हिंदी व्याकरण अध्याय 17 वाक्य विचार

हिंदी व्याकरण अध्याय 17 वाक्य विचार के सभी भेद और उनसे जुड़े प्रश्नों को छात्र-छात्राएँ यहाँ से आसानी से समझ सकते हैं। वाक्य विचार हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसमें वाक्यों की संरचना, उनके प्रकार और उनके भागों का अध्ययन किया जाता है। इसमें सरल, संयुक्त, और मिश्र वाक्य शामिल हैं।

हिंदी व्याकरण – वाक्य विचार

जिस शब्द समूह से वक्ता या लेखक का पूर्ण अभिप्राय श्रोता या पाठक को समझ में आ जाए, उसे वाक्य कहते हैं।
दूसरे शब्दों में- वाक्य सार्थक शब्दों का व्यवस्थित क्रम है। अर्थात अगर शब्दों के सार्थक क्रम को बदल दिया जाए तो वक्ता का अभिप्राय स्पष्ट नहीं हो सकेगा।
उदाहरण: कविता छत के ऊपर खड़ी है।
यदि इसका क्रम बदल दिया जाता है तो वाक्य इस प्रकार लिख सकते हैं:
छत है कविता के ऊपर खड़ी।
इस प्रकार वाक्य का अर्थ स्पष्ट नहीं हो पायेगा।
अर्थ सम्प्रेषण की दृष्टि से भाषा की पूर्ण इकाई वाक्य है जबकि संरचना की दृष्टि से पदों का सार्थक समूह ही वाक्य है।
वाक्य की रचना के नियम
(i) वाक्य की रचना कई पदों के सार्थक योग से होती है।
(ii) कर्ता और क्रिया के बिना वाक्य पूर्ण नहीं होता है।
(iii) वाक्य में आने वाले पदों (शब्दों) का एक विशेष क्रम होना चाहिए।
(iv) वाक्य वक्ता या लेखक के मनोभावों को पूर्ण रूप से प्रकट करने में समर्थ होना चाहिए।

वाक्य के अंग

मुख्यतः वाक्य के दो अंग होते हैं:
1. उद्देश्य
2. विधेय
उद्देश्य
किसी वाक्य का कर्तुपद या जिसके बारे में कुछ कहा जाए उसे उद्देश्य कहते हैं।
दूसरे शब्दों में कह सकते हैं: वाक्य में कर्ता ही उद्देश्य होता है।
उदाहरण: लड़के खेल रहे हैं।
राम ने रावण को मारा।
घोड़े दौड़ रहे हैं।
उपरोक्त वाक्यों में लड़के, राम तथा घोड़े शब्द उद्देश्य है, क्योंकि इनके विषय में कुछ कहा गया है अर्थात् कुछ विधान किया गया है।
उद्देश्य के भाग
उद्देश्य के दो भाग होते हैं:
(i) कर्ता
(ii) कर्ता के विशेषण

उद्देश्य का विस्तार
उद्देश्य की विशेषता प्रकट करनेवाले शब्द या शब्द-समूह को उद्देश्य का विस्तार कहते हैं। उद्देश्य के विस्तारक शब्द विशेषण, सम्बन्धवाचक, समानाधिकरण, क्रियाद्योतक और वाक्यांश आदि होते हैं।
उदाहरण: लड़की नाच रही है।
इस वाक्य को निम्न प्रकार से लिख सकते हैं:
सुंदर लड़की नाच रही है।
पहले वाक्य लड़की (उद्देश्य) के साथ विशेषण लगाकर ‘सुन्दर’ (उद्देश्य का विस्तार) लड़की हो जायेगा।
विधेय
विधेय अर्थात् कर्ता के बारे में वाक्य में जो कुछ कहा जाए उसे विधेय कहते हैं।
उदाहरण: मोर नाच रहा है।
इस वाक्य में ‘नाच रहा है’ शब्द विधेय है क्योंकि वह उद्देश्य (मोर) के बारे में बता रहा है।

विधेय के भाग
विधेय के छः भाग होते हैं जो निम्नलिखित हैं:
(i) क्रिया
(ii) क्रिया विशेषण
(iii) कर्म
(iv) कर्म विशेषण
(v) पूरक शब्द
(vi) पूरक विशेषण
विधेय का विस्तार
वाक्य में कभी विधेय अकेला आता है, तो कभी क्रियाविशेषण या कर्म आदि के साथ होता है। इस प्रकार जो शब्द क्रिया के कर्म या विशेषण होते हैं, वे विधेय का विस्तार कहलाते हैं।
उदाहरण:
मोर नाच रहा है।
इस वाक्य को निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है:
मोर पंख फैलाकर नाच रहा है।
यहाँ पर ‘पंख फैलाकर’ विधेय का विस्तार है।

