एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 2 एवेरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 2 एवेरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा में बछेन्द्री पाल की साहसिक गाथा पर आधारित प्रश्न दिए गए हैं। इन प्रश्नों से विद्यार्थी अध्याय की प्रमुख घटनाओं, कठिनाइयों और उपलब्धियों को सरलता से समझ सकते हैं। यह प्रश्न उत्तर अभ्यास परीक्षा की दृष्टि से बेहद उपयोगी है क्योंकि यह तेज़ी, सटीकता और आत्मविश्वास को बढ़ाता है। नियमित अभ्यास से विद्यार्थी अध्याय के संदेश को गहराई से समझते हुए बेहतर अंक प्राप्त कर सकते हैं।
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श पाठ 2 के प्रश्न उत्तर
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श पाठ 2 के अति-लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श पाठ 2 के लघु उत्तरीय प्रश्न
कक्षा 9 हिंदी स्पर्श पाठ 2 के दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

अभ्यास के प्रश्न उत्तर

एवेरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 2 के अभ्यास के प्रश्न उत्तर

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –
1. नज़दीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को कैसा लगा?
उत्तर देखेंलेखिका ने जब पहली बार नमचे बाजार पहुँचकर एवरेस्ट को नजदीक से देखा तो उसे वह एक भारी बर्फ का फ़ूल (प्लूम) जैसा दिखा जो पर्वत-शिखर पर लहराते एक ध्वज सा लग रहा था।

2. डॉ मीनू मेहता ने क्या जानकारियाँ दीं?
उत्तर देखेंडॉ मीनू मेहता ने दल को अल्यूमीनियम की सीढ़ियों से पुल बनाने लठ्ठों और रस्सियों की मदद से बर्फ की दीवारों पर रस्सियों को बाँधने तथा अन्य छोटी-मोटी जानकारियाँ दीं जो कि उन्हें आगे के सफ़र में उपयोगी होने वाली थीं।

3. तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ़ में क्या कहा?
उत्तर देखेंतेनजिंग ने लेखिका के कंधो पर हाथ रखकर उसका उत्साह बढ़ाया और तारीफ़ करते हुए कहा कि “तुम एक पर्वतीय लड़की हो तुम्हें तो पहले ही प्रयास में शिखर पर पहुँच जाना चाहिए।”

4. लेखिका को किनके साथ चढ़ाई करनी थी?
उत्तर देखेंलेखिका को अंगदोरजी के साथ चढ़ाई करनी थी, यह अंगदोरजी का दूसरा प्रयास था और वह बिना ऑक्सीजन के ही चढ़ाई करने वाला था।

5. लोपसांग ने तंबू का रास्ता कैसे साफ़ किया?
उत्तर देखेंलोपसांग ने अपनी स्विस छुरी की मदद से तंबू का रास्ता साफ़ और वह इस कार्य में अपने पहले प्रयास में ही सफ़ल हो गया।

6. साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी कैसे शुरू की?
उत्तर देखेंसाउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका सुबह चार बजे ही उठ गई, उसने बर्फ पिघलाकर चाय बनाई उसने चाय के साथ कुछ बिस्किट, आधाी चॉकलेट तथा हल्का नश्ता किया उसके बाद लगभग साढ़े पाँच बजे वह चढ़ाई करने के लिए तंबू से निकल पड़ी।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –
1. उपनेता प्रेमचंद ने किन स्थितियों से अवगत कराया?
उत्तर देखेंउपनेता प्रेमचंद ने अभियान दल को मार्ग की सबसे मार्ग की सबसे बड़ी बाधा खुंबु हिमपात की भयंकर स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने पुल बनाने, रस्सियों को बाँधने, रास्ते को चिह्नित करने तथा अन्य कठिनाइयों की जानकारी दी। कैंप के एक तरफ़ का रास्ता साफ़ किया और ग्लेशियर की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि यह एक बर्फ की नदी है। यहाँ समय-समय पर हिमपात भी होते रहते हैं।

2. हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या-क्या परिवर्तन होते रहते हैं?
उत्तर देखेंहिमपात बर्फ के बड़े-बड़े खंडों का गिरने को कहते हैं जिसके कारण ग्लेशियर बनते हैं इसके कारण मौसम में काफ़ी बदलाव आ जाता है, बनाये गये रास्ते बंद हो जाया करते हैं और फि़र से नये रास्तों का निर्मााण करना होता है।

