एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी कृतिका अध्याय 2 मेरे संग की औरतें
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी कृतिका अध्याय 2 मेरे संग की औरतें, जिसकी लेखिका मृदुला गर्ग हैं, सत्र 2025-26 के लिए यहाँ दिए गए हैं। नवीं कक्षा के पाठ्यक्रम अ का यह अध्याय एक आत्मकथात्मक रचना है जिसमें लेखिका अपने जीवन से जुड़ी स्त्रियों के संघर्ष, संवेदनाओं और अनुभवों का चित्रण करती हैं। इसमें बचपन से लेकर युवावस्था तक के जीवन प्रसंगों के माध्यम से महिला जीवन की विविधता और शक्ति का वर्णन मिलता है। यह अध्याय विद्यार्थियों को नारी समाज की असली तस्वीर और उनकी अहम भूमिका समझाने में मदद करता है।
कक्षा 9 हिंदी कृतिका पाठ 2 के प्रश्न उत्तर
कक्षा 9 हिंदी कृतिका पाठ 2 के अति-लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी कृतिका पाठ 2 के लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी कृतिका पाठ 2 के दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी कृतिका पाठ 2 MCQ
अभ्यास के प्रश्न उत्तर
मेरे संग की औरतें कक्षा 9 हिंदी कृतिका अध्याय 2 के प्रश्न उत्तर
1. लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं?
उत्तर देखेंलेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा नहीं था, क्योंकि उनकी मृत्यु माँ की शादी से पहले ही हो गई थी। फिर भी वे उनके व्यक्तित्व से गहराई से प्रभावित थीं। इसके पीछे कई कारण थे –
► अनोखी आख़िरी इच्छा – नानी ने मृत्यु के समय पति से कहा कि उनकी बेटी की शादी किसी साहबी रंग-ढंग वाले व्यक्ति से नहीं, बल्कि आज़ादी के सिपाही से कराई जाए। यह उनकी देशभक्ति और दूरदर्शिता को दर्शाता था।
► आज़ादी का जुनून – परदे में रहने वाली, पारंपरिक औरत होते हुए भी उनके भीतर देश की स्वतंत्रता के लिए गहरा जुनून था। यह भाव लेखिका को बहुत आकर्षित करता था।
► व्यक्तिगत आज़ादी का बोध – नानी ने अपने पति के जीवन में कभी दखल नहीं दिया, पर अपनी ज़िंदगी अपने ढंग से जी। लेखिका को लगा कि यही असली स्वतंत्रता है – दूसरों की नकल न करना और अपनी राह चुनना।
इन्हीं कारणों से, बिना देखे भी लेखिका नानी के व्यक्तित्व से प्रभावित रहीं और उनके जीवन से स्वतंत्रता तथा स्वाभिमान की प्रेरणा लेती रहीं।
2. लेखिका की नानी की आजादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही?
