एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 विज्ञान जिज्ञासा अध्याय 8 जल की विविध अवस्थाओं की यात्रा
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 विज्ञान जिज्ञासा अध्याय 8 जल की विविध अवस्थाओं की यात्रा के प्रश्न उत्तर, अभ्यास के सभी जवाब शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। इस अध्याय में जल के ठोस, तरल और गैसीय अवस्थाओं के बीच के परिवर्तनों को सरल भाषा में समझाया गया है। विद्यार्थी जल चक्र और उसकी महत्ता को समझ सकते हैं।
कक्षा 6 विज्ञान जिज्ञासा अध्याय 8 एनसीईआरटी समाधान
कक्षा 6 विज्ञान जिज्ञासा अध्याय 8 जल की विविध अवस्थाओं की यात्रा के प्रश्न उत्तर
कक्षा 6 विज्ञान जिज्ञासा के अध्याय 8 जल की विविध अवस्थाओं का परिचय: ठोस, द्रव और गैस
जल की विविध अवस्थाओं की यात्रा एक आकर्षक विषय है। जल मुख्यतः तीन अवस्थाओं में पाया जाता है: ठोस, द्रव, और गैस। जब हम बर्फ को देखते हैं, तो वह जल की ठोस अवस्था है। जब बर्फ को गर्म किया जाता है, तो वह पिघलकर द्रव बन जाती है। द्रव जल को यदि और अधिक गर्म किया जाए, तो वह वाष्प बनकर गैस में परिवर्तित हो जाता है। इन तीनों अवस्थाओं में जल का व्यवहार भिन्न-भिन्न होता है, जो इसे एक अद्भुत प्राकृतिक तत्व बनाता है। बर्फ को हम अपने हाथों से पकड़ सकते हैं, जबकि द्रव जल बहता है, और गैस को हम देख नहीं सकते, लेकिन उसका अनुभव कर सकते हैं।
वाष्पीकरण की प्रक्रिया: जल का गायब होना
वाष्पीकरण जल की एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें जल द्रव अवस्था से गैस अवस्था में परिवर्तित होता है। यह प्रक्रिया सामान्य तापमान पर भी हो सकती है। आपने देखा होगा कि जब आप कपड़े धोने के बाद उन्हें सुखाने के लिए बाहर रखते हैं, तो कुछ समय बाद वे सूख जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जल धीरे-धीरे वाष्प बनकर उड़ जाता है। इसी तरह, अगर आप स्टील की प्लेट पर कुछ जल डालते हैं, तो वह भी कुछ समय बाद गायब हो जाता है। इसका कारण वाष्पीकरण है, जो सतह के क्षेत्र, तापमान और हवा की गति पर निर्भर करता है।
संघनन: जल की गैस से द्रव में वापसी
जब जल वाष्प ठंडी सतह के संपर्क में आता है, तो वह संघनित होकर फिर से द्रव अवस्था में आ जाता है। इस प्रक्रिया को संघनन कहते हैं। आपने देखा होगा कि जब आप ठंडे पानी का गिलास बाहर रखते हैं, तो उसकी बाहरी सतह पर जल की बूंदें जमने लगती हैं। यह संघनन की प्रक्रिया का एक अच्छा उदाहरण है। संघनन के कारण ही आकाश में बादल बनते हैं, जो बाद में बारिश के रूप में धरती पर गिरते हैं।
जल का ठोस अवस्था में परिवर्तित होना: हिमन
जल का ठोस अवस्था में परिवर्तन हिमन कहलाता है। जब आप जल को बहुत ठंडे वातावरण में रखते हैं, जैसे कि फ्रीज़र में, तो वह बर्फ में बदल जाता है। यह प्रक्रिया जल के ठंडे होने पर उसकी ऊर्जा के घटने से होती है, जिससे जल के अणु आपस में जुड़कर ठोस बर्फ का निर्माण करते हैं। हिमन प्रक्रिया को हम दैनिक जीवन में कई जगह देखते हैं, जैसे कि सर्दियों में तालाबों और झीलों पर बर्फ का जमना।
बादलों का निर्माण और वर्षा
जल की वाष्प जब ऊपर उठकर ठंडी हो जाती है, तो वह छोटे-छोटे जल कणों के रूप में बदलकर बादल बनाती है। जब ये जल कण आपस में मिलकर बड़े हो जाते हैं, तो वे वर्षा के रूप में धरती पर गिरते हैं। बादलों का निर्माण और वर्षा प्रकृति के जल चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस प्रक्रिया से जल का पुनः चक्रण होता है, जिससे हमारी पृथ्वी पर जल की निरंतरता बनी रहती है।
वाष्पीकरण और संघनन के बीच संतुलन
वाष्पीकरण और संघनन प्रक्रियाओं के बीच संतुलन ही हमारे वातावरण को संतुलित रखता है। यदि वाष्पीकरण अधिक होता है और संघनन कम, तो हवा में अधिक नमी हो जाती है, जिससे उमस बढ़ जाती है। इसके विपरीत, यदि संघनन अधिक होता है, तो वर्षा की संभावना बढ़ जाती है। यह संतुलन ही हमारे पर्यावरण की स्थिति को निर्धारित करता है और जलवायु को नियंत्रित करता है।
जल का महत्व और संरक्षण
जल हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। यह केवल पीने के लिए ही नहीं, बल्कि कृषि, उद्योग और अन्य घरेलू कार्यों के लिए भी जरूरी है। जल की मांग बढ़ती जा रही है, जबकि इसकी उपलब्धता सीमित है। इसलिए, जल का संरक्षण करना हमारी जिम्मेदारी है। हमें इसे व्यर्थ नहीं करना चाहिए और जहां संभव हो, जल को संरक्षित करने के उपाय करने चाहिए। जल ही जीवन है, और इसके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती।
कक्षा 6 विज्ञान जिज्ञासा के अध्याय 8 के प्रश्न उत्तर तिवारी अकादमी पर उपलब्ध हैं, जहाँ विद्यार्थी जाकर अपने ज्ञान को और भी मजबूत कर सकते हैं।