वाक्य भेद

वाक्य तीन प्रकार के होते हैं।
1. रचना के आधार पर
2. अर्थ के आधार पर
3. क्रिया के आधार पर
रचना के आधार पर वाक्य भेद
रचना के अनुसार वाक्य तीन प्रकार के होते हैं:
(क) साधारण या सरल वाक्य
(ख) मिश्रत वाक्य
(ग) संयुक्त वाक्य
साधारण वाक्य
जिस वाक्य में एक उद्देश्य तथा एक विधेय हो उसे सरल या साधारण वाक्य कहते हैं। अर्थात् वाक्य में एक कर्ता और एक क्रिया होती है।
उदाहरण:
(क) गीता खाना खा रही है।
(ख) गौरव घूम रहा है।
(ग) रवि पुस्तक पढ़ रहा है।
उपरोक्त सभी वाक्यों में एक-एक कर्ता है और विधेय या क्रिया भी एक-एक है। अतः ये सब वाक्य सरल वाक्य हैं।
मिश्रत वाक्य
जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य होता है तथा एक या एक से अधिक आश्रित या गौण उपवाक्य होते हैं, उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं।
मिश्रित वाक्य में मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय से जो वाक्य बनता है उसे उपवाक्य कहते हैं और दूसरे वाक्य को आश्रित उपवाक्य कहते हैं। आश्रित उपवाक्य स्वयं सार्थक नहीं होते हैं परन्तु मुख्य वाक्य के साथ आने से अर्थ निकलता है। मिश्रित उपवाक्यों को जोड़ने का काम समुच्चयबोधक अव्यय (कि, जो, क्योंकि, जितना, उतना, जैसा, वैसा, जब, तब, जहाँ, वहाँ, जिधर, उधर, अगर/यदि, तो, यद्यपि, तथापि, आदि) करते हैं
उदाहरण:
(क) मेरा दृढ़ विश्वास है कि भारत आज का क्रिकेट मैच जीतेगा।
(ख) सफल वही होता है जो परिश्रम करता है।
(ग) सुशील ने कहा कि मैं अमित से कल मिलूँगा।
उपरोक्त तीनों वाक्य दो उपवाक्यों के जोड़ने से बने हैं जिनमें योजक शब्द ‘कि’ और ‘जो’ हैं।
संयुक्त वाक्य
जिन वाक्यों में दो या दो से अधिक सरल या सरल और मिश्रित वाक्य योजकों (और, एवं, तथा, या, अथवा, इसलिए, अतः, फिर भी, तो, नहीं तो, किन्तु, परन्तु, लेकिन, पर आदि) से जुड़े हों, उन्हें संयुक्त वाक्य कहते है।
संयुक्त वाक्य बनाने के लिए चार प्रकार के संयोजकों का प्रयोग हिता है। जो निम्न प्रकार से हैं:
(i) समुच्चयबोधक संयोजक (और, तथा, एवं)
(ii) विकल्प संयोजक (या, अथवा),
(iii) परिणाम वाचक संयोजक (अतः, इसलिए)
(iv) विरुद्ध वाचक संयोजक (पर, लेकिन, परन्तु, किन्तु)
उदाहरण:
(क) रवि ने खाना खाया और स्कूल चला गया।
(ख) मोर नाच रहा है परंतु मोरनी चुपचाप बैठी है।
यहाँ दो सरल वाक्य योजक शब्द ‘और’ तथा ‘परन्तु’ से जुड़े हुए हैं।