उत्तर देखेंलेखिका की नानी की आज़ादी के आंदोलन में भागीदारी बहुत ही अनोखे और साहसिक ढंग से सामने आई।
► नानी खुद तो पारंपरिक, अनपढ़ और परदे में रहने वाली औरत थीं, लेकिन जब मौत करीब आई तो उन्होंने अपने पति (नाना) से कहा कि वे स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा को बुलाएँ।
► उन्होंने उनसे यह वचन लिया कि उनकी इकलौती बेटी (लेखिका की माँ) की शादी किसी आज़ादी के सिपाही से ही करवाई जाए, न कि अंग्रेजों के ‘फरमाबरदार’ से।
► यह मांग सबको हैरत में डाल देने वाली थी, क्योंकि वही औरत जिसने कभी अपने पति से भी खुलकर बात नहीं की थी, वह अब पराए मर्द (स्वतंत्रता सेनानी) से अपनी बेटी का भविष्य देश की आज़ादी से जोड़ रही थी।
► यह घटना दिखाती है कि वे ऊपर से भले ही परंपरागत जीवन जीती थीं, लेकिन भीतर से उनके मन में देश की आज़ादी के लिए गहरा जुनून और लगाव था।
इस प्रकार, नानी की भागीदारी सीधे मैदान में जाकर आंदोलन करने की नहीं थी, बल्कि अपनी बेटी की शादी और आने वाली पीढ़ी का जीवन स्वतंत्रता आंदोलन के आदर्शों से जोड़ देने में थी। यही उनका अनोखा योगदान था।
कक्षा 9 हिंदी कृतिका अध्याय 2 अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर
3 (क). लेखिका की माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर देखेंलेखिका की माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ:
► सादा जीवन और ऊँचे विचार – वे गांधीजी के सिद्धांतों से प्रभावित थीं। खादी की भारी साड़ी पहनने में कठिनाई होने पर भी वे रात-रात भर जागकर उसका अभ्यास करतीं, ताकि दिन में शर्मिंदगी न उठानी पड़े।
► नाजुक पर दृढ़ नारी – उनका शरीर नाजुक था, इसीलिए दादी ने उन्हें देखकर मजाक में कहा था – “हमारी बहू तो ऐसी है कि धोई, पोंछी और छींके पर टाँग दी।” लेकिन इस नाजुकता के बावजूद वे ईमानदार और सच्चे व्यक्तित्व वाली थीं।
► ईमानदारी और निष्पक्षता – वे बेहद ईमानदार और निष्पक्ष विचारों वाली थीं। किसी भी मुद्दे पर राय देतीं तो वह राय परिवार में “पत्थर की लकीर” मानी जाती थी।
► खूबसूरती और नजाकत – उनमें सुंदरता और कोमलता इतनी घुली-मिली थी कि वे परीजात-सी जादुई लगती थीं।
► गैर-दुनियादार लेकिन प्रभावशाली – दुनियावी कामों में वे सीधे भाग नहीं लेती थीं, लेकिन हर बड़े और छोटे काम में उनसे राय ली जाती थी और उसे मानना सबके लिए आवश्यक होता था।
3 (ख). लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए।
उत्तर देखेंदादी के घर का माहौल:
► परंपरागत और अनुशासित वातावरण – दादी का घर परंपरा से बँधा हुआ था। घर के नियम-कायदे कड़े थे, हर सदस्य को उन पर चलना पड़ता था।
► संकोच और मर्यादा का पालन – वहाँ रहन-सहन में सादगी, बोलचाल में मर्यादा और आचरण में अनुशासन साफ झलकता था।
► धार्मिकता और रीति-रिवाजों का प्रभाव – घर का माहौल पूजा-पाठ, संस्कारों और रीति-रिवाजों से गहरे जुड़ा हुआ था। इन पर सभी को चलना आवश्यक था।
► स्त्रियों की सीमित भूमिका – घर की औरतें परंपरा और संकोच की दीवारों में कैद थीं। उनकी दुनिया घर-गृहस्थी तक ही सीमित थी, फिर भी वे अपने धैर्य और जिम्मेदारी से परिवार की नींव संभाले रखती थीं।
► सादा और गंभीर वातावरण – दादी के घर का वातावरण भव्यता से रहित, पर सादगी और गंभीरता से भरा हुआ था, जहाँ हर काम एक तय अनुशासन और जिम्मेदारी के साथ किया जाता था।
4. आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी?
