एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 9 अग्नि पथ

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 9 अग्नि पथ में हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखी गई प्रेरणादायी कविता पर आधारित प्रश्न सत्र 2025-26 के लिए दिए गए हैं। यह कविता जीवन संघर्षों को अग्नि-पथ के रूप में प्रस्तुत करती है और साहस तथा धैर्य का संदेश देती है। यहाँ दिए गए प्रश्नों को करने से विद्यार्थी कविता की पंक्तियों, भावार्थ और काव्य सौंदर्य को आसानी से समझ सकते हैं। यह प्रश्न परीक्षा की तैयारी में सहायक होते हैं और आत्मविश्वास बढ़ाते हैं।
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श पाठ 9 के प्रश्न उत्तर
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श पाठ 9 के अति-लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श पाठ 9 के लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श पाठ 9 के दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श पाठ 9 MCQ

अभ्यास के प्रश्न उत्तर

अग्नि पथ कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 9 के अभ्यास के प्रश्न उत्तर

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(क) कवि ने ‘अग्नि पथ’ किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?
उत्तर देखेंकवि ने ‘अग्नि पथ’ जीवन के कठिनाई भरे रास्ते के प्रतीक के रूप में प्रयोग किया है। उसके अनुसार पूरा जीवन एक आग के रास्ते के समान है, जिस पर हमें उसकी गर्मी को सहते हुए लपटों का सामना करते हुए आगे बढ़ना है।

(ख) ‘माँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर देखेंइन शब्दों के बार-बार प्रयोग के द्वारा कवि यह समझाने का प्रयत्न कर रहा है कि जीवन रूपी पथ पर तुझे स्वयं ही आगे बढ़ना है। किसी से भी मदद नहीं मांगनी है यदि तू मदद मांगेगा तों स्वयं ही कमजोर पड़ जाएगा और इस अग्निपथ को पार करना तेरे लिए मुश्किल हो जाएगा।

(ग) ‘एक पत्र छाँह भी माँग मत’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर देखेंकवि का आशय है कि इस जीवन के कठिन रास्ते पर तू लगातार चलता चल रास्ते में आने वाली छांह (जीवन में आने वाला अच्छा समय) की तू कामना मत कर केवल अपना कार्य करता रह।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 9 के भाव स्पष्ट करने के आधार पर प्रश्न उत्तर

2. निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए –
(क) तू न थमेगा कभी
तू न मुडे़गा कभी;
उत्तर देखेंकवि का कहना है कि इस जीवन के अग्निपथ पर तू निडर होकर चल और न तू कभी थकना न ही कभी पीछे मुड़कर देखना कि मैंने क्या खोया क्या पाया।

(ख) चल रहा मनुष्य है
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ।
उत्तर देखेंकवि के अनुसार अपने कठिन जीवन पथ पर मनुष्य आंसू, पसीने और खून से लथपथ होकर आगे बढ़ रहा है और निरंन्तर बढ़ रहा है। जिनका लक्ष्य उच्च होता है वे कठिन रास्तों की परवाह नहीं करते हैं। केवल लक्ष्य की ओर बढ़ते रहते हैं।

3. इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर देखेंकविता का मूलभाव यही है कि कवि सभी लोंगो से कह रहा है कि जीवन के अग्नि रूपी कठिन मार्ग पर तुम्हें अकेले ही चलना है। किसी से भी मदद नहीं मांगनी है और न ही रुकना है।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 9 अग्नि पथ पर आधारित अति-लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 9 अति-लघु उत्तरीय प्रश्न-उत्तर

1. “अग्निपथ” कविता का मूल संदेश क्या है?
उत्तर देखेंयह कविता जीवन के कठिन संघर्षों से न घबराने, साहस और दृढ़ता से आगे बढ़ने तथा कभी हार न मानने की प्रेरणा देती है।

2. “वृक्ष हों भले खड़े” का क्या अर्थ है?
उत्तर देखेंयहाँ वृक्ष बाधाओं और कठिनाइयों का प्रतीक हैं, जो जीवन-पथ में सामने आते हैं, लेकिन उनसे प्रभावित हुए बिना आगे बढ़ने का संदेश दिया गया है।

