एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 हिंदी कृतिका अध्याय 2 साना साना हाथ जोड़ि
कक्षा 10 हिंदी कृतिका अध्याय 2 साना-साना हाथ जोड़ि के NCERT समाधान सत्र 2025-26 में विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी हैं। पाठ के सभी प्रश्नों के उत्तर आसान भाषा में दिए गए हैं। इनसे छात्र पाठ को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। सभी उत्तर नवीनतम पाठ्यक्रम के अनुसार सरलता से समझाए गए हैं। ये समाधान विशेषज्ञ शिक्षकों द्वारा तैयार किए गए हैं। इनसे परीक्षा की तैयारी में छात्रों को काफी मदद मिलती है।
कक्षा 10 हिंदी कृतिका अध्याय 2 के प्रश्न उत्तर
1. झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था?
उत्तर देखेंरात के अंधकार में सितारों से नहाया हुआ गंतोक लेखिका को जादुई अहसास करवा रहा था। उसे यह जादू ऐसा सम्मोहित कर रहा था कि मानो उसका आस्तित्व ही शून्य हो गया हो, उसे ऐसा अनुभव हो रहा था जैसे उसकी चेतना लुप्त हो गयी थी। वह रोशनी से भरे किसी संसार में पहुँच गयी थी। लेखिका को आस-पास के वातावरण का कोई एहसास ही नहीं रहा।
2. गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ क्यों कहा गया?
उत्तर देखेंगंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहाँ का प्रत्येक इंसान मेहनती है। स्त्री, पुरुष, बच्चे सभी पूरी मेहनत से काम करते हैं। स्त्रियाँ छोटे बच्चों को पीठ पर लादकर काम करती हैं। यहाँ तक कि बच्चे स्कूल से आकर माता-पिता के काम में हाथ बंटाते हैं। गंतोक के लोगों की मेहनत ही थी कि गंतोक आज भी अपने पुराने स्वरूप को कायम रखे हुए है। उनका अथक प्रयास ही उनकी प्रकृति की धरोहर को संजोय हुए है। यहाँ जीवन बेहद कठिन है पर यहाँ के लोगों ने इन कठिनाईयों के बावजूद भी शहर के हर पल को खुबसूरत बना दिया है। इसलिए लेखिका ने इसे ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ कहा है।
3. कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है?
उत्तर देखेंगंतोक से युमथांग जाते हुए लेखिका को रास्ते में बहुत सारी रंगीन पताकाएं दिखाई दी। लेखिका के गाइड जीतें नार्गे ने बताया यदि किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा की शांति के लिए 108 श्वेत पताकाएँ फहराई जाती हैं। कई बार किसी नए कार्य के अवसर पर रंगीन पताकाएँ फहराई जाती हैं। इसलिए ये पताकाएँ, शोक व नए कार्य के शुभांरभ की ओर संकेत करती हैं।
4. जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, वहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में क्या महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दीं, लिखिए।
उत्तर देखेंजीतेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम के विषय में बताया कि सिक्किम एक पहाड़ी प्रदेश है। यहाँ का जान-जीवन मैदान जैसा सरल नहीं है। यहाँ का कोई भी व्यक्ति कोमल या नाजुक नहीं मिलेगा। यहाँ के लोग बहुत मेहनती हैं। स्कूल भी काफी दूर होते हैं, बच्चे पैदल चलकर 3 से 4 किलोमीटर स्कूल जाते हैं तथा स्कूल से लौटने के बाड़ घर के बहुत सारे काम करते हैं। गंतोक से यूमथांग तक तरह तरह के फूल खिले हैं तथा फूलों से भरी हुई वादियाँ भी हैं। सिक्किम की प्रकृति जितनी सुन्दर और कोमल है यहाँ का जान-जीवन उतना ही कठोर है।
5. लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक-सी क्यों दिखाई दी?
उत्तर देखेंलोंग स्टॉक में घूमते लेखिका की उत्सुकता एक विशेष चक्र के बारे में हुई जिसे लोग अक्सर घुमाते हुए देखे जा सकते हैं। गाइड जितेन नार्गे ने बताया कि इसको धर्मचक्र कहते हैं, इसको घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। हिंदू धर्म में चक्र की बहुत महत्ता है। ऐसा ही कुछ लेखिका को सिक्किम में बौद्ध धर्म के बारे में भी देखने को मिला। यह देख लेखिका ने सोचा आज विज्ञान ने चाहे जितनी प्रगति कर ली हो लेकिन सभी लोगों के धार्मिक विश्वास, मान्यताएं एक जैसी हैं। इसलिए लॉंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक सी दिखाई दी।
6. जितेन नार्गे की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करते हुए लिखिए कि एक कुशल गाइड में क्या गुण होते हैं?