उत्तर देखेंपरदादी का यह कदम सचमुच असामान्य और साहसिक था। अगर कल्पना से सोचें तो इसके पीछे कई गहरी वजहें हो सकती हैं –
1. समाज की रूढ़ियों को तोड़ने की चाह: परदादी ने देखा होगा कि हर परिवार में पहला बच्चा बेटा होने की कामना की जाती थी। लड़कियों को कमतर समझा जाता था। शायद उन्होंने इस सोच को झकझोरने और समाज को आईना दिखाने के लिए जान-बूझकर यह अनोखी मन्नत माँगी।
2. स्त्री-शक्ति में विश्वास: शायद परदादी मानती थीं कि परिवार और समाज को आगे बढ़ाने में बेटियाँ भी उतनी ही सक्षम हैं जितने बेटे। वे चाहती होंगी कि उनकी बहू का पहला बच्चा बेटी हो ताकि परिवार में स्त्री-शक्ति का सम्मान बढ़े।
3. परिवार की परंपरा को बदलने की ललक: खानदान में हमेशा पहला बच्चा बेटा होता आया था। परदादी ने इस परंपरा को तोड़कर नई परंपरा बनाने का मन बनाया होगा कि पहली संतान बेटी भी हो सकती है और वह भी घर की शान बन सकती है।
4. बेटियों को बराबरी का दर्जा दिलाने का प्रयास: शायद उन्होंने चाहा हो कि अगर पहली संतान लड़की होगी तो उसके बाद आने वाली लड़कियों को भी हीनभावना का सामना न करना पड़े। पहली बेटी ही परिवार में गर्व का कारण बने और दूसरों के लिए रास्ता खोले।
5. निजी संवेदनाओं का असर: संभव है परदादी (माँ जी) का अपनी बेटियों से गहरा लगाव रहा हो। बेटियों ने उन्हें सहारा और सम्मान दिया होगा। इसलिए वे चाहती होंगी कि उनकी बहू को भी बेटी के रूप में वही सुख मिले।
इस तरह परदादी का यह कदम केवल धार्मिक आस्था नहीं बल्कि एक सामाजिक और मानसिक क्रांति भी था। उन्होंने यह जताना चाहा कि “लड़की होना कोई कमी नहीं, बल्कि गर्व की बात है।”
5. डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है – पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर देखेंइस पाठ से स्पष्ट होता है कि किसी को सही राह पर लाने के लिए डराने-धमकाने या दबाव डालने की आवश्यकता नहीं होती। सहजता, सच्चाई और मानवीय व्यवहार से भी व्यक्ति का हृदय परिवर्तन किया जा सकता है।
परदादी और नामी चोर का प्रसंग इसका सर्वोत्तम उदाहरण है। जब चोर घर में घुसा तो परदादी ने उसे पकड़वाने या डाँटने की बजाय बड़ी सहजता से पानी लाने का काम सौंप दिया। उन्होंने उसे यह विश्वास दिलाया कि “प्यासे को पानी पिलाना सबसे बड़ा धर्म है।” चोर पहले तो हैरान हुआ, लेकिन उनकी सरलता और निष्कपट व्यवहार से प्रभावित होकर उसका दिल बदल गया। परिणाम यह हुआ कि वह चोरी छोड़कर खेती करने लगा और ईमानदार जीवन जीने लगा।
इससे सिद्ध होता है कि किसी को दबाव, भय या कठोर दंड से नहीं, बल्कि सहजता, विश्वास और स्नेह से सही दिशा दी जा सकती है। यही शिक्षा हमें पाठ से मिलती है।
6. ‘शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है’- इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर देखेंलेखिका मृदुला गर्ग का विश्वास था कि शिक्षा हर बच्चे का जन्मसिद्ध अधिकार है। उन्होंने अपने जीवन में इस सोच को व्यवहारिक रूप भी दिया। जब वे कर्नाटक के छोटे कस्बे बागलकोट में रहीं, वहाँ कोई उपयुक्त विद्यालय नहीं था। उनके अपने बच्चे और अन्य बच्चों को पढ़ाई का अवसर नहीं मिल पा रहा था। उन्होंने कैथोलिक मिशन से स्कूल खोलने का आग्रह किया, पर असफल रहने पर हार नहीं मानी।
लेखिका ने स्वयं पहल कर वहाँ अंग्रेज़ी, हिंदी और कन्नड़ – तीन भाषाएँ पढ़ाने वाला एक प्राथमिक विद्यालय शुरू किया और उसे कर्नाटक सरकार से मान्यता भी दिलवाई। इस विद्यालय से न केवल उनके बच्चे, बल्कि कस्बे के अनेक अन्य बच्चे भी शिक्षित हुए।
इस प्रकार, लेखिका ने दिखाया कि शिक्षा सचमुच बच्चों का अधिकार है और इसके लिए समाज के जिम्मेदार व्यक्तियों को सक्रिय होकर कदम उठाने चाहिए।
7. पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है?
