एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 8 गीत अगीत
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 8 गीत अगीत में कवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा प्रकृति और जीवन के अनकहे गीतों को व्यक्त किया गया है। इस अध्याय पर आधारित प्रश्न विद्यार्थियों को मुख्य भाव, काव्य सौंदर्य और कवि की संवेदनाओं को समझने में मदद करते हैं। अभ्यास प्रश्नों से कविता की पंक्तियाँ और अर्थ आसानी से याद हो जाते हैं। यह प्रश्न परीक्षा की तैयारी के लिए उपयोगी हैं और आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं।
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श पाठ 8 के प्रश्न उत्तर
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श पाठ 8 के अति-लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श पाठ 8 के लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श पाठ 8 के दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श पाठ 8 MCQ
अभ्यास के प्रश्न उत्तर
गीत अगीत कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 8 के अभ्यास के प्रश्न उत्तर
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(क) नदी का किनारों से कुछ कहते हुए बह जाने पर गुलाब क्या सोच रहा है? इससे संबंधित पंक्तियों को लिखिए।
उत्तर देखेंतट पर एक गुलाब सोचता,
“देते स्वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर वेफ सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता।”
(ख) जब शुक गाता है, तो शुकी के हृदय पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर देखेंजब शुक डाल पर बैठकर गाता है तब शुकी नीचे घोंसले में बैठकर अंडे सेती हुई उसके स्वर को सुनकर अपने मन में प्रसन्न होती है। शुक के गाने का सीधा प्रभाव शुकी के मन पर पड़ता है।
(ग) प्रेमी जब गीत गाता है, तब प्रेमिका की क्या इच्छा होती है:
उत्तर देखेंप्रेमी जब सांझ ढले आल्हा गाता है तो दूर अपने घर में बैठी उसकी प्रिया को उसका स्वर बरबस ही खींच लाता है और पेड़ की छाया में छिपकर गीत सुन रही प्रिया का यही मन करता है कि काश मैं भी अपने प्रिय के गीत की कड़ी होती।
(घ) प्रथम छंद में वर्णित प्रकृति-चित्रण को लिखिए।
उत्तर देखेंप्रथम छंद में कवि ने नदी को मानवीकरण रूप में प्रस्तुत करते हुए उसके बहने को उसके मन की बात के रूप मे रखा है। उसका मानना है कि मानो नदी बहते हुए अपने किनारों से बात करती हुई चलती है और वहीं उसके किनारे पर खिला गुलाब भी मन ही मन यही सोचता है कि यदि मुझे भी स्वर मिलते तो मैं भी अपने सपनों के गीत लोगों को गा-गाकर सुनाता।
(ङ) प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों के संबंध की व्याख्या कीजिए।
उत्तर देखेंकवि का कहना है कि पशु-पक्षियों के द्वारा मानो प्रकृति स्वयं ही गीत गाती है गुनगुनाती है। और उनके ही माध्यम से मानो लोगों को अपने संदेश देने की कोशिश करती है।
(च) मनुष्य को प्रकृति किस रूप में आंदोलित करती है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर देखेंमनुष्य को प्रकृति हर रूप में आंदोलित करती है चाहे वह नदी का बहना हो, झरने का गिरना हो, पक्षियों का चहचहाना हो या फिर अपने हरे-भरे रूप से प्रभावित करती है। इसी प्रकार वह अपने हर रूप में किसी न किसी प्रकार से हर बार नया संदेश देती है।
(छ) सभी कुछ गीत है, अगीत कुछ नहीं होता। कुछ अगीत भी होता है क्या? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर देखेंजो गाया गया है वह गीत है ओर जिसे गाया जाना है वह अगीत है । प्रकृति या मनुष्य की भावनाएं जब मूर्त रूप ले लेती हैं तो वह गीत बन जाता है और मूर्त रूप लेने के लिए प्रस्तुत भावनाएं अगीत रूप में हमारे सामने रहती हैं।