उत्तर देखेंजितेन नार्गे एक गाइड होने के साथ ड्राईवर भी था। उसको सिक्किम और आस-पास के क्षेत्रों के बारे में बहुत अच्छी जानकारी थी। एक गाइड के रूप में उसे पता था कि पर्यटकों को कहाँ-कहाँ घुमाया जाए जिससे उन्हें पर्यटन का भरपूर आनंद मिले। एक कुशल गाइड में निम्नलिखित गुण होने चाहिए- एक गाइड अपने देश व इलाके के बारे में व्यापक जानकारी रखता है जिससे वह पर्यटकों को बेहतर ढंग से पर्यटन का लाभ पहुँचा सके। उसे वहाँ की भौगोलिक और ऐतिहासिक स्थिति, जलवायु व रहन-सहन की सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।
7. इस यात्र-वृत्तांत में लेखिका ने हिमालय के जिन-जिन रूपों का चित्र खींचा है, उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर देखेंलेखिका का यात्री-दल जैसे-जैसे युमथांग की ओर आगे बढ़ रहा था लेखिका को लग रहा था कि जैसे हिमालय पल-पल रंग-रूप बदल रहा है। कहीं से हिमालय अपने विशाल और विराट रूप में नजर आ रहा था तो कहीं से अंतहीन सपाट दीवार की तरह दिख रहा था। काफिला ज्यों-ज्यों नजदीक होता जा रहा था हिमालय की विशालता बढ़ती जा रही थी। लेखिका ने हिमालय को ‘मेरे नागपति, मेरे विशाल’ शब्दों से संबोधित किया। रास्ते संकरे और जलेबी की तरह टेढ़े-मेढ़े हो रहे थे। नीचे घाटियों में मकान इस तरह लग रहे थे जैसे छोटे-छोटे घरौंदे हों। यह देख लेखिका को सब कुछ एक माया का खेल लग रहा था। वह इस सम्पूर्ण नज़ारे को अपने अंतरतम में समेत लेना चाहती थी।
8. प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है?
उत्तर देखेंप्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को असीम आत्मीय सुख की अनुभूति हो रही थी। इन सारे दृश्यों में जीवन के सत्य को लेखिका ने अनुभव किया। बहती जलधारा में पैर डुबाने से शीतलता से उसका अंतर्मन भी भीगा हुआ महसूस कर रहा था। उसका मन भी बहते हुए जल के साथ तादात्म हो गया और वह ऐसे शून्य में पहुँच गयी जहां अपना कुछ नहीं रहता। इस वातावरण में उसको अद्भुत शान्ति प्राप्त हो रही थी। इन अद्भुत व अनूठे नज़ारों ने लेखिका को पल मात्र में ही जीवन की शक्ति का अहसास करा दिया।
9. प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए?
उत्तर देखेंलेखिका हिमालय यात्रा के दौरान प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनन्द में डूबी हुई थी परन्तु दूसरी ओर जीवन के कुछ सत्य जो इस सुरम्य और आनंददायक स्थान पर जिन्दगी के दूसरे पहलू की याद दिला देते हैं कि सब कुछ इतना सरल और सुन्दर नहीं है लेखिका हिमालय यात्रा के दौरान प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनन्द में डूबी हुई थी परन्तु जीवन के कुछ सत्य जो वह इस आनन्द में भूल चूकी थी, वहाँ के कठोर जनजीवन ने उसे झकझोर दिया था। वहाँ कुछ पहाड़ी औरतें जो पीठ पर टोकरी में छोटे बच्चों को रखकर मार्ग बनाने के लिए पत्थरों को तोड़ रही थीं। उनकी कोमल काया और हाथों में कुदाल व हथोड़े लेकर पत्थरों को तोड़ रही थी। वहां खड़े एक आदमी ने बताया कि पहाड़ों में सड़क बनाना बड़ा जोखिम भरा है कभी-कभी मजदूरों की जान भी चली जाती है। कटाओं में बर्फ़ में खड़े सेना के जवानों को देखा तो एहसास हुआ कि किन विकट परिस्थितियों में ये लोग देश की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं।
10. सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में किन-किन लोगों का योगदान होता है, उल्लेख करें।
उत्तर देखेंकिसी भी पर्यटक स्थान पर सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव कराने में निम्न कारकों का योगदान होता है- वे सरकारी व्यवस्थाएं जैसे रोड, होटल, सार्वजानिक प्रसाधन, बिजली, पानी आदिपर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक हैं। दूसरा सबसे महत्वपूर्ण सैलानियों के प्रति स्थानीय लोगों एवं व्यापारियों का व्यवहार सौहार्दपूर्ण होना चाहिए। वहाँ के स्थानीय गाइड जो उस क्षेत्र की सम्पूर्ण जानकारी रखते हैं सैलानियों को किस प्रकार प्रभावित करते हैं।
11. “कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं।“ इस कथन के आधार पर स्पष्ट करें कि आम जनता की देश की आर्थिक प्रगति में क्या भूमिका है?
