एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी संचयन अध्याय 2 स्मृति
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी संचयन अध्याय 2 स्मृति के प्रश्न उत्तर शैक्षणिक सत्र 2025-26 के अनुसार संशोधित रूप में यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। इस अध्याय का मुख्य विषय मानव जीवन पर स्मृतियों और समय बीतने का गहरा प्रभाव है। प्रसिद्ध हिंदी लेखक श्रीराम शर्मा द्वारा लिखित यह अध्याय पुरानी यादों के विषय और किसी के अतीत को फिर से याद करने से जुड़ी खट्टी-मीठी भावनाओं की पड़ताल करता है।
कक्षा 9 हिंदी संचयन पाठ 2 के प्रश्न उत्तर
कक्षा 9 हिंदी संचयन पाठ 2 के अति-लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी संचयन पाठ 2 के लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी संचयन पाठ 2 के दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी संचयन पाठ 2 MCQ
अभ्यास के प्रश्न उत्तर
कक्षा 9 हिंदी संचयन अध्याय 2 स्मृति के बोध प्रश्न उत्तर
1. भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस बात का डर था?
उत्तर देखेंभाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में पिटाई का डर था।
2. मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्तें में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फ़ेंकती थी?
उत्तर देखेंजब बच्चों की टोली पढ़ने के लिए जाती थी तो उनको रास्तें में एक कुएँ के पास से होकर गुजरना पड़ता था , जिसमें एक भयंकर जहरीला साँप रहता था जिसकी फ़ुंकार को सुननें के लिए तथा उसें तंग करने के लिए बच्चे कुएँ मे ढेला फ़ेंकते थे।
3. ‘साँप ने फ़ुंकार मारी या नहीं, ढेला उसके लगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं’-यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है ।
उत्तर देखेंउपरोक्त कथन से यह पता चलता है कि वह साँप की फ़ुंकार से किस प्रकार डर गया था। उसे इतना भी याद नहीं था कि साँप ने फ़ुंकारा कि नहीं उसके कुएँ में झुकते ही उसकी टोपी में से सारी चिट्ठियाँ गिर गईं थीं जिसके कारण वह बहुत डर गया था।
4. किन कारणों से लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया?
उत्तर देखेंलेखक के बड़े भाई ने उसे डाकखाने में डालने के लिए चिट्ठियाँ दी थीं जो कि बहुत ही जरूरी थीं चिट्ठियाँ कुएँ में गिर जाने के कारण लेखक को अपने बड़े भाई से पिटाई का डर था क्योंकि वह अपने बड़े भाई से बहुत डरता था और उनके डंडे की मार का ख्याल आते ही वह काँपने लगा। वह अपने बड़े भाई से झूठ भी नहीं बोल सकता था इसलिए लेखक ने कुएँ में से चिट्ठियाँ निकालने का निर्णय लिया।
5. साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियाँ अपनाईं?
उत्तर देखेंसाँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने निम्न युक्तियाँ अपनाई। उसने साँप के पास पड़ी चिट्ठियों को डंडे से उठाना चाहा मगर साँप उस पर फ़ुंकार कर आया साँप का स्थान बदलते ही लेखक ने चिट्ठियाँ उठा लीं फि़र उसने डंडा उठाने के लिए उस पर मिट्टी फ़ेंकी जिससे साँप का ध्यान फि़र भटका और लेखक ने झट से डंडा उठा लिया दोनों के बीच में डंडा आ जाने से साँप उसे नहीं डस पाया इस प्रकार लेखक अपने साहसिक कार्य में सफ़ल रहा।
6. कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकालने संबंधी साहसिक वर्णन को अपने “शब्दों में लिखिए?
