मत्राण
कक्षा 10 हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श भाग 2 पद्य खंड अध्याय 9 रविंद्रनाथ ठाकुर – आत्मत्राण
कक्षा 10 हिंदी स्पर्श अध्याय 9 के अतिरिक्त प्रश्न उत्तर
कविता में करुणामय शब्द का उचारन कवि ने कई बार किया है इस शब्द की व्यख्या कीजिए।
कवि ने ‘करुणामय’ शब्द का उपयोग द्या करने वाले ईश्वर के लिए किया है। कवि ईश्वर से आत्म बल और स्वंय कठिनाइयों से लड़ने के लिए शक्ति मांग रहा है वह ईश्वर से कह रहा है कि आप मेरी मदद ने करे परंतु मुझे उनसे स्वंय जूझने की शक्ति प्रदान करें।
रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म कब और कहा हुआ था?
रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म 6 मई 1861 को बंगाल में हुआ था।
कवि विपदा पड़ने पर अपनी मदद करने से ईश्वर को क्यों रोक रहा है और उसके बदले ईश्वर से क्या चाह रहा है?
कवि विपदा पड़ने पर भी ईश्वर से अपनी मदद के बदले उन विपदाओं से स्वंय लड़ने और जूझने की शक्ति और आशीर्वाद मांग रहा है। वह चाहता है कि वह स्वंय ही उन दुखों पर विजय हासिल करें और उनसे कभी भी न डरे अर्थात वह आत्मत्राण बना चाहता है।
कवि ने दुख और सुख में ईश्वर से क्या मांग की है?
कवि ने दुख और सुख में ईश्वर से मांगा है कि वह कभी भी उन पर से अपनी कृपा दृष्टि न हटाएँ और कभी भी उसके अंदर ईश्वर की आस्था न समाप्त होने पाए चाहे कितनी भी बड़ी विपदा क्यों न आए। उसका विश्वास अटल रहे। उसके अंदर ईश्वर भक्ति का दिया जलता रहे।
कवि अपने पराक्रम व आत्म शक्ति को क्यों बढ़ाना चाहता है?
कवि सभी प्रकार के दुख, विपदाओं और कठिनाइयों पर विजय पाने और उनसे जूझने के लिए अपने पराक्रम व आत्म शक्ति को बढ़ाना चाहता है।