अर्थ के आधार पर वाक्य भेद

अर्थपूर्ण वाक्य अलग-अलग भावों की अनुभूति कराते हैं। भावों के आधार पर वाक्यों के जो अर्थ निकलते हैं। अर्थ के आधार पर वाक्य आठ प्रकार के होते हैं:
(i) विधानवाचक वाक्य
(ii) निषेधात्मक वाक्य
(iii) प्रश्नवाचक वाक्य
(iv) विस्मयादिबोधक वाक्य
(v) आज्ञा वाचक वाक्य
(vi) इच्छावाचक वाक्य
(vii) संदेह वाचक वाक्य
(viii) संकेत वाचक वाक्य
विधानवाचक वाक्य
जिन वाक्यों से किसी क्रिया के करने या होने का सामान्य बोध होता है उन्हें विधान-वाचक वाक्य कहते हैं।
उदाहरण:
(क) सूर्य पूर्व में उदय होता है।
(ख) राजू कल आगरा गया था।
निषेधात्मक वाक्य
जिन वाक्यों से किसी कार्य के न होने (निषेध) का बोध होता हो, उन्हें निषेधवाचक वाक्य कहते हैं। इन्हें नकारात्मक वाक्य भी कहते हैं।
उदाहरण:
(क) आज बरसात की वजह से मैच नहीं होगा।
(ख) वह आज स्कूल नहीं जाएगा।

प्रश्नवाचक वाक्य
जिन वाक्यों में प्रश्न पूछा जाए या किसी से कुछ प्रश्न किया जाए, उन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं।
(क) तुम बाजार कब जाओगे?
(ख) क्या रवि कल स्कूल आया था?
विस्मयादिबोधक वाक्य
ऐसे वाक्य जिनके द्वारा शोक, हर्ष, आश्चर्य आदि के भाव प्रकट होते हैं, वह विस्मयादिवाचक वाक्य कहलाते हैं।
उदाहरण:
(क) वाह! कितना सुन्दर दृश्य है।
(ख) ओह! कितनी सर्दी है।
आज्ञावाचक वाक्य
ऐसे वाक्य जिनके द्वारा किसी प्रकार की आज्ञा, उपदेश, प्रार्थना या अनुमति दी जाती है, वह आज्ञार्थक या आज्ञावाचक वाक्य कहलाते हैं।
उदाहरण:
(क) आप कृपया बैठ जाइये।
(ख) आशीष तुम शांत रहो।
(ग) सभी लोगों से प्रार्थना है कृपया शांति बनाये रखें।
इच्छावाचक वाक्य
जिन वाक्य‌ों में किसी प्रकार की इच्छा, शुभकामना, आकांक्षा या आशीर्वाद का बोध होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं।
उदाहरण:
(क) भगवान तुम्हें दीर्घायु करे।
(ख) आपको नववर्ष मंगलमय हो।
(ग) तूप अपने कार्य में सफल रहो।
संदेहवाचक वाक्य
जिन वाक्य‌ों से संदेह, शंका, संभावना आदि का बोध होता है, उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते हैं।
उदाहरण:
(क) क्या राजू यहाँ आया था?
(ख) क्या श्याम ने अपना काम कर लिया?
संकेतवाचक वाक्य
जिन वाक्यों से शर्त्त या संकेत का बोध होता है यानी एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर होता है, उन्हें संकेतवाचक या संकेतार्थक वाक्य कहते है।
उदाहरण:
(क) यदि तुम परिश्रम करोगे तो सफलता अवश्य लिलेगी।
(ख) अगर वर्षा न होती तो फ़सल सूख जाती।

क्रिया के आधार पर वाक्य भेद

क्रिया के आधार पर वाक्य वाक्य तीन प्रकार के होते हैं:
1. कर्तृवाच्य वाक्य
2. कर्मवाच्य वाक्य
3. भाववाच्य वाक्य
कर्तृवाच्य वाक्य
क्रिया के जिस रूप में कर्ता प्रधान हो और सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाए हो, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं।
उदाहरण:
(क) सुरेश आम खाता है।
(ख) रवि क्रिकेट नहीं खेलता है।
उक्त वाक्यों में कर्ता प्रधान है तथा उन्हीं के लिए ‘खाता है’ तथा ‘खेलता है’ क्रियाओं का विधान हुआ है, इसलिए यहाँ कर्तृवाच्य है।
कर्मवाच्य वाक्य
जब वाक्य में कर्म को केंद्र में रखकर कथन किया जाता है तथा कर्ता को करणकारक में बदल दिया जाता है। उसे कर्मवाच्य कहते हैं।
उदाहरण:
(क) मीरा ने दूध पीया।
(ख) मीरा ने पत्र लिखा।
भाववाच्य वाक्य
यदि किसी वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के लिंग एवं वचन में होने वाला परिवर्तन कर्ता एवं कर्म दोनों ही के अनुसार न होकर, बल्कि भाव के अनुसार हो तो उस वाक्य में प्रयुक्त वाच्य को भाव वाच्य कहते हैं।
टिप्पणी:
भाववाच्य के वाक्यों में कर्ता सदैव कारण कारक तथा क्रिया सदैव पुल्लिंग एकवचन अन्यपुरुष अकर्मक क्रिया होती है। अतः यदि किसी वाक्य में प्रयुक्त क्रिया स्त्रीलिंग हो तो उस वाक्य में भाव वाच्य कभी नहीं होगा।
उदाहरण:
(क) दिनेश से दौड़ा नहीं जाता है।
(ख) चिड़िया से उड़ा नहीं जाता है।

