एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 5 शुक्रतारे के समान

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 5 शुक्रतारे के समान में महादेव देसाई के जीवन और उनके त्यागपूर्ण व्यक्तित्व पर आधारित सभी प्रश्न शामिल हैं। यह अध्याय उनके योगदान, सरलता और कार्यनिष्ठा को उजागर करता है। दिए गए अतिरिक्त प्रश्न उत्तर विद्यार्थियों को मुख्य प्रसंग, विचार और भावनाओं को स्पष्ट रूप से समझने में मदद करते हैं। इन प्रश्नों का अभ्यास करने से परीक्षा की तैयारी सरल होती है, स्मरण शक्ति मजबूत होती है और उत्तर देने की सटीकता बढ़ती है।
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श पाठ 5 के प्रश्न उत्तर
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श पाठ 5 के अति-लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श पाठ 5 के लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श पाठ 5 के दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

अभ्यास के प्रश्न उत्तर

शुक्रतारे के समान कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 5 के अभ्यास के प्रश्न उत्तर

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –
1. गांधी जी ने महादेव को अपना वारिस कब कहा था?
उत्तर देखेंगॉंधी जी को महादेव अपने पुत्र से भी अधिक प्रिय थे। जब सन् 1917 में वे गांधीजी के पास पहुंचे थे, तभी गांधी जी ने उनको तत्काल पहचान लिया और उनको अपने उत्तराधिकारी का पद सौंप दिया। सन् 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकांड के दिनों में पंजाब जाते हुए गांधी जी को पलवल स्टेशन पर गिरफ्तार किया गया था। उसी समय गांधीजी ने महादेव भाई को अपना वारिस कहा था।

2. गांधी जी से मिलने आनेवालों के लिए महादेव भाई क्या करते थे ?
उत्तर देखेंअंग्रजों से पीड़ित दल के दल जब गाॉंधी जी से मिलने आते थे तब महादेव उनकी बातों की संक्षिप्त टिप्पणियाॉं तैयार करके गाॉंधी जी के सामने रख देते थे और आने वालों के साथ उनकी रूबरू मुलाकातें भी करवाते थे।

3. महादेव भाई की साहित्यिक देन क्या है?
उत्तर देखेंसाहित्य और संस्कार के साथ इसका कोई संबंध नहीं रहा था। लेकिन महादेव जी ने उसी समय से टैगोर, शरदचंद्र आदि के साहित्य को उलटना-पुलटना शुरू कर दिया था। ‘चित्रंगदा’ कच-देवयानी की कथा पर टैगोर द्वारा रचित ‘विदाई का अभिशाप’ शीर्षक नाटिका, ‘शरद बाबू की कहानियाँ’ आदि अनुवाद उस समय की उनकी साहित्यिक गतिविधियों की देन हैं।

4. महादेव भाई की अकाल मृत्यु का कारण क्या था?
उत्तर देखेंमहादेव मगनवाड़ी से वर्धा की असह्य गरमी में रोज सुबह पैदल चलकर सेवाग्राम पहुँचते थे। जाते-आते पूरे 11 मील चलते थे। कुल मिलाकर इसका जो प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, वही 76 वर्ष में उनकी अकाल मृत्यु का करण बना।

5. महादेव भाई के लिखे नोट के विषय में गांधी जी क्या कहते थे ?
उत्तर देखेंबडे़-बडे़ देशी-विदेशी राजपुरुष, राजनीतिज्ञ, गांधाी जी से मिलने आते थे महादेव एक कोने में बैठे-बैठे अपनी लंबी लिखावट में सारी चर्चा को लिखते रहते थे। मुलाकात के लिए आए हुए लोग जब सारी बातचीत को टाइप करके उसे गांधी जी के पास ‘ओके’ करवाने के लिए पहुँचते -तब गांधी जी कहते: महादेव के लिखे ‘नोट’ के साथ थोड़ा मिलान कर लेना था न।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –
1. पंजाब में फ़ौजी शासन ने क्या कहर बरसाया?
उत्तर देखेंजब 1919 में पंजाब के जलियॉवाला बाग में एक आम-सभा में अंग्रेजों के जनरल डायर ने निहत्थी जनसभा पर गोलियॉं बरसाना शुरू कर दिया तो इसमें बूढ़े, बच्चे, आदमी, औरतें सभी मारे गए। यह अ्रंग्रेजों का अब तक को सबसें बड़ा हत्याकाण्ड था जिसकी पूरे भारत में निन्दा की गई। पजाब के कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया और कइयों को काला पानी की सजा दे दी गई।