3. “एक पत्र-छाँह भी माँग मत” से कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर देखेंइसका आशय है कि संघर्ष के समय आराम, सुख-सुविधा या आश्रय की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। केवल दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

4. “तू न थकेगा कभी” किस भावना को व्यक्त करता है?
उत्तर देखेंयह पंक्ति परिश्रम और निरंतर प्रयास की भावना जगाती है। संघर्ष चाहे कितना भी कठिन क्यों न हो, मनुष्य को हार नहीं माननी चाहिए।

5. कविता में “तू न मुड़ेगा कभी” का संकेत क्या है?
उत्तर देखेंयह पीछे हटने या हार मानने से रोकने का संदेश है। जीवन के मार्ग पर केवल आगे बढ़ते रहना ही सफलता का मंत्र है।

6. “कर शपथ” शब्द का प्रयोग क्यों किया गया है?
उत्तर देखेंकवि पाठक को आत्म-प्रतिज्ञा करने के लिए प्रेरित करता है कि चाहे कितनी भी कठिनाई आए, वह अपने मार्ग से विचलित नहीं होगा।

7. “अग्निपथ” शब्द का प्रतीकात्मक अर्थ क्या है?
उत्तर देखें“अग्निपथ” जीवन के कठिन और संघर्षपूर्ण मार्ग का प्रतीक है, जिसमें साहस, तपस्या और दृढ़ संकल्प से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है।

8. कविता में “अश्रु-स्वेद-रक्त” किसका प्रतीक है?
उत्तर देखेंयह संघर्ष, बलिदान और तपस्या का प्रतीक है। जीवन में महानता प्राप्त करने के लिए आंसू, पसीना और रक्त बहाना आवश्यक है।

9. “यह महान दृश्य है” पंक्ति किस स्थिति को दर्शाती है?
उत्तर देखेंयह पंक्ति संघर्षशील मनुष्य के आगे बढ़ते रहने की स्थिति को महान दृश्य कहती है, जो कठिनाइयों के बावजूद डटा रहता है।

10. कविता का मुख्य अलंकार कौन-सा है?
उत्तर देखेंइस कविता में मुख्यतः अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है। जैसे – “अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!” तथा “लथपथ, लथपथ, लथपथ”।

11. कविता में “लथपथ” शब्द किस स्थिति का बोध कराता है?
उत्तर देखें“लथपथ” शब्द पीड़ा, संघर्ष और थकान से भरे मनुष्य की दशा का बोध कराता है, जो आंसू, पसीने और रक्त से भीगा हुआ है।

12. कविता में मनुष्य को कौन-सा मार्ग अपनाने के लिए कहा गया है?
उत्तर देखेंकवि मनुष्य को संघर्षपूर्ण “अग्निपथ” पर चलने और कठिनाइयों से जूझते हुए आगे बढ़ने का संदेश देता है।

13. इस कविता का पाठक पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर देखेंकविता साहस, धैर्य और संघर्षशीलता की भावना जगाती है। यह कठिन परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।

14. “अग्निपथ” में बार-बार दोहराव का क्या महत्व है?
उत्तर देखेंबार-बार “अग्निपथ” दोहराने से कवि का संदेश अधिक प्रभावशाली बनता है और पाठक में दृढ़ निश्चय की शक्ति जाग्रत होती है।

15. इस कविता में मनुष्य को महान क्यों कहा गया है?
उत्तर देखेंमनुष्य को महान इसलिए कहा गया है क्योंकि वह आंसू, पसीना और रक्त से लथपथ होकर भी संघर्षरत रहता है और आगे बढ़ता है।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 9 अग्नि पथ के लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 9 लघु उत्तरीय प्रश्न-उत्तर

