एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 हिंदी क्षितिज अध्याय 11 नौबतखाने में इबादत

कक्षा 10 हिंदी क्षितिज अध्याय 11 नौबतखाने में इबादत (यतीन्द्र मिश्रा) के NCERT समाधान (सत्र 2025-26) छात्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण संसाधन हैं। पाठ के प्रत्येक प्रश्न का उत्तर सरल भाषा में ही दिया गया है। इनसे विद्यार्थी पाठ को भली भांति समझ सकते हैं। सभी उत्तर नवीनतम पाठ्यक्रम के अनुकूल हैं। ये समाधान विशेषज्ञ शिक्षकों द्वारा तैयार किए गए हैं। इनसे परीक्षा की तैयारी काफी आसान हो जाती है।
कक्षा 10 हिंदी क्षितिज पाठ 11 MCQ
कक्षा 10 हिंदी सभी अध्यायों के उत्तर

नौबतखाने में इबादत कक्षा 10 हिंदी क्षितिज अध्याय 11 के प्रश्न उत्तर

1. शहनाई की दुनिया में डुमराँव को क्यों याद किया जाता है?
उत्तर देखेंशहनाई की दुनिया में डुमराँव को दो वजह से याद किया जाता है एक मशहूर शहनाई वादक “बिस्मिल्ला खाँ” का जन्म डुमराँव गाँव में ही हुआ था। दूसरा शहनाई बजाने के लिए रीड का प्रयोग होता है। यहाँ सोन नदी के किनारे पाई जाने वाली नरकट नामक घास से शहनाई रीड बनाई जाती है। यह घास अंदर से पोली होती है।

2. बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक क्यों कहा गया है?
उत्तर देखेंशहनाई को मंगल वाद्य कहा जाता है। किसी की शादी हो या पूजा-पाठ शहनाई की ध्वनी अवश्य सुनाई देती है। शहनाई को बिस्मिल्ला खां ने इतनी प्रसिद्धि दिलवाई कि दोनों एक-दूसरे के पर्याय बन गए। खां साहब शहनाई वादन को इस ऊंचाई तक ले गए कि उन्हें इस विधा के लिए भारत रत्न से समानित किया गया। यही कारण है कि उन्हें शहनाई की मंगलध्वनि का नायक कहा जाता है।

3. सुषिर-वाद्यों से क्या अभिप्राय है? शहनाई को ‘सुषिर वाद्यों में शाह’ की उपाधि क्यों दी गई होगी?
उत्तर देखेंफूंक द्वारा बजाये जाने वाले वाद्य यंत्रों को सुषिर-वाद्य कहा जाता है और इनसे निकलने वाली ध्वनी ‘सुषिर’ कहलाती है। अरब देश में फूँककर बजाए जाने वाले वाद्य जिसमें नाड़ी (नरकट या रीड) होती है, को ‘नय’ कहते हैं। वे शहनाई को ‘शाहेनय’ पुकारते है, अर्थात सुषिर वाद्यों में शाह’। इस कारण शहनाई को ‘सुषिर-वाद्यों’ में शाह’ की उपाधि दी गई होगी।

4. आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) ‘फटा सुर न बख्शें। लुंगिया का क्या है, आज फटी है, तो कल सी जाएगी।’
उत्तर देखेंबिस्मिल्ला खाँ अपनी सुर साधना में इतने तल्लीन रहते थे कि सजने संवरने की तरफ ध्यान ही नहीं जाता था। वे सुर साधना के प्रति इतने ज्यादा समर्पित थे कि खुदा से यही दुआ करते कि ‘फटा सुर न बख्शें’। कपड़ा क्या है आज अगर फटा है तो कल सिलकर ठीक हो जाएगा।

(ख) ‘मेरे मालिक सुर बख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ।’
उत्तर देखेंबिस्मिल्ला खाँ शहनाई वादन को एक साधना की तरह मानते थे। दिन में पाँचों वक्त नमाज़ के बाद खुदा से सच्चा सुर पाने की प्रार्थना करते थे। वे चाहते थे कि उनके शहनाई के सुर में इतनी ताकत हो कि सुनने वालों की आँखों से आँसू निकल आएं यही उनका सच्चा ईनाम होगा और यही उनके सुर की कामयाबी होगी।