उत्तर देखेंभाई द्वारा दी गईं चिट्ठियाँ लेखक की जरा सी ना समझी के कारण कुएँ में गिर गईं थीं ओर उन्हें किसी भी हालत में निकालना बहुत ही जरूरी था नहीं तो घर पर जाकर मार पड़ती। इसी डर से लेखक ने उन्हें कुएँ में से निकालने का जोखिम भरा निर्णय लिया। वह अपनी और अपने भाई की धोती और कुछ रस्सी को मिलाकर नीचे उतरा मगर साँप से फि़र भी 4-5 गज ऊपर ही रहा उसके ठीक नीचे साँप फ़न फ़ैलाए बैठा था । डंडा घुमाने की भी जगह नहीं थी और रस्सी से लटककर भी नहीं मारा जा सकता था । डंडे से चिट्ठियाँ सरकाने के चक्कर में साँप डंडे से लिपट गया, उसके हाथ से डंडा छूट गया, पैर दीवार से हटते ही वह धोती से लटक गया, उसने मिट्टी साँप के फ़न पर फ़ेंकी साँप का ध्यान बँटते ही लेखक ने चिट्ठियाँ उठा ली।
7. इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल-सुलभ “शरारतों के विषय में पता चलता है?
उत्तर देखेंइस पाठ को पढ़ने के बाद निम्नलिखित बाल-सुलभ “शरारतों के विषय में पता चलता है:
1. बगीचों और खेतो मे जाकर “शरारतें करना, पेड़ों पर चढ़कर फ़ल तोड़ना।
2. शरारतें करते हुए स्कूल जाना।
3. रास्ते में पड़ने वाल कुएँ, तालाब आदि में पत्थर फ़ेंकना।
4. जानवरों को तंग करना।
5. अपने आप को सबसे बहादुर और होसियार समझना।
8. ‘मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी मिथ्या और उल्टी निकलती हैं’ – का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर देखेंकोई भी मनुष्य समय और परिस्थिति के अनुसार भावी योजनाएँ बनाता है और उसी के अनुसार कार्य भी करता है , परन्तु वह योजनाएँ कभी-कभी उल्टी भी पड़ जाती हैं जिस कारण मनुष्य जो चाहता है वह नहीं हो पाता अतः कल्पना और वास्तविकता में अंतर आ जाता है जो प्रतिकूल परिणाम भी दे सकता है जैसा कि लेखक के साथ साँप का सामना करते समय हुआ।
9. ‘फ़ल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है’-पाठ के संदर्भ में इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर देखेंलेखक यह सोचकर कुएँ में उतरा था कि या तो उसे साँप काट लेगा या वह चिट्ठयाँ उठाने में सफ़ल होकर लौटेगा इसलिए भयंकर परिणाम की चिंता किए बिना ही वह कुएँ में उतर गया और अपने उद्देश्य में सफ़ल रहा। इसलिए हमें केवल अपना कर्म ही करना चाहिए फ़ल कैसा मिलेगा यह ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए । परन्तु यह भी सत्य है कि दृढ़ निश्चय करके कार्य करने वाले व्यक्ति ही अपने उद्देश्य में सफ़ल होते हैं।
कक्षा 9 हिंदी संचयन अध्याय 2 स्मृति पर आधारित अति-लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।
कक्षा 9 हिंदी संचयन अध्याय 2 अति-लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
1. यह घटना किस वर्ष और ऋतु की है?
उत्तर देखेंयह घटना सन् 1908 ई. की है। दिसंबर के आख़िरी या जनवरी के प्रारंभ का समय था और भीषण चिल्ला जाड़ा पड़ रहा था।
2. भाई साहब ने लेखक को किस काम से भेजा?
उत्तर देखेंभाई साहब ने तीन जरूरी चिट्ठियाँ दीं और कहा कि इन्हें मक्खनपुर डाकखाने में डाल आओ ताकि शाम की डाक से निकल जाएँ।
3. लेखक ने चिट्ठियाँ कहाँ रखीं और क्यों?
उत्तर देखेंलेखक ने चिट्ठियाँ टोपी में रखीं, क्योंकि उस समय उसके कुर्ते में जेबें नहीं थीं।
4. कुएँ में क्या पड़ा था और उसमें पानी क्यों नहीं था?
उत्तर देखेंकुआँ कच्चा था और उसमें भयंकर काला साँप पड़ा था। उसमें पानी नहीं था, इसलिए लोग उसमें केवल झाँकते थे।
5. बच्चे कुएँ में प्रायः क्या करते थे?
