हिंदी व्याकरण अध्याय 6 विशेषण

हिंदी व्याकरण अध्याय 6 विशेषण तथा विशेषण के प्रकार उदाहरण सहित यहाँ दिए गए हैं। विशेषण शब्द वह है जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता, गुण, अवस्था आदि का वर्णन करते हैं।

हिंदी व्याकरण – विशेषण

संज्ञा या सर्वनाम क़ो उसकी विशेष बात से दर्शाना या उसकी विशेषता बताना विशेषण कहलाता है।


विशेषण की व्यापक परिभाषा
“संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाने वाले शब्दों को विशेषण कहते है।” विशेषण का शाब्दिक अर्थ है: विशेषता बताना। विशेषण एक विकारी शब्द है। विशेषण शब्द वह विकारी शब्द है, जिससे संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की विशेषता पता चलती है। जिस प्रकार से हम किसी भी व्यक्ति या वस्तु का नाम लेने से पहले उस वस्तु के बारे मे कुछ विशेष बात करते है, तो वह उसकी विशेषता हुई।

उदाहरण: काला कुता, लाल रुमाल, लंबा आदमी, चार केले आदि।
यहां काला, लाल, लंबा, चार विशेषण हैं जो संज्ञा शब्दों की विशेषता बता रहे हैं।
विशेष: विशेषण संज्ञा की व्याप्ति मर्यादित करता है इस उक्ति का अर्थ यह है कि विशेषणरहित संज्ञा से जितनी वस्तुओं का बोध होता है, उनकी संख्या विशेषण के प्रयोग से कम हो जाती है। ‘कुता’ शब्द से जितने प्राणियों का बोध होता है, उतने प्राणियों का बोध ‘काला कुता’ शब्द से नहीं होता। ‘कुता’ शब्द जितना व्यापक है, उतना ‘काला कुता’ शब्द नहीं है। ‘कुता’ शब्द की व्याप्ति (विस्तार) ‘काला’ शब्द से मर्यादित (संकुचित) होती है, अर्थात् ‘कुता’ शब्द अधिक प्राणियों का बोधक है और ‘काला कुता’ शब्द उससे कम प्राणियों का बोधक है।

विशेष्य और प्रविशेषण

जिन संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की विशेषता बताई जाए वे विशेष्य कहलाते है। विशेषण शब्द की भी विशेषता बतलाने वाले शब्द प्रविशेषण कहलाते है।
श्याम सुन्दर बालक है।
उक्त वाक्य में श्याम विशेष्य और सुन्दर विशेषण है।
श्याम बहुत सुन्दर बालक है।
उक्त वाक्य में श्याम विशेष्य, बहुत प्रविशेषण और सुन्दर विशेषण है।
हम नीचे दिए गए उदाहरणों से विशेषण क़ो अच्छे से समझेंगे।
(1) उसका मकान बहुत ऊँचा है।
व्याख्या: यहां मकान की विशेषता ऊँचा होना है।
(2) सुरेश की कमीज बहुत सुंदर है।
व्याख्या: कमीज की सुंदरता के बारे मे बता रहे हैं।
(3) ताजमहल बहुत सुंदर इमारत है।
व्याख्या : यहां ताजमहल की सुंदरता बता रहे है।

विशेषण के भेद
विशेषण मूलतः चार प्रकार के होते है:
(क) सार्वनामिक/संकेतवाचक विशेषण
(ख) गुणवाचक विशेषण
(ग) संख्यावाचक विशेषण
(घ) परिमाणवाचक विशेषण

सार्वनामिक/संकेतवाचक विशेषण

संज्ञा व सर्वनाम की ओर संकेत करने वाले शब्द संकेत वाचक विशेषण कहलाते हैं। सर्वनाम शब्दों का प्रयोग जब किसी संज्ञा के लिए या किसी अन्य सर्वनाम के लिए किया जाये तो उन्हें संकेत वाचक विशेषण कहते हैं। सर्वनाम शब्दों से विशेषण बनने के कारण संकेतवाचक विशेषण को सार्वनामिक विशेषण भी कहा जाता है।
दूसरे शब्दों में सार्वनामिक/संकेतवाचक विशेषण की परिभाषा निम्न है:
जो सर्वनाम शब्द संज्ञा शब्दों से पूर्व प्रयुक्त होकर विशेषण का कार्य करते हैं, उन्हें संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण:
(i) यह कलम राम की है।
(ii) इस पलंग पर सामान ना रखें।
(iii) वह छात्रा रोती है।
(iv) यह लड़का पढ़ने में अच्छा है।
उपरोक्त वाक्यों में यह, इस, वह सार्वनामिक शब्द संज्ञा शब्द की ओर संकेत कर रहे हैं इसलिए इन वाक्यों में ये शब्द विशेषण की तरह प्रयुक्त हो रहे हैं।