5. काशी में हो रहे कौन-से परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे?
उत्तर देखेंअब देशी घी में वह बात कहाँ और कहाँ वह कचौड़ी-जलेबी। खाँ साहब को बड़ी शिद्दत से कमी खलती है। अब संगतियों के लिए गायकों के मन में कोई आदर नहीं रहा। खाँ साहब अफसोस जताते हैं। अब घंटों रियाज को कौन पूछता है? हैरान हैं बिस्मिल्ला खाँ। कहाँ वह कजली, चैती और अदब का जमाना? काशी-पक्का महाल से जैसे मलाई बरफ़ गया, संगीत, साहित्य और अदब की बहुत सारी परंपराएँ लुप्त हो गईं। एक सच्चे सुर साधक और सामाजिक प्राणी की भाँति बिस्मिल्ला खाँ साहब को इन सबकी कमी खलती है।

6. पाठ में आए किन प्रसंगों के आधार पर आप कह सकते हैं कि-
(क) बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे।
उत्तर देखेंबिस्मिल्ला खाँ हिन्दुओं और मुसलमानों की मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे। वे एक सच्चे मुसलमान थे। उनकी मुसलिम धर्म, उत्सवों और त्योहारों में गहरी आस्था थी। वे मुहर्रम सच्ची श्रद्धा से मनाते थे। अगर काशी में होते तो उनके दिन की शुरुआत संकटमोचन मन्दिर की देहरी पर शहनाई वादन से होती थी।

(ख) वे वास्तविक अर्थों में एक सच्चे इनसान थे।
उत्तर देखेंबिस्मिल्ला खाँ एक सच्चे और सरल हृदय इंसान थे। वे सभी धर्मों का समान रूप से आदर करते थे। वे जहाँ पाँचों वक्त की नमाज अता करते थे वहीं काशी विश्वनाथ और संकटमोचन हनुमान में भी अपार श्रद्धा रखते थे। वे धर्मों से अधिक मानवता को महत्व देते थे। उन्होंने अपने व्यक्तित्व पर कभी भी दौलत और शोहरत को हावी नहीं होने दिया। भारत रत्न से सम्मानित होने पर भी उनमें अहंकार लेशमात्र भी नहीं था।

7. बिस्मिल्ला खाँ के जीवन से जुड़ी उन घटनाओं और व्यक्तियों का उल्लेख करें जिन्होंने उनकी संगीत साधना को समृद्ध किया?
उत्तर देखेंबिस्मिल्ला खाँ का बचपन का नाम अमीरुद्दीन था। बिस्मिल्ला खाँ जन्म भले ही डुमरिया बिहार में हुआ हो लेकिन वे मात्र छः साल की अवस्था में बनारस आ गए थे। यहाँ उनके मामा सादिक हुसैन और अलीबख्श खां शहनाई वादन करते थे। यहीं से बिस्मिल्ला खाँ का लगाव शहनाई की तरफ हो गया। बालाजी मंदिर तक जाने का रास्ता रसूलनबाई और बतूलनबाई के यहाँ से होकर जाता था। इस रास्ते से कभी ठुमरी, कभी टप्पे, कभी दादरा की आवाज़ें आती थी। इन्हीं गायिका बहिनों को सुनकर इन्हें भी संगीत साधना की प्रेरणा मिली।