वाक्य में निम्नलिखित छ तत्व अनिवार्य है:
(1) सार्थकता
(2) योग्यता
(3) आकांक्षा
(4) निकटता
(5) क्रम
(6) अन्वय
सार्थकता
सार्थकता वाक्य का एक प्रमुख गुण है। वाक्य में सार्थक शब्दों का ही प्रयोग हो, तभी वाक्य भावाभिव्यक्ति के लिए सक्षम होगा।
उदाहरण:
कमल ने पानी खाया।
उपरोक्त वाक्य में पानी खाया लिखा है जो कि अशुद्ध होगा क्योंकि पानी पिया जाता है। अतः शुद्ध वाक्य होगा:
कमल ने पानी पिया।
योग्यता
प्रसंग के अनुकूल वाक्य में भावों का उचित बोध कराने वाली योग्यता होनी चाहिए। इसके आभाव में वाक्य अशुद्ध हो जाता है।
उदाहरण: कुता उड़ता है।
उपरोक्त वाक्य में कुते की योग्यता उड़ने की नहीं है। इस प्रकार कह सकते हैं कि उक्त वाक्य भावों का उचित बोध नहीं कराता है। इसका शुद्ध वाक्य होगा:
कुता दौड़ता है।
आकांक्षा
आकांक्षा का अर्थ है- इच्छा। एक पद को सुनने के बाद दूसरे पद को जानने की इच्छा ही ‘आकांक्षा’ है। यदि किसी वाक्य में आकांक्षा शेष रह जाती है तो उसे अधूरा वाक्य माना जाता है, क्योंकि उससे पूर्ण रूप से अर्थ की अभिव्यक्त नहीं हो पाती है।
उदाहरण: खाता है।
उपरोक्त पद से यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि किसी के खाने की बाट हो रही है अथवा बैंक वाले खाते की बात हो रही है। अतः वाक्य की स्पष्टता को जानने की एक आकांक्षा बनी रहती है।
निकटता
वाक्यों को बोलते या लिखते समय शब्दों में परस्पर निकटता का होना बहुत आवश्यक है। रूक-रूक कर बोले या लिखे गए शब्द वाक्य नहीं बनाते। अतः वाक्य के पद निरंतर प्रवाह में होने चाहिए। अर्थात् पदों के बीच अनावश्यक विराम नहीं होना चाहिए।
उदाहरण: सूर्य ……… पूरब ……से ……… निकलता…… है।
शब्दों के बीच की दूरी और समयांतराल असमान होने के कारण वे अर्थ खो देते हैं। अतः पदों को समान दूरी तथा अंतराल पर रखने से वे सार्थक वाक्य की रचना करते हैं।
सूर्य पूरब से निकलता है।
क्रम
यहाँ क्रम से तात्पर्य है- पदक्रम। सार्थक शब्दों को भाषा के नियमों के अनुरूप सही क्रम में रखना चाहिए, जिससे एक सार्थक वाक्य का निर्माण हो सके। यदि वाक्य में शब्दों को अनुकूल क्रम में न रखा जाय तो अर्थ का अनर्थ हो जाता है।
उदाहरण: वृक्ष कोयल पर है।
उपरोक्त वाक्य में शब्दों के गलत क्रम से शब्दों के सार्थक होने पर भी वाक्य सार्थक नहीं है।अतः शब्दों का सही क्रम निम्न है:
कोयल वृक्ष पर है।
अन्वय
अन्वय का अर्थ है कि पदों में व्याकरण की दृष्टि से लिंग, पुरुष, वचन, कारक आदि का सामंजस्य होना चाहिए। अन्वय के अभाव में भी वाक्य अशुद्ध हो जाता है। अतः अन्वय भी वाक्य का महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। हिंदी वाक्यों में कर्ता या कर्म के साथ क्रिया का, संज्ञा के साथ सर्वनाम का, सम्बंध का संबंधी से तथा विशेष्य के साथ विशेषण का अन्वय होता है।
उदाहरण: बिल्ली चूहे का खाता है।
यह वाक्य लिंग की दृष्टि से त्रुटिपूर्ण है, सही वाक्य इस प्रकार है: बिल्ली चूहे को खाती है।

