एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 1 दुःख का अधिकार
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 1 दुःख का अधिकार के अभ्यास के प्रश्न उत्तर शैक्षणिक सत्र 2024-25 के अनुसार संशोधित रूप में छात्र यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। 9वीं कक्षा में हिंदी के पाठ 1 के प्रश्नों के उत्तर के साथ-साथ अतिरिक्त प्रश्न-उत्तर भी दिए गए हैं ताकि छात्रों को परीक्षा की तैयारी में कोई परेशानी न हो।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 1 दुःख का अधिकार
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 1 दुःख का अधिकार
व्यवधान और समाजिक अधिकार
कक्षा 9 में हिंदी स्पर्श के पाठ 1 के अनुसार, पोशाक अक्सर मनुष्य की समाजिक स्थिति और उसके अधिकारों को निर्दिष्ट करती है। वह हमें कई सारी सुविधाओं और अधिकारों की पहचान प्रदान करती है, परंतु जब हम अपने समाज में छोटे या अत्यंत गरीब श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं, तो यही पोशाक अधिकार से ज्यादा एक व्यवधान बन जाती है। स्पर्श के अध्याय 1 में, एक खरबूजे बेचनेवाली औरत की दुःखभरी कहानी ने यह स्पष्ट किया कि कैसे समाज व्यक्तियों को उनकी पोशाक और पारंपरिक अधिकारों के आधार पर न्याय देता है।
इस औरत का जवान लड़का था जिसकी मदद से परिवार का खर्चा चलाता था, लेकिन एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में सांप के काटने से उसकी मृत्यु हो गई। इसके बावजूद, घरेलु परिस्थितियों के कारण, उस महिला को अपने पुत्र की मौत का समय शोक मनाने की जगह अपना परिवार चलाने के लिए खरबूजे बेचना पड़ा। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कैसे समाज की स्थायी सोच और आदतें व्यक्तिगत संघर्ष और मानवता को अनदेखा कर सकते हैं।
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 1 के मुख्य प्रश्न उत्तर
पोशाक कैसे व्यक्ति की समाज में स्थिति को प्रभावित करती है?
पोशाक प्रायः समाज में मनुष्य का अधिकार और दर्जा निश्चित करती है। यह कई बार व्यक्ति को उचित स्थान या समाज में मान्यता दिलाती है, परंतु कभी-कभी यह व्यक्ति को अपनी असली भावनाओं और समाज के अन्य वर्गों से मिलने तथा उन्हें समझने से रोक देती है।
खरबूजों को बेचनेवाली महिला की क्या अवस्था थी?
खरबूजों को बेचनेवाली महिला के जवान बेटे की मृत्यु हो गई थी। घर में छोटे बच्चे थे और उनके खाने के लिए कुछ भी नहीं था। वे भूख के कारण रो रहे थे। इसलिए, महिला को दुःख में भी पैसे कमाने के लिए बाजार में जाना पड़ा। अपने जवान बेटे के बारे में सोचकर, कपड़े से मुँह छिपाए सिर को घुटनों पर रखे फफक-फफककर रो रही थी।
लोग उस महिला के प्रति क्या अभिप्राय व्यक्त कर रहे थे?
लोग उस महिला के प्रति घृणा, संवेदनहीनता और तिरस्कार जैसी भावनाओं को व्यक्त कर रहे थे। बेटे की मौत के बावजूद वह बाजार में खरबूजे बेचने आई थी। इसलिए वे उसकी नीयत पर प्रश्न उठा रहे थे और उसके धार्मिक आचारानुसार खरबूजे बेचने की उसकी योग्यता को चुनौती दे रहे थे।
महिला का जवान लड़का कैसे मरा?
महिला का जवान लड़का खेत से पके खरबूजे चुन रहा था तभी उसने अनजाने में एक साँप पर पैर रख दिया जिससे साँप ने उसे डंस लिया और उसकी मौत हो गई।
लड़के के घर में और कौन-कौन थे?
लड़के के घर में उसकी बहू और पोता-पोती थे।
भगवाना की मौत और परिवार की दुःखद स्थिति
एक लड़के को सांप ने काट लिया जिससे उसका परिवार दुखी और उसकी माँ बहुत परेशान हो गई। उन्होंने ओझा को बुलाया जिसने विविध रितुओं में पूजा की। पूजा के लिए उन्होंने अपने घर का सारा आटा और अनाज दान-दक्षिणा में दे दिया। परंतु फिर भी माँ अपने लड़के के प्राण बचा न पाई। परिवार में सभी सदस्य भगवाना की मौत से दुःखी थे उनके पास अब खाने को कुछ भी नहीं था। इसके बावजूद उन्हें अपने लड़के की अंतिम क्रिया के लिए कई चीज़ें खरीदनी पड़ी। इस प्रकार लेखक ने एक गरीब परिवार की मार्मिक स्थिति को दर्शाया है।
बुढ़िया का दुःख और आर्थिक संकट
भगवाना की मौत के बावजूद उसकी माँ को उसके बटोरे हुए खरबूजे बेचने के लिए बाजार जाना पड़ा। उसका दिल तोड़ देने वाला दृश्य था क्योंकि वह खुद भी शोक में डूबी हुई थी परंतु पैसा कमाना उसकी आवश्यकता भी थी। घर में सभी बड़े तथा बच्चे भूखे थे। बाजार में उसे खरबूजे बेचते हुए देखकर लोग उसे पत्थर-दिल मानने लगे।
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 1 के प्रश्न उत्तर
भगवाना के लिए क्यों नया कपड़ा खरीदना पड़ा?
मृत्यु के बाद कफ़न के लिए नए कपड़े की आवश्यकता थी। लोगों का सोचना यह है कि जिंदा आदमी नंगा भी रह सकता है, परंतु मुर्दे को नंगा विदा नहीं करना चाहिए। इसलिए भगवाना के लिए नया कपड़ा खरीदना पड़ा।
भगवाना की मौत कैसे हुई?
भगवाना को सर्प का विष लग गया जिससे उसका सब बदन काला पड़ गया था और वह मर गया।
घर में खाने के लिए बच्चों को क्या दिया गया?
दादी ने बच्चों को खाने के लिए खरबूजे दे दिए।
बुढ़िया बाजार में क्यों गई थी?
बुढ़िया खरबूजे बेचने गई थी क्योंकि घर में खाने के लिए कुछ भी नहीं था। बच्चे भूख से रो रहे थे और खाना खरीदने के लिए पैसे भी नहीं थे। घर में किसी भी प्रकार की कोई सहूलियत नहीं थी।
अमीर महिला के पुत्र की मृत्यु के बाद उसकी कितने दिन तक बुरी हालत रही?
अमीर महिला के पुत्र की मृत्यु के बाद उसकी हालत अढ़ाई मास तक बुरी रही।
शोक की गहरी समझ और मानवता का प्रकटन
इस अध्याय में एक अन्य घटना की चर्चा की गई, जहाँ पिछले साल किसी महिला के पुत्र की मौत हो गई थी और वह अधिक समय तक शोक में डूबी रही। उसके दुःख को समझने की कोशिश की गई कि कितनी गहरी होती है माँ की भावना और उसका शोक। यह भी समझाया गया कि शोक मनाने और दुःख में रहने के लिए भी किसी को सहूलियत और अधिकार की जरूरत होती है।