कक्षा 10 हिंदी क्षितिज अध्याय 11 रचना और अभिव्यक्ति

8. बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया?
उत्तर देखेंबिस्मिल्लाह खान एक महान संगीतकार, एक भले और सरल इंसान, कट्टर देशभक्त और आपसी भाईचारे की मिसाल थे। उनमें सरलता इतनी अधिक थी कि किसी दिन एक शिष्या ने डरते-डरते खाँ साहब को टोका, “बाबा! आप यह क्या करते हैं, इतनी प्रतिष्ठा है आपकी। अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें। अच्छा नहीं लगता, जब भी कोई आता है आप इसी फटी तहमद में सबसे मिलते हैं।“ खाँ साहब मुसकराए। लाड़ से भरकर बोले, “धत्! पगली ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं।“ खां साहब भारत के सबसे प्रतिष्ठित संगीतकारों में से एक रहे हैं जिन्होंने भारतीय संगीत की समृद्ध परम्पराओं को आगे बढ़ाने का काम किया।

9. मुहर्रम से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर देखेंबिस्मिल्ला खाँ और शहनाई के साथ जिस एक मुस्लिम पर्व का नाम जुड़ा हुआ है, वह मुहर्रम है। वे बताते हैं कि उनके खानदान का कोई व्यक्ति मुहर्रम के दिनों में न तो शहनाई बजाता है, न ही किसी संगीत के कार्यक्रम में शिरकत ही करता है। आठवीं तारीख उनके लिए खास महत्त्व की है। इस दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते हैं व दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए, नौहा बजाते जाते हैं। इस दिन कोई राग नहीं बजता। राग-रागिनियों की अदायगी का निषेध है इस दिन। उनकी आँखें इमाम हुसैन और उनके परिवार के लोगों की शहादत में नम रहती हैं। अजादारी होती है।

10. बिस्मिल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे, तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर देखेंबिस्मिल्ला खाँ साहब को भारतरत्न से लेकर इस देश के ढेरों विश्वविद्यालयों की मानद उपाधियों से अलंकृत किया गया। संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार एवं पद्मविभूषण जैसे सम्मानों से भी नवाजा गया। लेकिन उन्होंने कभी भी सम्मानों को महत्त्व नहीं दिया। वे सदैव कला के प्रति समर्पित रहे। खाँ साहब की सबसे बड़ी देन हमें यही है कि पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा। वे अंत तक खुदा से सच्चा सुर की माँग करते रहे।

भाषा-अध्ययन
11. निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए-
(क) यह जरूर है कि शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं।
(ख) रीड अंदर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को फूँका जाता है।
(ग) रीड नरकट से बनाई जाती है जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है।
(घ) उनको यकीन है, कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा।
(ङ) हिरन अपनी ही महक से परेशान पूरे जंगल में उस वरदान को खोजता है जिसकी गमक उसी में समाई है।
(च) खाँ साहब की सबसे बड़ी देन हमें यही है कि पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा।
उत्तर:

उपवाक्यवाक्यभेद
(क) शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं।संज्ञा आश्रित
(ख) जिसके सहारे शहनाई को फूँका जाता है।विशेषण आश्रित
(ग) जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है।विशेषण आश्रित
(घ) कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा।संज्ञा आश्रित
(ङ) जिसकी गमक उसी में समाई है।विशेषण आश्रित
(च) पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा।संज्ञा आश्रित

12. निम्नलिखित वाक्यों को मिश्रित वाक्यों में बदलिए –
(क) इसी बालसुलभ हँसी में कई यादें बंद हैं।
उत्तर देखेंसरल वाक्य: इसी बालसुलभ हँसी में कई यादें बंद हैं।
मिश्रित वाक्य: जब यह बालसुलभ हँसी सुनाई देती है, तब लगता है कि इसमें कई यादें बंद हैं।

(ख) कशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन और अद्भुत परंपरा है।
उत्तर देखेंसरल वाक्य: काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन और अद्भुत परंपरा है।
मिश्रित वाक्य: काशी में संगीत आयोजन की वह परंपरा प्राचीन और अद्भुत है, जो आज भी लोगों को आकर्षित करती है।

(ग) धत! पगली ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं।
उत्तर देखेंसरल वाक्य: धत! पगली, ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं।
मिश्रित वाक्य: लोग चाहे कुछ भी कहें, पर सच्चाई यह है कि हमें भारतरत्न शहनई की वजह से मिला है, न कि लुंगी पहनने की वजह से।