1. “अग्निपथ” कविता जीवन के किस सत्य को उजागर करती है?
उत्तर देखें“अग्निपथ” कविता यह स्पष्ट करती है कि जीवन का मार्ग कभी भी सरल नहीं होता। इसमें अनेक बाधाएँ और कठिनाइयाँ आती हैं, परंतु सच्चा मनुष्य वह है जो इन सबका सामना धैर्य और साहस से करता है। यह कविता बताती है कि संघर्ष ही जीवन की पहचान है और कठिनाइयों से भागना नहीं, बल्कि उन्हें झेलते हुए आगे बढ़ना ही महानता है।

2. “वृक्ष हों भले खड़े” पंक्ति का क्या गहरा संदेश है?
उत्तर देखेंइस पंक्ति में वृक्ष केवल पेड़-पौधे नहीं, बल्कि जीवन की बाधाओं का प्रतीक हैं। जैसे वृक्ष रास्ते में खड़े रहते हैं, वैसे ही जीवन में अवरोध आते रहते हैं। कवि संदेश देता है कि ऐसे अवरोधों के सामने रुकना नहीं चाहिए और न ही उनसे छाया या आराम माँगना चाहिए। मनुष्य का कर्तव्य है कि वह अपने संकल्प के साथ मार्ग पर बढ़ता रहे।

3. “एक पत्र-छाँह भी माँग मत” का जीवन-दर्शन समझाइए।
उत्तर देखेंइस पंक्ति का गहरा जीवन-दर्शन यह है कि संघर्षपूर्ण मार्ग में किसी भी प्रकार की सुविधा, आराम या सहारे की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। संघर्ष करने वाला मनुष्य जितना आत्मनिर्भर और दृढ़ होगा, उतना ही सफल होगा। यह शिक्षा हमें सिखाती है कि महान उपलब्धियाँ केवल त्याग और तपस्या से ही प्राप्त होती हैं।

4. कविता में “तू न थकेगा कभी” का महत्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर देखें“तू न थकेगा कभी” पंक्ति निरंतर परिश्रम और संघर्ष का प्रतीक है। जीवन की यात्रा कठिनाइयों और समस्याओं से भरी होती है। थकान और निराशा आ सकती है, लेकिन कवि प्रेरित करता है कि मनुष्य को कभी थककर हार नहीं माननी चाहिए। निरंतर प्रयत्न से ही जीवन में महान उपलब्धियाँ हासिल की जा सकती हैं।

5. “अश्रु-स्वेद-रक्त” का प्रयोग कवि ने क्यों किया है?
उत्तर देखेंकवि ने “अश्रु-स्वेद-रक्त” का प्रयोग यह बताने के लिए किया है कि महान उपलब्धि और सफलता प्राप्त करना आसान नहीं होता। इसके लिए आंसू, पसीना और रक्त बहाना पड़ता है। यह तीनों तत्व संघर्ष, तपस्या और बलिदान का प्रतीक हैं। कवि का संदेश है कि जो व्यक्ति इस बलिदान के लिए तैयार है, वही महान बन सकता है।

6. “यह महान दृश्य है” पंक्ति किस परिस्थिति का वर्णन करती है?
उत्तर देखें“यह महान दृश्य है” पंक्ति में कवि उस महान दृश्य की बात करता है जब मनुष्य कठिनाइयों और पीड़ा से लथपथ होकर भी अपने मार्ग पर आगे बढ़ता है। यह स्थिति दर्शाती है कि सच्ची महानता आराम में नहीं, बल्कि संघर्ष और त्याग में है। यही दृश्य मानव जीवन को महान और प्रेरणादायी बनाता है।

7. “अग्निपथ” कविता में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग कैसे हुआ है?
उत्तर देखेंइस कविता में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग विशेष रूप से दोहराव द्वारा हुआ है। जैसे – “अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!” और “लथपथ, लथपथ, लथपथ”। इन पंक्तियों में ध्वनियों की पुनरावृत्ति कविता को संगीतात्मक और प्रभावशाली बनाती है। यह शैली कवि के संदेश को और अधिक दृढ़ता और बल देती है।