वाक्य विश्लेषण या वाक्य विग्रह

रचना के आधार पर वाक्य के विभिन्न अंगों को अलग-अलग करके उनके बीच के सम्बंध बताने की प्रक्रिया को वाक्य-विग्रह कहते हैं। इसे ‘वाक्य-विभाजन’ या ‘वाक्य-विश्लेषण’ भी कहा जाता है।
1. सरल वाक्य विश्लेषण
सरल वाक्य का विग्रह करने पर एक उद्देश्य और एक विधेय बनते है। इसके बाद उद्देश्य के अंग अर्थात् कर्ता व कर्ता का विस्तार तथा विधेय के अंतर्गत कर्म व कर्म का विस्तारक, पूरक, पूरक का विस्तारक इन सभी का उल्लेख करना होता है।
सरल वाक्य = एक उद्देश्य + एक विधेय
सरल वाक्य का विश्लेषण निम्न प्रकार से कर सकते हैं:
(क) उद्देश्य और विधेय को पहचानकर अलग कर लें।
(ख) पहले उद्देश्य (कर्ता) तथा बाद में उद्देश्य के विस्तार का उल्लेख करें।
(ग) यदि क्रिया सकर्मक हो तो विधेय में कर्म तथा कर्म के विस्तार का उल्लेख करने के बाद क्रिया तथा क्रिया के विस्तार (क्रियाविशेषण) का उल्लेख करें।
उदाहरण:
सभी मित्र आगरा का ताजमहल देखने चले गए।
उद्देश्य (कर्ता) – मित्र
उद्देश्य का विस्तार (विशेषण) – सभी
विधेय – आगरा का ताजमहल देखने चले गए।
कर्म – ताजमहल
कर्म का विस्तार – आगरा का
क्रिया – देखने चले गए
2. मिश्र वाक्य विश्लेषण
मिश्र वाक्य का विश्लेषण करते समय वाक्य को दो भागों में विभाजित किया जाता है: प्रधान उपवाक्य तथा आश्रित उपवाक्य। तत्पश्चात् दोनों उपवाक्यों के उद्देश्य तथा विधेय का अलग-अलग परिचय प्रस्तुत करना चाहिए।
उदाहरण:
नीरज ने कहा कि उसका लड़का पढ़-लिखकर इंजीनियर बनेगा।
प्रधान उपवाक्य- नीरज ने कहा
आश्रित उपवाक्य- उसका लड़का पढ़ लिखकर इंजीनियर बनेगा।
योजक- कि
(क) उद्देश्य- नीरज ने
विद्येय- कहा
(ख) उद्देश्य- लड़का
उद्देश्य का विस्तार- उसका
विद्येय- पढ़-लिखकर इंजीनियर बनेगा
कर्म- इंजीनियर
क्रिया- बनेगा
क्रिया का विस्तार (क्रियाविशेषण)- पढ़ लिखकर
3. संयुक्त वाक्य विश्लेषण
संयुक्त वाक्यों के विश्लेषण में सरल वाक्यों या समानाधिकरण उपवाक्यों के साथ उनके साथ प्रयुक्त होने वाले योजक शब्द का भी उल्लेख करना होता है। दोनों वाक्यों का अलग-अलग विश्लेषण किया जाता है।
उदाहरण:
सुरेश बैठकर पुस्तक पढ़ रहा था तथा रवि लेटकर टीo वीo देख रहा है।
(क) सुरेश बैठकर पुस्तक पढ़ रहा था।
उद्देश्य- सुरेश
विधेय- पुस्तक पढ़ रहा था
कर्म- पुस्तक
क्रिया- पढ़ रहा था
क्रिया का विस्तार ( क्रियाविशेषण )- बैठकर
(ख) रवि लेटकर टीo वीo देख रहा है।
उद्देश्य- दिनेश
विधेय- लेटकर टीo वीo देख रहा है।
कर्म- टीo वीo
क्रिया- देख रहा है
क्रिया का विस्तार (क्रियाविशेषण)- लेटकर
(ग) योजक शब्द- तथा