उत्तर देखेंदेश की आर्थिक प्रगति, निर्माण तथा रक्षा के क्षेत्र में बहुत सारे लोगों का बड़ा योगदान होता है। जितना उनको पारश्रमिक मिलता है उससे कई गुणा अधिक वो देश को वापस देते हैं। सड़क निर्माण में लगे हुए लोग खून पसीना बहाकर आवागमन को सुचारू बनाते हैं। सीमा पर- रेगिस्तान, बर्फीले पहाड़, महासागरों के बीच तैनात सेना का जवान देश की रक्षा में अपने सब दुःख-दर्द भूलकर तत्पर रहता है। इसी प्रकार कारखानों में कार्यरत कर्मचारी भी देश की प्रगति में बराबर का योदान देते हैं। अगर इन लोगों को मिलाने वाले पारश्रमिक की बात करें तो इनके योगदान की तुलना में वह नगण्य है।
12. आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है। इसे रोकने में आपकी क्या भूमिका होनी चाहिए।
उत्तर देखेंआज की पीढ़ी स्वार्थी और भौतिकवादी हो चुकी है। उसे अपने हित अतिरिक्त और कुछ भी दिखाई नहीं देता। उसे साधने के लिए चाहे प्रकृति का कितना भी नुकसान करना पड़े वह कभी नहीं सोचता। अक्सर देखा जाता है कि निजी स्वार्थ के लिए जंगलों को अंधाधुंध तरीके से कटा जा रहा है। उद्योगों का प्रदूषित जल व मल बिना उपचारित किये नदियों में छोड़ दिया जाता है। खेती से अधिक उपज लेने के चक्कर में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का बेतहाशा प्रयोग कर भूमि को जहरीला बनाया जा रहा है। ये सब ऐसी समस्याएं हैं जो आने वाले समय में विनाश को दावत दे रही है अगर समय रहते सचेत नहीं हुए तो भयंकर परिणाम देखने को मिलेंगे। इसे रोकने के लिए सरकार को कठोर नियम बनाने चाहिए तथा लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए।
13. प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का जिक्र किया गया है? प्रदूषण के और कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने आए हैं, लिखें।
उत्तर देखेंपाठ में प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का जिक्र किया गया है। प्रदूषण के कारण पर्यावरण में अनेक परिवर्तन आ रहे हैं। स्नोफॉल की कमी के कारण नदियों में जल-प्रवाह की मात्रा कम होती जा रही है। परिणामस्वरूप पीने योग्य जल की कमी सामने आ रही है। प्रदूषण के कारण वायु प्रदुषित हो रही है जिसकी वजह से लोगों में अनेक प्रकार की बीमारियाँ बढ़ रही हैं। आज ज्यादातर लोग प्रदूषित जल एवं अन्न का सेवन कर रहे हैं जिससे नई-नई बीमारियाँ सामने आ रही हैं। भूमि की उपजाऊ शक्ति घटती जा रही है।
14. ‘कटाओ’ पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है। इस कथन के पक्ष में अपनी राय व्यक्त कीजिए?
उत्तर देखेंप्रकृति में कुछ जगहें ऐसी भी होनी चाहिए जहाँ इंसानों का ज्यादा दखल न हो। लेखिका जब कटाओ पहुँची तो उसे वहां कोई भी दूकान नहीं दिखाई दी उसे लगा कि कटाओ में किसी दुकान का न होना भी वहाँ के लिए वरदान है। क्योंकि अगर वहाँ दुकानों की कतार लग गई होती तो कटाओ का नैसर्गिक सौंदर्य नष्ट तो होता ही, साथ में आज जो बर्फ़ दिखाई कटाओ में दिखाई दे रही है वह नजर नहीं आती। भीड़ बढ़ने से अंतत: वहाँ भी प्रदूषण अपने पाँव पसारेगा। ऐसे में कटाओ में दुकानों का न होना एक वरदान ही है।
15. प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है?
उत्तर देखेंजल सबकी मूल जरुरत है। प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था नायाब ढंग से की है। सर्दियों में जब पानी की जरुरत सबसे कम होती है तब प्रकृति बर्फ के रूप में जल को संग्रह कर लेती है और गर्मियों में जब पानी की ज्यादा जरुरत होती तब बर्फ़ के रूप में वही संचित जल नदी और धाराओं के रूप में प्रवाहित होता है।
16. देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी किस तरह की कठिनाइयों से जूझते हैं? उनके प्रति हमारा क्या उत्तरदायित्व होना चाहिए?
