हिंदी व्याकरण अध्याय 10 उपसर्ग और प्रत्यय
हिंदी व्याकरण अध्याय 10 उपसर्ग और प्रत्यय तथा उनके विविध उदाहरण विद्यार्थी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। उपसर्ग और प्रत्यय शब्दों के अर्थ में परिवर्तन लाने वाले तत्व होते हैं, जिन्हें मूल शब्द से पहले या बाद में जोड़ा जाता है।
हिंदी व्याकरण – उपसर्ग और प्रत्यय
वे शब्दांश, जो किसी शब्द के आरंभ में लगकर उनके अर्थ में विशेषता ला देते हैं या तो उनके अर्थ को बदल देते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं। उपसर्गो के तीन प्रकार होते हैं।
दूसरे शब्दों में: उपसर्ग शब्द उप + सर्ग इन दो शब्दों के मेल से बना हुआ है जिसमें सर्ग मूल शब्द है जिसका अर्थ है जोड़ना या निर्माण करना। ये किसी शब्द से पहले जुड़कर नए अर्थ का निर्माण करते हैं, क्योंकि ये एक स्वतंत्र शब्द के रूप में प्रयोग नहीं होते हैं इसलिए उपसर्ग कहलाते हैं
उपसर्ग मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं:
1. तत्सम उपसर्ग (संस्कृत भाषा के उपसर्ग)
2. तद्भव उपसर्ग (हिन्दी के उपसर्ग)
3. आगत उपसर्ग (उर्दू, अरबी-फारसी उपसर्ग)
तत्सम उपसर्ग (संस्कृत भाषा के उपसर्ग)
तत्सम शब्द संस्कृत भाषा के दो शब्दों, तत् + सम् से मिलकर बना है। तत् का अर्थ है – उसके, तथा सम् का अर्थ है – समान। अर्थात – ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना किसी परिवर्तन के ले लिया जाता है, उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं। संस्कृत के उपसर्ग या तत्सम उपसर्ग- इनकी संख्या 22 है।
1. प्रति– इसका प्रयोग ‘विरोध’, ‘सामने’, ‘बराबरी, ‘ हर एक (प्रत्येक) आदि के अर्थ में किया जाता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
प्रत्येक प्रति + एक
प्रतिध्वनि प्रति + ध्वनि
2. प्र– इसका प्रयोग ‘अधिक’, ‘आगे’, विशेष, मुख्य आदि के अर्थ में होता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
प्रख्यात प्र + ख्यात
प्रमाण प्र + मान
3. दुर/दुस्– इसका प्रयोग बुरा, कठिन, दुष्ट, हीन आदि के लिए होता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
दुरात्मा दुर् + आत्मा
दुर्गति दुर् + गति
4. सम्– इसका प्रयोग अच्छी तरह, समान, संयोग, पूर्णता आदि के लिए होता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
संहार सम् + हार
संशय सम् + शय
5. निर्/निस्– इसका प्रयोग रहित, निषेध, बिना आदि के अर्थ में किया जाता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
निर्वसन निर् + वसन
निर्गुण निर् + गुण
6. अधि– इसका प्रयोग ऊँचे, सामीप्य या श्रेष्ठ आदि के अर्थ में किया जाता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
अध्यक्ष अधि + अक्ष
अध्यादेश अधि + आदेश
7. अति– इसका प्रयोग अधिक, ऊपर, अधिकार, स्वार्थ आदि के अर्थ में होता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
अत्युक्ति अति + उक्ति
अत्यन्त अति + अन्त
