हिंदी व्याकरण अध्याय 14 विराम चिन्ह

हिंदी व्याकरण अध्याय 14 विराम चिन्ह में विद्यार्थी विराम चिन्हों के प्रयोग के बारे में विस्तार से सीखेंगे। विराम चिन्ह वाक्य में रुकावट, भावनात्मक उतार-चढ़ाव और वाक्य संरचना की स्पष्टता को दर्शाते हैं।

हिंदी व्याकरण – विराम चिन्ह

भाषा में लेखन की शुद्धता के लिए विराम चिन्हों का बहुत महत्व है। इनसे वक्ता या लेखक को अपने भावों या विचारों को स्पष्ट करने में आसानी होती है। इनके प्रयोग से अर्थ का अनर्थ नहीं होने पाता। साथ ही यदि विराम चिन्ह का वाक्य में सही से प्रयोग न किया जाए तो भी वाक्य अर्थहीन और अस्पष्ट या फिर एक दूसरे के विपरीत हो जाता है।
विराम चिह्न
विराम शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है ठहराव अथवा रुकना। एक व्यक्ति अपनी बात कहने के लिए या उसे समझाने के लिए, किसी कथन पर बल देने के लिए विभिन्न भावों की अभिव्यक्ति के लिए, कहीं कम समय के लिए तो कहीं अधिक समय के लिए ठहरता है। भाषा के लिखित रूप मे उक्त ठहरने के स्थान पर जो निश्चित संकेत चिह्न लगाए जाते हैं उन्हें विराम चिह्न कहते हैं। विराम चिह्न के प्रयोग से भावों को आसानी से समझा जा सकता है तथा भाषा में स्पष्टता आती है।

दूसरे शब्दों में विराम चिह्न की परिभाषा निम्न है:
शब्दों और वाक्यों का परस्पर सम्बंध बताने तथा किसी विषय को भिन्न-भिन्न भागों में बांटने और पढ़ने में ठहरने के लिए, लेख में जिन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है उन्हें विराम चिह्न कहते हैं।
एक उदाहरण के माध्यम से यह स्पष्ट रूप से समझ सकते हैं कि अगर विराम चिह्नों का प्रयोग न किया जाय तो किस प्रकार से वाक्य का अर्थ बदल जाता है।
उदाहरण:
(क) रोको मत जाने दो।
(ख) रोको, मत जाने दो।
(ग) रोको मत, जाने दो।
उपरोक्त तीनों वाक्यों में अल्प विराम का प्रयोग अलग-अलग स्थान पर किया गया है। पहले वाक्य में अल्प विराम का प्रयोग नहीं किया गया है। अतः पहले वाक्य में अर्थ स्पष्ट नहीं होता, जबकि दूसरे और तीसरे वाक्य में अर्थ तो स्पष्ट हो जाता है लेकिन एक-दूसरे के विपरीत अर्थ मिलता है। जबकि तीनो वाक्यों में वही शब्द है। दूसरे वाक्य में ‘रोको’ के बाद अल्पविराम लगाने से रोकने के लिए कहा गया है, जबकि तीसरे वाक्य में ‘रोको मत’ के बाद अल्पविराम लगाने से किसी को न रोकने अर्थात जाने के लिए कहा गया है।
इस प्रकार विराम-चिह्न लगाने से दूसरे और तीसरे वाक्य को पढ़ने में तथा अर्थ स्पष्ट करने में जितनी सुविधा होती है उतनी पहले वाक्य में नहीं होती।

हिन्दी व्याकरण में प्रयुक्त होने वाले प्रमुख विराम चिह्न

वाक्य रचना में ठहराव, भाव और अर्थ के अनुसार विराम चिह्नों का प्रयोग किया जाता है जो निम्न प्रकार के हैं:

विराम चिह्न का नामचिह्न
अल्प विराम,
अर्द्ध विराम;
उप विराम:
पूर्ण विराम
प्रश्न सूचक चिह्न?
सम्बोधन/ विस्मय सूचक चिह्न!
अवतरण चिह्न/उद्धरण चिह्नएकल ‘ ’ युगल ‘‘ ’’
योजक चिह्न/समासचिह्न
निदेशक चिह्न
विवरण चिह्न :¬-
हंसपद/विस्मरण चिह्नˆ
संक्षेपण/लाघव चिह्न
तुल्यता सूचक/समता सूचक=
कोष्ठक( ) { } [ ]
पद लोप चिह्न…….
इतिश्री/समाप्ति सूचक चिह्न-0- — —
विकल्प चिह्न/
दीर्घ उच्चारण चिह्नs