8. इस कविता का पाठक पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर देखेंयह कविता पाठक को गहराई से प्रभावित करती है। इसमें संघर्ष, साहस और दृढ़ संकल्प की भावना जाग्रत होती है। पाठक यह अनुभव करता है कि जीवन में कठिनाइयाँ आएंगी, पर उनसे घबराना नहीं है। “अग्निपथ” की पंक्तियाँ मनुष्य के भीतर आत्मबल जगाती हैं और उसे निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।

9. “अग्निपथ” कविता का राष्ट्रीय और सामाजिक महत्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर देखें“अग्निपथ” केवल व्यक्तिगत जीवन की ही नहीं, बल्कि राष्ट्र और समाज की प्रेरणा भी है। यह कविता बताती है कि समाज और राष्ट्र का विकास तभी संभव है जब उसके नागरिक कठिनाइयों का सामना साहस से करें। स्वतंत्रता संग्राम जैसे संघर्षों में यह विचार बेहद प्रासंगिक रहा। आज भी यह कविता देशभक्ति और समाज-निर्माण के लिए प्रेरणादायी है।

10. “अग्निपथ” को प्रेरणादायी कविता क्यों कहा जाता है?
उत्तर देखें“अग्निपथ” को प्रेरणादायी कविता इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह जीवन की कठिनाइयों से लड़ने का अद्भुत साहस देती है। इसमें आत्मनिर्भरता, त्याग और निरंतर प्रयत्न की शिक्षा है। यह कविता बताती है कि महानता सुख-सुविधाओं से नहीं, बल्कि कठिन संघर्ष और तपस्या से प्राप्त होती है। इसीलिए यह आज भी हर आयु वर्ग के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 9 अग्नि पथ के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 9 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-उत्तर

1. “अग्निपथ” कविता का केंद्रीय संदेश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर देखेंहरिवंश राय बच्चन की “अग्निपथ” कविता जीवन-संघर्ष का वास्तविक चित्रण प्रस्तुत करती है। कवि बताते हैं कि जीवन का मार्ग सरल और सुविधाजनक नहीं है, बल्कि वह कठिनाइयों, बाधाओं और संघर्षों से भरा हुआ है। “अग्निपथ” शब्द जीवन के उसी कठिन मार्ग का प्रतीक है, जिस पर चलते हुए मनुष्य को साहस, धैर्य और आत्मबल की आवश्यकता होती है। कवि यह संदेश देते हैं कि रास्ते में चाहे कितनी भी बाधाएँ क्यों न हों, चाहे शरीर आंसू, पसीने और रक्त से लथपथ हो जाए, लेकिन मनुष्य को रुकना नहीं चाहिए। थकान या आराम की चाह छोड़कर केवल लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना ही सफलता का मंत्र है। कविता का संदेश है कि महानता केवल संघर्ष, तपस्या और बलिदान से ही प्राप्त की जा सकती है। यह कविता पाठक के भीतर अटूट आत्मबल और साहस जगाती है।

2. “अग्निपथ” में कवि ने “वृक्ष हों भले खड़े” और “एक पत्र-छाँह भी माँग मत” द्वारा क्या शिक्षा दी है?
उत्तर देखेंइस कविता की पंक्तियाँ “वृक्ष हों भले खड़े” और “एक पत्र-छाँह भी माँग मत” जीवन के संघर्ष में आत्मनिर्भरता और दृढ़ संकल्प का संदेश देती हैं। कवि का तात्पर्य यह है कि जैसे मार्ग में वृक्ष खड़े रहते हैं, वैसे ही जीवन-पथ में अनेक बाधाएँ आती रहती हैं। इन बाधाओं के सामने व्यक्ति अक्सर आराम या सहारे की अपेक्षा करता है, पर कवि यह स्पष्ट करते हैं कि संघर्ष के समय किसी भी प्रकार का आराम या सुविधा नहीं माँगनी चाहिए। हमें कठिनाइयों का सामना अपनी शक्ति और संकल्प से करना चाहिए। छाया की चाह त्यागकर आगे बढ़ने वाला ही सच्चा विजेता होता है। इस शिक्षा से स्पष्ट होता है कि महान कार्य करने वाले लोग सुविधाओं और सहूलियतों के बजाय त्याग, परिश्रम और आत्मबल को महत्व देते हैं। यही कारण है कि “अग्निपथ” आज भी संघर्षशील जीवन जीने की प्रेरणा देती है।