8. अनु– इसका प्रयोग ‘पीछे’, ‘बाद में’, समान, गौण, आदि के अर्थ में होता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
अनुज अनु + ज
अनुपात अनु + पात
9. आ– इसका प्रयोग ‘तक’, ओर, समेत, विपरीत (उल्टा) आदि के अर्थ में किया जाता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
आजन्म आ + जन्म
आमरण आ + मरण
10. अप– इसका प्रयोग अभाव, हीनता, अनुचित या बुराई के अर्थ में होता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
अपभ्रंश अप + भ्रंश
अपयश अप + यश
11. अभि– इसका प्रयोग सामने, चारों ओर, पास आदि के अर्थ में होता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
अभ्यागत अभि + आगत
अभ्यास अभि- आसौल
12. उत्/उद्– इसका प्रयोग ‘ऊँचा’, ‘श्रेष्ठ’, ‘ऊपर’ के अर्थ में किया जाता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
उद्घाटन उत् + घाटन
उल्लास उत् + लास
13. सु– इसका प्रयोग अच्छा, सुन्दर, सहज, सुखी आदि के अर्थ में होता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
स्वागत सु + आगत
सुगम सु + गम
14. नि– इसका प्रयोग निषेध, नीचे, अधिकता (अतिरिक्त) आदि के अर्थ में किया जाता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
निकृष्ट नि + कृष्ट
नियुक्ति नि + युक्ति
15. परि– इसका प्रयोग चारों ओर, अतिशय, पूर्ण आदि के अर्थ में होता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
पर्यावरण परि + आवरण
परीक्षा परि + ईक्षा
16. परा– इसका प्रयोग विपरीत (उल्टा), अनादर, पीछे आदि के अर्थ में होता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
पराजय परा + जय
परामर्श परा + मर्श
17. अव– इसका प्रयोग पतन, बुरा, हीन आदि के अर्थ में होता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
अवमूल्यन अव + मूल्यन
अवज्ञा अव + ज्ञा
18. वि– इसका प्रयोग विशेषता, भिन्नता, या अभाव के अर्थ में होता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
व्युत्पत्ति वि + उत्पत्ति
व्यर्थ वि + अर्थ
19. उप– इसका प्रयोग समीप, छोटा, समान, सहायक, गौण आदि के अर्थ में होता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
उपकरण उप + करण
उपकार उप + कार
संस्कृत के अन्य उपसर्ग
1. सत्– इसका प्रयोग श्रेष्ठ, सच्चा, अच्छा के अर्थ में होता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
सज्जन सत् + जन
सच्छास्त्र सत् + शास्त्र
2. प्राक्/प्राग– पहले के अर्थ में इसका प्रयोग होता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
प्राक्कथन प्राक् + कथन
प्रागैतिहासिक प्राक् + ऐतिहासिक
3. अलम्– बहुत के अर्थ में इसका प्रयोग होता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
अलंकार अलम् + कार
अलंकृत अलम् + कृत
4. प्रादुर्– इसका प्रयोग प्रकट होने के अर्थ में होता है। जैसे:
शब्द उपसर्ग
प्रादुर्भाव प्रादुर् + भाव
तद्भव उपसर्ग (हिन्दी के उपसर्ग)
तद्भव शब्दों में प्रयोग किये जाने वाले उपसर्ग को हिंदी के उपसर्ग कहते हैं। इनकी संख्या 13 है। ये मुख्यतः अभाव, निषेध, संख्या, अच्छाई-बुराई, पूर्णता आदि का अर्थ लिए होते हैं। इन्हें तद्भव उपसर्ग भी कहा जाता है।