उत्तर देखेंपाठ के आधार पर स्पष्ट होता है कि इंसानों को उनकी सच्चाई, ईमानदारी और गोपनीयता निभाने की क्षमता के कारण अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है।
लेखिका की माँ ने न तो घर-गृहस्थी के पारंपरिक कर्तव्य निभाए, न ही आम औरतों की तरह बच्चों को पाला-पोसा। फिर भी परिवार और समाज में सभी उनका सम्मान करते थे। इसका कारण यह था कि –
► वे कभी झूठ नहीं बोलती थीं।
► वे किसी की गोपनीय बात को दूसरों पर प्रकट नहीं करती थीं।
यही दो गुण उन्हें घर-परिवार और बाहर की दुनिया दोनों में आदर दिलाने वाले बने। अर्थात जीवन में पद, धन या बाहरी दिखावे से नहीं, बल्कि सत्यनिष्ठा, गोपनीयता और निष्कपट आचरण से इंसान अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है।
8. ‘सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है’ – इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर देखें‘सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है’ – यह कथन लेखिका की बहन रेणु के प्रसंग से जुड़ा है। भीषण बारिश में जब सबने उसे समझाया कि स्कूल बंद होगा, मत जाओ, तब भी वह अकेली दो मील पैदल चलकर स्कूल पहुँची और वापस लौट आई। उसे किसी की परवाह नहीं थी, बल्कि उसने उस रोमांचक अनुभव का आनंद लिया। इससे उसकी जिद्दी, साहसी, स्वतंत्र और स्वाभिमानी प्रवृत्ति सामने आती है।
इसी प्रकार लेखिका मृदुला गर्ग का जीवन भी परंपरागत लीक से हटकर था। उन्होंने शादी के बाद छोटे कस्बों में रहकर नाटक कराए, स्वयं स्कूल खोला और लेखन में हमेशा अपनी अलग राह बनाई। वे भी भीड़ से अलग होकर, अपने दम पर जीवन जीने और अपनी सोच पर अडिग रहने में विश्वास रखती थीं।
लेखिका और उनकी बहन दोनों का व्यक्तित्व स्वतंत्रता, आत्मविश्वास और परंपरा से हटकर अपनी राह चुनने के गुणों से भरा हुआ था। यही उन्हें विशिष्ट बनाता है।
कक्षा 9 हिंदी कृतिका अध्याय 2 मेरे संग की औरतें पर आधारित अति-लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।
कक्षा 9 हिंदी कृतिका अध्याय 2 अति लघूत्तारीय प्रश्न उत्तर
1. लेखिका की नानी कैसी थीं?
उत्तर देखेंपरंपरागत, अनपढ़, परदाशीन औरत थीं, पर सोच में आज़ाद।
2. नानी की आख़िरी इच्छा क्या थी?
उत्तर देखेंबेटी की शादी किसी आज़ादी सेनानी से कराना चाहती थीं।
3. नानी के पति किस देश में पढ़ाई करने गए थे?
उत्तर देखेंइंग्लैंड, कैंब्रिज विश्वविद्यालय में बैरिस्ट्री पढ़ने।
4. लेखिका की माँ को खादी पहनने में क्या कठिनाई थी?
उत्तर देखेंखादी की साड़ी भारी लगती थी, कमर चनका खा जाती थी।
5. दादी किस कहावत का प्रयोग करती थीं?
उत्तर देखें“हम हाथी पे हल ना जुतवाया करते, हम पे बैल हैं।”
6. लेखिका की माँ को घरवालों का सम्मान क्यों मिला?
उत्तर देखेंवे सच बोलती थीं और गोपनीयता निभाती थीं।
7. परदादी ने कौन-सी अनोखी मन्नत माँगी थी?
