हिंदी व्याकरण अध्याय 5 सर्वनाम
हिंदी व्याकरण अध्याय 5 सर्वनाम और उसके प्रकार के बारे में यहाँ उदाहरण सहित दिया गया है। सर्वनाम वह शब्द है जो संज्ञा के स्थान पर प्रयोग होता है, जैसे ‘वह’, ‘यह’, आदि, और संदर्भ की निर्दिष्टता प्रदान करता है।
हिंदी व्याकरण – सर्वनाम
सर्वनाम उन शब्दों को कहा जाता है, जिन शब्दों का प्रयोग संज्ञा अर्थात किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान आदि के नाम के स्थान पर करते हैं। इसके अंतर्गत मैं, तुम, तुम्हारा, आप, आपका, इस, उस, यह, वह, हम, हमारा, आदि शब्द आते हैं।
दूसरे शब्दों में: सर्वनाम उस विकारी शब्द को कहते हैं जो आगे का और पीछे का किसी भी संज्ञा के बदले में आता है, जैसे: मैं (बोलनेवाला), तू (सुननेवाला), यह (निकटवर्ती वस्तु), वह (दूरवर्ती वस्तु) इत्यादि।
टिप्पणी: ‘सर्वनाम ‘ शब्द एक और अर्थ में भी आ सकता है। वह यह है कि सर्व (सब) नामों (संज्ञाओं) के बदले में जो शब्द आता है, उसे सर्वनाम कहते हैं।
सर्वनाम दो शब्दों के योग से बना है: सर्व + नाम, अर्थात जो नाम सब के स्थान पर प्रयुक्त हो उसे सर्वनाम कहा जाता है। उदाहरण से समझिये मोहन 11वीं कक्षा में पढ़ता है। मोहन स्कूल जा रहा है। मोहन के पिताजी डॉक्टर हैं। मोहन की माताजी गृहणी है। मोहन की बहन पढ़ रही है। उपर्युक्त वाक्यों में मोहन (संज्ञा) है इसका प्रयोग बार-बार हुआ है। बार-बार मोहन शब्द को दोहराना वाक्यों को अरुचिकर व कम स्तर का बनाता है। यदि हम एक वाक्य में मोहन (संज्ञा) को छोड़कर अन्य सभी जगह सर्वनाम का प्रयोग करें तो वाक्य रुचिकर व आकर्षक बन जाएंगे।
जैसे: मोहन 11वीं कक्षा में पढ़ता है। वह स्कूल जा रहा है। उसके पिताजी डॉक्टर हैं और उसकी माताजी गृहणी है। उसकी बहन पढ़ रही है।
इस प्रकार हम संज्ञा के स्थान पर सर्वनाम का प्रयोग कर सकते हैं। वह शब्द जो संज्ञा के बदले में आए उसे सर्वनाम कहते हैं। जैसे – मैं, तुम, हम, वह, आप, उसका, उसकी, वह आदि।
अतः कह सकते हैं कि ‘नाम को एक बार कहकर फिर उसकी जगह जो शब्द आता है, उसे सर्वनाम कहते हैं।
विशेष: (संज्ञा) नाम है, परंतु सर्वनाम से, आगे और पीछे के शब्दों के अनुसार, किसी भी वस्तु का बोध हो सकता है। ‘लड़का’ शब्द से लड़के का ही बोध होता है; घर, सड़क आदि का बोध नहीं हो सकता; परंतु ‘वह’ कहने से आगे और पीछे के शब्दों के अनुसार, लड़का, घर, सड़क, हाथी, घोड़ा आदि किसी भी वस्तु का बोध हो सकता है। ‘मैं’ शब्द बोलने वाले के नाम के बदले आता है, इसलिए जब बोलने वाला राम है। तब ‘मैं’ का अर्थ राम है, परंतु जब बोलने वाला रमेश है, तब ‘मैं’ का अर्थ रमेश होता है।
हिंदी में सब मिलाकर 11 सर्वनाम हैं मैं, तू, आप, यह, वह, सो, जो, कोई, कुछ, कौन, क्या।
सर्वनाम के भेद
प्रयोग के अनुसार सर्वनामों के छह भेद हैं:
(i) पुरुषवाचक
(ii) निश्चयवाचक
(iii) अनिश्चयवाचक
(iv) संबंधवाचक
(v) प्रश्नवाचक
(vi) निजवाचक
पुरुषवाचक सर्वनाम