3. लेखिका के तंबू में गिरे बर्फ पिंड का वर्णन किस तरह किया गया है?
उत्तर देखेंलेखिका ने तंबू पर गिरे बर्फ पिंड का वर्णन बड़े ही रोचक ठंग से करते हुए बताया कि जब बह तंबू में सो रही थी तभि एक धमाके की आवाज के साथ वह जागी और कोई भारी सी ठंडी वस्तु उससे टकराती हुई निकल गई। लेखिका की किस्मत अच्छी थी कि उसको कुछ नहीं हुआ मगर तंबू पूरी तरह नष्ट हो गया।

4. जय लेखिका को देखकर हक्का-बक्का क्यों रह गया?
उत्तर देखेंजय लेखिका के जोखिम भरे हौंसले को देखकर हक्का-बक्का रह गया जब उसने देखा कि किस प्रकार लेखिका अपने बफ़ीर्ले कैंप से बाहर निकलकर अपनी जान को जोखिम में डालकर कई फि़ट नीचे उतरकर अपने साथियों के लिए चाय देकर आई।

5. एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल कितने कैंप बनाए गए? उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर देखें एवरेस्ट पर चढ़ाई करने के लिए कुल पाँच कैंप बनाए गए जिनका वर्णन इस प्रकार है।
 कैंप- एक यह बेस कैंप था और लगभग 6000 मी0 की ऊँचाई पर था।
 कैंप- दो यह चढ़ाई के रास्तें में बनाया गया था।
 कैंप- तीन इस कैंप को ल्होत्से की बफ़ीर्ली सीधाी ढलान लगाया गया था।
 कैंप- चार इस कैंप को कोल नामक स्थान पर 7900 मीटर की उँचाई पर लगाया गया था।
 शिखर- कैंप यह अंतिम कैंप था इस कैंप को एवरेस्ट की चोटी से दो हजार मीटर नीचे लगाया गया था जहाँ से एवरेस्ट को साफ़-साफ़ देखा जा सकता था।

6. चढ़ाई के समय एवरेस्ट की स्थिति कैसी थी?
उत्तर देखेंएवरेस्ट की चोटी एक शंकु के समान थी और वहाँ इतनी जगह नहीं थी कि दो लोग एक साथ खड़े हो सकें। ऐसे में चढ़ाई के समय स्थिति बहुत ही डरावनी थी, चारों ओर लंबी सीधाी ढलान थी ऐसे खुद को संभालते हुए चढ़ना बहुत ही कठिन कार्य था।

7. सम्मिलित अभियान में सहयोग और सहायता की भावना का परिचय बचेंद्री के किस कार्य से मिलता है?
उत्तर देखेंसाउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अपने साथियों की सहायता करने का निर्णय लिया उसने उनकी सहायता करने के लिए अपनी जान की भी परवाह नहीं की। उनकी सहायता करने के लिए उसने भयंकर बफ़ीर्ले तफ़ूान की भी परवाह नहीं की। उसके इसी कार्य से अपने सहयागियों के प्रति सहयोग की भावना का परिचय मिलता है।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 2 के आशय स्पष्ट करने वाले प्रश्न उत्तर

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –
1. एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए।
उत्तर देखेंएवरेस्ट दुनिया की सबसे ऊँची चोंटी है। इस चोटी तक पहुँचना बहुत ही जोखिम भरा और कभी-कभी तो जानलेवा भी हो सकता है सपाट और सीधाी ढलान पर बड़़ी ही सावधानी से चढ़ना पड़ता है। जरा सी चूक का मतलब होता है सीधाी मौत अगर कोई सोचे कि वह बिना जोखिम के ही एवरेस्ट पर चढ़ सकता है तो उसका यह सोचना गलत है और इस पर चढ़ना एक महान उपलब्धि है और किसी भी पर्वतारोही के लिए यह एक उदाहरण है।