सार्वनामिक विशेषण और सर्वनाम में अंतर
यदि इन शब्दों का प्रयोग संज्ञा या सर्वनाम शब्द से पहले हो, तो यह सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं और यदि ये अकेले अर्थात् संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त हों तो सर्वनाम कहलाते हैं।


सार्वनामिक विशेषण के भेद
सार्वनामिक/संकेतवाचक विशेषण चार प्रकार के होते हैं
(1) निश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण
(2) अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण
(3) प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण
(4) संबंधवाचक सार्वनामिक विशेषण

निश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण

जिन सर्वनाम शब्दों से किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थान की निश्चितता का बोध हो वे शब्द निश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। इस सर्वनाम के अंतर्गत ‘यह’ और ‘वह’ आते हैं। ‘यह’ निकट के लिए आता है। ‘वह’ दूर के लिए प्रयुक्त होता है। जैसे: वह मूर्ति, वे मूर्तियां, यह मूर्ति, ये मूर्तियां।
उदाहरण:
यह कलम राम की है।
वह आपको जानता है।
इन दोनों वाक्यों में ’यह’ तथा ’वह’ निश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण हैं।

अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण

जब किसी वाक्य में संज्ञा से पहले ‘कोई’ अथवा ‘कुछ’ सर्वनाम जुड़कर संज्ञा की विशेषता बताए तो उसे अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। यदि किसी वाक्य में संज्ञा से पहले अनिश्चयवाचक सर्वनाम जुड़कर संज्ञा की विशेषता बताता हो तो उसे अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
जैसे: कुछ लाभ, कोई जानवर, कोई व्यक्ति।
उदाहरण:
’कोई आया है।’
इस वाक्य में ‘कोई’ शब्द अनिश्चय की स्थिति पैदा कर रहा है। अतः यहां अनिश्चयात्मक सार्वनामिक विशेषण है।


अनिश्चयात्मक सार्वनामिक विशेषण के कुछ अन्य उदाहरण
वहां देखो कोई आ रहा है।
आज कुछ सामान बाजार से लाना है।
कोई आदमी मिलने आया है।
मुझे कुछ खाना है।
ऊपर के वाक्यों में कोई, कुछ आदि शब्द आ रहे हैं जो अनिश्चय की स्थिति पैदा कर रहे हैं।

प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण

जब किसी वाक्य में संज्ञा से पहले ‘कौन’, ‘क्या’, ‘कब’ अथवा ‘कैसे’ सर्वनाम जुड़कर संज्ञा की विशेषता बताए तो उसे प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण:
क्या मुझे बाजार जाना चाहिए?
क्या मैं क्रिकेट खेल सकता हूँ?
किस लेखक ने यह पुस्तक लिखी है?
कौन दरवाजा खटखटा रहा है?

संबंधवाचक सार्वनामिक विशेषण

ऐसे शब्द जो वाक्य में प्रयुक्त होकर सर्वनाम और संज्ञा शब्दों के संबंधों की विशेषता बताते हैं। उन शब्दों को संबंधवाचक सर्वनाम विशेषण कहते हैं। जैसे: तुम्हारा, हमारा, तेरा, उसका, मेरा, इसका, जिसका, उनका इत्यादि।
उदाहरण:
मेरा नाम सुरेश है।
तुम्हारा भाई मेरे पास आया था।
तुम्हारे पापा कल बाजार में मिले थे।
तुम्हारी पुस्तक मेरे पास है।

गुणवाचक विशेषण

संज्ञा अथवा सर्वनाम के गुण, दोष, रंग, रूप, आकार, स्वभाव, समय, स्थान या दशा आदि का बोध करवाने वाले शब्दों को गुणवाचक विशेषण कहते हैं। गुणवाचक विशेषण का शाब्दिक अर्थ गुण बताने वाला होता है। गुणवाचक विशेषणों की संख्या निश्चित नहीं है।
उदहारण:
राम एक सुन्दर लड़का है।
इंदौर एक स्वच्छ नगर है।
गंगा पवित्र नदी है।
हिमालय सबसे ऊंचा पर्वत है।