(ज) ‘गीत-अगीत’ के केंद्रीय भाव को लिखिए।
उत्तर देखें‘गीत-अगीत’ के द्वारा कवि ने यह बताने का प्रयास किया है कि प्रकृति में होने वाली हर धटना और हमारे अंदर की भावना और संवेदना किसी न किसी रूप में एक दूसरे को प्रभावित करती हैं और यही प्रभाव कभी गीत के रूप में तो कभी अगीत के रूप में हमारे सामने प्रस्तुत होता है।
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 8 के व्याख्या पर आधारित प्रश्न उत्तर
2. संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
(क) अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता;
उत्तर देखेंप्रस्तुत पंक्तियों में गुलाब भी सोचते हुए कहता है कि यदि मुझे भी स्वर मिल जाते तो मैं भी अपने सपनों तथा अपने सुख-दुख को इस दुनिया के सामने शब्द रूप में सबके सामने रखता।
(ख) गाता शुक जब किरण वसंती
छूती अंग पर्ण से छनकर;
उत्तर देखेंजब ऊॅंची डाल पर बैठकर शुक अपने स्वर में गीत गाता है तब ठंडी बसंती हवा मिठास के साथ शुकी के अंतर्मन को आल्हादित करती है।
(ग) हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
बिधना यों मन में गुनती है
उत्तर देखेंप्रस्तुत पंक्तियों में एक प्रेमिका अपने प्रिय को आल्हा गाते हुए देखकर अपने मन में यह सोचती है कि यदि मैं भी इस गीत की कड़ी होती तो मेरा हृदय भी पूरे उत्साह से भर जाता।
3. निम्नलिखित उदाहरण में ‘वाक्य-विचलन’ को समझने का प्रयास कीजिए। इसी आधार पर प्रचलित वाक्य-विन्यास लिखिए-
उदाहरण:
तट पर एक गुलाब सोचता
एक गुलाब तट पर सोचता है।
(क) देते स्वर यदि मुझे विधाता
………………………….
(ख) बैठा शुक उस घनी डाल पर
………………………….
(ग) गूँज रहा शुक का स्वर वन में
………………………….
(घ) हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
………………………….
(ङ) शुकी बैठ अंडे है सेती
………………………….
उत्तर देखें(क) यदि विधाता मुझे स्वर देते
(ख) शुक उस घनी डाल पर बैठा है
(ग) वन में शुक का स्वर गूँज रहा है
(घ) मैं गीत की कड़ी क्यों न हुई
(ङ) शुकी बैठकर अंडे सेती है
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 8 गीत अगीत पर आधारित अति-लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 8 अति-लघु उत्तरीय प्रश्न-उत्तर
1. कविता “गीत-अगीत” का मुख्य प्रश्न क्या है?
उत्तर देखेंइस कविता का मुख्य प्रश्न है—गीत सुंदर है या अगीत। कवि बार-बार यही सवाल उठाकर जीवन के गाए और अनगाए दोनों पक्षों की सुंदरता और महत्व को रेखांकित करता है।
2. तटिनी किस प्रकार बह रही है?
उत्तर देखेंतटिनी वेगवती होकर गीत गाते हुए बह रही है। उसका प्रवाह विरह के स्वर जैसा प्रतीत होता है, जिससे उसका दुख और भावनात्मक उफान स्पष्ट झलकता है।
3. गुलाब किस प्रकार की इच्छा व्यक्त करता है?
उत्तर देखेंगुलाब सोचता है कि यदि उसे स्वर मिलता, तो वह अपने पतझर के सपनों और मौन वेदना को गीत के रूप में संसार तक पहुँचा पाता।
4. गुलाब और निर्झरी में क्या अंतर है?
उत्तर देखेंनिर्झरी स्वरयुक्त होकर अपने भाव प्रकट कर पाती है, जबकि गुलाब मौन रहकर अपने पतझर का दुख सहता है। यही गीत और अगीत की तुलना है।
5. शुक कहाँ बैठा है?
उत्तर देखेंशुक घनी डाल पर बैठा है, जिसकी छाया नीचे बसे खोंते पर पड़ती है। वहीं शुकी अंडों को से रही है और शुक वसंत की किरणों से प्रेरित होकर गा रहा है।
6. शुकी क्या कर रही है?
उत्तर देखेंशुकी घोंसले में बैठकर अंडों को से रही है। उसका कार्य मौन और त्यागपूर्ण है, जिसमें प्रेम और मातृत्व का अगीत सौंदर्य झलकता है।
7. शुक के गीत का प्रभाव कैसा है?
उत्तर देखेंशुक का गीत वन में गूँजता है और उसमें उल्लास और सौंदर्य की ध्वनि भरी होती है। उसके स्वर वन को जीवन्त बना देते हैं।
8. शुकी के गीत का क्या होता है?