किसी वाक्य में जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग बोलने वाले, सुनने वाले अथवा अन्य किसी व्यक्ति के स्थान पर किया जाता है, उन्हें पुरूषवाचक सर्वनाम कहते हैं। पुरुषवाचक सर्वनाम के अंतर्गत मैं, आप, तू, तुम, वह, वे आदि सर्वनाम शब्द आते हैं।
उसने मुझे बोला था कि तुम पढ़ रही हो।
उपर्युक्त वाक्य को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि, इस वाक्य में तीन तरह के पुरुषवाचक शब्द आए हैं। उसने, मुझे और तुम। अतः स्पष्ट होता है कि, पुरुषवाचक तीन प्रकार के होते हैं:
(क) उत्तम पुरुष
(ख) मध्यम पुरुष
(ग) अन्य पुरुष
उत्तम पुरुष
वक्ता जिन शब्दों का प्रयोग अपने स्वयं के लिए करता है, उन्हें उत्तम पुरुष कहते हैं। जैसे: मैं, हम, मुझे, मैंने, हमें, मेरा, मुझको, आदि।
उदाहरण:
मैं कल बाजार जाऊँगा।
हम सब दोस्त खूब खेलते हैं।
मैंने खाना खा लिया।
मध्यम पुरुष
श्रोता संवाद करते समय जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग करता है उन्हें मध्यम पुरुष कहते हैं। जैसे: तू, तुम, तुमको, तुझे, आप, आपको, आपके आदि।
उदाहरण:
तुम्हारा नाम क्या है?
आप घूमने कब जाओगे?
आपको कल मेरे विद्यालय चलना है।
तुमको अपने घर जाना चाहिए।
अन्य पुरुष
जिन सर्वनाम शब्दों के प्रयोग से वक्ता और श्रोता का संबंध ना होकर किसी अन्य का संबोधन प्रतीत होता हो। वे शब्द अन्य पुरुष कहलाते हैं। जैसे: वह, यह, उन, उनको, उनसे, इन्हें, उन्हें, उसके, इसने आदि।
वह पढ़ने में होनहार है।
यह उसकी पेन्सिल है।
इन्हे देखो हमेशा खेलते रहते हैं।
विशेष: वक्ता की दृष्टि से संपूर्ण सृष्टि के तीन भाग किए जाते हैं। पहला, स्वयं वक्ता, दूसरा श्रोता, और तीसरा विषय अर्थात् जिसके बारे में बात हो रही है। वक्ता और श्रोता को छोड़कर शेष सब अन्य में आ जाते हैं। सृष्टि के इन सब रूपों को व्याकरण में पुरुष कहते हैं। ये क्रमशः उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष और अन्य पुरुष कहलाते हैं। इन तीनों पुरुषों में उत्तम और मध्यम पुरुष ही प्रधान हैं। क्योंकि इनका अर्थ निश्चित रहता है। अन्य पुरुष का अर्थ अनिश्चित होने के कारण उसमें बाकी की सृष्टि के अर्थ का समावेश होता है। उत्तम पुरुष ‘मैं’ और मध्यम पुरुष ‘तू’ को छोड़कर शेष सर्वनाम अन्य पुरुष में आते हैं।
निश्चयवाचक सर्वनाम
जिन सर्वनाम शब्दों से किसी निश्चित व्यक्ति अथवा वस्तु की ओर निकटवर्ती अथवा दूरवर्ती संकेत का बोध होता है उन्हें निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। निश्चयवाचक सर्वनाम के अंतर्गत यह, वह, इस, उस, ये, वे इत्यादि सर्वनाम शब्द आते हैं।
दूसरे शब्दों में: जो सर्वनाम किसी व्यक्ति, वस्तु आदि को निश्चयपूर्वक संकेत करें वह निश्चयवाचक कहलाता है।
उदाहरण:
यह मेरा घर है।
वह मोहन की साइकिल है।
वह राम का छोटा भाई है।
यह, वह, वह सर्वनाम शब्द किसी विशेष व्यक्ति आदि को निश्चित संकेत करते हैं। अतः यह संकेतवाचक भी कहलाते हैं।
अनिश्चयवाचक सर्वनाम