उपसर्ग | अर्थ | उपसर्ग युक्त शब्द |
---|---|---|
चौ | चार | चौपाल, चौपाई, चौपाया, चौघडिया |
पर् | दूसरे के अर्थ में | पराधिन, पराक्रम, परास्त, पराजय |
अन् | रहित | अनपढ़, अनमोल, अन्ना, अनावश्यक |
नि | रहित | निशुल्क, निरोध, निरोग, निवास |
सु | अच्छा | सुफल, सुगम, सुपथ, सुप्रसिद्ध, सुप्रभात |
प्रति | विपरीत | प्रतिदिन, प्रतिक्षण, प्रतिपल |
औ | हीनता | औरस, औघड़ |
कु | बुरा | कुतर्क, कुदृष्टि, कुपोषण, कुपरिणाम |
आगत उपसर्ग (उर्दू, अरबी-फारसी, अंग्रेजी के उपसर्ग)
हिंदी में प्रयोग किये जाने वाले विदेशी भाषाओं (अरबी, फारसी, उर्दू, अंग्रेजी) के उपसर्ग आगत उपसर्ग कहलाते हैं। इनकी संख्या 19 है। जो उपसर्ग अरबी फारसी व उर्दू भाषा से आए है। अलविदा,अलबत्ता,अलगरज आदि।
उपसर्ग | अर्थ | उपसर्ग युक्त शब्द |
---|---|---|
ब | के साथ | बकौल, बरहम, बनिस्पत |
बा | साथ | बाकायदा, बावस्ता, बाईज्जत |
कम | थोड़ा | कमसिन, कमबख्त, कमजर्फ |
दर | में | दरअसल, दरकिनार, दरकार, दरबार |
ना | नहीं | नामुराद, नामुमकिन, नाकाबिल |
बद | बुरा | बदहाली, बदकिस्मत, बदनसीब |
खुश | अच्छा | खुशफहमी, खुशगवार, खुशनुमा |
अंग्रेजी के उपसर्ग
उपसर्ग | अर्थ | उपसर्ग युक्त शब्द |
---|---|---|
सब | अधीन | सब औरडिनेट, सब इंस्पेक्टर |
वाइस | सहायक | वाइस – चांसलर, वाइस प्रेसिडेंट |
चीफ | प्रमुख | चीफ़ मिनिस्टर, चीफ़ गेस्ट |
हेड | प्रमुख | हेड कांस्टेबल, हेड क्वार्टर |
डिप्टी | उप | डिप्टी मेयर, डिप्टी कलेक्टर |
प्रत्यय
जो शब्दांश किसी मूल धातु के बाद लगकर शब्द का निर्माण करते हैं उन्हें प्रत्यय कहते हैं। भाषा में प्रत्यय का महत्त्व इसलिए भी है कि उसके प्रयोग से मूल शब्द के अनेक अर्थ प्राप्त किये जा सकते हैं। यौगिक शब्द बनाने में प्रत्यय का महत्वपूर्ण स्थान है।
उदाहरण:
खेल + आड़ी = खिलाड़ी
मेल + आवट = मिलावट
टिप्पणी: उपसर्ग और प्रत्यय में समानता
उपसर्ग और प्रत्यय दोनों ही शब्दांश होते हैं, पूर्ण शब्द नहीं। इनका अकेले प्रयोग नहीं किया जाता। दोनों के प्रयोग से अर्थ में अंतर आता है। एक शब्द में इन दोनों को एकसाथ भी जोड़ा जा सकता है।
उदाहरण:
उपसर्ग | मूल शब्द – प्रत्यय | नया शब्द |
---|---|---|
अभि | मान – ई | अभिमानी |
अ | ज्ञान – ई | अज्ञानी |
स्व | तंत्र – ता | स्वतन्त्रता |
प्रत्यय के प्रकार
हिन्दी में प्रत्यय तीन प्रकार के होते हैं:
1. संस्कृत प्रत्यय
2. हिन्दी प्रत्यय (कृत प्रत्यय, तद्धित प्रत्यय)
3. विदेशी प्रत्यय
शब्द | प्रत्यय | नया शब्द |
---|---|---|
हर्ष, गर्व, लज्जा, पल्लव | इत | हर्षित, गर्वित, लज्जित, पल्लवित |
मानस, साहस, धर्म, मर्म | इक | मानसिक, साहसिक, धार्मिक, मार्मिक |
भारत, मानव, राष्ट्र, स्थान | ईय | भारतीय, मानवीय, राष्ट्रीय, स्थानीय |
अग्नि, पथ, राधा | एय | आग्नेय, पाथेय, राधेय |
अधिक, न्यून, कठिन, श्रेष्ठ | तम | अधिकतम, न्यूनतम, कठिनतम, श्रेष्ठतम |