अल्प विराम ( , )
किसी वाक्य में जहाँ थोड़ा ठहरना हो या अधिक वस्तुओं, व्यक्तियों या स्थानों आदि को अलग करना हो वहाँ अल्प विराम ( , ) चिह्न का प्रयोग किया जाता है। हिंदी भाषा में अल्प विराम चिह्न का प्रयोग बहुत अधिक होता है।
उदाहरण:
हमारे देश में धान, गेहूँ, मक्का, चना, बाजरा, सरसों आदि अनेक फसलें उगाई जाती हैं।
सामान्यतया अल्पविराम का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है:
(क) वाक्य के भीतर एक ही प्रकार के शब्दों को अलग करने में जैसे:
सुरेश ने सेब, अमरुद, केले, अंगूर आदि खरीदे।
(ख) वाक्य के उपवाक्यों को अलग करने में जैसे:
मुकेश नहाता है, कपड़े पहनता है, उसके बाद स्कूल जाता है।
(ग) दो उपवाक्यों के बीच संयोजक शब्द का प्रयोग न किये जाने पर जैसे:
राजू ने सोचा, अच्छा हुआ जो मैं आज बाजार नहीं गया।
(घ) उद्धरण चिह्न के पूर्व जैसे:
मैनेजर ने चपरासी से कहा, “दफ्तर से निकल जाओ।”
(ङ) समय सूचक शब्दों को अलग करने में जैसे:
परसों सोमवार, 16 मार्च से बोर्ड की परीक्षाएँ प्रारम्भ होंगी।
(च) कभी कभी सम्बोधन के बाद इसका प्रयोग होता है। जैसे:
अनामिका, तुम शाम को खेलने के लिए नहीं आई।
(छ) समानाधिकरण शब्दों के बीच में, जैसे:
राजा जनक की पुत्री सीता, श्रीराम की पत्नी थी।
(ज) हाँ और नहीं, अस्तु के पश्चात्। जैसे:
हाँ, तुम घर जा सकते हो।
नहीं, ऐसा नहीं हो सकता है।
(झ) पत्र में अभिवादन तथा समापन के साथ जैसे:
आदरणीय भाई साहब, मान्यवर, महोदय,
(ञ) एक से अधिक अंको को लिखते समय भी अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है। जैसे:
1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 आदि।

अर्द्ध विराम (;)

अर्द्ध विराम (;) का प्रयोग वहाँ होता है जहाँ अल्प विराम से कुछ अधिक ठहरते है तथा पूर्ण विराम से कम ठहरते है।
उदाहरण:
जैसे ही सूर्योदय हुआ; अन्धकार दूर हुआ।
अर्द्ध विराम का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है:
(क) वाक्य के ऐसे उपवाक्यों को अलग करने मे जिनमें परस्पर विशेष सम्बंध न हो। जैसे:
आम को फलों का राजा कहा जाता है; किन्तु पहाड़ों में और ही किस्म के फल विशेष रूप से पैदा होते हैं।
(ख) मिश्र वाक्यों में प्रधान उपवाक्य पर अनेक आश्रित उपवाक्य हों। जैसे:
सूर्योदय हुआ; अन्धकार दूर हुआ; पक्षी चहचहाने लगे।
(ग) मिश्र तथा संयुक्त वाक्य में विपरीत अर्थ प्रकट करने वाले उपवाक्यों के बीच में। जैसे:
सूर्यास्त हो गया; लालिमा का स्थान कालिमा ने ले लिया।
(घ) विभिन्न उपवाक्यों पर अधिक जोर देने के लिए जैसे:
मेहनत ही जीवन है; आलस्य ही मृत्यु।
उप विराम (:)
उप विराम को अपूर्ण विराम भी कहा जाता है। उप विराम का स्वतंत्र प्रयोग किसी शीर्षक को उसीके आगे विस्तृत करने के लिए किया जाता है। उप विराम चिह्न को विसर्ग की तरह दो बिंदुओं के रूप में होता है, इसलिए कभी-कभी विसर्ग का भ्रम होता है। उप विराम चिह्न के उदाहरण इस प्रकार है:
(क) परमाणु विस्फोट : मानव जाति का भविष्य
(ख) तुलसीदास : एक अध्ययन