उत्तर देखेंदेश की सीमाओं पर तैनात सैनिक कई बार विषम परिस्थितियों का सामना करते हैं। बहुत सारी जगहें ऐसी हैं जहाँ आमजन एक क्षण भी नहीं ठहर सकता वहां पर हमारे सैनिक सजग और साहस के साथ सीमा की रक्षा करते हुए अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हैं। हमारा कर्तव्य है कि हम उनका सम्मान करें। उनके परिवार के प्रति सम्माननीय भाव रखें। सैनिकों के दूर रहते हुए उनके परिवार को हर प्रकार से सहयोग देना चाहिए। उन्हें यह कभी भी ऐसा एहसास नहीं होना चाहिए कि वे अकेले हैं, तथा विषम परिस्थितियों में उन्हें निराशा से बचाएँ।
कक्षा 10 हिंदी कृतिका अध्याय 2 के अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर
1. लेखिका को गंतोक से कंचनजंघा क्यों नहीं दिखाई दे रहा था?
उत्तर देखेंलेखिका की वह सुबह गंतोक की आख़िरी सुबह थी आगे उन्हें यूमथांग जाना था। आमतौर पर गंतोक से हिमालय की तीसरी सबसे बड़ी चोटी कंचनजंघा नजर आ जाती है लेकिन उस दिन की सुबह मौसम साफ़ होने के बाद भी बादल के टुकड़ों की वजह से कंचनजंघा के दर्शन नहीं कर पाईं।
2. लेखिका को लायुंग में बर्फ़ देखने को नहीं मिली इसका क्या कारण था?
उत्तर देखेंज्यों-ज्यों पर्वत नजदीक आते जा रहे थे लेखिका को बर्फ़ देखने की ईच्छा प्रबल होती जा रही थी। लायुंग की ऊंचाई लगभग 14000 फीट के आस-पास है इसलिए लेखिका को उम्मीद थी कि यहाँ बर्फ़ जरूर मिलेगी। सुबह उठकर लेखिका जैसे ही बाहर निकली उसे निराशा हाथ लगी। यहाँ बर्फ़ का एक टुकड़ा भी नहीं था। यह लेखिका के लये आश्चर्य का विषय था क्योंकि इतनी ऊंचाई होने के बावजूद बर्फ़ का न होना भी विस्मित करने वाला था। वहाँ के एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि बढ़ते हुए प्रदूषण के कारण इस बार स्नोफाल नहीं हुआ था।
3. लेखिका बर्फ़ देखने के लिए कहाँ जाने का फैसला करती है?
उत्तर देखेंलायुंग से 500 फीट की ऊंचाई पर कटाओ में लेखिका को बर्फ़ देखने को मिल सकती थी। यहाँ जाने के लिए लगभग 2 घंटे का समय चाहिए था। कटाओ को भारत का स्वीजरलैंड भी कहा जाता है। अभी तक यहाँ पर्यटकों का आना-जाना कम था इसलिए वह अपने प्राकृतिक स्वरुप में मौजूद था।
4. लेखिका का कटाओ का सफ़र कैसे रहा?
उत्तर देखेंकटाओ का रास्ता बहुत खतरनाक था ऊपर से धुंध और बारिस की वजह से यह सफ़र और ज्यादा खतरनाक हो गया था। संकरा और पहाड़ी रास्ता होने की वजह से बहुत ही सावधानी से गाड़ी चलानी पड़ती है जरा सी सावधानी हटी कि जान के लाले पद जायेंगे। इस कारण सब लोग चुपचाप सहमें से बैठे थे। रास्ते में जगह-जगह सावधानी से तत्र करने की चेतावनी लिखी हुई थी।
5. लेखिका की बर्फ़ पर चलने की ईच्छा क्यों पूरी नहीं हो सकी?
उत्तर देखेंकटाओ पहुँचने पर लेखिका का मन प्रफुलित हो गया क्योंकि वहां तजा बर्फ़ गिरी हुई थी। लेखिका का मन हुआ कि वह बर्फ़ पर चले लेकिन उसकी यह हसरत पूरी नहीं हो सकी क्योंकि उसके पास बर्फ़ में पहनने वाले जूते नहीं थे और न ही आस-पास कोई दुकान थी।
6. लेखिका ने गंतोक के रास्ते में एक युवती से प्रार्थना के कौन से बोल सीखे थे?
उत्तर देखेंअपनी गंतोक यात्रा के रास्ते में लेखिका ने एक नेपाली युवती से प्रार्थना के कुछ बोल सीखे थे- ‘साना-साना हाथ जोड़ि, गर्दहु प्रार्थना। हाम्रो जीवन तिम्रो कौसेली। इसका अर्थ है- छोटे-छोटे हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रही हूँ कि मेरा सारा जीवन अच्छाइयों को समर्पित हो।
7. लायुंग में जनजीवन किस प्रकार था?
उत्तर देखेंलायुंग में अधिक्तर लोगों की जीविका का साधन पहाड़ी आलू तथा धान की खेती है इसके अतिरिक्त लोग शराब बनाने का कम भी करते हैं। इनका जीवन कठोर श्रम पर टिका हुआ है। अधिकांश पहाड़ी क्षेत्रों में लोग कठिन जीवन व्ययतीत करते हैं।
कक्षा 10 हिंदी कृतिका अध्याय 2 अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
रात में गैंगटॉक का दृश्य कैसा था?