उत्तर देखेंशुकी के गीत उमड़ते हैं, पर वे स्नेह और मातृत्व में डूबकर भीतर ही रह जाते हैं। उनका सौंदर्य मौन, त्याग और संवेदना में निहित है।
9. आल्हा गाने वाला प्रेमी कौन-सा भाव जगाता है?
उत्तर देखेंआल्हा गाने वाले प्रेमी का स्वर इतना प्रभावी होता है कि उसकी राधा घर से निकलकर नीम की छाया में आकर गीत को छिपकर सुनने लगती है।
10. राधा गीत सुनकर क्या सोचती है?
उत्तर देखेंराधा मन ही मन गुनती है कि काश वह स्वयं गीत का अंश बन जाती। यह उसकी गहरी भावनात्मक अनुभूति और गीत की ओर आकांक्षा को दर्शाता है।
11. तीसरे पद का दृश्य कहाँ घटित होता है?
उत्तर देखेंतीसरे पद का दृश्य सांझ के समय नीम की छाया तले घटित होता है, जहाँ एक प्रेमी गा रहा है और उसकी प्रेयसी छिपकर उसे सुन रही है।
12. कवि ने अगीत को किससे जोड़ा है?
उत्तर देखेंकवि ने अगीत को मौन, त्याग, मातृत्व और अनकहे प्रेम से जोड़ा है। इसमें बाहरी स्वर नहीं है, परंतु आंतरिक सौंदर्य और गहराई भरी हुई है।
13. कविता में गीत किसका प्रतीक है?
उत्तर देखेंगीत अभिव्यक्ति, उल्लास और बाहरी सुंदरता का प्रतीक है। यह निर्झरी के स्वर, शुक के गीत और प्रेमी के आल्हा गान के माध्यम से प्रस्तुत हुआ है।
14. कविता का स्वरूप कैसा है?
उत्तर देखेंकविता प्रतीकात्मक और प्रश्नात्मक है। इसमें प्रकृति और जीवन के विभिन्न रूपों द्वारा गीत और अगीत की तुलना कराई गई है, जिससे जीवन-दर्शन स्पष्ट होता है।
15. कवि का निष्कर्ष क्या है?
उत्तर देखेंकवि सीधे उत्तर नहीं देता, बल्कि पाठक को सोचने पर मजबूर करता है कि गीत सुंदर है या अगीत। वस्तुतः दोनों की अपनी-अपनी महत्ता और सुंदरता है।
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 8 गीत अगीत के लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 8 लघु उत्तरीय प्रश्न-उत्तर
1. कविता में तटिनी और गुलाब का प्रसंग किस विचार को स्पष्ट करता है?
उत्तर देखेंतटिनी गाते हुए बहती है, जिससे उसका दुख और भाव प्रकट हो जाता है। दूसरी ओर गुलाब स्वरहीन होकर अपने पतझर के सपनों और वेदना को भीतर ही सँजोए रहता है। कवि इन दोनों के माध्यम से यह दिखाते हैं कि जीवन में गीत (प्रकट भाव) और अगीत (मौन भाव) दोनों ही रूपों में सुंदरता छिपी है।
2. शुक और शुकी का वर्णन गीत-अगीत की अवधारणा को कैसे प्रकट करता है?
उत्तर देखेंशुक घनी डाल पर बैठकर वसंत की प्रेरणा से गाता है। उसका स्वर वन में गूँजता है और उल्लास जगाता है। वहीं शुकी अंडे सेती है और उसका प्रेम मौन रूप में व्यक्त होता है। शुक का गीत ‘गीत’ है तो शुकी का मातृत्व ‘अगीत’। दोनों में ही जीवन की सुंदरता विद्यमान है।
3. आल्हा गाने वाले प्रेमी और राधा का प्रसंग कविता के भाव को कैसे पुष्ट करता है?