पूर्ण विराम (।)
पूर्ण विराम चिन्ह का अर्थ पूरी तरह ठहरना होता है। वाक्य में जहाँ एक बात, एक विचार या वाक्य के ही पूर्ण हो जाने पर जिस विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है उसे पूर्ण विराम कहते हैं। पूर्ण विराम चिन्ह वाक्य की समाप्ति का बोध करवाता है। जैसे:
(अ) सोहन पढ़ता लिखता है।
(ब) रचना पत्र लिखती है।
हिन्दी में पूर्ण विराम का प्रयोग सबसे अधिक होता है।
पूर्ण विराम का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है:
(क) सामान्यतः जहाँ वाक्य की समाप्ति होती है या विचार के तार एकदम टूट जायें, वहाँ पूर्णविराम का प्रयोग होता है।
जैसे:
(अ) यह गाय है।
(ब) वह पेड़ है।
(स) मैं खिलाड़ी हूँ।
संक्षेप में, प्रत्येक वाक्य की समाप्ति पर पूर्णविराम का प्रयोग होता है।
(ख) किसी व्यक्ति या वस्तु का सजीव वर्णन करते समय वाक्यांशों के अन्त में या क्रिया रहित वे के अंत में पूर्णविराम का प्रयोग होता है।
(अ) खूबसूरत चेहरा।
(ब) चौड़ा माथा।
प्रत्येक वाक्यांश अपने में पूर्ण और स्वतंत्र है। ऐसी स्थिति में पूर्णविराम का प्रयोग उचित ही है।
(ग) इस चिह्न का प्रयोग प्रश्नवाचक और विस्मयादिबोधक वाक्यों को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के वाक्यों के अंत में किया जाता है। जैसे:
(अ) नवीन बाजार से आ रहा है।
(ब) वह लड़की की सुन्दरता पर मुग्ध हो गया।
(घ) दोहा, सोरठा, श्लोक, चौपाई, सवैया आदि के पहले चरण की पंक्ति के अंत में एक पूर्ण विराम (।) तथा दूसरे चरण के अंत में दो पूर्ण विराम (।।) लगाने की प्रथा है। जैसे:
कबीरा खड़ा बाजार में, मांगे सबकी खैर।
न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर।।

प्रश्न सूचक चिह्न (?)
जिन वाक्यों में प्रश्नात्मक भाव हो उनके अंत में प्रश्न सूचक चिह्न ( ? ) का प्रयोग किया जाता है। प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है:
(क) प्रश्नवाचक वाक्यों जिनमें क्या, क्यों, कैसे, कब, कहाँ आदि शब्द आते हैं उनके अंत में प्रश्न सूचक चिह्न ( ? ) का प्रयोग किया जाता है। जैसे:
(अ) तुम क्या कर रहे हो?
(ब) सुनील क्यों नहीं आया?
(स) रामू बाज़ार कब जायेगा?
(ख) अनिश्चय तथा संदेह प्रकट करने वाले वाक्यों के अंत में। जैसे:
(अ) क्या तुम केरल के रहने वाले हो?
(ब) श्याम घर पर आया या नहीं?
सम्बोधन/ विस्मय सूचक चिह्न ( ! )
सम्बोधन/ विस्मय सूचक चिन्ह का प्रयोग किसी को पुकारने या बुलाने, विस्मय (आश्चर्य), ख़ुशी, दुःख, करुणा, शोक, घृणा, भय, हर्ष आदि भावों का बोध करवाने वाले शब्दों या वाक्यों के अन्त में सम्बोधन/ विस्मय सूचक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
(अ) सोहन! इधर आओ।
(ब) अरे! तुम कब आए।
(स) वाह! क्या सुन्दर दृश्य है।