2. सीधे धरातल पर दरार पड़ने का विचार और इस दरार का गहरे-चौडे़ हिम-विद में बदल जाने का मात्र खयाल ही बहुत डरावना था। इससे भी ज्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि हमारे संपूर्ण प्रयास के दौरान हिमपात लगभग एक दर्जन आरोहियों और कुलियों का प्रतिदिन छूता रहेगा।
उत्तर देखेंबचेंद्री पाल को चढ़ाई करने से पहले ही हिमपात और रास्ते में आने वाली कठिनाइयों के बारे में बता दिया गया था। हिमपात के कारण वातावरण में अनिशिचत परिवर्तन होते रहते हैं पर्वतारोहण के समय यहाँ का वतावरण बहुत ही डरावना होता है सपाट धरातल पर भी कभी-कभी दरार पड़ जाती है और यह दरार एक गहरी खाई में भी बदल सकती है यह सोचकर भी डर लगता है। लेखिका को इस बात का आभास था उसको और उसके साथियों को इस प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा फि़र भी उसने अपनी वीरता का परिचय देते हुए एवरेस्ट जैसी चोटी पर चढ़कर विजय प्राप्त की।

3. बचेंद्री पाल को चढ़ाई करने से पहले ही हिमपात और रास्ते में बिना उठे ही मैंने अपने थैले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकाला। मैंने इनको अपने साथ लाए लाल कपड़े में लपेटा, छोटी सी पूजा-अर्चना की और इनको बर्फ में दबा दिया। आनंद के इस छण में मुझे अपने माता-पिता का ध्यान आया।
उत्तर देखेंलेखिका जब एवरेस्ट की चोटी पर पहुँची तब उसकी खुशी का कोई ठिकाना न रहा इश्वर को धन्यवाद देते हुए अपने संस्कारों के अनुरूप उसने छोटी सी पूजा की देवी माँ के चित्र और हनुमान चालीसा का पाठ करके उसे अपने साथ लाए लाल कपड़े में लपेटकर उन्हें बर्फ में दबाकर अपने आराधय की वहाँ स्थापना की अपने माता-पिता को नमन किया एक पर्वतारोही के लिए इससे बड़ी कोई उपलब्धि नहीं हो सकती थी, क्योंकि उसने संसार की सबसे ऊँची चोटी एवरेस्ट पर विजय प्राप्त कर ली थी।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 2 एवेरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा पर आधारित अति-लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 2 अति-लघु उत्तरीय प्रश्न-उत्तर

1.अभियान दल दिल्ली से काठमांडू कब रवाना हुआ था?
उत्तर देखेंएवरेस्ट अभियान दल 7 मार्च को दिल्ली से हवाई जहाज द्वारा काठमांडू के लिए रवाना हुआ। इससे पहले एक अग्रिम दल दुर्गम रास्तों को साफ़ करने हेतु बहुत पहले ही निकल चुका था।

2. ‘सागरमाथा’ किसे कहा जाता है और यह नाम किसे पसंद आया?
उत्तर देखें‘सागरमाथा’ नेपालियों द्वारा एवरेस्ट पर्वत का नाम है। लेखिका को यह नाम बहुत अच्छा लगा और पहली बार नमचे बाज़ार से उन्होंने इसे निहारा।

3. शिखर पर बर्फ़ का ध्वज जैसा दृश्य क्यों बनता था?
उत्तर देखेंलगभग 150 किमी प्रति घंटा की तेज़ हवाएँ शिखर पर सूखी बर्फ़ उड़ाती थीं। यही बर्फ़ ध्वज जैसा बड़ा फूल (प्लूम) बनाकर चोटी पर लहराता दिखता था।

4. पैरिच पहुँचने पर अभियान दल को किस दुःखद घटना का समाचार मिला?
उत्तर देखेंपैरिच पहुँचते ही सूचना मिली कि हिमस्खलन के कारण एक शेरपा कुली की मृत्यु हो गई और चार अन्य शेरपा घायल हुए थे। इससे दल बहुत व्यथित हुआ।

5. कर्नल खुल्लर ने दल के सदस्यों को खतरे के बारे में क्या कहा?
उत्तर देखेंउन्होंने स्पष्ट किया कि एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों और मृत्यु को भी सहज भाव से स्वीकार करना चाहिए। यह पर्वतारोहण की कठोर सच्चाई है।

6. उपनेता प्रेमचंद ने अग्रिम दल की क्या जानकारी दी?
उत्तर देखेंप्रेमचंद ने बताया कि उन्होंने हिमपात पार करके कैंप-एक तक का रास्ता साफ़ कर दिया है, पुल बनाए हैं, रस्सियाँ बाँधी हैं और मार्ग झंडियों से चिह्नित कर दिया है।