उत्तर देखेंआल्हा गाने वाले प्रेमी का स्वर इतना प्रभावी है कि उसकी प्रेयसी राधा घर से निकलकर नीम की छाया में छिपकर गीत सुनने आती है। वह मन ही मन सोचती है कि क्यों न मैं स्वयं गीत बन जाऊँ। इस प्रसंग से गीत की आकर्षण-शक्ति और अगीत की मौन तल्लीनता दोनों झलकती हैं।
4. कविता में गीत और अगीत के प्रतीकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर देखेंनिर्झरी, शुक और आल्हा गाने वाला प्रेमी ‘गीत’ के प्रतीक हैं— ये स्वरयुक्त होकर भावों को प्रकट करते हैं। वहीं गुलाब, शुकी और राधा की मौन भावनाएँ ‘अगीत’ के प्रतीक हैं—ये मौन होकर भी गहराई लिए हुए हैं। कवि इन प्रतीकों द्वारा जीवन की द्वंद्वात्मक सुंदरता दिखाते हैं।
5. कविता का केंद्रीय भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर देखेंइस कविता का केंद्रीय भाव है कि जीवन में गाए गए और मौन दोनों ही पक्ष सुंदर होते हैं। जहाँ गीत आनंद, उल्लास और अभिव्यक्ति का प्रतीक है, वहीं अगीत मौन, त्याग और गहराई का। कवि जीवन के इन दोनों रूपों को समान रूप से महत्वपूर्ण मानते हैं।
6. कविता में बार-बार प्रश्न “गीत, अगीत, कौन सुंदर है?” क्यों उठाया गया है?
उत्तर देखेंकवि सीधे उत्तर नहीं देता, बल्कि बार-बार प्रश्न उठाकर पाठक को सोचने के लिए विवश करता है। जीवन में कुछ भाव प्रकट होते हैं (गीत) और कुछ मौन रह जाते हैं (अगीत)। दोनों का सौंदर्य अलग-अलग रूप में प्रकट होता है।
7. कविता का प्रकृति-चित्रण उसके भावों को किस प्रकार सशक्त बनाता है?
उत्तर देखेंकविता में तटिनी, गुलाब, शुक-शुकी और नीम की छाया जैसे प्राकृतिक चित्र दिए गए हैं। ये मात्र दृश्य न होकर जीवन-दर्शन के प्रतीक हैं। प्रकृति के माध्यम से कवि ने गीत और अगीत के सौंदर्य को और गहराई दी है।
8. ‘गीत’ और ‘अगीत’ में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर देखेंगीत वह है जिसमें भावों की स्वरयुक्त अभिव्यक्ति होती है—जैसे तटिनी का बहना, शुक का गाना। अगीत वह है जिसमें मौन भाव होते हैं—जैसे गुलाब का मौन, शुकी का मातृत्व। गीत बाहरी स्वर है, अगीत आंतरिक गहराई।
9. कविता का संदेश क्या है?
उत्तर देखेंकविता यह संदेश देती है कि जीवन केवल गाए गए गीतों में ही सुंदर नहीं होता, बल्कि अनगाए, मौन भावों में भी उतना ही सौंदर्य होता है। आनंद और त्याग, स्वर और मौन—दोनों मिलकर जीवन को पूर्ण बनाते हैं।
10. इस कविता में जीवन-दर्शन कैसे प्रकट होता है?
उत्तर देखेंकविता गीत और अगीत की तुलना करते हुए यह जीवन-दर्शन प्रस्तुत करती है कि बाहरी अभिव्यक्ति और मौन भाव दोनों की अपनी-अपनी सुंदरता है। जीवन में न केवल उल्लास, बल्कि मौन त्याग और अनकहा प्रेम भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है।
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 8 गीत अगीत के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 8 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-उत्तर
1. कविता “गीत–अगीत” का केंद्रीय भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर देखें“गीत–अगीत” कविता का केंद्रीय भाव जीवन-दर्शन से जुड़ा है। कवि बार-बार प्रश्न करता है—“गीत, अगीत, कौन सुंदर है?”। यहाँ ‘गीत’ का अर्थ है स्वरयुक्त अभिव्यक्ति—निर्झरी का गान, शुक का स्वर और प्रेमी का आल्हा। ये बाहरी सौंदर्य और उल्लास का प्रतीक हैं। दूसरी ओर ‘अगीत’ का आशय मौन भावों से है—गुलाब की स्वरहीन वेदना, शुकी का त्याग और राधा का मौन प्रेम। यह मौन, अनकहा और आंतरिक सौंदर्य है। कवि यह बताना चाहता है कि जीवन में केवल गाए गए स्वर ही महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि मौन त्याग और अनगाए भाव भी उतने ही मूल्यवान हैं। गीत और अगीत दोनों का संतुलन ही जीवन को पूर्णता देता है। इसलिए कविता का संदेश है कि हमें न केवल प्रकट भावों की, बल्कि मौन त्याग और अनकहे प्रेम की भी महत्ता स्वीकार करनी चाहिए।
2. कविता में गुलाब और तटिनी का प्रसंग किस बात को दर्शाता है?