उत्तर देखेंबच्चे रोज़ाना कुएँ में ढेले डालते और साँप की फुसकार सुनकर हँसते-खिलखिलाते रहते थे।
6. चिट्ठियाँ कुएँ में कैसे गिरीं?
उत्तर देखेंलेखक ने ढेला फेंकने के लिए टोपी उतारी, उसी समय टोपी से तीनों चिट्ठियाँ नीचे गिर गईं।
7. चिट्ठियाँ गिरने पर दोनों भाइयों की क्या अवस्था हुई?
उत्तर देखेंलेखक चुपचाप आँसू बहाने लगा और छोटा भाई ढाढ़ें मारकर रोने लगा।
8. लेखक झूठ क्यों नहीं बोल सकता था?
उत्तर देखेंलेखक बचपन में झूठ बोलना नहीं जानता था और उसे डर था कि सच बोलने पर पिटाई होगी।
9. कुएँ में उतरने के लिए उन्होंने क्या साधन बनाया?
उत्तर देखेंदोनों भाइयों ने पाँच धोती और रस्सी बाँधकर एक रस्सीनुमा साधन बनाया, जिससे लेखक कुएँ में उतर सके।
10. कुएँ का व्यास कितना था?
उत्तर देखेंकुएँ का व्यास बहुत छोटा था, नीचे जाकर वह केवल डेढ़ गज रह जाता था।
11. साँप किस स्थिति में बैठा था?
उत्तर देखेंसाँप फन फैलाए तैयार बैठा था और जैसे ही कोई पास आता वह फुँकार मारकर वार करता।
12. लेखक ने चिट्ठियाँ कैसे उठाईं?
उत्तर देखेंलेखक ने डंडे की सहायता से चिट्ठियों को धीरे-धीरे अपनी ओर सरकाया और फिर उन्हें उठा लिया।
13. साँप ने डंडे पर वार किया तो क्या हुआ?
उत्तर देखेंसाँप के वार से डंडे पर पीव जैसा विष चिपक गया, जिससे लेखक उसकी विषाक्तता समझ गया।
14. चिट्ठियाँ किसने ऊपर खींचीं?
उत्तर देखेंलेखक ने चिट्ठियों को धोती में बाँधकर ऊपर भेजा और छोटे भाई ने उन्हें खींच लिया।
15. लेखक ने यह घटना माँ को कब सुनाई?
उत्तर देखेंलेखक ने यह घटना सन् 1915 में मैट्रिक पास करने के बाद माँ को सुनाई।
कक्षा 9 हिंदी संचयन अध्याय 2 स्मृति के लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।
कक्षा 9 हिंदी संचयन अध्याय 2 लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
1. चिट्ठियाँ गिरने के बाद लेखक की मानसिक अवस्था कैसी हुई?
उत्तर देखेंचिट्ठियाँ गिरते ही लेखक का मन निराशा और भय से भर गया। वह रोने लगा, क्योंकि सच बोलने पर पिटाई का डर था और झूठ बोलने पर चिट्ठियाँ न पहुँचने की जिम्मेदारी का बोझ था। इस दुविधा ने उसे बहुत परेशान किया।
2. कुएँ में उतरते समय छोटे भाई की भूमिका क्या रही?
उत्तर देखेंछोटा भाई बहुत डरा हुआ था। वह बार-बार रोता और लेखक को सावधान करता। लेकिन वही लेखक की सहायता भी करता रहा। उसने धोती मजबूती से पकड़ी और चिट्ठियों को ऊपर खींचकर भाई की मदद की।
3. कुएँ में उतरने पर लेखक को सबसे बड़ा संकट क्या था?
उत्तर देखेंकुएँ में उतरते ही लेखक ने देखा कि साँप फन फैलाए खड़ा है। कुएँ का व्यास छोटा था, जिससे वह साँप से केवल कुछ फुट की दूरी पर खड़ा हो सकता था। इस स्थिति में साँप का हमला कभी भी जानलेवा हो सकता था।
4. लेखक ने साँप से बचते हुए चिट्ठियाँ किस प्रकार निकालीं?