2. महादेव जी के किन गुणों ने उन्हें सबका लाड़ला बना दिया था?
उत्तर देखेंबेजोड़ कॉलम, भरपूर चौकसाई, ऊँचे-से-ऊँचे ब्रिटिश समाचार-पत्रो की परंपराओं को अपनाकर चलने का गांधी जी का आग्रह और कट्टर से कट्टर विरोधियों के साथ भी पूरी सत्यनिष्ठा से उत्पन्न होने वाली विनय-विवेक-युक्त विवाद करने की गांधी जी की तालीम इन सब गुणों ने तीव्र मतभेदों और विरोधी प्रचार के बीच भी देश-विदेश के सारे समाचार-पत्रो की दुनिया में और एंग्लो-इंडियन समाचार-पत्र के बीच भी व्यक्तिगत रूप से महादेव को सबका लाड़ला बना दिया था।

3. महादेव जी की लिखावट की क्या विशेषताएँ थी?
उत्तर देखेंभारत में महादेव जी के अक्षरों का कोई सानी नहीं था। वाइसराय के नाम जाने वाले गांधी जी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाते थे। उन्हें भी गांधीजी के सेक्रेटरी के समान खुशनवीश (सुंदर अक्षर लिखने वाला लेखक नसीब नहीं था? बडे़-बडे़ सिविलियन और गवर्नर कहा करते थे कि सारी ब्रिटिश सर्विसों में महादेव के समान अक्षर लिखने वाला कहीं खोजने पर भी नही मिलेगा।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 5 के आशय स्पष्ट करने वाले प्रश्न उत्तर

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए –
1. ‘अपना परिचय उनके पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देने में वे गौरवान्वित महसूस करते थे।
उत्तर देखेंगांधी जी के लिए सेवा-धर्म का पालन करने इस धरती पर महादेव देसाई गांधी जी के मंत्री थे। वे अपने मित्रो के बीच विनोद में अपने को गांधी जी का ‘हम्माल’ कहने में और कभी-कभी अपना परिचय उनके ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देने में वे गौरव का अनुभव किया करते थे। क्योंकि गांधाी जी उनके आदर्श और संरक्षक थे।

2. इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह करना होता था।
उत्तर देखेंमहादेव ने वकालत पढ़ी थी जो उनके मिजाज के हिसाब से ठीक नहीं थी क्योंकि इस पेशे में सही को गलत और गलत को सही ठहराना होता था जो महादेव जी के लिए एक मुश्किल काम था।

3. देश और दुनिया को मुग्ध करके वे शुक्रतारे की तरह ही अचानक अस्त हो गए।
उत्तर देखेंशुक्रतारा आसमान में थोड़ी देर के लिए ही नजर आता है लेकिन सबसे अलग दिखाई पड़ता है। वैसे ही महादेव जी भी कुछ समय ही गांधी जी के साथ रहे मगर उनके साथ अपने को आसमान में उगे शुक्रतारे के समान चमका कर चले गए।

4. उन पत्रो को देख-देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वाइसराय लंबी साँस-उसाँस लेते रहते थे।
उत्तर देखेंमहादेव जी के द्वारा लिखे गए पत्र जब वाइसराय के पास पहुंचते थे तो उसकी लिखावट और बनावट देखकर वाइसराय को यह समझ में नहीं आता था कि इनका क्या उत्तर दिया जाए और किस प्रकार दिया जाए। कहीं सटीक जवाब नहीं दिया गया तो तो अगला पत्र और ज्यादा मुसीबत भरा हो सकता है।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 5 शुक्रतारे के समान पर आधारित अति-लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 5 अति-लघु उत्तरीय प्रश्न-उत्तर

1. महादेव देसाई की तुलना शुक्रतारे से क्यों की गई है?
उत्तर देखेंमहादेव देसाई की तेजस्विता और अचानक मृत्यु उन्हें शुक्रतारे के समान बनाती है, जो अल्प समय के लिए चमकता है और फिर अस्त हो जाता है।