उत्तर देखेंआसमान उलटा लगता था, तारे नीचे टिमटिमा रहे थे। दूर तराई पर सितारों के गुच्छे रोशनी की झालर बना रहे थे, जो वास्तव में गैंगटॉक शहर की जगमगाहट थी।
बौद्ध पताकाओं का क्या महत्व है?
उत्तर देखेंश्वेत पताकाएँ शांति व अहिंसा का प्रतीक हैं। किसी बौद्ध की मृत्यु पर उसकी आत्मा की शांति के लिए 108 पताकाएँ फहराई जाती हैं, जो स्वयं नष्ट हो जाती हैं।
पहाड़ी महिलाएँ क्या कर रही थीं?
उत्तर देखेंवे पत्थर तोड़कर सँकरे रास्तों को चौड़ा बना रही थीं। कई अपनी पीठ पर बच्चों को बाँधे हुए थीं। यह खतरनाक कार्य था, जिसमें जान जाने का भी जोखिम था।
कटाओ का सौंदर्य कैसा था?
उत्तर देखेंकटाओ बर्फ़ से ढके पहाड़ों वाला स्वर्ग जैसा था। चाँदी जैसे चमकते शिखर, घुटनों तक नरम बर्फ़ और हल्की बर्फ़बारी ने इसे अद्भुत बना दिया था।
लेखिका की प्रार्थना क्या थी?
उत्तर देखेंउन्होंने नेपाली भाषा में सीखी प्रार्थना दोहराई: “साना-साना हाथ जोड़ि… हाम्रो जीवन तिम्रो कौसेली” (मेरा जीवन अच्छाइयों को समर्पित हो)।
तिस्ता नदी का वर्णन कीजिए।
उत्तर देखेंतिस्ता नदी चिकने गुलाबी पत्थरों के बीच इठलाती हुई बहती थी। इसका पानी चाँदी की तरह चमकता था और यह लेखिका की आँखों के लिए अद्भुत थी।
याक कहाँ दिखे और क्यों महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर देखेंयाक ऊँचाई वाले बर्फ़ीले इलाकों में दिखे। उनके घने बाल प्राकृतिक ठंड से रक्षा करते हैं। वे दूध देते हैं और पहाड़ों के लिए उपयोगी हैं।
सीमा पर सैनिकों के जीवन के बारे में क्या पता चला?
उत्तर देखेंसैनिक अत्यधिक ठंड (माइनस 15°C) में चीन की सीमा पर पहरा देते हैं। उनका आदर्श वाक्य था: “वी गिव अवर टुडे फॉर योर टुमारो”।
रास्तों पर क्या चेतावनियाँ लिखी थीं?
उत्तर देखेंचेतावनियों में लिखा था: “धीरे चलाएँ, घर में बच्चे इंतज़ार कर रहे हैं”, “दुर्घटना से देर भली” और “इफ यू आर मैरिड, डाइवोर्स स्पीड”।
यूमथांग के फूलों के बारे में क्या बताया गया?
उत्तर देखेंयूमथांग की घाटियाँ प्रियुता और रूडोडेंड्रोन के रंग-बिरंगे फूलों से भरी थीं। जितेन ने कहा कि पंद्रह दिनों में पूरी घाटी फूलों की सेज बन जाती है।
गंतोक शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर देखेंगैंगटॉक का असली नाम “गंतोक” है, जिसका अर्थ है “पहाड़”। यह नाम सिक्किम की भौगोलिक स्थिति को दर्शाता है।
लेखिका को हिमालय क्यों महत्वपूर्ण लगा?
उत्तर देखेंहिमालय जल स्तंभ है, जो सर्दियों में बर्फ़ संचित करता है और गर्मियों में पिघलकर नदियों को जल देता है। यह एशिया के लिए जीवनरेखा है।
धर्म चक्र (प्रेयर व्हील) के बारे में क्या बताया गया?
उत्तर देखेंधर्म चक्र एक घूमता चक्र था। जितेन के अनुसार, इसे घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। यह बौद्ध आस्था का प्रतीक था।
पहाड़ी बच्चों की शिक्षा की क्या स्थिति थी?
उत्तर देखेंबच्चे रोज़ 3-4 किमी पहाड़ी चढ़ाई चढ़कर स्कूल जाते थे। शाम को वे मवेशी चराते, पानी भरते और लकड़ी के भारी गट्ठर ढोते थे।
लेखिका की यात्रा का मुख्य संदेश क्या था?
उत्तर देखेंयात्रा ने प्रकृति के सौंदर्य, आम जन के संघर्ष और जीवन की नश्वरता का अहसास कराया। साथ ही, जीवन का आनंद “चलायमान सौंदर्य” में है।
कक्षा 10 हिंदी कृतिका अध्याय 2 लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
गैंगटॉक शहर को देखकर लेखिका को कैसा अनुभव हुआ और उन्होंने इसे किस रूप में वर्णित किया?