(घ) काशी का नायाब हीरा हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।
उत्तर देखेंसरल वाक्य: काशी का नायाब हीरा हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।
मिश्रित वाक्य: काशी का वह नायाब हीरा ही है, जो हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा है।

पाठेतर सक्रियता
• कल्पना कीजिए कि आपके विद्यालय में किसी प्रसिद्ध संगीतकार के शहनाई वादन का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम की सूचना देते हुए बुलेटिन बोर्ड के लिए नोटिस बनाइए।
उत्तर देखेंविद्यालय सूचना पट
तिवारी माध्यमिक अकादमी
नोटिस
तिथि: 14 अक्टूबर 2025
स्थान: विद्यालय का सभागार
सभी छात्र-छात्राओं को सूचित किया जाता है कि हमारे विद्यालय में एक विशेष संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसमें प्रसिद्ध संगीतकार वान्या शुक्ला द्वारा शहनाई वादन प्रस्तुत किया जाएगा।
तारीख: 20 अक्टूबर 2025
समय: प्रातः 10:00 बजे
स्थान: विद्यालय का मुख्य सभागार
सभी छात्र-छात्राएँ समय पर पहुँचकर इस अनूठे कार्यक्रम का आनंद लें और भारतीय शास्त्रीय संगीत की इस अद्भुत धरोहर से परिचित हों।
प्राचार्य
(तिवारी माध्यमिक अकादमी)

• आप अपने मनपसंद संगीतकार के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर देखेंमेरे प्रिय संगीतकार – ए. आर. रहमान
मेरे प्रिय संगीतकार ए. आर. रहमान हैं। वे भारतीय फिल्म संगीत के जादूगर माने जाते हैं। रहमान जी का संगीत सुनते ही मन में उत्साह और शांति दोनों का अनुभव होता है। उनकी धुनों में भारतीय शास्त्रीय संगीत और आधुनिक तकनीक का अद्भुत संगम दिखाई देता है। उन्होंने कई भाषाओं में काम किया है और भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में प्रसिद्धि प्राप्त की है। उन्हें ऑस्कर पुरस्कार, ग्रैमी अवार्ड और पद्मभूषण जैसे सम्मान भी मिले हैं। उनके गीत जैसे जय हो या वंदे मातरम् आज भी लोगों को देशभक्ति और प्रेरणा से भर देते हैं। मुझे ए. आर. रहमान इसलिए अच्छे लगते हैं क्योंकि वे संगीत को केवल मनोरंजन नहीं बल्कि लोगों को जोड़ने का माध्यम मानते हैं।

• हमारे साहित्य, कला, संगीत और नृत्य को समृद्ध करने में काशी (आज के वाराणसी) के योगदान पर चर्चा कीजिए।
उत्तर देखेंबनारस अपनी संगीत परंपरा गायन एवं वादन दोनों के लिए और ख्यातिलब्ध संगीतकारों के लिए मशहूर रहा है. बनारस घराने की अपनी खुद की नृत्य एवं गीत परंपरा है। इसे लोक संगीत और नाटक (विशेष रामलीला) का एक बहुत समृद्ध भण्डार है।

• काशी का नाम आते ही हमारी आँखों के सामने काशी की बहुत-सी चीजें उभरने लगती हैं, वे कौन-कौन सी हैं?
उत्तर देखेंकाशी संस्कृति की पाठशाला है। शास्त्रों में आनंदकानन के नाम से प्रतिष्ठित। काशी में कलाधर हनुमान व नृत्य-विश्वनाथ हैं। काशी में बिस्मिल्ला खाँ हैं। काशी में हजारों सालों का इतिहास है जिसमें पंडित कंठे महाराज हैं, विद्याधरी हैं, बड़े रामदास जी हैं, मौजुद्दीन खाँ हैं व इन रसिकों से उपकृत होने वाला अपार जन-समूह है।

कक्षा 10 हिंदी क्षितिज अध्याय 11 अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर

अमीरुद्दीन का जन्म कहाँ हुआ?
उत्तर देखेंडुमराँव, बिहार में एक संगीत प्रेमी परिवार में। वह 5-6 वर्ष बाद काशी (ननिहाल) आया।

शहनाई की रीड किससे बनती है?
उत्तर देखेंनरकट (एक प्रकार की घास) से, जो डुमराँव में सोन नदी के किनारे पाई जाती है।

बिस्मिल्ला खाँ के मामा कौन थे?
उत्तर देखेंसादिक हुसैन और अलीबख्श, जो जाने-माने शहनाई वादक थे और रियासतों के दरबार में बजाते थे।

काशी में बिस्मिल्ला खाँ को संगीत की प्रेरणा किससे मिली?
उत्तर देखेंरसूलनबाई और बतूलनबाई से, जिनके ठुमरी, टप्पे व दादरा सुनकर उन्हें आरंभिक आसक्ति मिली।

शहनाई को किस उपाधि से सम्मानित किया गया?
उत्तर देखें‘शाहेनय’ (सुषिर वाद्यों में शाह) कहा जाता है, क्योंकि यह फूँककर बजाए जाने वाले वाद्यों में श्रेष्ठ है।

मुहर्रम के दौरान बिस्मिल्ला खाँ क्या करते थे?
उत्तर देखेंआठवीं तारीख को खड़े होकर शहनाई बजाते, दालमंडी से फातमान तक पैदल नौहा बजाते व रोते हुए जाते।

बालाजी मंदिर में रोज क्या होता था?
उत्तर देखेंड्योढ़ी पर शहनाई बजाकर मुलतानी, कल्याण, ललित व भैरव जैसे रागों से दिन की शुरुआत होती थी।

बिस्मिल्ला खाँ की दैनिक कमाई क्या थी?
उत्तर देखेंबालाजी मंदिर में शहनाई बजाने पर एक अठन्नी (छह पैसे) मिलती थी।

संकटमोचन मंदिर में क्या आयोजन होता था?
उत्तर देखेंहनुमान जयंती पर पाँच दिनों तक शास्त्रीय व उपशास्त्रीय गायन-वादन की उत्कृष्ट सभा होती थी।

बिस्मिल्ला खाँ काशी से बाहर रहते हुए क्या करते थे?
उत्तर देखेंविश्वनाथ मंदिर व बालाजी की दिशा की ओर मुँह करके शहनाई का प्याला घुमाते थे।

बिस्मिल्ला खाँ के बचपन का पसंदीदा शौक क्या था?
उत्तर देखेंसुलोचना की फिल्में देखना और कुलसुम हलवाइन की घी वाली कचौड़ी खाना।

शहनाई को किस श्रेणी में रखा जाता है?
उत्तर देखेंसुषिर वाद्य (फूँककर बजाए जाने वाले वाद्य) की श्रेणी में, जिसका वैदिक इतिहास में उल्लेख नहीं मिलता।

अमीरुद्दीन के नाना कहाँ शहनाई बजाते थे?
उत्तर देखेंपंचगंगा घाट स्थित बालाजी मंदिर की ड्योढ़ी पर, जहाँ उनका खानदानी पेशा था।

बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई की रीड कितनी देर में गीली हो जाती थी?
उत्तर देखें15-20 मिनट के अंदर, जिसके बाद वे दूसरी रीड का इस्तेमाल करते थे।

बिस्मिल्ला खाँ को भारतरत्न क्यों मिला?
उत्तर देखेंशहनाई कला में असाधारण योगदान, 80 वर्षों तक सुरों की इबादत करने व सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देने के लिए।

कक्षा 10 हिंदी क्षितिज अध्याय 11 लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर

बिस्मिल्ला खाँ का बचपन काशी में कैसे बीता?
उत्तर देखेंवे रोज बालाजी मंदिर के नौबतखाने में रियाज करते थे। रास्ते में रसूलनबाई-बतूलनबाई का गाना सुनते, फिल्में देखने जाते और कुलसुम की कचौड़ियाँ खाते। उनकी कमाई (एक अठन्नी) फिल्म टिकट व स्वादिष्ट खाने पर खर्च होती थी।