2. महादेव देसाई गांधीजी के लिए क्या थे?
उत्तर देखेंवे गांधीजी के मंत्री, सहयोगी और पुत्र समान थे। गांधीजी ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी तक घोषित किया था।

3. महादेव मित्रों के बीच स्वयं को क्या कहकर परिचय देते थे?
उत्तर देखेंवे मजाक में स्वयं को गांधीजी का “हम्माल” तथा कभी “पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर” कहकर गर्व अनुभव करते थे।

4. गांधीजी ने महादेव को वारिस कब कहा?
उत्तर देखें1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकांड के समय, पलवल स्टेशन पर गिरफ्तारी के दौरान गांधीजी ने महादेव को अपना वारिस कहा।

5. ‘यंग इंडिया’ पत्रिका का संपादन गांधीजी ने क्यों संभाला?
उत्तर देखेंहार्नीमैन को सरकार ने देश-निकाला दिया, जिससे लेखन संकट हुआ और गांधीजी ने ‘यंग इंडिया’ का संपादन स्वीकार किया।

6. ‘नवजीवन’ पत्रिका कब गांधीजी के पास आई?
उत्तर देखें‘यंग इंडिया’ के बाद ‘नवजीवन’ भी गांधीजी के पास आया और दोनों का संपादन अहमदाबाद से हुआ।

7. महादेव देसाई ने विद्यार्थी जीवन में कौन-सी नौकरी की?
उत्तर देखेंउन्होंने विद्यार्थी जीवन में सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी की थी।

8. महादेव की लिखावट को लोग क्यों सराहते थे?
उत्तर देखेंउनकी लिखावट इतनी सुंदर और शुद्ध थी कि वाइसराय तक उनके पत्र देखकर प्रभावित होते थे।

9. महादेव किस प्रकार लिखते थे?
उत्तर देखेंवे शॉर्टहैंड नहीं जानते थे, फिर भी जेट जैसी गति से लंबी लिखावट में त्रुटिहीन लेखन करते थे।

10. महादेव की डायरी किस कारण प्रसिद्ध थी?
उत्तर देखेंउनकी डायरी में गांधीजी की दैनिक गतिविधियों का बारीकी से, बिना एक भी भूल के, संकलन होता था।

11. महादेव की साहित्यिक रुचि किसमें थी?
उत्तर देखेंवे टैगोर, शरदचंद्र आदि के साहित्य को पढ़ते और अनुवाद करते थे, साथ ही राजनीतिक पुस्तकों का भी अध्ययन करते थे।

12. व्यस्तता के बावजूद महादेव कौन-सा कार्य नहीं भूलते थे?
उत्तर देखेंवे चरखा कातने का कार्य कभी नहीं भूलते थे।

13. महादेव की तुलना गंगा के मैदान से क्यों की गई है?
उत्तर देखेंजैसे गंगा का मैदान बिना पत्थर का मुलायम है, वैसे ही महादेव का स्वभाव कोमल और सबको सुखद अनुभव देने वाला था।

14. महादेव देसाई ने गांधीजी की किस कृति का अनुवाद किया?
उत्तर देखेंउन्होंने गांधीजी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेजी अनुवाद किया।

15. गांधीजी महादेव की मृत्यु के बाद कौन-सा भजन दोहराते थे?
उत्तर देखेंवे भर्तृहरि का भजन – “ए रे जखम जोगे नहि जशे” – बार-बार दोहराते थे।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 5 शुक्रतारे के समान के लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 5 लघु उत्तरीय प्रश्न-उत्तर

1. महादेव देसाई की महत्ता गांधीजी के जीवन में क्या थी?
उत्तर देखेंमहादेव देसाई गांधीजी के मंत्री, सहयोगी और पुत्र से भी अधिक प्रिय थे। 1917 में गांधीजी से जुड़ने के बाद उन्होंने अपना जीवन गांधीजी को समर्पित कर दिया। 1919 में गांधीजी ने उन्हें अपना वारिस घोषित किया। उनके लेखन, संगठन और साहित्यिक कौशल ने गांधीजी के आंदोलनों और विचारों को पूरे देश-दुनिया तक पहुँचाने में अमूल्य योगदान दिया।