गुणवाचक विशेषण के रूप

गुणबोधक
किसी संज्ञा और सर्वनाम शब्द के गुणों को बताने वाले शब्द गुणबोधक गुणवाचक विशेषण की श्रेणी में आते हैं।
उदहारण:
अच्छा, भला, सुन्दर, श्रेष्ठ, शिष्ट, दानी, समझदार, सच्चा, ईमानदार, निडर।
दोषबोधक
किसी संज्ञा और सर्वनाम शब्द के दोषों को बताने वाले शब्द दोषबोधक गुणवाचक विशेषण की श्रेणी में आते हैं।
उदाहरण:
बुरा, खराब, उदंड, बदतमीज, आलसी, कायर, झूठा, क्रोधी, पापी, हिंसक।
रंगबोधक
जो शब्द संज्ञा और सर्वनाम शब्द के रंगों को बताते हैं उन्हें रंगबोधक गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
उदहारण:
काला, पीला, नीला, हरा, गोरा, भद्दा, सुंदर।
कालबोधक
किसी वस्तु के समयकाल को इंगित करने वाले शब्द कालबोधक गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं।
उदाहरण:
प्राचीन, नवीन, क्षणिक, क्षणभंगुर।
स्थानबोधक
जो शब्द संज्ञा और सर्वनाम शब्दों को किसी स्थान के साथ सम्बंध करते हैं उन्हें स्थानबोधक गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण:
अमेरिकी, चीनी, मद्रासी, पंजाबी, भारतीय, ग्रामीण, शहरी बाहरी, भीतरी, विदेशी, देशी।
गंधबोधक
ऐसे शब्द जो किसी वस्तु के गंध का बोध करते हैं गंधबोधक गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं।
उदाहरण:
खूशबूदार, सुगंधित, बदबुदार।
दिशाबोधक
दिशा का ज्ञान करने वाले विशेषण शब्द दिशाबोधक गुणवाचक विशेषण होते हैं।
उदाहरण:
उत्तरी, दक्षिणी, उत्तरी भाग, दक्षिणी भाग, पूर्वी भाग।
अवस्थाबोधक
जो शब्द संज्ञा और सर्वनाम शब्दों की अवस्था को बताते हैं उन्हें अवस्थाबोधक गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण:
गीला, सूखा, जला, जवान, बूढ़ा, रोगी, कमजोर, स्वस्थ, दुबला।
दशाबोधक
किसी संज्ञा और सर्वनाम की दशा को इंगित करने वाले शब्द दशाबोधक गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं।
उदाहरण:
भला, चंगा, रोगी, अस्वस्थ।

आकारबोधक
जो शब्द किसी व्यक्ति या वस्तु के आकर का बोध कराते हैं उन्हें आकारबोधक गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण:
बड़ा, छोटा, गोल, अंडाकार, ऊँचा, नीचा, लम्बा, चौड़ा, मोटा, पतला।
स्पर्शबोधक
जिन शब्दों से किसी वस्तु के स्पर्श संबंधी ज्ञान होता है उन्हें स्पर्शबोधक गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण:
मखमली, मुलायम, सख्त, नरम, कठोर, खुरदरा।
स्वादबोधक
जिन शब्दों से स्वाद का बोध होता है उन्हें स्वादबोधक गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण:
खट्टा, मीठा, स्वादिष्ट, कसैला।
स्वभावबोधक
जो शब्द संज्ञा और सर्वनाम के स्वभाव को प्रकट करते हैं उन्हें स्वभावबोधक गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण:
शालीन, नम्र (नम्रता), सहिष्णु।
स्थितिबोधक
जिन शब्दों से किसी व्यक्ति, वस्तु या सर्वनाम शब्दों की स्थिति का बोध होता है उन्हें स्थितिबोधक गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण:
दयनीय, असहनीय।
समयबोधक
वे शब्द जो समय को बताते हैं वे समयबोधक गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं।
उदाहरण:
आधुनिक, प्राचीन, नवीन, दैनिक, मासिक, वार्षिक।
तुलनाबोधक विशेषण
जिन विशेषणों के द्वारा दो या अधिक विशेष्यों के गुण-अवगुण की तुलना की जाती है, उन्हें ‘तुलनाबोधक विशेषण’ कहते हैं।