उत्तर देखेंबहू का पहला बच्चा लड़की हो।
8. परदादी की मन्नत का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर देखेंलगातार पाँच बेटियाँ पैदा हुईं।
9. परदादी ने नामी चोर से क्या कहा?
उत्तर देखेंप्यास लगी है, कुएँ से पानी लाकर पिला।
10. चोर परदादी की बातों से कैसे बदला?
उत्तर देखेंचोरी छोड़ खेती करने लगा और भलामानुस बन गया।
11. आज़ादी मिलने के दिन लेखिका क्यों उदास थीं?
उत्तर देखेंटाइफ़ाइड के कारण इंडिया गेट पर जश्न में नहीं जा सकीं।
12. उस दिन पिता ने उन्हें कौन-सी किताब दी?
उत्तर देखें‘ब्रदर्स कारामजोव’ उपन्यास।
13. लेखिका और बहनों ने कब लिखना शुरू किया?
उत्तर देखेंशादी के बाद, अलग-अलग नामों से लेखन आरंभ किया।
14. रेणु ने गाड़ी में क्यों नहीं बैठा?
उत्तर देखेंथोड़ी दूरी गाड़ी से तय करना सामंतशाही समझती थी।
15. लेखिका ने बागलकोट में क्या उपलब्धि हासिल की?
उत्तर देखेंखुद प्राथमिक विद्यालय खोला और सरकारी मान्यता दिलाई।
कक्षा 9 हिंदी कृतिका अध्याय 2 मेरे संग की औरतें के लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।
कक्षा 9 हिंदी कृतिका अध्याय 2 लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
1. नानी ने अपनी बेटी की शादी के लिए किस तरह की शर्त रखी?
उत्तर देखेंनानी ने मृत्यु से पहले नाना से कहा कि वे बेटी की शादी किसी स्वतंत्रता सेनानी से ही कराएँ। वे चाहती थीं कि बेटी साहबों के अनुयायियों से न जुड़े। उनके इस साहसिक आग्रह से उनकी देशभक्ति और स्वतंत्र विचारधारा झलकती है।
2. लेखिका की माँ का स्वभाव कैसा था?
उत्तर देखेंमाँ नाजुक, सुंदर और बेहद गैर-दुनियादार थीं। उनमें ईमानदारी और निष्पक्षता इतनी गहराई से रची-बसी थी कि सब उनके विचारों का सम्मान करते थे। वे व्यावहारिक कार्यों में कमजोर थीं, पर उनकी राय पत्थर की लकीर मानी जाती थी।
3. लेखिका की दादी के घर का वातावरण कैसा था?
उत्तर देखेंलेखिका की दादी का घर अंग्रेजियत से प्रभावित था। नाना पढ़ाई-लिखाई, रहन-सहन और तौर-तरीकों में अंग्रेज जैसे थे। परिवारजन साहबी ठाठ-बाट के कायल थे। हालाँकि घर में आज़ादी के आंदोलन से जुड़े विचार भी मौजूद थे, पर अंग्रेजी जीवनशैली का दबदबा अधिक था।
4. लेखिका अपनी नानी से क्यों प्रभावित थीं?
उत्तर देखेंलेखिका ने नानी को कभी देखा नहीं, पर उनके व्यक्तित्व से गहराई से प्रभावित रहीं। नानी का साहस, स्वतंत्रता सेनानी को बुलाकर बेटी के विवाह की जिम्मेदारी सौंपना और देश की आज़ादी के प्रति समर्पण उनकी दूरदर्शिता और आत्मनिर्भर सोच को दर्शाता था।
5. लेखिका की माँ खादी की साड़ी क्यों पहनती थीं?
उत्तर देखेंमाँ गांधीजी के सिद्धांतों से प्रेरित होकर खादी पहनने को विवश थीं। खादी उन्हें भारी लगती थी और कमर पर चनका छोड़ देती थी। पर वे रात-रात भर अभ्यास करतीं, ताकि दिन में शर्मिंदगी न उठानी पड़े। यह उनकी दृढ़ता और आत्मसम्मान दर्शाता है।
6. लेखिका की परदादी ने पतोहू के लिए लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी?