2. ‘यंग इंडिया’ और ‘नवजीवन’ में महादेव देसाई का योगदान स्पष्ट कीजिए।
उत्तर देखें‘यंग इंडिया’ का संपादन गांधीजी ने हार्नीमैन के देश-निकाले के बाद संभाला। महादेव देसाई इसमें लेखन, संपादन और व्यवस्थापन से जुड़े रहे। बाद में ‘नवजीवन’ भी गांधीजी के पास आया। महादेव ने लेख, टिप्पणियाँ, संवाद-सारांश और गांधीजी के भाषणों को लिखकर दोनों पत्रिकाओं को सशक्त बनाया। उनके लेखन ने गांधीजी की गतिविधियों और विचारों को जनता तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई।

3. महादेव देसाई की लिखावट को क्यों अद्वितीय कहा गया है?
उत्तर देखेंमहादेव की लिखावट इतनी सुंदर और शुद्ध थी कि वाइसराय तक प्रभावित रहते थे। उनके नोट्स में कॉमा तक की गलती नहीं मिलती थी। वे शॉर्टहैंड नहीं जानते थे, फिर भी जेट जैसी गति से लंबी लिखावट करते थे। उनकी लिखावट ने गांधीजी के भाषणों, वार्तालापों और गतिविधियों का सटीक और प्रामाणिक संकलन उपलब्ध कराया।

4. महादेव देसाई के साहित्यिक और बौद्धिक योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर देखेंमहादेव देसाई ने विद्यार्थी जीवन से ही टैगोर, शरदचंद्र जैसे साहित्यकारों की रचनाओं का अध्ययन और अनुवाद किया। उन्होंने गांधीजी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेजी अनुवाद किया, जो विश्वभर में प्रकाशित हुआ। वे राजनीतिक और समकालीन घटनाओं से भी अद्यतन रहते थे। उनके लेख, टिप्पणियाँ और अनुवाद साहित्य और राजनीति दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय योगदान हैं।

5. महादेव देसाई का कार्य-शैली और समय प्रबंधन कैसा था?
उत्तर देखेंमहादेव की कार्य-शैली विलक्षण थी। वे हर दिन घंटों का कार्य कुछ ही समय में निपटा देते थे। यात्राओं, सभाओं और बैठकों के बीच वे लेखन, पत्राचार और संपादन करते रहते। भोजन, विश्राम और अन्य कार्यों का समय निकालना मुश्किल होता, फिर भी वे चरखा कातना नहीं भूलते। उनका अनुशासन और परिश्रम उन्हें असाधारण बनाता था।

6. गांधीजी के आंदोलनों में महादेव देसाई की भूमिका क्या रही?
उत्तर देखेंगांधीजी के सत्याग्रह आंदोलनों में महादेव देसाई की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। वे पीड़ितों की गवाही संकलित करते, लेख लिखते और समाचार-पत्रों में गांधीजी के विचार पहुँचाते। ‘यंग इंडिया’ और ‘नवजीवन’ के माध्यम से उन्होंने अत्याचारों को उजागर किया। उनकी लेखन क्षमता और संगठन कौशल ने सत्याग्रह को राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में स्थापित करने में गहरा योगदान दिया।

7. महादेव देसाई का व्यक्तित्व दूसरों पर किस प्रकार प्रभाव डालता था?
उत्तर देखेंमहादेव का स्वभाव अत्यंत कोमल और आकर्षक था। उनसे मिलने वाला कोई भी व्यक्ति उनकी निर्मल प्रतिभा और मधुर व्यवहार से प्रभावित होता। उनकी उपस्थिति चंद्र और शुक्र की प्रभा जैसी सुखद लगती थी। उनके संपर्क का प्रभाव व्यक्ति पर लंबे समय तक बना रहता। उनका व्यक्तित्व विनम्रता, परिश्रम और सौम्यता का अनूठा संगम था।

8. सेवाग्राम से जुड़े महादेव देसाई के जीवन प्रसंग का वर्णन कीजिए।
उत्तर देखेंवर्धा में रहने के बाद गांधीजी सेगाँव चले गए। उस समय महादेव देसाई मगनवाड़ी में रहते थे और प्रतिदिन पैदल 11 मील चलकर सेवाग्राम पहुँचते थे। वहाँ दिनभर कार्य करके वे शाम को लौटते। इस अत्यधिक परिश्रम और असह्य गर्मी ने उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला। उनकी अकाल मृत्यु का एक कारण यही माना जाता है।