तुलना के विचार से विशेषणों की तीन विशेषताएँ होती है।
1. मूलावस्था
2. उत्तरावस्था
3. उत्तमावस्था


मूलावस्था:
इसके अंतर्गत विशेषणों का मूल रूप आता है। इस अवस्था में तुलना नहीं होती, सामान्य विशेषताओं का उल्लेख मात्र होता है।
जैसे: राम सुन्दर है।
उत्तरावस्थाः
जब दो व्यक्तियों या वस्तुओं के बीच अधिकता या न्यूनता की तुलना होती है, तब उसे विशेषण की उत्तरावस्था कहते हैं।
जैसे: राम श्याम से सुन्दर है।
उत्तमावस्था:
यह विशेषण की सर्वाेत्तम अवस्था है। जब दो से अधिक व्यक्तिओं या वस्तुओं के बीच तुलना की जाती है और उनमें से एक को श्रेष्ठता या निम्नता दी जाती है, तब विशेषण की उत्तमावस्था कहलाती है।
जैसे: राम सबसे सुन्दर है।
ऊपर बताये गए तरीके के अलावा विशेषण की मूलावस्था में तर और तम लगाकर उसके उत्तरावस्था और उत्तमावस्था को तुलनात्मक दृष्टि से दिखाया जाता है। इस प्रकार के कुछ उदाहरण निम्न तालिका में देखे जा सकते हैं:
गुणवाचक विशेषण की अवस्थाएँ

मूलावस्थाउत्तरावस्थाउत्तमावस्था
प्रियप्रियतरप्रियतम
लघुलघुतरलघुतम
कोमलकोमलतरकोमलतम
निम्ननिम्नतरनिम्नतम
सुन्दरसुन्दरतरसुन्दरतम
उच्चउच्चतरउच्चतम
अधिकअधिकतरअधिकतम
महत्महत्तरमहत्तम
संख्यावाचक विशेषण

वह विशेषण, जो अपने विशेष्यों की निश्चित या अनिश्चित संख्याओं का बोध कराए, ‘संख्यावाचक विशेषण’ कहलाता है।
दूसरे शब्दों में
जिन शब्दों द्वारा संज्ञा या सर्वनाम की संख्या संबंधी विशेषता बताई जाए, उन्हें संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण: चार वृक्ष, तीन कलम, आठ गाय, एक दर्जन पेंसिल, पाँच बालक, दस आम आदि।
तीन घोड़े दौड़ते हैं।
आठ विद्यार्थी पढ़ते हैं।
दस गमले कतार में रखे हुए हैं।


संख्यावाचक विशेषण के प्रकार
संख्यावाचक विशेषण के दो भेद होते है:
(i) निश्चित संख्यावाचक विशेषण
(ii) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण


निश्चित संख्यावाचक विशेषण
ऐसे विशेषण जो हमें किसी भी वस्तु, व्यक्ति (संज्ञा) एवं सर्वनाम का निश्चित संख्या का बोध कराएं, वे निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे: चार पुस्तकें, तीन हिरण, दो गाय, एक दर्जन केले, पाँच बालक, पंद्रह आम, आदि।
निश्चित संख्यावाचक विशेषण के भी चार उपभेद होते हैं:
(क) गणनावाचक
एक, दो, तीन, चार, आदि।
(ख) क्रमवाचक
पहला, दूसरा, तीसरा, चौथा, आदि।
(ग) आवृतिवाचक
दुगुना, तिगुना, चौगुना, आदि।
(घ) समुदायवाचक
दोनों, तीनों, चारों, आदि।


अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
ऐसे विशेषण जो हमें किसी संज्ञा या सर्वनाम का निश्चित बोध नहीं करा पाते एवं उनमें अनिश्चितता बनी रहती है, ऐसे विशेषण शब्द अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे: कुछ, अनेक, बहुत, सारे, सब, कई, थोड़ा, सैंकड़ों, चंद, अनगिनत, हजारों आदि।
आज भी देश में अनेक बच्चे कुपोषण के शिकार हैं।
कल बाजार में बहुत भीड़ थी।