उत्तर देखेंलेखक ने पहले डंडे से चिट्ठियों को सरकाने की कोशिश की। साँप ने कई बार वार किया और विष भी डाला। लेकिन धैर्य और सावधानी से उसने चिट्ठियों को डंडे से अपनी ओर सरकाया, फिर उन्हें धोती में बाँधकर ऊपर भिजवाया।
5. साँप के वारों ने लेखक पर क्या प्रभाव डाला?
उत्तर देखेंसाँप के विषैले वारों से लेखक भयभीत जरूर हुआ, लेकिन उसका साहस भी बढ़ा। उसने समझ लिया कि सामने खड़ा होकर लड़ना ठीक नहीं, बल्कि बुद्धिमानी से चिट्ठियाँ उठाना ही समाधान है। यही सोचकर उसने सफलतापूर्वक कार्य पूरा किया।
6. कुएँ से ऊपर चढ़ना लेखक के लिए क्यों कठिन था?
उत्तर देखेंकुएँ की गहराई 36 फुट थी। इतने छोटे शरीर और कम उम्र में बिना पैरों के सहारे केवल हाथों के बल ऊपर चढ़ना कठिन कार्य था। फिर भी साहस और जीवन-रक्षा की इच्छा से वह धीरे-धीरे ऊपर चढ़ गया।
7. घटना सुनकर माँ ने कैसी प्रतिक्रिया दी?
उत्तर देखेंजब लेखक ने वर्षों बाद माँ को यह घटना सुनाई तो माँ की आँखें भर आईं। उन्होंने उसे गोद में बिठा लिया और वैसे ही स्नेह से ढक लिया जैसे चिड़िया अपने बच्चों को डैने के नीचे छिपा लेती है।
8. लेखक को डंडे से इतना मोह क्यों था?
उत्तर देखेंबचपन में डंडा लेखक के लिए महत्वपूर्ण साथी था। उसी से उसने कई साँप मारे थे, आम झुरे थे और खेला करता था। इसलिए उसे डंडा जीवंत सा प्रतीत होता था और वह उसका प्रिय हथियार था।
9. इस घटना से लेखक का कौन-सा गुण सबसे अधिक उभरकर आता है?
उत्तर देखेंइस घटना से लेखक का साहस, धैर्य और जिम्मेदारी-बोध स्पष्ट झलकता है। वह पिटाई से डरता था, पर चिट्ठियों की जिम्मेदारी निभाने के लिए उसने जान जोखिम में डालकर साँप से टक्कर ली और सफल हुआ।
10. “स्मृति” पाठ हमें क्या शिक्षा देता है?
उत्तर देखेंयह पाठ सिखाता है कि कठिनाइयों में घबराना नहीं चाहिए। साहस, धैर्य और जिम्मेदारी के साथ हम किसी भी संकट का सामना कर सकते हैं। बालक होते हुए भी लेखक ने विवेक और साहस से कार्य पूरा किया, जो अनुकरणीय है।
कक्षा 9 हिंदी संचयन अध्याय 2 स्मृति के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।
कक्षा 9 हिंदी संचयन अध्याय 2 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर
1. लेखक के जीवन की सबसे बड़ी कठिनाई कौन-सी घटना थी और उसने उसका सामना कैसे किया?