डुमराँव का शहनाई से क्या संबंध है?
उत्तर देखेंडुमराँव सोन नदी के किनारे नरकट घास का स्रोत है, जिससे शहनाई की रीड बनती है। बिस्मिल्ला खाँ का जन्म यहीं हुआ और यह स्थान शहनाई वादन के लिए आवश्यक कच्चे माल व कलाकारों की परंपरा का केंद्र रहा है।

काशी की संस्कृति में बिस्मिल्ला खाँ का क्या योगदान था?
उत्तर देखेंउन्होंने शहनाई को विश्वविख्यात बनाया और काशी की गंगा-जमुनी तहजीब को मजबूत किया। मुहर्रम व होली जैसे त्योहारों में उनकी भागीदारी ने सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश दिया। वे काशी को “जन्नत” मानते थे।

मुहर्रम पर बिस्मिल्ला खाँ के रिवाज क्या थे?
उत्तर देखेंवे शोक के दस दिनों में शहनाई नहीं बजाते थे। आठवीं तारीख को खड़े होकर दालमंडी से फातमान तक नौहा बजाते व रोते हुए पैदल चलते थे। इस दिन राग-रागिनियों का निषेध था।

बिस्मिल्ला खाँ की साधना कैसी थी?
उत्तर देखें80 वर्षों तक उन्होंने सच्चे सुर की तलाश में प्रार्थना की। नमाज के बाद सजदे में गिड़गिड़ाते: “मेरे मालिक एक सुर बख्श दे!” उनका मानना था कि संगीत ईश्वर की इबादत है।

काशी में संगीत की क्या परंपरा रही है?
उत्तर देखेंकाशी “आनंदकानन” कहलाती है, जहाँ संकटमोचन मंदिर में हनुमान जयंती पर पाँच दिवसीय संगीत समारोह होता है। यहाँ शास्त्रीय व उपशास्त्रीय गायन-वादन की समृद्ध परंपरा रही, जिसमें बिस्मिल्ला खाँ नियमित रूप से शामिल होते थे।

बिस्मिल्ला खाँ की सादगी कैसी थी?
उत्तर देखेंभारतरत्न मिलने के बाद भी वे फटी तहमद पहनते थे। उनका कहना था: “भारतरत्न शहनाई पे मिला है, लुंगिया पे नहीं।” उनकी प्राथमिकता सुर की पूर्णता थी, न कि बाहरी दिखावा।

बचपन में अमीरुद्दीन की संगीत के प्रति रुचि कैसे जगी?
उत्तर देखेंवे छुपकर नाना की शहनाई सुनते थे और रियाज के बाद उनकी “मीठी शहनाई” ढूँढते थे। मामू अलीबख्श के सम पर आने पर पत्थर पटककर ताल देना व रसूलनबाई के गीतों से प्रभावित होना उनकी प्रारंभिक शिक्षा थी।

शहनाई का भारतीय संस्कृति में क्या महत्व है?
उत्तर देखेंयह मंगल वाद्य है, जो विवाह, धार्मिक अनुष्ठानों व प्रभाती में बजाई जाती है। अवधी लोकगीतों व चैती में इसका विशेष उल्लेख है। दक्षिण भारत के नागस्वरम् की तरह यह शुभ घटनाओं का प्रतीक है।

बिस्मिल्ला खाँ के निधन के बाद उनकी विरासत क्या है?
उत्तर देखेंवे 90 वर्ष की आयु में 21 अगस्त 2006 को स्वर्गवासी हुए। उनकी सबसे बड़ी देन यह है कि उन्होंने 80 वर्षों तक सुरों की निरंतर साधना की और संगीत को धर्म-संप्रदाय से ऊपर रखकर भारतीय एकता का संदेश दिया।

कक्षा 10 हिंदी क्षितिज अध्याय 11 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर

बिस्मिल्ला खाँ के जीवन में काशी के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर देखेंकाशी बिस्मिल्ला खाँ के जीवन व कला का केंद्र थी। यहाँ उनके नाना व मामाओं ने बालाजी मंदिर में शहनाई बजाई। काशी की संस्कृति—गंगा, विश्वनाथ मंदिर, संकटमोचन का संगीत समारोह, रसूलनबाई का गायन और पक्का महाल की कचौड़ियाँ—उनकी कला को पोषित करती थी। वे काशी को “जन्नत” कहते थे और बाहर रहते हुए भी मंदिरों की दिशा में शहनाई घुमाते थे। उनके लिए काशी धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक थी, जहाँ मुहर्रम का ताजिया और होली का गुलाल साथ-साथ मनाया जाता था।

शहनाई के विकास में बिस्मिल्ला खाँ के योगदान का वर्णन करें।
उत्तर देखेंबिस्मिल्ला खाँ ने शहनाई को लोक वाद्य से उठाकर शास्त्रीय संगीत के मंच तक पहुँचाया। उन्होंने इसमें रागों की परंपरा को समृद्ध किया और मुहर्रम जैसे अवसरों पर इसकी भावपूर्ण अभिव्यक्ति को नया आयाम दिया। उनकी फूँक में अजान की तासीर होती थी, जिससे शहनाई डेढ़ सतक से दो सतक की सरताज बन गई। उन्होंने इस वाद्य को भारतरत्न जैसा सम्मान दिलवाया और सिद्ध किया कि शहनाई मांगलिक अवसरों से आगे बढ़कर सार्वभौमिक कला का माध्यम बन सकती है।

बिस्मिल्ला खाँ की कला में धार्मिक एकता कैसे झलकती है?
उत्तर देखेंबिस्मिल्ला खाँ गहरे मुस्लिम थे, पर उनकी कला में हिंदू-मुस्लिम सद्भाव स्पष्ट था। वे विश्वनाथ मंदिर की दिशा में शहनाई घुमाते, बालाजी मंदिर में रोज बजाते और हनुमान जयंती के समारोह में भाग लेते। मुहर्रम पर वे इमाम हुसैन की शहादत पर रोते, तो होली पर अबीर-गुलाल में शामिल होते। उनके लिए संगीत भक्ति थी—नमाज में वे सुर की दुआ माँगते और शहनाई में गंगा मइया का गुणगान करते। यही कारण है कि वे भारतीय एकता के प्रतीक बने।

पाठ के आधार पर बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की तीन विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर देखेंसादगी एवं समर्पण: भारतरत्न मिलने के बाद भी फटी तहमद पहनना जारी रखा, क्योंकि उनका मानना था कि सम्मान शहनाई के लिए है, उनके कपड़ों के लिए नहीं।
सांस्कृतिक समन्वय: काशी की गंगा-जमुनी संस्कृति को जिया—मंदिरों में शहनाई बजाई, मुहर्रम में नौहा गाया और होली में रंग खेला।
अथक साधना: 80 वर्षों तक सुर की पूर्णता के लिए प्रयासरत रहे। नमाज में भी सच्चे सुर की दुआ माँगते थे और रोजाना घंटों रियाज करते थे।

“नौबतखाने में इबादत” पाठ का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर देखेंयह पाठ बिस्मिल्ला खाँ के जीवन के माध्यम से तीन प्रमुख संदेश देता है:
कला निरंतर साधना माँगती है: बिस्मिल्ला खाँ ने 80 वर्षों तक सुर की तलाश में अपनी कला को समर्पित किया।
धर्मनिरपेक्षता भारत की आत्मा है: उन्होंने शहनाई को मंदिर-मस्जिद, होली-मुहर्रम से जोड़कर सांप्रदायिक एकता का उदाहरण प्रस्तुत किया।
सादगी महानता का आधार है: भारतरत्न जैसे सम्मानों के बावजूद उनकी फटी लुंगिया और कचौड़ी का प्रेम उन्हें जनसाधारण से जोड़ता था।
अंततः, यह पाठ बताता है कि सच्ची कला और मानवीय मूल्य ही इतिहास में अमर होते हैं।