3. “अश्रु-स्वेद-रक्त” पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर देखें“अश्रु-स्वेद-रक्त” पंक्ति अत्यंत प्रभावशाली और गहन भावनात्मक है। इसमें कवि ने आंसू, पसीना और रक्त – इन तीन प्रतीकों के माध्यम से जीवन-संघर्ष की कठोरता और बलिदान का चित्रण किया है। “अश्रु” दुख और पीड़ा का प्रतीक है, “स्वेद” परिश्रम और तपस्या का, तथा “रक्त” बलिदान और साहस का। कवि बताते हैं कि महान उपलब्धियाँ केवल दुःख सहने, कठिन परिश्रम करने और बलिदान देने से ही मिलती हैं। यह पंक्ति उस व्यक्ति का चित्रण करती है जो कठिनाइयों से लथपथ होकर भी आगे बढ़ता है और कभी हार नहीं मानता। यह दृश्य कवि की दृष्टि में महानतम दृश्य है, क्योंकि यह मानव की असली शक्ति और महानता का परिचायक है। इस प्रकार “अश्रु-स्वेद-रक्त” केवल तीन शब्द नहीं, बल्कि संघर्षशील जीवन-दर्शन का गहन प्रतीक हैं।

4. “अग्निपथ” कविता में कवि ने मनुष्य की महानता किस प्रकार दिखाई है?
उत्तर देखेंकवि हरिवंश राय बच्चन ने “अग्निपथ” कविता में मनुष्य की महानता उसके संघर्ष और धैर्य के माध्यम से प्रस्तुत की है। कवि कहते हैं कि मनुष्य को कभी थकना, रुकना या पीछे मुड़ना नहीं चाहिए। कठिनाइयाँ जीवन का स्वाभाविक हिस्सा हैं, परंतु उनका सामना करके ही महानता प्राप्त होती है। मनुष्य की महानता उसकी शारीरिक सुख-सुविधाओं या आराम में नहीं, बल्कि उसके त्याग, तपस्या और निरंतर संघर्ष में निहित है। कवि ने “अश्रु-स्वेद-रक्त” से लथपथ मनुष्य को महान दृश्य कहा है, क्योंकि वह कठिनाइयों के बावजूद आगे बढ़ता रहता है। यही जुझारूपन और साहस उसे साधारण प्राणी से महान बनाता है। इस प्रकार “अग्निपथ” कविता मनुष्य की महानता को उसकी अटूट संघर्षशीलता और आत्मबल के माध्यम से उजागर करती है।

5. “अग्निपथ” कविता को प्रेरणादायी कविता क्यों कहा जाता है?
उत्तर देखें“अग्निपथ” कविता को प्रेरणादायी कविता इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह जीवन के संघर्षों से जूझने की शक्ति प्रदान करती है। यह कविता पाठक को साहस, आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प की शिक्षा देती है। इसमें कवि यह बताते हैं कि जीवन का मार्ग सरल नहीं है, बल्कि उसमें बाधाएँ और कठिनाइयाँ आती हैं। मनुष्य को इनसे डरकर पीछे नहीं हटना चाहिए, बल्कि आगे बढ़ते रहना चाहिए। आराम, सहूलियत या छाया की चाह छोड़कर निरंतर परिश्रम करना चाहिए। “अश्रु-स्वेद-रक्त” से लथपथ होकर भी संघर्षरत मनुष्य का दृश्य कवि को महान लगता है। यह संदेश आज भी हर व्यक्ति के लिए उतना ही प्रासंगिक है जितना स्वतंत्रता संग्राम के समय था। यही कारण है कि “अग्निपथ” एक कालजयी और सदैव प्रेरणादायी कविता है।