उत्तर देखेंलेखक के बचपन की सबसे बड़ी कठिनाई उस समय आई जब भाई साहब द्वारा दी गई तीन जरूरी चिट्ठियाँ गलती से कुएँ में गिर गईं। कुआँ गहरा और कच्चा था तथा उसमें एक भयंकर काला साँप फन फैलाए बैठा था। लेखक बहुत घबराया, क्योंकि सच बोलने पर पिटाई निश्चित थी और झूठ बोलना उसके स्वभाव में नहीं था। इस दुविधा से बाहर निकलने के लिए उसने ठान लिया कि किसी भी हालत में चिट्ठियाँ बाहर निकालेगा। उसने पाँच धोती बाँधकर रस्सीनुमा साधन बनाया और छोटे भाई की मदद से कुएँ में उतरा। साँप की फुँकारों और वारों के बावजूद लेखक ने धैर्य रखा और डंडे की सहायता से चिट्ठियाँ निकालने में सफल हुआ। यह घटना दर्शाती है कि गंभीर संकट में भी लेखक ने साहस और विवेक से काम लिया।
2. चिट्ठियाँ गिरने पर लेखक की मानसिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर देखेंज्योंही टोपी से तीनों चिट्ठियाँ कुएँ में गिरीं, लेखक स्तब्ध रह गया। उसे ऐसा लगा जैसे उसकी जान ही निकल गई हो। वह डर और निराशा से भर गया। चिट्ठियाँ गिरते ही उसकी आँखों से आँसू झरने लगे और छोटा भाई ढाढ़ें मारकर रोने लगा। लेखक के मन में कई विचार उठे – काश माँ आकर उसे गले लगा लेती और कहती कि कोई बात नहीं। वह चाहता था कि कुएँ में मिट्टी डाल दे और घर जाकर कह दे कि चिट्ठियाँ डाल आया। पर झूठ बोलना उसे आता नहीं था। सच बोलने पर पिटाई की आशंका और झूठ बोलने पर जिम्मेदारी का बोझ उसके दिल को दो तरफ़ से दबा रहा था। इस मानसिक दुविधा ने लेखक को असहाय बना दिया, लेकिन अंततः उसने साहस दिखाया और कुएँ में उतरने का निश्चय किया।
3. लेखक ने कुएँ में उतरने की तैयारी कैसे की और उसमें छोटे भाई की क्या भूमिका रही?
उत्तर देखेंकुएँ में साँप की उपस्थिति जानते हुए भी लेखक ने चिट्ठियाँ निकालने का निश्चय किया। उसने अपने और छोटे भाई की दो धोतियाँ, कानों पर बाँधी हुई दो धोतियाँ और एक चने वाली धोती, कुल पाँच धोतियाँ इकट्ठी कीं और उन्हें एक-दूसरी से बाँधकर लंबी रस्सी बना ली। इस रस्सीनुमा साधन के एक सिरे पर डंडा बाँधा और दूसरे सिरे को कुएँ के ऊपर मजबूत डेंग से कसकर बाँध दिया। छोटा भाई बहुत डरा हुआ था और रो रहा था, परंतु उसने धोती को मजबूती से पकड़ा और भाई की मदद की। लेखक कुएँ में उतर गया और छोटे भाई ने ऊपर से सहारा दिया। जब लेखक ने चिट्ठियाँ धोती में बाँधकर ऊपर भेजीं, तो छोटे भाई ने उन्हें सुरक्षित खींच लिया। इस प्रकार छोटा भाई भले ही डरा हुआ था, लेकिन उसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और लेखक की जान बचाने में सहयोग किया।
4. साँप से सामना होने पर लेखक ने किस प्रकार धैर्य और साहस का परिचय दिया?