बल, धन, गुण, दया | वान | बलवान, धनवान, गुणवान, दयावान |
श्री, शक्ति, बुद्धि | मान | श्रीमान, शक्तिमान, बुद्धिमान |
गुरु, लघु, बन्धु | त्व | गुरुत्व, लघुत्व, बन्धुत्व |
वैभव, भाग्य, प्रभाव, शक्ति | शाली | वैभवशाली, भाग्यशाली, प्रभावशाली, शक्तिशाली |
श्रेष्ठ, कम, उच्च, निम्न, लघु | तर | श्रेष्ठतर, कमतर, उच्चतर, निम्नतर, लघुतर |
हिंदी प्रत्यय
हिंदी प्रत्यय मुख्यतया दो प्रकार के होते है:
1. कृत् प्रत्यय
2. तद्धित प्रत्यय
कृत् प्रत्यय
वे प्रत्यय शब्द जो क्रिया के धातु रूप के अंत में लगाकर नए शब्द की रचना करते हैं उन्हें कृत प्रत्यय कहते हैं। कृत प्रत्ययों से संज्ञा और विशेषण शब्दों की रचना होती है।
दूसरे शब्दों में: वे प्रत्यय जो क्रिया के मूल रूप यानी धातु के अंत में जोड़े जाते हैं, कृत् प्रत्यय कहलाते है। धातु और कृत् प्रत्यय के योग से बनाने वाले शब्द कृदंत शब्द कहलाते हैं।
उदाहरण:
लिख + अक = लेखक
टिप्पणी: उपरोक्त उदाहरण में ‘लिखना’ क्रिया शब्द है और इसकी मूल धातु लिख है। अतः लिख में अक प्रत्यय जोड़ने से लेखक बनता है जो कि एक संज्ञा शब्द है।
संज्ञा की रचना करने वाले कृत् प्रत्यय
कृत् प्रत्यय – संज्ञा शब्द
न – बेलन, बंधन, चन्दन, मंथन, सहन
आ – घेरा, ठेला, मेला, खेला, झूला, भूला
ई – बोली, खोली, हंसी, रेती, सुनी
अन – पठन, रटन, मोहन
विशेषण की रचना करने वाले कृत् प्रत्यय
कृत् प्रत्यय – विशेषण शब्द
आऊ – उबाऊ, टिकाऊ, बिकाऊ, दिखाऊ
एरा – लुटेरा, बसेरा, कमेरा
आड़ी – खिलाड़ी, कबाड़ी, अगाडी, पिछाड़ी
कृत् प्रत्यय के भेद
कृत् प्रत्यय के पांच भेद होते हैं:
1. कृत् वाचक (कर्ता वाचक)
2. कर्म वाचक
3. कारण वाचक
4. भाव वाचक
5. क्रिया वाचक
कृत् वाचक कृत् प्रत्यय
वे प्रत्यय जो धातुओं के अंत में जुड़कर कर्ता वाचक शब्दों का निर्माण करते हैं कृत् वाचक या कर्ता वाचक कृत् प्रत्यय कहते हैं।
उदाहरण:
प्रत्यय – कर्ता वाचक कृत् प्रत्यय निर्मित शब्द
क – रक्षक, शोषक, पोशाक, भक्षक
हार – पालनहार, खेवनहार, राखनहार
वाला – पढ़नेवाला, लिखनेवाला, बोलनेवाला
अक – लेखक, गायक, पाठक, नायक, दर्शक
कर्मवाचक कृत् प्रत्यय
कर्म का बोध करानेवाला कृत् प्रत्यय कर्मवाचक कृत् प्रत्यय कहलाता है। अथवा यदि किसी वाक्य में प्रयुक्त कर्म कारक कृत् प्रत्यय के योग से बना हो तो उसे कर्मवाचक कृत् प्रत्यय कहते हैं।
उदाहरण:
प्रत्यय – कर्म वाचक कृत् प्रत्यय निर्मित शब्द
नी – मथनी, छलनी, ओढ़नी, फेरनी, जननी
औना – खिलौना, बिछौना, सलौना
ना – पढ़ना, लिखना, चलना, गाना
करणवाचक कृत् प्रत्यय
साधन का बोध कराने वाले कृत् प्रत्यय को करणवाचक कृत् प्रत्यय कहते हैं। अथवा यदि किसी वाक्य में प्रयुक्त करण कारक कृत् प्रत्यय के योग से बना हो तो उसे करणवाचक कृत् प्रत्यय कहते हैं।
उदाहरण:
प्रत्यय करण वाचक कृत् प्रत्यय निर्मित शब्द
ई फाँसी, खाँसी, रस्सी,
नी सूँघनी, चटनी, कतरनी, चलनी, करनी
अन बेलन, पालन, ढक्कन, झाड़न
ऊ झाड़ू, चालू
भाव वाचक कृत् प्रत्यय