वाक्य संश्लेषण

संश्लेषण शब्द विश्लेषण का एकदम उलट है। वाक्य विश्लेषण में उपवाक्यों को एक-दूसरे से अलग-अलग किया जाता है जबकि वाक्य संश्लेषण में अलग-अलग वाक्यों को मिलाकर एक किया जाता है।
उदाहरण:
छात्र ने पुस्तकें बैग में डालीं।
छात्र ने बैग उठाया।
छात्र पढ़ने चला गया।
उपरोक्त तीनों सरल वाक्य एक ही कर्ता से सम्बंधित हैं, अतः तीनों को मिलाकर एक वाक्य में संश्लेषित कर सकते हैं। जैसे:
पुस्तकें बैग में डालकर और उसे उठाकर छात्र पढ़ने चला गया।
दूसरे उदाहरण से वाक्य संश्लेषण को समझने का प्रयास करते हैं:
घंटी बजी अध्यापक कक्षा में आये।
अध्यापक ने कक्षा में पढ़ाया।
पढ़ाने के बाद दूसरी कक्षा में चले गए।
उपरोक्त तीनों वाक्यों का संश्लेषण तीन अलग-अलग प्रकार से किया जा सकता है:
(क) घंटी बजते ही अध्यापक एक कक्षा में पढ़ाकर दूसरी कक्षा में चले गए। (सरल वाक्य)
(ख) घंटी बजते ही अध्यापक कक्षा में आये और पढ़ाकर दूसरी कक्षा में चले गए। (संयुक्त वाक्य)
(ग) घंटी बजी ही थी कि अध्यापक कक्षा में पढ़ाने आये, फिर दूसरी कक्षा में चले गए। (मिश्रित वाक्य)
टिप्पणी: ऊपर दिए गए उदाहरण से हम समझ सकते हैं कि जिन वाक्यों का संश्लेषण एक सरल वाक्य के रूप में किया जाता है, उन्ही वाक्यों से संयुक्त और मिश्रित वाक्य भी संश्लेषित किये जा सकते हैं।

वाक्य में पद क्रम

वाक्य रचना में पदक्रम का विशेष महत्त्व होता है। अतः वाक्य रचना करते समय कर्ता, कर्म और क्रिया का क्रम ध्यान में रखना आवश्यक है। वाक्य रचना में पदक्रम से सम्बंधित कुछ नियम निम्नलिखित हैं:
(क) वाक्य में कर्ता और कर्म के बाद क्रिया आती है।
उदाहरण:
रवि खाना खा रहा है।
(ख) कर्ता, कर्म तथा क्रिया के विस्तारक (पूरक) इनसे पहले आते हैं।
उदाहरण:
वृद्ध भिखारी स्वादिष्ट खाना जल्दी-जल्दी खा गया।
(ग) क्रिया विशेषण क्रिया से पहले प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण:
सुरेश तेज दौड़ता है।
(घ) पूर्वकालिक क्रिया मुख्य क्रिया से पहले प्रयोग की जाती है।
उदाहरण:
कबीर खाना खाकर सो गया।
(ङ) संबोधन और विस्मयादिबोधक प्रायः वाक्य के प्रारम्भ में आते हैं।
उदाहरण:
सचिन! तुम बाहर जाओ।
वाह! क्या सुन्दर दृश्य है।
(च) निषेधात्मक वाक्यों में ‘न’ अथवा ‘नहीं’ का प्रयोग प्रायः क्रिया से पहले किया जाता है।
उदाहरण:
दिनेश आज बाजार नहीं जाएगा।

(छ) सार्वजनिक विशेषण अन्य विशेषण से पहले आता है।
उदाहरण:
मेरा छोटा भाई आज स्कूल नहीं गया।
(ज) पदवी या व्यवसाय सूचक शब्द नाम से पहले आते हैं।
उदाहरण:
पंडित रमाकांत मिश्र संस्कृत के विद्वान थे।
डा० राजेन्द्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति थे।
(झ) संयुक्त और मिश्रित वाक्यों में योजक शब्द दो उपवाक्यों के बीच में आता है।
उदाहरण:
सुरेश का स्वास्थ्य ठीक नहीं है इसलिए वह आज स्कूल नहीं आया।