7. बेस कैंप पहुँचने से पहले दूसरी मृत्यु किसकी हुई?
उत्तर देखेंबेस कैंप पहुँचने से पहले एक रसोई सहायक की मृत्यु जलवायु प्रतिकूल होने के कारण हो गई। यह अभियान दल के लिए दूसरी बड़ी क्षति थी।

8. कैंप-एक तक पहुँचने वाली महिलाएँ कौन थीं?
उत्तर देखेंकैंप-एक तक पहुँचने वाली महिलाएँ बचेंद्री पाल और रीता गोंबू थीं। उन्होंने वॉकी-टॉकी से बेस कैंप को अपनी सफलता की सूचना दी।

9. तेनजिंग ने बचेंद्री पाल को क्या प्रेरणा दी?
उत्तर देखेंतेनजिंग ने कहा कि एवरेस्ट उनका भी पहला अभियान था और सात प्रयासों के बाद सफलता मिली। उन्होंने बचेंद्री से कहा कि वह मजबूत पर्वतीय लड़की है और पहले प्रयास में सफल होगी।

10. ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर गिरने वाली घटना में क्या हुआ?
उत्तर देखेंएक बड़ा हिमखंड गिरकर कैंप को तहस-नहस कर गया। सभी घायल हुए, पर सौभाग्य से कोई नहीं मरा। यह घटना आधी रात को घटी थी।

11. बर्फ़ की कब्र से बचेंद्री को किसने निकाला?
उत्तर देखेंलोपसांग ने स्विस छुरी से रास्ता साफ़ करके बर्फ़ काटी और बचेंद्री को सुरक्षित बाहर निकाला। थोड़ी देर होती तो उनकी जान पर खतरा हो जाता।

12. कर्नल खुल्लर ने बचेंद्री से कौन-से दो प्रश्न पूछे?
उत्तर देखेंउन्होंने पूछा—“क्या तुम भयभीत थीं?” जिस पर बचेंद्री ने हाँ कहा। फिर पूछा—“क्या तुम लौटना चाहोगी?” जिस पर उन्होंने दृढ़ता से “नहीं” कहा।

13. साउथ कोल को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर देखेंसाउथ कोल को “पृथ्वी पर सबसे अधिक कठोर जगह” कहा जाता है। यहाँ अत्यधिक ठंड, तेज़ हवाएँ और प्रतिकूल वातावरण रहता है।

14. बचेंद्री ने शिखर पर पूजा में क्या चढ़ाया?
उत्तर देखेंउन्होंने दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा को लाल कपड़े में लपेटकर बर्फ़ में दबाया और छोटी पूजा-अर्चना की।

15. बचेंद्री पाल किस समय एवरेस्ट शिखर पर पहुँचीं?
उत्तर देखेंबचेंद्री पाल 23 मई 1984 को दोपहर 1 बजकर 7 मिनट पर एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचीं और प्रथम भारतीय महिला पर्वतारोही बनीं।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 2 एवेरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा के लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 2 लघु उत्तरीय प्रश्न-उत्तर

1.नमचे बाज़ार का महत्व क्या है और वहाँ बचेंद्री ने क्या अनुभव किया?
उत्तर देखेंनमचे बाज़ार शेरपालैंड का प्रमुख नगरीय क्षेत्र है जहाँ अधिकांश शेरपा रहते हैं। यहीं से बचेंद्री ने पहली बार एवरेस्ट को देखा जिसे नेपाली ‘सागरमाथा’ कहते हैं। शिखर पर लहराता बर्फ़ का ध्वज देखकर वह भयभीत भी हुईं और साथ ही आकर्षित भी। यही क्षण था जब उन्होंने मन में शिखर की कठिन चुनौतियों को स्वीकार करने का दृढ़ निश्चय किया।

2. पैरिच पहुँचने पर अभियान दल को क्या समाचार मिला और दल पर उसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर देखेंपैरिच पहुँचने पर दल को सूचना मिली कि हिमस्खलन में एक शेरपा कुली की मृत्यु हो गई और चार घायल हो गए। इस समाचार से दल में शोक और अवसाद छा गया। परंतु कर्नल खुल्लर ने सभी को समझाया कि एवरेस्ट जैसे अभियान में खतरों और मृत्यु को भी सहज भाव से स्वीकार करना पड़ता है। इसने दल के सदस्यों में धैर्य और मानसिक तैयारी को मजबूती दी।