उत्तर देखेंगैंगटॉक शहर को देखकर लेखिका सम्मोहित हो गईं। रात में जगमगाते शहर की रोशनियाँ उन्हें आसमान के उलटे पड़े होने और तारों के नीचे टिमटिमाने जैसी प्रतीत हुईं। उन्होंने इसे “इतिहास और वर्तमान के संधि-स्थल पर खड़ा मेहनतकश बादशाहों का शहर” बताया, जहाँ का सब कुछ (सुबह, शाम, रात) सुंदर था। इस दृश्य ने उन्हें इतना विभोर कर दिया कि उनकी चेतना और आसपास का वातावरण स्थगित व अर्थहीन सा लगने लगा।
प्रेयर व्हील (धर्म चक्र) के बारे में जितेन ने लेखिका को क्या बताया और इस पर लेखिका की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर देखेंजितेन ने लेखिका को बताया कि ‘प्रेयर व्हील’ या धर्म चक्र को घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। लेखिका इस विचार पर चकित हुईं। उन्होंने सोचा कि चाहे मैदान हो या पहाड़, वैज्ञानिक प्रगतियों के बावजूद देश की आत्मा एक जैसी है। लोगों की आस्थाएँ, विश्वास, अंधविश्वास और पाप-पुण्य की अवधारणाएँ हर जगह समान रूप से पाई जाती हैं।
‘सेवन सिस्टर्स वॉटर फॉल’ के पास लेखिका को क्या आध्यात्मिक अनुभव हुआ?
उत्तर देखें‘सेवन सिस्टर्स वॉटर फॉल’ के पास बैठकर लेखिका ने झरने के संगीत के साथ अपनी आत्मा का संगीत सुना। पानी में पाँव डालने पर उनका मन काव्यमय हो गया और उन्हें सत्य व सौंदर्य को छूने का अहसास हुआ। उन्हें लगा कि जीवन की शक्ति का अहसास हो रहा है, भीतर की सारी तामसिकताएँ और वासनाएँ निर्मल धारा में बह गईं। वे स्वयं को देश-काल की सीमाओं से परे बहती धारा के समान अनुभव करने लगीं।
पत्थर तोड़ती पहाड़ी महिलाओं को देखकर लेखिका के मन में क्या विचार आए?
उत्तर देखेंपत्थर तोड़ती पहाड़ी महिलाओं को देखकर लेखिका द्रवित हो गईं। उन्होंने देखा कि कुछ की पीठ पर डोको (टोकरी) में उनके बच्चे भी बँधे हुए थे। यह दृश्य स्वर्गीय सौंदर्य के बीच भूख, मौत, दैन्य और जीवित रहने की जद्दोजहद का प्रतीक लगा। उन्हें याद आया कि पिछले महीने एक महिला की जान भी चली गई थी। इस श्रमसाध्या और खतरनाक कार्य को देखकर उन्हें अहसास हुआ कि आम जिंदगियों की कहानी हर जगह एक-सी है।
सीमा पर तैनात सैनिकों के बारे में लेखिका ने क्या जाना और उनके प्रति उनके मन में क्या भाव उठे?
उत्तर देखेंकटाओ के पास सीमा पर तैनात सैनिकों से बात करके लेखिका को पता चला कि वे माइनस 15 डिग्री सेल्सियस जैसी कड़ाके की ठंड में भी पहरा देते हैं। एक सैनिक ने कहा, “आप चैन की नींद सो सकें, इसीलिए तो हम यहाँ पहरा दे रहे हैं।” एक छावनी पर लिखा था – “वी गिव अवर टुडे फॉर योर टुमारो।” इन वाक्यों ने लेखिका को उदास कर दिया और उनके प्रति गहरा सम्मान व कृतज्ञता का भाव जागा।
कटाओ की यात्रा और वहाँ के दृश्य का वर्णन लेखिका ने किस प्रकार किया?
उत्तर देखेंकटाओ की यात्रा अत्यंत खतरनाक और धुंध व बारिश से घिरी थी। पर पहुँचने पर लेखिका ने देखा कि पूरा क्षेत्र ताज़ी बर्फ से ढका था, जो साबुन के झाग या चाँदी की तरह चमक रही थी। वहाँ घुटनों तक नरम-नरम बर्फ थी। आसमान और बर्फ से ढके पहाड़ एक होते दिख रहे थे। हल्की-हल्की बर्फ भी गिर रही थी। इस दिव्य सौंदर्य ने लेखिका को मंत्रमुग्ध कर दिया और उनके भीतर के देवता जाग उठे।
‘साना-साना हाथ जोड़ि…’ यह प्रार्थना लेखिका के लिए क्या महत्व रखती है और यह पाठ में कब-कब प्रकट होती है?
