एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 हिंदी कृतिका अध्याय 3 मैं क्यों लिखता हूँ
कक्षा 10 हिंदी कृतिका अध्याय 3 मैं क्यों लिखता हूँ? के NCERT समाधान (सत्र 2025-26) छात्रों के लिए लाभदायक अध्ययन सामग्री हैं। पाठ के सभी प्रश्नों के हल सरल शब्दों में उपलब्ध हैं। इनसे विद्यार्थी पाठ को आसानी से समझ सकते हैं। सभी हल सत्र 2025-26 के नवीनतम पाठ्यक्रम के अनुसार तैयार किए गए हैं। ये समाधान अनुभवी शिक्षकों द्वारा तैयार किए गए हैं। परीक्षा की तैयारी के लिए ये बहुत सहायक हैं।
कक्षा 10 हिंदी कृतिका अध्याय 3 के प्रश्न उत्तर
1. लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है, क्यों?
उत्तर देखेंप्रत्यक्ष अनुभव की तुलना में अनुभूति (अंतर्मन से महसूस करने की क्षमता) लेखक के हृदय के सारे भावों को बाहर निकालने में उसकी सहायता करती है। प्रत्यक्ष अनुभव सामने घटित घटना का होता है। जबकि अनुभूति संवेदना और कल्पना को साकार कर देती है। लेखक के अनुसार जब तक हृदय में अनुभूति न जागे लेखन का कार्य करना संभव नहीं है क्योंकि यही हृदय में संवेदना जागृत करती है और लेखन के लिए मजबूर करती देती है। यही कारण है कि लेखन के लिए लेखक प्रत्यक्ष अनुभव की तुलना में अनुभूति को अधिक महत्व देता है।
2. लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया?
उत्तर देखेंलेखक एक बार जापान गया और उसे हिरोशिमा जहाँ अणु बम ने सब कुछ तबाह कर दिया था जाने का मौका मिला। हिरोशिमा में घूमते हुए जब लेखक ने उस जले पत्थर को देखा जिसपर रेडियोधर्मी किरणों की वजह से एक इंसान की उजली तस्वीर छपी हुई थी। इसको देखकर लेखक को एहसास हुआ कि वो विस्फोट कितना भयंकर रहा होगा जिसमें इंसान तो क्या पत्थर भी जल गया। उसके अंतर्मन में संवेदना का संचार हुआ और स्वयं में घटना की अनुभूति का एहसास करने लगा। उस अनुभूति ने लेखक को हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता बना दिया।
3. मैं क्यों लिखता हूँ? के आधार पर बताइए कि-
(क) लेखक को कौन-सी बातें लिखने के लिए प्रेरित करती हैं?
उत्तर देखें(क) लेखक स्वयं जानना चाहता है कि वह क्यों लिखता है। यही आंतरिक विवशता उसे लिखने के लिए प्रेरित करती है। आंतरिक संवेदना और अनुभूति उसे लिखने के लिए प्रेरित करती है। अंतर्मन की विवशता से मुक्ति पाने की इच्छा ही उसे लिखने के लिए प्रेरित करती है।
(ख) किसी रचनाकार के प्रेरणा स्रोत किसी दूसरे को कुछ भी रचने के लिए किस तरह उत्साहित कर सकते हैं?
उत्तर देखेंनिश्चित रूप से किसी रचनाकार के प्रेरणा स्रोत किसी दूसरे को कुछ भी रचने के लिए उत्साहित कर सकते हैं। पाठ के अनुसार हम देख सकते हैं कि लेखक के लेखन के प्रेरणास्रोत ब्रह्मपुत्र नदी में सैनिकों द्वारा बम मारकर हजारों मच्छलियों का संहार करना वैसा ही था जैसे हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराकर हजारों इंसानों की हत्या की गई। इन घटनाओं अनुभूति और संवेदना लेखक को लिखने के लिए प्रेरित करती है।
4. कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति/स्वयं के अनुभव के साथ-साथ बाह्य दबाव भी महत्त्वपूर्ण होता है। ये बाह्य दबाव कौन-कौन से हो सकते हैं?