3. डॉ. मीनू मेहता ने दल को कौन-सी तकनीकी जानकारी दी?
उत्तर देखेंडॉ. मीनू मेहता ने समझाया कि बर्फ़ीली ढलानों और हिमपात में चढ़ाई कैसे करनी है। उन्होंने एल्यूमिनियम की सीढ़ियों से पुल बनाना, रस्सियों का उपयोग करना और झंडियों से रास्ता चिन्हित करना सिखाया। उन्होंने यह भी बताया कि बर्फ़ की दीवारों पर रस्सी बाँधकर संतुलन बनाए रखना कितना आवश्यक है। इससे दल के सदस्यों को कठिन मार्गों पर आगे बढ़ने का आत्मविश्वास और व्यावहारिक ज्ञान मिला।

4. ल्होत्से ग्लेशियर से बर्फ़ टूटकर गिरने की घटना में बचेंद्री की स्थिति कैसी थी?
उत्तर देखेंआधी रात को ल्होत्से ग्लेशियर से विशाल बर्फ़ का पिंड टूटकर उनके कैंप पर गिरा। बचेंद्री गहरी नींद में थीं और अचानक भारी बर्फ़ से दब गईं। साँस लेना कठिन हो गया और मृत्यु का खतरा बढ़ गया। सौभाग्य से लोपसांग ने स्विस छुरी से रास्ता काटकर उन्हें बाहर निकाला। यह घटना अत्यंत भयावह थी, पर सभी जीवित बच गए।

5. बचेंद्री ने अपने साथियों की मदद करने के लिए कौन-सा साहसी कार्य किया?
उत्तर देखेंसाउथ कोल कैंप पर बचेंद्री ने देखा कि की, जय और मीनू भारी बोझ ढोते हुए पीछे आ रहे हैं। उन्होंने अपने थरमस में जूस और चाय भरकर खुद बर्फ़ीली हवाओं में नीचे उतरकर साथियों तक पहुँचाई। जय ने उन्हें रोकना चाहा, पर बचेंद्री ने दृढ़तापूर्वक कहा कि वह भी पर्वतारोही हैं और शारीरिक रूप से सक्षम हैं। यह उनकी साहसिकता और दल-भावना का प्रमाण था।

6. अंगदोरजी किस प्रकार की चढ़ाई कर रहे थे और बचेंद्री ने उनका साथ क्यों दिया?
उत्तर देखेंअंगदोरजी बिना ऑक्सीजन के चढ़ाई कर रहे थे। उन्हें उसी दिन शिखर पहुँचकर वापस लौटना था, अन्यथा उनके पैर ठंडे पड़ने का खतरा था। जब उन्होंने बचेंद्री को साथ चलने का प्रस्ताव दिया तो उन्होंने विश्वास और दृढ़ता के साथ स्वीकृति दी। यह निर्णय अत्यंत साहसिक था, क्योंकि बिना रस्सी के कठिन ढलानों पर चढ़ना जोखिम भरा कार्य था।

7. शिखर की अंतिम चढ़ाई के दौरान किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
उत्तर देखेंअंतिम चढ़ाई में जमी हुई बर्फ़ काँच जैसी भुरभुरी थी। फावड़े से बर्फ़ काटकर पैर जमाने पड़ते थे। दक्षिणी शिखर पर हवा की गति बहुत बढ़ गई और बर्फ़ के कण उड़कर दृश्यता शून्य कर रहे थे। कभी लगता कि रास्ता समाप्त हो गया और नीचे गहरी खाई है। इन प्रतिकूल परिस्थितियों में भी बचेंद्री ने हर कदम सोच-समझकर रखा और हिम्मत नहीं छोड़ी।

8. एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचने का क्षण बचेंद्री के लिए कैसा था?
उत्तर देखें23 मई 1984 को दोपहर 1:07 बजे जब बचेंद्री एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचीं, तो वह प्रथम भारतीय महिला बनीं। शिखर पर उन्होंने बर्फ़ को माथा टेककर पूजा की, दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा अर्पित किया। इस क्षण उन्हें अपने माता-पिता की याद आई और अपार आनंद से भर गईं। यह उनकी साधना और साहस का सर्वोच्च क्षण था।