उत्तर देखें‘साना-साना हाथ जोड़ि…’ (छोटे-छोटे हाथ जोड़कर) यह नेपाली प्रार्थना लेखिका के लिए आत्मिक शांति, समर्पण और अच्छाइयों के प्रति समर्पण का प्रतीक है। यह पाठ में दो बार महत्वपूर्ण क्षणों पर आती है: पहली बार जब गैंगटॉक की जादुई रात के बाद सुबह कंचनजंघा देखने की आशा में उनका मन प्रार्थनामय होता है। दूसरी बार यूमथांग के रास्ते में प्रकृति की अखंडित संपूर्णता और ईश्वर के निकट होने के अहसास में यह प्रार्थना फिर उनके होठों पर आ जाती है।
यात्रा के दौरान लेखिका को पहाड़ी बच्चों के जीवन के बारे में क्या पता चला?
उत्तर देखेंयात्रा के दौरान लेखिका को पता चला कि पहाड़ी बच्चे प्रतिदिन लगभग तीन से साढ़े तीन किलोमीटर की खतरनाक पहाड़ी चढ़ाई चढ़कर स्कूल जाते हैं क्योंकि पूरे इलाके में केवल एक ही स्कूल है। स्कूल से लौटने के बाद वे अपनी माताओं के साथ मवेशी चराने, पानी भरने और जंगल से लकड़ी के भारी गट्ठर ढोने जैसे कठिन काम भी करते हैं। जितेन ने बताया कि उसने भी ऐसे काम किए थे।
लायुंग में तिस्ता नदी के किनारे बैठकर लेखिका को क्या अनुभूति हुई और उन्होंने क्या सोचा?
उत्तर देखेंलायुंग में तिस्ता नदी के किनारे बैठकर लेखिका को अद्भुत शांति और सुकून का अनुभव हुआ। वातावरण में मंदिर की घंटियों जैसी रुनझुन थी। उन्हें ज्ञान का बोध हुआ कि सच्चा सुख और शांति वहीं है जहाँ प्रकृति और जीवन की अखंडित संपूर्णता है – पेड़, पौधे, पशु और मनुष्य सभी अपनी स्वाभाविक लय और गति में हों। उन्हें एहसास हुआ कि मानव पीढ़ी ने प्रकृति की इस लय के साथ खिलवाड़ कर बड़ा अपराध किया है और हिमालय अब उनके लिए सिर्फ कविता नहीं, बल्कि दर्शन बन गया था।
पूरी यात्रा का लेखिका पर क्या समग्र प्रभाव पड़ा? उन्होंने इस यात्रा को किस रूप में देखा?
उत्तर देखेंपूरी यात्रा लेखिका के लिए एक गहन आध्यात्मिक और चेतनापूर्ण खोज यात्रा थी। इसने उन्हें प्रकृति के अद्भुत, विराट और कभी-कभी असह्य सौंदर्य से साक्षात्कार कराया, जिसने उन्हें विभोर कर दिया। साथ ही, उन्हें पहाड़ी जीवन की कठोर वास्तविकताओं – पत्थर तोड़ती महिलाओं, दूर तक पैदल स्कूल जाते बच्चों और कड़ाके की ठंड में सीमा पर तैनात सैनिकों के संघर्ष और समर्पण – का भी सामना करना पड़ा। इस द्वंद्व ने उन्हें जीवन की जटिलताओं, सुख-दुख के सहअस्तित्व और आम जन के अदम्य साहस के प्रति गहरा संवेदनशील बना दिया। यह यात्रा उनके भीतर चेतना और अंतरात्मा में हलचल पैदा करने वाली थी।
कक्षा 10 हिंदी कृतिका अध्याय 2 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर
लेखिका के भीतर आध्यात्मिक चेतना का विकास किस प्रकार हुआ? यात्रा के दौरान उनकी दृष्टि में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर देखेंयात्रा के आरंभ में लेखिका प्रकृति के बाह्य सौंदर्य (गैंगटॉक की रात, तारों का टिमटिमाना) से मुग्ध थीं, किंतु धीरे-धीरे उनकी चेतना गहरे आध्यात्मिक बोध में रूपांतरित हुई। सेवन सिस्टर्स झरने के समक्ष बैठकर उन्हें “जीवन की शक्ति” का अहसास हुआ और भीतर की “तामसिकताएँ धुल गईं”। लायुंग में तिस्ता नदी के किनारे प्रार्थनामय मनःस्थिति में उन्हें “अखंडित संपूर्णता” का बोध हुआ—जहाँ प्रकृति, मनुष्य और जीवन की लय एकाकार है। कटाओ की बर्फ़ से आच्छादित विराटता ने उन्हें वैदिक ऋषियों की अनुभूति से जोड़ा, जहाँ सौंदर्य सत्य और करुणा का प्रतीक बन गया। अंततः यात्रा उनके लिए प्राकृतिक सौंदर्य के भोग से परे “चेतना और अंतरात्मा की खोज” बन गई।
पाठ में ‘सौंदर्य’ और ‘कष्ट’ का द्वंद्व किस प्रकार उभरता है? लेखिका इस विरोधाभास को कैसे व्यक्त करती हैं?