उत्तर देखेंरचनाकार के सृजन में बाह्य दबाव कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे:
1. सामाजिक दबाव – समाज की अपेक्षाएँ, परंपराएँ और मूल्य।
2. आर्थिक दबाव – जीविका चलाने के लिए रचना करना।
3. राजनीतिक दबाव – शासन या राजनीतिक परिस्थितियों का प्रभाव।
4. समय और परिस्थितियों का दबाव – किसी विशेष अवसर, घटना या दौर के कारण।
5. पाठकों/श्रोताओं की अपेक्षा – जनता के स्वाद और रुचि को ध्यान में रखना।
5. क्या बाह्य दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को ही प्रभावित करते हैं या अन्य क्षेत्रें से जुडे़ कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं, कैसे?
उत्तर देखेंबाह्य दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को ही प्रभावित करते हैं ऐसा नहीं है अन्य क्षेत्रें से जुडे़ कलाकारों को भी बाह्य दबाव प्रभावित करते हैं। जो लोग ख्याति प्राप्त कर लेते हैं उनसे लोगों की अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं। कई बार धन की आवश्यकता का दबाव होता है। इसके अतिरिक्त मान की आकांक्षा भी कार्य करने के लिए विवश कर देती है।
6. हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अंतः व बाह्य दोनों दबाव का परिणाम है यह आप कैसे कह सकते हैं?
उत्तर देखेंहिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अंतः व बाह्य दोनों दबाव का परिणाम है क्योंकि लेखक ने हिरोशिमा में जो दृश्य देखा उससे उसके अंतर्मन में एक अनुभूति का जन्म हुआ। कालांतर में इसी अनुभूति से उपजी संवेदना ने लेखक को कविता लिखने के लिए विवश किया। इस प्रकार कह सकते हैं कि हिरोशिमा के दृश्य ने लेखक पर एक बाह्य दबाव की तरह कार्य किया जबकि अनुभूति और उसका आंतरिक दबाव जिसने उसे लिखने के लिए प्रेरित किया या कह सकते हैं कि विवश किया एक आंतरिक दबाव था।
7. हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग है। आपकी दृष्टि में विज्ञान का दुरुपयोग कहाँ-कहाँ और किस तरह से हो रहा है।
उत्तर देखेंहम कह सकते हैं कि हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग है। लेकिन इंसान ने शायद उससे कोई सबक नहीं लिया। मानव आज भी लगातार विज्ञान का दुरुपयोग कर रहा है। आज दुनिया का हर देश परमाणु अस्त्रों को बनाने की होड़ में शामिल है। तरह-तरह के हथियार बनाए जा रहें हैं जो पहले से ज्यादा घातक हैं। पूरी दुनिया में खून खराबा बढ़ता ही जा रहा है। एसा नहीं ही कि विज्ञान का ये दुरुपयोग केवल मानवता के लिए हानिकारक है इससे दूसरे प्राणियों तथा वनस्पतियों को भी नुकसान पहुँच रहा है। ये संकेत आने वाले भविष्य के लिए सबसे बड़ा खतरा है। विज्ञान की प्रगति का एक तजा उदाहरण मोबाइल फ़ोन है जो वैसे तो बहुत उपयोगी है लेकिन इसके दुष्परिणाम उससे भी खतरनाक हैं। इंसान एकाकी होता जा रहा है, आँखों के यह बहुत नुकसानदायक है। कई बार यह दुर्घटनाओं को भी दावत देता है। इसलिए हमें विज्ञान का उपयोग बहुत सावधानी से करना चाहिए।
8. एक संवेदनशील युवा नागरिक की हैसियत से विज्ञान का दुरुपयोग रोकने में आपकी क्या भूमिका है?