अवतरण चिह्न/उद्धरण चिह्न

किसी का नाम या किसी महान पुरुष द्वारा कही गई बात को उद्धरण करने या किसी वाक्य के खास शब्द पर जोर देने के लिए अवतरण चिह्न {(‘…..’), (”…”)} का प्रयोग किया जाता है। इसके भेद निम्न प्रकार है
(क) एकल उद्धरण चिह्न (‘…’)
एकल उद्धरण चिन्ह का प्रयोग किसी कवि का उपनाम, पुस्तक का नाम, पत्र-पत्रिका का नाम, लेख या कविता के शीर्षक आदि का उल्लेख करने के लिए किया जाता है।
उदाहरण:
(अ) ‘कामायनी‘ का सार संक्षेप में लिखिए।
(ब) ‘महाभारत’ के लेखक महर्षि वेदव्यास हैं।
(ख) युगल उद्धरण चिह्न (‘‘….’’)
जब किसी के कथन को ज्यों का त्यों उद्धृत किया जाता है तो उस कथन के दोनों ओर इसका प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण:
(अ) “पराधीन सपनेहुँ सुख नाही।” (तुलसीदास)
(ब) “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा।” (सुभाष चंद्र बोस)
योजक चिह्न/समासचिह्न ( – )
दो शब्दों में परस्पर संबंध स्पष्ट करने के लिए तथा द्वन्द्व एवं तत्पुरुष समास में उन्हें जोड़कर लिखने के लिए योजक-चिह्न (–) का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण:
(अ) हानि-लाभ, सुख-दुःख, माता-पिता, रात-दिन आदि।
(ब) अलग-अलग, साथ-साथ, पात-पात आदि।
(स) राम-सा पुत्र, यशोदा-सी माता, हनुमान-सा भक्त आदि।
निर्देशक चिह्न (—)
निर्देशक चिह्न योजक चिन्ह से थोड़ा बड़ा होता है। इस चिन्ह का प्रयोग कथन, विवरण, तथा उद्धरण के लिए किया जाता है।
उदाहरण:
सुभाष चंद्र बोस ने कहा था— “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा।“
निर्देशक चिह्न को निम्नलिखित स्थानों पर प्रयुक्त किया जाता है:
(अ) संवाद लिखने में; जैसे:
रवि— तुम कब आये।
सरिता— मैं कल सुबह आ गयी थी।
(ब) किसी के द्वारा बोली हुई बात को उद्धर्धित करना; जैसे:
महात्मा गांधी ने कहा— “अहिंसा परम धर्म है।“
(स) किसी व्यक्ति, वस्तु तथा स्थान आदि की सूची से पहले इस चिन्ह का प्रयोग होता है। जैसे:
आज कक्षा में अनुपस्थित छात्रों के नाम निम्नलिखित हैं— साहिल, अनुज, गीता, बलराम।

विवरण चिह्न ( :¬- )
विवरण चिन्ह का प्रयोग किसी वाक्य के आगे कही बातें या उसका विवरण प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है। दूसरे शब्दों में- जब किसी के द्वारा कही हुई बात को स्पष्ट करना हो या फिर उसका विवरण प्रस्तुत करना हो तो वाक्य के अन्त में इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
(अ) शास्त्रों के अनुसार पुरुषार्थ चार हैं:- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष।
(ब) संज्ञा के तीन मुख्य भेद होते हैं:- व्यक्तिवाचक, जातिवाचक और भाववाचक।
हंसपद/विस्मरण चिह्न ( ˆ )
हंस पद/विस्मरण चिह्न का प्रयोग तब होता है यदि लिखते समय कोई शब्द या वाक्यांश छूट जाता है। हंसपद चिन्ह का प्रयोग करके हम उस छूटे हुए शब्द या वाक्यांश को उसकी सही जगह लिख सकते हैं।
उदाहरण:
मुझे आज ˆ जाना है।
बनारस
मुझे आज ˆ जाना है।
उपरोक्त वाक्य में यह लिखना भूल गए कि कहाँ जाना है इसलिए भूल सुधार करते हुए विस्मरण चिह्न के साथ जगह का नाम लिख सकते हैं।
टिप्पणी: विस्मरण चिह्न की जगह शब्द या वाक्यांश भी हो सकता है।