उत्तर देखेंपरदादी ने यह मन्नत इसलिए माँगी क्योंकि वे चाहती थीं कि बहू का जीवन बेटी से शुरू हो, ताकि घर में सौहार्द और संस्कार आएँ। लड़की परिवार को कोमलता, संवेदनशीलता और अपनत्व देती है। इससे रिश्तों में संतुलन और सामंजस्य भी स्थापित होता है।
7. लेखिका की माँ को क्यों जादुई व्यक्तित्व का माना जाता था?
उत्तर देखेंमाँ के व्यक्तित्व में सुंदरता, नजाकत, ईमानदारी और निष्पक्षता का अद्भुत मेल था। उनकी राय सब सम्मानपूर्वक स्वीकार करते थे। उनमें दुनियादारी की समझ भले कम थी, पर उनके विचार गहरे और सच्चे थे। यही गुण उन्हें सबके लिए विशेष और जादुई बनाते थे।
8. नानी का स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ाव किस रूप में दिखाई देता है?
उत्तर देखेंनानी ने सीधे आंदोलन में भाग नहीं लिया, लेकिन उनकी सोच देशभक्ति से भरी थी। उन्होंने बेटी की शादी किसी स्वतंत्रता सेनानी से कराने की इच्छा व्यक्त की। यह दिखाता है कि वे निजी जीवन में भी स्वतंत्र विचारों और आज़ादी के समर्थन में थीं।
9. लेखिका की माँ खादी पहनने के अभ्यास से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर देखेंइससे यह शिक्षा मिलती है कि कठिनाई या असुविधा के बावजूद अगर किसी उद्देश्य के प्रति निष्ठा हो, तो इंसान धैर्य और लगन से उसे पूरा कर सकता है। माँ का यह अभ्यास आत्मसम्मान और दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक है।
10. लेखिका की नानी का साहस उनके व्यक्तित्व का कौन-सा पहलू उजागर करता है?
उत्तर देखेंनानी का साहस यह दिखाता है कि वे भीतर से बहुत दृढ़ थीं। परदाशीन और मौन रहने के बावजूद उन्होंने मृत्यु के समय बेटी की शादी का महत्वपूर्ण निर्णय लिया। यह उनके आत्मविश्वास, स्वतंत्र सोच और समाज की बेड़ियों को तोड़ने की क्षमता को दर्शाता है।
कक्षा 9 हिंदी कृतिका अध्याय 2 मेरे संग की औरतें के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।
कक्षा 9 हिंदी कृतिका अध्याय 2 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर
1. लेखिका और उनकी बहनों के व्यक्तित्व में अकेलेपन का क्या महत्व था?
उत्तर देखेंलेखिका और उनकी बहनों को कहानियाँ सुनाने के लिए नानी का साथ नहीं मिला। इस कमी ने उन्हें भीतर से सृजनशील और आत्मनिर्भर बना दिया। वे अकेलेपन में भी आनंद पाती थीं और उसे बोझ न मानकर अपनी दुनिया रचती थीं। लेखिका मानती हैं कि अकेलेपन का अपना अनूठा मज़ा है क्योंकि इसमें इंसान खुद को जानता है, सोचता है और रचनात्मकता विकसित करता है। बहनों ने अकेलेपन को नकारात्मकता से जोड़ने के बजाय स्वतंत्रता और आत्म-अभिव्यक्ति का अवसर माना। इस दृष्टिकोण ने उनके व्यक्तित्व को परिपक्व, आत्मनिर्भर और मौलिक विचारों वाला बना दिया। इसलिए उनके जीवन में अकेलेपन ने सृजन और आत्मविश्वास का आधार तैयार किया।
2. लेखिका की माँ के जीवन में गांधीजी के सिद्धांतों का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर देखेंलेखिका की माँ पर गांधीजी के विचारों का गहरा असर था। वे सादा जीवन और ऊँचे विचारों के मार्ग पर चलने के लिए विवश थीं। खादी पहनना उनके लिए कठिन था, फिर भी उन्होंने इसे अपनाया क्योंकि यह स्वतंत्रता आंदोलन और आत्मनिर्भरता का प्रतीक था। माँ ने सादगी को जीवन का हिस्सा बनाया, भले ही उनका शारीरिक स्वास्थ्य और नाजुकता इसके लिए बाधा बनी। यह प्रभाव इतना गहरा था कि वे अपने आराम से समझौता कर लेतीं लेकिन सिद्धांतों से नहीं। गांधीजी की शिक्षाओं ने उन्हें सत्य, ईमानदारी और निष्पक्षता पर अडिग बनाए रखा। इस प्रकार, गांधीजी के सिद्धांतों ने उनके जीवन को नैतिक और आदर्शवादी स्वरूप दिया।
3. लेखिका के अनुसार असली आज़ादी का अर्थ क्या है?