उत्तर देखेंप्रत्येक नागरिक को संवेदनशील होने की जरुरत है तभी विज्ञान के दुरुपयोग से उत्पन्न दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है। एक उदाहरण के माध्यम से इसको समझाने का प्रयास करते हैं। विज्ञान ने जबसे प्लास्टिक का अनुसंधान किया है पॉलिथीन के रूप में उपयोग से ज्यादा उसका दुरुपयोग हुआ है। आज की तारीख में प्रढूशन फैलाने में यह सबसे बड़ा कारक बन चूका है। अतः सबको जागरूक करने की जरुरत है की पॉलिथीन का प्रोयोग न किया जाए। यद्यपि सरकार भी कई बार रोक लगाती है या उपयोग पर जुर्माना भी लगाती है लेकिन यह उपयुक्त समाधान नहीं है। लोग सजग रूप से इसका बहिष्कार करेंगे तभी इस समस्या से निजात मिल पायेगी। विज्ञान का उपयोग यथासंभव मानवता की भलाई के लिए ही करें, मनुष्यों के विनाश के लिए नहीं।
कक्षा 10 हिंदी कृतिका अध्याय 3 के अतिरिक्त प्रश्न उत्तर
1. लेखक ने बाहरी दबावों की तुलना किससे की?
उत्तर देखेंलेखक ने बाहरी दबाव की तुलना अलार्म घड़ी से की है, जैसे सुबह किसी की नींद खुल जाए लेकिन वह तब तक नहीं उठता जब तक कि घड़ी का अलार्म नहीं बजता। यही हाल कुछ रचनाकारों का होता होता है जब तक बाहरी दबाव न हो तो वे कुछ लिखते नहीं हैं। कहने का मतलब यह है कि ऐसे रचनाकार बिना बाहरी दबाव के लिख ही नहीं सकते।
2. लेखक ने स्वयं के लिखने का कारण क्या बताया?
उत्तर देखेंलेखन के पीछे लेखक ने अपनी आंतरिक विवशता से मुक्त होने का कारण बताया। वह अपनी आंतरिक विवशता से मुक्त होने उसे देखने और पहचानने के लिए लिखता है। लिखकर ही वह स्वयं को मुक्त कर पता है।
3. लेखक ने अणु-बम द्वारा होने वाले व्यर्थ जीव-नाश का अनुभव कैसे किया?
उत्तर देखेंलेखक ने युद्ध के समय अनुभव किया कि सैनिक ब्रह्मपुत्र नदी में बम फेंककर हजारों मच्छ्लियाँ मार रहे थे। उनकी जरुरत कुछ ही मच्छलियों की थी, लेकिन वे बम फेंककर हजारों जीवों को नष्ट कर रहे थे।यह देखकर ही लेखक ने अनुभव किया कि अणु बम के द्वारा भी ऐसे ही असंख्य लोगों को व्यर्थ ही मारा जा रहा है। जापान के हिरोशिमा में गिराया गया अणु-बम इसका स्पष्ट उदाहरण है।
4. लेखक ने ‘हिरोशिमा’ कविता कहाँ लिखी? यह कब प्रकाशित हुई?
उत्तर देखेंलेखक जब जापान गया तो उसने हिरोशिमा को भी देखा तथा वहां हुए विनाश की अनुभूति से लेखक का हृदय उद्धेलित हो उठा। उसका मन लिखने के लिए विवश हो उठा। लेखक जब जापान से वापस भारत आ गया तो एक दिन रेलगाड़ी में बैठे हुए यह कविता लिखी। यह कविता सन 1959 में प्रकाशित हुई।
5. लेखक ने किन बाहरी दबावों का वर्णन किया है जो रचनाकार को लिखने के लिए विवश करते हैं।
उत्तर देखेंलेखक ने यह तर्क सभी रचनाकारों के लिए नहीं प्रकट किया लेकिन कुछ रचनाकार बाहरी दबाव को महसूस करते हैं और उसके पीछे कुछ कारण भी होते हैं। यह ठीक है कि कुछ ख्याति मिल जाने के बाद कुछ बाहर की विवशता से भी लिखा जाता है जैसे- संपादकों के आग्रह से, प्रकाशक के तकाजे से, आर्थिक आवश्यकता से।
कक्षा 10 हिंदी कृतिका अध्याय 3 अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
लेखक के अनुसार “मैं क्यों लिखता हूँ?” प्रश्न का सच्चा उत्तर किससे संबंधित है?