जिस सर्वनाम से किसी निश्चित व्यक्ति या पदार्थ का बोध नहीं होता, उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे: बाहर कोई है। मुझे कुछ नहीं मिला। जो सर्वनाम शब्द किसी निश्चित व्यक्ति, वस्तु अथवा स्थान का बोध नहीं करवाता वह अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
कोई, प्रत्येक, कुछ भी नहीं, कोई नहीं, हर कोई, सब कुछ, कुछ, बहुत, सब, कुछ भी, कोई भी और दूसरा कुछ अनिश्चित सर्वनाम हैं।
उदाहरण:
कोई आ रहा है।
दरवाजे पर कोई खड़ा है।
स्वाद में कुछ कमी है।
हर कोई धनवान होना चाहता है।
संबंधवाचक सर्वनाम
जिन सर्वनाम शब्दों से किसी वाक्य में प्रयुक्त संज्ञा शब्दों अथवा सर्वनाम शब्दों के मध्य संबंध का बोध होता हो उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं। संबंधवाचक सर्वनाम के अंतर्गत जो, जिसका, जिसके, जिसकी इत्यादि शब्द आते हैं।
उदाहरण:
जो जैसा कर्म करेगा उसको वैसा ही फल मिलेगा।
जिसकी लाठी उसकी भैंस।
जो सोवेगा सो खोवेगा।
दूसरे शब्दों में संबंधवाचक सर्वनाम की परिभाषा: वह सर्वनाम शब्द जो किसी वाक्य में प्रयुक्त संज्ञा अथवा सर्वनाम के संबंध का बोध कराए उसे संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे: जो, सो, उसी आदि।
प्रश्नवाचक सर्वनाम
जिन सर्वनाम शब्दों से प्रश्न का बोध होता हो उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। प्रश्नवाचक सर्वनाम का प्रयोग करने से वाक्य प्रश्नवाचक बन जाता है। प्रश्नवाचक सर्वनाम के अंतर्गत कौन, क्या एवं किसकी शब्द आते हैं।
वह कौन खड़ा है?
तुम कब आये?
यह पुस्तक किसकी है?
अथवा वाक्य में प्रयुक्त वह शब्द जिससे किसी व्यक्ति, वस्तु अथवा स्थान के विषय में प्रश्न उत्पन्न हो। उसे प्रश्नवाचक कहते हैं। जैसे: क्या, कौन, कहां, कब, कैसे आदि।
निजवाचक सर्वनाम
जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग वक्ता स्वयं के लिए करता है उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते हैं। निजवाचक सर्वनाम के अंतर्गत आप, अपना, स्वयं, ख़ुद आदि शब्द आते हैं।
आसान भाषा में कहें तो जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग कर्ता के संदर्भ में किया जाता है उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते हैं।
मैं अपने कपड़े अपने आप धोता हूँ।
मैं अपनी गाड़ी से बाजार जाऊंगा।
मैं अपने भाई के साथ सिनेमा देखने गया था।
सर्वनामों की व्युत्पत्ति
संस्कृत में “सर्व” (प्रतिपदिक) के समान जिन नामों (संज्ञाओं) का रूपांतर होता है। उनका एक अलग वर्ग मानकर उसका नाम ‘सर्वनाम’ रखा गया है। ‘सर्वनाम’ शब्द एक और अर्थ में भी आता है। जैसे कि सर्व (सब) नामों (सज्ञाओं) के बदले में जो शब्द आता है उसे सर्वनाम कहते हैं।
हिंदी के सब सर्वनाम प्राकृत के द्वारा संस्कृत से निकले हैं। नीचे दी गई तालिका के माध्यम से इनको आसानी से समझा जा सकता है।
संस्कृत | प्राकृत | हिंदी |
---|---|---|
अहम् | अम्ह | मैं, हम |
त्वम | तुम्ह | तू, तुम |
एषः | एअ | यह, ये |
सः | सो | सो, वह, वे |
यः | जो | जो |
कः | को | कौन |
किम् | किम् | क्या |
कोऽपि | कोवि | कोई |
आत्मन् | अप्प | आप |
किंचित् | किंचि | कुछ |