क्रिया के भाव का बोध कराने वाले प्रत्यय भाववाचक कृत् प्रत्यय कहलाते हैं।
उदाहरण:
प्रत्यय – भाव वाचक कृत् प्रत्यय निर्मित शब्द
आवट – मिलावट, सजावट, बनावट, लिखावट
आई – पढ़ाई, लिखाई, दिखाई, चढ़ाई, खिंचाई, धुलाई
आप – मिलाप, विलाप, खिलाफ
क्रियावाचक कृत् प्रत्यय
क्रिया शब्दों का बोध करवाने वाले कृत् प्रत्यय को क्रियावाचक कृत् प्रत्यय कहते हैं। यदि किसी धातु के साथ वाक्य में हुआ, हुई, हुए, ना जुड़ा हुआ हो वहा क्रियावाचक कृत् प्रत्यय माना जाता है।
उदाहरण:
प्रत्यय – क्रियावाचक कृत् प्रत्यय निर्मित शब्द
या – आया, गया, खाया, बोया, धोया
ता – खाता, पीता, सोता, रोता, धोता, लिखता, पढ़ता
कर – खाकर, गाकर, सुनकर, देखकर, दौड़कर, गिरकर
आ – भूखा, सूखा, भूला, खुला, धुला
तद्धित प्रत्यय
वे प्रत्यय जो धातु को छोड़कर- संज्ञा, सर्वनाम व विशेषण आदि में जुड़कर नए शब्द बनाते हैं, तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में:
वे प्रत्यय जो संज्ञा, सर्वनाम व विशेषण के साथ जुड़कर नए शब्दों का निर्माण करते हैं तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
उदाहरण:
प्रत्यय | मूल शब्द | नया शब्द |
---|---|---|
ता | मानव, दानव | मानवता, दानवता |
गर | जादू, बाजी | जादूगर, बाजीगर |
आ | भूख, प्यास | भूखा, प्यासा |
आई | पढ़, लिख | पढ़ाई, लिखाई |
तद्धित प्रत्यय के भेद
तद्धित प्रत्यय के निम्नलिखित भेद हैं:
1. कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
2. भाववाचक तद्धित प्रत्यय
3. संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय
4. गुणवाचक तद्धित प्रत्यय
5. स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय
6. ऊनतावाचक तद्धित प्रत्यय
7. स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय
कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्द के साथ जुड़कर कर्ता वाचक शब्द का निर्माण करते हैं उन्हें कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
या
कर्ता का बोध कराने वाले तद्धित प्रत्यय कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
उदाहरण:
प्रत्यय – कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय निर्मित शब्द
वाला – गाड़ीवाला, घोड़ेवाला, टोपीवाला
आर – सुनार, लुहार, दुकानदार, कुम्हार
ई – तेली, माली
कार – फनकार, संगीतकार, चित्रकार, पत्रकार
भाववाचक तद्धित प्रत्यय
किसी भाव या अवस्था का बोध कराने वाले प्रत्यय को, भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहतें हैं।
उदाहरण:
प्रत्यय – भाववाचक तद्धित प्रत्यय निर्मित शब्द
आहट – कड़वाहट, टकराहट, घबराहट
ई – सर्दी, गर्मी, नरमी, अमीरी, गरीबी
ता – मानवता, सुन्दरता, दुर्बलता
आपा – बुढ़ापा, मोटापा
आस – मिठास, खटास
संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय
वे तद्धित प्रत्यय जो किसी शब्द के साथ जुड़कर संबंध वाचक शब्द का निर्माण करते हैं उन्हें संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं। अर्थात सम्बंध का बोध कराने वाले तद्धित प्रत्यय संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