उत्तर देखेंलेखक के आंतरिक जीवन के स्तरों से।
लेखक लिखने का एक प्रमुख कारण क्या बताता है?
उत्तर देखेंस्वयं यह जानने के लिए कि वह क्यों लिखता है।
लिखकर लेखक किससे मुक्त हो जाता है?
उत्तर देखेंअपनी आभ्यंतर विवशता (आंतरिक दबाव) से।
“कृतिकार” और सामान्य “लेखक” में क्या अंतर है?
उत्तर देखेंसभी लेखक कृतिकार नहीं होते, न ही उनका सारा लेखन कृति होता है।
बाहरी विवशताएँ लिखने के लिए कौन-से कारण हो सकते हैं?
उत्तर देखेंसंपादकों का आग्रह, प्रकाशक का तकाज़ा, या आर्थिक आवश्यकता।
कृतिकार बाहरी दबाव को किस रूप में उपयोग करता है?
उत्तर देखेंएक सहायक यंत्र के रूप में, ताकि भौतिक यथार्थ से संबंध बना रहे।
हिरोशिमा पर कविता लिखने से पहले लेखक के पास किस चीज़ की “कसर” थी?
उत्तर देखेंअनुभूति-प्रत्यक्ष (अनुभव नहीं, बल्कि आत्मसात् की गई संवेदना) की।
हिरोशिमा में लेखक ने पत्थर पर क्या देखा जिसने उसे प्रभावित किया?
उत्तर देखेंएक जले हुए पत्थर पर एक लंबी उजली छाया (विस्फोट में नष्ट हुए व्यक्ति की छाप)।
लेखक ने हिरोशिमा पर कविता कहाँ लिखी?
उत्तर देखेंभारत लौटकर, रेलगाड़ी में बैठे-बैठे।
लेखक के अनुसार “अनुभव” और “अनुभूति” में क्या अंतर है?
उत्तर देखेंअनुभव घटित का होता है, जबकि अनुभूति संवेदना और कल्पना से सत्य को आत्मसात् कर लेती है।
रेडियम-धर्मी पदार्थों के दुष्प्रभाव का प्रत्यक्ष अनुभव लेखक को कहाँ हुआ?
उत्तर देखेंजापान के हिरोशिमा शहर में एक अस्पताल में।
लेखक के अनुसार कविता की सफलता का मापदंड क्या है?
उत्तर देखेंवह “सच” होनी चाहिए, यानी अनुभूति-प्रसूत (अनुभूति से जन्मी)।
बाहरी दबाव के बावजूद, कृतिकार कैसे ईमानदार रहता है?
उत्तर देखेंवह भेद बनाए रखता है कि कौन-सा लेखन आंतरिक प्रेरणा से है और कौन-सा बाहरी दबाव से।
लेखक ने अणु-बम के प्रभाव का “आंशिक अनुभव” कहाँ किया था?
उत्तर देखेंभारत की पूर्वी सीमा पर, जहाँ सैनिकों ने ब्रह्मपुत्र नदी में मछलियों का व्यर्थ नाश किया था।
पत्थर पर छाया देखकर लेखक को क्या अनुभूति हुई?