9. महादेव देसाई की मृत्यु का गांधीजी पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर देखेंमहादेव की अकाल मृत्यु गांधीजी के लिए गहरा घाव थी। गांधीजी जीवनभर कहते रहे – “ए रे जखम जोगे नहि जशे” अर्थात यह घाव कभी भरेगा नहीं। बाद के वर्षों में भी जब गांधीजी को प्यारेलाल से कुछ कहना होता, तो अनायास उनके मुँह से ‘महादेव’ ही निकल जाता। यह उनके गहरे लगाव और शोक का प्रमाण था।

10. महादेव देसाई का जीवन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर देखेंमहादेव देसाई ने स्वतंत्रता आंदोलन में गांधीजी के सहयोगी, लेखक और आयोजक के रूप में अद्भुत योगदान दिया। उन्होंने जनता की पीड़ा संकलित की, आंदोलनों का ब्योरा रखा और पत्रकारिता से सत्याग्रह को मजबूत किया। उनकी सुंदर लिखावट और अनुवाद कार्य ने गांधीजी के विचारों को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाया। उनकी कार्य-निष्ठा और बलिदान ने आंदोलन को नई ऊर्जा दी और उन्हें अमर बना दिया।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 5 शुक्रतारे के समान के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 5 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-उत्तर

1. महादेव देसाई की तुलना शुक्रतारे से क्यों की गई है? विस्तार से लिखिए।
उत्तर देखेंमहादेव देसाई के व्यक्तित्व की तुलना शुक्रतारे से इसलिए की गई है क्योंकि वे अल्प जीवन में भी अत्यधिक तेजस्वी और प्रभावशाली रहे। शुक्रतारा संध्याकाल और भोर में कुछ समय के लिए प्रकट होकर जगमगाता है और फिर अचानक ओझल हो जाता है। उसी प्रकार महादेवजी भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उषाकाल में अपनी असाधारण प्रतिभा, कार्यनिष्ठा और समर्पण से देश और समाज को आलोकित करते रहे। वे गांधीजी के मंत्री, सहयोगी और पुत्र समान थे। उन्होंने आंदोलनों, समाचार-पत्रों और लेखन के माध्यम से गांधीजी के विचारों को देश-विदेश तक पहुँचाया। उनका जीवन अनथक परिश्रम, अनुशासन और सेवा का प्रतीक था। किंतु असह्य परिश्रम, वर्धा की कठोर जलवायु और लगातार यात्राओं ने उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाला और वे अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए। इसीलिए उनके जीवन को शुक्रतारे के समान तेजस्वी किंतु अल्पकालिक माना गया है।

2. गांधीजी के आंदोलनों और पत्र-पत्रिकाओं में महादेव देसाई की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
उत्तर देखेंमहादेव देसाई ने गांधीजी के आंदोलनों और पत्रकारिता में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जलियाँवाला बाग हत्याकांड के बाद पंजाब में हुए अत्याचारों का विवरण वे संकलित करके गांधीजी तक पहुँचाते। उनके लेख और टिप्पणियाँ ‘यंग इंडिया’ और ‘नवजीवन’ जैसी पत्रिकाओं में प्रकाशित होतीं। हार्नीमैन को देश-निकाला मिलने के बाद गांधीजी ने ‘यंग इंडिया’ का संपादन सँभाला, जिसमें महादेव ने लेखन और संगठन में अहम सहयोग दिया। उन्होंने गांधीजी की यात्राओं, सभाओं और प्रतिदिन की गतिविधियों का सारांश तैयार किया। विदेशी पत्रकार और बुद्धिजीवी जब गांधीजी से मिलते, तब उनकी चर्चाओं को महादेव त्रुटिहीन रूप से लिपिबद्ध करते। उनकी लिखावट और लेखन शैली इतनी सटीक थी कि अन्य प्रसिद्ध लेखक भी उनसे अपनी टिप्पणियाँ मिलाते। उनके लेखन ने गांधीजी के विचारों और आंदोलनों को जनता तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्हें पत्रकारिता जगत का आदर्श बना दिया।