9. एवरेस्ट की चोटी पर जगह कैसी थी और वहाँ उन्होंने क्या सावधानी बरती?
उत्तर देखेंएवरेस्ट का शिखर बहुत संकरा है, दो व्यक्ति भी साथ खड़े नहीं हो सकते। बचेंद्री और साथियों ने सबसे पहले फावड़े से बर्फ़ खोदकर अपने आपको स्थिर किया ताकि फिसलने का खतरा न रहे। सुरक्षा सुनिश्चित करने के बाद ही उन्होंने पूजा-अर्चना की और फोटो खिंचवाए। यह सावधानी आवश्यक थी, क्योंकि चारों तरफ़ हजारों मीटर लंबी सीधी ढलानें थीं।

10. कर्नल खुल्लर ने बचेंद्री की सफलता पर क्या प्रतिक्रिया दी?
उत्तर देखेंवॉकी-टॉकी से सूचना मिलने पर कर्नल खुल्लर अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा कि वे इस अनूठी उपलब्धि के लिए बचेंद्री के माता-पिता को बधाई देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि देश को उन पर गर्व है और एवरेस्ट से लौटने के बाद उनका संसार पहले जैसा नहीं रहेगा। उनकी सफलता ने भारतीय महिलाओं के लिए नया इतिहास रच दिया।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 2 एवेरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 2 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-उत्तर

1. एवरेस्ट अभियान में शेरपा कुलियों की भूमिका और उनके साहस पर प्रकाश डालिए।
उत्तर देखेंएवरेस्ट अभियान में शेरपा कुलियों की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण रही। वे दुर्गम हिमपात के मार्गों को साफ़ करने, पुल बनाने, रस्सियाँ बाँधने और झंडियों से रास्ता चिह्नित करने जैसे कार्य करते थे। अभियान दल के बेस कैंप पहुँचने से पहले ही अग्रिम दल में शामिल शेरपाओं ने कैंप-एक तक का रास्ता तैयार किया। किन्तु यह कार्य बहुत जोखिम भरा था, क्योंकि हिमस्खलन और ग्लेशियर के अस्थिर स्वरूप से उनका जीवन लगातार खतरे में रहता था। पैरिच पहुँचने पर सूचना मिली कि एक शेरपा कुली की मृत्यु हो गई और चार घायल हो गए। बाद में भी कई बार हिमपात और बर्फ़ीली ढलानों पर उन्हें जान जोखिम में डालनी पड़ी। लोपसांग जैसे शेरपाओं ने संकट की घड़ी में साथी पर्वतारोहियों की जान बचाई। उदाहरणस्वरूप, ल्होत्से ग्लेशियर से बर्फ़ गिरने पर लोपसांग ने बचेंद्री पाल को बर्फ़ की कब्र से निकाला। इन घटनाओं से स्पष्ट है कि शेरपा कुलियों का साहस और त्याग एवरेस्ट जैसे अभियानों की रीढ़ है।

2. ल्होत्से ग्लेशियर से बर्फ़ टूटकर गिरने की घटना का वर्णन कीजिए।
उत्तर देखें15-16 मई 1984 की रात बचेंद्री पाल और उनके साथी ल्होत्से की सीधी ढलान पर कैंप-तीन में ठहरे थे। आधी रात लगभग 12:30 बजे अचानक एक जोरदार धमाका हुआ और बर्फ़ का भारी पिंड उनके तंबू के ऊपर आ गिरा। यह हिमखंड ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर गिरा था और उसने कैंप को तहस-नहस कर दिया। बचेंद्री ने अनुभव किया कि कोई ठंडी और भारी वस्तु उन्हें कुचल रही है और साँस लेना कठिन हो गया। सभी पर्वतारोही और शेरपा घायल हुए, लेकिन सौभाग्य से किसी की मृत्यु नहीं हुई। लोपसांग ने स्विस छुरी से रास्ता काटकर बचेंद्री को बर्फ़ की कब्र से बाहर निकाला। सुबह सुरक्षा दल पहुँचकर घायल शेरपाओं को नीचे ले गया। कर्नल खुल्लर ने इसे इतनी ऊँचाई पर सुरक्षा-कार्य का जबरदस्त साहसिक उदाहरण बताया। यह घटना पर्वतारोहण में आने वाले अप्रत्याशित खतरों और जीवन-मृत्यु के बीच संघर्ष का सजीव चित्रण करती है।