उत्तर देखेंअणु-विस्फोट उसकी अनुभूति-प्रत्यक्ष में आ गया; वह स्वयं उस ट्रेजडी का “भोक्ता” बन गया।
कक्षा 10 हिंदी कृतिका अध्याय 3 लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
लेखक के अनुसार “अनुभव” और “अनुभूति” में क्या अंतर है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर देखेंअनुभव वास्तविक घटनाओं का बाह्य ज्ञान है, जैसे हिरोशिमा जाना या अस्पताल देखना। अनुभूति संवेदना और कल्पना द्वारा उस सत्य को आत्मसात करने की प्रक्रिया है, जो प्रत्यक्ष नहीं घटा। यह कृतिकार के लिए गहरी व आंतरिक प्रक्रिया है, जो रचना का मूल आधार बनती है।
लेखक “आंतरिक विवशता से मुक्ति” को लेखन का कारण क्यों मानता है? पाठ के आधार पर समझाइए।
उत्तर देखेंलेखक कहता है कि लेखन भीतरी दबाव को पहचानने और उससे मुक्त होने का साधन है। जब तक अनुभूति को लिखित रूप नहीं दिया जाता, वह विवशता बनी रहती है। लिखकर ही वह उसे तटस्थ होकर समझ पाता है और उसके प्रभाव से मुक्त हो जाता है।
बाहरी दबाव (जैसे संपादक का आग्रह) कब कृतिकार के लिए सहायक यंत्र बन जाता है?
उत्तर देखेंजब बाहरी दबाव भीतरी विवशता को व्यक्त करने का निमित्त (साधन) बन जाए। कृतिकार उसे भौतिक यथार्थ से जोड़ने वाला सहारा मानकर काम में लेता है, न कि समर्पण करता है। कुछ आलसी लेखकों के लिए यही दबाव उनकी आंतरिक प्रेरणा को जगाने का माध्यम बन जाता है।
हिरोशिमा के जले पत्थर पर छाया देखकर लेखक के मन में क्या बदलाव आया?
उत्तर देखेंउस छाया ने समूची त्रासदी को साकार कर दिया। लेखक को लगा कि विस्फोट का इतिहास उसके भीतर “जलते सूर्य-सा” उग आया। इससे अनुभूति-प्रत्यक्ष हुआ—वह स्वयं घटना का भोक्ता बन गया। यही आंतरिक विवशता हिरोशिमा कविता के जन्म का कारण बनी।
“सभी लेखक कृतिकार नहीं होते”—लेखक इस कथन से क्या समझाना चाहता है?
उत्तर देखेंकृतिकार वह है जिसका लेखन आंतरिक विवशता से उपजा हो, न कि बाहरी दबाव से। सामान्य लेखक संविदा, आर्थिकता या सतही प्रेरणा से लिख सकता है, पर कृतिकार की रचना अनुभूति-प्रसूत होती है। वह हमेशा इन दोनों के भेद के प्रति ईमानदार रहता है।
“आंतरिक विवशता” लेखन का मूल कारण क्यों है? पाठ के संदर्भ में स्पष्ट करें।
उत्तर देखेंलेखक के अनुसार, आंतरिक विवशता वह अदृश्य दबाव है जो अनुभूति को अभिव्यक्ति के लिए विवश करता है। जब तक वह भावना लिखित रूप नहीं पाती, लेखक उससे मुक्त नहीं हो पाता। लिखकर वह उस विवशता को पहचानता है, उससे तटस्थ होता है और मानसिक शांति प्राप्त करता है। यही सृजन का वास्तविक उद्देश्य है।
हिरोशिमा की घटना पर कविता लिखने में लेखक को क्यों विलंब हुआ? विस्तार से समझाएँ।
उत्तर देखेंलेखक ने हिरोशिमा का ऐतिहासिक अध्ययन किया, अस्पताल देखा, परंतु “अनुभूति-प्रत्यक्ष” की कमी थी। जले पत्थर पर छाया देखकर उसे समझ आया कि त्रासदी का सत्य संवेदना में उतरा है। तब वह विवशता जागी। कविता तुरंत न लिख पाना इसका प्रमाण है कि अनुभूति को परिपक्व होने में समय लगता है।
“अनुभव” और “अनुभूति-प्रत्यक्ष” में अंतर स्पष्ट करते हुए बताएँ कि कृतिकार के लिए कौन अधिक महत्त्वपूर्ण है और क्यों?