3. महादेव देसाई के साहित्यिक और बौद्धिक योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर देखेंमहादेव देसाई केवल गांधीजी के सचिव ही नहीं, बल्कि एक गहन साहित्यिक और बौद्धिक व्यक्तित्व भी थे। विद्यार्थी जीवन से ही वे साहित्य प्रेमी रहे और टैगोर, शरदचंद्र आदि की रचनाओं का अध्ययन एवं अनुवाद किया। ‘चित्रंगदा’ और ‘विदाई का अभिशाप’ जैसी कृतियों का उन्होंने अनुवाद किया। राजनीति और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं की अद्यतन जानकारी रखना उनकी आदत थी। वे हमेशा समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ और पुस्तकें पढ़ते रहते थे, यहाँ तक कि रेलयात्रा के समय भी अध्ययन और लेखन करते रहते। उनका सबसे बड़ा साहित्यिक योगदान गांधीजी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेजी अनुवाद है, जो ‘यंग इंडिया’ में धारावाहिक रूप से प्रकाशित हुआ और बाद में पुस्तक रूप में विश्वभर में प्रसिद्ध हुआ। उनकी भाषा शुद्ध, संस्कार-संपन्न और प्रभावशाली थी। इस प्रकार महादेव ने साहित्य और राजनीति दोनों क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण योगदान देकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को वैचारिक आधार प्रदान किया।

4. महादेव देसाई के व्यक्तित्व और स्वभाव की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर देखेंमहादेव देसाई का व्यक्तित्व सौम्यता, परिश्रम और विद्वत्ता का अनूठा संगम था। वे गांधीजी के जीवन में इतने अभिन्न रूप से जुड़े थे कि उनसे अलग उनकी कोई कल्पना नहीं की जा सकती। उनका स्वभाव इतना कोमल और निर्मल था कि उनसे मिलने वाला हर व्यक्ति प्रभावित हो जाता। उनकी तुलना गंगा के मैदान से की गई है, जहाँ खुरदुरापन नहीं होता। इसी प्रकार महादेव से किसी को ठेस नहीं पहुँचती थी। उनका लेखन और भाषा आकर्षक तथा त्रुटिहीन थी। वे हर समय व्यस्त रहते, परंतु चरखा कातना नहीं भूलते। वे अनुशासित, निष्ठावान और कार्य में पूरी लगन से जुटे रहते थे। उनके संपर्क में आने वाला व्यक्ति उनकी मोहक प्रतिभा और सौम्यता से लंबे समय तक प्रभावित रहता। महादेव का जीवन गांधीजी की सेवा, आंदोलन की मजबूती और साहित्यिक योगदान में पूर्णत: समर्पित रहा, जिससे वे एक आदर्श सहयोगी और प्रेरणा-स्रोत बन गए।

5. महादेव देसाई की मृत्यु का गांधीजी और स्वतंत्रता आंदोलन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर देखेंमहादेव देसाई की अकाल मृत्यु गांधीजी और स्वतंत्रता आंदोलन के लिए गहरा आघात थी। वर्धा की भीषण गर्मी में रोज़ पैदल 11 मील चलकर सेवाग्राम जाना, निरंतर कार्यभार और विश्राम का अभाव उनके स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध हुआ। उनकी असमय मृत्यु ने गांधीजी के हृदय में कभी न भरने वाला घाव दिया। गांधीजी बार-बार भर्तृहरि के भजन की पंक्ति – “ए रे जखम जोगे नहि जशे” – दोहराते रहे। बाद के वर्षों में भी जब वे प्यारेलाल से कुछ कहते, तो अनायास ‘महादेव’ नाम निकल जाता। महादेव का जाना गांधीजी के लिए पुत्र-वियोग जैसा था। स्वतंत्रता आंदोलन में वे गांधीजी के सहायक, लेखक और आयोजक थे। उनके निधन से आंदोलन को एक बड़ा सहारा खोना पड़ा। फिर भी उनकी लिखी डायरी, टिप्पणियाँ और अनुवाद स्वतंत्रता संग्राम और गांधीजी के विचारों को अमर बनाने वाली धरोहर बनी रहीं।