उत्तर देखेंलेखिका ने असली आज़ादी को केवल राजनीतिक स्वतंत्रता तक सीमित नहीं माना। उनके अनुसार असली आज़ादी का अर्थ है — दूसरों की तरह जीने की मजबूरी से मुक्ति। नानी ने भले ही परंपराओं का पालन किया, लेकिन उन्होंने अपनी ज़िंदगी अपनी शर्तों पर जी। उन्होंने अपने पति की जीवनशैली में दखल नहीं दिया, पर अपनी पसंद-नापसंद से भी समझौता नहीं किया। उनके इस दृष्टिकोण से यह स्पष्ट होता है कि असली आज़ादी का मतलब है आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता बनाए रखना। यह स्वतंत्रता भीतर से आती है, जब इंसान खुद अपने जीवन का रास्ता तय करे। इसी सोच ने लेखिका को गहराई से प्रभावित किया।
4. पाठ से यह सिद्ध कीजिए कि स्त्रियाँ घर और समाज दोनों के लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकती हैं।
उत्तर देखेंपाठ की नायिकाएँ—नानी, माँ और परदादी—तीनों ने अपने-अपने तरीके से परिवार और समाज को प्रेरणा दी। नानी ने अपनी बेटी के विवाह को स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़कर अपनी दूरदृष्टि दिखाई। परदादी ने मन्नत माँगकर परिवार में सौहार्द और संतुलन का प्रतीक बनने की कामना की। माँ ने अपनी ईमानदारी, निष्पक्षता और सत्यनिष्ठा से सबका सम्मान पाया। उन्होंने अपने आचरण से यह सिखाया कि जीवन में धन या दिखावे से अधिक महत्व सत्य और नैतिकता का है। इन स्त्रियों के आचरण ने अगली पीढ़ी को सादगी, स्वतंत्रता और आत्मसम्मान का पाठ पढ़ाया। इससे सिद्ध होता है कि स्त्रियाँ समाज की वास्तविक प्रेरक शक्ति होती हैं।
5. लेखिका के जीवन में कहानियों का क्या महत्व रहा?
उत्तर देखेंलेखिका और उनकी बहनों को नानी से कहानियाँ सुनने का अवसर नहीं मिला। इस कमी ने उन्हें खुद कहानियाँ गढ़ने और सुनाने के लिए प्रेरित किया। कहानियाँ उनके जीवन में कल्पनाशीलता और सृजनशीलता का साधन बनीं। लेखिका मानती हैं कि कहानियाँ केवल मनोरंजन नहीं करतीं बल्कि जीवन की सच्चाइयों को उजागर करती हैं। नानी की वास्तविक जीवन-गाथा भी एक प्रेरक कहानी की तरह थी, जिसने उन्हें स्वतंत्रता, आत्मसम्मान और साहस का महत्व समझाया। कहानियों ने बहनों को अकेलेपन में सहारा दिया और उनकी सोच को व्यापक बनाया। इसलिए लेखिका के जीवन में कहानियाँ आत्म-अभिव्यक्ति और जीवन-दर्शन का आधार रहीं।