उदाहरण:
प्रत्यय – सम्बंधवाचक तद्धित प्रत्यय निर्मित शब्द
तर – निम्नतर, कठिनतर, समानतर, उच्चतर
इक – साहसिक, शारीरिक, सामाजिक, मानसिक
ईला – हठीला, गठीला, रंगीला, भड़कीला
आलु – कृपालु, दयालु, श्रद्धालु
गुणवाचक तद्धित प्रत्यय
गुण का बोध कराने वाले तद्धित प्रत्यय गुणवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
उदाहरण:
प्रत्यय – गुणवाचक तद्धित प्रत्यय निर्मित शब्द
आ – रुखा, सूखा, भूखा, ठंडा
इत – कुपित, शापित, भ्रमित, निमित, पुष्पित, क्रोधित, आनंदित
ईय – राष्ट्रीय, भारतीय, नाटकीय
वान – गुणवान, धनवान, पहलवान, बलवान, आशावान
ई – क्रोधी, रोगी, ढोंगी, भारी, जंगली
स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय
स्थान का बोध कराने वाले तद्धित प्रत्यय स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
टिप्पणी: संज्ञा के अंत में ई, वाला, इया आदि शब्द लगाकर स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय बनाए जाते हैं।
उदाहरण:
प्रत्यय – स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय निर्मित शब्द
ई – जर्मनी, रूसी, गुजराती, राजस्थानी
वाला – गाँववाला, शहरवाला, दिल्लीवाला, बनारसवाला
इया – मुम्बइया, जयपुरिया, कानपुरिया, नागपुरिया
ऊनतावाचक तद्धित प्रत्यय
संज्ञा, सर्वनाम व विशेषण शब्दों के साथ जुड़कर लघुता का बोध कराने वाले तद्धित प्रत्यय ऊनतावाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
उदाहरण:
प्रत्यय – ऊनतावाचक तद्धित प्रत्यय निर्मित शब्द
इया – खटिया, लुटिया, घटिया
ई – प्याली, ढोलकी, नाली, बाली, झंडी, डंडी
ड़ी – पंखुड़ी, मुखड़ी, टुकड़ी, आंतड़ी
री – टोकरी, कोठरी, पटरी, गठरी
स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय
स्त्रीलिंग का बोध कराने वाले तद्धित प्रत्यय स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
उदाहारण:
प्रत्यय – स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय निर्मित शब्द
आनी – सेठानी, जेठानी, देवरानी, मेहतरानी, नौकरानी
आईन – पंडिताईन, ठकुराईन, चौधराईन
इन – जोगिन, कुम्हारिन, मालिन, बाघिन
नी – ऊंटनी, शेरनी, मोरनी, नंदनी
उर्दू के प्रत्यय
हिन्दी भाषा में उर्दू के बहुत सारे शब्द प्रचलन में रहने के कारण हिन्दी भाषा में उर्दू भाषा प्रत्यय भी प्रयोग में आने लगे हैं।
उदाहारण:
प्रत्यय – उर्दू प्रत्यय निर्मित शब्द
दार – सूबेदार, हवलदार, किरायेदार, जमींदार, नम्बरदार
गी – बानगी, सादगी, ताजगी
मंद – दौलतमंद, जरूरतमंद, अहसानमंद, अक्लमंद
गर – कारीगर, बाजीगर, सौदागर
कार – लेखाकार, सलाहकार, जानकार, काश्तकार
खोर – चुगलखोर, रिश्वतखोर, आदमखोर, हरामखोर
बंद – पाबन्द, कलमबंद, नजरबन्द, कमरबंद, दस्तबंद
आना – नजराना, सालाना, दोस्ताना, खजाना
अंग्रेजी प्रत्यय
प्रत्यय – अंग्रेजी प्रत्यय निर्मित शब्द
इज्म – हिन्दुइज्म, कम्युनिज्म, सोशलिज्म, बुद्धिज्म
इस्ट – सोशलिस्ट, बुद्धिस्ट, कम्युनिस्ट