परिमाणवाचक विशेषण

किसी वाक्य में संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की मात्रा, परिमाण, नाप या तौल का बोध करवाने वाले शब्दों को परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं। जैसे: एक मन अनाज, सारा दूध, थोड़ा तेल, असंख्य तारे, इत्यादि।
टिप्पणी:
(i) इन शब्दों से केवल अनिश्चित परिमाण का बोध होता है। निश्चित परिमाण बताने के लिए संख्यावाचक विशेषण के साथ परिमाणबोधक संख्याओं का प्रयोग किया जाता है, जैसे: दो किलो घी, चार मीटर कपड़ा, दस गज जमीन, इत्यादि।
(ii) परिमाणवाचक विशेषण के साथ माप-तौल की इकाई जरुर होगी। इस विशेषण का एकमात्र विशेष्य द्रव्यवाचक संज्ञा है।
उदाहरण:
थोड़ा अन्न दीजिए, बच्चा भूखा है।
अमन के खेत में चार क्विंटल बाजरा पैदा हुआ।
उपरोक्त वाक्यों में ‘थोड़ा अन्न’ अनिश्चयवाचक परिमाण तथा ‘चार क्विंटल’ निश्चित परिमाण का बोध कराते हैं। इस प्रकार परिमाणवाचक विशेषण के भी दो भेद होते हैं:
(i) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण (जो निश्चित मात्र का बोध कराए)
(ii) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण (जो निश्चित मात्रा का बोध न कराये)
संख्यावाचक एवं परिमाणवाचक विशेषण में अंतर
परिणामवाचक से किसी संज्ञा या सर्वनाम की निश्चित या अनिश्चित मात्रा या नाप के बारे में पता चलता है, जबकि संख्यावाचक से किसी संज्ञा या सर्वनाम की संख्या के बारे में पता चलता है।

संज्ञा से विशेषण शब्द
संज्ञा को विशेषण में बदलने का सबसे आसान तरीका है कि मूल शब्द के अंत में प्रत्यय लगा दिया जाए।
‘अ’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना

संज्ञाविशेषण
अनुशासनअनुशासित
अपमानअपमानित
अंशआंशिक
अधिकारअधिकारी
अभ्यासअभ्यस्त
अंकअंकित
अलंकारअलंकारिक
अर्थआर्थिक
अग्निआग्नेय
अंचलआंचलिक
अपेक्षाअपेक्षित

‘आ’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
आदर – आदरणीय
आदि – आदिम
आधार – आधारित
आत्मा – आत्मिक

‘इ’ तथा ‘ई’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
इच्छा – ऐच्छिक
इतिहास – ऐतिहासिक
ईश्वर – ईश्वरीय

‘उ’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
उपेक्षा – उपेक्षित
उत्कर्ष – उत्कृष्ट
उद्योग – औद्योगिक
उपनिषद् – औपनिषदिक
उपन्यास – औपन्यासिक
उपार्जन – उपार्जित
उपदेश – उपदेशात्मक
उपनिवेश – औपनिवेशिक
उन्नति – उन्नतिशील

‘ऋ’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
ऋषि – आर्ष, ऋषिवत्
ऋण – ऋणी

‘क’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
कल्पना – कल्पित
काम – काम्य
केन्द्र – केन्द्रीय
कृपा – कृपालु
कपट – कपटी
कुल – कुलीन
कुसुम – कुसुमि
कुटुम्ब – कौटुम्बिक
किताब – किताबी
काल – कालीन
क्लेश – किलष्ट
करुणा – करुण

‘ख’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
खर्च – खर्चीला
खाना – खाऊ
ख्याति – ख्यात
खून – खूनी
खेल – खिलाड़ी
खान – खनिज

‘ग’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
गंगा – गांगेय
गुण – गुणवान
ग्राम – ग्रामीण
गुलाब – गुलाबी
गर्मी – गर्म
गर्व – गर्वीला
गेरु – गेरुआ

‘घ’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
घर – घरेलू
घृणा – घृणित
घनिष्ठ – घनिष्ठता
घाव – घायल
घमण्ड – घमण्डी
घात – घातक

‘च’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
चर्चा – चर्चित
चरित्र – चारित्रिक
चक्षु – चाक्षुष
चाचा – चचेरा
चमक – चमकीला
चाय – चायवाला
चिन्ता – चिन्त्य

‘छ’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
छल – छलिया
छत्तीसगढ़ – छत्तीसगढ़ी
छिछोरा – छिछोरापन

‘ज’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
जाति – जातीय
जहर – जहरीला
जागरण – जाग्रत
जंगल – जंगली
जयपुर – जयपुरी
जवाब – जवाबी