संक्षेपण/लाघव चिह्न ( ० )
लाघव चिह्न किसी शब्द को संक्षेप रूप में लिखने के लिए प्रयोग किया जाता है। शब्द को संक्षेप में लिख देने के कारण इस चिह्न को संक्षेपण चिह्न भी कहते हैं। जैसे:
डॉक्टर का संक्षेप रूप डॉ० होता है इसी प्रकार पंडित का संक्षेप रूप पं. होता है।
मास्टर ऑफ़ आर्ट्स के लिए संक्षेप में एम. ए. लिख सकते हैं।
तुल्यता सूचक/समता सूचक (=)
दो शब्दों या वाक्यांशों के मध्य समता या बराबरी दर्शाने के लिए तुल्यतासूचक/समता सूचक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण:
बल = शक्ति, जल = पानी आदि
विद्या + आलय = विद्यालय

कोष्ठक चिह्न ( ) { } [ ]

कोष्ठक चिह्न का प्रयोग वाक्य के बीच में आए हुए कठिन शब्दों अथवा पदों का अर्थ स्पष्ट करने के लिए किया जाता है कोष्ठक का प्रयोग किया जाता है। कोष्ठक के अंदर के शब्द या वाक्यांश वाक्य का हिस्सा नहीं होता है।
उदाहरण:
(अ) मनुष्य स्वभावतः जिज्ञासु (जाने की ईच्छा रखने वाला) होता है
(ब) लता मंगेशकर को भारत की स्वर कोकिला (मीठा गाने वाली) कहा जाता है।
कोष्ठक चिह्न तीन प्रकार के होते हैं:
(i) लघु कोष्ठक ( )
(ii) मझला कोष्ठक { }
(iii) दीर्घ या बड़ा कोष्ठक [ ]
हिन्दी साहित्य में लघु कोष्ठक का ही प्रयोग किया जाता है।
पद लोप चिह्न (…….)
जब वाक्य या अनुच्छेद में कुछ अंश छोड़ कर लिखना हो या वाक्य को अधूरा छोड़ दिया जाता है तो लोप चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण:
(अ) बरसात तो बहुत हुई मगर……
(ब) अगर श्याम बाजार चला जाता तो……….
(स) मैं तुम्हारा सब कहना मानूगां। …… मुझे छोड़कर तो नहीं जाओगे।

इतिश्री/समाप्ति सूचक चिह्न (–0–)
इस चिह्न का प्रयोग किसी अध्याय या ग्रंथ की समाप्ति पर किया जाता है।
विकल्प चिह्न ( / )
जब दो शब्दों या वाक्यांश में से किसी एक को चुनना हो तो विकल्प चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण:
यह पंक्ति अध्याय की इतिश्री/समाप्ति है।
सनातन/शाश्वत
दीर्घ उच्चारण चिह्न ( s )
जब किसी वाक्य में विशेष शब्द के उच्चारण में अन्य की अपेक्षा अधिक समय लगता है तो वहाँ दीर्घ उच्चारण चिह्न का प्रयोग किया जाता है। दूसरा छंदों की गणना में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलए कोई।
जो दिल ढूँढा आपनों, मुझसे बुरा न कोई।।
उपरोक्त पंक्तियों में मात्राओं की संख्या निम्न प्रकार से गणना कर सकते हैं:
।s । ।।। ।s, ।s । ।।। ।s = 19 मात्राएँ
। ।। ss s।।, ।।। ।s । ।s = 21 मात्राएँ
टिप्पणी: । को एक मात्रा तथा s दो मात्रा माना जाता है, । को लघ तथा s को दीर्घ मात्रा कहा जाता है।

पुनरुक्ति चिह्न ( ,, )
जब ऊपर लिखी किसी बात को ज्यों का त्यों नीचे वाली पंक्ति में दोहराना होता है तो उसकी जगह पुनरुक्ति चिह्न ( ,, ) का प्रयोग होता है।
उदहारण:
श्रीमान माननीय रवीन्द्रनाथ टैगोर
‘’ ,, राममोहन रॉय
रेखांकन चिह्न ( __ )
वाक्यों में जिन शब्दों या वाक्याशों को विशेष महत्त्व दिया जाता है उनके नीचे एक रेखा खींच देते हैं।
उदाहरण:
(अ) हरियाणा और उत्तर प्रदेश को यमुना नदी पृथक करती है।
(ब) गोदान उपन्यास, प्रेमचंद द्वारा लिखित सर्वश्रेष्ठ कृति है।