उत्तर देखेंकुएँ में उतरते ही लेखक का सामना सीधे फन फैलाए साँप से हुआ। साँप आक्रमण की मुद्रा में था और कुएँ का व्यास इतना छोटा था कि लेखक केवल कुछ फुट की दूरी पर खड़ा हो सकता था। यदि साँप वार करता तो जान का जाना तय था। पहले लेखक ने सोचा कि डंडे से साँप को मार देगा, परंतु जगह इतनी कम थी कि डंडा घुमाना असंभव था। इसलिए उसने धैर्यपूर्वक डंडे से चिट्ठियों को धीरे-धीरे सरकाने का प्रयास किया। इस दौरान साँप ने कई बार डंडे पर वार किए और विष उगला। लेखक भयभीत हुआ, पर उसने हिम्मत नहीं छोड़ी। अंततः उसने चिट्ठियाँ उठा लीं और ऊपर भिजवा दीं। यह घटना लेखक के साहस, विवेक और आत्मविश्वास का अद्भुत प्रमाण है।
5. “स्मृति” पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर देखें“स्मृति” पाठ केवल एक बाल्यकालीन घटना का वर्णन नहीं है, बल्कि यह जीवन की कठिनाइयों से जूझने की प्रेरणा देता है। लेखक ने चिट्ठियाँ गिरने पर पहले निराशा और भय का अनुभव किया, लेकिन तुरंत निर्णय लेकर जिम्मेदारी निभाने के लिए कुएँ में उतरने का साहस दिखाया। साँप जैसे भयंकर खतरे से जूझते हुए उसने संयम, धैर्य और विवेक का परिचय दिया। संकट की घड़ी में छोटे भाई का सहयोग भी महत्वपूर्ण रहा। अंत में लेखक ने अपने कर्तव्य को पूरा किया और माँ को यह घटना सुनाकर उनका स्नेह पाया। इस पाठ से हमें सिखने को मिलता है कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी ही कठिन क्यों न हों, साहस, धैर्य और जिम्मेदारी से हम उनका समाधान कर सकते हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी संचयन अध्याय 2 स्मृति
कहानी कथावाचक द्वारा बचपन में एक कुँए में देखे गए सांप के इर्द-गिर्द घूमती है। लेखक ने इस लेख में उस रोमांच का वर्णन किया है जब वह चिट्ठियों को लेने के लिए उस कुँए में भी उतर जाता है जहाँ एक विषैला सांप रहता था। हम भी जैसे-जैसे यादों की गलियों में चलते हैं, हमें अपने बचपन के अल्हड़ दिन, ग्रामीण जीवन की सादगी और अपने गाँव की गहरी परंपराओं की याद आती है। पुरानी यादों का विषय तब स्पष्ट हो जाता है जब पात्र पुरानी यादों को फिर से याद करते हैं और समय के साथ आए बदलावों पर विचार करते हैं।
कुएँ का साँप: बचपन की अद्भुत यादें
स्मृति में लेखक अपनी बचपन की यादों के माध्यम से गाँव की सादगी और मासूमियत को प्रस्तुत करता है। उसकी कहानी में एक कुआँ का चित्रण है जो गाँव से चार फर्लांग दूर है और जिसमें एक भयंकर साँप पड़ा हुआ है। वह कुआँ सूखा हुआ था और उसमें पानी नहीं था। लेखक और उसके साथी स्कूल से लौटते समय उस कुएँ के पास जाते और उसमें पत्थर फेंकते थे। जब वे पत्थर फेंकते, साँप फुसकार की आवाज करता था, जिसे सुनकर बच्चे मजा लेते थे।
इस छोटे अंश में, लेखक बच्चों की नटखटी और अबोधता को प्रकट करता है, जो अजाने में एक जीव को परेशान करते हैं। यह उन दिनों की सादगी और मासूमियत को दर्शाता है, जब बच्चे छोटी-छोटी बातों में खुशी ढूँढ लेते थे। यह उन दिनों की यादगार घड़ियों को जिन्दा करता है, जब जीवन अधिक सरल और अधिक खुशहाल था।
साँप वाले कुएँ की घटना और चिट्ठियों की खोज
गाँव के किसी कुएँ में एक भयानक साँप पड़ा हुआ था। बच्चे उस कुएँ में पत्थर फेंककर साँप को परेशान करते थे और फुसकार सुनते थे। एक दिन जब मुख्य पात्र ने अपनी टोपी से चिट्ठी निकालकर उसे कुएँ में फेंका, तो वह टोपी भी चिट्ठियों के साथ कुएँ में गिर गई।