उत्तर देखेंलेखिका ने पाठ में प्रकृति के मनोहारी सौंदर्य और मानवीय संघर्ष के कठोर यथार्थ के बीच तीखा अंतर दर्शाया है। एक ओर यूमथांग की फूलों से लदी वादियाँ, कटाओ की बर्फ़ से चमकते पहाड़ और तिस्ता नदी की निर्मल धारा हैं, तो दूसरी ओर पत्थर तोड़ती पहाड़ी महिलाएँ हैं—जिनकी पीठ पर बच्चे बँधे हैं और जिनमें से एक की मृत्यु हाल ही में हुई थी। इसी प्रकार, स्विट्ज़रलैंड से सुंदर कटाओ के दृश्य के पीछे सैनिकों का माइनस 15°C में जीवन जीना है। लेखिका कहती हैं: “इतने स्वर्गीय सौंदर्य… के बीच भूख, मौत और जिंदा रहने की जंग!” वे इस विरोधाभास को “आम जिंदगियों की कहानी” कहकर सार्वभौमिक बना देती हैं, जहाँ सुख-दुख सहअस्तित्व में रहते हैं।
प्रकृति वर्णन में लेखिका ने किन काव्यात्मक उपकरणों का प्रयोग किया है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर देखेंलेखिका ने प्रकृति वर्णन को सजीव बनाने के लिए मार्मिक उपमाओं, रूपकों और संवेदनशील बिंबों का सहारा लिया है:
उपमा: गैंगटॉक की रोशनियों को “सितारों के गुच्छे” और “रोशनियों की झालर” कहा गया है। तिस्ता नदी “चाँदी की तरह कौंध मारती” है तो कटाओ की बर्फ़ “साबुन के झाग” जैसी प्रतीत होती है।
रूपक: बादलों को “काला कंबल” और पहाड़ों को “मेहनतकश बादशाह” कहकर मानवीकरण किया गया है। यात्रा मार्ग “जलेबी की तरह घुमावदार” है।
बिंब: “चटक हरे रंग का मोटा कालीन” (घास), “दूध की धार की तरह झरते प्रपात” और “पाउडर छिड़की हुई बर्फ़” जैसे दृश्य बिंब पाठक के मानसपटल पर सजीव हो उठते हैं।
इन उपकरणों के माध्यम से लेखिका ने हिमालय को “कविता और दर्शन” का सम्मिलित रूप प्रदान किया है।
सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों के जीवन और उनके योगदान पर लेखिका की टिप्पणी क्या प्रतिबिंबित करती है?
उत्तर देखेंलेखिका ने सीमा पर तैनात सैनिकों के जीवन को “मौत को झुठलाने” वाला संघर्ष बताया है। कटाओ जैसे दुर्गम इलाके में, जहाँ तापमान माइनस 15°C होता है, सैनिकों का निरंतर ड्यूटी में तैनात रहना उनके अदम्य साहस को दर्शाता है। एक सैनिक का वाक्य—”आप चैन की नींद सो सकें, इसीलिए तो हम यहाँ पहरा दे रहे हैं”—लेखिका को गहराई तक विचलित कर देता है। छावनी पर लिखा नारा “वी गिव अवर टुडे फॉर योर टुमारो” उनके समर्पण का प्रतीक है। लेखिका इस अनुभव से नागरिक और सैन्य जीवन के बीच की खाई को रेखांकित करती हैं—जहाँ शहरी आराम सीमा के कष्टों पर टिका है। यह भाव उनकी राष्ट्रीय चेतना और सैनिकों के प्रति कृतज्ञता को उजागर करता है।
‘साना-साना हाथ जोड़ि…’ प्रार्थना पाठ में किस सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक संदेश का वाहक है?
उत्तर देखेंयह नेपाली प्रार्थना—”साना-साना हाथ जोड़ि… हाम्रो जीवन तिम्रो कौसेली” (छोटे-छोटे हाथ जोड़कर… मेरा जीवन तुम्हारे चरणों में अर्पित है)—पाठ का केंद्रीय दार्शनिक सूत्र है। यह प्रार्थना लेखिका के लिए आत्मसमर्पण, विनम्रता और शुभता के प्रति समर्पण का प्रतीक है। यह दो बार महत्वपूर्ण क्षणों पर उभरती है: पहली बार जब गैंगटॉक की रहस्यमयी रात के बाद उनका मन शून्यता से भर जाता है, और दूसरी बार यूमथांग में प्रकृति की संपूर्णता के बीच जब वे स्वयं को “ईश्वर के निकट” अनुभव करती हैं। यह प्रार्थना स्थानीय नेपाली संस्कृति की आध्यात्मिकता को दर्शाती है, जहाँ जीवन दैवीय इच्छा के अधीन है। लेखिका के लिए यह मानवीय अहं के विलोपन और प्रकृति के साथ एकात्म होने का मार्ग बन जाती है।