उत्तर देखेंअनुभव बाह्य घटनाओं का साक्षात्कार है (जैसे हिरोशिमा जाना), जबकि अनुभूति-प्रत्यक्ष संवेदना द्वारा उस सत्य को आत्मसात करना है जो प्रत्यक्ष नहीं घटा। कृतिकार के लिए दूसरा अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि वही रचना को सच्चाई और गहराई देता है। जले पत्थर की छाया से लेखक को यही प्रत्यक्ष हुआ, जो ऐतिहासिक तथ्यों से नहीं मिल सका।
बाहरी दबाव (जैसे आर्थिक आवश्यकता) और आंतरिक विवशता में कृतिकार कैसे भेद बनाए रखता है?
उत्तर देखेंकृतिकार हमेशा ईमानदारी से यह भेद करता है कि कौन-सा लेखन भीतरी प्रेरणा से उपजा है और कौन-सा बाहरी दबाव से। वह बाहरी कारणों को सहायक यंत्र मानकर उनका उपयोग करता है, पर उनके प्रति समर्पित नहीं होता। कुछ आलसी लेखकों के लिए यही दबाव भीतरी विवशता को जगाने का माध्यम बन जाता है, पर मूल भेद बना रहता है।
“कृतिकार” और “लेखक” में अंतर स्पष्ट करते हुए बताएँ कि लेखक के अनुसार सच्ची कृति की पहचान क्या है?
उत्तर देखेंसभी लेखक कृतिकार नहीं होते। कृतिकार वह है जिसकी रचना आंतरिक विवशता से उपजी हो, जबकि सामान्य लेखक बाहरी दबाव में भी लिख सकता है। सच्ची कृति की पहचान यह है कि वह “अनुभूति-प्रसूत” हो—अनुभव नहीं, बल्कि संवेदना द्वारा आत्मसात किए गए सत्य से जन्मी हो। हिरोशिमा कविता इसी कसौटी पर खरी उतरी।
कक्षा 10 हिंदी कृतिका अध्याय 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर
“मैं क्यों लिखता हूँ?” के संदर्भ में ‘आंतरिक विवशता’ की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। यह लेखक को लेखन के लिए कैसे प्रेरित करती है?
उत्तर देखें‘आंतरिक विवशता’ एक अदृश्य मानसिक दबाव है, जो अनुभूतियों को अभिव्यक्ति के लिए विवश करता है। लेखक के अनुसार, यह भावना तब तक उसे अशांत करती है जब तक वह लिखित रूप नहीं लेती। लेखन इस विवशता को पहचानने और उससे मुक्त होने का साधन है। जब लेखक लिखता है, तो वह तटस्थ होकर अपनी भावनाओं का विश्लेषण कर पाता है। इस प्रक्रिया में वह उस दबाव को समझता है जो उसे लिखने के लिए बाध्य करता है, और फिर उसके प्रभाव से मुक्त हो जाता है। यही आत्ममुक्ति उसे लेखन की ओर प्रेरित करती है।
“कृतिकार” और “सामान्य लेखक” में क्या अंतर है? पाठ के उदाहरणों सहित समझाइए।
उत्तर देखेंकृतिकार वह है जिसका लेखन आंतरिक विवशता से उपजा होता है। उसकी रचना अनुभूति-प्रसूत होती है, जैसे हिरोशिमा पर लेखक की कविता। वह बाहरी दबाव (जैसे आर्थिक आवश्यकता) और आंतरिक प्रेरणा के भेद को ईमानदारी से बनाए रखता है। सामान्य लेखक बाहरी कारणों से लिख सकता है—संपादक का आग्रह, प्रकाशक का दबाव या ख्याति की चाह। लेखक स्पष्ट करता है कि सभी लेखक कृतिकार नहीं होते, न ही उनका हर लेखन ‘कृति’ होता है। कृतिकार की पहचान उसकी आत्मानुशासन और स्वभाव से होती है, जो उसे बाहरी दबावों को केवल “सहायक यंत्र” मानने देती है।
“अनुभव” और “अनुभूति-प्रत्यक्ष” में अंतर स्पष्ट करते हुए बताइए कि हिरोशिमा पर कविता लिखने के लिए लेखक को दूसरी क्यों आवश्यक थी?