‘त’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
तर्क – तार्किक
तत्व – तात्विक
तंत्र – तांत्रिक
तिरस्कार – तिरस्कृत
तरंग – तरंगिनी
त्याग – त्याज्य
ताप – तप्त

‘द’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
दर्शन – दर्शनीय
दान – दानी
देश – देशीय
देव – दिव्य
देह – दैहिक
दया – दयालु
दम्पति – दाम्पत्य


‘ध’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
धर्म – धार्मिक
धन – धनी
ध्वनि – ध्वनित


‘न’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
नगर – नागरिक
निशा – नैश
निषेध – निषिद्ध
नरक – नारकीय
न्याय – न्यायिक
नमक – नमकीन
नील – नीला
नाव – नाविक


‘प’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
पशु – पाश्विक
परीक्षा – परीक्षित
प्रमाण – प्रामाणिक
पाप – पापी
पिता – पैतृक
परिचय – परिचित
पल्लव – पल्लवित
प्राची – प्राच्य
प्रणाम – प्रणम्य
पुष्टि – पौष्टिक
पुराण – पौराणिक
पक्ष – पाक्षिक
पुष्प – पुष्पित
पूजा – पूज्य
पुत्र – पुत्रवती
प्यास – प्यासा


‘फ’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
फल – फलित
फेन – फेनिल


‘ब’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
बुद्ध – बौद्ध
बल – बली
बुद्धि – बुद्धिमान
बरेली – बरेलवी
बल – बलिष्ठ


‘भ’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
भारत – भारतीय
भाव – भावुक
भोग – भोगी
भोजन – भोज्य
भूत – भौतिक
भाषा – भाषिक
भय – भयानक
भूगोल – भौगोलिक
भ्रम – भ्रामक/भ्रमित
भूषण – भूषित
भूख – भूखा


‘म’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
मन – मनस्वी
मानस – मानसिक
माता – मातृक
मंगल – मांगलिक
मामा – ममेरा
मेधा – मेधावी
मर्म – मार्मिक
मास – मासिक
मोह – मोहक/मोहित
मिथिला – मैथिल
मथुरा – माथुर
मुख – मौखिक
मूल – मौलिक


‘य’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
यश – यशस्वी
योग – यौगिक
यज्ञ – याज्ञिक
यदु – यादव
योग – योगी
यश – यशस्वी


‘र’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
राज – राजकीय
रंग – रंगीन/रंगीला
राष्ट्र – राष्ट्रीय
रस – रसीला/रसिक
रोम – रोमिल
रूप – रूपवान/रूपवती
रोग – रोगी
रुद्र – रौद्र
राक्षस – राक्षसी
रोमांच – रोमांचित

‘ल’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
लक्षण – लाक्षणिक
लेख – लिखित
लज्जा – लज्जित
लोभ – लोभी
लाठी – लठैत
लोहा – लौह
लखनऊ – लखनवी

‘व’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
वेद – वैदिक
विशेष – विशिष्ट
विकल्प – वैकल्पिक
विवाह – वैवाहिक
विज्ञान – वैज्ञानिक
विश्वास – विश्वसनीय,विश्वस्त
वर्ग – वर्गीय
व्यक्ति – वैयक्तिक
व्यापार – व्यापारिक
विपति – विपन्न
वाद – वादी

‘स’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
समय – सामयिक
साहित्य – साहित्यिक
स्तुति – स्तुत्य
समुदाय – सामुदायिक
सिद्धान्त – सैद्धान्तिक
स्त्री – स्त्रैण
सुख – सुखी
श्री – श्रीमान्
संस्कृत – सांस्कृतिक
सभा – सभ्य
स्वर्ण – स्वर्णिम
स्वप्न – स्वप्निल
स्मृति – स्मार्त
संकेत – सांकेति

‘श’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
शक्ति – शाक्त
शिक्षा – शैक्षिक
शास्त्र – शास्त्रीय
शंका – शंकित
शिव – शैव
शोषण – शोषित
शासन – शासित
शरद् – शारदीय

‘ह’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
हृदय – हार्दिक
हवा – हवाई
हिंसा – हिंसक
‘ज्ञ’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
ज्ञान – ज्ञानी

‘क्ष’ वाले संज्ञा शब्दों से विशेषण बनाना
क्षेत्र – क्षेत्रीय
क्षण – क्षणिक
क्षमा – क्षम्य