एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 गणित प्रश्नावली 6.1
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 गणित प्रश्नावली 6.1 रेखाएँ और कोण के प्रश्नों के हल सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से निशुल्क प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 9 गणित प्रश्नावली के प्रत्येक प्रश्न को चित्रों की सहायता से हल करके दर्शाया गया है। पीडीएफ के साथ-साथ विडियो समाधान भी छात्रों की सुविधा के लिए उपलब्ध है।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 गणित प्रश्नावली 6.1
कक्षा 9 गणित अध्याय 6 प्रश्नावली 6.1 के लिए एनसीईआरटी समाधान
रेखाखंड और संरेख बिंदु
रेखाखंड
एक रेखा का वह भाग जिसके दो अंत बिंदु हों एक रेखाखंड कहलाता है।
संरेख बिंदु
यदि तीन या अधिक बिंदु एक ही रेखा पर स्थित हों, तो वे संरेख बिंदु कहलाते हैं, अन्यथा वे असंरेख बिंदु कहलाते हैं।
कोण तथा उसके प्रकार
कोण
जब दो किरणें एक ही अंत बिंदु से प्रारम्भ होती हैं, तो एक कोण बनता है। कोण को बनाने वाली दोनों किरणें कोण की भुजाएँ कहलाती हैं और वह उभयनिष्ठ अंत बिंदु कोण का शीर्ष कहलाता है।
कोणों के प्रकार
- (i) न्यून कोण
- (ii) समकोण
- (iii) अधिक कोण
- (iv) ऋजु कोण
- (v) प्रतिवर्ती कोण
न्यूनकोण, समकोण तथा अधिक कोण
न्यून कोण
एक न्यून कोण का माप 0⁰ और 90⁰ के बीच होता है।
समकोण
एक समकोण का माप ठीक 90⁰ होता है।
अधिक कोण
90⁰ से अधिक परन्तु 180⁰ से कम माप वाला कोण अधिक कोण कहलाता है।
ऋजु कोण, पूरक कोण तथा संपूरक कोण
ऋजु कोण
एक ऋजु कोण 180⁰ के बराबर होता है।
पूरक कोण
वह कोण जो 180⁰ से अधिक, परन्तु 360⁰ से कम माप का होता है एक प्रतिवर्ती कोण कहलाता है। इसके अतिरिक्त, यदि दो कोणों का योग एक समकोण के बराबर हो, तो ऐसे कोण पूरक कोण कहलाते हैं।
संपूरक कोण
वे दो कोण, जिनका योग 180⁰ हो, संपूरक कोण कहलाते हैं।
आसन्न कोण, शीर्षाभिमुख कोण तथा प्रतिच्छेदी रेखाएँ
आसन्न कोण
दो कोण आसन्न कोण कहलाते हैं, यदि उनमें एक उभयनिष्ठ शीर्ष हो, एक उभयनिष्ठ भुजा हो और उनकी वे भुजाएँ जो उभयनिष्ठ नहीं हैं, उभयनिष्ठ भुजा के विपरीत ओर स्थित हों।
शीर्षभिमुख कोण
जब दो रेखाए एक दुसरे को काटती हो तो एक दूसरे के विपरीत बना कोण, शीर्षाभिमुख कोण कहलाता है।
प्रतिच्छेदी रेखाएँ
किसी एक तल की दो भिन्न रेखाएँ, जिनमें एक बिंदु उभयनिष्ठ हो, प्रतिच्छेदी रेखाएँ कहलाती हैं; तथा उभयनिष्ठ बिंदु को प्रतिच्छेद बिंदु कहते हैं।
अप्रतिच्छेदी (समान्तर) रेखाएँ
अप्रतिच्छेदी (समानांतर रेखाएँ) किसी समतल में बनी ऐसी रेखाएँ होती हैं जो कभी नहीं मिलती। यह तभी सम्भव है जब इन रेखाओं की आपस की दूरी (अंतर) एक ही रहता है, यानि कभी नहीं बदलता।
स्मरणीय तथ्य
1. यदि एक किरण एक रेखा पर खड़ी हो, तो इस प्रकार बने दोनों आसन्न कोणों का योग 180⁰ होता है और विलोमतः यदि दो आसन्न कोणों का योग 180⁰ है, तो उनकी अउभयनिष्ठ भुजाएँ एक रेखा बनाती हैं। इन गुणों को मिलाकर रैखिक युग्म अभिगृहीत कहते हैं।
2. यदि दो रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेद करें, तो शीर्षाभिमुख कोण बराबर होते हैं।
3. यदि एक तिर्यक रेखा दो समांतर रेखाओं को प्रतिच्छेद करे, तो
- (i) संगत कोणों का प्रत्येक युग्म बराबर होता है।
- (ii) एकांतर अंतः कोणों का प्रत्येक युग्म बराबर होता है।
- (iii) तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंतः कोणों का प्रत्येक युग्म संपूरक होता है।