उत्तर देखेंअनुभव घटित घटनाओं का बाह्य ज्ञान है। जैसे—हिरोशिमा जाना, अस्पताल देखना या अणु-बम के ऐतिहासिक प्रभाव पढ़ना। अनुभूति-प्रत्यक्ष संवेदना और कल्पना द्वारा उस सत्य को आत्मसात करना है जो प्रत्यक्ष नहीं घटा। लेखक ने हिरोशिमा का अनुभव होने पर भी तुरंत कविता नहीं लिखी, क्योंकि उसमें “अनुभूति-प्रत्यक्ष की कसर” थी। जब उसने जले पत्थर पर उजली छाया देखी, तो वह ट्रेजडी उसकी संवेदना में समा गई। उसे लगा कि वह स्वयं विस्फोट का “भोक्ता” बन गया है। यही गहन अनुभूति कविता का आधार बनी। बौद्धिक ज्ञान या प्रत्यक्ष अनुभव रचना के लिए पर्याप्त नहीं थे।
बाहरी दबाव (जैसे संपादक का आग्रह) कृतिकार के लेखन को कैसे प्रभावित करते हैं? पाठ में दी गई “अलार्म घड़ी” उपमा के साथ समझाइए।
उत्तर देखेंबाहरी दबाव कृतिकार के लिए द्वितीयक प्रेरणा हैं। लेखक के अनुसार, संपादक का आग्रह, प्रकाशक का तकाजा या आर्थिक आवश्यकता कभी-कभी भीतरी उन्मेष का निमित्त बन जाते हैं। वे इन्हें “सहायक यंत्र” की तरह उपयोग करता है ताकि भौतिक यथार्थ से संबंध बना रहे। “अलार्म घड़ी” उपमा इसकी सटीक व्याख्या करती है: जिस प्रकार कोई व्यक्ति नींद में जागने पर भी तब तक बिस्तर पर पड़ा रहता है जब तक अलार्म न बजे, वैसे ही कुछ आलसी लेखक बाहरी दबाव के बिना नहीं लिख पाते। यह दबाव उनकी आंतरिक विवशता को जगाने का बहाना बन जाता है। परंतु सच्चा कृतिकार इनके प्रति “समर्पित” नहीं होता, बल्कि उन्हें नियंत्रित करता है।
हिरोशिमा के जले पत्थर पर छाया देखकर लेखक की अनुभूति में क्या परिवर्तन आया? यह अनुभूति ‘अणु-बम’ पर कविता के जन्म का आधार कैसे बनी?
उत्तर देखेंजले पत्थर पर मानव-आकृति की उजली छाया देखकर लेखक को समझ आया कि यह विस्फोट में वाष्पीकृत हुए व्यक्ति की छाप है। इसने उसके भीतर एक “जलते सूर्य-सा” प्रकाश उत्पन्न किया। वह क्षण उसके लिए “अनुभूति-प्रत्यक्ष” बन गया—ऐसा लगा मानो वह स्वयं हिरोशिमा की त्रासदी का साक्षी और भोक्ता बन गया हो। यह अनुभूति बौद्धिक ज्ञान (विज्ञान की शिक्षा) या प्रत्यक्ष अनुभव (अस्पताल देखना) से कहीं गहरी थी। इसने उसकी संवेदना को झकझोर दिया और एक आंतरिक विवशता पैदा की। यही विवशता भारत लौटते समय रेलगाड़ी में कविता के रूप में फूट पड़ी। लेखक के लिए इस कविता का महत्व उसकी साहित्यिक गुणवत्ता नहीं, बल्कि उसकी “सच्चाई” (अनुभूति-प्रसूत होना) था।