लेखक और उसका छोटा भाई कुएँ के किनारे दुःखी होकर बैठे थे, उन्हें अब घर जाकर इसका समाधान कैसे करना है, इस पर विचार कर रहे थे। लेखक को डर था कि अगर उसने सच बताया तो उसे मार पड़ेगी और अगर झूठ बोला तो चिट्ठियाँ खो जाएंगी। उसकी तबीयत उसे भाग जाने को कह रही थी, पर डर और जिम्मेदारी उसे वहाँ रोक रही थी।
धृढ़ संकल्प और साँप का सामना
यह कहानी एक पुरुष की धृढ़ संकल्पना और साहस का परिणाम है, जिसने कुएँ में घुसकर चिड़ीयों को निकालने का निर्णय लिया। उसने अपनी जान को खतरे में डालकर यह कार्य किया, जिसमें एक जहरीला साँप भी था। उसका विश्वास था कि वह पहले साँप को मार देगा और फिर चिड़ीयों को उठा लेगा।
उसने अपने छोटे भाई की मदद से धोतियों और रस्सी का उपयोग करके कुएँ में उतरने की योजना बनाई। उसके भाई को डर था, पर वह उसे आश्वस्त करता रहा कि सब कुछ ठीक होगा। वह पहले ही कई बार साँपों को मार चुका था, इसलिए उसे उससे ज्यादा डर नहीं था।
लेखक कुएँ में उतर रहा था जब वह ध्यान से नीचे देखा तो वह एक साँप को देखा जो फन फैलाकर उसका इंतजार कर रहा था। जैसे एक साँपेरा अपनी बीन के साथ साँप को नचाता है, उसी प्रकार साँप तैयार था उसे हमला करने के लिए। वह समझता है कि उसे कुएँ के मध्य में उतरना है, जहाँ वह साँप से अधिक-से-अधिक चार फुट की दूरी पर रह सकता है। उसने तय किया कि वह पीठ नहीं दिखाएगा और धीरे-धीरे उतरने लगा। वह अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करता है और कुएँ की दीवार के पास अपने पैर रखता है।
लेखक कुएँ में उतरता है और साँप से सामना करता है। वह साँप के निकटतम स्थित दो चिट्टियों को उठाना चाहता है। उसने सोचा कि वह साँप को अपने डंडे से दबाकर चिट्टियों को उठा सकता है, लेकिन वहां पर्याप्त स्थान नहीं था और साँप को डंडे से दबाना खतरनाक था। उसने सोचा कि वह चिट्टियों को डंडे से सरका सकता है, पर अगर साँप हमला करता, तो उसके पास उसे रोकने का कोई तरीका नहीं था। इस स्थिति में, वह या तो साँप को हमला कर सकता था या फिर उससे बिल्कुल दूर रह सकता था। वह फैसला करता है कि वह साँप को छोड़ देगा और चिट्टियों को उठाने का प्रयास करेगा।
साँप के साथ सामना
जब लेखक ने डंडे से साँप को छूने की कोशिश की, साँप ने उसे हमला किया और उसके डंडे पर अपना विष छोड़ दिया। लेखक डर से उछल पड़ा, और उसके भाई को लगा कि साँप ने उसे काट लिया। लेखक ने पुनः कोशिश की, और इस बार साँप डंडे से चिपट गया। लेखक ने तुरंत अपने सामान चुन लिया, और उसे उसके भाई को ऊपर खींचने के लिए दिया। यह सामना लेखक के लिए एक अनुभव बन गया, जिसमें उसने अपने साहस और जीवन की महत्वपूर्णता को महसूस किया।
एक समय में, जब लेखक छोटा था, उसने एक साँप को एक डंडे के साथ पकड़ने की कोशिश की। साँप ने उस डंडे को अपने अधिकार में लिया और जब लेखक ने डंडा वापस लेने की कोशिश की, साँप ने उस पर हमला करने की कोशिश की। लेखक ने चतुराई से साँप को भरमाया और डंडा वापस प्राप्त किया। फिर, लेखक को एक 36 फुट ऊँची जगह पर चढ़ना हुआ। वह बिना पैरों के सहारे, सिर्फ हाथों की मदद से चढ़ा। जब वह ऊपर पहुँचा, उसने अपनी थकान को महसूस किया।
1915 में, जब वह मैट्रिक पास किया, उसने इस घटना को अपनी माँ को सुनाया। माँ ने उसे अपनी गोद में लिया और उस समय की यादें ताजा कीं। लेखक ने अंत में यह विचार प्रकट किया कि पुराने जमाने में जब रायफलें नहीं होती थीं, डंडा होता था और उस समय की चुनौतियाँ आज से भिन्न थीं।