3. तेनजिंग और बचेंद्री पाल की बातचीत से पर्वतारोहण की चुनौतियों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर देखेंतेनजिंग नॉर्गे, जिन्होंने 1953 में एडमंड हिलरी के साथ एवरेस्ट फतह की थी, अभियान के दौरान बचेंद्री पाल से मिले। बचेंद्री ने उनसे कहा कि वह पूरी तरह नौसिखिया हैं और यह उनका पहला अभियान है। इस पर तेनजिंग हँसे और बोले कि एवरेस्ट उनका भी पहला अभियान था, लेकिन शिखर तक पहुँचने से पहले उन्हें सात बार एवरेस्ट पर चढ़ाई करनी पड़ी थी। उन्होंने बचेंद्री को मजबूत पर्वतीय लड़की कहकर विश्वास दिलाया कि वह पहले ही प्रयास में सफल हो सकती है। इस संवाद से स्पष्ट है कि पर्वतारोहण केवल शारीरिक बल का कार्य नहीं, बल्कि धैर्य, लगातार अभ्यास और आत्मविश्वास का भी परिणाम है। तेनजिंग का अनुभव यह भी दर्शाता है कि एवरेस्ट जैसी कठिन चढ़ाई में बार-बार असफलता मिलने के बाद ही सफलता मिलती है। बचेंद्री को मिली प्रेरणा ने उनके मनोबल को और मजबूत किया और उन्होंने चुनौतियों का सामना करने का साहस प्राप्त किया।

4. एवरेस्ट शिखर पर पहुँचने का क्षण बचेंद्री पाल के लिए कितना भावनात्मक और ऐतिहासिक था?
उत्तर देखें23 मई 1984 को दोपहर 1 बजकर 7 मिनट पर बचेंद्री पाल एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचीं। यह क्षण उनके जीवन का सबसे गौरवशाली पल था, क्योंकि वह एवरेस्ट पर पहुँचने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। शिखर पर जगह बहुत संकरी थी, इसलिए उन्होंने पहले बर्फ़ खोदकर खुद को सुरक्षित किया। इसके बाद उन्होंने घुटनों के बल बैठकर बर्फ़ पर माथा टेककर ‘सागरमाथा’ का आशीर्वाद लिया। उन्होंने दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा लाल कपड़े में लपेटकर बर्फ़ में दबाया और पूजा-अर्चना की। इस दौरान उन्हें अपने माता-पिता की याद आई। अंगदोरजी ने उन्हें गले लगाकर बधाई दी और कहा, “दीदी, तुमने अच्छी चढ़ाई की।” शिखर से वॉकी-टॉकी द्वारा जब कर्नल खुल्लर को सूचना मिली, तो उन्होंने कहा कि देश को उन पर गर्व है। यह उपलब्धि न केवल बचेंद्री के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण बन गई।

5. एवरेस्ट अभियान से हमें कौन-से जीवन मूल्य और प्रेरणाएँ प्राप्त होती हैं?
उत्तर देखेंएवरेस्ट अभियान केवल एक पर्वतारोहण यात्रा नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों और संघर्ष का पाठ है। इस यात्रा से हमें धैर्य, साहस, टीम-भावना और आत्मविश्वास के महत्त्व का ज्ञान होता है। अभियान के दौरान अनेक कठिनाइयाँ आईं—हिमस्खलन में शेरपा की मृत्यु, प्रतिकूल जलवायु से रसोई सहायक की मौत, और ल्होत्से ग्लेशियर से बर्फ़ गिरने की घटना। इन परिस्थितियों में भी दल ने हार नहीं मानी और चुनौतियों को अवसर में बदला। बचेंद्री पाल का उत्तर, “मैं भयभीत थी, पर लौटना नहीं चाहूँगी,” अदम्य साहस का उदाहरण है। शेरपाओं का निस्वार्थ सहयोग दल-भावना का परिचायक था। तेनजिंग का संवाद धैर्य और निरंतर प्रयास का संदेश देता है। अंततः बचेंद्री की सफलता यह सिखाती है कि दृढ़ निश्चय और सतत प्रयत्न से असंभव भी संभव हो जाता है। यह अभियान हर व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों में जूझना और लक्ष्य प्राप्त करना सिखाता है।