उत्तर देखेंपहले पद में कवि ने तटिनी और गुलाब का चित्रण किया है। तटिनी वेगवती होकर गीत गाती है और अपनी विरह वेदना प्रकट करती है। उसके गीत से उसका अंतर हल्का हो जाता है। दूसरी ओर गुलाब तट पर खड़ा सोचता है कि यदि उसे स्वर मिलता तो वह भी अपने पतझर के सपनों और पीड़ा को गीत बनाकर व्यक्त कर पाता। गुलाब मौन रहकर अपने दर्द को सहता है। यह प्रसंग हमें यह बताता है कि संसार में कुछ भाव स्वरयुक्त होकर प्रकट हो जाते हैं, जबकि कई भाव मौन रहकर भी गहराई से जीवन को प्रभावित करते हैं। निर्झरी ‘गीत’ का प्रतीक है तो गुलाब ‘अगीत’ का। दोनों ही अपने-अपने रूप में सुंदर हैं। यह प्रसंग जीवन के उस द्वंद्व को दर्शाता है जिसमें प्रकट और मौन दोनों का अपना-अपना महत्व है।
3. शुक और शुकी का प्रसंग गीत-अगीत की व्याख्या कैसे करता है?
उत्तर देखेंकवि ने दूसरे पद में शुक और शुकी का चित्रण किया है। शुक घनी डाल पर बैठकर वसंत की किरणों से प्रेरित होकर गाता है। उसका स्वर पूरे वन में गूँजता है और उसमें उल्लास और जीवन का संचार होता है। यह ‘गीत’ का रूप है—जो बाहर प्रकट होता है। दूसरी ओर शुकी अपने घोंसले में अंडे से रही है। उसका कार्य मौन है, उसमें मातृत्व और त्याग का सौंदर्य छिपा है। उसके गीत उमड़कर स्नेह में सनकर रह जाते हैं। यह ‘अगीत’ है—जो बाहर नहीं आता, लेकिन आंतरिक गहराई से भरा है। इस प्रसंग से यह स्पष्ट होता है कि जीवन केवल स्वरयुक्त अभिव्यक्ति (गीत) से ही सुंदर नहीं, बल्कि मौन त्याग (अगीत) भी उतना ही मूल्यवान है। कवि इन दोनों रूपों के माध्यम से गीत और अगीत की समान सुंदरता दर्शाता है।
4. तीसरे पद में प्रेमी और राधा का प्रसंग कविता के संदेश को कैसे पुष्ट करता है?
उत्तर देखेंतीसरे पद में एक प्रेमी बड़े सांझ के समय आल्हा गाता है। उसका स्वर इतना मधुर और प्रभावशाली होता है कि राधा चोरी-चोरी घर से निकलकर नीम की छाया में छिपकर सुनने लगती है। उसके भीतर भावनाओं का वेग उठता है और वह मन ही मन गुनती है—“हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की विधना।” यह प्रसंग दर्शाता है कि गीत (प्रेमी का आल्हा) आकर्षण और उल्लास का स्रोत है, जो दूसरों को अपनी ओर खींच लेता है। वहीं राधा का मौन भाव (अगीत) उसकी आंतरिक तल्लीनता और अनकही अनुभूति को प्रकट करता है। इस प्रकार यह प्रसंग भी गीत और अगीत की समान सुंदरता को प्रमाणित करता है। कवि कहना चाहता है कि जीवन के स्वर और मौन दोनों ही महत्वपूर्ण हैं—एक आकर्षित करता है, तो दूसरा भीतर की गहराई जगाता है।
5. “गीत–अगीत” कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर देखेंइस कविता से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में गीत और अगीत दोनों ही आवश्यक और सुंदर हैं। गीत भावों की अभिव्यक्ति है—वह बाहरी सौंदर्य, उल्लास और आकर्षण जगाता है। निर्झरी का स्वर, शुक का गान और प्रेमी का आल्हा इसका उदाहरण हैं। दूसरी ओर अगीत मौन है—वह त्याग, प्रेम और आंतरिक सौंदर्य का प्रतीक है। गुलाब का मौन, शुकी का मातृत्व और राधा का अनकहा भाव इसी का रूप हैं। कवि हमें यह सिखाते हैं कि केवल प्रकट भावों में ही सौंदर्य नहीं है, बल्कि मौन त्याग और अनकहे प्रेम में भी उतनी ही गहराई और महत्व छिपा है। अतः जीवन का यथार्थ यही है कि हमें गीत और अगीत दोनों को समान रूप से स्वीकार करना चाहिए।